Bhalothia
Bhalothia (भालोठिया) Bhalotiya (भालोटिया)[1] [2] is a title used by Jats of Janghu gotra found in Rajasthan[3] and Haryana originated from village Bhaloth in district Jhunjhunu of Rajasthan. The village was named on great warrior Bhal.
History
They are considered to be the descendants of Jangu. This gotra is also found in Bhopal in Madhya Pradesh.
Incidentally, there is one more village of similar name (Bhaloth) just near Rohtak city, Haryana.
भालोठ गांव के भालोठिया (जांगू)
भालोठवासी एवं भालोठ से अन्यत्र गए लोग अपने नाम के आगे जांगू की बजाय भालोठिया लगाते हैं एवं अन्य जगह जाकर समूह में बसी ढाणी को भालोठियों की ढाणी के नाम से जाना जाता है ।
14 वीं शातब्दी में गयासुद्दीन तुगलक दिल्ली का बादशाह था। नारनौल के पास जिला झुंझुनूं में तत्कालीन रियासत खेतड़ी में धोलाखेड़ा नाम का एक बड़ा गांव जांगू गोत्र के जाटों का था। दिल्ली के शासक ने अलग अलग ठिकाने बना रखे थे। शासक ने राजस्थान के कुछ ठिकानों का कर उगाहने के लिये कुछ सैनिकों के साथ अपने हाकिम को भेजा।
हाकिम ने खेतड़ी से आगे चल कर सीकर एरिया के कुछ ठिकानों का कर उघाया एवं वापिस दिल्ली के लिये रवाना हो गये। वापिस जाते समय किसी जगह से उन्होंने एक सुन्दर लड़की को उठा लिया। सुबह पांच बजे धोलाखेड़ा गांव के पास से गुजरे तो उस लड़की ने गांव के आदमियों की आवाज सुनकर रोना शुरू कर दिया। लड़की के रोने की आवाज सुन कर गांव वाले दौड़ कर आये एवं हाकिम की सेना पर हमला कर दिया। कुछ सैनिकों को मार दिया व कुछ सैनिक भाग गये और लड़की को वहीं छुड़वा लिया लेकिन हाकिम बच निकला। लड़की का गांव पूछ कर उसके घर भिजवा दी ।
इस मुठभेड़ का बदला लेने के लिये हाकिम ने योजना बनानी शुरू कर दी। उसके गुप्तचरों ने बताया कि गांव पर हमला करने के लिए फूलेरा दूज सही दिन होगा चूंकि उस दिन गांव से बावन (52) बारात शादी के लिए जानी थी। उस समय बारात तीन दिन तक रूकती थी। योजनानुसार फूलेरा दूज की रात को धोलाखेड़ा गांव पर हमला बोला, ऐसा कहते हैं कि हांसी के शासक ने हाकिम की सेना का साथ दिया । आदमी बारातों में गये हुए थे अतः औरतें लड़ी। गांव में आग लगा दी और बारात जैसे जैसे आती गई बारातियों को खत्म करते रहे व पूरे गांव को तबाह कर दिया। जो कुछ बचे वे धोलाखेड़ा उजड़ने के बाद दिल्ली की तरफ पलायन कर गये।
जानकार यह भी बताते हैं कि धोलाखेड़ा के लोग मुकलावा (गौना) करने (पुराने समय में छोटी उम्र मे शादी के बाद लड़की के बालिग होने पर उसे लेने जाने की रसम) गए हुए थे । उस समय 8-10 दिन लड़की के घर रूकते थे,पीछे से दिल्ली के शासक ने 32 गांवों पर कब्जा कर लिया । मुकलाऊ वापिस आने पर 16 गांवों पर लड़ाई कर कब्जा वापिस ले लिया और 16 गांवों का कब्जा स्वयं छोड़ कर चले गए लेकिन ज्यादा सही ऊपर बताया वही है ।
उस समय के बसे गुड़गावां व दिल्ली के आसपास जांगू गोत्र के जाटों के 12 बड़े गांव आज भी हैं उनमें दौलताबाद बख्तावरपुर, राजपुरा, लाला,रोहड़ाई ढ़किया, मालहेड़ा, ढिस व जांगुवास प्रमुख हैं।
