Amber
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Amber (आमेर) is town and tahsil in Jaipur district in Rajasthan.
Variants
- Ambar (अंबर)= Amber (आमेर) (AS, p.6)
- Ambarishpur/Ambarishapura (अंबरीषपुर) = Abmer (आमेर) (AS, p.6)
- Amrapura (आम्रपुर)
- Ambanagara (अंबानगर) (AS, p.67)
Jat Gotras
History
Its ancient name was Amrapura (आम्रपुर). Founded by the Meena Raja Alan Singh (He was from Chanda clan of Meenas), Amber was a flourishing settlement as far back as 967 AD. Around 1037 AD, it was conquered by the Kachwaha clan of Rajputs. Much of the present structure known as Amber fort is actually the palace built by the great conqueror Raja Man Singh I who ruled from 1590 - 1614 AD.
ढुंढार
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...ढुंढार, आमेर (जयपुर, राजस्थान) की रियासत का मध्य युगीन तथा परवर्ती नाम है। इस रियासत की स्थापना कछवाहों ने ग्वालियर से निष्कासित होने के पश्चात् जंगली मीनाओं की सहायता से की थी। 'ढुंढार' राजस्थान की राजधानी जयपुर का पुराना नाम था। ढुंढार का उल्लेख तत्कालीन साहित्य तथा लोक कथाओं में है- 'मेवार ढुंढार मारवाड़ औ बुंदेलखंड, झारखंड बांधौधनी चाकरी इलाज की।'[2] कहा जाता है कि 1129 ई. के लगभग जब ग्वालियर से कछवाहों को परिहारों ने निष्काषित कर दिया तो उन्होंने आमेर के इलाके में मीनाओं की सहायता से ढुंढार रियासत की नींव डाली। ढुंढार के स्थान पर बाद में आमेर की प्रसिद्ध रियासत बनी। (दे. आमेर, जयपुर))
इतिहास
जयपुर शहर की स्थापना 18.11.1727 को महाराजा सवाई जयसिंह ने की थी. जयपुर शासकों के पूर्वज कछवाहों की प्राचीन राजधानी आमेर थी. कहा जाता है कि 1129 ई. के लगभग कछवाहों को परिहारों ने ग्वालियर से निकाल दिया था. ग्वालियर से निष्कासित होने के बाद कछवाहों ने आमेर के मीणा शासकों की सहायता से ढूंढार रियासत की स्थापना की. आमेर ढूंढार की ही राजधानी थी. आमेर का काली मंदिर बहुत प्राचीन है. कछवाहों के आमेर बसाने से पूर्व काली यहाँ के आदि शासक मीणा लोगों की इष्ट देवी थी. आमेर नाम की व्युत्पत्ती भी अंबानगर नगर से हुई मानते है. न.ला. डे के अनुसार आमेर का असली नाम अंबरीशपुर था और इसे पौराणिक नरेश अंबरीश ने बसाया था. [3]
कुछ इतिहासकार आमेर का प्राचीन नाम आम्रपुर भी बताते हैं. दशरथ शर्मा[4] ने हम्मीरमहाकाव्य (IV. 82) में उल्लिखित आम्रपुर का संज्ञान आमेर के रूप में लिया है.[5]
मीणा शासकों ने अनेक स्थानों के नाम भी दिये हैं. जयपुर शासकों की छतरी गेटोर का नाम गेटा मीणा और झोटवाड़ा का नाम झोटा मीणा के नाम पर पड़ा है.[6] आमेर की स्थापना मीणा राजा आलनसी ने की थी. यह स्थान 967 ई. में भी आमेर के आबाद होने के प्रमाण हैं. 1037 ई. में कछवाहा शासकों ने इसे विजित किया. यहाँ की अधिकांश संरचनाएं राजा मानसिंह प्रथम (1590-1614 ई.) के समय में निर्मित की गई थी. जयसिंह द्वितीय ने 1727 ई. में जयपुर शहर बसाकर अपनी राजधानी नए नगर में बनाई.
