Sandan

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Sandan Mata Temple
Location of Sujangarh in Churu district

Sandan (सांडण) (Shyanan, Syanan :स्यानण) is a medium-size village in Sujangarh tehsil of Churu district of Rajasthan. It is known for Pashu mela (cattle fair) at Sandwa. It was a district under Mohil Jat rulers with capital at Chhapar prior to the rule of Rathores. [1]

Location

Sandan is located 3 km east of Khuri Sujangarh near the border of Sikar district.

Jat Gotras

Population

According to Census-2011 information: With total 303 families residing, Sandan village has the population of 1652 (of which 836 are males while 816 are females).[2]

Mention by Panini

Syandana (स्यंदन), a chariot, is mentioned by Panini in Ashtadhyayi. [3]


Spandana (स्पंदन), syandana (स्यंदन) is mentioned by Panini in Ashtadhyayi. [4]

History

इतिहास

कर्नल जेम्स टोड ने लेख किया है कि इनके अलावा तीन और विभाग थे - बागौर, खारी पट्टी और मोहिल। इन पर भी राठौड़ों का प्रभुत्व कायम हो गया था। राजपूत शाखाओं से छिने गए तीन विभाग राज्य के दक्षिण और पश्चिम में थे जिनका विवरण नीचे दिया गया है. [5]

अनुक्रमांक नाम जनपद नाम मुखिया गाँवों की संख्या राजधानी अधिकार में प्रमुख कस्बे
7. बागौर 300 बीकानेर, नाल, किला, राजासर, सतासर, छतरगढ़, रणधीसर, बीठनोक, भवानीपुर, जयमलसर इत्यादि।
8. मोहिल 140 छापर छापर, सांडण, हीरासर, गोपालपुर, चारवास, बीदासर, लाडनूँ, मलसीसर, खरबूजा कोट आदि
9. खारी पट्टी 30 नमक का जिला

मोहिल-महला-माहिल जाटवंश का इतिहास

दलीप सिंह अहलावत[6] लिखते हैं कि मोहिल जाटवंश राज्य के अधीन छापर राजधानी के अंतर्गत हीरासर एक परगना था।

मोहिल जाटवंश राज्य - मोहिल जाटवंश ने बीकानेर राज्य स्थापना से पूर्व छापर में जो बीकानेर से 70 मील पूर्व में है और सुजानगढ़ के उत्तर में द्रोणपुर में अपनी राजधानियां स्थापित कीं। इनकी ‘राणा’ पदवी थी। छापर नामक झील भी मोहिलों के राज्य में थी जहां काफी नमक बनता है। कर्नल जेम्स टॉड ने अपने इतिहास के पृ० 1126 खण्ड 2 में लिखा है कि “मोहिल वंश का 140 गांवों पर शासन था।

मोहिल वंश के अधीन 140 गांवों के जिले (परगने) - छापर (मोहिलों की राजधानी), हीरासर, गोपालपुर, चारवास, सांडण, बीदासर. लाडनू, मलसीसर, खरबूजाराकोट आदि। जोधा जी के पुत्र बीदा (बीका का भाई) ने मोहिलों पर आक्रमण किया और उनके राज्य को जीत लिया। मोहिल लोग बहुत प्राचीनकाल से अपने राज्य में रहा करते थे। पृ० 1123.


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-250


मोहिलों के अधीश्वर की यह भूमि माहिलवाटी कहलाती थी।” जोधपुर के इतिहास के अनुसार राव जोधा जी राठौर ने माहिलवाटी पर आक्रमण कर दिया। राणा अजीत माहिल और राणा बछुराज माहिल और उनके 145 साथी इस युद्ध में मारे गये। राव जोधा जी राठौर की विजय हुई। उसी समय मोहिल फतेहपुर, झुंझुनू, भटनेर और मेवाड़ की ओर चले गये। नरवद माहिल ने दिल्ली के बादशाह बहलोल लोधी (1451-89) से मदद मांगी। उधर जोधा जी के भाई कांधल के पुत्र बाघा के समर्थन का आश्वासन प्राप्त होने पर दिल्ली के बादशाह ने हिसार के सूबेदार सारंगखां को आदेश दिया कि वह माहिलों की मदद में द्रोणपुर पर आक्रमण कर दे। जोधपुर इतिहास के अनुसार कांधलपुत्र बाघा सभी गुप्त भेद जोधा जी को भेजता रहा। युद्ध होने पर 555 पठानों सहित सारंगखां परास्त हुआ और जोधा जी विजयी बने। कर्नल टॉड के अनुसार जोधा के पुत्र बीदा ने मोहिलवाटी पर विजय प्राप्त की। राव बीदा के पुत्र तेजसिंह ने इस विजय की स्मृतिस्वरूप बीदासर नामक नवीन राठौर राजधानी स्थापित की। तदन्तर यह ‘मोहिलवाटी’ ‘बीदावाटी’ के नाम से प्रसिद्ध की गई। इस प्रदेश पर बीदावत राजपूतों का पूर्ण अधिकार हो गया। राजपूतों ने इस प्राचीनकालीन मोहिलवंश को अल्पकालीन चौहानवंश की शाखा लिखने का प्रयत्न किया।[7] किन्तु इस वंश के जाट इस पराजय से बीकानेर को ही छोड़ गये।

