Balu Ram Bochalya

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Balu Ram Bochalya (right), Kanwarpura Sikar
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Balu Ram Bochalya (चौधरी बालूराम बोचल्या) from village Kanwarpura Sikar (Sikar, Rajasthan) was a leading Freedom Fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....चौधरी बालूराम जी बोचल्या - [पृ.475]: आपका जन्म कुंवरपुरा गांव में चौधरी रतनाराम जी के घर में हुआ है। आप अच्छे धनी घराने में पैदा हुए थे। जब से आपने होश संभाला है तबसे ही आप अच्छे कार्य करने में लगे रहते हैं। आप खंडेलावाटी जाट पंचायत के सर्व प्रथम सभापति बने थे। आपने खंडेलावाटी में नुक्ता बंद करने की


[पृ.476]: आवाज सबसे पहले उठाई थी। खंडेलावाटी में लाग-बाग बेगार उठाने के लिए आपने अपने गांव में संवत 1986 (1929 ई.) में आंदोलन शुरु किया था। इसी सिलसिले में आप जब खंडेला के राजाजी पाना से मिलने गए थे तो आपको राजा जी ने अपने गढ़ में रोक लिया। आपको अपनी इच्छा के मुआफिक भोजन न मिलने पर आप बीमार हो गए थे। आप को गढ से छुड़ाने के लिए जयपुर सरकार के पास तार और दरख्वास्तें भी काफी दी गई थी। फलस्वरूप आपको ठिकाने का कामदार कुंवरपुरा लाकर छोड़ गया।

आप अपनी आन के भी पक्के पक्के थे। जिस बात को आप एक दफा पकड़ लेते थे उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। आप मुकदमेबाज भी पूरे थे। आपने एक मुकदमा बाबत लेन देन के खंडेला राजा जी पाना कला से किया था। उसमें आपका पैसा तो बहुत खर्च हुआ था परंतु आपने जीतकर ही घर पर विश्राम किया। आपके दो लड़के हैं। बड़ा लड़का लालूराम छोटा गोपीराम। यह दोनों भाई अलग-अलग हैं और खेती का काम करते हैं। आप का स्वर्गवास सन 1940 असौज सुदी में हुआ।

जीवन परिचय

सन 1925 में पुष्कर सम्मलेन के पश्चात् शेखावाटी में दूसरी पंक्ति के जो नेता उभर कर आये, उनमें आपका प्रमुख नाम हैं [2]

खंडेलावाटी जाट पंचायत

ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है .... चौधरी बालूरामजी बोचल्या - [पृ.457]: तारीख 10 मार्च 1930 को चौधरी देवासिंह जी बोचल्या ने अपने कई जाट साथियों के साथ राजस्थान प्रतिनिधि आर्य सभा के उपदेशक पंडित नेतराम जी से यज्ञोपवीत संस्कार करा के इस इलाके के सनातनी ब्राह्मणों में एक हलचल मचा दी। इस संस्कार के समय पचासों गांवों के जाट सरदार इकट्ठे हुए। इसी अवसर पर खंडेलावाटी जाट पंचायत को जन्म दिया गया। कुछ ही दिनों में तमाम खंडेलावाटी में इस पंचायत के मेंबर बन गए। आरंभिक सभापति इस पंचायत के चौधरी बालूराम जी बोचल्या और मंत्री चौधरी देवासिंह जी बोचल्या थे।

जाट जागृति में योगदान

ठाकुर देशराज[4] ने लिखा है....खंडेलावाटी इलाके को जगाने के लिए.... जुलाई सन् 1931 में बधाला की ढाणी में जोकि पलसाना से 2 मील के फासले पर अवस्थित है। एक विद्यालय खोला गया जिसके प्रथम अध्यापक पंडित ताड़केश्वर जी शर्मा बनाए गए। उनके विद्यालय में मास्टर लालसिंह और बलवंतसिंह जी मेरठ वालों ने काम किया। इस विद्यालय की स्थापना के कुछ दिन बाद ठाकुर देवी सिंह ने अभयपुरा में एक पाठशाला खोली। एक पाठशाला कुंवरपुरा में चौधरी छाजूराम और बालूराम जी की उदारता से खुली। आलोदा गांव में पंडित केदारनाथ जी ने अध्यापन आरंभ किया। खीचड़ों की ढाणी में पंडित हुकुम चंद जी (भरतपुर) बैठाए गए। जयरामपुरा, गोरधनपुरा, गोविंदपुरा और गढ़वालों की ढाणी में भी पाठशाला कायम हुई। इस प्रकार खंडेलावाटी में शिक्षा प्रसार का अच्छा दौर सन 1932-33 के बीच में आरंभ कर दिया गया। इनमें से कई पाठशालाओं के संचालन का भार चौधरी लादूराम जी गोरधनपुरा (रानीगंज) पर रहा।

कुंवरपुरा में जो जाट स्कूल

ठाकुर देशराज[5] ने लिखा है ....कुंवरपुरा में जो जाट स्कूल चौधरी लादूराम जी बिजारणिया ने खुलवाया उसे चलाने के लिए चौधरी परसराम बोचल्या ने भी यथाशक्ति आर्थिक सहायता की और जाट महासभा का डेपुटेशन कुंवरपुरा गांव में पहुंचा तो चौधरी परसराम बोचल्या और चौधरी बालूराम जी ने पूर्ण रूप से उसका स्वागत सत्कार किया। किसान पंचायत और उसकी हलचलों में भी आप बराबर हिस्सा लेते रहते हैं। कौम की तरक्की और अतिथि सेवा की ओर आपका बाबर ध्यान देता है। आपका स्वभाव निष्कपट और सरल है यही आप की विशेषता है।

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.475-476
  2. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 100
  3. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.457
  4. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.444
  5. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.460-461

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