Malik

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Malik (मलिक) [1] or Malak (मलक)/(मालक)[2] is gotra of Jats found in Haryana and Uttar Pradesh. Malik is one of the biggest gotras in Haryana and Uttar Pradesh with more than 760 villages. [3]

Malik Jats are mostly found in Distt. Muzaffarnagar in Western Uttar Pradesh. In Muzaffarnagar area there are 52 villages of this Gotra. This area is known as Gathwala-Khap. Malik Jats are found in Afghanistan also.[4]

There are number of Gotras including Gathwala`s who write Malik as there surname; prominent among them are: 1. Bangar, 2. Bhedi, 3. Dhabdal, 4. Jadiya/Jaria, 5. Kunwar, 6.Lal Malik, 7. Sangad 8. Somwal 9. Tiwana

History

They are mentioned in the Markandeya Purana as people of the Central region of India. [5] The Gathvals are now designating themselves as Maliks, which is a title. [6]


Ram Sarup Joon[7] writes that ....Alexander invaded India in 326 BC and came upto the River Beas. After crossing the River Indus at Attock, he had to fight with a series of Jat Kingdoms. Alexander's historian Arrian writes that Jats were the bravest people he had to contest with in India......Names of tribes described above by Arrian as having fought Alexander viz., Maliha, Madrak, Malak, Kath, Yodha and Jatrak exist today as Jat gotras.


Ram Swarup Joon[8] writes about Lalla, Saroha or Sirohi, Gathwala and Malik (branch of Madraka): Malak, Gathwala, Tank, Bura and Sagroha are the gotras of the same dynasty. According to the Bards of the Gathwala, the latter on being ousted from Ghazni, moved towards Multan and Satluj River. They were accompanied by their Bards, some of who became Doms and Barbers. The Malak and Gathwala (Kath) republics existed in the Punjab at the time of Alexander's invasion. They also lived in Jhang and Bahawalpur State later. They ruled over Dipalpur near Hansi. Kutubuddin Aibak defeated them and drove them out of their capital. Later on, they spread out to Rohtak and Muzaffarnagar districts. They continued to struggle against Panwar and Midhan Rajputs. They have 35 villages in Rohtak district. Chaudhary Bacha Ram is regarded the leader of a big Khap (republic) of 160 villages besides 10 villages in Jind State, in district Hissar, 6 in Meerut, 52 in Muzaffarnagar and some in Himachal Pradesh.

Bure/Buras and Sirohis are at present found in Rajasthan, Karmach, Burhakhera, Jind and Karnal, and 12 other villages like Khosra, Bhador, and Girana. In addition they have six villages in Patiala, one village Saidpur, and 8 other villages in Bulandshahr District of UP. Sagroha is a derivative of the word 'Saroha" and exists as a separate gotra.


गणेश बेरवाल[9] ने लिखा है कि राजगढ़ के बारे में सरकारी गज़ट में अंकित है कि यह महान थार रेगिस्तान का गेट है, जहां से होकर दिल्ली से सिंध तक के काफिले गुजरते हैं। 1620 ई. के पहले यहाँ प्रजातांत्रिक गणों की व्यवस्था थी जिसमें भामू, डुडी, झाझरिया, मलिक, पूनीयां, राडसर्वाग गणतांत्रिक शासक थे । जैतपुर पूनीया गाँव था जहां से झासल, भादरा (हनुमानगढ़) तक का बड़ा गण था। जिसका मुख्यलय सिधमुख था। गण में एक ही व्यक्ति सिपाही भी था और किसान भी। लड़ाई होने पर पूरा गण मिलकर लड़ता था। राठोड़ों की नियमित सेना ने इनको गुलाम बनाया।

Mention by Panini

Mallaka (माल्लक) is mentioned by Panini in Ashtadhyayi. [10]

In Mahabharata


List of the Mahabharata tribes includes Malika (मलिक) Mentioned in Geography of Mahabharata (VI.10.65) [11]


Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 10 describes geography and provinces of Bharatavarsha. Malaka (मलक) province located in south is mentioned in Mahabharata (VI.10.61).[12]....the Malakas, the Mallakas, the Aparavartakas, the Kulindas, the Kulakas, the Karanthas, and the Kurakas;

Malaka = Malik

Bhim Singh Dahiya[13] provides following 'Clan Identification Chart' showing relation of Malik Jat clan with West Asian and Central Asian Malaka.

Clan Identification Chart
Sl West Asian/Iranian Greek Chines Central Asian Indian Present name
1 2 3 4 5 6
89. Malak - - - Malaka Malik

ऋषिक-तुषार-मलिक जाटवंश

दलीप सिंह अहलावत[14] लिखते हैं:

ऋषिकतुषार चन्द्रवंशी जाटवंश प्राचीनकाल से प्रचलित हैं। बौद्धकाल में इनका संगठन गठवाला कहलाने लगा और मलिक की उपाधि मिलने से गठवाला मलिक कहे जाने लगे। लल्ल ऋषि इनका नेता तथा संगठन करने वाला था। इसी कारण उनका नाम भी साथ लगाया जाता है - जैसे लल्ल, ऋषिक-तुषार मलिक अथवा लल्ल गठवाला मलिक।

रामायण में ऋषिकों के देश का वर्णन है। सीताजी की खोज के लिए सुग्रीव ने वानरसेना को ऋषिक देश में भी जाने का आदेश दिया। (वा० रा० किष्किन्धाकाण्ड सर्ग 41)।

ऋषिकतुषार वंश महाभारतकाल में अपने पूरे वैभव पर थे। ‘शकास्तुषाराः कंकाश्च’ (सभापर्व 51-31), वायुपुराण 47-44, मत्स्यपुराण 121-45-46, श्लोकों के आधार पर यह सिद्ध हुआ है कि चक्षु या वक्षु नदी जिसे आजकल अमू दरिया (Oxus River) कहते हैं, जो पामीर पठार से निकल कर उत्तर पश्चिम की ओर अरल सागर में गिरती है, यह तुषार आदि देशों में से ही बहती थी। यह तुषारों का देश गिलगित तक था। महाभारत, हर्षचरित पृ० 767 और काव्यमीमांसा आदि ग्रंथों में तुषारगिरि नामक पर्वत का वर्णन है जो कि बाद में हिन्दूकुश के नाम से प्रसिद्ध हुआ। तुषारगिरि नाम तुषार जाटों के नाम पर पड़ा। (महाभारत भीष्मपर्व, 9वां अध्याय) भारतवर्ष के जनपदों (देशों) की सूची में ऋषिक देश भी है। पाण्डवों की दिग्विजय के समय अर्जुन ने उत्तर दिशा के देशों के साथ ऋषिक देश को भी जीत लिया2 (सभापर्व 27वां अध्याय)। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में तुषार नरेश ने तलवारें, फरसे व सहस्रों रत्न भेंट किये (सभापर्व 51वां अध्याय)। परन्तु महाभारत युद्ध में तुषार सेना कौरवों की तरफ होकर लड़ी (सभापर्व 75वां अध्याय)।


1. भारत में जाट राज्य पृ० 309, उर्दू लेखक डा० योगेन्द्रपाल शास्त्री।
2. ऋषिक देश के राजा ऋषिराज ने अर्जुन से भयंकर युद्ध किया, किन्तु हारकर अर्जुन को हरे रंग के 8 घोड़े भेंट में दिये।


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-269


महाभारत के पश्चात् चीनी इतिहासों में तुषारों और उनके पड़ौसी ऋषिकों को यूची या यूहेचि लिखा पाया गया है। इसका कारण सम्भवतः यह था कि ऋषिक तुषार दोनों वंशों ने सम्मिलित शक्ति से बल्ख से थियान्शान पर्वत, खोतन, कपिशा और तक्षशिला तक राज्यविस्तार कर लिया था। यह समय 175 ईस्वी पूर्व से 100 ईस्वी पूर्व तक का माना गया है। पं० जयचन्द्र विद्यालंकार ने अपनी पुस्तक ‘इतिहास प्रवेश’ के प्रथम भाग में पृ० 112-113 पर जो नक्शा दिया है, तदनुसार “ऋषिक तुषार तक्षशिला से शाकल (सियालकोट), मथुरा, अयोध्या और पटना तक राज्य विस्तार करने वाली जाति (जाट) सिद्ध होती है।” इस मत के अनुसार प्राचीन काम्बोज देश हजारों वर्षों तक तुषार देश या तुखारिस्तान कहलाता रहा। जिस समय भारतवर्ष में सम्राट् अशोक (273 से 236 ई० पूर्व) का राज्य था उस समय चीन के ठीक उत्तर में इर्तिश नदी और आमूर नदी के बीच हूण लोग रहते थे। इन हूणों के आक्रमणों से तंग आकर तत्कालीन चीन सम्राट् ने अपने देश की उत्तरी सीमा पर एक विशाल और विस्तृत दीवार बनवाई थी जो कि आज ‘चीन की दीवार’ के नाम से संसार के सात आश्चर्यजनक निर्माणों में से एक है। तब हूणों ने उस तरफ से हटकर ऋषिक तुषारों पर आक्रमण करने आरम्भ कर दिए। यह समय ईस्वी पूर्व 175-165 के मध्य का था। उधर हूणों ने चीन के पश्चिमी भाग पर चढाइयां प्रारम्भ कर दीं। हूणों को रोकने के लिए चीन के सम्राट् ने ऋषिक तुषारों की सहायता चाही। यह सन्देश लेकर चीन का प्रथम राजदूत ‘चांगकिएन’ चीन से चल पड़ा। परन्तु ऋषिक-तुषारों से मिलने से पहले ही मार्ग में हूणों द्वारा पकड़ा गया और बन्दी बनाया गया। 10 वर्ष हूणों के बन्दीगृह में रहने के बाद यह दूत ऋषिक-तुषारों के दल में पहुंच ही गया जो उस समय चीन के कानसू और काम्बोज के मध्य तारीम नदी के किनारे रहते थे। यह तारीम नदी आज के चीन के प्रान्त सिनकियांग (Sinkiang) में पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। चीन के इस सन्देश के मिलने पर ऋषिक तुषारों ने हूणों पर बहुत प्रबल आक्रमण किया और ईस्वी 127 से 119 तक के मध्य में हूणों को परास्त करके मंगोलिया को भगा दिया। इस प्रकार चीन-भारत की मैत्री का यही अवसर प्रथम माना जाता है। ऋषिक-तुषारों की इस प्राचीन आवास भूमि का नाम ‘उपरला हिन्द’ (Upper India) प्रसिद्ध है। उन दिनों इस समूह का धर्म बौद्ध और जीवन युद्धमय था। इन्हीं का प्रमुख पुरुषा ऋषिक-वंशज लल्ल ऋषि था। (जाटों का उत्कर्ष पृ० 332 लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री)।

