Gandhar

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Ancient Indian Kingdoms in 600 BC

Gandhar (गंधार) Gandhari (गंधारी)/Gandhar (गांधार)[1] Gandhari (गंधारी) Gandhar (गांधार)[2] Gandhare (गांधरे) Gandila (गंडीला)[3] Gadir (गडीर)[4] [5] Kandhar (कंधार) is gotra of Jats Uttar Pradesh, Madhya Pradesh and Rajasthan . Kandhar (कंधार), one of the phratries of the Rajputs in Karnal and like the Mandhar, Panihar, Sankarwal and Bargujar descended from Lao. Intermarriage between these tribes is forbidden on the ground of their common descent. [6]

Origin

This gotra originated from the place called Kandahar in Afghanistan. Kandahar became Gandhar and people were also known by name Gandhar. They are also called so being the descendants of Gandhari of Mahabharata. [7] They find mention in Mahabharata Shalya Parva shloka 26:

जयशब्थं ततश चक्रुर थेवाः सर्वे सवासवाः
गन्धर्वयक्षा रक्षांसि मुनयः पितरस तदा |26|
jayaśabdaṃ tataś cakrur devāḥ sarve savāsavāḥ
gandharvayakṣā rakṣāṃsi munayaḥ pitaras tathā |26|

Villages founded by Gandhar clan

Jat clans linked with Kushan

डॉ धर्मचंद विद्यालंकार [8] लिखते हैं कि कुषाणों का साम्राज्य मध्य-एशिया स्थित काश्गर-खोतान, चीनी, तुर्किस्तान (सिकियांग प्रान्त) से लेकर रूस में ताशकंद और समरकंद-बुखारा से लेकर भारत के कपिशा और काम्बोज से लेकर बैक्ट्रिया से पेशावर औए मद्र (स्यालकोट) से मथुरा और बनारस तक फैला हुआ था. उस समय मथुरा का कुषाण क्षत्रप हगमाश था. जिसके वंशज हगा या अग्रे जाट लोग, जो कि कभी चीन की हूगाँ नदी तट से चलकर इधर आये थे, आज तक मथुरा और हाथरस जिलों में आबाद हैं. आज भी हाथरस या महामाया नगर की सादाबाद तहसील में इनके 80 गाँव आबाद हैं. (पृ.19 )

कुषाणों अथवा युचियों से रक्त सम्बन्ध रखने वाले ब्रज के जाटों में आज तक हगा (अग्रे), चाहर, सिनसिनवार, कुंतल, गांधरे (गांधार) और सिकरवार जैसे गोत्र मौजूद हैं. मथुरा मेमोयर्स के लेखक कुक साहब ने लिखा है कि मथुरा जिले के कुछ जाटों ने अपना निकास गढ़-गजनी या रावलपिंडी से बताया है. कुषाण साम्राज्य के अधिकांश क्षेत्र में जाटों की सघन जन संख्या उनको कुषाण वंसज होना सिद्ध करती है.(पृ.20)

गांधार जाटवंश

दलीप सिंह अहलावत[9] के अनुसार महाभारत काल में गांधार जाटवंश की बड़ी आदरणीय स्थिति थी। धृतराष्ट्र की महारानी गान्धारी इसी वंश की थी। उस समय इस राज्य की राजधानी कन्दहार (कन्धार)


1. जाट्स दी ऐनशनट् रूलर्ज पुस्तक के पृ० 18 पर बी० एस० दहिया ने आभीरों को जाटवंश लिखा है (देखो जाट गोत्रावली)


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-292


थी। बौद्ध काल तथा सिकन्दर के आक्रमण समय इस जनपद की राजधानी तक्षशिला थी। पश्चिमी पंजाब और पूर्वी अफगानिस्तान इस राज्य में शामिल थे। रामायण काल में यह गन्धर्वदेश सिन्धु नदी के दोनों तटों पर बसा हुआ बड़ा सुन्दर प्रदेश था। गन्धर्वराज शैलूष की संतान व सैनिक जो युद्ध की कला में कुशल और अस्त्र-शस्त्रों से सम्पन्न थे, उस देश की रक्षा करते थे (वाल्मीकीय रामायण, उत्तरकाण्ड, सर्ग 100)। भरत जी ने अपने दोनों पुत्रों तक्ष एवं पुष्कल सहित बड़ी शक्तिशाली सेना लेकर उस गन्धर्व देश पर आक्रमण करके उसे जीत लिया। उस मनोहर गान्धारदेश में पुष्कलावती1 नगर बसाकर उसका राज्य पुष्कल को सौंप दिया। दूसरी तक्षशिला नाम की नगरी बसाकर वहां का राजा तक्ष को बना दिया। (वा० रा० उत्तरकाण्ड, सर्ग 101)।

