Khema Baba: Difference between revisions

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आईदान राम [[Bhambhu|भाम्भू]], [[Baytu Bhimji|बायतू भीमजी]],
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*बालाराम [[Saran|सारण]], [[Chhitar Ka Par|छीतर का पार]], बाड़मेर
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*रणवीरसिंह [[Godara|गोदारा]], [[Bhaniyana|भणियाणा]], जैसलमेर
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*अणदाराम [[Isram|ईसराम]], [[Bhiyan|भियाण]], जैसलमेर,
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Revision as of 09:48, 11 July 2010

Khema Baba (खेमा बाबा), Jakhar Gotra Jat, was a social reformer born in village Vayatu in Barmer district of Marwar region in Rajasthan. He was a revered person in Rajasthan as well as in Gujarat. There is a temple in village Vayatu to commemorate him. Fairs are organized every year on magha sudi 9 and bhadrapada sudi 9, in which thousands of people take part.[1]

खेमा बाबा का मंदिर

बाड़मेर जिले के बायतु कसबे में स्थित सिद्ध खेमा बाबा के मंदिर में माघ माह के शुक्ल पक्ष में नवमी को मेला भरता है. इसी तरह भादवा माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को भी मेला लगता है. इन मेलों में ग्रामीणों का अपार सैलाब उमड़ पड़ता है. खेमा बाबा के बारे में कहा जाता है कि उनको गोगाजी का वरदान प्राप्त है, जिससे खेमा बाबा की श्रद्धा से सांप तथा बिच्छू का काटा ठीक हो जाता है. निकट ही गोगाजी का मंदिर है जो स्वयं खेमा बाबा के इष्ट देवता माने जाते हैं. इसी दिन इस मंदिर पर भी जातरुओं का जमघट लगा रहता है. खेमा बाबा साँपों के सिद्ध देवता माने जाते हैं.

किंवदंतियों के अनुसार बायतु भोपजी निवासी खेमा राम जाखड़ पहले चोरियां करते थे. एक बार कुछ गाएँ सिणधरी की सरहद गोहिना पहाड़ की गुफा में चली गई . खेमा राम भी उनके पीछे चल रहे थे. भीतर जाकर एक महात्मा को तपस्या करते देखा तो वे महात्मा के चरणों में गिर पड़े तथा कहते हैं तब से उनका हृदय परिवर्तन हो गया. खेमा राम ने कहा की मैं अपराधिक प्रवृति छोड़ना चाहता हूँ , तब महात्मा ने उन्हें वचन दिया कि आज से सांप काटे व्यक्ति को अपने नाम की सफ़ेद कपडे की तांती बांध दोगे तो वह ठीक हो जायेगा.

तब खेमा राम वहां से लौटे और बायतु आकर एक जगह तप करने लगे. कहते हैं कि एक बार सांप के काटने से मरे एक बच्चे को जीवित कर दिया. कई वर्ष की भक्ति करने के बाद खेमा बाबा देवलोक हो गए. वर्तमान में उनकी समाधी पर भव्य मंदिर बना है जहाँ प्रतिवर्ष दो बार मेला भरता है. इस परिसर में पश्चिम की और भव्य मंदिर स्थित है. मंदिर के एक कमरे में बाबा की समाधी पर अब उनकी प्रतिमाएँ हैं, जहाँ स्वयं खेमा बाबा उनकी पत्नी वीरा देवी के तथा नाग देवता की प्रतिमाएँ हैं. यहाँ एक विशाल धर्मशाला भी है जहाँ भक्त लोग ठहरते हैं. मंदिर के परिसर में ही नीम के एक पेड़ पर सफ़ेद कपडे की तान्तियाँ लगी हुई हैं. यहाँ आने वाले अधिकांश ग्रामीण इस पेड़ पर तांती अवश्य बांधते हैं. इससे उनकी मन्नत पूरी होती है.

बायतु के मंदिर के अलावा भी बाड़मेर में खेमा बाबा के दर्जनों मंदिर हैं. बायतु के मुख्य मन्दिर पर लगने वाले मेलों में २ लाख तक ग्रामीण पधारते हैं. मेले में बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर से अधिकांश लोग आते हैं परन्तु सीकर, चुरू, झुंझुनू, बीकानेर तथा गुजरात से भी लोग आने लगे हैं. इस दिन लोक भजनों में उनके भक्त कहते हैं -

खेमा बाबा थारो मेलो लागे भारी, रे बाबा मेलो लागे भारी
खेमा बाबा हैलो हाम्बलो मारो, रे बाबा हैलो हाम्बलो मारो

खेमा बाबा मेला कल

भास्कर न्यूज, 22 जनवरी 2010[2]

