Chhoti Sadri

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Author of this article is Laxman Burdak लक्ष्मण बुरड़क
Location of Chhoti Sadri in Chittorgarh District

Chhoti Sadri (छोटी सादड़ी is a city and a municipality in Chittorgarh district in the state of Rajasthan, India.It is situated near Neemuch on the Ajmer-Khandwa railway line .

The place was famous for the temple of Devi built in the fifth century AD. This temple is now known as Bhavaramata.

Founders

Gora Jats

Villages in Chhoti Sadri tahsil

Location of Places around Chhoti Sadri

Achalpura, Achari, Akhepur, Ambawali, Bagdari, Baliya Khera @Peepli Khera, Bambora, Bambora, Bambori, Bare Khan, Barkati, Barkhera, Barol, Barwara Dewal, Barwara Goojar, Basera, Baseri Kundal, Bhachedi, Bhagwanpura, Bhairvi, Bhairvi, Bhalan Ka Khera, Bhat Khera, Bhat Kheri, Bhoora, Biliya, Chah Kheri, Chak Sookar, Chakar Khera @ Balia Khera, Chandoli, Chaprol, Charliya, Charliya Amba, Chauhan Khera, Cheerwa, Chhayan Kalan, Chhayan Khurd, Chhoti Sadri (M), Choukri, Dawta, Deokhera, Deoli, Dhamaniya Jageer, Dhamaniya Road, Dhaula Pani, Dhoolkot, Eklingpura @ Rohni Khera, Fatehsingh Ji Ka Khera, Gadariyawas, Gagrol, Gajpura, Ganeshpura, Gomana, Gothra, Gurli, Hamerpura @ Dudhitalai, Haripura, Harisingh Ji Ka Khera Khurd, Harisinghji Ka Khera Kalan, Harmara Ki Rel, Harmatiya Jageer, Harmatiya Kundal, Hingoriya, Inton Ka Talab, Jakhamiya, Jal Bhindi, Jaloda Jageer, Jalodiya Keloo, Jalodiya Khurd, Jamlaoda, Joda Mahuda, Jodhpuriya, Jogi Khera @Malji Ka Khera, Kala Khet, Kalakot, Kalyanpura, Kankra, Kanwar Choki, Karanpur Kalan, Karanpur Khurd, Karjoo, Karunda, Kesunda, Khera, Khera Kesunda, Kheri Aryanagar, Kheri Kundal, Khermaliya, Kit Khera, Kulmiya, Labana Khera, Lakhiyon Ka Khera, Lalpura, Mahida Rel, Mahuriya, Malawada, Mali Khera, Manpura, Manpura @ Bhatiya, Manpura Jageer, Mawai, Mohanpura, Motipura, Nanama Ki Bhagal, Narani, Narsingh Khera, Nawan Kheri, Naya Khera, Negadiya, Patiya, Peeli Khera, Peethalwari Kalan, Peethalwari Khurd, Pratappura, Rajpura, Rajpura, Raju Khera, Rambhawali, Ratee Rundi, Rawatpura, Rooppura, Rooppura, Rughnathpura, Sajjanpura @ Handiya Doh, Sakriya, Salera, Sandi Khera, Sangri Khera, Santok Puriya, Sarwaniya, Satola, Semarda, Semarthali, Siya Kheri, Soobi, Swaroopganj, Teekhi Magri, Thanpur, Udpura Kalan, Udpura Khurd, Undawela,

Chhoti Sadri Inscription of Gora Jats S. 547 (491 AD)

