Pyare Lal Gupta

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

करणीराम मील का हाईस्कूल चिड़ावा में पढ़ते समय का समूह चित्र, करणीराम मील कुर्सी पर बायें से दूसरे स्थान पर हैं. श्री प्यारेलाल गुप्ता जी प्रधानाध्यापक बीच में हैं

Pyare Lal Gupta was a teacher in Shekhawati region of Rajasthan who played very important role in the Shekhawati Kisan Andolan. He was popularly known as Master Pyare Lal. He was in a Govt service at Nainital in Uttar Pradesh. He left the job in 1921 and came to Chirawa in Rajasthan and joined the freedom movement. He was a strong follower of Mahatma Gandhi and known as Gandhi of Chirawa. His role in awakening the farmers of Shekhawati is highly appreciable.

प्यारेलाल गुप्ता का जीवन परिचय

मास्टर प्यारेलाल गुप्ता बड़े जीवट और निडर व्यक्ति थे. वे स्वामी सत्यदेव परिव्राजक के उपदेशों से प्रभावित होकर सन 1921 में राज्य-सेवा छोड़कर नैनीताल से शेखावाटी के चिड़ावा कस्बे में आ गए थे. अब यही उनकी कर्मस्थली थी. वे यहाँ हाईस्कूल में अध्यापक बन गए. उन्होंने अमर सेवा समिति नामक संस्था खड़ी की और उसकी आड़ में जनजागृति कार्य करने लगे. इस संस्था के सदस्य अर्धसैनिक बन चके थे. आगे चलकर वास्तविक बात उजागार होने पर मास्टर प्यारेलाल और उनके साथियों पर खेतड़ी के जागीरदार अमरसिंह ने अकथनीय अत्याचार किये. उन्हें घोड़ों के पीछे बांध कर घसीटा गया और इसी अवस्था में मारते-पीटते 30 मील दूर लेजाकर खेतड़ी जेल में बंद कर दिया. शेखावाटी के किसी भी शासक द्वारा किये गए अमानुषिक अत्याचार की यह पहली घटना थी. 23 दिनों तक लगातार दी गयी यातनाओं के पश्चात् भारी दवाब के सम्मुख झुककर अमर सिंह ने इन्हें जेल से रिहा किया. गुप्ताजी जेल से छुटकर झुंझुनू आगये और यहाँ हरिजनोद्धार कार्यक्रम चलाने लगे. वे शेखावाटी के विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर कार्यरत रहे.[1]

मूलत:उत्तर प्रदेश निवासी स्व. प्यारेलाल गुप्ता गांधीवादी विचारधारा वाले शिक्षक थे। वे अलीगढ़ से 1922 में चिड़ावा आए थे। इन्होंने अमर सेवा समिति की स्थापना करके स्कूल खोला था। उस वक्त उन्हें चिड़ावा का गांधी कहा गया। उनके प्रयासों से ही शहर में श्रीकृष्ण पुस्तकालय की स्थापना हुई।[2]

मास्टर प्यारेलाल गुप्ता ने कर्मनिष्ठ अध्यापकों का एक ऐसा समूह खड़ा कर दिया जो स्वतंत्रता की भावना से पूरी तरह ओतप्रोत थे. इसी प्रकार के व्यक्ति मास्टर चंद्रभान थे, वे मेरठ जिले के बामडोली ग्राम के निवासी थे. ये राष्ट्रीय विचारों के युवक थे. सन् 1925 में सरदार हरलाल सिंह के गाँव हनुमानपुरा में पाठशाला खोली तब उसका भार इन्हीं को सौंपा. वे शिक्षा के साथ आर्य समाज के सिद्धांतों का भी प्रचार करते थे. जनजागृति करना उनका प्रथम कार्य था. वे सीकर प्रजापति महायज्ञ में स्वागत समिति के सचिव भी थे. आगे चलकर ये जाट पंचायत के सचिव बने. सीकर ठिकाने ने इन्हें गिरफ्तार कर खूब यातनाएं दी. शिक्षा प्रचार उनका मूल मन्त्र रहा. उन्होंने खादी आश्रम भी स्थापित किया था. [3]