बायतु & तहसील मुख्यालय पर स्थित खेमा बाबा की समाधि पर मेला 23 जनवरी को आयोजित होगा। इस मेले में जिले भर से हजारों श्रद्धालु धोक लगाएंगे। लोक देवता खेमा बाबा के मेले का आगाज शनिवार को होगा। मेले की तैयारियां को अंतिम रुप दे दिया गया। मेला स्थल पर स्टाले लगाई जा रही है। यहां पानी, बिजली, चिकित्सा के माकूल प्रबंध किए गए है। मेले के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित होंगे।

खेमा बाबा क्रिकेट प्रतियोगिता का समापन

भास्कर न्यूज, मंगलवार,11 मई, २०१० [3]

बायतु & खेमा बाबा क्रिकेट प्रतियोगिता का फाइनल मैच माधासर व आरडीएक्स बाड़मेर के बीच खेला गया। इसमें माधासर ने एक रन से जीत दर्ज की। मैच समापन के साथ ही समापन समारोह रखा गया। खेमा बाबा क्रिकेट प्रतियोगिता के समापन समारोह में विजेता टीम को ट्राफी व 6 हजार 100 रुपए मुख्य अतिथि भामाशाह महेन्द्र चौपड़ा की ओर से प्रदान किए गए। प्रतियोगिता के आयोजक आसूराम बैरड़ ने खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ाने के लिए प्रतयेक वर्ष ट्रॉफी देने की घोषणा की। समापन समारोह को भागीरथ जैन, चंपालाल सोनी, पेमाराम जाखड़, कुंभाराम बैरड़, मंगलाराम बैरड़, हीराराम बैरड़, पदमाराम भाखर ने संबोधित किया। मंच का संचालन जालमसिंह ने किया। प्रतियोगिता का प्रतिवेदन मालाराम सऊ ने प्रस्तुत किया।

खेमा बाबा मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह

राजस्थान पत्रिका, 24 मई 2010 [4]

मोहनगढ़ । गांव से करीब 45 किमी दूर नहरी क्षेत्र में 95 आरडी एसएलडी पर खेमा बाबा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन रविवार 24 मई 2010 को किया गया। जिसमें बाड़मेर, जैसलमेर के अतिथि, साधु संतों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। नहरी क्षेत्र की एसएलडी की 95 आरडी पर खेमा बाबा मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर शनिवार को जल-यात्रा व जागरण का आयोजन किया गया।

रविवार सुबह मूर्ति स्थापना एवं महाप्रसादी का वितरण किया गया। समिति के सदस्यों ने बताया कि यज्ञ एवं हवन के समय ऊंकार भारती महाराज परेउ मठ, मोटनाथ महाराज लीलसर, सूरजनाथ महाराज पांचला, निरंजन भारती महाराज, थानापति जूना अखाड़ा, भेरूभारती महाराज बायतू मठ, मगनपुरी भीयाड़ उपस्थित थे।

मंदिर में कलश के लिए 11 लाख 51 हजार रूपए की बोली लगी। मंदिर को कुल 40 लाख रूपए की राशि प्राप्त हुई। रविवार को मूर्ति स्थापना एवं महाप्रसादी के समय राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी , सांसद हरीश चौधरी, जिला प्रमुख अब्दुला फकीर, पूर्व विधायक तगाराम चौधरी सहित अन्य लोग भी पहुंचे।

जाट समाज पत्रिका[5] आगरा के अनुसार ओमकार भारती - श्री मोरनाथ महाराज के सानिध्य में संपन्न यह समारोह 19 मई को गणपति पूजन के साथ शुरू हुआ. मुख्य मंदिर बायतु से शोभा यात्रा गाड़ियों के काफिले के साथ अस.अल.ड़ी. मंदिर में प्रवेश किया. 21 मई को यज्ञ हवन और 22 मई को जल-यात्रा जागरण का आयोजन हुआ. 23 मई 2010 को मूर्ती स्थापना एवं महाप्रसादी कार्यक्रम हुआ. इस धार्मिक समारोह में जैसलमेर-बाड़मेर जिलों से भरी संख्या में श्रद्धालू पधारे.

इस धार्मिक समारोह के विशिष्ट अतिथि के तौर पर जैसलमेर के जिला प्रमुख अब्दुल फ़कीर थे. इनके अलावा पूर्व विधायक तागा राम बायतू, पूर्व विधायक गोरधन काला, मुख्य अभियंता बलदेव चौधरी जैसलमेर, प्रधान मूलाराम पाबड़ा जैसलमेर, प्रधान सिमरथाराम बायतू, बी.सी.सी.बी. अध्यक्ष श्रीमती डौलीदेवी गोदारा जैसलमेर,बी.सी.सी.बी. अध्यक्ष डूंगरराम काकड़, भूमि विकास बैंक पूर्व अध्यक्ष डॉ रामजी राम ने समारोह की शोभा बढाई. इस अवसर पर उदारता पूर्वक दान दाताओं में थे:

सन्दर्भ


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