Harlal Singh Hukampura

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Harlal Singh Hukampura - From village Hukampura Udaipurwati (Jhunjhunu) was a Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. He was killed by Jagirdars in 1947.

जीवन परिचय

नरोत्तमलाल जोशी[1] ने लिखा है ....यह घटना सन 1946-47 के आस पास हुई। गुढ़ा के पास हुकमपुरा के एक काश्तकार "हरलाल जाट" पर उन्हें यह सन्देह हो गया कि उसकी गतिविधियां विरोधी है और वह प्रजामण्डल या किसान कार्यकर्ताओं से सम्पर्क रखता है। बस एक दिन भौमियों के एक गिरोह ने उक्त हरलाल को जबरदस्ती उड़ा लिया और उसे गायब कर दिया।

हम लोगों ने स्थानीय पुलिस व तत्कालीन जयपुर राज्य के गृहमन्त्री तक इसकी शिकायत की और उसे खोज कराने की मांग की परन्तु पुलिस ने बराबर यही कहा कि ऐसी न तो हमारे थाने में रिपोर्ट की न ऐसी कोई घटना हुई। यहां तक कि पत्नी को तथा उसके सन्तान को पुलिस के सामने प्रस्तुत किया तो भी कोई सफलता नहीं मिली---इस घटना के लगभग 15-20 वर्ष बाद जब परिस्थितयों ने पलटा खाया तो उन भौमियों ने मेरे को उक्त हरलाल के अपहरण व हत्या का सारा विवरण बतलाया और कहा कि वे लोग पुलिस द्धारा पकड़े जाने और कार्यवाही के भय से उसकी लाश के टुकड़े टुकड़े करके उदयपुरवाटी के पहाड़ों की तली में तांबा व अन्य धातु खनिज के लिए खोदे गए कुँओं में डाल दिए थे।

हुकमपुरा गांव को लूटा

रामेश्वरसिंह[2] ने लेख किया है.... हुकमपुरा में हरलाल सिंह किसान अपना खेत जोत रहा था। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की सप्तमी को गुढा तथा लीला की ढाणी के जागीरदार लोग सैकड़ों की तादाद में हथियारबन्द आये। हरलाल सिंह को खेत जोतने से मना किया। किसान ने अकेले ही इन लोगों का सामना किया और आखिर भूमाता की रक्षार्थ बलिदान हो गया। जागीरदारों ने पूरे गांव को लूटा। मवेशी ले गये और जो कुछ सामान मिला, उसे भी उठा लिया। शेष नष्ट कर दिया। जाते समय किसान का मृत शरीर भी ले गये।

उदयपुरवाटी में संघर्ष

उदयपुरवाटी में संघर्ष - उदयपुर (भौमियावाटी ) पैंतालिसे के नाम से प्रसिद्ध था. काश्तकार माली भाईयों की हालत सबसे बुरी थी. न पेट भर रोटी, न कपडा, न मकान और न किसी का सहारा. कोई भी जनसेवक इस क्षेत्र में घुस नहीं सकता था. माली बड़े भयभीत थे तथा खुलकर अपना रोना भी नहीं रो सकते थे. उदयपुरवाटी और सीकर जागीर में किसानों की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही. उनकी मूल समस्या इन दो इलाकों में भूमि बंदोबस्त था. उदयपुरवाटी युद्धस्थल बन गयी थी. गाँव-गाँव व खेत-खेत में झगडे होने लगे. 1947 -48 के दौरान उदयपुरवाटी में लड़ाई खेतों से चलकर घरों तक पहुँच गयी. ओलखा की ढाणी, रघुनाथपुरा, गिरधरपुरा, धमौरा आदि में भौमियों और जाटों में संघर्ष हुआ. 1947 में ही 400 भौमियों ने हुक्मपुरा गाँव पर आक्रमण किया. गाँव को लूट लिया और एक किसान हरलाल सिंह को गोली से उड़ा दिया. (डॉ. ज्ञानप्रकाश पिलानिया: पृ. 43-44)

External links

References


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