Surpaliya
Surpaliya (सुरपालिया), also Surpalia, is a village in Deh tehsil in Nagaur district in Rajasthan. Earlier it was in Jayal tehsil.
Location
PIN Code of the village is: 341022. It is situated 35km away from Jayal town and 45km away from Nagaur city. Being a large village, Surpaliya has its own gram panchayat. Khabariyana, Mundiyau and Talniyau are some of the neighbouring villages.
Jat Gotras
Population
According to Census-2011 information:
- With total 593 families residing, Surpaliya village has the population of 3059 (of which 1583 are males while 1476 are females).[1]
History
सुरपालिया के खीचड़ों का इतिहास एवं वंशावली
खीचड़ गोत्र की यह वंशावली लेखक ब्रह्माराम चौधरी द्वारा भाट भँवरलाल पुत्र लादूराम गाँव पोस्ट श्यामपुरा, सीकर से दिनांक को 8.10.1980 प्राप्त की गई थी जो अब उपलब्ध कराई गई है. विक्रम संवत 1349 (1292 ई.) को खीचड़ परिवार कोट मरोट सिंध से उठे हुये हैं. कोट मरोट में इनके पूर्वज सिंधर जी राज करते थे. सिंधर जी के 12 पुत्र थे जिनसे 12 गोत्र शुरू हुये, जैसे महला, कुलडिया, सहू आदि. सिंध में इनका सिंधर नामक गाँव बसाया हुआ था.
सिंधर से प्रस्थान: जब लड़ाई हुई तो सिंधर से आकर बाकरा (झुंझुनू ) नामक गाँव बसाया जिसमें मंदिर तथा पनघट बनाया. वि.सं. 1351 (1294 ई.) में बानूड़ा (सीकर) गाँव बसाया और वि.सं. 1352 (1295 ई.) में खेजड़ा (तारानगर) गाँव आए. वि.सं. 1615 (1558 ई.) में खंगार गाँव बसाया और वहाँ कुआ बनाया.
वि.सं.1684 (1627 ई.) में नीम्बी गाँव आकर बस गए. उस समय अजित सिंह का राज था. अजित सिंह की राजकुमारी बादल कंवर का 1717 ई. में फारुख शायर से विवाह हुआ. खीचड़ गोत्र की कुलदेवी कोटाणु माता मानी जाती है. नीम्बी में 1627 ई. में तालाब बनाया जो अब भी खीचड़ का तालाब कहलाता है. वहाँ अब भी कई खीचड़ परिवार रहते हैं.
खीचड़ गोत्र का इतिहास सन् 1292 ई. से उपलब्ध है. मुहम्मद गौरी ने 1192 ई. में अजमेर पर हमला किया उस समय इनके पूर्वज सिंधरजी सिंध (पाकिस्तान) के कोटमारोट में शासक थे. लड़ाई होने के बाद ये खीचड़ खाटू,कठोती, खियाला, ननुआण, डिडवाना, रताऊ, दुगोली, जसवंतगढ़, सुजानगढ़, झुंझुनू, सिद्धमुख, बाकरा (झुञ्झुणु), बानूड़ा (सीकर), खेजड़ा (तारानगर), खंगार में बस गए.
कालूराम खीचड़ की वंशावली : नीम्बी में खीचड़ वि.सं. 1684 (1627 ई.) को आए और यहाँ 328 वर्ष रहकर ठाकुर के शोषण और अनबन के कारण नीम्बी से खेजड़ा वि.सं.1912 (1855 ई.) में आए . वि.सं.1965 (1908 ई.) में हनुताराम (लेखक के दादा) सुरपालिया आकर बस गए.
कालूराम खीचड़ ने नीम्बी में 1627 ई. में दक्षिण की ओर एक तालाब बनाया जो खीचड़ों के तालाब के नाम से अब भी विद्यमान है. कालूराम खीचड़ की वंशावली निम्नानुसार है: कालूराम (1627) – केसाराम – सुंदरराम – पेमाराम – अणदाराम – लच्छाराम – हनुताराम (मृत्यु .1917) – गंगाराम – ब्रह्माराम (लेखक) (जन्म:1939)- आलोक (30.11.1977)
सुरपालिया आगमन: जागीरदार से अनबन के कारण हनुताराम (लेखक के दादा) पुत्र लच्छाराम को नीम्बी छोडकर खेजड़ा गाँव आना पड़ा जहाँ एक ढ़ानी बसाई. वि.सं. 1965 (1908 ई.) में खीचड़ खेजड़ा गाँव से सुरपालिया आ गए. हनुताराम की धर्मपत्नी बेरा गोत्र की हरदेवी थी. हनुताराम के मूलाराम तथा गंगाराम दो पुत्र हुये. मूलाराम की दो पुत्रियाँ गेखा और सोना कठोती ब्यायी. गंगाराम (लेखक के पिता) की पत्नी हीरादेवी भाखर थी. उनके 6 पुत्र और दो पुत्रियाँ हुई. इनकी एक पुत्री कठोती सूबेदार किसनाराम बेड़ा को ब्याई. तुल्छादेवी जीली में ब्याई. इन दोनों बहनों का 99 और 95 वर्ष की उम्र में स्वर्गवास हुआ.