धोलाखेड़ा उजड़ा उस समय एक लड़की अपने पीहर चांदगोठी गई हुई थी एवं गर्भवती थी। उसने पीहर में पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम भाल रखा। लड़का बड़ा शरारती था। लड़के की शरारत को उसके मामा मामी बरदास्त नही कर सके और उन्होंने कहा कि हमारी छाती क्यों फूंकते हो अपने घर जाओ। लड़की के पिता ने अपनी लड़की को जीवन-बसर करने के लिये भाईयों से अलग जमीन दे दी। लड़की उस जमीन पर अपने पुत्र भाल के साथ खेत में रहने लगी। भाल खेत की रखवाली करता था। वह खेत में डामचे पर चढ़कर गोफीये से गोले फेंक कर जानवर, पक्षी उड़ाता था। खेत के पास में एक बहुत बड़ी बणी (जोहड़) थी।
एक बार गयासुद्दीन दिल्ली का बादशाह उस बणी में आ पहुंचा, उसके साथी उससे बिछुड़ गये थे। वह बणी में जब घोड़े पर चढ़कर आया तो उसकी आवाज भाल के कानों में पड़ी। भाल ने सोचा की कोई जानवर है अतः उसको भगाने के लिये गोफीये से गोला मारा जो घोड़े की टांग पर लगा जिससे घोड़ा जख्मी हो गया। बादशाह ने जोर से आवाज लगाई तो आवाज सुनकर भाल वहां देखने गया कि कौन है ? भाल उसको अकेला देखकर खेत पर ले आया और उसको ककड़ी मतीरे खिलाकर आवभगत की । भाल ने अपनी जानकारी दी एवं बादशाह की जानकारी ली । भाल को बादशाह के बारे में जानकारी थी कि उसी ने मेरे गांव को उजाड़ा था तो भाल मरने मारने पर उतारू हो गया । बादशाह ने वास्तविकता बताई और कहा कि मेरे को मत मारो मेरी जानकारी के बगैर हाकिम ने वह काम किया था। अतः अब आप मेरे साथ धोलाखेड़ा चलो ताकि आपको पुनः बसा सकूं । भाल इसके लिये तैयार हो गया ।
भाल बादशाह के साथ उजड़े हुए धोलाखेड़ा की जगह आये, वहां बादशाह ने भाल को (बावनी) 52000 बीघा जमीन (सूर्योदय से सूर्यास्त तक घोड़े पर बैठ कर जहां तक चक्कर लगाया जाए उतनी जमीन) दी एवं वहां धोलाखेड़ा के पास में भाल ने भालोठ गांव बसाया जो आज भी (भालोठ की बावनी) नारनौल के पास जिला झुंझुनूं, तहसील बुहाना, राजस्थान में आबाद है। उसके बाद बादशाह गयासुद्दीन दिल्ली चला गया । धोलाखेड़ा से तीन भाई दौलत, बख्तावर और एक तीसरा भाई राजू दिल्ली की तरफ जा कर बस गये| उनके नाम से आज भी गुडगाँव के पास दौलताबाद, बख्तावरपुर (पश्चिमी दिल्ली) राजपुरा (उत्तरी दिल्ली) आदि जांगू गोत्र के तीन बड़े गाँव अब भी आबाद हैं। दौलताबाद के राकेश जांगू (बादशाहपुर सीट से वर्ष 2019) विधायक बना व राजपुरा (उत्तरी दिल्ली) के कुंवर कर्ण सिंह जांगू ( माडल टाउन सीट से 1998,2003,2008) तीन बार दिल्ली से विधायक बने हैं ।
भालोठ लगभग संवत 1365 में भाल ने बसाया । संवत 1586 सन् 1529 में भालोठ के पास घड़सी राम व सुरजा राम ने ढाणी भालोठ बसाया । संवत 1659 सन् 1602 में रूपचंद ने भालोठ ढाणी से जाकर गादड़वास (डालनवास) बसाया । संवत 1912 सन् 1855 में गंगाबिशन इंडाली (झुंझुनूं) गया । इंडाली से संवत 1959 सन् 1902 में लच्छू व ड़ालू ढाणी भालोठिया (महेंद्रगढ़) आये । गादड़वास (डालनवास) से गिरधारी ने संवत 1933 सन् 1876 में ढाणी भालोठिया (महेंद्रगढ़) बसाया ।