Historical Monuments

Sandan Mata Temple

Temples

चुरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में स्यानण की डूंगरी स्थित है. इस पहाडी पर तीन भागों में विभक्त प्राचीन मंदिर है. कालीमाता का मंदिर दसवीं शताब्दी में हर्षनाथ का समकालीन बताया जाता है. शिल्प अवं स्थापत्य शैली में हर्षनाथ के साथ साम्य दिखता है. ढेर सारी मूर्तियाँ इस मंदिर के आस-पास बिखरी पडी हैं. [8]

Notable persons

  • राजेन्द्र कुमार डोटासरा - स्यानन, एडवोकेट हाल मुक्त प्रसाद कालोनी बीकानेर, खींचीवाला विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त करने वालों में प्रमुख
  • लिछमण राम खिलेरी नि. सांडण,स्वतंत्रता सेनानी, प्रजा परिषद् की गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया.[9]
  • Bhinw Singh Arya - Freedom fighter From village Syanan
  • Chaina Ram Bola - Freedom fighter From village Sandan. चैनाराम बोला के जागीरदार की लाग-बाग़ का विरोध करने के कारण बाजरे की एक सौ मन की पुन्जली जला दी। तथा उनके साथ मार पीट कर उन पर मुकदमा कर दिया। चेना राम की सुजानगढ़ निजामत में पांच सौ रुपये की उनके रिश्तेदारों द्वारा जमानत न लेने के कारण जेसाराम जी खीचड़ व लादूराम जी खीचड़ ने मिल कर जमानत ली। चेना राम को राजा ने न्याय देने से मना कर दिया तो देहरादून में पैदल जाकर सरकार को अर्जी दी।[10]
  • चेनाराम बोलालिछमणराम खिलेरी नि. सांडण ने जाट प्रजापति महायज्ञ सीकर सन 1934 में भाग लिया जिसने किसानों में राजनैतिक चेतना का संचार किया। उस सम्मलेन में सुजानगढ़ तहसील से जिन किसानों ने भाग लिया उनमे आप मुख्य थे।[11]
  • Lichhman Ram Khileri - Freedom fighter and social worker.[12]

External links

References

  1. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III, p. 250
  2. http://www.census2011.co.in/data/village/70826-sandan-rajasthan.html
  3. V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.214
  4. V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.214
  5. कर्नल जेम्स टोड कृत राजस्थान का इतिहास, अनुवाद कालूराम शर्मा,श्याम प्रकाशन, जयपुर, 2013, पृ.402-403
  6. जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ-250,251
  7. जाटों का उत्कर्ष, 337-338 लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री; जाट इतिहास उर्दू पृ० 378-380, लेखक ठा० संसारसिंह।
  8. मोहन लाल गुप्ता: राजस्थान ज्ञान-कोष, p.541
  9. भीमसिंह आर्य:जुल्म की कहानी किसान की जबानी (2006),p.40
  10. भीमसिंह आर्य:जुल्म की कहानी किसान की जबानी (2006),p.34
  11. भीमसिंह आर्य:जुल्म की कहानी किसान की जबानी (2006),p.35
  12. Sanjay Singh Saharan, Dharati Putra: Jat Baudhik evam Pratibha Samman Samaroh Sahwa, Smarika 30 December 2012, by Jat Kirti Sansthan Churu, pp.11-12

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