गंगाराम के 6 पुत्र 1. भैराराम, 2. पन्नाराम , 3. बलुराम, 4. रामकरण , 5. कानाराम और 6. ब्रह्माराम (लेखक) पैदा हुये. लेखक ब्रह्माराम चौधरी का जन्म वि.सं. 1996 मंगसर की अमावश्या को पिलारां (4 बजे अपरानह) हुआ. बड़ी बहनों का अंतराल 6 वर्ष और शेष में अंतराल 2 वर्ष था. 1949 ई. में लेखक के बड़े भाई पन्नाराम पढ़ने के लिए बीकानेर ले आए पढ़कर दोनों भाई यहीं बस गए शेष गाँव में ही हैं. परिवार में 10 व्यक्ति नौकरी में हैं और शेष खेती या व्यापार करते हैं.
ब्रह्माराम के 4 पुत्रियाँ और एक पुत्र क्रमश: अर्चना (12.7.1963), कल्पना (6.11.1971), अंजना (21.5.1972), आरती (8.1.1975), आलोक (30.11.1977) हुये. डॉ आलोक के अंशु (20.9.2006) और आर्यन हर्ष वर्धन (13.1.2008) हुये. 1292 ई. से 2019 तक 727 वर्ष में 33 पीढ़ियाँ आती हैं. औसत एक पीढ़ी 22 वर्ष की है.
भाट की बही में लिखित कुछ तिथियाँ: भाट की बही के अनुसार हनुताराम का मौसर वि.सं.1974 काती पूनम (1917) को था जिसमें एक सांड अच्छी नस्ल का छोड़ा गया था. चीनी 7 मन और घी सवा दो मन खर्च हुआ. गाय बांटी. उस समय गाँव के ठाकुर भैरजी बारठ थे. सुरपालिया गाँव बारठों (चारण) को 1717 ई. में दिया गया था.
बैसाख सुदी आखातीज वि.सं.1980 (1923 ई.) परणाई गेखा-सोना कठोती बेड़ा को. कानी तुलसी को परणाई किसना कठोती. तुलसीदास कमेडिया श्योरामजी पुत्र किसतूरजी का वि.सं.1981 (1924 ई.)
वि.सं.1985 (1928 ई) जन्मपत्री पन्नजी बधाई भारतदान का राज
वि.सं.1988 (1931 ई.) बालूराम-रामकरण बधाई उम्मेद सिंह का राज
वि.सं. 1991 (1934 ई.) कानारम बधाई
वि.सं. 1993 (1936 ई.) चेत बदी तीज मौसर मूलारामजी ...गंगाजी की ढाकी बरजी खेताजी की, लड़की कानी हुई.
वि.सं.1999 (1942 ई.) सीख का दो रु.
भाकर उमाजी की बेटी हीरा स्वर्गवासी (8.12.1981) जन्म 1903 ई.
लेखक की माताश्री मौसर गंगारामजी मंगसर सुदी 9 वि.सं.2001 (1944 ई.)
ब्रह्माराम चौधरी (लेखक) का विवाह भंवरी देवी मंडा (जन्म: भादवा सुदी 7 वि.सं.1997) पुत्री भोलाराम मंडा गाँव गौराऊ, तहसील जायल, से हुआ. गौराऊ गाँव में 10 धातु और 3 पत्थर की 10वीं शती की जैन मूर्तिया मिली हैं.
Notable persons
- Hardeen Ram Sukh Ram Batan (चौधरी हरदीनराम सुखराम बाटण), from Surpaliya (सुरपालिया), Nagaur, was a social worker in Nagaur, Rajasthan.[2]
- Gajadhar Batan: चौधरी गजाधर जी - आप का गोत्र बाटण है। आप सुरपालिया के रहने वाले हैं। आपके गांव में आपके उद्योग और सहयोग से एक जाट पाठशाला चलता है। आप भी इस वर्ष 1948 में मारवाड़ जाट कृषक सुधारक सभा के उप मंत्री हैं।[3]
- Prof. Brahma Ram Chowdhary (Khichar) - Date of Birth : 21.12.1941. Retd. Prof. & Head, Coll. of Vet .& Animal Sc., Bikaner. VPO - Surpaliya, Tehsil.-Jayal, Distt.- Nagaur, Present Address : Sharma Colony, Rani Bazar, Bikaner-334001, Mob : 9352092680, 9784580816
External links
References
- ↑ Web-page of Surpaliya village at Census-2011 website
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.200
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.208
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