तुषारों के विषय में यूनानी प्रसिद्ध इतिहासकार स्ट्रैबो (Strabo) के लेख अनुसार बी० एस० दहिया ने जाट्स दी ऐन्शन्ट रूलर्ज पृ० 273 पर लिखा है कि तुषार लोगों ने बैक्ट्रिया (Bactria) प्रदेश पर से यूनानियों के राज्य को नष्ट कर दिया और उनको वहां से बाहर भगा दिया। ये अति प्रसिद्ध थे।

ले० रामसरूप जून ने जाट इतिहास अंग्रेजी पृ० 170 पर लिखा है कि “तुषारों का राज्य गजनी एवं सियालकोट दोनों पर था और इनके बीच का क्षेत्र तुषारस्थान कहलाता था।” यही लेखक जाट इतिहास हिन्दी पृ० 81 पर लिखते हैं कि “कठ और मलिक गणराज्यों ने पंजाब में सिकन्दर की सेना से युद्ध किया था।” परन्तु उस समय इन लोगों की पदवी ‘मलिक’ की नहीं थी जो कि उस आक्रमण के बाद इनको मिली। सम्भवतः ऋषिक-तुषारों ने सिकन्दर से युद्ध किया हो। इन चन्द्रवंशज ऋषिक-तुषार जाटवंशों का नाम गठवाला और मलिक पदवी कैसे मिली इसका


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-270


वर्णन निम्न प्रकार से है -

लल्ल गठवाला मलिक

हरयाणा सर्वखाप पंचायत के भाट हरिराम, गांव करवाड़ा जिला मुजफ्फरनगर की पोथी वंशावली के लेखानुसार संक्षिप्त वर्णन -

चन्द्रवंशी ऋषिक तुषारों के गणराज्य थे। इसी ऋषिकवंश में महात्मा लल्ल का जन्म हुआ था। यह प्रचण्ड विद्वान्, शूरवीर, बाल-ब्रह्मचारी और एक महान् सन्त था। यह ऋषिक-तुषारों का महान् पुरुष था1। यह बौद्धधर्म को मानने वाला था।

सम्राट् कनिष्क (ईस्वी 120 से ई० 162) कुषाण गोत्र का जाट महाराजा था जिसके राज्य में उत्तरप्रदेश, पंजाब, सिन्ध, कश्मीर, अफगानिस्तान, खोतान, हरात, यारकन्द और बल्ख आदि शामिल थे। यह सम्राट् बौद्ध धर्म के मानने वाला था। इसकी राजधानी पेशावर थी। इसने बौद्धों की चौथी सभा का आयोजन कश्मीर में कुण्डल वन के स्थान पर किया। इस सम्मेलन में देश-विदेशों से 500 बौद्ध साधु तथा अन्यधर्मी 500 पण्डित आये थे और बड़ी संख्या में जनता ने भाग लिया। इस सम्मेलन के सभापति विश्वमित्र तथा उपसभापति अश्वघोष साधु बनाये गये।

लल्ल ऋषि: महात्मा लल्ल भी इस सम्मेलन में धर्मसेवा करते रहे थे। इस अवसर पर लल्ल ऋषि को ‘संगठितवाला साधु’ की उपाधि देकर सम्मानित किया गया। इस लल्ल ऋषि ने ऋषिक-तुषारों का एक मजबूत संगठन बनाया जो लल्ल ऋषि की उपाधि संगठित के नाम से एक गठन या गठवाला संघ कहलाने लगा। अपने महान् नेता लल्ल के नाम से यह जाटों का गण लल्ल गठवाला कहा जाने लगा। यह नाम सम्राट् कनिष्क के शासनकाल के समय पड़ा था। सम्राट् कनिष्क महात्मा लल्ल को अपना कुलगुरु (खानदान का गुरु) मानते थे। महाराज कनिष्क ने महात्मा लल्ल के नेतृत्व में इस लल्ल गठवाला संघ को गजानन्दी या गढ़गजनी नगरी का राज्य सौंप दिया। यहां पर मुसलमानों के आक्रमण होने तक लल्ल गठवालों का शासन रहा।

इस तरह से अफगानिस्तान के इस प्रान्त (क्षेत्र) पर लल्ल राज्य की स्थापना हुई जो कि जाट राज्य था (लेखक)।

जाट इतिहास पृ० 717 पर ठा० देशराज ने लिखा है कि “गठवालों का जनतन्त्र राज्य गजनी के आसपास था। मलिक या मालिक इनकी उपाधि है जो इनको उस समय मिली थी जबकि ये अफगानिस्तान में रहते थे। इस्लामी आक्रमण के समय इन्होंने उस देश को छोड़ दिया था।” ठा० देशराज के इस मत से मैं (लेखक) सहमत हूँ। क्योंकि मुसलमानों से पहले अफगानिस्तान में कई छोटे-छोटे राज्य स्थापित थे जिनमें गठवाला वंश सबसे शक्तिशाली था। इन लोगों का दबदबा और प्रभाव दूसरे राज्यों पर था जिसके कारण इन्होंने गठवालों को मालिक मान लिया और मलिक उपाधि दी। इस तरह ये लोग लल्ल गठवाला मलिक कहलाने लगे।

इस लल्लवंश के दो भाग हो गये थे। एक का नाम सोमवाल पड़ा और दूसरा लल्ल गठवाला ही रहा। प्रतापगढ़ का राजा सोमवाल गठवाला हुआ है। सोमवाल गठवालों के 45 गांव हैं जिनमें से 24 गांव जि० सहारनपुरमुजफ्फरनगर में और 21 गांव जिला मेरठ में हैं। इनके अतिरिक्त कुछ गांव जि० हरदोई में भी हैं। (हरिराम भाट की पोथी)।


1. जाटों का उत्कर्ष पृ० 332 पर योगेन्द्रपाल शास्त्री ने लिखा है “लल्ल ऋषि का वंश ऋषिक था जो ऋषिक-तुषार दोनों ही इसको अपना महान् पुरुष मानते थे।”


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-271


उमैया (उमैयाद) वंश के मुसलमान बादशाहों (खलीफा) की उपाधि मलिक थी। इनकी राजधानी दमिश्क शहर में थी। अब्दुल अब्बास के नाम से प्रचलित अब्बासीवंश के बादशाहों ने संवत् 806 (749 ई०) में उमैयादवंश के खलीफा को हराकर राज्य ले लिया और दमिश्क शहर को आग लगाकर जला दिया। इन अब्बासी बादशाहों ने बग़दाद को अपनी राजधानी बनाया। इस वंश का राज्य 749 ई० से 1256 ई० तक रहा। जिसके अन्तिम खलीफा को चंगेज खां के पौत्र हलाकूखां ने युद्ध में मार दिया तथा बगदाद पर अधिकार कर लिया। इस तरह से खलीफा पद का अन्त हो गया। इस अब्बासी वंश का प्रसिद्ध बादशाह खलीफा हारुंरशीद संवत् 830 (773 ई०) में बगदाद का शासक था। उसका बेटा मामूरशीद संवत् 853 (796 ई०) में बगदाद का बादशाह बना। वह सं० 828 ई० में मर गया। उसके शासनकाल में अब्बासी मुसलमानों ने गजनी शहर पर आक्रमण करके उसे जीत लिया जिसकी राजधानी गज़नी थी (हरिराम भाट की पोथी)। इस प्रसिद्ध लल्ल गठवाला मलिकवंश का गजनी राजधानी पर शासन ईस्वी दूसरी सदी के प्रारम्भ से नवमी सदी के प्रारम्भ तक लगभग 700 वर्ष रहा।