आमेर का किला बहुत वर्षों पहले मैंने देखा था. दिनांक 31.10.2018 को सीकर के श्री गणेश बेरवाल आर्किओलोजिस्ट जयपुर पधारे तो उन्होने बताया कि आमेर के किले में कुछ नए स्थानों की खोज हाल के वर्षों में हुई है. सो दोपहर बाद उनके साथ आमेर किले में गए. वहाँ अधीक्षक पंकज धीरेंद्र जी ने घुमाने की व्यवस्था की. पंकज धीरेंद्र जी बेरवाल साहब के पूर्व परिचित और सहयोगी हैं. उन्होने शेखावाटी के पुरातत्व महत्व के स्थानों पर हाल ही में पीएच.डी. की है. सबसे पहले हमने आमेर किले के पश्चिमी भाग में स्थित सुरंग देखी जो जयगढ़ तक जाती है. यह रंगमहल के कुछ पहले तक भूमिगत है. इसके आगे भूमि सतह से ऊपर आ जाती है और इस लम्बाई में छत नहीं है. महल क्षेत्र में यह सुरंग महल की पश्चिमी मुख्य दीवार की नीव बनाती है. मानसिंह महल का टांका देखा. महल में वर्षा जल संग्रह के लिए निर्मित तीन टांकों में से यह एक है. अन्य टाँके दीवान-ए-आम और जलेब चौक में बने हैं.
महल की जल उत्थान प्रणाली बहुत उन्नत है. महल की जल आपूर्ति मावठा झील के पानी पर निर्भर थी. केशर क्यारी बगीचे की पूर्वी दीवार के सहारे पशुबल से पानी ऊपर खींचा जाता था और केशर क्यारी के ऊपरी तल पर बने टांकों में डाला जाता था. तीन चरणों में पानी महल में पहुँचता था. तीसरी और अंतिम चरण की प्रणाली देखी. यह पर्सियन वाटर व्हील प्रणाली थी. फ़ार्सि में यह प्रणाली साकिया नाम से जानी जाती थी. इसमें एक लकड़ी का विशाल स्तंभ है जिसको घुमाने पर ऊपर जुड़ी घिर्रियों से रस्सा ऊपर नीचे घूमता है और इसके साथ बंधी मिट्टी की सुराहियों से पानी ऊपर आता है.
महल के शौचालय को भी देखा. महल में कोई 99 शौचालय बने हुये हैं. शीशमहल और मानसिंह महल के मध्य बने शौचालय राजा और राजपरिवार के सदस्यों द्वारा काम लिए जाते थे. शीशमहल देखा. पर्यटक इसी में ज्यादा रुचि लेते हैं.
जलेब चौक में फौज बक्शी के नेतृत्व में राजा का निजी सुरक्षा दस्ता कवायद के लिए इकट्ठा होता था. यहा राजा दस्ते का निरीक्षण करता था. अरबी भाषा में जलेब का अर्थ होता है कवायद (परेड). यह चौक राजा जयसिंह (1699-1743) ने बनाया था. चौक के चारों ओर स्थित भूतल पर अस्तबल थे तथा प्रथम तल पर सुरक्षा दस्ते के सिपाही (जलेबदार) रहा करते थे.