दौलताबाद बसने की कहानी भी दिलचस्प है । धोलाखेड़ा उजड़ने के बाद जब दौलत के परिवार के लोग दिल्ली की तरफ जा रहे थे तब गुड़गावां के पास ठहरने के लिए गाड़ियां (carts) रोकी तो दौलत की पत्नी ने बच्चे से कहा कि तेरे चाचा से कह दे कि वह अपनी गाड़ी थोड़ी आगे ले जाकर खड़ी करे, यहाँ हवा रुक रही है । यह सुनकर बख्तावर तैश में आकर चल दिया व भाई दौलत से कहा कि कभी मेरी जरूरत हो तो बता देना और अपनी गाड़ी को 50 किलोमीटर दूर ले जाकर रोकी जहां पर बख्तावर के नाम से बख्तावरपुर गाँव बसा जो कि अब पश्चिमी दिल्ली में है । बख्तावर बड़ा पराक्रमी था । दौलतसिंह वहीं रुक गया था और दौलत के नाम से वहां पर दौलताबाद गाँव बसा । तीसरे भाई राजू के नाम से राजपुरा गाँव बसा जो अब गुड़ मंडी राजपुरा (राजपुरा छावनी) - उत्तरी दिल्ली में है । लाला ने लाला-रोहड़ाई गाँव बसाया जो अब रेवाड़ी जिले में है ।
स्वतंत्रता सेनानी स्व. धर्मपालसिंह भालोठिया से मिली जानकारी के आधार पर -सुरेन्द्र सिंह भालोठिया मो. 9460389546
Ķ== Villages founded by Bhalothia clan ==
- Bhalotan Ki Kheri (भालोतां की खेडी) - village is in tahsil Rashmi in district Chittorgarh in Rajasthan.
- Dhani Bhaloth (ढाणी भालोठ)- village in Buhana tehsil of Jhunjhunu district in Rajasthan.
जाट - जांगू गोत्र
जांगू गोत्र की उत्पत्ति कैसे हुई इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है । जाट गोत्र जांगू, झांगू, जांघू को एक ही माना गया है, अपभ्रंश या स्थानीय भाषा में इनके नाम बदल गए होंगे।
उत्तर वैदिक काल (1000-600 ई.पू.) में गोत्र व्यवस्था की उत्पत्ति जाति व्यवस्था से पहले शुरू हुई। जाट- हिन्दू,सिख व इस्लाम धर्मों में हैं एवं कई जाट गोत्र सिख व मुसलमानों में भी मिलते हैं। जाट कुल व गोत्र की उत्पत्ति में समूह, सामुदायिक पहचान को जानवरों व वृक्षों से जोड़ा गया । कुछ समय बाद ऋषियों (आर्यों) ने भी अपनी पहचान को जानवरों व वृक्षों से जोड़ा । आने वाली पीढ़ी ने आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए ऋषियों से सम्बन्ध जोड़ा तो उन ऋषियों के नाम पर गोत्र परंपरा शुरू हुई । कुछ गोत्र प्रारंभ में आदमी, स्थान, भाषा, टाईटल, ऐतिहासिक घटना से बने।
जाटों के अंदर जो कुल और गोत्र हैं उनमें से अनेक ऐसे हैं जिनका सम्बन्ध अति प्राचीन राजवंशों से जोड़ देते हैं जैसे पाण्डु, कुरु, गांधार आदि, खासकर कश्मीर राजाओं से कई जाट कुल निकले । 12 वीं सदी के कश्मीरी इतिहासकार कल्हन पंडित के द्वारा संस्कृत में लिखा गया प्राचीन महाग्रंथ 'राजतरंगिणी' में कश्मीर के राजाओं के बारे में वर्णन है, उसके अनुसार 1120 ईस्वी में कश्मीर में Rajapuri (राजौरी) के राजा भिक्षु की सेना में सेनापति जंगा से जांगू बना हो। इसकी संभावना सबसे ज्यादा है कि महाकाव्य ऋग्वेद में वर्णित ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई.पू.) के चंद्रवंशी राजा जाह्नु (संभवतः पत्नी जाह्नवी हो) से जानू या जांगू बना हो जिसका बाद मेँ Bharatas (Tribe) में विलय हुआ। इससे अलग मत- महाकाव्य महाभारत में वर्णित अजामिधा के पुत्र जाह्नु से बना हो । जानू भी प्राचीन आर्यन जन जाति से हैं जो संभवतया वर्तनी की अशुद्धि या स्थानीय भाषा से जाह्नु से जानू या जांघू हो गये हों। पाणिनी के अष्टाध्याय में जानू का वर्णन है । सयाने बताते हैं कि जांदू, जानू व जांधू एक ही हैं, बाड़मेर आदि में जांदू तो झुंझुनूं में वे जानू लिखते हैं ।
