Nyol

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Yogiraj Shree Bhani Nath Ji (Nyol)

Nyol (न्योळ) Nyol (न्योल)/ Nol (नोल) Neol (न्योल) [1] [2] Naul (नौल) Nohal (नोहल)/ Nohla (नोला) is Gotra of Jats found in Rajasthan, Haryana and Punjab, India and Pakistan. They had been rulers of Jhang region, now in Pakistan. They were supporters of Tomar Confederacy. [3] They were also supporters of Chauhan Confederacy.

Origin

  • They are said to be descendants of Maharaja Nahusha (नहुष).[4]
  • Some people say it derives its name from Nyol, the strong iron chain with lock put to protect camels from theft.
  • Other view is that probably they get name from reptile Neol (न्यौळ), called Mongoose (Hindi:नेवला). If it is so they seem to be of Nagavanshi Origin as it was their totemic symbol.
  • They are said to be descendants of Nawalsi (नवलसी). Nain, Neol, Dadiya and Kothari have descended from Common ancestor and have brotherly relations.[5]

Jat Gotras Namesake

Mention by Pliny

Pliny [6] mentions Albania, Iberia, and The Adjoining Nations.......... The chief cities are Cabalaca5, in Albania, Harmastis6, near a river7 of Iberia, and Neoris; there is the region also of Thasie, and that of Triare, extending as far as the mountains known as the Paryadres.


5 Now called Kablas-Var, according to Parisot.

6 Parisot says that this can be no other than Harmoza on the river Cyrus, in the vicinity of the modern Akhalzik.

7 Probably meaning "of the same name."

Ancient History

The Jabalpur region was ruled by Bamraj Dev of the Kalachuri dynasty from Karanbel from 675 to 800. The best known Kalachuri ruler was Yuvraj Dev I (reigned 915 to 945), who married Nohla Devi. The princess Nohla Devi is probably of Nohla Jat clan. Nohla Devi constructed the Nohleshwar Shiva Temple at Nohata in Damoh district of Madhya Pradesh.

History

H.A. Rose[7] writes that Bhangu (भंगू), Bhanggu (भंग्गु), a Jat tribe which does not claim Rajput origin. The Bhangu and Nol were among the earliest inhabitants of the Jhang District and held the country about Shorkot, the Nol holding that round Jhang itself before the advent of the Sials, by whom both tribes were overthrown. Probably the same as the Bhango, supra.


Biramsar village was earlier settled near Biramsar Hill in south-east direction. There used to live Nyol Gotra Jats. Kalka temple on hill top was constructed by Nyol Jats. Thakurs killed that Nyol Jat. All Nyols later killed the Thakur. Later Nyols moved from here to Satra village. It is said that Nyol Jats do not drink water of Biramsar and do not marry any child here.

इतिहास

ठाकुर देशराज [8] ने लिखा है ....चौधरी हरिश्चंद्र नैण जी ने अपने वंश का परिचय देने और अपने जीवन पर प्रकाश डालने के लिए “मेरी जीवनी के कुछ समाचार”, "संक्षिप्त जीवनी", और “मेरी जीवन गाथा” नामों से तीन प्रयत्न किए गए हैं। यह प्रयत्न जिस उत्साह से आरंभ किए गए हैं उससे पूरे नहीं किए गए हैं। मानो यह काम इन्हें बोझिल सा जंचा। ठाकुर देशराज को उनका यह अधूरा प्रयास भी बहुत सहारा देने वाला सिद्ध हुआ। उनके लेखानुसार उनका गोत्र नैण है। जो उनके पूर्व पुरुष नैणसी के नाम पर प्रसिद्ध हुआ। नैण और उनके पूर्वज क्षत्रियों के उस प्रसिद्ध राजघराने में से थे जो तंवर अथवा तोमर कहलाते थे। और जिनका अंतिम प्रतापी राजा अनंगपाल तंवर था।

ठाकुर देशराज [9] ने लिखा है ....तंवरों ने दिल्ली को चौहानों के हवाले कर दिया था क्योंकि अनंगपाल तंवर नि:संतान थे, इसलिए उन्होने सोमेश्वर के पुत्र पृथ्वीराज चौहान, जो कि उनका दौहित्र था, को गोद ले लिया था। हांसी हिसार की ओर जो तंवर गए थे उनमें से कुछ ने राजपूत संघ में दीक्षा लेली और जो राजपूत संघ में दीक्षित नहीं हुये वे जाट ही रहे। नैणसी और उनके तीन भाई नवलसी, दाडिमसी, कुठारसी भी जाट ही रहे। ये चार थम्भ (स्तम्भ) कहलाते हैं। नैणसी के वंशज नैण, नवलसी के न्योल, दाडिमसी के दड़िया, और कुठारसी के कोठारी कहलाए। चौधरी हरिश्चंद्र जी का कहना है कि मैंने इन तीन गोत्रों को पाया नहीं। ठाकुर देशराज ने इनमें से न्योल गोत्र के जाट खंडेला वाटी में देखे हैं। वहाँ के लोगों का कहना है कि दिल्ली के तंवरों में से खडगल नाम का एक राजकुमार इधर आया था उसी ने खंडेला बसाया जो पीछे कछवाहों के हाथ चला गया।

