Gohana
Gohana (गोहाना) is town and tahsil situated in Sonipat district of Haryana.
Location
It is a Tehsil town of 50,000 population, has its own municipality and a constituency for Haryana Vidhan Sabha. Gohana is surrounded by Jat gotra villages. It is located on Rohtak-Panipat highway and has a railway station on Rohtak-Panipat railway line. From Sonipat, its distance is 45 Km. Earlier, it was part of Rohtak district.
Origin
Villages in Gohana tahsil
Aanwali, Ahmadpur Majra, Ahulana, Bali, Banwasa, Baroda Mor, Baroda Thuthan, Barota, Bhadauti Khas, Bhainswal Kalan Bawala, Bhainswal Kalan Mithan, Bhainswan Khurd, Bhanderi, Bhawar, Bichpari, Bidhal, Bilbilan, Busana, Butana Khetlan, Butana Kundu, Chhapra, Chhatehra, Chhichhrana, Chirana, Dhanana Aladadpur, Dhurana, Gangana, Gangesar, Ganwari, Garhi Sarai Namdar Khan, Garhi Ujale Khan, Gharwal, Giwana, Gohana (MC), Gudha, Issapur Kheri, Jagsi, Jasrana, Jauli, Jawahra, Kahalpa, Kailana Khas, Kailana Taluka Mahmudpur, Kakana Bahadari, Kasanda, Kasandi, Kathura, Katwal, Khandrai, Khanpur Kalan, Khanpur Khurd, Kheri Damkan, Kohla, Lath, Madina, Mahmudpur, Mahra, Matand, Mirzapur Kheri, Moi, Mundlana, Nagar, Niat, Nizampur, Nuran Khera, Puthi, Rabhra, Ranakheri, Rindhana, Riwara, Rukhi, Saragthal, Sarsadh, Shamri Buran, Shamri Lochab Barren, Shamri Sisan, Sikanderpur Majra, Siwanka, Thaska, Tihar,
History
In ancient times, Gohana was known as Gavambhavana (गवंबहवनः - meaning “where cows are found in plenty”) and was considered a sacred place. Prithviraj Chauhan had constructed a fort here. After defeating Prithviraj in 1192, Muhammad Ghori destroyed the fort. Later, Gohana also became a settlement of Taga Brahmins. All Muslim families left this place in 1947 and migrated to Pakistan. Today, Gohana is inhibited by many Jat families of various gotras, including Malik gotra. Being a tehsil town, people from other communities also reside in the town.
Gohana's role in the Independence Movement of 1857
दलीपसिंह अहलावत लिखते हैं -
.....उस समय रोहतक बंगाल के गवर्नर के मातहत था, तथा कमिश्नरी का हैड क्वार्टर आगरा था। रोहतक का डिप्टी कमिश्नर जोहन एडमलौक था। 23 मई को क्रान्तिकारी सेना ने बहादुरगढ़ में प्रवेश किया और 24 मई को रोहतक पहुंची। डिप्टी कमिश्नर गोहाना के रास्ते करनाल भाग गया। रहे हुए अंग्रेज अधिकारियों को मार दिया गया। जेल के दरवाजे खोल दिये गए, कचहरी को आग लगा दी गयी। क्रान्तिकारी सेना ने शहर के हिन्दुओं को लूटना चाहा परन्तु जाटों ने ऐसा न करने दिया। क्रान्तिकारियों ने खजाने से दो लाख रुपया निकाल लिया। मांडौठी, मदीना, महम की चौकियां लूट ली गईं। सांपला तहसील को आग लगा दी गई। सभी अंग्रेज स्त्रियों को जाटों ने, मुस्लिम राजपूत (रांघड़ों) के विरोध के बावजूद, सही सलामत उनके ठिकानों पर पहुंचा दिया। गोहाना पर गठवाला मलिक जाटों ने कब्जा जमा लिया। अंग्रेजी सेना 30 मई को अम्बाला से रोहतक को चली, परन्तु देशी सेना ने उसे श्यामड़ी (सामड़ी) के जंगल में युद्ध करके हरा दिया। [1]
गोहाना का इतिहास
लेखक - जसबीर सिंह मलिक
1826 गोहाना तहसील।
आईए दोस्तों हम बात करते हैं ।
सबसे पहले मुगलकालीन दौर में गोहाना का इतिहास। गोहाना नाम कैसे पड़ा प्राचीन काल में गोहाना में जंगल होता था जिसमें बहुत सारी गाय होती थी। तो इसका प्राचीन नाम था गोबहूवन।
फिरोज शाह तुगलक के हिस्टोरियन अफीम खान लिखते हैं। उसने न्यू कंस्ट्रक्शन मंदिर गिरवाया । और उसने एक ब्राह्मण को जिंदा जलवा दिया था उसने मुस्लिम कन्वर्ट को हिंदू करवाया था जो पहले भी हिंदू था ।
