Kashyap

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Kashyap (कश्यप) Kashyapa (काश्यप)[1] Kashyip (काश्यिप)[2] gotra Jats are found in Uttar Pradesh and Madhya Pradesh. Dilip Singh Ahlawat has mentioned it as one of the ruling Jat clans in Central Asia.[3]

Orgin

They are descendants of rishi Kashyapa (काश्यप).[4]

History

काश्यप लोग

ठाकुर देशराज[5] ने लिखा है.... काश्यप - शिवि लोगों के वर्णन में मिस्टर क्रूक साहब के हवाले से यह बात हम बता चुके हैं कि जाटों में एक बड़ा समूह काश्यप लोगों का भी है। सूर्यवंश की प्रसिद्धि इन्हीं काश्यप से बताई जाती है। काशी के काश्य भी काश्यप हैं जो कि जाटों के अंदर काफी काशीवात कहलाते हैं। मगध के लिच्छवि शाक्य और ज्ञातृ भी काश्यप ही थे। इनके अलावा सैकड़ों काश्यिप गोत्री खानदान जाटों में मौजूद हैं। पुराणों में तो कैस्पियन सागर को कश्यप ऋषि का आश्रम बताया है। कुछ लोग श्रीनगर से 3 मील दूर हरी पर्वत पर कश्यप ऋषि का आश्रम मानते हैं।

कश्यप/काश्यप जाटवंश

कश्यप/ काश्यप - ब्रह्मा के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ था। कश्यप ऋषि से ही सूर्यवंश की प्रसिद्धि बताई जाती है। इनके नाम पर कश्यप या काश्यप जाटवंश प्रचलित हुआ। पुराणों ने तो कैस्पियन सागर को कश्यप ऋषि का आश्रम बताया है। कुछ इतिहासकारों ने श्रीनगर से तीन मील दूर हरिपर्वत पर कश्यप ऋषि का आश्रम लिखा है।

“ट्राईब्स एण्ड कास्ट्स ऑफ दी नार्थ वेस्टर्न प्राविन्सेज एण्ड अवध”नामक पुस्तक में मिस्टर डब्ल्यू कुर्क साहब लिखते हैं कि दक्षिण पूर्वी प्रान्तों के जाट अपने को दो भागों में विभक्त करते हैं - शिवि गोत्री या शिवि के वंशज और कश्यप गोत्री।

मगध के लिच्छवी, शाक्य और ज्ञातृ भी काश्यप ही थे। इनके अतिरिक्त सैंकड़ों काश्यप गोत्री खानदान जाटों में विद्यमान हैं। काशी के काश्य भी काश्यप हैं जो कि जाटों के अन्दर काशीवत कहलाते हैं।[6]

कैस्पियन सागर पर कश्यप शासन

कश्यप वंश - इस वंश के जाटों का शासन प्राचीनकाल में कैस्पियन सागर पर था जिसका नाम इनके नाम पर कैस्पियन पड़ा।[7]

Distribution in Uttar Pradesh

Villages in Moradabad District

Ramnagar Urf Rampura,

Distribution in Madhya Pradesh

Bhopal,

Distribution in Haryana

Sonipat

Notable persons

Raja Rao Nain Singh - ये कश्यप गोत्री जाट थे, राव इनकी उपाधि थी. इनका छोटा-सा व आखिरी राज 12 वीं सदी में ब्यावर राजस्थान में लहरी ग्राम में था. जो आज रैबारी जाती का गाँव है. ये चौधरी संग्राम सिंह, जिनके नाम से सांगवान गोत्र का प्रचलन हुआ, के पिता थे. पहले इन कश्यप गोत्री जाटों का बड़ा पंचायती राज सारसू जांगल (राजस्थान) में था. रावसांघा इन जाटों की उपाधि थी. 14 वीं सदी में ये चरखी दादरी हरयाना में आये.[8]

References


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