Dabra Gwalior

From Jatland Wiki
Location of Dabra in Gwalior District

Dabra (डबरा) is a tahsil and village in Gwalior district in Madhya Pradesh.

Location

Jat Gotras

History

श्री वीरेंद्र सिंह पहलवार

डबरा नगर के वयोवृद्ध समाजसेवी जाट ,ठा.मंगलसिंह आप्टिकल्स ब्रांच के संचालक " श्री वीरेंद्र सिंह पहलवार" जी के देवलोकगमन पर उनके परिवार जनों ने "मृत्यु भोज" न करने का निर्णय लिया है । ग्वालियर जाट समाज ,जाट समाज कल्याण परिषद,अखिल भारतीय जाट महासभा, उनके परिवारजनों द्वारा लिये गये इस निर्णय का सम्मान करती है। श्रद्धेय ठा.वीरेंद्र सिंह जी (बाबूजी) घरसौंदी वाले - बहुत ही स्वाभिमानी , स्पष्टवादिता के धनी , सामाजिक एवं व्यवहारिक व्यक्ति रहे। ग्वालियर जिले में जाट समाज को एकसूत्र में बांधने ,समाज को समृद्ध बनाने में अपनी सेवाएं देते रहे। अन्य समाज के लोग भी बाबूजी को बहुत सम्मान देते रहे । बाबूजी के ब्रह्मलीन होने पर समस्त डबरा वासियों में शोक की लहर रही - जिसने भी उनके जाने का समाचार सुना वो उनसे जुड़ीं यादों को याद कर आंखें नम करते नजर आए। मृत्यु भोज जैसी कुप्रथा को बंद करने का निर्णय जब बड़े घरों से लिया जाता है तो निश्चित ही समाज में अच्छा संदेश जाता है। अत: दिनांक 4 मार्च से 10 मार्च 2025 तक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन बाबूजी के निज निवास ठाकुर मंगल सिंह रोड अर्रू तिराहा डबरा पर रखा गया है। परिवारजनों ने त्रयोदशी के दिन 10 मार्च को कन्या भोज के साथ सेवा भारती आश्रम डबरा, अपना घर वृद्धाश्रम डबरा , कुष्ठ रोगी वृद्धाश्रम लश्कर पर जाकर भोजन वितरित करना तय किया है ।

शोकाकुल परिवार जन

पुत्रगण
  • ठा.बलवीर सिंह जी (पप्पू)
  • ठा. हेमंत सिंह जी ( राजू)
पौत्र
  • ठा.दीपेंद्र सिंह(निक्कू)
  • ठा.योगेंद्र सिंह(छोटू)
  • ठा.हितेंद्र सिंह(भैया)
  • ठा. मनेंद्र सिंह(कपिल) 9379747590 , 9754605234, 9754352570
  • प्रतिष्ठान- ठा.मंगलसिंह आप्टिकल डबरा ....आई केयर सेंटर -टेकनपुर
  • निवास- अर्रू तिराहा डबरा

ठाकुर वीरेंद्र सिंह पहलवार की जीवनी

सामाजिक न्याय के रक्षक एक आदर्श समाजसेवी रहे हैं - ठाकुर वीरेंद्र सिंह पहलवार जी जन्म - 28 सितम्बर 1929 - निधन- 26 फरवरी 2025

ठाकुर वीरेंद्र सिंह पहलवार जी का जन्म 28 सितम्बर 1929 को उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा जिले की खैरागढ़ तहसील के ग्राम "विरजा नगला" दिघरौता में हुआ। आपके पिता का नाम ठाकुर मंगल सिंह व माता का नाम श्रीमती रामदुलारी था। आप अपने पिता की आठ संतानों में सात भाई एक बहिन में सबसे बड़े थे। आपके भाईयों में आप से छोटे श्री भगवानसिंह,श्री रामजीलाल,श्री देवीसिंह,श्री ओमी सिंह,श्री देवेंद्र सिंह,श्री अजीत सिंह व बहिन का नाम लक्ष्मी देवी था।

