Indraj Singh Ghardana: Difference between revisions

From Jatland Wiki
No edit summary
No edit summary
 
Line 12: Line 12:


पीड़ित किसानों ने [[Badhala Ki Dhani|बधाला की ढाणी]] में विशाल आमसभा आयोजित की, जिसमें हजारों व्यक्ति सम्मिलित हुए. इनमें [[Ghasi Ram Chaudhari|चौधरी घासीराम]], [[Pandit Tadakeshwar Sharma|पंडित ताड़केश्वर शर्मा]], [[Khyali Ram Janu|ख्यालीराम भामरवासी]], [[Netram Singh Gaurir|नेतराम सिंह]], [[Tarachand Jharoda|ताराचंद झारोड़ा]], [[Indraj Singh Ghardana|इन्द्राजसिंह  घरडाना]], [[Hari Singh Burdak|हरीसिंह पलथाना]], [[Panne Singh Batar|पन्ने सिंह बाटड]], [[Ladu Ram Bijarnia|लादूराम बिजारनिया]], व्यंगटेश  पारिक, [[Ruda Ram Palri|रूड़ा राम]] [[Palri|पालडी]] सहित शेखावाटी के सभी जाने-माने कार्यकर्ता आये. मंच पर [[Bijolia|बिजोलिया]] किसान नेता [[Vijay Singh Pathik|विजय सिंह पथिक]], [[ठाकुर देशराज]], [[Chaudhari Ratan Singh|चौधरी रतन सिंह]], [[Har Lal Singh|सरदार हरलाल सिंह]] आदि थे. छोटी सी ढाणी में पूरा शेखावाटी अंचल समा गया. सभी वक्ताओं ने सीकर रावराजा और छोटे ठिकानेदारों द्वारा फैलाये जा रहे आतंक की आलोचना की. एक प्रस्ताव पारित किया गया कि दो सौ किसान जत्थे में जयपुर पैदल यात्रा करेंगे और जयपुर दरबार को ज्ञापन पेश करेंगे. तदानुसार जयपुर कौंसिल के प्रेसिडेंट सर जॉन बीचम को किसानों ने ज्ञापन पेश किया. ([[Rajendra Singh Kaswan|राजेन्द्र कसवा]]:  p. 123)
पीड़ित किसानों ने [[Badhala Ki Dhani|बधाला की ढाणी]] में विशाल आमसभा आयोजित की, जिसमें हजारों व्यक्ति सम्मिलित हुए. इनमें [[Ghasi Ram Chaudhari|चौधरी घासीराम]], [[Pandit Tadakeshwar Sharma|पंडित ताड़केश्वर शर्मा]], [[Khyali Ram Janu|ख्यालीराम भामरवासी]], [[Netram Singh Gaurir|नेतराम सिंह]], [[Tarachand Jharoda|ताराचंद झारोड़ा]], [[Indraj Singh Ghardana|इन्द्राजसिंह  घरडाना]], [[Hari Singh Burdak|हरीसिंह पलथाना]], [[Panne Singh Batar|पन्ने सिंह बाटड]], [[Ladu Ram Bijarnia|लादूराम बिजारनिया]], व्यंगटेश  पारिक, [[Ruda Ram Palri|रूड़ा राम]] [[Palri|पालडी]] सहित शेखावाटी के सभी जाने-माने कार्यकर्ता आये. मंच पर [[Bijolia|बिजोलिया]] किसान नेता [[Vijay Singh Pathik|विजय सिंह पथिक]], [[ठाकुर देशराज]], [[Chaudhari Ratan Singh|चौधरी रतन सिंह]], [[Har Lal Singh|सरदार हरलाल सिंह]] आदि थे. छोटी सी ढाणी में पूरा शेखावाटी अंचल समा गया. सभी वक्ताओं ने सीकर रावराजा और छोटे ठिकानेदारों द्वारा फैलाये जा रहे आतंक की आलोचना की. एक प्रस्ताव पारित किया गया कि दो सौ किसान जत्थे में जयपुर पैदल यात्रा करेंगे और जयपुर दरबार को ज्ञापन पेश करेंगे. तदानुसार जयपुर कौंसिल के प्रेसिडेंट सर जॉन बीचम को किसानों ने ज्ञापन पेश किया. ([[Rajendra Singh Kaswan|राजेन्द्र कसवा]]:  p. 123)
'''6 जनवरी 1940''' को जयपुर सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध की आड़ में शांति और व्यवस्था के नाम पर 'डिफेन्स ऑफ़ इंडिया एक्ट' के अंतर्गत [[शेखावाटी जाट किसान पंचायत]] के प्रमुख कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया. [[Tarachand Jharoda|ताराचंद झारोड़ा]] को जेल भेजा गया जहाँ इनको अनेक यातनाएं दी. इनके अलावा [[Indraj Singh Ghardana|चौधरी इन्द्राज]] व [[Ladu Ram Raipur|चौधरी लादू राम रायपुर]] को भी गिरफ्तार कर सजाएँ दी. पंडित ताड़केश्वर शर्मा, [[नेत राम सिंह]] तथा [[चौधरी घासी राम]] के खिलाफ '''गैर जमानती वारंट जारी''' कर दिए. (डॉ पेमा राम प. 180)
== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==



Latest revision as of 12:28, 7 February 2012

Indraj Singh , from village Ghardana Kalan (Jhunjhunu), was a Freedom fighter and hero of Shekhawati farmers movement. He was born in year ..... at village Ghardana Kalan in Buhana tahsil of district Jhunjhunu in Rajasthan.