गजनी पर मुसलमानों का अधिकार हो जाने से जो लल्ल गठवाले वहां रह गये वे मुसलमान बन गये और शेष गजनी छोड़कर सरगोधाभटिण्डा होते हुए हांसी (जि० हिसार) पहुंच गये और वहां पर हांसी के आस-पास अपना पंचायती राज्य स्थापित करके रहने लगे (हरिराम भाट की पोथी)।

जाटों का उत्कर्ष पृ० 332-333 पर योगेन्द्रपाल शास्त्री ने लिखा है कि -

“ऋषिक-तुषारों का दल जब जेहलम और चनाब के द्वाबे में आकर बसा तो इधर तुषार भाषा भेद से त्रिशर और शर के शब्दार्थ वाण होने से ये लोग तिवाण और तिवाणा कहलाने लगे। बौद्ध-धर्म के पतनकाल में भी बाद तक ये बौद्ध ही रहे और इस्लाम आने पर संघ रूप से मुसलमान बन गये। तुषारों का एक दल उपरोक्त द्वाबे के शाहपुर आदि स्थानों पर न बसकर सीधा इन्द्रप्रस्थ की ओर आ गया यहां इन्होंने विजय करके एक गांव बसाया जो आज विजवासन नाम से प्रसिद्ध है। यह हुमायूँनामे में लिखित है। यहां आज भी तुषार जाट बसे हैं। ये लोग यहीं से मेरठ में मवाना के समीप मारगपुर, तिगरी, खालतपुर, पिलौना और बिजनौर के छितावर गांवों में जाकर बस गये। हिन्दुओं में तिवाणा अभी भी जाटों में ही है। किन्तु इस वंश का वैभव मुसलमानों में ही देखा जा सकता है। इनके मलिक खिजरहयात खां तिवाणा को सम्मिलित पंजाब के प्रधानमंत्री पद की प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। इनके शाहपुर जिले में सभी तिवाणा मुसलमान सम्पन्नता की दृष्टि से अत्यन्त वैभव प्राप्त हैं। ऋषिकों का दल तुषारों की तरह इस्लाम की ओर नहीं झुका यद्यपि मुग़लकाल में इन दोनों को ही मलिक की उपाधि दी गई थी। पश्चिमोत्तर भारत में जब इस्लाम फैलने लगा तब सामूहिक रूप से संगठित होकर ऋषिकों का यह दल झंग, मुलतान, बहावलपुर और भटिण्डा होते हुए हिसार में हांसी के पास देपाल (दीपालपुर) नामक स्थान पर अधिकार करके बस गया। इनके संगठन की श्रेष्ठता के कारण यह वंश संगठनवाला से गठवाला प्रसिद्ध हुआ।”

योगेन्द्रपाल शास्त्री जी का यह मत है कि मुस्लिमकाल में ऋषिकों का दल संगठनवाला से


1. जाटों का उत्कर्ष पृ० 332 पर योगेन्द्रपाल शास्त्री ने लिखा है “लल्ल ऋषि का वंश ऋषिक था जो ऋषिक-तुषार दोनों ही इसको अपना महान् पुरुष मानते थे।”


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-272


गठवाला हांसी क्षेत्र में प्रचलित हुआ और मुगलकाल में ऋषिक और तुषार दोनों को मलिक की उपाधि दी गई थी, कोई विशेष प्रमाणित बात नहीं है जितना कि हरिराम भाट की पोथी का लेख है। इसी पोथी के लेख का समर्थन ले० रामसरूप जून ने अपने जाट इतिहास पृ० 81 पर इस तरह किया है -

तुषारों के सेनापति की पदवी लल्ल थी। इनका मित्र ऋषिक दल था। इनकी राजधानी गजनी थी। इनकी पदवी लल्ल-मलिक थी। मलिक गठवालों का राजा सभागसैन गजनी से निकाला जाने के पश्चात् ये लोग मुलतान, पंजाब में सतलुज नदी के क्षेत्र; भावलपुर में रहकर हांसी (हरयाणा) के पास दीपालपुर में आकर बस गये और उस नगर को अपनी राजधानी बनाया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने इनको वहां से निकाल दिया। तब मलिक दल रोहतकमुजफ्फरनगर जिलों में आ बसा।”

ठा० देशराज के लेख अनुसार, जैसा कि पिछले पृष्ठ पर लिख दिया है, गठवालों को मलिक की पदवी अफगानिस्तान में मिली थी। हमारा विचार भी यही है कि सम्राट् कनिष्क के शासनकाल के समय ईसा की दूसरी सदी में लल्ल ऋषि ने तुषार-ऋषिकों का संगठन किया जो गठवाल कहलाया और लल्ल ऋषि के नाम पर लल्ल गठवाला कहलाये। गजनी का राज्य मिलने पर इनकी पदवी ‘मलिक’ हुई। इन मलिक गठवालों को मुगल बादशाहों ने नहीं, किन्तु इब्राहीम लोधी ने भी इनको मालिक या मलिक मान लिया जो कि इनकी प्राचीन पदवी थी। इसका वर्णन अगले पृष्ठों पर किया जायेगा। (लेखक)

“वाकए राजपूताना” के लेख अनुसार ये गठवाला मलिक हांसी के पास दीपालपुर राजधानी पर बहुत समय तक राज्य करते रहे। इनके यहां पर प्रजातन्त्र राज्य की पुष्टि अनेक इतिहासज्ञ करते हैं। सन् 1192 ई० में मोहम्मद गौरी ने दिल्ली के सम्राट् पृथ्वीराज चौहान को तराइन के स्थान पर युद्ध में हरा दिया और दिल्ली पर अधिकार कर लिया। मोहम्मद गौरी ने अपने सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली का शासन सौंप दिया और स्वयं गजनी लौट आया। इस समय दीपालपुर पर गठवालों का नेता जाटवान मलिक था। हरिराम भाट की पोथी में इस जाटवान को गठवाला मलिक लिखा है।

जाटवान

जाट इतिहास पृ० 714-715 पर ठा० देशराज ने जाटवान के विषय में लिखा है कि “यह रोहतक के जाटों का एक प्रसिद्ध नेता था। कुतुबुद्दीन ऐबक के विरुद्ध जाटों ने विद्रोह कर दिया। क्योंकि ये पृथ्वीराज के समय अपने देश के स्वयं शासक थे और पृथ्वीराज को नाममात्र का राजा मानते थे। जाटों ने एकत्र होकर मुसलमानों के सेनापति को हांसी में घेर लिया। वे उसे भगाकर अपने स्वतन्त्र राज्य की राजधानी हांसी को बनाना चाहते थे। इस खबर को सुन कर कुतुबुद्दीन सेना लेकर रातों-रात सफर करके अपने सेनापति की सहायता के लिए हांसी पहुंच गया। जाटों की सेना के अध्यक्ष जाटवान ने शत्रु के दोनों दलों को ललकारा। ‘तुमुल समीर’ के लेखक ने लिखा है कि दोनों ओर से घमासान युद्ध हुआ। पृथ्वी खून से रंग गई। बड़े जोर के हमले होते थे। जाट थोड़े थे फिर भी वे खूब लड़े। कुतुबुद्दीन स्वयं घबरा गया। जाटवान ने उसको निकट आकर नीचे उतरकर लड़ने को ललकारा। किन्तु कुतुबुद्दीन ने इस बात को स्वीकार न किया। जाटवान ने अपने चुने हुए बीस साथियों के साथ शत्रुओं के गोल में घुसकर उन्हें तितर-बितर करने की चेष्टा की। कहा जाता है जीत मुसलमानों की रही। किन्तु उनकी हानि इतनी हुई कि वे


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-273


रोहतक के जाटों का दमन करने के लिए जल्दी ही सिर न उठा सके।” (जाट इतिहास पृ० 16-17 पर लेखक कालिका रंजन कानूनगो ने भी ऐसा ही लिखा है)।

हरिराम भाट की पोथी अनुसार लल्ल गठवालों ने जाटवान मलिक के नेतृत्व में मुसलमानों पर धावा किया। यह भयंकर युद्ध तीन दिन और तीन रात चला जिसमें जाटवान शहीद हुआ। जाट इतिहास पृ० 16-17 लेखक कालिकारंजन कानूनगो के अनुसार हरयाणा के जाटों ने एक योग्य नेता जाटवान के नेतृत्व में इस युद्ध में भाग लिया।

जाटवान के बलिदान होने पर लल्ल गठवालों ने हांसी को छोड़ दिया और दूसरे स्थान पर आकर गोहाना के पास आहुलाना (हलाना), छिछड़ाना आदि गांव बसाये। वीर जाटवान के बेटे हुलेराम ने संवत् 1264 (सन् 1207 ई०) में ये गांव बसाये। (हरिराम भाट की पोथी)।