Sanskrit Text
तस्या प्रणम्य प्रकरोम्यह x x जस्त्रम
(कीर्तिशु) भां गुणा गणोघम (पींन्टपाणाम) (3)
x x कुलो (भद्) वव (ञ् श) गौरा
क्षात्रेप (दे) सतत दीक्षित x शौंडा
x x x
धान्य सोम इति क्षत्र गणस्य मध्ये (4)
... ... ...
x x किल राज्य जित प्रतापो
यो राज्यवर्द्धण (न) गुणै कृत नाम धेयः
x x x
जातः सुतो करि करायत दीर्घ बाहु ।
नाम्ना स राष्ट्र इति प्रोद्धत पुन्य (पय) कीर्ति (6)
सोयम यशो भरण भूषित सर्व गात्रः
प्रोत्फुल पद्मः ......तायत चारु नेत्रः ।
दक्षो दयालु रिह शासित शत्रु पक्षः ।
क्षमां शासति ....यश गुप्त इति क्षितीन्दुः (8)
तेनेयं भूतधात्री क्रतु मिरिहचिता (पूर्व) श्रंगेव भाति
प्रासादे रद्रि तुंगैः शशिकर वषुषैः स्थापितेः भूषिताद्य
नाना दानेन्दु शुभ्रैर्द्विजवर भवनैर्येन लक्ष्मीर्व्विभक्ता ।
x x x स्थित यश वषुशा श्री महाराज गौरः (11)
यातेषु पंचसु शतेष्वथ वत्सराणाम्
द्वे विंशतीसम धिकेषु स सप्तकेषु ।।
माघस्य शुक्ल दिवसे त्वगमत्प्रतिष्ठाम् ।
प्रोत्फुल्ल कुन्द धवलोज्वलिते दश म्याम् (13)
Chhoti Sadri Inscription of samvat 547 (491 AD)[1]

The rule of Gora clan Jat Kshatriyas has been mentioned in an inscription found in Bhavara Mata (भवर माता) temple on a hillock near village 'Chhoti Sadri' (छोटी सादड़ी) in Chittaurgarh district. It is in Brahmi script and Sanskrit language.[2]Pandit Gauri Shankar Hirachand Ojha has written about the inscription of 'Chhoti Sadri' in an article published in Nagari pracharini-patrika, part 13, issue-1 under the title Gaur namak agyat kshatriya vansh - गौर नामक अज्ञात क्षत्रिय वंश. Some lines from that inscription are as under in Sanskrit language:[3]

The above inscription proves that Maharaja Dhanya soma (धान्य सोम) was a popular king of Gor Jat kshatriya clan. Rajyavardhan (राज्यवर्द्धण), Rashtra (राष्ट्र) and Yasha Gupta (यश गुप्त) rulers followed in succession. The inscription also reveals that the Gor kings had constructed goddess temple in memory of their ancestors on magha shukla 10 in samvat 547 (491 AD). The inscription proves the rule of Gor kings near 'Chhoti Sadadi' place in Rajasthan in 6th century. They were considered to be powerful till the rule of Maharana Raimal.[4]

Meenas and Bhil tribe dominated the area in later period.

ठाकुर देशराज [5] लिखते हैं कि आरंभ में ये लोग अजमेर-मेरवाड़े और मेवाड़ तथा बून्दी-सिरोही के प्रदेश पर फैले हुये थे. अब तो किसी-न-किसी संख्या में सारे उत्तर-भारत में पाये जाते हैं. प्रचीन भाट के ग्रन्थों में इनको ’अजमेर के गोर’ नाम से लिखा गया है. इससे ज्ञात होता है कि चौहानों से पहले ये उस देश में आबाद हुये थे. [6] आबू पर्वत पर नव-क्षत्रिय वर्ग के गठन के फल स्वरूप ये चौहानों में सम्मिलित हो गये.

गौर लोगों का एक शिला लेख छोटी सादड़ी से दो मील के दूरी पर स्थित पहाड़ पर भ्रमर-माता के मंदिर में पाया गया था. इसकी लिपि ब्रह्मी और भाषा संस्कृत है. पंडित गौरी शंकर हीराचन्द ओझा ने उसे देखा है और नागरी-प्रचारिणी-पत्रिका, भाग 13, अंक 1 में ’गौर क्षेत्रिय वंश’ शीर्षक लेख भी लिखा है. उस घिसे हुए और पुराने लेख की पंक्तियों से इसका मूल पाठ यहाँ दिया गया है.


इन श्लोकों में दो प्रार्थना सम्बन्धी श्लोक हैं. शेष में बताया गया है - महाराज धान्यसोम क्षत्रिय लोगों में प्रसिद्ध राजा थे. उनके पीछे राज्यवर्धन हुये. राज्यवर्धन के पुत्र राष्ट्रों में राष्ट्र-नायक हुये. उनका पुत्र यशगुप्त हुआ. उन गोर नरेश ने संवत 547 माघ सुदी दसमी (ई. 491) को अपने माता-पिता के पुण्य (स्मृति) के निमित्त देवी का मंदिर बनवाया. इस लेख से स्पष्ट है कि छ्ठी शताब्दी में गोरा लोग छोटी सादड़ी में राज करते थे. महाराणा रायमल के समय तक वे पूरे शक्तिशाली थे. पं गौरी शंकर ’नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ के उसी अंक में लिखते हैं कि - "गोरा-बादल जिनके सम्बन्ध में काव्य बन चुके हैं दो व्यक्ति नहीं थे बल्कि बादल ही गोरा था. उसके सम्बन्ध के काव्य भी 250-300 वर्ष पीछे बने हैं, इसी से ऐसा भ्रम हुआ होगा. गोरा वंश सूचक और बादल नाम है."