मुगल काल: अबुल फजल किताब ए आईना अकबरी 1590 बादशाह अकबर के नवरत्न थे। उनका एक मंत्री राजा टोडरमल था जो उत्तर भारत का लाहौर का रहने वाला खत्री था उसने उत्तरी भारत की जमीन की पैमाइश की और उनको सरकारो (अर्थात जिलों में बांटा) कर को उसने परगना में बांटा पारगणों को टपे के अंदर बाटा। अकबर के टाइम पर गोहाना भी एक परगना था। उस टाइम गोहाना हिसार से जुड़ा था इसके अंदर भी कई परगने थे जैसे बुटाना, मुडलाना ,खानपुर कला जो चार फूल परगने थे। इसके अंदर कुछ हिस्सा चांदी, सिक, किलोई का भी शामिल था। गोहाना उस समय भी प्रमुख परगना अर्थात कस्बा था।
जब मुगलों की ताकत कम हुई तब मराठों और सिखों में संघर्ष चलता रहता था उनमें आपस में फिर संधि हुई 9 मई 1785 में मराठों ने यह इलाका सिखों को दे दिया
ब्रिटिश टाइम गोहाना: अंग्रेज लॉर्ड लेक ने 1803 दोलाराम सिंधिया को हराकर दिल्ली पर कब्जा किया। उस समय जींद के राजा भाग सिंह जो महाराजा रणजीत सिंह का सगा मामा था। और कैथल के राजा लाल सिंह लॉर्ड लेख जसवंत राय होलकर का पीछा करते हुए जा रहा था पंजाब में महाराजा रणजीत सिंह से मदद लेने। तो यह दोनों राजा भी लॉर्ड लेख के साथ गए थे। तो अंग्रेजों ने खुश होकर गोहाना का परगना खरखोदा और मांडोठी का परगना कैथल के राजा लाल सिंह और जींद के राजा भाग सिंह को लाइफ जागीर में दे दिया। और यह जब तक जीवित रहेंगे यह इलाका इनका फिर बाद में अंग्रेजों का हो जाएगा 1818 में कैथल के राजा लाल सिंह की मृत्यु हो गई। 1819 में जींद के राजा भाग सिंह की भी मृत्यु हो गई।
उसके बाद गोहाना को अंग्रेजी राज में मिला लिया। 1824 में जब अंग्रेजों ने रोहतक को जिला बनाया 1826 में फिर गोहाना को रोहतक की तहसील बना दी गई। 1833 में अंग्रेजों ने बंगाल प्रेसीडेंसी में से एक अलग प्रांत बनाया जिनको आज का उत्तर प्रदेश कहते हैं। और हरियाणा को भी यूपी का हिस्सा बना दिया गया। 1841 में रोहतक जिला तोड़ दिया गया अंग्रेजों द्वारा और गोहाना को पानीपत जिले में मिला दिया क्योंकि उस समय पानीपत भी एक जिला था।
1842 में फिर से रोहतक को जिला बना दिया गया लेकिन उस टाइम गोहाना पानीपत जिले में ही रहा। 1857 के गदर के बाद 1860 के आसपास गोहाना को दोबारा रोहतक में मिला दिया गया।
1857 में गोहाना:
1.गोहाना का नंबरदार। चौधरी रुस्तम अली पठान था। जिसकी जमीन वजीरपुर और हसनगढ़ में थी उसके गांव वजीरपुर के अंदर उसका बांग्ला था जिसको पठानों का बंगला कहते थे जो 1947 तक कायम रहा।
2. दूसरा नंबरदार था गोहाना का उमेंद अली खान जिसमें 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों की मदद नहीं की। उसे उम्र कैद की सजा हुई और उसे काले पानी भेज दिया गया। गोहाना के ही शामडी गांव में 1857 के विद्रोह में शामडी गांव के लोगों ने जींद के राजा की सेना को घेर लिया जो अंग्रेजों की मदद कर रहे थे। जींद के राजा की सेना का नेतृत्व अंग्रेज कर्नल फेड्रिक जेम्स कोर्ड कर रहा था। जिसको शामडी गांव के लोगों ने पकड़ लिया और उनके घोड़े भी छीन लिए।
1857 का विद्रोह थमने के बाद 11 नंबरदारों को 14 सितंबर 1857 को फांसी पर लटका दिया था जो शामडी गांव से थे जिनके नाम इस प्रकार थे/
- 1.नंबरदार बहादुर सिंह जाट
- 2. नंबरदार हरि राम ब्राह्मण
- 3. नंबरदार बृज खोखर
- 4. नंबरदार हरसया खोखर
- 5. नंबरदार सिंह राम खोखर
- 6. नंबरदार लिंगड़ खोखर
- 7. नंबरदार हरगु खोखर
- 8. नंबरदार जमना खोखर
- 9. नंबरदार दूर्मी खोखर
- 10. नंबरदार हरदयाल खोखर
- 11. नंबरदार रामरेख खोखर
इनके साथ ही पिनाना गांव के किशन सिंह 14 सितंबर 1857 को फांसी दी थी इन्होंने भी अंग्रेजों के हथियार छीने थे। गोहाना के नंबरदार उम्मेद अली खान को भी उम्र कैद और काले पानी की सजा हुई थी। गोहाना का घुड़सवार एक जो उस समय दादरी रेजीमेंट का सिपाही था उसने भी विद्रोह किया था 11 दिसंबर 1858 को उम्र कैद काला पानी हुई थी उसे।
अब्दुल्लाह शेख जो गोहाना का क्रांतिकारी था उसको भी 18 जनवरी 1858 को दिल्ली के अंदर फांसी दी थी। उदयभान नाम का एक बनिया था जो 1857 के अंदर गोहाना का तहसीलदार था। उसने एक ही दिन में गोहाना के आसपास के गांव के 45 लोगों को फांसी पर लटका दिया था जो की रहने वाला जींद का था । जिन्होंने 1857 में अंग्रेजों का साथ दिया उनसे खुश होकर अंग्रेजों ने उन्हें इनाम दिया