लल्ल गठवाला मलिकों का विस्तार

आज लल्ल गठवाला मलिकों के 42 गांव जि० रोहतक-सोनीपत में, जि० मुजफ्फरनगर में 52 गांव, जि० जीन्द में 12 गांव, जि० हिसार में 7, जि० मेरठ में 6 गांव हैं। यू० पी० के कई जिलों में मलिकों के बहुत गांव हैं।

यह पिछले पृष्ठों पर लिख दिया है कि इन लल्ल गठवाला मलिकों के रक्तभाई सोमवाल गठवालों के 45 गांव उत्तरप्रदेश के कई जिलों में हैं। पाकिस्तान में मुसलमान जाट मलिकों की बड़ी संख्या है।

जिला रोहतक में मलिकों के गांव मोखरा (आधा) (सिक्ख जाटों में भी मलिकों की संख्या है।) गांधरा, कहरावर, कारोर, अटाल और डाबोदा खुर्द है।

जि० सोनीपत की गोहाना व सोनीपत तहसीलों में गठवाला मलिकों के मुख्य-मुख्य गांव ये हैं - आहुलाना, छिछड़ाना, मदीना, रूखी, खानपुर, गामड़ी, जसराना, बीधल, भैंसवाल, रिबड़ाण, माहरा (ठसका), दोदवा, सर्गथल, मिर्जापुर खेड़ी, ईसापुर खेड़ी, बिलबिलान, आंवली, रिवाड़ा आदि गांव तहसील गोहाना में हैं। पिनाना, तिहाड़, सालारपुर माजरा, महमूदपुर माजरा, तेवड़ी, सरढाना, पुगथला, भटाना, माहरा, डबरपुर, भगान, पीपली खेड़ा, तुराली आदि गांव तहसील सोनीपत में हैं।

जि० करनाल में उग्राखेड़ी, सींख, पाथरी, रिसालू, निम्बली, कुटानी, राजाखेड़ी, बुवाना लाखू आदि 20 गांव,

जि० हिसार में उमरा सुलतान आदि 7 गांव मलिकों के हैं। यहीं से जाकर पीलीभीत में ऐमी, बरेली में सलथा, तिलमाची, दौलतपुर, टाण्डा आदि गांव बसे। ये अपने जड़िया नामक पूर्वज से जड़िया मलिक कहलाते हैं।

बिजनौर में गाजीपुर, सुन्दरपुर, रावणपुर, धौकलपुर, मीरपुर, रैंहटी,

मुरादाबाद में लोदीपुर,

मेरठ में हिसावदा, कसरैली, पसवाड़ा, नंगला ताशी, डाबका, भगवानपुर बांगर, भदौडा आदि गांव गठवाला मलिकों के हैं। जि० रोहतक के कहरावर गांव के चौ० फूलसिंह मलिक ने यहां से जाकर जि० मेरठ में यह हिसावदा गांव बसाया था।

ऋषिक तुषारवंश के शाखा गोत्र - 1. गठवाला-मलिक 2. सोमवाल 3. जड़िया


लल्ल गठवाला मलिक वंश सौन्दर्य और शारीरिक गठन व सामाजिक संगठन की दृष्टि से प्राचीन आर्यों के सच्चे स्मारक हैं। आजकल ये लोग गोहाना और सोनीपत तहसीलों में संघ रूप से बसे हुए हैं। प्राचीन जनपदों के सुन्दर उदाहरणस्वरूप इस वंश के इन गांवों के बीच अन्य


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-274


किसी वंश का कोई गांव नहीं है। ये लोग पहले ही आर्य (श्रेष्ठ) विचारों के थे। किन्तु ऋषि दयानन्द के आह्वान पर सभी संघ रूप से आर्यसमाजी भी हो गए।

भक्त फूलसिंह: इसी वंश में सोनीपत तहसील के माहरा गांव में भक्त फूलसिंह नामक एक परम सन्त उत्पन्न हुए जिन के प्रभाव और परिश्रम से इधर गुरुकुल शिक्षाप्रणाली के प्रति प्रेम उत्पन्न हुआ। भक्त फूलसिंह ने 23 मार्च 1920 ई० में गुरुकुल भैंसवाल और सन् 1936 ई० में कन्या गुरुकुल खानपुर की स्थापना की जिस का संचालन आप की पुत्री श्रीमती सुभाषिणी देवी कर रही है। इन गुरुकुल संस्थाओं ने ग्रामीण जनता को सत्शिक्षा की ओर प्रवृत्त किया। भक्त फूलसिंह जी की जीवनी विस्तार से अन्तिम पृष्ठों पर लिखी जायेगी।

चौ० गिरधरसिंह मलिक: गठवाला मलिक वंश में चौ० गिरधरसिंह मलिक थे जो सारे गठवालों में दादा के नाम से प्रसिद्ध हुए। इनका निर्णय सारी खाप को सर्वमान्य था। इनके पुत्र जमुनासिंह मलिक थे जिन की आज्ञाओं का पालन यमुना नदी पार तक पूज्यभावों से किया जाता था। चौ० जमुनासिंह मलिक दादा के पुत्र चौ० घासीराम मलिक एम०एल०सी० थे। आप को ब्रिटिश शासनकाल में राज्य और प्रजा दोनों में महान् आदर प्राप्त हुआ। सरकार की ओर से आप को राव बहादुर की पदवी दी गई। आप भी सब मलिकों के 'दादा' कहे जाते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य जाट व दूसरी जाति के लोग इनको दादा घासीराम कहकर पुकारते थे। दादा घासीराम मलिक के पुत्र मातूराम भी मलिकों के 'दादा' कहे जाते थे। आज आप के पुत्र चौ० भल्लेराम मलिकों 'दादा' कहे जाते हैं। दीपालपुर से आकर रोहतक-सोनीपत में मलिकों ने जब से निवास किया, तब से आहुलाना गांव गठवाला मलिकों की खाप का प्रधान गांव रहता आया है और आज भी है। उपर्युक्त 'दादा' कहे जाने वाले महान् पुरुष इसी गांव के निवासी थे।

ट्राइब्स एण्ड कास्ट्स आफ दी नार्थ वेस्टर्न प्राविन्सेज एण्ड अवध के लेखक मि० डब्ल्यू क्रुक साहब ने लिखा है कि “मलिक गठवालों का मुख्य स्थान आहुलाना था। इनके पड़ौसी राजपूतों से निरन्तर युद्ध होते रहे जिनमें ये सफल हुये। इसलिये अन्य जाटों ने इनको ‘प्रधान’ मान लिया। दिल्ली के बादशाह ने मंदहार (मिडाण) राजपूतों को दबाने के लिये इनको सहायतार्थ बुलाया था। विजयी होने पर इन्हें मलिक की उपाधि दी गई। एक बार धोखे से मन्दहारों ने उन्हें बुलाकर बारूद से उड़ा दिया। बचे हुए ये लोग हांसी के पास दीपालपुर चले गये और उसको अपनी राजधानी बनाया।” (जाट इतिहास पृ० 717 पर ठा० देशराज ने क्रुक साहब का हवाला दिया है)। क्रुक साहब का यह मत कि मन्दहार राजपूतों के षड्यन्त्र से बचे मलिक लोगों ने दीपालपुर मे जाकर उसको अपनी राजधानी बनाया यह तथ्य प्रमाणशून्य और निराधार है। क्योंकि मलिकों के मन्दहार राजपूतों और नवाबों के साथ ये युद्ध इनके दीपालपुर से रोहतक-सोनीपत में आने के बाद हुए हैं। फिर दोबारा दीपालपुर को ये लोग अपनी राजधानी नहीं बना सके। हमारा विचार है कि गजनी से मलिकों का राज्य नवमी सदी के प्रारम्भ में समाप्त होने पर ये लोग कई स्थानों पर ठहरकर दीपालपुर आये जिसको सम्भवतः नवमी सदी के अन्त में अपनी राजधानी बनाया। लगभग 300 वर्ष वहां राज्य करने के पश्चात् बारहवीं सदी के अन्त में कुतुबुद्दीन ऐबक ने वहां से इनका राज्य समाप्त कर दिया। (लेखक)

इब्राहीम लोधी की मदद - हरिराम भाट की पोथी के लेखानुसार “इब्राहीम लोधी (सन् 1517-1526 ई०) के सगे भाई


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जलालुद्दीन लोधी ने बगावत कर दी। इसको दबाने के लिये इब्राहीम ने गठवाला मलिकों से मदद मांगी। गठवाला लल्ल गोत्री नौजवानों ने दहिया खाप और उनके साथी अहलावत खाप और तंवर वंश, रघुवंश, पंवारवंश इत्यादि खापों (सब जाटवंश) का सर्वखाप पंचायत के नाम पर जाटों का बड़ा दल इकट्ठा किया। इस जाटदल ने बादशाह इब्राहीम लोधी की ओर होकर जलालुद्दीन को हरा दिया जो जान बचाकर भाग गया। दूसरी लड़ाई में वह मारा गया। मलिकों की इस मदद और वीरता से प्रसन्न होकर बादशाह इब्राहीम ने इनको मलिक की उपाधि दी।”