जीवन परिचय

भिवानी जाने वाले शेखावाटी के जत्थे - शेखावाटी में किसान आन्दोलन और जनजागरण के बीज गांधीजी ने सन 1921 में बोये. सन् 1921 में गांधीजी का आगमन भिवानी हुआ. इसका समाचार सेठ देवीबक्स सर्राफ को आ चुका था. सेठ देवीबक्स सर्राफ शेखावाटी जनजागरण के अग्रदूत थे. आप शेखावाटी के वैश्यों में प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने ठिकानेदारों के विरुद्ध आवाज उठाई. देवीबक्स सर्राफ ने शेखावाटी के अग्रणी किसान नेताओं को भिवानी जाने के लिए तैयार किया. भिवानी जाने वाले शेखावाटी के जत्थे में आप भी प्रमुख व्यक्ति थे. [1]

सन 1925 में पुष्कर सम्मलेन के पश्चात् शेखावाटी में दूसरी पंक्ति के जो नेता उभर कर आये, उनमें आपका प्रमुख नाम हैं [2]

मास्टर चंद्रभानसिंह गिरफ्तार :बधाला की ढाणी में विशाल आमसभा

मास्टर चंद्रभानसिंह गिरफ्तार - ठिकानेदार और रावराजा ने जाट प्रजापति महायज्ञ सीकर सन 1934 के नाम पर जो एकता देखी, इससे वे अपमानित महसूस करने लगे और प्रतिशोध की आग में जलने लगे. जागीरदार किसान के नाम से ही चिढ़ने लगे. एक दिन किसान पंचायत के मंत्री देवी सिंह बोचल्या और उपमंत्री गोरु सिंह को गिरफ्तार कर कारिंदों ने अपमानित किया. लेकिन दोनों ने धैर्य का परिचय दिया. मास्टर चंद्रभान उन दिनों सीकर के निकट स्थित गाँव पलथाना में पढ़ा रहे थे. स्कूल के नाम से ठिकानेदारों को चिड़ होती थी. यह स्कूल हरीसिंह बुरड़क जन सहयोग से चला रहे थे. बिना अनुमति के स्कूल चलाने का अभियोग लगाकर रावराजा की पुलिस और कर्मचारी हथियारबंद होकर पलथाना गाँव में जा धमके. मास्टर चंद्रभान को विद्रोह भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया और हथकड़ी लगाकर ले गये. [3]

किसान नेता घरों में पहुँच कर शांति से साँस भी नहीं ले पाए थे कि सीकर खबर मिली कि मास्टर चंद्रभान सिंह को 24 घंटे के भीतर सीकर इलाका छोड़ने का आदेश दिया है और जब वह इस अवधि में नहीं गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. ठिकाने वाले यज्ञ में भाग लेने वाले लोगों को भांति-भांति से तंग करने लगे. मास्टर चंद्रभान सिंह यज्ञ कमेटी के सेक्रेटरी थे और पलथाना में अध्यापक थे. सीकर ठिकाने के किसानों के लिए यह चुनौती थी. मास्टर चंद्रभानसिंह को 10 फ़रवरी 1934 को गिरफ्तार करने के बाद उन पर 177 जे.पी.सी. के अधीन मुक़दमा शुरू कर दिया था. [4]

यह चर्चा जोरों से फ़ैल गयी की मास्टर चन्द्रभान को जयपुर दरबार के इशारे पर गिरफ्तार किया गया है. तत्पश्चात ठिकानेदारों ने किसानों को बेदखल करने, नई लाग-बाग़ लगाने एवं बढ़ा हुआ लगान लेने का अभियान छेड़ा. (राजेन्द्र कसवा: p. 122-23)

पीड़ित किसानों ने बधाला की ढाणी में विशाल आमसभा आयोजित की, जिसमें हजारों व्यक्ति सम्मिलित हुए. इनमें चौधरी घासीराम, पंडित ताड़केश्वर शर्मा, ख्यालीराम भामरवासी, नेतराम सिंह, ताराचंद झारोड़ा, इन्द्राजसिंह घरडाना, हरीसिंह पलथाना, पन्ने सिंह बाटड, लादूराम बिजारनिया, व्यंगटेश पारिक, रूड़ा राम पालडी सहित शेखावाटी के सभी जाने-माने कार्यकर्ता आये. मंच पर बिजोलिया किसान नेता विजय सिंह पथिक, ठाकुर देशराज, चौधरी रतन सिंह, सरदार हरलाल सिंह आदि थे. छोटी सी ढाणी में पूरा शेखावाटी अंचल समा गया. सभी वक्ताओं ने सीकर रावराजा और छोटे ठिकानेदारों द्वारा फैलाये जा रहे आतंक की आलोचना की. एक प्रस्ताव पारित किया गया कि दो सौ किसान जत्थे में जयपुर पैदल यात्रा करेंगे और जयपुर दरबार को ज्ञापन पेश करेंगे. तदानुसार जयपुर कौंसिल के प्रेसिडेंट सर जॉन बीचम को किसानों ने ज्ञापन पेश किया. (राजेन्द्र कसवा: p. 123)

6 जनवरी 1940 को जयपुर सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध की आड़ में शांति और व्यवस्था के नाम पर 'डिफेन्स ऑफ़ इंडिया एक्ट' के अंतर्गत शेखावाटी जाट किसान पंचायत के प्रमुख कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया. ताराचंद झारोड़ा को जेल भेजा गया जहाँ इनको अनेक यातनाएं दी. इनके अलावा चौधरी इन्द्राजचौधरी लादू राम रायपुर को भी गिरफ्तार कर सजाएँ दी. पंडित ताड़केश्वर शर्मा, नेत राम सिंह तथा चौधरी घासी राम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए. (डॉ पेमा राम प. 180)

सन्दर्भ

  1. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 70
  2. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 100
  3. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 122
  4. डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.91

Back to The Freedom Fighters