Gunsara: Difference between revisions

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==History ==
==History ==
== इतिहास  ==
'''सम्राट अनंगपाल द्वितीय''' (1051ई.-1081 ई.): [[Anangpal Tomar II|अनंगपाल द्वितीय]] ने 1051 ई.-1081 ई. तक 29 साल 6 मास 18 दिन तक राज्य किया। इनका वास्तविक नाम [[Anekapala|अनेकपाल]] था। इनकी मुद्राएँ तोमर देश कहलाने वाले [[Baghpat|बाघपत]] जिले में [[Johadi|जोहड़ी]] ग्राम से प्राप्त हुई। लेख के अनुसार  "सम्वत दिहालि 1109 अनंगपाल बहि "
इसका अर्थ है कि अनंगपाल ने सन '''1052''' ईस्वी में दिल्ली बसाई। पार्श्वनाथ चरित के अनुसार भी 1070 ईस्वी में दिल्ली पर अंनगपाल था। इंद्रप्रस्थ प्रबंध के अनुसार भी इस बात की पुष्टि होती है।
महाराजा अनंगपाल तोमर की रानी हरको देवी के दो पुत्र हुए। बड़े '''सोहनपाल देव''' बड़े पुत्र आजीवन ब्रह्मचारी रहे। और छोटे [[Jurar Dev Tomar|जुरारदेव तोमर]] हुए जुरारादेव को [[Sonoth Janubi|सोनोठ गढ़]] में गद्दी पर बैठे [[Jurar Dev Tomar|जुरारदेव तोमर]] के आठ पूत्र हुए -
1. सोनपाल देव तोमर - इन्होंने [[Sonoth Janubi|सोनोठ]] पर राज्य किया
2. मेघसिंह तोमर - इन्होंने [[Magorra|मगोर्रा]] गाँव बसाया
3. फोन्दा सिंह तोमर ने [[Fonder|फोंडर]] गाँव बसाया
4. गन्नेशा (ज्ञानपाल) तोमर ने [[Gunsara|गुनसारा]] गाँव बसाया
5. अजयपाल तोमर ने [[Ajan|अजान]] गाँव बसाया
6. सुखराम तोमर ने [[Saunkh|सोंख]]
7. चेतराम तोमर ने  [[Chhatikara|चेतोखेरा]] गाँव
8. बत्छराज ने [[Bachhgaon|बछगांव]] बसाया
इन आठ गाँव को खेड़ा बोलते हैं। इन आठ खेड़ों की पंचायत वर्ष [[Anangpal|अनंगपाल]] की पुण्यतिथि (प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला-पूर्णमासी ) पर कुल देवी माँ [[Mansa Devi|मनसा देवी]] के मंदिर अनंगपाल की समाधी और किले के निकट हज़ार वर्षो से होती आ रही है। इस का उद्देश्य पूरे वर्ष के सुख दुःख की बाते करना, अपनी कुल देवी पर मुंडन करवाना, साथ ही आपसी सहयोग से रणनीति बनाना था। वर्तमान में यह अपने उद्देश्य से दूर होता दिख रहा है। [[Mansa Devi|मंशा देवी]] के मंदिर पर प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला-पूर्णमासी को एक विशाल मेला लगता है जिसमे सिर्फ तोमर वंशी कुन्तल जाते हैं। [[दिल्ली]] के राजा अनंगपाल ने मथुरा के [[Gopalpur Mathura|गोपालपुर]] गाँव में संवंत 1074 में [[Mansa Devi|मन्सा देवी]] के मंदिर की स्थापना की। यह गाँव '''गोपालदेव तोमर''' ने बसाया। अनंगपाल तोमर/तँवर ने गोपालपुर के पास 1074 संवत में [[Sonoth Janubi|सोनोठ]] में सोनोठगढ़ का निर्माण करवाया। जिसको आज भी देखा जा सकता है। इन्होंने [[Sonoth Janubi||सोनोठ]] में एक खूँटा गाड़ा और पुरे भारतवर्ष के राजाओं को चुनोती दी की कोई भी राजा उनके गाड़े गए इस स्तम्भ (खुटे) को हिला दे या दिल्ली राज्य में प्रवेश करके दिखा दे। किसी की हिम्मत नहीं हुई। इसलिए [[Jurar Dev Tomar|जुरारदेव तोमर]] के वंशज [[Khutela|खुटेला]] कहलाये।
इनकी अन्य मुद्राओं पर श्री अंनगपाल लिखा गया है। इन्होने [[Haryanvi|हरियाणा भाषा]] में भी नाम '''अणगपाल''' नाम सिक्कों पर अंकित करवाया है। इनके कुछ सिक्कों पर कुलदेवी माँ [[Mansa Devi||मनसा देवी]] का चित्र भी अंकित है। ब्रज क्षेत्र और कृष्ण से प्रेम के कारन इन्होने कुछ सिक्को पर श्री माधव भी अंकित करवाया।
Ref - [https://www.facebook.com/JattRace/photos/a.1746205892367477.1073741829.1740217699632963/2017955645192499/?type=3&theater&ifg=1 सम्राट अनंगपाल द्वितीय (1051ई.-1081 ई.) फेसबुक पर]
==Population==
==Population==
The Gunsara village has population of 5546 of which 2974 are males while 2572 are females as per Population Census 2011.<ref>www.census2011.co.in/data/subdistrict/510-kumher-bharatpur-rajasthan.html</ref>
The Gunsara village has population of 5546 of which 2974 are males while 2572 are females as per Population Census 2011.<ref>www.census2011.co.in/data/subdistrict/510-kumher-bharatpur-rajasthan.html</ref>

Revision as of 17:08, 12 August 2019

Villages around Kumher

Gunsara (गुनसारा ) is a village in tehsil Kumher of Bharatpur district in Rajasthan.

