Mandakini

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Location of Rivers and Panch Prayag
Rudraprayag district map

Mandakini (मंदाकिनी) is a tributary of the Alaknanda River. 2. Mandakini is also name of a river which flows near Chitrakuta. 3. Another Mandakini river flows south of Tapti River.

Origin

Variants

History

Mandakini originates from the Chorabari Glacier near Kedarnath in Uttarakhand, India. Mandakini is fed by Vasukiganga River at Sonprayag. Mandakini joins Alaknanda at Rudraprayag. Alaknanda then proceeds towards Devaprayag where it joins Bhagirathi River to form the Ganges River. Mandakini river flows along NH-107 in Rudraprayag district and turns violent during monsoon, often destroying parts of the highway and adjoining villages.[1]

Vasuki Ganga River flows through Uttarakhand, India. It is a tributary of the Mandakini River.

The source of the Vasuki Ganga is the Vasuki Tal, a small glacial lake located in the glacial trough east of Chor Gamak glacier, near Kedarnath.

In Mahabharata

Mandakini River (मन्दाकिनी) in Mahabharata (III.83.55),(VI.10.33), (XIII.26.27)


Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 83 mentions names of Pilgrims. Mandakini River (मन्दाकिनी) is mentioned in Mahabharata (III.83.55).[2]...Proceeding next, O monarch, to the river Mandakini (मन्दाकिनी) (III.83.55) capable of destroying all sins and which is on that best of mountains called Chitrakuta (चित्रकूट) (III.83.55), he that bathes there and worships the gods and the Pitris, obtains the merit of the horse-sacrifice and attains to an exalted state.


Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 10 describes geography and provinces of Bharatavarsha. Mandakini River (मन्दाकिनी) is mentioned in Mahabharata (VI.10.33).[3]....and Mandakini, and Vaitarani, and Kosha, and Mahanadi; and Shuktimati, and Ananga, and Pushpaveni (Vrisha), and Utpalavati;


Anusasana Parva/Book XIII Chapter 26 mentions the sacred waters on the earth. Mandakini River (मन्दाकिनी) is mentioned in Mahabharata (XIII.26.27).[4].....If one, observing a fast, bathes at Chitrakuta and Janasthana and the waters of Mandakini, one is sure to be united with prosperity that is royal.

मंदाकिनी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...1. मंदाकिनी (p.689) = चित्रकूट (जिला बांदा, उत्तर प्रदेश) के निकट बहनेवली नदी. इसे आज भी मन्दाकिनी कहते हैं. वाल्मीकि रामायण अयोध्या कांड में इसका कई स्थानों पर उल्लेख है- 'अयं गिरिश्चित्रकूटस्तथा मंदाकिनी नदी, एकत प्रकाशते दूरान्नीलमेघनिभंवनम्'; 'अथ शैलाद्विनिष्कम्य मैथिलीं कोशलेश्वर:, अदर्शयच्छुभजलां रम्यां मंदाकिनी नदीम्। विचित्र पुलिनां रम्यां हंससारससेविताम् कुसुमैरुपसंपन्नां पश्य मंदाकिनीं नदीम्। नानाविधैस्तीररुहैर्वुतां पुष्पफलमद्रुमै: राजंती राजराजस्य नलिनीमिव सर्वत:। क्वचिन् मणिनिकाशोदां क्वचित् पुलिनशालिनीम्, क्वचित्सिद्धजनाकीर्ण पश्य मंदाकिनी नदीम्। दर्शनं चित्रकूटस्य मदांकिन्याश्च शोभने अधिक पुरवासाच्च मन्ये तव च दर्शनात्। सखोवच्च विगाहस्व सोते मदांकिनींनदीम् कमलान्यवमज्जंती पुष्कराणि च भामिनि'. अयोध्या 93,8; 95,1-3-4-9-12-14.

