Hem Raj Singh

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Hem Raj Singh is standing third from left

Hem Raj Singh (हेमराज सिंह), from ----, Uttar Pradesh, was a teacher and social worker in Jhunjhunu district of Rajasthan, who took great pains in awakening of farmers of Rajasthan. He was a leading Freedom Fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.

Teacher and motivator

जीवन परिचय

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[1] ने जाट जन सेवक में ताराचंद झारोड़ा के हवाले से लिखा है .... संवत 1982 (1925 ई.) में पुष्कर जाट महासभा का अधिवेशन हुआ। हमारे से भी लोग गए। वहां पर कुछ असर हुआ। वहीं स्कूल खोलना तय कर आए। कोहड़वास जो हमारे से 2 मील पूर्व है वहां स्कूल कायम हो गया। इससे पहले हमारे गांव में ही एक ब्राहमण के पास में कुछ अक्षर ज्ञान किया करता था। उसी समय हमारे गांव में कई एक आर्य भजनोपदेशक भी आ चुके थे। वह उपदेश मेरे हृदय पर भावुकता को लेते हुए अंकित हो चुके थे। मैं कोहड़वास स्कूल में जाने लगा। वहां मास्टर हेमराज सिंह जी प्रधान आर्य समाज के विचारों के जाट थे। उन्होंने मेरी भावुकता को कुछ कुछ ज्ञान में परिणित कर दिया। मेरे विचार कुछ कुछ दृढ़ हो गए। मैं पांचवी क्लास में पिलानी हाई स्कूल में भर्ती हो गया।

शिक्षा की जोत जगाई

सन 1925 में पुष्कर सम्मलेन के पश्चात् शेखावाटी में दूसरी पंक्ति के जो नेता उभर कर आये, उनमें आपका प्रमुख नाम हैं [2] पुष्कर ले लौटने के बाद बगड़ में जाट पंचायत की स्थापना की गयी. प्रचार के लिए भजनोपदेशकों की टोलियाँ तैयार की गयी. अनपढ़ समाज पर भजनोपदेशकों के गीतों का चमत्कारिक प्रभाव पड़ा. भजनोपदेशक अन्य राज्यों से भी आये थे और स्थानीय स्तर पर भी तैयार हुए. पंडित दत्तुराम, भोलासिंह, चौधरी घासीराम, पृथ्वी सिंह बेधड़क, हुकमीचंद, मनसाराम आदि कलाकारों ने गाँव-गाँव को गीतों से गूंजा दिया. स्थानीय स्तर पर मोहरसिंह, सूरजमल साथी, हनुमानदास, बस्तीराम, देवकरण पालोता, तेज सिंह भडुन्दा, गनपतराम महाशय आदि भजनोपदेशक तैयार हो गए. शेखावाटी के ग्रामीण अंचलों को जगाने का श्रेय इन्ही भजनोपदेशक को जाता है. 1925 में झुंझुनू जिले के हनुमानपुरा और कुहाडवास में जन सहयोग से स्कूल खोली गयी. उत्तर प्रदेश के शिक्षक हेमराज सिंह कुहाडवास में और चंद्रभान सिंह हनुमानपुरा में पढ़ाने लगे. इसी क्रम में आगे चलकर कूदन, पलथाना, कटराथल, मांडासी आदि गाँवों में स्कूल खोली गयी. खंडेलावाटी में चौधरी लादूराम रानीगंज ने आर्थिक भार वहन कर शिक्षा की जोत जगाई. शेखावाटी में जनसहयोग से करीब 30 स्कूल खोली गयी. (राजेन्द्र कसवा, p. 100)

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.314
  2. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 100

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