Banthod

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Location of Banthod is in west of Harsawa in Sikar district

Banthod (बांठोद) or Bathod (बाठोद) is a medium-size village in Fatehpur tehsil of Sikar district in Rajasthan.

Location

Harsawa is in its east and Narsara in the west.

History

Population

As per Census-2011 statistics, Bathod village has the total population of 1510 (of which 810 are males while 700 are females).[1]

The Founders

The village was founded by Bhadia Jats about 650 years back.

Jat Gotras

The Jat Gotras in the village with number of families are

Other castes

Other castes living in the village are Rajput (0), Kaimkhani (1), Balai (20), Brahman (5) and Swami (7).

झुंझा नेहरा की वंशावली

फतेहपुर के समीप हरसावा गाँव में नेहरा गोत्र के लोग काफी संख्या में हैं. लेखक (लक्ष्मण बुरडक) की हरसावा में स्वर्गीय हरदेव सिंह नेहरा की पुत्री गोमती से सन 1970 में शादी हुई. दिनांक 19.07.2015 को लेखक के हरसावा प्रवास के दौरान हरसावा निवासी श्री सुलतान खां मिरासी (Mob: 9929263766) से मुलाक़ात हुई. श्री सुलतान खां मिरासी का परिवार प्रारंभ से नेहरा लोगों के साथ रहा है. श्री सुलतान खां मिरासी ने हरसावा के नेहरा गोत्र की वंशावली जबानी इस प्रकार बताई.

नरहड़ के राजा नरपाल नेहरा थे और उसके भाई हरपाल थे. हरपाल का क्षेत्र काटली नदी के उस पार था. हरपाल के पुत्र झुंझा (1664 – 1730) ने झुञ्झुणु बसाया. किन्हीं कारणों से हरपाल का नरपाल से मतभेद हो गया इसलिए हरपाल फतेहपुर के समीप हरसावा की तरफ प्रस्थान कर गए. हरसा नेहरा ने सन 1287 में हरसावा बसाया. झुंझा के पुत्र देवा, देवा के पुत्र पाला, पाला के पुत्र माना हुए.

पाला का ससुराल बांठोद गाँव में भड़िया जाटों में था. देवा के नाम से बांठोद में देवलाणु जोहड़ छोड़ा. माना के नाम से हरसावा में मानाणु जोहड़ छोड़ा, जहां आज स्कूल बनी है. माना के पुत्र खेता हुये और उनके पुत्र गांगा हुये. गांगा के 12 पुत्र थे जिनमें से बीरमा सरदार बने। बीरमा के पुत्र मुकना, मुकना के पुत्र धर्मा भींवा और उनके पुत्र मगना हुये. मगना के चंदरा और उनके पुत्र हरदेव सिंह नेहरा (1925 – 1998) हुये.

नरपाल नेहरा + हरपाल (नरहड़) → हरपाल → झुंझा (1664 – 1730) (झुञ्झुणु बसाया) → देवा → पाला → माना → खेता → गांगा (12 पुत्र) → बीरमा → मुकना → धर्मा → भींवा → मगना → चंदरा → हरदेव सिंह नेहरा (1925 – 1998)

झुंझा का जन्म ठाकुर देशराज द्वारा 1664 ई. में बताया गया है. झुंझा वास्तव में हरदेव सिंह से 12 पीढ़ी पहले हुए हैं. एक पीढ़ी का औसत काल 22 वर्ष मानें तो 1925 - 264 = 1661 में झुंझा का जन्म होना चाहिए जो सही बैठता है. इस प्रकार झुंझा के काल की पुष्टि होती है.

सुल्तान खां मीरासी ने हरसावा के सम्बन्ध में एक दोहा सुनाया जो इसके इतिहास के बारे में प्रकाश डालती है -

सदा हरयो हरसावो, गांगावत को गाँव,
बारां को ओ बीरमों, नेहरो खाट्यो नाँव।

हरसावा के नेहरा गोत्र की वंशावली में

हरसावा के नेहरा गोत्र की वंशावली में नरहड़/देवरोड़ के बसाये जाने का उल्लेख है. बाहुकपाल चौहान संघ में सम्मिलित हुए. संवत 1130 (=1073 ई.) में उनके लड़के नरपाल नेहरा हुए जिन्होने नेहरा गोत्र को प्रसिद्धि दिलवाई.

नरपाल नेहरा ने मकराना की धरती छोड़कर अपने नाम पर संवत 1172 (=1115 ई.) में गांव नरहड़ बसाया उनके लड़के दो हुए नगराज और उदय पाल. नगराज के बेटे हरपाल और मेव. हरपाल के छोटे भाई रायमल. हरपाल के हरदेव और बणबीर के जुगराज के रतन सिंह के खींवराज, कंवरपाल, कस्तूर. खींवराज के माधव सिंह के रिछपाल के गोपाल, रूपलाल और दुहड़. गोपाल के कालू के हांसू और बाढ़सिंह. हांसु नेहरा ने संवत 1320 (1263 ई.) में हिसार बसाया.

हांसु के 14 लड़के हुये- 1. बड़े समुदर सिंह, 2. दुल सिंह, 3. चुण्डजी, 4. सोमसिंह, 5. बल्लू, 6. बुधपाल, 7. चोहिल, 8. भीव सिंह, 9. पदम सिंह, 10. माणक, 11. दे पाल, 12. लहरु, 13. काछु, 14. अमरथ सिंह. इनके नाम से 14 थाम्बा नेहरा जाटों के कहलाए. बादशाह गयासुद्दीन तुगलक (r. 1320-1325) से झगड़ा हुआ और झगड़े में राव हांसू वीरगति को प्राप्त हुए.

हिसार को छोड़कर हांसू के लड़कों ने गांव दहरोड़ बसाया. कालांतर में प्रत्येक लड़के के वंशज विभिन्न गाँवों में जाकर बस गए.

2.दुल सिंह के गांव बांठोद में बस गए व उनके वंशज फिर गांव हरसावानयाबास में बस गए. दुलसिंह के बेटे रणुराम और रड़मल हुये. रणु राम संवत 1370 (1313 ई.) में बांठोद आए. रणु राम के रावत के करणाराम के लोहडु, लाबू और लहरु राम हुये. लोहड़ू के धोलूराम के देव राम, रामू राम, दोराज और दूदू.

(देखो - हरसावा)

External links

References


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