यह उल्लेखनीय है कि जाट लैंड पर इन चारों गोत्रों - नैण, न्योल, दड़िया और कोठारी की जानकारी उपलब्ध है। कृपया इन गोत्रों की लिंक पर क्लिक करें। [10]

नोहटा का नोहलेश्वर मढ़ा मंदिर

कल्चुरी कला का प्रतीक है नोहटा का नोहलेश्वर मढ़ा मंदिर

कल्चुरी कला का प्रतीक नोहलेश्वरमंदिर अपनी अद्भुत कला व नक्काशी के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार यह मंदिर 13वीं सदी में कल्चुरी राजाओं द्वारा बनाया गया है। यह मंदिर कलचुरी नरेश युधराज देव प्रथम (r. 915-945) के शासन काल में इनकी धर्म पत्नी नोहला देवी द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। बताया गया है कि कलचुरी शासन काल में इस तरह के करीब नौ मंदिर एवं नौ हाट हुआ करते थे, जिससे गांव का नोहटा का नाम पड़ा। नौ मंदिरों में से सिर्फ एक ही मंदिर शेष है बाकी मंदिरों के अवशेष गांव के मकानों एवं जहां-तहां बिखरे मिले हैं। लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए नोहलेश्वर मंदिर की आराधना करते है। यह मंदिर जिले भर के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है। गोरैयाव्यारमा नदी के संगम तट पर स्थित नोहलेश्वर मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं। जिनके दर्शनों के लिए यहां पर रोजाना दूर-दूर से लोगों का आना-जाना लगा रहता है। रविवार को यहां पर लोगों की अधिक भीड़ रहती है। [11]


जबलपुर-दमोह मार्ग पर स्थित है नोहटा का प्राचीन नोहलेश्वर मंदिर. ग्राम नोहटा में नवमी शताब्दी (950-60) का कल्चुरी कालीन प्राचीन शिव मंदिर है। जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है। यह मंदिर आस्था व शिल्प कला का अदभुत संगम हैं। दमोह जबलपुर हाईवे पर नोहटा के समीप पड़ने वाले इस मंदिर पर जिसकी भी नजर पड़ती है वह मंदिर की सुंदरता निहारता रह जाता है। मंदिर के अंदर अति प्राचीन शिवलिंग विराजमान हैं। मंदिर की दीवारों पर चारों ओर से उकेरी गई पुरातन कालीन सैकड़ों प्रतिमाएं हैं जिनकी नक्काशी देखते ही बनती है। नोहलेश्वर मंदिर में शिवलिंग से सटी हुईं 109 प्रतिमाएं रखी हुईं हैं। जिसमें नो हटा मंदिर का 14 प्रतिमाएं हैं तो 95 प्रतिमाएं फुटेरा जलाशय सहित अन्य स्थानों की है। सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रप्रताप सिंह ठाकुर का कहना है प्राचीन मंदिर की सुरक्षा को लेकर पुरातत्व विभाग की ओर से कठोर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. [12]

Villages founded by clan

Distribution in Rajasthan

Locations in Jaipur district

Imliwala Phatak, Sanganer,

Villages in Sikar district

Dhandhan (2),

Villages in Churu district

Village Satra (सातड़ा) in Churu district is considered main village of Nyol gotra. Out of total 600 families 200 families are of Nyol gotra. other villages in Churu district are:

Asalkhedi, Bachharara, Balrasar (15), Bhanida, Kadia, Chhabri Khari, Churu, Daudsar, Ghumanda, Gorisar, Jaitsar, Jasasar, Mitasar (Sardarshahar), Ratangarh, Ratannagar, Raotsar, Satra, Shehla,

Villages in Hanumangarh district

5 Nwd (Rawatsar), Bani, Bashir, Bhadra, Biran Hanumangarh, Charanwasi, Chhani Badi, Deidas, Khat Jalu, Kulchandra, Malkhera, Ninan, Nohar, Ramgarh Hanumangarh, Ratanpura Nohar, Sangaria,

Villages in Ganganagar district

Rampura Neola,

Distribution in Haryana

Villages in Sirsa district

Dhingtania, Jhittikhera, Khariya, Kumharia Sirsa[13] Teja Khera,

Distribution in Punjab

Fazilka district Ramsara,

Villages in Firozpur district

Khatwan, Kular Firozpur, Ramsara,

Distribution in Pakistan

Nauls are found in Pakistan also. The Nauls claim Rajput ancestry. They are found in Kasur, Sahiwal, Okara, Sheikhupura, Nankana Sahib and Jhang districts.

According to 1911 census[14], the population of Muslim Jat clan Nauls in in Pakistan was:

Notable persons from this clan

Gallery

References


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