आपके पिताजी ठाकुर श्री मंगल सिंह जी व्यवसायी होने के साथ-साथ कुशल समाजसेवी भी थे। व्यापार की दृष्टि से ठाकुर मंगल सिंह जी ने मध्यप्रदेश के लश्कर ग्वालियर में हजीरा नामक स्थान पर आकर अपना व्यवसाय जमाया व लश्कर में ही सपरिवार निवास करने लगे । तब ठाकुर वीरेंद्र सिंह जी ने ग्वालियर में रहकर ही शिक्षा गृहण की व अपने पिताजी के व्यवसाय में उनके सहयोगी बने रहें।

आपके पिताजी ठा.मंगलसिंह जी समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे वह व्यवहारिक थे साथ ही ठाकुर मंगल आप्टिकल के नाम से उनका चश्मे का व्यवसाय मशहूर था ,इस बजह से ग्वालियर चंबल संभाग के जाट समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से उनका संपर्क बना रहा , सामाजिक बैठकों में एवं वार्तालाप गोष्ठियों के दौरान ठाकुर वीरेंद्र सिंह जी भी अपने पिताजी के साथ आया जाया करते थे । जिससे उनका संपर्क भी वरिष्ठ सामाजिक जनों जिनमें - ठा.हेम सिंह सिसगांव,ठा.प्राणसिंह घमणपुरा,ठा.कुवेर सिंह बनवार,ठा.हुकुम सिंह भेला,ठा.जवाहर सिंह मकाठा,ठा.जशवंत सिंह मस्तूरा, ठा.छत्रपाल सिंह राव साहब मंगरौरा,ठा.हुकुम सिंह राजा साहब करवास,ठा.चित्तरसिंह किटौरा,ठा.पोषन सिंह रई,ठा.भंवरसिंह इटायली,ठा.विलवंत सिंह विलारा,ठा.गंधर्व सिंह चितौरा,ठा.रामराजा ठेंठियापुरा वालों से संपर्क हुआ । इस सबसे प्रेरणा पाकर वीरेंद्र सिंह जी समाजसेवा में रुचि रखने लगे ,अब वो अपनी पढ़ाई और पिताजी के व्यवसाय के साथ साथ शेष समय समाजसेवा में देने लगे।

31 दिसम्बर 1954 में आपके पिताजी का देहांत हो गया, पिताजी के देहांत के बाद आपकी ज़िम्मेदारियां बढ़ीं चूंकि !ये बड़े थे तो परिवार का भार भी बढ़ गया था।

अतः आपने अपने से पहले अपने छोटे भाई की शादी करा दी - तत्पश्चात 30 मार्च 1957 को अपनी शादी ग्राम घरसौंदी निवासी भागीरथ सिंह जी की बेटी मुन्नी देवी से कर ली , और ग्वालियर का व्यवसाय अपने छोटे भाईयों को सौंपकर ग्राम घरसौंदी आ वसे।

शादी के कुछ समय पश्चात आपने डबरा नगर में रेल्वे क्रॉसिंग के पास पुनः चश्में का व्यापार शुरू किया। आप घरसौंदी से बस द्वारा प्रतिदिन डबरा आया-जाया करते थे , घरसौंदी गांव में आपने काफी लोकप्रियता हासिल की , गांव के रिश्तेदार होने की बजह से लोगों से हंसी-मजाक भी बना रहता था ,गांव के बच्चों के साथ गांव के बुजुर्ग भी आपको फूफाजी कहते थे ।

आपको भी गांव वासियों से इतना लगाव था कि सबकी सुना करते ,सबकी मदद किया करते थे। आप जब डबरा से वापस जाते तो चाकलेट के पैकिट लेजाते और गांव के बच्चों एवं बुजुर्गों को नियमित बांटा करते थे।