Villages in Amber tahsil
Achhojai (आछोजाई), Achrol (अचरोल), Akeda Chaud (आकेड़ा चौड़), Akedadoongar (आकेड़ा डूंगर), Akhepura (अखेपुरा), Amer Chak No.1 (आमेर चक नं. 1), Amer Chak No.2 (आमेर चक नं. 2), Ani (आनी), Anoppura (अनोपपुरा), Arniya (अरनिया), Atalbiharipura (अटलबिहारीपुरा), Badanpura (बदनपुरा), Badwala Ki Dhani (बड़वाला की ढाणी), Bagwada (बगवाडा), Ballupura (बल्लूपुरा), Baragaon Jarkhya (बारागांव जरख्या), Barh Jahota (बाढ़ जाहोता), Barna (बरना), Barsinghpura (बरसिन्हपुरा), Bas Baori (बास बावड़ी), Beelpur (बीलपुर), Benarwith Daulatpura (बेनाड़ with दौलतपुरा), Bhatton ki Gali (भट्टों की गली), Bheelpura (भीलपुरा), Bheempura (भीमपुरा), Bhoorawali (भूरावाली), Bhuranpura @Nestiwas (भुरानपुरा नेस्टिवास), Bichpari (बिचपड़ी), Biharipura (बिहारीपुरा), Bilochi (बिलोची), Bishangarh (बिशनगढ़), Bishanpura (बिशनपुरा), Boodthal (बूडथल), Bugaliya (बुगाल्या), Chak Degrawas (चक देगडावास), Chak Jaisinghpura (चक जयसिंहपुरा), Chak Jaitpura (चक जैतपुरा), Chak Kothiya (चक कोठिया), Chak Manoharpur (चक मनोहरपुर), Chak Mundiya (चक मुंडिया), Chak Nangal (चक नांगल), Chak Pokharawala (चक पोखरावाला), Chak Rojda (चक रोजदा), Chandawas (चांदावास), Chandrapura Jatan (चन्द्रपुरा जाटान), Chandwaji (चंदवाजी), Chatarpura (चतरपुरा), Chetawala (चेतावाला), Chhanwar Ka Bas (छंवर का बास), Chhaprari (छपरारी), Chimanpura (चिमनपुरा), Chirara (चिरारा), Chitanukalan (चिताणु कलां), Chokhlawas @ Kacherawala (चोखलावास कचेरावाला), Chonp (चोंप), Dabri (डाबड़ी), Dadar Baori (दादर बावड़ी), Dalpura (दलपुरा), Datawata (दतावता), Daulatpura (दौलतपुरा), Degrawas (देगडावास), Deo Ka Harmara (देव का हरमाड़ा), Deogudha (देवगुढ़ा), Dhand (ढंड), Dheengpur (धींगपुर), Disan (दिसान), Dola Ka Bas (दोला का बास), Durga Ka Bas (दुर्गा का बास), Dwarkapura (द्वारकापुरा), Dweeppura (द्वीपपुरा), Ghatwada (घटवाडा), Govindpura (गोविन्दपुरा), Gudha Surjan (गुढ़ा सुरजन), Gunawata (गुणावता), Hanumanpura Chak (हनुमानपुरा चक), Harchandpura (हरचन्दपुरा), Harchandpura @Kankarwala (हरचन्दपुरा कांकड़वाला), Hardattpura (हरदत्तपुरा), Harwar (हरवाड), Ishwarsinghpura (ईश्वरसिंहपुरा), Israwala (इसरावाला), Jagnnathpura (जगन्नाथपुरा), Jahota (जाहोता), Jaipur (जयपुर), Jairampura (जयरामपुरा), Jaisalya (जैसल्या), Jaisingh Nagar (जयसिंह नगर), Jaisinghpura Shekhawatan (जयसिंहपुरा शेखावतान), Jaitpura Amber (जैतपुरा), Jaitpura Kheenchee (जैतपुरा खींची), Jalsoo (जालसू), Jiloi (जिलोई), Jugalpura (जुगलपुरा), Kalighati (कालीघाटी), Kalwad Kalan (कालवाड़ कलां), Kalwad Khurd (कालवाड़ खुर्द), Kalyanpura (कल्याणपुरा), Kankrel (कांकरेल), Kant (कांट), Kanwarpura Amber (कंवरपुरा), Kanwarpura (कंवरपुरा), Khannipura (खान्नीपुरा), Khapariya (खापरिया), Khatiyon Ka Bas (खातियों का बास), Kherwari (खेरवाड़ी), Khora Meena (खोरा मीणा), Khora Shyamdas (खोरा