Dhosi
Dhosi (ढोसी) is a village in Khetri tehsil of Jhunjhunu district in Rajasthan.
History
According to Thakur Deshraj, [1]about 1500 years ago a group of these people came from Ghazni and settled at place called 'Balavansa' near Delhi. Maan clan descended from Maan Singh. His son Bijal Singh came to 'Dhosi' village and settled here. The village Dhosi is surrounded by hills and situated near Narnaul in Haryana. Large number of people come to this place from far off places every year. Many temples and kunds have been constructed here. A fair is also organized at this place.
Prior to the Maan people came, Gandas gotra Jats were the rulers here. Bijal Singh was married to Gaurandevi, daughter of Nagal. He founded a village called 'Gorir' in the name of Gaurandevi at a distance of 3 km from Dhosi.[2]
Roopram Singh was the chieftain of this clan after 20 generations of Bijal Singh. At the time of Roopram Singh Shekhawats had occupied this province. Roopram Singh struggled for about 10 to 12 years in mid nineteenth century against Shekhawats of Khetri, but Maan people did not accept the rule of Shekhawats.[3]
इतिहासकार स्वामी ओमानन्द सरस्वती लिखते हैं -
जिला संगरूर तहसील नरवाना में जीन्द से कुछ दूर जिला हिसार की सीमा के पास ही एक स्थान रामराय है, जिसे रामहृदय भी कहते हैं । पौराणिक हिन्दू इस स्थान को अपना पुण्यतीर्थ (सरोवर) मानते हैं । प्रतिवर्ष इस पर मेला भी लगता है । यह स्थान कुरुक्षेत्र के अन्तर्गत ही माना जाता है । यहां कुरुक्षेत्र के समान सूर्य-ग्रहण के समय भी मेला लगता है । पौराणिक लोगों में ऐसा विश्वास और जन-श्रुति है कि इसी स्थान पर परशुराम ने क्षत्रियों का विध्वंस किया था । वे इसको क्षत्रियों की बलि-भूमि मानते हैं । यहाँ से कुछ मील दूर हिसार जिले में एक बहुत प्राचीन उजड़ खेड़ी (थेह) 'राखी गढ़ी' है । वहां सहस्रवीर्य अर्जुन राज्य करता था, ऐसी प्रसिद्धि है । सहस्रवीर्य अर्जुन और परशुराम के पिता जमदग्नि का परस्पर संघर्ष हुआ । सहस्रवीर्य अर्जुन ने जमदग्नि का शिर काट दिया । इसी से क्रुद्ध होकर परशुराम ने जिसको पौराणिक भाई विष्णु वा हरि का अवतार मानते हैं, क्षत्रियों को एकत्र करके पर्शु (कुल्हाड़े) द्वारा इक्कीस बार उनका विध्वंस कर दिया था । इसलिये परशुराम हरि होने से इसका नाम हरियाणा पड़ा अर्थात् हरि परशुराम के द्वारा क्षत्रियों की बलिदान भूमि (बन्दोबस्त रिपोर्ट जिला हिसार सन् १८६३ ई०) ।
प्राचीन काल में इस प्रान्त में अनेक ऋषि-महर्षि आदि महापुरुष हुये हैं । श्री परशुराम जी भी इसी प्रान्त में हुये हैं । यह तो कुछ उचित ही प्रतीत होता है, क्योंकि महर्षि च्यवन वा भृगु ऋषि के वंश में ही ये हुये हैं और महर्षि च्यवन का स्थान ढौसी नारनौल के निकट माना जाता है । वहां पर्वत पर वे तपस्या करते थे, यह तो जनश्रुति है ही । उनके वंश में भार्गव ढूसर अपने आप को मानते हैं । उनके स्मारक रूप में ढौसी के पर्वत पर च्यवन-आश्रम अब भी बना रखा है । श्री परशुराम की वंशावली निम्न प्रकार से है - जो कि वायुपुराण में श्लोक ६५, ७२, ७४ में दी है –
- भृगु -- च्यवन -- आप्नवान् -- ऊर्व -- ऋचीक (धर्मपत्नी - सत्यती) -- जमदग्नि -- परशुराम
इस प्रकार परशुराम जी जिन्हें पौराणिकों ने विष्णु का अवतार माना है । किन्तु एक बड़ी समस्या है कि पौराणिक भाई एक ही काल में विष्णु के दो अवतार जमदग्नि-राम अर्थात् परशुराम और दूसरे दाशरथि-राम अर्थात् महाराज रामचन्द्र, इन दोनों को विष्णु का अवतार मानते हैं । एक समय में यह कैसे सम्भव हुआ ? उनकी बुद्धि इसे कैसे स्वीकार करती है ? वैसे ईश्वर का अवतार तो होता ही नहीं है क्योंकि वह निराकार है । यह अवतार की कोरी कल्पना मात्र है । इस श्री परशुराम को विष्णु का अवतार होने से उसका हरि नाम हुआ और यह प्रदेश हरि-परशुराम के नाम के कारण तथा उनका स्थान होने से 'हरियाना' नाम से विभूषित हुआ, इसमें कोई ठोस प्रमाण तो है नहीं, सम्भव है यह भी एक कारण हो ।[4]
Population
As per Census-2011 statistics, Dhosi village has the total population of 1543 (of which 786 are males while 757 are females).[5]
Jat gotras
Notable person
External Links
References
- ↑ Thakur Deshraj : Jat Itihas (Hindi), Maharaja Suraj Mal Smarak Shiksha Sansthan, Delhi, 1934, 2nd edition 1992, pp.605
- ↑ Thakur Deshraj : Jat Itihas (Hindi), Maharaja Suraj Mal Smarak Shiksha Sansthan, Delhi, 1934, 2nd edition 1992, pp.605
- ↑ Thakur Deshraj: Jat Itihas (Hindi), Maharaja Suraj Mal Smarak Shiksha Sansthan, Delhi, 1934, 2nd edition 1992, pp.606
- ↑ वीरभूमि हरयाणा (पृष्ठ 19-22)
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/71502-dhosi-rajasthan.html
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 302)
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