टिप्पणी - लल्ल गठवालों को ‘मलिक’ उपाधि उस समय ही मिल गई थी जबकि इनका राज्य गजनी पर था जो पिछले पृष्ठों पर लिख दिया है। हमारा विचार है कि बादशाह इब्राहीम लोधी ने भी इनको मालिक या मलिक मान लिया जैसा कि इनको बहुत पहले से यह उपाधि ‘मलिक’ मिल चुकी थी (लेखक)।

जिला मुजफ्फरनगर में गठवाला मलिक -

मुजफ्फरनगर जिला लल्ल गठवाला मलिक वंश के लिए रोहतक-सोनीपत के बाद सर्वाधिक महत्त्व रखता है। जिला सोनीपत के एक गांव में चौ० पाथू मलिक रहते थे जिनके चार पुत्र नैया, मल्हण, कक्के और देवसी नामक थे। नैया नाराज होकर अपने घर से यमुना पार कैरानाकांधला के पास कैथरा (काहनान) गांव पहुंचा। यह गांव भिण्ड तंवर जाटों का था जहां वह उस गांव के जमींदार बोहरंग राव भिण्ड-तंवर गोत के जाट के घर में रहने लग गया। उस समय दिल्ली पर सैय्यद वंश के बादशाह का राज्य था जिसकी नींव खिज्रखां ने सन् 1414 ई० में तुगलक वंश को समाप्त करके डाली थी और वह सन् 1414 ई० से 1421 ई० तक दिल्ली सल्तनत पर शासक रहा था। इस सैय्यद वंश का राज्य 1451 ई० तक रहा था। बोहरंग राव जाट ने अपनी पुत्री मलूकी का विवाह नैया से संवत् 1483 (सन् 1426 ई०) में कर दिया और उसके नाम अपनी सारी भूमि व सम्पत्ति करवा दी। बोहरंग राव की इस मलूकी के अतिरिक्त और कोई सन्तान न थी। इसलिए नैया को अपने घर रख लिया। इससे नाराज होकर [Kaithra|कैथरा गांव]] के भिण्ड तंवर जाटों ने संवत् 1487 (सन् 1430 ई०) में नैया को खेतों की एक जोहड़ी में कत्ल कर दिया। इस घटना के पश्चात् नैया की विधवा ने सोनीपत में मलिकों के प्रधान गांव आहुलाना में स्वयं पहुंचकर मलिकों के ‘दादा’ से पुकार की। इस अबला की अपील पर समस्त गठवाला खाप ने कैथरा गांव पर धावा करके वहां के भिण्ड-तंवर जाटों को एक-एक करके मार दिया। उनकी केवल एक गर्भवती स्त्री को छोड़ दिया, जिससे एक लड़का हुआ और उसकी संतान का एक ही घर भिण्ड-तंवर जाटों का वहां है। यह वंश न घटा है न बढ़ा है। मलिकों ने उस कैथरा गांव का नाम बदलकर नैया के नाम पर निशाड़ रख दिया और नैया की विधवा पत्नी मलूकी का पुनर्विवाह नैया के छोटे भाई देवसी से करवा दिया। जिस जोहड़ी में नैया का वध किया गया था वहां पर मलिकों ने नैया की समाधि बनाई जो आज भी है। यह भी निर्णय किया गया कि वहां के मलिकों की चौधर (प्रधानता) नैया के ही खानदान में रहेगी। मलिकों की इतनी आबादी बढ़ी कि आज जि० मुजफ्फरनगर में निशाड़ गांव के आस-पास इनके 52 गांव हैं जिन का प्रधान निशाड़ गांव में नैया के खानदान का पुरुष होता आ रहा है। उसको भी ‘दादा’ कहा जाता है। इन लोगों में भी आर्यसमाज का काफी प्रचार है। यहां के मलिकों की चौधर


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आहुलाना जैसी शक्तिशाली तो नहीं है, तब भी अन्य वंशों की अपेक्षा इनका संगठन आदर्श है। यहां के मलिक एवं उनका प्रधान ‘दादा’ भी आहुलाना के ‘दादा’ को बड़ा मानते हैं और समय आने पर इनसे निर्णय करवाते हैं (हरिराम भाट की पोथी, जाटों का उत्कर्ष पृ० 334-335, लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री)।

जि० मुजफ्फरनगर में मलिकों की बावनी में खास-खास गांव निम्नलिखित हैं –

निशाड़, खिदरपुर, सून्ना, सरनावली, मखलूमपुर, खरड़, सोजनी, खेड़ामस्तान, कुडाना, लांक, हसनपुर, सिरसी खेड़ा, सलपा, फुगाना, खेड़ा, करोदा, कुलहड़ी, महमूदपुर कुरावां, सागड़ी, खेड़ी, डूंगर, सिलाना, चांदनहेड़ी, पट्टीमाजरा, झाल, बरला, कादीखेड़ा, मोघपुर, बधानी, नीमपुर, कुरमाली आदि। मलिकों का यह कुरमाली गांव यू० पी० के जाटों में एक प्रसिद्ध गांव है।

लल्ल गठवाला मलिकों ने मन्दहार (मिडाण) के राजपूतों, करनाल के पठानों और जि० रोहतक में कलानौर के पंवार गोत्री मुसलमान नवाब के अत्याचारों, के विरुद्ध उनके साथ युद्ध करके विजय प्राप्त करके जाटवीरों की इस विशेषता को प्रमाणित कर दिया कि “जाट किसी के द्वारा किये गए अत्याचारों को सहन नहीं कर सकता और इन के विरुद्ध अपनी जान की परवाह न करते हुए तलवार उठाता है।” कलानौर के नवाब के साथ मलिकों के युद्ध के कारण की मनघड़न्त प्रचलित दन्तकथा की आवश्यकता इसलिए है ताकि लोग असत्य बात को भूलकर सत्य को मानें।

दन्तकथा - एक समय कलानौर के राजपूत रांघड़ नवाब के आदेश अनुसार कलानौर के चारों ओर दूर-दूर तक के हिन्दू अपनी नवीन विवाहित पत्नी को अपने घर ले जाने से पहले कलानौर का ‘कौला’ पूजते थे। इसका अर्थ है कि वर वधू वहां नवाब को कुछ भेंट देते थे और वधू को एक रात नवाब के घर ठहरना पड़ता था। एक बार डबरपुर गांव के चौ० बिछाराम मलिक की पुत्री समाकौर अपने पति जिसका गांव गांगटान (डीघल के समीप) था, के साथ अपनी ससुराल को जा रही थी। अपने पति की कलानौर जाने की आज्ञा को न मानकर अपने गांव डबरपुर पहुंची और अपने पिता व भाइयों को सारा हाल सुनाकर कहा कि “तुम्हें लज्जा नहीं आती कि तुम क्षत्रिय होते हुये अपने बहू-बेटियों को मुसलमान रांघड़ों के पास भेजते हो।” उसका पिता घोड़े पर चढकर जाटों की सब खापों में गया और नवाब को मारने की मदद मांगी। जाटों की सब खापों ने मलिकों के नेतृत्व में नवाब पर आक्रमण किया और उसे मार दिया।

टिप्पणी - (1) पिछले पृष्ठों पर सिन्धु गोत्र के प्रकरण में लिख दिया गया है कि सिन्धु जाटों की पंचायत ने अकबर सम्राट् के एक जाट लड़की से विवाह करने के आदेश को ठुकरा दिया था। (2) सबसे अधिक जाटों के गौरव की यह बात है कि इन्होंने मुसलमान या किसी अन्य धर्म के किसी मनुष्य को अपनी पुत्रियों का डोला नहीं दिया। इसके प्रमाण अनेक इतिहासकारों की पुस्तकों में लिखे हुये हैं। (3) कलानौर के चारों ओर प्रचण्ड वीर जाटों के वे वंश बसे हुये हैं जिनकी अद्वितीय वीरता के


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उदाहरणों से देशी व विदेशी ऐतिहासिक ग्रन्थ भरे पड़े हैं। (4) पाठक समझ गये होंगे कि जिस बहादुर जाट जाति ने विदेशी आक्रमण करने वालों का मुंह तोड़ा था भला एक थोड़े से गांवों का साधारण नवाब जिसका किसी इतिहास में नाम व समय तक भी नहीं लिखा है, उसके पास ये योद्धा जाटवंश अपनी लड़कियों को कैसे भेज सकते थे? अतः कलानौर का कौला पूजने वाली बात प्रमाणशून्य, बेबुनियाद और असत्य है जो जाटों तथा हिन्दू जाति पर कलंक लगाने के लिए प्रचलित की गई।

