Kanwarpura Bhadra

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Location of Bhadra in Hanumangarh district

Kanwarpura (कंवरपुरा) is a Village in Bhadra tahsil of Hanumangarh district in Rajasthan.

Location

Founder

Jat Gotras

History

Khemraj was eldest son of Raja Shiv Singh (959 AD) of Kot Malot (Malout) in Muktsar, Punjab. He is said to have given name to Khichar Clan of Jats.

Raja Shiv Singh (959 AD) of Kot Malot (Malout) lost his kingdom in 959 AD and came to Sidhmukh along with his 12 sons. Shiv Singh's sons gave name to 12 Jat Gotras as under:

1. KhemrajKhichar, who founded Kanwarpura Bhadra (Bhadra, Hanumangarh)
2. BarasiBabal, who founded Barasari (Jamal Sirsa)
3. ManajiManjhu, Sihol, Loonka
4. KarmajiKarir
5. KarnajiKularia
6. JaggujiJhaggal
7. DurjanjiDurajana
8. BhinwajiBhanwaria
9. NarayanjiNiradhana
10. MalajiMechu
11-12 Two sons → died young

खीचड़ों का इतिहास एवं वंशावली

खीचड़ों का इतिहास एवं वंशावली की जानकारी प्रबोध खीचड़, खीचड़ों की ढाणी, बछरारा, रतनगढ़, चुरू, राजस्थान द्वारा ई-मेल से उपलब्ध कराई है। (Mob: 9414079295, Email: prabodhkumar9594@gmail.com)

खीचड़ों का गोत्र-चारा:

कोट-मलौट के राजा: विक्रम संवत 1015 (959 ई.) में क्षत्रिय जाति के राजा शिवसिंह राज करते थे। इनकी राजधानी कोट-मलौट थी जो अब मुक्तसर पंजाब में है। सन् 959 ई. में यवनों ने इस राजधानी पर आक्रमण किया। यवनों की सेना बहुत विशाल थी परिणाम स्वरूप शिवसिंह को कोट-मलोट (मलौट पंजाब) छोडना पड़ा। राजा शिवसिंह अपने 12 पुत्रों के साथ आकर सिद्धमुख (चुरू) में रहने लगे। राजा शिवसिंह के सबसे बड़े पुत्र खेमराज थे। बड़वा के अनुसार इनके वंशजों से खीचड़ गोत्र बना। खेमराज के वंशजों ने सर्वप्रथम कंवरपुरा गाँव बसाया। (तहसील: भादरा, हनुमानगढ़)। राजा शिवसिंह के पुत्रों से निम्न 12 उपगोत्र निकले -

1. खेमराज की सन्तानें खीचड़ कहलाई जिन्होने कंवरपुरा गाँव बसाया (तहसील: भादरा, हनुमानगढ़)
2. बरासी की सन्तानें बाबल कहलाई जिन्होने बरासरी (जमाल) गाँव बसाया
3. मानाजी की सन्तानें मांझु, सिहोल और लूंका कहलाई
4. करमाजी की सन्तानें करीर कहलाई
5. करनाजी की सन्तानें कुलडिया कहलाई
6. जगगूजी की सन्तानें झग्गल कहलाई
7. दुर्जनजी की सन्तानें दुराजना कहलाई
8. भींवाजी की सन्तानें भंवरिया कहलाई
9. नारायणजी की सन्तानें निराधना कहलाई
10. मालाजी की सन्तानें मेचू कहलाई

शिवसिंह के 12 पुत्रों में से 2 की अकाल मृत्यु हो गई थी। शेष 10 में से उपरोक्त गोत्र बने। मानाजी की तीन शादियाँ हुई थी जिनकी सन्तानें मांझु, सिहोल और लूंका कहलाई। इस प्रकार 12 भाईयों से उपरोक्त 12 गोत्र बने।

इस प्रकार उपरोक्त 12 गोत्र एक ही नख जोहिया, एक ही वंश सूर्यवंशी, एक ही गुरु वशिष्ठ, कुलदेवी कोटवासन माता जो हिंगलाज (क्वेटा पाकिस्तान में है) व भैरव का नाम भीमलोचन है। यहाँ सती का ब्रह्मरंध्र गिरा था।

दक्षिण की और प्रस्थान - कोट मलौट छूटने के बाद सब बारह भाई सिधमुख आए। खेमराज जी की संतान खीचड़ कहलाई। खेमराज का बड़ा पुत्र कंवरसिंह था जिसके नाम से कंवरपुरा (भादरा) बसाया जो आज भी है। कंवरसिंह के दश-बारह पीढ़ियों के बाद इनको कंवरपुरा छोडना पड़ा। वहाँ 12 वर्ष तक अकाल पड़ा। ये दक्षिण की और चले गए। आगे का इतिहास खीचड़ गोत्र में पढ़ें।

References



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Population

Notable Persons

External Links

References


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