ठाकुर वीरेंद्र सिंह जी ने अपने पिताजी के नाम को हमेशा सर्वोच्च रखा ,आपने बैंगलौर,इंदौर मेंसहित डबरा, टेकनपुर, भितरवार में ठाकुर मंगल सिंह आप्टिकल के नाम से प्रतिष्ठान संचालित किये । सभी प्रतिष्ठान वीरेंद्र सिंह जी के पौत्र(नाती) दीपेंद्र सिंह, योगेंद्र सिंह ,मनेंन्द्र सिंह चलाते हैं। वीरेंद्र सिंह जी के दो पुत्र एवं चार पुत्रियां हैं।

आपके बड़े पुत्र बलवीर सिंह जी (पप्पू) जो रेल्वे क्रॉसिंग की दुकान पर बैठा करते हैं, जबकि आपके छोटे पुत्र हेमंत सिंह जी (राजू- नेताजी) जो कृषि कार्य संभालते हैं एवं जनसेवा, समाजसेवा में समय देने के साथ साथ अपने प्रतिष्ठानों की देखरेख किया करते हैं।

वीरेंद्र सिंह जी का समाज में योगदान- ठाकुर वीरेंद्र सिंह जी ग्वालियर जाट समाज में हमेशा अग्रणी भूमिका में रहे । आप ने अपने साथियों श्री रामवीर सिंह चाहर जी,डॉ.प्रेमसिंह आर्यवीर जी,किशनसिंह एडवोकेट जी,जंडेलसिंह जी,श्यामलाल खेनवार जी,इंस्पेक्टर विक्रमसिंह जी,रामसिंह डोंगरा जी एवं वीर सिंह बेनीवाल जी जैसे सभी कर्मवीरों के साथ जाट समाज को संगठित करने धरातलीय स्तर से काम किया । आपके मन में सवाल था कि ग्वालियर में एक जाट बोर्डिंग बहुत जरूरी है - बस इसीलिये जाट बोर्डिंग के लिये आपने अथक प्रयास किये एवं महाराजा कीर्तिसिंह जाट छात्रावास के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इतना ही नहीं आपने अपने साथियों के साथ सामाजिक संगठन खड़ा किया और समिति का नाम रखा "जाट समाज कल्याण परिषद" और इसी संगठन के सहयोग से ग्वालियर में तानसेन रोड हजीरा पर 2009 में जाट धर्मशाला का निर्माण प्रारंभ कराया।

आप जाट समाज कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष रहे एवं इसी समिति के वरिष्ठ संरक्षक भी रहे। ठाकुर वीरेंद्र सिंह जी सामाजिक न्याय के रक्षक रहे ।आप हमेशा सामाजिक समस्याओं पर लोगों के बीच निष्पक्ष भाव से न्यायपूर्ण बात रखते थे ।

बड़े ही स्पष्टवादिता और बेबाक वाकपटुता के धनी रहे ।

डबरा नगर में आप आदर्श पुरुष के रूप में पहचाने जाते रहे,जाट समाज ही नहीं बल्कि सर्व समाज भी ठाकुर वीरेंद्र सिंह बाबूजी के सम्मान में खड़ा नजर आता रहा।

सभी के प्रति बाबूजी का व्यवहार मृदुता भरा रहा, आप स्वाभिमान के साथ जीवन जीते रहे । क्षेत्र के राजनेता, अधिकारी वर्ग आपको "बड़े साहब" कहकर संबोधित करते रहें।

आप अपने अंतिम समय में अपने छोटे पुत्र हेमंत राणा (राजू) के साथ अर्रू तिराहा डबरा निवास पर रहे और वहीं 26 फरवरी को अंतिम सांस ली।

आपका जाना ग्वालियर चंबल जाट समाज /भारतीय सभ्य समाज में अपूर्णीय छति है। 🙏भावपूर्ण श्रद्धांजलि🙏