सत्य बात यह है जिसके प्रमाण हैं कि “कलानौर के नवाब ने अपने अधीन हिन्दू जनता पर अत्याचार आरम्भ कर दिये। इसके विरुद्ध गठवाला मलिकों के नेतृत्व में चारों ओर की जाट खापों ने मिलकर नवाब पर आक्रमण करके उसका वध कर दिया।” (जाट इतिहास लेखक ले० रामसरूप जून पृ० 81; योगेन्द्रपाल शास्त्री पृ० 333, सर्वखाप पंचायत के लेख प्रमाण जि० मुजफ्फरनगर गांव शोरम मन्त्री चौ० कबूलसिंह के घर)। इसी प्रकार की घटना बहूझोलरी के शक्तिशाली नवाब का वध करने की है। उसने जाखड़ों की राजधानी लडान पर अधिकार कर लिया और हिन्दू जनता पर अत्याचार आरम्भ कर दिये। जाखड़ों की प्रार्थना पर चौ० बिन्दरा अहलावत गांव डीघल के नेतृत्व में अहलावत खाप के हजारों योद्धा जाखड़ों के पास पहुंच गए। दोनों खापों के वीरों ने उस नवाब का वध कर दिया। इस तरह से वहां लडान पर जाखड़ों का राज्य फिर से स्थापित हो गया था। (तृतीय अध्याय, अहलावत एवं जाखड़ गोत्र प्रकरण)

Legend about Malik title

According to Niamtulla's Makhzan-i-Afghani and Hamdulla Mustaufi's Tarikh-i-Guzida, in the eighteenth generation from Adam was born Ibrahim one of whose decendants was Talut or Saul. Talut had two sons, one of whom was named Irmia or Jermia. Irmia had a son named Afghan, who is supposed to have given his name to the Afghan people. Qais, a descendant of Afghan, with many of his kins men or Bani Israel settled down in Ghor, joined the Prophert's standard, and was converted to Islam.The Prophet was so pleased with Qais that he gave him the name of Abdur Rashid, called him Malik [king] and Pethan [keel or rudder of a ship] for showing his people the path of Islam. This explains how the Afghan and Pathan came into being and how they all love the title of Malik. [15]

Battisa Khap

Battisa Khap was of Gathwala Gotra in 32 villages around Sonipat in Haryana. The number of villages has grown to 45 now. They wrote Malik now. Malik is their title and Bhainswal their Chaudharahat. [16]

बत्तीसा खाप

47. बत्तीसा खाप - इस गांव में 32 गांव थे अतः इसे बत्तीसा कहा जाता है परंतु अब इसमें गांव की संख्या बढ़ गई है. एक अनुमान के अनुसार इनकी संख्या 45 हो गई है. यह सोनीपत जनपद में गठवाला गोत्र के जाटों की खाप है. यह अपने को मलिक लिखते हैं. जो इन की उपाधि है तथा भैंसवाल इनकी चौधराहट है. श्री माडूसिंह मलिक, धर्मपाल सिंह मलिक, किताब सिंह मलिक और प्रसिद्ध समाजसेवी धर्मवीर सिंह मलिक इसी गांव के गणमान्य व्यक्ति हैं.[17]

मलिक खाप

60. मलिक खाप - यह खाप जिला मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में स्थित है. लिसाड़ गांव इसका मुख्यालय है तथा इसी गांव के आसपास इस खाप के अन्य गांव बसे हुए हैं.[18]

दादा घासी राम मलिक की 155वीं जयंती मनाई

दादा घासी राम मलिक

रोहतक, 19 फरवरी 2024: मलिक खाप के प्राचीन गांव कारोर में गठवाला खाप के युगपुरुष दादा घासी राम मलिक की 155वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर कई राज्यों से मलिको ने हिस्सा लिया। विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट उपलब्धियों के लिए 151 विभूतियों को पगड़ी,मोमेंटो,शाल,तिरंगे पट से दादा घासी राम अवार्ड से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मलिक खाप के अध्यक्ष दादा बलजीत सिंह मलिक ने सर्वसम्मति से समाज हित में प्रस्ताव पारित किए जिसमें नशा मुक्त समाज,दहेज उन्मूलन,चरित्र निर्माण की बातों पर जोर देते हुए कहा कि अब आपसी मनमुटाव व वैमनस्य दूर करने का समय है हम सबको शिक्षित व संगठित हो आगे बढ़ने के प्रयास करने होंगे, बुजुर्गो से प्रेरणा समर्थन ले कर जागरूक युवाओं और महिलाओं के सहयोग से मलिक गोत्र के हर गांव में कमेटियां बना समाज सुधार जागरूक कार्यक्रम चलाए जायेंगे। गांव में चल रही पुरानी रंजिसों को भुलाने व एक मत एकजुट होने की बात कही।

भव्य मंच का सफल संचालन गठवाला मलिक खाप प्रवक्ता जसबीर सिंह मलिक व कै जगबीर मलिक ने किया और इतिहास से जुड़ी जानकारियां साझा करते हुए दादा घासी राम मलिक के काल की प्रमुख घटनाएं व जीवन वर्तान्त को स्मरण करते हुए गठवाला का इतिहास बताया। मलिक खाप की ओर से किसानों के हितों के लिए हर प्रयास और संघर्ष को समर्थन दिया जायेगा। किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी मिले और किसान द्वारा मांगो को ले कर किए गए हर अहिंसक शांतिपूर्ण आंदोलनों का गठवाला मलिक खाप समर्थन करती है।

इस अवसर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलबीर मलिक,पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक,दिल्ली से आयकर आयुक्त मचिता मलिक,अर्जुन पुरस्कार विजेता अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी सुमित मलिक पूर्व चेयरमैन भरत सिंह मलिक,कर्नल आर एस मलिक,छोटूराम धाम से यशपाल मलिक, आकाशवाणी के पूर्व निदेशक धर्मपाल मलिक,महापुरुष स्मृति परिषद के जसबीर मलिक, मोखरा तपा से रामकिशन मलिक, सात बांस से बलवान मलिक, कारोर सरपंच महिपाल,खरावर से सरपंच दीपक मलिक,पूर्व सरपंच बिजेंद्र मलिक,राजवीर मलिक,समाजसेविका श्रीमती राकेश मलिक,गांधरा सरपंच योगेश,हाकी की राष्ट्रीय खिलाड़ी मोनू मलिक,सांपला के पूर्व चेयरमैन रमेश मलिक,महराणा के पूर्व सरपंच धर्मबीर मलिक,सतवीर सिंह तेवड़ी,स्वामी रामानंदवेश,संपादक राजबीर राज्यान,दिनेश मलिक,सूबेदार रामकुमार मलिक,जसबीर,पूर्व मुख्य अभियंता श्री भगवान मलिक विशेष रूप से उपस्थित रहे।कवित्री खुशबू जैन,अमित मलिक, दिव्या मलिक,लोक कलाकारों द्वारा सामाजिक प्रस्तुतियां दे समा बांधा गया।सबने देशी घी से बना लंगर प्रसाद ग्रहण किया।कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक हवन से हुई,सभी मलिक बंधु एक दूसरे से मिल उत्साहित व एकजुट नजर आए।अंत में कार्यक्रम की सफलता के लिए गांव कारोर, खरावड़, गांधरा,अटायल, डाबोधा खुर्द, महराणा के संयुक्त गांवो के मंडल का धन्यवाद किया गया और गठवाला खाप के तपों ,थांबों सहित पूरी कार्यकारिणी का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया गया।

प्रेषक : जसबीर सिंह मलिक प्रवक्ता, गठवाला मलिक खाप 9355675622,कैप्टन जगवीर सिंह मलिक प्रवक्ता सर्वखाप पंचायत 9255018462

Gathwala Khap

Gathwala Khap or Malik Khap has currently 52 villages in western Uttar Pradesh. Current head of Khap isBaba Harkishan Singh Malik. Head village is Lisad.

Distribution in Delhi

Katwaria Sarai, Masood pur,

Distribution in Haryana

Villages in Hisar district

Kharkari, Umra Hansi, '''Sultanpur''',

Villages in Panipat district

Buana Lakhu, Jatol Panipat, Karad, Kutnai, Mahrana, Nangal Kheri also known as (Siwha Ghadi), Nimbri, Pathri, Raja Kheri, Risalu, Seenk, Ugrakheri,

Villages in Bhiwani district

Khanak,

Villages in Jind district

Barta, Budha Khera, Buwana, Gatauli, Hasanpur, Jaipur, Jay Jaywanti, Napewala, Nidana, Nidani, Nirjan, Pauli, Pindara, Sandeel, Shamlo Kalan, Shamlo, Sudkain Kalan,

Villages in Kaithal district

Balbehra,Jakholi,Khurana

Villages in Karnal district

Garhi Sadhan, Jhanjhari, Umarpur,

Villages in Sonipat district

Ahulana, Anwali, Bhainswal Kalan, Bhainswan Khurd, Bhatana Jafrabad, Bidhal, Bhigan, BilBilan, Chhichhrana Sonipat, Dabarpur, Dodwah, Issapur Kheri, Gamri, Jasrana, Kasandha, Khanpur Kalan, Kutani, Madina Sonipat, Mahmudpur, Mahra Sonipat (near Gohana), Mirzapur Kheri, Nayat/Niat (न्यात), Pinana, Piplikhera, Pogthala, Poothi, Rabhra, Riwada, Rukhi, Salarpur Majra, Sarakthla, Sardhana, Sersa, Teori, Tihara Kalan, Tihara Khurd, Turali,

Villages in Hissar district

Rakhi Khas Ramayan Gaon (रामायण गांव), Dhandheri (ढंढेरी), Depal देपल, Umra (उमरा), Sultanpur (सुल्तानपुर), Kanwari (कंवारी), Muzadpur (मुजादपुर) - all together known as SATBASS (सतबास), Parbhuwala, Satrod Khas,

