Kothari
- For the River see Kothari River (Udaipur, Bhilwara)
Kothari (कोठारी)[1] or Kothyari (कोठ्यारी)[2] Gotra Jats are found in Rajasthan[3] and Madhya Pradesh. They were supporters of Tomar Confederacy. [4]
Origin
- The people with title of 'Kothari Band' (कोठरी बंद) were known as Kothari. [5]
- They are said to be descendants of Kutharsi (कुठारसी). Nain, Nyol, Dadiya and Kothari have descended from Common ancestor and have brotherly relations.[6]
History
Subedar Ram Ji Lal Kothari was the first famous personality of Village Chandawas. He was very kind-hearted and helped villagers to upscale their livelihood. Subedar Ramji Lal Kothari has participated in Burma War (1930-32) and British Indian Army awarded him with Saina Medal. The Viceroy & Governor-General of India awarded Subedar promotion & appreciation letter to Sh. Ram Ji Lal Kothari for extraordinary performance in World WAR II in 1942. First, General Panchayat's independent election for Village Chandawas was conducted in 1969-70 & Subedar Ramji Lal Kothari was the first elected Sarpanch of the village. Subedar Ram Ji Lal was the first elected member of Panchayat Samiti Bhiwani in 1972-73 from Chandawas Village. After the constitution of the Zila Sainik Board by the Government in 1974-75. Subedar Ramji Lal was the first member of Bhiwani Zila Sainik Board in 1974-75 from village Chandawas.
इतिहास
ठाकुर देशराज [7] ने लिखा है ....चौधरी हरिश्चंद्र जी ने अपने वंश का परिचय देने और अपने जीवन पर प्रकाश डालने के लिए “मेरी जीवनी के कुछ समाचार”, "संक्षिप्त जीवनी", और “मेरी जीवन गाथा” नामों से तीन प्रयत्न किए गए हैं। यह प्रयत्न जिस उत्साह से आरंभ किए गए हैं उससे पूरे नहीं किए गए हैं। मानो यह काम इन्हें बोझिल सा जंचा। ठाकुर देशराज को उनका यह अधूरा प्रयास भी बहुत सहारा देने वाला सिद्ध हुआ। उनके लेखानुसार उनका गोत्र नैण है। जो उनके पूर्व पुरुष नैणसी के नाम पर प्रसिद्ध हुआ। नैण और उनके पूर्वज क्षत्रियों के उस प्रसिद्ध राजघराने में से थे जो तंवर अथवा तोमर कहलाते थे। और जिनका अंतिम प्रतापी राजा अनंगपाल तंवर था।
ठाकुर देशराज [8] ने लिखा है ....तंवरों ने दिल्ली को चौहानों के हवाले कर दिया था क्योंकि अनंगपाल तंवर नि:संतान थे, इसलिए उन्होने सोमेश्वर के पुत्र पृथ्वीराज चौहान, जो कि उनका दौहित्र था, को गोद ले लिया था। हांसी हिसार की ओर जो तंवर गए थे उनमें से कुछ ने राजपूत संघ में दीक्षा लेली और जो राजपूत संघ में दीक्षित नहीं हुये वे जाट ही रहे। नैणसी और उनके तीन भाई नवलसी, दाडिमसी, कुठारसी भी जाट ही रहे। ये चार थम्भ (स्तम्भ) कहलाते हैं। नैणसी के वंशज नैण, नवलसी के न्योल, दाडिमसी के दड़िया, और कुठारसी के कोठारी कहलाए। चौधरी हरिश्चंद्र जी का कहना है कि मैंने इन तीन गोत्रों को पाया नहीं। ठाकुर देशराज ने इनमें से न्योल गोत्र के जाट खंडेला वाटी में देखे हैं। वहाँ के लोगों का कहना है कि दिल्ली के तंवरों में से खडगल नाम का एक राजकुमार इधर आया था उसी ने खंडेला बसाया जो पीछे कछवाहों के हाथ चला गया।
यह उल्लेखनीय है कि जाट लैंड पर इन चारों गोत्रों - नैण, न्योल, दड़िया और कोठारी की जानकारी उपलब्ध है। कृपया इन गोत्रों की लिंक पर क्लिक करें। [9]
Distribution in Rajasthan
Locations in Jaipur city
Ambabari, Murlipura Scheme,
Villages in Jaipur District
Hirnoda (10),
Villages in Sikar District
Villages in Jhunjhunu district
Ghandava (50) (Near Chirawa),
Villages in Churu district
Basi Athuni, Mundara, Mundi Tal, Sankhantal,
Villages in Tonk district
Banseda, Ganeti, Nimola (15), Surajpura (1), Tonk (16),
Villages in Ganganagar district
Villages in Bharatpur district
Distribution in Madhya Pradesh
Villages in Nimach district
Distribution in Haryana
Villages in Bhiwani district
Notable persons
External links
References
- ↑ Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.32,sn-381.
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n.क-22
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter IX,p.695
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 7
- ↑ Mahendra Singh Arya et al.: Adhunik Jat Itihas, Agra 1998, p.228
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 9
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 7
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 9
- ↑ Laxman Burdak (talk) 02:47, 31 July 2017 (EDT)
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