Parbati River
Author:Laxman Burdak, IFS (Retd.) |
Parbati River - Originating from the northern slopes of Vindhya Range in Madhya Pradesh, it branches out from Kali Sindh River further flowing in Baran district of Rajasthan state.
Variants
- Para River परा (पारा) = Parvati River पार्वती नदी, (AS, p.532)
- Para River पारा = Parvati River पार्वती नदी (p.552)
Course
It flows through Jhalawar district and the Kota district of the state. The Parbati River catchment is approximately 3180 square miles. The river from these districts of Rajasthan finally merges at the right bank of Chambal River.
Historical places
पारा नदी
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...पार्वती नदी (p.552): मध्य प्रदेश की नदी है, जिसे 'पारा' नाम से भी जाना जाता है। यह नदी विन्ध्याचल की पश्चिमी श्रेणियों से निकल कर ग्वालियर प्रदेश में बहती हुई सिन्ध (या काली सिन्ध) में मिल जाती है। पार्वती-सिन्धु संगम पर प्राचीन काल की प्रसिद्ध नगरी पद्मावती बसी हुई थी। पार्वती नदी का महाभारत, महाभारत वनपर्व में पश्चिम दिशा के तीरथों के अंतर्गत इस नदी का भी नर्मदा के साथ उल्लेख है।
पार्वती नदी
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ... पार्वती नदी (p.553) मध्य प्रदेश की नदी है, जिसे 'पारा' नाम से भी जाना जाता है। यह नदी विन्ध्याचल की पश्चिमी श्रेणियों से निकल कर ग्वालियर प्रदेश में बहती हुई सिन्ध (या काली सिन्ध) में मिल जाती है। पार्वती-सिन्धु संगम पर प्राचीन काल की प्रसिद्ध नगरी पद्मावती बसी हुई थी। महाकवि कालीदास के 'मेघदूत' की निर्विन्ध्या ही पार्वती नदी हो सकती है। पार्वती नदी का महाभारत, भीष्मपर्व में भी उल्लेख है। कुछ लोगों के मतानुसार निर्विन्ध्या वर्तमान नेवाज नदी है।
पार्वती नदी विन्ध्य पर्वत श्रेणी में सेहोर क्षेत्र से निकल कर राजस्थान के बारां में करयाहाट के निकट प्रवेश करती है। यह नदी बारां व कोटा से बहकर सवाई माधोपुर व कोटा की सीमा पर पलिया गाँव के निकट चंबल नदी में मिल जाती है।
पार्वती नदी परिचय
पार्वती नदी विन्ध्य पर्वत श्रेणी में सिहोर क्षेत्र से निकल कर राजस्थान के बारां में करयाहाट के निकट प्रवेश करती है। यह नदी बारां व कोटा से बहकर सवाई माधोपुर व कोटा की सीमा पर पलिया गाँव के निकट चंबल नदी में मिल जाती है। पार्वती-सिन्धु संगम पर प्राचीन काल की प्रसिद्ध नगरी पद्मावती बसी हुई थी। महाकवि कालीदास के 'मेघदूत' की निर्विन्ध्या ही पार्वती नदी हो सकती है। पार्वती नदी का महाभारत, भीष्मपर्व में भी उल्लेख है। कुछ लोगों के मतानुसार निर्विन्ध्या वर्तमान नेवाज नदी है।[3]
निर्विन्ध्या नदी
विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...निर्विन्ध्या (AS, p.501) विख्यात महाकवि कालिदास के 'मेघदूत' (पूर्वमेघ, 30) में वर्णित एक नदी का नाम है। कालिदास ने मेघदूत में इस नदी का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया है- 'वीचिक्षोभस्तवित्तविहगश्रेणिकांचीगुणाया:, ससर्पन्त्या: स्खलितसुभगं दर्शितादर्तनाभे: निर्विन्ध्याया: पथिभवरसाभ्यंतर: सन्निपत्य स्त्रीणागाद्यं प्रणयवचनं विभ्रमो हि प्रयेषु'।
यह नदी मेघ के यात्रा क्रम में विदिशा और उज्जयिनी के मार्ग में वर्णित है तथा इसकी स्थिति कालिदास के अनुसार सिंधु नदी और उज्जयिनी के ठीक पूर्व में बताई गई है। संभव है कि कालिदास ने [p.502]: वर्तमान पार्वती नदी को ही 'निर्विन्ध्या' कहा हो। पार्वती नदी उज्जैन से पूर्व, विंध्य श्रेणी से निस्सृत होकर चंबल नदी में मिलती है। विदिशा और सिंधु (=काली सिंध) के बीच कोई और उल्लेखनीय नदी नहीं जान पड़ती। श्रीमद्भागवत 5,9,18 की नदी सूची में भी निर्विन्ध्या का नामोल्लेख है- 'कृष्णावेश्या भीमरथी गोदावरी निर्विन्ध्या पयोष्णी तापी रेवा...'
विष्णु पुराण में निर्विन्ध्या को 'तापी' (ताप्ती नदी) और पयोष्णी के साथ ही 'ऋक्ष' (अमरकंटक) से निर्गत बताया है- 'तापीपयोष्णी निर्विन्ध्या प्रमुखा ऋक्षसंभवा:' विष्णु पुराण 2,3,31
कुछ विद्वानों ने निर्विन्ध्या नदी का चंबल की सहायक एक छोटी-सी नदी नेवाज से किया है। (दे.बी.सी. ला-हिस्टोरिकल ज्योग्रेफ़ी ऑफ़ ऐंशेट इंडिया, पृष्ठ 35) वायु पुराण 65,102 में इस नदी को निर्विन्ध्या कहा गया है।
References
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