Villages in Jhajjar district

Daboda Khurd , Mehrana

Villages in Mahendergarh district

Dalanwas

Villages in Rohtak district

Atail, Balhemba, Gandhra, Ghuskani, Karor, Kharawad, Mokhra,

Villages in Kurukshetra district

Mehra, Sarsa, Sanghor[19]

Villages in Yamunanagar district

Azizpur, Chhapper Mansurpur, Malakpur Bangar, Pabni Kalan[20]

Villages in Faridabad district

Jawan,

Distribution in UP

Villages in Muzaffarnagar district

Adampur, Badhai Kalan, Baghra Muzaffarnagar, Barla Jat, Chandanhedi, Chunsa, Dogar Muzaffarnagar, Fugana, Goharpur, Goyala, Haidarnagar Jalalpur, Hasanpur Hisawada, Jagaheri, Jhal, Kadi Khera, Kawal, Kabraut Kajikhera, Karoda Hathi, Karoda Mahajan, Khanjahanpur, Kharad, Khedi, Khera Mastan, Khidarpur, Kiwana, Kulhadi, Kurawa, Kurmali, Lakh, Lishad, Mahmudpur Kurawan, Makhlumpur, Malikpur, Moghpur, Mohammadpur, Mohammadpur Rai Singh Muzaffarnagar Neempur, Patti Mazra, Pinna, Sagdi, Salfa, Sarnawali, Sohanjani Jatan, Silana, Sirsi Khera, Sojhani Umerpur, Sunna, Khera Gadai

Villages in Meerut district

Atalpur, Bahadarpur Meerut, Bhadaura, Bhagwanpur Bangar, Chandna, Chirori, Dabka, Daurala, Muzaffarnagar Saini, Nangla Tashi, Paswara, Pepla, Pilona, Rahawati, Rampur Moti,

Villages in Shamli district

Barla, Fugana, Jamalpur Nagli, Kharad (खरड़), Sarnawali, Sohjani Umerpur Usmanpur, Yarpur, Butradi, Kudana Khurd

Villages in Bagpat district

Pura Mahadev, Hisawada ,Chandan Heri, Hewa,

Villages in Bulandsahar district

Bhatta Parsaul, Derveshpur, Launga, Salabad Dhamaira (सलाबाद धमैडा), Papari,

Villages in Bijnor district

Nehtaur, Gazipur Bijnor (गाजीपुर), Sundarpur(सुन्दरपुर), Ravanpur (रावणपुर), Dhokalpur (धौकलपुर), Meerpur (मीरपुर), Ranheti (रैंहटी)

Villages in Saharanpur district

Chhachharauli Saharanpur, Feru Mazra, Fatehpur Kalan,

Villages in Pilibhit district

Aimi,

Villages in Bareilly district

Daulatpur Bareilly, Saltha, Tanda Bareilly, Tilmanchi,

Villages in Rampur

Khandi Khera (9),

Villages in Ghaziabad district

Jalalabad Ghaziabad,

Villages in Gautam Buddh Nagar district

Chhayansa, Parsaul,

Villages in Mathura district

Khushipura (Ral),

Distribution in Rajasthan

Locations in Jaipur city

Adarsh Nagar, Ganesh Colony (Khatipura), Jawahar Nagar, Mahavir Nagar I, Mansarowar Colony, Sanganer, Vaishali Nagar, Vasundhara Colony,

Villages in Alwar district

Alwar,

Villages in Hanumangarh district

Bharwana, Sangaria, Sardargarhia,

Villages in Churu district

Bangarwa Churu,

Distribution in Madhya Pradesh

Malik gotra Jats are also found in Madhya Pradesh. They are found at Bhopal, Gwalior,and Ratlam.

Villages in Ratlam district

Villages in Ratlam district with population of this gotra are:

Ratlam 4,

Villages in Raisen district

Kiwlajhir[21] Sultanpur Raisen,

Villages in Gwalior district

Gwalior, Lashkar (Gwalior), Morar (Gwalior),

Villages in Shivpuri district

Shivpuri,

Villages in Bhopal district

Kolar Bhopal, Karond,

Villages in Dewas district

Sergona,

Distribution in Punjab

Villages in Firozpur district

Sherewala (Abohar),

Villages in Ludhiana district


Distribution in Uttarakhand

Villages in Haridwar

Thithiki Qavadpur (ठिथिकी क़वादपुर), Barampur .

Villages in Dehradun

Guniyal Gaon,

Distribution in Pakistan

Malik - The Malik are a Mulla Jat clan, and are also known as the Ghatwala. They were found in Sonepat and Rohtak in Haryana. Now they are found mainly in Okara, Sahiwal and Vehari districts.