अमर सेवा समिति का गठन - बगड़ के निकट चिड़ावा में कसबे के प्रबुद्ध लोगों ने अमर सेवा समिति का गठन किया था. मास्टर प्यारेलाल गुप्ता एवं गुलाबचंद नेमानी नेतृत्व देने वाले थे. खेतड़ी केजागीरदार मरसिंह के नाम पर अमर सेवा समिति का नाम रखा था. मास्टर प्यारे लाल गुप्ता राष्ट्रीय भावनाओं को समझ रहे थे और यहाँ के लोगों को समझा रहे थे. उन्हें चिड़ावा का गाँधी कहा जाता था. अमर सेवा समिति का मुख्य कार्य कुरीतियों और रूढ़ियों को ख़त्म करना था. समिति के सदस्य चरखा चलाते थे. खादी पहनने और इसके लिए अन्यों को प्रेरित करते थे. समिति सदस्यों में आत्म-सम्मान बहुत था. वे बेगार प्रथा के विरोधी थे. एकबार खेतड़ी नरेश सन 1922 में चिड़ावा दौरे पर आये. चिड़ावा में जागीरदार का विश्राम था. कैम्प की सेवा के लिए लोगों को बुलाया जाने लगा. एक दिन रामेश्वर नई को उनकी सेवा में बुलाया गया. उसने स्पष्ट रूप से बेगा देने के लिए मना कर दिया. दरबारियों में खलबली मच गयी. उन्होंने नमक-मिर्च लगा कर जागीरदार के कान भरे , 'यह सब अमर सेवा समिति का काम है. समिति आपके विरुद्ध लोगों को भड़कती है.' जागीरदार को मिर्ची लगी. अमरसिंह ने कारिंदों को हुक्म दिया, 'सभी प्रमुख समिति सदस्यों को पकड़ लाओ और मजा चखाओ.' समिति के सात सदस्य पकडे गए थे - मास्टर प्यारेलाल गुप्ता, गुलाबचंद नेमानी, हरिराम मिश्रा, गजानंद पटवारी, धर्मकिशोर श्रीवास्तव, हरदेव दर्जी और हुक्माराम खाती. प्रजा के सामने इनकी पिटाई की गयी. इतना ही काफी नहीं था. सभी के हाथ बांध दिए गए. रात को ही अमरसिंह खेतड़ी के लिए रवाना हो गए. घुडसवार सातों को घसीटते हुए खेतड़ी ले चले. रास्ते में गुलाबचंद नेमानी गंभीर रूप से घायल हो गए. रातोंरात खेतड़ी लेजाकर जेल में बंद कर दिया. शेखावाटी अंचल में सामंतों द्वारा की गयी यह प्रथम क्रूर घटना थी. चिड़ावा में अमर सेवा समिति की घटना के बाद भय का मुकाबला करने के लिए लोग घरों में नहीं दुबके. किसानों के जत्थे के जत्थे खेतड़ी की और कूच करने लगे . सेठ जमनालाल बजाज, घनश्याम बिडला और सेठ बेणी प्रसाद डालमिया ने खेतड़ी जागीरदार को कड़े पत्र लिखे. बजाज और बिड़ला गांधीजी के निकट सहयोगी थे और जयपुर महाराजा से अच्छे सम्बन्ध थे. भारी दवाब के बीच 23 दिन पश्चात् अमरसिंह ने सभी व्यक्तियों को छोड़ दिया. (राजेन्द्र कसवा, मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p. 96-98)

चिड़ावा हाई स्कूल में

सन 1934 में अलसीसर से आठवीं परीक्षा पास कर करणी राम मील चिड़ावा हाई स्कूल में भर्ती हुए। उस समय स्कूल के प्रधानाध्यापक प्यारेलाल जी गुप्ता थे। राष्ट्रीय संघर्ष में उनका बड़ा योगदान रहा था। प्यारे लाल जी ने सामंती अत्याचारों के खिलाफ भी संघर्ष किया था। कहते हैं कि जागीरदारों ने उन्हें घोड़े की पूंछ से बांध कर मीलों तक घसीटा था तथा तरह-तरह की यातनाएं दी थी। ऐसे राष्ट्र-प्रेमी एवं मुखरित व्यक्ति के धनी प्यारे लाल जी ने इस स्कूल के बच्चों में राष्ट्र प्रेम एवं सामाजिक जागृति के बीज अंकुरित किए। करणी राम जी के जीवन पर भी उनका अत्यधिक प्रभाव पड़ा और मैं सोचता हूं कि ऐसे गुरु के वरदहस्त के नीचे उनके भावी जीवन की रूपरेखा एवं दिशा निर्धारित हुई। इस स्कूल से करणी राम जी ने सन 1936 में दसवीं परीक्षा पास की।[4]

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

  1. डॉ. ज्ञानप्रकाश पिलानिया: राजस्थान स्वर्ण जयंती प्रकाशन समिति जयपुर के लिए राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी जयपुर द्वारा प्रकाशित 'राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम के अमर पुरोधा - सरदार हरलाल सिंह' , 2001, पृ. 19
  2. Bhaskar News Network Feb.14, 2016
  3. डॉ. ज्ञानप्रकाश पिलानिया: राजस्थान स्वर्ण जयंती प्रकाशन समिति जयपुर के लिए राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी जयपुर द्वारा प्रकाशित 'राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम के अमर पुरोधा - सरदार हरलाल सिंह' , 2001, पृ. 20
  4. Shekhawati Ke Gandhi Amar Shahid Karni Ram/Janm, Shaishav Aur Shiksha,p.8