हरियाणा के गांवों, दिल्ली, राजस्थान के झुंझुनूं व अलवर में बसे जांगू, चूरू एवं हनुमानगढ़ के 5-6 गांवों में आबाद जांगू मूल रूप से भालोठ/ढाणी भालोठ से निकले हैं और वे सभी नाम के आगे जांगू की बजाय भालोठिया लगाते हैं । पुराने जानकार बताते हैं कि टैक्स उघाने आये दिल्ली के बादशाह के हाकिम व उसकी सेना द्वारा गाँव धोलाखेड़ा उजाड़ने के बाद भाल ने 14 वीं सदी (संवत 1365) में वहां भालोठ गाँव (झुंझुनूं) बसाया था, जबकि कुछ जानकार इस घटना को 11 वीं /12 वीं सदी की भी मानते हैं किन्तु 14 वीं सदी सही है । एक भालोठ रोहतक के पास भी है लेकिन उसमें जांगू नहीं हैं ।
जांगू निम्न राज्यों के जिलों में बसते हैं :-
हरियाणा
महेंद्रगढ़- [ढाणी भालोठिया-(सोहड़ी)– (इंडाली व गादड़वास से आये), गादड़वास, बारड़ा, (महेंद्रगढ़)]- ढाणी-भालोठ से आये
दादरी – [बिलावल- (खोरडा-खानपुर से आये), कारी-तोखा- बाढ़ड़ा], [पिचोपा-कलां, मोड़ी-मकड़ाना (दादरी)] ।{मूल रूप से भालोठ से आये}
भिवानी – कासनी/कासणी (बहल), बारवास (लोहारु), मंढोली (सिवानी) { मूल रूप से भालोठ से आये}
रेवाड़ी – [लाला-(लाला भालोठिया के नाम से लाला गाँव में दादा लालेश्वर मंदिर भी है), रोहड़ाई (जाटुसाना)] ढ़किया (रेवाड़ी), मालाहेड़ा (धारूहेड़ा)- भालोठ से आये इन गांवों में 85 % जांगू हैं
गुड़गांवां - दौलताबाद (भालोठ से आये) ।
सिरसा – कलुआणा (डब्बावाली),फूलकां (सिरसा)
झज्जर – खोरड़ा–खानपुर (मातनहेल) - भालोठ से आये।
हिसार – बगला (आदमपुर) पलवल– दुर्गापुर
दिल्ली– [बख्तावरपुर- (पश्चिमी दिल्ली), राजपुरा (गुड़मंडी-छावनी)-पूर्वी दिल्ली]- भालोठ से आये । दोलत, बख्तावर व राजू तीन भाइयों ने क्रमशः दौलताबाद, बख्तावरपुर व राजपुरा गाँव बसाये ।
राजस्थान
झुंझुनू- [भालोठ, ढाणी भालोठ, भैसावता, ढाणी भालोठिया (कुहाड़वास), सांवलोद, मैनाणा, पालोता, गोठ (बुहाना)], [स्यालू, बिशनपुरा, रघुवीरपुरा (गोधा का बास), खेताराम की ढाणी (जाखोद),
बेरला, कासनी, लाडून्दा, काजी, बनगोठड़ी (चिड़ावा)], [इलाखर, नालपुर (खेतड़ी)], [इंडाली, हेजमपुरा, ढाणी भालोठिया (काली पहाड़ी), बाकरा, प्रेमनगर-बड़ागाँव (झुंझुनूं)]- ये मूलरूप से सभी
भालोठ (झुंझुनूं) से निकले हैं।
चूरु- [झाड़सर (तारानगर),राजपुरा, धानोटी (राजगढ़)- भालोठ से आये], लालगढ़ (सुजानगढ़)।
अलवर– ढिस, जांगुवास (85%जांगू)- (बहरोड़), कांटवाड़ी (कठूमर)-{भालोठ से आये}
हनुमानगढ़- [हरदयालपुरा,पीलीबंगा], बशीर (टीब्बी),[खारा चक, पक्का सहारना,भाकरांवाली, गोलूवाला, संगरिया (हनुमानगढ़)], [[भानगढ़-(धानोटी से आये), खचवाना - (भादरा)- मूल निकास भालोठ]]
गंगानगर- बींझबाइला (पदमपुर) छप्पनवाली (सादुलशहर)
बीकानेर- जैसा (लूणकरणसर), कुंतासर (डूंगरगढ़), सरूँदा (नोखा)
सीकर-गोकुलपुरा, जांगुओं की ढाणी (सीकर) भाऊजी की ढाणी (लक्ष्मणगढ़), खंडेला, मोरडूंगा (धोद)।