गयासुद्दीन (शाह) से राणा रायमल की सन 1488 ई. में जब लड़ाई हुई तो गोरा ने बड़ी बहादुरी दिखाई. वह कई-कई मुसलमानों को मारता था. उस बुर्ज का ही नाम गोर-श्रंग (गोर बुर्ज) रख दिया गया. उदयपुर के एकलिंगजी के मंदिर के दक्षिण द्वार के सामने की बड़ी प्रशस्ति में इस लड़ाई और गौरा वीर की वीरता का वर्णन है. चित्तौड़ के किले में गोरा-बादल के महल नाम से दो गुम्बजदार मकान, जो कि पद्मिनी के महलों से दक्षिण की और बने हुये हैं, पुकारे जाते हैं. राणा रायमल के बाद सन 1509 में राणा सांगा मेवाड के उत्तरधिकारी बने.

डॉ गोपीनाथ शर्मा[7] पर इस शिलालेख के बारे में लिखते हैं कि छोटी सादड़ी जिला |चितोडगढ़ का भ्रमरमाता का 17 पंक्तियों का लेख पांचवीं शादी की राजनीतिक स्थिति को समझाने में सहायक है. इसमें गौरवंश तथा औलिकरवंश के शासकों का वर्णन मिलता है. गौर वंश के पुण्यशोभ , राज्यवर्धन, यशोगुप्त आदि शासकों तथा औलिकर वंश के आदित्यवर्द्धन के नाम उपलब्ध हैं. इन शासकों का राज्य चित्तोड़ क्षेत्र तक तथा निकट वर्ती भागों में होने की संभावना इस लेख से प्रमाणित होती है. गौर वंशीय शासकों द्वारा यहाँ माता का मंदिर बनवाया गया जिससे इनकी शाक्त-धर्म के प्रति भक्ति होना दिखाई देता है. प्रस्तुत लेख में अपराजित राजपुत्र गोभट्टपादानुध्यात् पंक्ति बड़े महत्व की है. 'राजपुत्र' शब्दों से किसी भी सामंत का किसी शासक के प्रति सेवाभाव होना प्रमाणित होता है.


नोट - 1. x x किल राज्य जित प्रतापो वाक्य पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। इसमें अस्पष्ट शब्द 'किल' होना चाहिए। अगर ऐसा है तो किलकिल राज्य का उल्लेख है। किलकिल एक जाट वंश है।

2. भ्रमर-माता या भवर माता का संबंध भव नाग (290-315 AD) से होना चाहिए।

3. भवारा गोत्र के जाट भी छोटी सादड़ी, |चितोडगढ़ में रहते हैं।

Demographics

As of 2001 India census, Chhoti Sadri had a population of 16,602. Males constitute 51% of the population and females 49%. Chhoti Sadri has an average literacy rate of 70%, higher than the national average of 59.5%; with male literacy of 80% and female literacy of 60%. 14% of the population is under 6 years of age.

Jat villages in Chhoti Sadri tahsil

Deokheda (देव खेड़ा) , Jalaudia (जलौदिया) , Jamlawda (जमलावदा), Kesunda (केसुन्दा) , Soobi (सूबी) , Karju (कारजू), Karunda (कारूंड़ा), Rambhawli (रम्भावली), Mahinagar (महीनगर),

Jat Gotras in Chhoti Sadri tahsil

The study of the distribution pattern of Jat Gotras in Chhoti Sadri tahsil of Chittorgarh district of Rajasthan is similar to that of the Nimach and Mandsaur districts in Madhya Pradesh. There are no ready records or studies as such. So I took the membership list of Jats of Nimach district from Pariwarik Parichay Patrika - 2003 Published by Jila Jat Samaj, Nimach (M.P.). It gives details of members’ names, His gotra and his wife's gotra,age and education of each member in the family of Jats living in Nimach district and those living in Chhoti Sadri tahsil in chittorgarh district of rajasthan. I had also discussion with President of Veer Tejaji Jat Samaj Samiti, Nimach, PIN-458441, shri Balraj Sapedia (Phone-07423-222795) who was instrument in publishing this smarika.