श्यामदास), Khorabeesal (खोराबीसल), Khurad (खुरड़), Kiratpura (कीरतपुरा), Kishanpura (किशनपुरा), Kishanpura @ Lalwas (किशनपुरा लालवास), Kolawato Ki Dhani (कोलावतो की ढानी), Kookas (कूकस), Kotra (कोटड़ा), Kushalpura (कुशलपुरा), Labana (लबाना), Ladana (लदाना), Lakher (लखेर), Lalgarh (लालगढ़), Lalpura (लालपुरा), Lamya Mewal (लाम्या मेवल), Laxminarayanpura (लक्ष्मीनारायणपुरा), Looniyawas (लूनियावस), Maheshpura Rawan (महेशपुरा रावान), Maheshwas Kalan (महेशवास कलां), Maheshwas Khurd (महेशवास खुर्द), Manchwa (मांचवा), Manpura Mancheri (मानपुरा मान्चेडी), Mohanbari (मोहनबाड़ी), Mohanpura (मोहनपुरा), Mori (मोड़ी), Mothoo Ka Bas (मोठू का बास), Mukandpura (मुकंदपुरा), Mukandpura (मुकंदपुरा), Mundiya (मुंडिया), Nakawala (नाकावाला), Nangal Ladi (नांगल लाडी), Nangal Purohit (नांगल पुरोहित), Nangal Siras (नांगल सीरस), Nangal Soosawatan (नांगल सूसावतान), Nangal Turkan (नांगल तुरकान), Nara (नाड़ा), Naradpura (नारदपुरा), Nestiwas (नेस्टिवास), Patti Sitarampura (पट्टी सीतारामपुरा), Peelwa (पीलवा), Pokharawala @ Anandpura (पोखरावाला आनंदपुरा), Pragpura (प्रागपुरा), Pratappura Kalan (प्रतापपुरा कलां), Pratappura Khurd (प्रतापपुरा खुर्द), Punana (पुनाणा), Puth Ka Bas @ Chawa Ka Bas (पूठ का बास चावा का बास), Radha Kishanpura @ Pokharsa Ka Bas (राधा किशनपुरा पोखारसा का बास), Radhakishanpura (राधा किशनपुरा), Radhapura (राधापुरा), Raghunathpura (रघुनाथपुरा), Raithal (रायथल), Raja Rampura (राजा रामपुरा), Rajawas (राजावास), Rajpurwas Chandwaji (राजपुरवास चंदवाजी), Ramgatta @ Harwanshpura (रामगट्टा हरवंशपुरा), Ramlyawala (रामल्यावाला), Rampura Amber (रामपुरा), Rampura (रामपुरा), Rampura @ Baniyawala (रामपुरा), Risani (रिसाणी), Rojda (रोजदा), Roondal (रून्डल), Sahab Rampura (साहब रामपुरा), Salarwas (सालरवास), Sangawala (सांगावाला), Sar (सार), Sardarpura (सरदारपुरा), Seengwana (सींगवाना), Sewapura (सेवापुरा), Sherawatpura (शेरावतपुरा), Shri Govindpura (श्री गोविन्दपुरा), Shripura (श्रीपुरा), Shyampura Amber (श्यामपुरा), Sindolai (सिन्दोलाई), Sirohi (सिरोही), Sirsali (सिरसाली), Sirsi (सिरसी), Sisiyawas (सिसियावास), Subhrampura (सुभरामपुरा), Sudarshanpura (सुदर्शनपुरा), Sundarpura (सुन्दरपुरा), Sunder Ka Bas (सुंदर का बास), Syari (स्यारी), Tadawas (टाडावास), Tantyawas (तांत्यावास), Udaipuriya (उदयपुरिया), Vijaipur (विजयपुर), Yadav Khera (यादव खेड़ा), Yadavkhera (यादवखेड़ा),
Notable persons
External links
References
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.384
- ↑ शिवराज, भूषण, छंद 111
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur,p.66-67
- ↑ Appendix-L (pp.348-353) of the book Early Chauhan Dynasties (From 800 to 1316) by Dasharatha Sharma, 121
- ↑ See:Towns and Villages of Chauhan Dominions, S.No.114. Table-1
- ↑ Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p.107