Jat Gotras

History

इतिहास

सम्राट अनंगपाल द्वितीय (1051ई.-1081 ई.): अनंगपाल द्वितीय ने 1051 ई.-1081 ई. तक 29 साल 6 मास 18 दिन तक राज्य किया। इनका वास्तविक नाम अनेकपाल था। इनकी मुद्राएँ तोमर देश कहलाने वाले बाघपत जिले में जोहड़ी ग्राम से प्राप्त हुई। लेख के अनुसार "सम्वत दिहालि 1109 अनंगपाल बहि "

इसका अर्थ है कि अनंगपाल ने सन 1052 ईस्वी में दिल्ली बसाई। पार्श्वनाथ चरित के अनुसार भी 1070 ईस्वी में दिल्ली पर अंनगपाल था। इंद्रप्रस्थ प्रबंध के अनुसार भी इस बात की पुष्टि होती है। महाराजा अनंगपाल तोमर की रानी हरको देवी के दो पुत्र हुए। बड़े सोहनपाल देव बड़े पुत्र आजीवन ब्रह्मचारी रहे। और छोटे जुरारदेव तोमर हुए जुरारादेव को सोनोठ गढ़ में गद्दी पर बैठे जुरारदेव तोमर के आठ पूत्र हुए -

1. सोनपाल देव तोमर - इन्होंने सोनोठ पर राज्य किया

2. मेघसिंह तोमर - इन्होंने मगोर्रा गाँव बसाया

3. फोन्दा सिंह तोमर ने फोंडर गाँव बसाया

4. गन्नेशा (ज्ञानपाल) तोमर ने गुनसारा गाँव बसाया

5. अजयपाल तोमर ने अजान गाँव बसाया

6. सुखराम तोमर ने सोंख

7. चेतराम तोमर ने चेतोखेरा गाँव

8. बत्छराज ने बछगांव बसाया

इन आठ गाँव को खेड़ा बोलते हैं। इन आठ खेड़ों की पंचायत वर्ष अनंगपाल की पुण्यतिथि (प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला-पूर्णमासी ) पर कुल देवी माँ मनसा देवी के मंदिर अनंगपाल की समाधी और किले के निकट हज़ार वर्षो से होती आ रही है। इस का उद्देश्य पूरे वर्ष के सुख दुःख की बाते करना, अपनी कुल देवी पर मुंडन करवाना, साथ ही आपसी सहयोग से रणनीति बनाना था। वर्तमान में यह अपने उद्देश्य से दूर होता दिख रहा है। मंशा देवी के मंदिर पर प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला-पूर्णमासी को एक विशाल मेला लगता है जिसमे सिर्फ तोमर वंशी कुन्तल जाते हैं। दिल्ली के राजा अनंगपाल ने मथुरा के गोपालपुर गाँव में संवंत 1074 में मन्सा देवी के मंदिर की स्थापना की। यह गाँव गोपालदेव तोमर ने बसाया। अनंगपाल तोमर/तँवर ने गोपालपुर के पास 1074 संवत में सोनोठ में सोनोठगढ़ का निर्माण करवाया। जिसको आज भी देखा जा सकता है। इन्होंने |सोनोठ में एक खूँटा गाड़ा और पुरे भारतवर्ष के राजाओं को चुनोती दी की कोई भी राजा उनके गाड़े गए इस स्तम्भ (खुटे) को हिला दे या दिल्ली राज्य में प्रवेश करके दिखा दे। किसी की हिम्मत नहीं हुई। इसलिए जुरारदेव तोमर के वंशज खुटेला कहलाये।

इनकी अन्य मुद्राओं पर श्री अंनगपाल लिखा गया है। इन्होने हरियाणा भाषा में भी नाम अणगपाल नाम सिक्कों पर अंकित करवाया है। इनके कुछ सिक्कों पर कुलदेवी माँ |मनसा देवी का चित्र भी अंकित है। ब्रज क्षेत्र और कृष्ण से प्रेम के कारन इन्होने कुछ सिक्को पर श्री माधव भी अंकित करवाया।

Ref - सम्राट अनंगपाल द्वितीय (1051ई.-1081 ई.) फेसबुक पर

Population

The Gunsara village has population of 5546 of which 2974 are males while 2572 are females as per Population Census 2011.[2]

Notable persons

External links

References

  1. Jat Samaj, Agra, March 2008
  2. www.census2011.co.in/data/subdistrict/510-kumher-bharatpur-rajasthan.html
  3. Pandav Gatha, page 262
  4. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, p.26-27



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