The two attributes Jat gotra and place were brought on excel file, tabulated and shorted out. There is an interesting result which gives which jat gotra is from which village. This table is available with me and if any member is interested it can be uploaded. The following table is an abstract of the detailed table that gives population of each gotra as out of total jat members 1276 (644 families) members in the directory arranged in alphabetical order.


The Pariwarik Parichay Patrika - 2003 Published by Jila Jat Samaj, Nimach (M.P.) gives details of 173 Jat families from Chhoti Sadri tahsil who are members. They are from 65 gotras. The figure after gotra is the count out of 313 from which we can roughly assess comparative population of that gotra in Chhoti Sadri tahsil of the Chittorgarh district. The gotra list includes gotras of male head of the family and his wife. Here is the list:


Awas (अवास) 1 Badkeshia 1 Bagadwa 2 Bageshia (बगेशिया ) 1 Bagod 3 Bamda (बामदा) 1 Bangadwa 2 Bargasa (बरगसा)/ (बरगस्या) 15 Barkothia (बरकोठिया) 1 Bathian 1 Beniwal 5 Bhandas (भंडास) 1 Bharania (भरानिया) 3 Bhawara (भवारा) 1 Bohra 5 Bora 1 Chityan 53 Delyan (देलयाण) 1 Duhan 15 Eram 1 Etwas (एतवास) 1 Fangar 2 Far 10 Faraha (फराहा) 1 Gandas 7 Godat (गोडत) 2 Goil (गोइल) 6 Goit (गोइत) 1 Hanwar (हनवार) 1 Herawat 2 Jathian 1 Kadwa 3 Kangar (कांगर) 1 Karirawan (करिरावण ) 3 Kashia 1 Kashya 1 Kasuma 1 Khandolia (खंडोलिया) 2 Kharadia (खराडिया ) 1 Koit (कोइत) 1 Lamba 2 Lawas 13 Lunas 6 Mana 1 Manga 5 Mor 49 Morit (मोरित) 1 Mundfod 13 Nania ((नानिया) 1 Nehra 11 Nonlia (नोंलिया) 1 Pachar 9 Padoda 1 Pawda 1 Punia 12 Raail (राइल) 1 Rabadia 1 Roonaru (रूनारू) 1 Roonas (रूणास) 3 Sanwar 7 Sapedia 1 Sawas (सवास) 1 Sohida (सोहिदा) 1 Tharol 2 Varaha 7

Total........ 313

The biggest Jat Gotras in Chhoti Sadri tahsil are:

Chityan 53 Mor 49 Bargasa (बरगसा)/ (बरगस्या) 15 Duhan 15 Lawas 13 Mundfod 13 Punia 12 Nehra 11 Far 10 Pachar 9 Gandas 7 Sanwar 7 Goil (गोइल) 6 Lunas 6 Bohra 5 Manga 5

Some conclusions

  • 33 Gotras are with only one count which indicates that these gotras are due to women marrying from out side far off places or some relatives get settled in these villages from far off places.
  • The two largest Gotras Chityan (53) and Mor (49) are found in this area along with Nimach and Mandsaur districts of Malwa region in Madhya Pradesh.
  • Many gotras are common with those of Rajasthan and Madhya Pradesh indicates that there has been migration from Rajasthan to Madhya Pradesh and vice versa over a very long period as the number of families have vast difference of population.

External links

References

  1. ठाकुर देशराज:जाट इतिहास, 1992,पृ.591-592
  2. Thakur Deshraj, Jat Itihas (Hindi), Maharaja Suraj Mal Smarak Shiksha Sansthan, Delhi, 1934, 2nd edition 1992, Page-591
  3. Thakur Deshraj, Jat Itihas (Hindi), Maharaja Suraj Mal Smarak Shiksha Sansthan, Delhi, 1934, 2nd edition 1992 Pages 591-92
  4. Thakur Deshraj, Jat Itihas (Hindi), Maharaja Suraj Mal Smarak Shiksha Sansthan, Delhi, 1934, 2nd edition 1992, Page - 592
  5. ठाकुर देशराज:जाट इतिहास, 1992,पृ.591-593
  6. 'टाड राजस्थान' - अध्याय 6
  7. डॉ गोपीनाथ शर्मा: 'राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत', 1983, पृ. 46 -47

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