Notable people from Malik gotra

  • Ved Singh Malik - MLA Sonipat and Minister
  • Nitin Malik, Veteran Wikipedia editor and Sportsman.
  • Rohit Malik - Advocate, Delhi high court
  • Abhijeet Malik - basketball player( playing for victoria in australia in jrs.)
  • Ajay Malik - Model.
  • Ajey Malik: IRS – 2002, Add commissioner IT , Jaipur, Husband of Arushi Chaudhary, DM Ajmer
  • Pradeep Singh Malik - IAS topper (2020 Batch)
  • Amit Malik - IFS, Kerala, 1992.
  • Anil Malik - IAS Chandigarh.
  • Arushi Ajay Malik - I.A.S., Jaipur,Rajasthan
  • Bhakt Phool Singh (Malik) - founder Khanpur Gurukul alias BPS Women Univeristy Gohana- Sonipat.
  • Ch. Dharambir Singh Malik - A freedom fighter from Bidhal village in Sonepat district.
  • Dariyao Singh Malik -
  • Harendra Singh Malik - MP and MLA.
  • Late Kitab Singh Malik - former MLA from Gohana constituency.
  • Dharampal Singh Malik - A famous politician from Haryana, who defeated deputy Prime Minister of India Chaudhary Devi Lal and he is also the father of Indian Film Actor Vishal Malik
  • Dharmvir Malik - Educationist[22]
  • Dhan Singh Malik - Narwana.
  • Preeti Malik - IAS - IAS Rank 265 (2017)
  • Deepa Malik - Asian Para Games, Only athlete who won silver medal in IPC Athletics World Championships. Recorded three times in Limka Book of Records. (Jat Jyoti:4/2013)
  • Ghasi Ram Malik - S/O Ch. Girdhar Singh Malik.
  • G S Malik - IPS Gujarat.
  • Ch. Girdhar Singh Malik - Leader of Gathwala Khap.
  • Harvinder Malik - A multi talented artist with expertise in the fields of Fine Arts, Television and Cinema.
  • H S Malik - FSO UP (3 Galantry Award Winner, meritorious service award and first in Muzzaffarnagar distt to win galantry award)
  • H S Malik - IAS Haryana.
  • Harikishan Singh Malik : Up- Pradhan (Chhote Dada) of combined Malik Khap (UP and Haryana). Dada Ch. Harikishan Singh Malik left for his heavenly abode on 19.5.2021. He served the cause and welfare of the Khap without any prejudice. He was from village Lisadh district Muzaffarnagar, Uttar Pradesh.
  • Jatwan -
  • Jagmati Malik - Mata Jijabai Shram Shakti Award for woman empowerment.
  • Jagbir Singh Malik - former Minister, Haryana, and MLA from Gohana constituency.
  • Jitendra Malik - MP from Sonipat, Haryana -2009.
  • Kulbeer Singh Malik - Ex. Speaker Vidhan Sabha Haryana and two times MLA from Julana constituency in Jind district of Haryana.
  • Dr. Kunwar P. Singh - Scientist & Head of the Environmental Chemistry Division, Industrial Toxicolgy Research Centre (ITRC), Lucknow.
  • Prof.(Dr.) KPS Malik - He served as Head of the Department, Deptt. Of Ophthalmology, Safdarjung Hospital for nearly 22 years and retired as Additional DG (Health) from Govt of India. He is a renowned eye surgeon who also served as visiting professor to AIIMS Rishikesh post retirement. He is basically from village Badhai Kalan.
  • Dr. Shashi Prateek w/o Dr. KPS Malik: She was a prominent Gynaecologist and Head of the department at Safdarjung Hospital. She was HoD in Subharti Medical College also and also worked in AIIMS Rishikesh. Village Chandpur in Muzaffarnagar is her native village.
  • Keshav Malik: Padma Shri - 1991, Delhi,Litt. & Edu.[23]
  • Late Shri Mukhtiar Singh Malik (1913- 2008) - MP, MLA
  • Late Ch.Lahri Singh - Minister in Joint Punjab & Haryana, MP from Rohtak.
  • Mahender Singh Malik - Ex. D.G.P. Haryana Police, native village Shamlo Kalan -Jind, Haryana, also the founder and man behind making the Nidani village famous as "Sports Village", where you can get all facilities for preparing international level wrestlers, boxers and atheletes. It all because of your visionary thinking.
  • Major Jaipal Singh Malik - A commander in Azad Hind Fauj. अम्बाला में “सैनिक क्रांतिकारी संगठन” - मेजर जयपालसिंह मलिक, जो एयर सप्लाई यूनिट में उस समय लेफ्टिनेन्ट थे, ने गुप्त रूप से अम्बाला में यह संगठन बनाया। यहां पर आपने दो महीने के भीतर 300 भारतीय कमांडिंग अफसरों को अपने संगठन का अंग बना लिया, जिनका प्रभाव 10,000 सैनिकों पर था। इनका इरादा सशस्त्र विद्रोह करके अंग्रेजों को भारत से निकाल फैंकने का था।अंग्रेजों के विरुद्ध इश्तिहार छापकर भारतीय सैनिकों तक पहुंचाए गये। अम्बाला में इंडियन एयर फोर्स के प्रशिक्षण लेने वाले भारतीय पायलट इन इश्तिहारों के बंडलों को रात के समय सैनिक छावनी के निकट गिरा दिया करते थे। इस प्रकार जयपालसिंह मलिक एक भयानक खेल बहादुरी तथा चतुराई के साथ खेलते रहे।[24]
  • Meghna Malik - Actress.
  • Mimansa Malik - Anchor, Zee News
  • M R Malik - IPS Gurgaon.
  • Naik Bhim Singh Malik - Sena Medal.
  • Gen. N.S.Malik - Muzzaffarnagar distt.
  • P.K. Malik - 22-4-1964, IFS, Orissa, 1991.
  • Prabhat Malik - IAS-2014, Rank-68. [25]
  • Raghvinder Malik - Actor/ Artist.
  • Randhir Singh Malik - IAS Haryana
  • Ram Nivas Malik - from Panipat body building Mr north india and gold in under univercities in all india
  • Ratiram Malik - the superman of 20th century.
  • Rahul Malik - NSUI Distt. president.
  • Rahul Malik - IPS, Rajasthan
  • Ishan Malik - Software engineer TATA TEJAS gurugram haryana.
  • Rahul Malik: IPS 2009 batch, SP Kargil, J&K Cadre
  • Rajinder Singh Malik - Minister in Haryana Government, 1968.
  • Rampal Shastri Ji (Malik), a close fellow of Bhagat Phool Singh, who worked very closely with Bhagat Ji and 1935' established Government High School Nidana-Jind, is due to all his motivations and efforts.
  • Sabha Kaur - The daughter of Malik Jats and bahu of Ahlawats, who opposed the inhuman traditions of Nawabs of Kalanaur. She is said to be the cause of destruction of these Nawabs. (Jat Samaj:11/2013,p.23)
  • Sakshi Malik - Winner of Bronze Medal in Rio Olympics (August 2016) for 58-KG weight Women's wrestling championship.
  • Satya Pal Malik - Governor of J&K
  • Sarabhi Malik - IAS (AIR-51), daughter of sh. Hoshiar Singh Malik IAS of village Bidhal , on Sonipat-Gohana Road. Her mother is novelist and Associate Prof. at Chandigarh.(Jat Jyoti:4/2013)
  • Sajjan Singh Malik - Kirti Chakra (Posthumous), martyr of Counter Insurgency in Jammu and Kashmir. He was from village Kirtan of Rajgarh Churu tahsil in Churu district of Rajasthan.
  • Shashi Malik - 5-7-1964, IFS Madhya Pradesh, 1993.
  • Surbhi Malik: IAS (CSE-2011), Rank 51, Cadre Gujarat, From:Chandigarh
  • Surender Malik: IRS 2010 batch, Presently posted in Delhi Central Excise 1, From Kurukshetra
  • Sohan Lal Malik: Judge Assandh, District – Karnal, Village- Ramnagar, Tehsil- Safidon, Jind, Haryana.
  • Swami Ratan Dev (Malik) - founder Kanya Gurukul, Village Kharal, Narwana-Jind, in later days of life established the new building for Girl's High School in Nidana (thou paternal village), in fact this building was built for the purpose of establishing the second Kanya Gurukul of thou life but you left the world just during the phase of its extension and now this building is alloted to Government High School for Girls, Nidana.
  • Prof. Shiv Raj Kumar Malik: Padma Shri - 1989, Delhi, Medicine [26]
  • Vishal Malik - is an Indian Film actor and Son of Dharampal Singh Malik a famous politician from Haryana
  • Vivek Malik -
  • Vivek Gathwala - Gathwala Inc. group.
  • V.S. Malik - IFS, TamilNadu, 1991.
  • Vineet Choudhary -
  • Vikram Singh Malik, IAS 2012, Gujarat, Daman, (agmut cadre).
  • Vikram Singh Malik: IAS, 2012 batch, Agmu Cadre, Collector Diu
  • Yogesh Malik - IFS Delhi.
  • Vipin Malik - Sub Inspector UP POLICE From village - Nangla Tashi. He got selected as Investigating Officer in CBI in 2015.
  • Yudhvir Singh Malik - IAS Chandigarh.
  • Yashpal Malik - President of All India Jat Reservation Agitation Committee.
  • Jasbir Singh Malik - Journalist, Chief Editor/Publisher, Jat Ratan monthly magazine, 1260/21, जाट रत्न - मासिक पत्रिका के मुख्य संपादक/प्रकाशक: जसवीर सिंह मालिक, 1260/21, हैफेड चौक, प्रेम नगर, राष्ट्रीय राजमार्ग-10, रोहतक हरियाणा-124001, Mob: 9355675622, Email: jaatratan@gmail.com, https://www.facebook.com/jasbirsingh.malik.7
  • Sumit Malik - He won gold medal at the 2018 Commonwealth Games.
  • Colonel Virender Singh Malik - Coach in Mountaineering
  • Tashi and Nungshi Malik (Twin Sisters) - Mountaineers of Mount Everest
  • Dr. Rohtas Malik - Principal (Retd.) H.E.S-1 (Village Depal, Hansi)
  • Mangu Singh Malik (1903-1993) was a freedom fighter from village Gajipur in Bijnor district of Uttar Pradesh. He was a follower of Subhash Chandra Bose.
  • K.P. Malik is a Journalist born at Shamli on 4th April 1970 in Uttar Pradesh and settled in Delhi.
Naveen Malik
  • Inder Singh Malik (Lt Cdr), Vir Chakra, was Commanding officer of INS Rajput in 1971 war with Pakistan. He along with his team acted bravely and sank Pakistani Submarine PNG Gazi. He was from Anwali village in Gohana tahsil of Sonipat district in Haryana. Unit: INS Rajput.
Pravin Malik, England
  • Pravin Malik - From Anwali village of Sonipat district in Haryana has been nominated as candidate by Labour Party in England. She has been finalist in Miss India UK -2018. प्रवीन मलिक - गाँव आँवली (सोनीपत) से प्रवीन मलिक इंगलैंड में Labour पार्टी की candidate घोषित हुई। प्रवीन मलिक 2018 में मिस इंडिया UK की finalist रह चुकी हैं । लंदन कॉलेज ओफ़ बिज़नेस साइंस से पढ़ी और सामाजिक कार्यों में सदा तत्पर रहती हैं।
Unit - 159 Infantry Battalion (TA)/Dogra

Gallery of Malik people

External links

See also

References

  1. B S Dahiya:Jats the Ancient Rulers (A clan study), p.240, s.n.137
  2. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. म-116
  3. Dr Ompal Singh Tugania, Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu/Gotra, p.6
  4. An Inquiry Into the Ethnography of Afghanistan, H. W. Bellew, p.14,119
  5. 247-LVII, 33
  6. Bhim Singh Dahiya, Jats the Ancient Rulers ( A clan study), p. 286
  7. History of the Jats/Chapter IV,p. 49-50
  8. Ram Swarup Joon: History of the Jats/Chapter V,p. 92
  9. Ganesh Berwal: 'Jan Jagaran Ke Jan Nayak Kamred Mohar Singh', 2016, ISBN 978.81.926510.7.1, p.2
  10. V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.114
  11. तदैव मरधाश चीनास तदैव दश मालिकाः |कषत्रियॊपनिवेशाश च वैश्यशूद्र कुलानि च (VI.10.65)
  12. मालका मल्लकाश चैव तदैवापरवर्तकाः, कुलिन्दाः कुलकाश चैव करण्ठाः कुरकास तदा (VI.10.61)
  13. Jats the Ancient Rulers (A clan study)/Appendices/Appendix II,p.324
  14. जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ.269-278
  15. Studies in Asian History, 1969 pp.17-18
  16. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, Agra, 2004, p. 19
  17. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.19
  18. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.20
  19. User:Gavisht
  20. User:Sukhbal
  21. User:Sk56
  22. Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas,p. 312
  23. Ministry Of Home Affairs (Public Section), Padma Awards Directory (1954-2013), Year-Wise List
  24. Jat History Dalip Singh Ahlawat (Page 870)
  25. 'Jat Privesh', July 2015,p. 18
  26. Ministry Of Home Affairs (Public Section), Padma Awards Directory (1954-2013), Year-Wise List
  27. "Naveen". Birmingham2022.
  28. Hindustan Times, 8.8.2022

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