Hanselia
Hanselia (हंसेलिया) Hanseliya (हंसेलिया) Haselia (हसेलिया)[1] Haseliya (हसेलिया) is gotra of Jats in Madhya Pradesh.
Origin
This gotra originated from place named Hansela (हंसेला).[2] Hansela is village in Kiraoli tahsil in Agra district in Uttar Pradesh.
History
Bhitarwar (भितरवार) is a tahsil, village and site of Jat Fort in Gwalior District in Madhya Pradesh. It was constructed by Jat King Laxman of Hanselia Gotra.
किरोरा स्टेट
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है .... [पृ.565]: पंजाब से नीचे के देशों की ओर आने वाले शिवी वंशी जाटों का एक समूह बृज की पवित्र भूमि में आकर आबाद हुआ और किरार लोगों से उन्होंने हंसेला को छीन कर अपना आधिपत्य कायम किया।
एक समय आया कि यह हंसेलियां वीर मध्य भारत में फैला। विदिशा निषिध देश के प्रभावशाली राज्य वंश खत्म हो चुके थे। अतः गोपगिरि के दक्षिण में इन लोगों ने अपना एक छोटा सा राज्य कायम कर लिया।
इनकी अनेकों पीढ़ियां शांति के साथ इस देश की जनता की रक्षा करते हुए अपनी कीर्ति को बढ़ा रही थी कि मराठे लोग प्रभाव में आए और महादजी सिंधिया की
[पृ.566]: अधीनता भी स्वीकार करनी पड़ी। सिंधिया के साथ जो संधि इस खानदान की हुई वह सम्मानपूर्ण थी।
इनकी दूसरी संधि जो ग्वालियर राज्य के कागजात में दर्द है, महाराजा दौलतराव सिंधिया से हुई। दौलतराव ने इनकी ताकत और समृद्धि को काफी करके संधि की।
उस समय के इस खानदान के सरदार अमानसिंह के पास किरोर और किटोरा आदि 10-12 गाँव ही रहने दिए गए थे और इसके एवज में 10 सवारों की सहायता सिंधिया सरकार के उपयोग के लिए इनके जिम्मे में रही।
राजा अमानसिंह जी के तीन बेटे हुए: रणधीरसिंह, मंगलसिंह और चतुरसिंह। उन्होंने आपस में रियासत को बांट लिया। राजा रणधीरसिंह जी ने अपनी बुद्धिमानी से उस लाग को भी खत्म करना करा लिया जो उनके जिम्मे 10 सवारों की थी।
रणधीरसिंह जी एक प्रभावशाली और तेजस्वी सरकार थे उनके पीछे अपरबलसिंह जी हुए जिनके पुत्र भगवंतसिंह जी भी काफी लोकप्रिय रईस हुए हैं। उनके पुत्र गंभीरसिंह जी और पौत्र केसरीसिंह जी हुए।
रणधीरसिंह जी के दूसरे दोनों भाई निसंतान स्वर्गवासी हुए इसलिए यह एस्टेट फिर संगठित हो गई। राजा केसरीसिंह के 2 पुत्र श्री विचित्रसिंह जी और रामसिंह जी हुए।
राजा विचित्रसिंह जी का जन्म संवत 1970 विक्रमी (1913 ई. ) का है। आपने सिंधिया स्कूल ग्वालियर से शिक्षा प्राप्त की है। आप एक सुयोग्य और जिंदादिल रईस हैं। आप इलाके में अत्यंत लोकप्रिय हैं। शिकार के चतुर खिलाड़ी हैं।
[पृ.567]: जनता आपको स्नेह करती है और आपकी उदारता काफी मशहूर है। ग्वालियर राज्य जाटसभा के महारथियों में आपका स्थान है। तमाम जाति में आपके लिए प्रेम है।
Distribution in Madhya Pradesh
Hanselia (हंसेलिया) gotra Jats are found in Madhya Pradesh.
Villages in Bhopal district
Bhopal, Kolar Bhopal, Sonkatch Bhopal,
Villages in Ujjain district
Villages in Shajapur district
Akodia Mandi, Shujalpur Mandi,
Villages in Dhar district
Villages in Datia district
Ahroni, Indergarh Datia, Khadaua, Loch Datia, Malaua,
Villages in Gwalior district
Ainti, Bandholi, Bhageh, Gijaurra, Nibi, Patha Panihar, Shuklhori, Sirsa Gwalior, Sisgaon, Sukha Patha,
Villages in Bhind district
Hanseliapura (Gohad, Bhind District)
Distribution in Bihar
Villages in Aurangabad Bihar district
Notable persons
- ठाकुर विजयसिंह जी - [पृ.574]: ग्वालियर राज्य की भांडेर तहसील में मलऊआ नाम का एक गांव है। उसी में आज से लगभग 40 साल पहले आपका जन्म हुआ। आप का गोत्र हंसेलिया है। ठाकुर नन्हेसिंह जी के सुपुत्र हैं। पिछले कई पीढ़ी से आप बड़े रहीस हैं। धन और जमीन आपके पास काफी है। आपके पुत्र शुघर सिंह हैं जगजीतसिंह गोविंदसिंह हैं। आप का खानदान भरा पूरा है।[4]
- ठाकुर लक्ष्मणसिंह - [पृ.576]: पिछोर में ऐंती गांव में हंसेलिय गोत्र के ठाकुर लक्ष्मणसिंह जी एक प्रसिद्ध जाट सरदार हैं। जो कौम के कामों में लगने रखते हैं। आप अभी एक नौजवान आदमी हैं। [5]
- ठाकुर चिमनसिंह – [पृ.576]: ग्वालियर जिले के परगना पिछोर में सुख्ल्यारी गांव में ठाकुर जवानसिंह जी के लड़के चिमनसिंह जी हैं। आप का हंसेलिया गोत्र है। इसी गोत्र के यहीं पर दूसरे ठाकुर मेवासिंह जी हैं।[6]
- श्रीमती संतोष कुमारी ठाकुर (हंसेलिया) सेवानिवृत्त पुलिस निरीक्षक (एम), कोलार भोपाल, Mob.9111555323, w/o श्री संतोष ठाकुर (खैनवार ), कोलार भोपाल, सेवानिवृत्त अवर सचिव ,मध्यप्रदेश शासन, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, मध्यप्रदेश जाट महासभा, पूर्व अध्यक्ष, जाट सभा भोपाल , पूर्व अध्यक्ष, संत तेजाजी गृह निर्माण सहकारी समिति, ग्रुप संचालक, जाट वैवाहिक रिश्ते (अखिल भारतीय जाट महासभा) Mob. 9826546968
External links
References
- ↑ Ompal Singh Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.63,s.n. 2554
- ↑ Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas, p. 285
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.565-567
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.574
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.576
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.576
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