Somwal
Somwal (सोमवाल)[1][2] gotra Jats live in Uttar Pradesh and Madhya Pradesh.
Somwal Gathwala (सोमवाल गठवाला) is brotherly Gotra of Lall Gathwala (लल्ल गठवाला)[3]
History
लल्लवंश का इतिहास
दलीप सिंह अहलावत[4] लिखते हैं कि ऋषिक व तुषार चन्द्रवंशी जाटवंश प्राचीनकाल से प्रचलित हैं। बौद्धकाल में इनका संगठन गठवाला कहलाने लगा और मलिक की उपाधि मिलने से गठवाला मलिक कहे जाने लगे। लल्ल ऋषि इनका नेता तथा संगठन करने वाला था। इसी कारण उनका नाम भी साथ लगाया जाता है - जैसे लल्ल, ऋषिक-तुषार मलिक अथवा लल्ल गठवाला मलिक।
दलीप सिंह अहलावत[5] हरयाणा सर्वखाप पंचायत के भाट हरिराम, गांव करवाड़ा जिला मुजफ्फरनगर की पोथी वंशावली के लेखानुसार इस गोत्र की उत्पत्ति का संक्षिप्त वर्णन निम्नानुसार करते हैं -
चन्द्रवंशी ऋषिक तुषारों के गणराज्य थे। इसी ऋषिकवंश में महात्मा लल्ल का जन्म हुआ था। यह प्रचण्ड विद्वान्, शूरवीर, बाल-ब्रह्मचारी और एक महान् सन्त था। यह ऋषिक-तुषारों का महान् पुरुष था1। यह बौद्धधर्म को मानने वाला था।
सम्राट् कनिष्क (ईस्वी 120 से ई० 162) कुषाण गोत्र का जाट महाराजा था जिसके राज्य में उत्तरप्रदेश, पंजाब, सिन्ध, कश्मीर, अफगानिस्तान, खोतान, हरात, यारकन्द और बल्ख आदि शामिल थे। यह सम्राट् बौद्ध धर्म के मानने वाला था। इसकी राजधानी पेशावर थी। इसने बौद्धों की चौथी सभा का आयोजन कश्मीर में कुण्डल वन के स्थान पर किया। इस सम्मेलन में देश-विदेशों से 500 बौद्ध साधु तथा अन्यधर्मी 500 पण्डित आये थे और बड़ी संख्या में जनता ने भाग लिया। इस सम्मेलन के सभापति विश्वमित्र तथा उपसभापति अश्वघोष साधु बनाये गये।
लल्ल ऋषि: महात्मा लल्ल भी इस सम्मेलन में धर्मसेवा करते रहे थे। इस अवसर पर लल्ल ऋषि को ‘संगठितवाला साधु’ की उपाधि देकर सम्मानित किया गया। इस लल्ल ऋषि ने ऋषिक-तुषारों का एक मजबूत संगठन बनाया जो लल्ल ऋषि की उपाधि संगठित के नाम से एक गठन या गठवाला संघ कहलाने लगा। अपने महान् नेता लल्ल के नाम से यह जाटों का गण लल्ल गठवाला कहा जाने लगा। यह नाम सम्राट् कनिष्क के शासनकाल के समय पड़ा था। सम्राट् कनिष्क महात्मा लल्ल को अपना कुलगुरु (खानदान का गुरु) मानते थे। महाराज कनिष्क ने महात्मा लल्ल के नेतृत्व में इस लल्ल गठवाला संघ को गजानन्दी या गढ़गजनी नगरी का राज्य सौंप दिया। यहां पर मुसलमानों के आक्रमण होने तक लल्ल गठवालों का शासन रहा।
इस तरह से अफगानिस्तान के इस प्रान्त (क्षेत्र) पर लल्ल राज्य की स्थापना हुई जो कि जाट राज्य था (लेखक)।
इस लल्लवंश के दो भाग हो गये थे। एक का नाम सोमवाल पड़ा और दूसरा लल्ल गठवाला ही रहा। प्रतापगढ़ का राजा सोमवाल गठवाला हुआ है। सोमवाल गठवालों के 45 गांव हैं जिनमें से 24 गांव जि० सहारनपुर व मुजफ्फरनगर में और 21 गांव जिला मेरठ में हैं। इनके अतिरिक्त कुछ गांव जि० हरदोई में भी हैं। (हरिराम भाट की पोथी)।
Distribution in Uttar Pradesh
Somwal Gathwala have total 45 villages.Out of them 24 villages are in Saharanpur district and 21 villages are in Meerut district.
Villages in Saharanpur district
Halwana Aht. Aamki Dipchandpur
Villages in Meerut district
Distribution in Madhya Pradesh
Villages in Nimach district
Notable persons
External links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. स-82
- ↑ O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.63,s.n. 2534
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III,p.274
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ.269
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ-271
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