Jat Itihas (Utpatti Aur Gaurav Khand)
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पुस्तक: जाट इतिहास (उत्पत्ति और गौरव खंड), 1937, पृष्ठ:175
लेखक: ठाकुर देशराज, जघीना-भरतपुर, प्रकाशक: ठकुरानी त्रिवेणी देवी मित्र मण्डल प्रेस, राजामण्डी आगरा
- प्रस्तावना.... पृ.i-ix
- प्रथम परिच्छेद: संख्या, आबादी और जाट-स्थान की सीमा, कुछ राजपूत, बिलोच और अफगान भी पहले जाट थे।.... पृ.1-7
- द्वितीय परिच्छेद: जाट नस्ल से आर्य हैं। उनकी आदि जन्मभूमि भारत ही है।.... पृ.8-27
- तीसरा परिच्छेद:जाट वर्ण से क्षत्रिय हैं, और वे उन क्षत्रियों के वारिस हैं जो वेद, रामायण, महाभारत और बौद्ध काल में भारत में राज्य करते थे।....पृ.28-36
- चौथा परिछेद:जाट नाम कब कैसे (पुरातन क्षत्रियों का) पड़ा। गाथ, जेट्टा, श्यूची आदि नामों वाली जातियां क्या जाट ही थी?....पृ.37-89
- पंचम परिच्छेद:उन प्राचीन राजवंशो का वर्णन जो इस समय भी जाटों में पाए जाते हैं। ....पृ.90-112
- षष्ठम परिच्छेद:उन राज वंशों का वर्णन जिन्होंने राजपूतों से संघर्ष किया तथा जो राजपूतों में भी पाए जाते हैं। ....पृ.113-127
- सातवाँ परिच्छेद:सिनसिनवाल, भाटी, सिंधु और राणा वंशों का जिक्र। ....पृ.128-133
- आठवां परिच्छेद:जाटों की हुकूमतों की तर्ज के कुछ हालात। ....पृ.134-145
- नवम परिच्छेद:उन जाट खानदानों के हालात जिन्होंने दूसरे देशों में जाकर राज्य कायम किए। ....पृ.147-156
- परिशिष्ट 1-4:जाटों की कुछ विशेषताएं; जाट महापुरुषों की जीवन चर्चा; पताका गान। ....पृ.157-175