श्रीमद्भागवत (5,19,18) में मदांकिनी का नामोल्लेख इस प्रकार है- 'कौशिकी मंदाकिनी यमुना.......'।

कालिदास ने रघुवंश (13,48) में मंदाकिनी का विमानारूढ़ राम से (चित्रकूट के निकट) कितना हृदयग्राही वर्णन करवाया है- 'एषा प्रसन्नस्तिमितप्रवाहा सरिद विदूरांतरभावतंवी, मंदाकिनी भाति नगोपकंठे मुक्तावली कंठगतैव भूमे:'। अध्यात्मरामायण के अयोध्या 63 में मंदाकिनी को गंगा कहा गया है- 'ऊचुरग्रे गिरे: पश्चाद गंगाया उत्तरतटे विविक्तं रामसदनं रम्यं काननमंडित'।

तुलसीदास जी ने (रामचरितमानस, अयोध्या कांड) में मंदाकिनी को सुरसरि की धारा कहा है- 'सुरसरि धार नाम मंदाकिनी जो सब पातक-पोतक डाकिनी'। तुलसीदास ने मंदाकिनी के संबंध में प्रसिद्ध पौराणिक कथा का भी निर्देश किया है जिसमें इस नदी को अविऋषि की पत्नी अनसूया द्वारा चित्रकूट में लाए जाने का वर्णन है- 'नदी पुनीत पुरान बखानी, अत्रिप्रिया निज तपबल आनी'। मंदाकिनी और पयास्विनी नदियों के संगम पर राघवप्रयाग नामक स्थान है। (मंदाकिनी शब्द का अर्थ 'मंद-मंद बहने वाली' है। इसके इस विशिष्टि गुण का वर्णन कालिदास ने उपर्युक्त श्लोक में 'स्तिमित प्रवाहा' कह कर किया है।

2. मंदाकिनी (p.689) = ताप्ती से 5 मील दक्षिण में बहने वाली छोटी नदी. कालिदास के मालविकाग्निमित्रम् नामक नाटक की कई प्राचीन हस्तलिखित प्रतियों के पाठ में मंदाकिनी नामक एक नदी का इस प्रकार उल्लेख है—‘स भर्त्रा मंदाकिनी तीरे-अंत (p.690) पालदुर्गे स्थापित:’ राय चौधरी के अनुसार यह मंदाकिनी ताप्ती की सहायक नदी है (पॉलीटिकल हिस्ट्री ऑफ एंशिएंट इंडिया,पृ.309). अन्य प्रतियों में पाठ नर्मदा है जो समीचीन जान पड़ता है.

3. मंदाकिनी (p.690) = यह नदी गढ़वाल उत्तर प्रदेश में केदारनाथ के पर्वत-सृङ्ग से निकलकर कालीमठ, चंद्रापुरी, अगस्तमुनि आदि स्थानों से होती हुई रुद्रप्रयाग में आकर गंगा की मुख्यधारा अलकनंदा में मिल जाती है. इसका जल श्याम होने से इसे कालीगंगा भी कहते हैं.

मंदाकिनी, मध्य प्रदेश

उपरोक्त वर्णित मंदाकिनी-1 यमुना की एक छोटी सहायक नदी है जो मध्य प्रदेश से सतना जिले से निकल कर उत्तर प्रदेश में कर्वी में यमुना नदी में मिल जाती है। नदी की कुल लम्बाई लगभग 50 किमी है। नदी का हिन्दू धर्म में धार्मिक महत्व है और यह पवित्र माने जाने वाले स्थल चित्रकूट से होकर बहती है। नदी के तट पर रामघाट नामक एक घाट है जहाँ मान्यताओं के अनुसार श्रीराम ने अपने चित्रकूट निवास के दौरान स्नान किया करते थे। माता सती ने अपनी तपस्य्या से इसे बनाया था. वर्ष 2016 में इस नदी में बाढ़ आने के कारण स्थानीय स्तर पर काफी नुकसान हुआ था।

External links

References

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Mandakini_River
  2. ततॊ गिरिवरश्रेष्ठे चित्रकूटे विशां पते, मन्दाकिनीं समासाद्य नदीं पापप्रमॊचिनीम (III.83.55)
  3. मन्दाकिनीं वैतरणीं कॊकां चैव महानदीम, शुक्तिमतीम अरण्यां च पुष्पवेण्य उत्पलावतीम (VI.10.33)
  4. 27 चित्रकूटे जनस्थाने तथा मन्दाकिनी जले, विगाह्य वै निराहारॊ राजलक्ष्मीं निगच्छति (XIII.26.27)
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.689-690