तक्षशिला नगरी शिक्षा तथा व्यापार का केन्द्र थी। यहीं का राजा अम्भी था जिसने सिकन्दर को समर्थन दिया। यहां तक कि वर्तमान अटकनगर से कुछ ऊपर ओहिन्द नामक स्थान पर इसने नौकाओं का पुल बनाकर सिकन्दर की सेनाओं को नदी पार करने में सहायता की थी। वैसे इस वंश का शासन काबुल-कन्दहार (कन्धार) पर भी माना जाता है किन्तु बौद्धकाल में इस जनपद में रावलपिण्डी, पेशावर, कश्मीर आदि प्रदेश तथा हिन्दूकुश पर्वतमाला तक सुविस्तृत सीका प्रदेश का समस्त भूभाग सम्मिलित था। गौतम बुद्ध के समय मगध सम्राट् बिम्बसार के पास गान्धार जनपद के नरेश पुक्कसाती ने एक राजदूत दल भी भेजा था जिसका उद्देश्य पड़ौसी जनपदों से रक्षा हेतु मगध शक्ति का समर्थन प्राप्त करना था (जाटों का उत्कर्ष पृ० 384, लेखक कविराज योगेन्द्रपाल शास्त्री)।

गान्धार जाटवंश का विस्तार - इस गान्धार जाटवंश के 80 गांव आगरा के बिचपुरी फार्म के आस-पास हैं। वे गान्धारी कहलाते हैं।

सहारनपुर जिले में नारसन कलां नामक गांव इसी वंश का है। गान्धारी अपना परिचय गन्धेले के रूप में देते हैं। इन्हीं गान्धारियों में कुछ स्थानों के जाट-गन्धू, गन्धासिया या गण्डासिया भी कहलाने लगे हैं।

गन्धू जाट लुधियाना में हैं।

गन्धासिया जाटों का खेरली एक प्रसिद्ध गांव है जो कि बयाना तहसील में है।

इसके अतिरिक्त जघीना, सामरा गांव भरतपुर में हैं और

मलपुर आदि गांव जिला आगरा में हैं।

वैसे गण्ड नामक एक चन्देल राजा भी हुए जो भारतविख्यात खजुराहो मन्दिर के निर्माता राजा धंग के पुत्र थे। महमूद गजनवी के आक्रमण समय ये कलिंजर के शासक थे। किन्तु 640 हाथी, 36 हजार घुड़सवार, 115000 पैदल सेना की पूरी तैयारी होने पर भी भय के कारण ये रात में रण छोड़कर भाग निकले थे। इसलिए कुछ भाट लोग गण्डभगौर कहलाने की यह उक्त किम्वदन्ती भी वर्णन करते हैं जबकि वास्तविकता इनके गन्धू या गांधारी होने की ही है (जाटों का उत्कर्ष पृ० 384, लेखक कविराज योगेन्द्रपाल शास्त्री)।

Distribution in Uttar Pradesh

The Jats of Gandhar gotra are found in Raghunathpur district Badayun and in Aligarh district. [10]

Villages in Agra district

Bichpuri (बिचपुरी) , Jaupura (जउपुरा), Ladamda (लड़ामदा).[11]

Villages in Jyotibai Phule Nagar district

Nangla near Gajraula

Distribution in Madhya Pradesh

Gandhar gotra is found in Nimach city in Madhya Pradesh.

Distribution in Rajasthan

Villages in Bharatpur district

Moodiya Gandhar, Morda Bharatpur,

Distribution in Punjab

Villages in Nawanshahr district

Villages in Sangrur district

Notable persons

  • Col.R.K. Gandhar - Defence 43, Brahmputra Apptts, Sec 29, Noida UP, 0124-2538834 NCR (PP-247)

References


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