लेखक- राणा भूपेंद्र सिंह (कवि/समाजसेवी)
सेवढ़ा जिला दतिया मध्यप्रदेश
मो.9977083614

Villages in Dabra tahsil

1. Ainti, 2. Ajaigarh, 3. Akbai, 4. Akbai Badi, 5. Anant Peth, 6. Arru, 7. Arusi, 8. Babu Pur, 9. Badera Bazurg, 10. Badera Khurd, 11. Bahadur Pur, 12. Bansi, 13. Baragawan, 14. Baraua, 15. Barol, 16. Barotha, 17. Belgadha, 18. Beragarh, 19. Berkheda, 20. Beru, 21. Bhageh, 22. Bharroli, 23. Bhensnari, 24. Bhitora, 25. Bijak Pur, 26. Biramdhana, 27. Bona, 28. Buzurg, 29. Chak Jangipur, 30. Chand Pur, 31. Chetu Pada, 32. Chhapra, 33. Chhatar Pur, 34. Chhimak, 35. Chir Pura, 36. Chiruli, 37. Chitawani, 38. Chitoli, 39. Chomo, 40. Dabra, 41. Deogarh Gwalior, 42. Deora, 43. Dhahi, 44. Dhamnika, 45. Dhawa, 46. Dhirora, 47. Ekhara, 48. Gadhi, 49. Gaindol Kalan, 50. Gajapur, 51. Gatari, 52. Geydol Khurd, 53. Ghamad Pura, 54. Ghongha, 55. Gijaurra, 56. Gobra, 57. Gohinda, 58. Gudaichi, 59. Gulihai, 60. Gunjhar, 61. Hathnoura, 62. Hidayala, 63. Ikona, 64. Itayal, 65. Janakpur, 66. Jangipur, 67. Jarawani, 68. Jargaon , 69. Jatahra, 70. Jatrathi, 71. Jawal, 72. Jhadoli, 73. Jorasi, 74. Kaithoda, 75. Kalyani, 76. Karahi, 77. Kardhu, 78. Kariyawati, 79. Karra, 80. Khadwai, 81. Khajurahai, 82. Kheda, 83. Khedi, 84. Khedi Natawa, 85. Khedi Parasar, 86. Khedi Raimal, 87. Khedi Santal, 88. Kheriya, 89. Kiroi, 90. Kisoli, 91. Kitora, 92. Kosha, 93. Kumharra, 94. Ladera, 95. Lakhan Pura, 96. Lakhiya, 97. Lakhnoti, 98. Lidhora, 99. Lidhoura, 100. Litapura, 101. Lohgarh Gwalior, 102. Magrora, 103. Maharaj Pur, 104. Mahona, 105. Makoda, 106. Masud Pur, 107. Mehagaon, 108. Milghan, 109. Nagawan, 110. Nahatoli, 111. Nibhera, 112. Nibi, 113. Nunhari, 114. Pahadi, 115. Patariya Pura, 116. Patha Panihar, 117. Patharra, 118. Putti, 119. Rafatpur, 120. Raipur, 121. Rajiyawar, 122. Ramgarh , 123. Rampura, 124. Rarua, 125. Sahona, 126. Sakatpura, 127. Salaiya, 128. Salwai, 129. Samchauli, 130. Samudan, 131. Sarnagat, 132. Sarwa, 133. Sehrai, 134. Sehtol, 135. Sekra, 136. Sekrajagir, 137. Semara, 138. Semari Gwalior, 139. Shankarpur, 140. Shinghpur, 141. Shuklhori, 142. Sili Gwalior, 143. Simiriya Bhehsnari, 144. Simiriya Tal, 145. Sirohi, 146. Sirol, 147. Sirsa, 148. Sisgaon, 149. Sukha Patha, 150. Sultanpur, 151. Sunwai, 152. Tekanpur, 153. Thethiyapura, 154. Tighru , 155. Udalpada 156. Virrat,

Notable persons

Gallery

External links

References


Back to Jat Villages