जयपुर शहर - भान नगर, सिरसी रोड़,मुरलीपुरा,सीकर रोड़, सेठी कालोनी, सुशांत सिटी,करधनी,गणेश कालोनी, महेश कालोनी, सांगानेर,सुरेन्द्रपाल कालोनी,महावीर नगर आदि ।
जयपुर के गाँव--भोजपुरा कलां- (जोबनेर), मुंडोता- (कालवाड़) [चंदलाई, तितरिया, (सदाशिवपुरा- यरलीपुरा)- (चाकसू)], [दयालपुरा, रेटा, रेटी, सूरपुरा (दूदू)]
टोंक-अरण्या कांकड़-(पीपलू),रामनिवासपुरा-(टोडारायसिंह), सरोली-(देवली)
बाड़मेर- जांगुओं की ढाणी(बायतु), मेवानगर (पचपदरा)
नागौर- [अलाय, रैधाणु (नागौर)], [अजड़ोली, डासना कलां, ढ़ाकी की ढाणी (डीडवाना)], [गुनसाली, कुटियासनी-खुर्द (डेगाना)] ।
जोधपुर- थड़िया (शेरगढ़), [धनारी कलां, पूनासर (ओसियां)], जाँगूवास (लूनी), [लूणा, मंडोर (फलोदी)], [पालड़ी मांगलिया, जाजीवाल खिचियां (जोधपुर)] ।
जालौर- गुंदाऊ (साँचोर)
मध्य प्रदेश
मंदसौर- बेटीखेड़ी, लदूना (सीतामऊ), खंडरिया, रलायता (मंदसोर)
रतलाम- कंसेर (पिपलोदा), ढ़ीकवा (रतलाम)
बेतुल- काचर ( शाहपुर)
नीमच- खड़ावड़ा (मानसा)
खंडवा- डंठा (पुनासा)
धार- मनासा (बदनावर)
उत्तरप्रदेश
बदायूं- धरमपुर- (बिलसी)
पंजाब
फिरोजपुर - राजपुरा (अबोहर) आदि में जांगू आबाद हैं ।
जाँगू (भालोठिया) के गाँव आदि के संबंध में अन्य कोई जानकारी किसी को हो तो कृपया अवगत करावें ताकि इसमें जोड़े जा सकें ।
संदर्भ-1.Jatland wiki-
2. जागा- भालोठियों का जागा नंदकिशोर राव पटवारी निवासी आसलपुर (जोबनेर) जिला जयपुर मो. 9784607108
सुरेन्द्र सिंह भालोठिया मो. 9460389546
Distribution in Haryana
Villages in Bhiwani district
Barwas, Kari Tokha, Mandhan Tosham, Mandholi Kalan[4]
Distribution in Rajasthan
Villages in Jhunjhunu district
Bakra, Berla, Bhaloth, Dhani Bhaloth, Kuhadwas, Nalpur, Shyampura Buhana, Manana Buhana, Goth Buhana[5]
Villages in Hanumangarh district
Locations in jaipur city
Ganesh Colony (Khatipura), Murlipura Scheme, Sethi Colony,
Villages in Chittorgarh district
Villages in Alwar district
Distribution in Madhya Pradesh
Villages in Raisen district
Notable persons
- Kishori lal Bhalothia (PET) - President, Gramin Khelood Sanstha, Bhaloth.
- Anil Choudhary (Bhalothia) - Account Services, VKI, Jaipur, Mob- 9413340509
- Ritu Bhalotia[8] - From Bhiwari, Rajasthan, Selected Mrs India Queen of Substance-2016.[9]
- Radhe Shyam Bhalotia - Ex. Subedar Army, born on 6.5.1950 at Dhis, Jat Behror, Alwar, Rajasthan, awarded for successfully conducting green house at Jaipur for motivating farmers.[10]
External links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. भ-79
- ↑ O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.54, s.n. 1892
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter IX,p.695
- ↑ User:Deepak4sehrawat
- ↑ User:Satyawanchahar
- ↑ User:Godaradudi
- ↑ User:Sk56
- ↑ Mrs INDIA-2016, Finalist Detail
- ↑ Jat Gatha, 3/2016, p.30
- ↑ Jat Gatha, 10/2015, p.28
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