1. गोहाना का नंबरदार रुस्तम अली खान था जो उस टाइम 4000 मालिया कर अंग्रेजों को देता था जिसकी कई गांव में जमीन थी ।उसकी 2000 मालिया माफ कर दि गई अंग्रेजों ने और उसको 1000 की दौलत इनाम में दी गई और उसकी कई जागीर भी ईनाम में दी गई अंग्रेजों द्वारा।
2. हसनैन खान जो रुस्तम अली खान का रिश्तेदार था उसको भी ₹500 की खिलत ईनाम में अंग्रेजों द्वारा दी गई
3. रामकला नंबरदार खानपुर का रहने वाला था जो गोहाना से पानीपत तक रोहतक डीसी के लोट को 1857 के विद्रोह में बचाकर गोहाना से पानीपत ले गया था। अंग्रेजों ने 500 खिलत इनाम में दी और गांव में जमीन भी दी।
3. तुलसीराम नंबरदार गोहाना को अंग्रेजों ने पगड़ी और ₹100 इनाम में दिए और । अनेक लोगों को छोटे-छोटे इनाम मिले जैसे ।महबूब अली, मोहम्मद बकस,करीम बख्श इनको 50-50 रुपए की खिलत मिली। सबसे जायदा इनाम गोहाना के चौधरी सैफ अली खान को मिला जिसे अंग्रेजों द्वारा सवाडऑफ ऑनर और 10 मुरब्बा मतलब ढाई सौ किले मिले ।
जो 1947 तक उनके पास 21000 बीघा जमीन थी जो गांव गोहाना के वजीरपुर का था और गोहाना के अंदर उसका 20 एकड़ मतलब 100 बीघा में इसका बाग था और उसके बाग को चौधरी वाला बाग कहते थे।
1911 की जनसंख्या अनुसार इसमें 62 पर्सेंट मुस्लिम थे, 25 पर्सेंट हिंदू थे, 1 परसेंट सिख, 12 परसेंट जैन और अन्य थे। मुस्लिम में सबसे ज्यादा पठान थे और चौधरी सैफ अली खान की कोठी गोहाना में हिजड़ों वाली गली में थी। इसमें 1947 के माइग्रेशन होकर आए लोग रहते हैं।
साभार:लेखक सरदार अजीत सिंह
Geography
Gohana is located at 29°08′N 76°42′E / 29.13°N 76.7°E / 29.13; 76.7. It has an average elevation of 225 metres (738 feet).
Population
As of 2001[update] India census, Gohana had a population of 48,518. Males constitute 53% of the population and females 47%. Gohana has an average literacy rate of 67%, higher than the national average of 59.5%: male literacy is 74%, and female literacy is 60%. In Gohana, 15% of the population is under 6 years of age.
Jat gotras
Mainly people from Jat community reside in Gohana. Apart from Jats, people of Punjabi & Brahmin communities also constitute a major part of population of Gohana.
Notable Places in the Town
Main Baazar,Adarsh Nagar,Tau Devilal Chowk,Tau Devilal Stadium,Samta Chowk,Uttam Nagar,Baroda Road,Jind Road,Rohtak Road,Panipat Road,Panipat Chungi,Devipura,Sonepat Road,Jawahar Lal Nehru Park,etc.
Notable persons
- Subedar Chhotu Ram Sheoran - Military Cross
- Devak Ram Surah Advocate (1904-1998),L.L.B. RAMJAS COLLEGE DELHI, B.A. D.A.V.College Lahore (Dayanand Anglo Vedic ) Divisonal Panchayat Officer Haryana and Punjab Head officer Ambala He was in freedom movement, Chairman consumer Cooperative board of Haryana stateChandigarh He was from Jagsi - Gohana - Sonipat a public servant during all his life fighting for whole of Haryana for Kisans and all schedule caste and whole community,"A NOBLE KIND MAN" who served his country selflessly. Shri Devak Ram Surah was also a good football player during his school days and also played in Gohana magistrate Court team sitting next to Judge Magistrate in group picture.He was also a lawyer for Gohana Magistrate Court,practice lawyer Advocate Bar association courts Rohtak,Panipat,Sonipat,Chanidigarh,Haryana Punjab,Delhi.
- Jagbir Malik - The current M.L.A. of Gohana constituency.
- Kishan Singh Sangwan - Three time M.P. of Sonipat constituency.
- Yogeshwar Dutt - International Wrestler.
External Links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter VII (Page 612)
Back to Jat Villages