Lalau
Lalau (लालऊ)[1] Lalaw (लालव) Lalav (लालव) is gotra of Jats in Uttar Pradesh and Madhya Pradesh.
Origin
यह गोत्र लालऊ नामक गाँव के नाम पर पड़ा. [2] इस गोत्र के पूर्व पुरुष चौदहवी सदी में लालऊ गांव से इधर-उधर आकर आबाद हुए.[3]
History
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[4] ने लिखा है .... ठाकुर कोकसिंह जी - [पृ.553]: दतिया में सेवड़ा तहसील में थरेट एक प्रसिद्ध गांव है जो दतिया-सेवड़ा रोड पर अवस्थित है। आपके पूर्व पुरुष चौदहवी सदी में लालऊ गांव से इधर उधर आकर आबाद हुए। मानसहाय जी इसमें एक अत्यंत प्रसिद्ध पुरुष थे। इन्हीं के वंश में आगे चलकर ठाकुर कमलसिंह जी हुये।
ठाकुर कमलसिंह जी एक प्रसिद्ध पुरुष थे और उनका नाम दूर-दूर तक फैला हुआ है।
यह कहा जा सकता है कि मध्य भारत और बुंदेलखंड में जाटों में सबसे पहले जागृति की बात सोचने वालों में ठाकुर
[पृ.554]: भूपसिंह जी के साथ ही आपका नाम आता है। उन्होंने अपनी उम्र में काफी धन संचय किया और अपने जमीदारी की तरक्की की।
वे प्राय सभी जाट उत्सवों में ठाकुर भूपसिंह जी के साथ शामिल हुए। सुदूर राजस्थान के झुंझुनू और सीकर के उत्सव में भी भी गए। 'जाट जगत' आगरा को उन्होंने आर्थिक सहायता देकर अपना कर्तव्य निभाया था।
मध्य भारत और बुंदेलखंड के बड़े बड़े घरों में आपकी रिश्तेदारियां हैं। उनके बड़े पुत्र श्री कोकसिंह जी हैं जो अंग्रेजी और हिंदी में अच्छी योग्यता रखते हैं। दूसरे छोटे पुत्र सावलसिंह हैं जो पढ़ रहे हैं।
श्री कोकसिंह का जन्म संवत 1984 विक्रमी (1927 ई.) में हुआ है और सोवरनसिंह जी का जन्म संवत 1983 में हुआ है। श्री कोकसिंह जी का विवाह मलऊआ के ठाकुर भगवतसिंह जी की सुपुत्री के साथ हुआ है।
हमारे यहां की कहावत है कि जो लड़के अपने पिता के संचय किए हुये धन और यस को बढ़ाते हैं वह सपूत कहलाते हैं। इन मानों में आप अपने यशस्वी पिता के सुयोग्य और सुपुत्र सिद्ध हुए हैं। आप की अवस्था अभी आरंभिक युवापन में है किंतु जवानी में जो बुराइयां आदमियों में अक्सर पैदा हुआ करती है वह आपको छू भी नहीं गई है।
आपने पिता द्वारा छोड़ी हुई संपत्ति और कीर्ति को बढ़ाया है यही कारण है कि लोग आपसे स्नेह करते हैं। स्वभाव आपका मीठा मिलनसार और चित्त प्रसन्न और सौम्य है। आप कौम को उन्नति के लिए तो सदैव प्रयत्नशील
[पृ.555]: रहते ही हैं दूसरे देश सेवा के कामों में भी भाग लेते हैं। दतिया के पिछले राष्ट्रीय आंदोलन में आप ने भाग लेकर अपनी देश भक्ति का परिचय दिया था।
थरेट के लालऊ गौत्र का इतिहास
सवंत 1405 में रूद्र सहाय जाट लालऊ गौत्र ने थरेट गाँव बसाया। उनके दो पुत्र थे: चित्रांगद व विचित्रवीर। इनके आठ पुत्र हुए। उनके एक पुत्र दीवानसिंह, उन्हीं के वंशज आगे चलकर तीन - चार पीढ़ियों में विभक्त हुए । इस जागीर में लगान उगाहने की रीति दीवानसिंह ने चलाई। आगे चलकर देवसिंह ,विजयसिंह ,प्रतापसिंह ,कमलसिंह ,
विजयसिंह के जसवंतसिंह ,रामसिंह ,योगेन्द्रसिंह , इंदरसिंह
रामसिंह के तीन पुत्र गजेन्द्रसिंह ,नरेन्द्रसिंह ,धर्मेन्द्रसिंह
गजेन्द्रसिंह के सौरवसिंह
योगेन्द्रसिंह के विक्रमसिंह ,रविन्द्रसिंह
इंदरसिंह के कपिल सिंह
कुंजीलाल के रणधीरसिंह ,सुल्तानसिंह ,निहालसिंह , हरनामसिंह
लोकेन्द्रसिंह के भानुप्रतापसिंह के लव
रामबिहारी जी के कमलसिंह, कोकसिंह, सोबरनसिंह
कोकसिंह के तीन बेटे वीरेन्द्रसिंह, योगेन्द्रसिंह, राजयोगेन्द्रसिंह
इनके दो बेटे ,राजयोगेन्द्रसिंह के हर्ष प्रतापसिंह
एक अन्य परिवार के लालूसिंह के किलोलसिंह के अलवेलसिंह ,अजमेरसिंह ,इनके सभी के तीन - तीन पुत्र हैं।
स्रोत - रामसिंह जी, वर्तमान उपाध्यक्ष महाराणा कीर्तिसिंह जाट सभा छात्रावास समिति (ग्वालियर) थरेट (9009372785)
Distribution in Uttar Pradesh
Lalau is a village in tahsil and district Firozabad in UP.
Distribution in Madhya Pradesh
They are found in Madhya Pradesh in Bhopal district.
Villages in Bhopal district
Bandikhedi, Barkhedi, Deopur, Kanera Bhopal, Karond, Nipaniya Jat, Raipur Bhopal, Ratua Ratanpur, Sagoni Kalan,
Villages in Dhar district
Villages in Datia district
Villages in Dewas district
Villages in Hoshangabad district
Villages in Indore district
Villages in Vidisha district
Villages in Sehore district
Hathnora Sehore, Itwar, Jait, Jawahar Kheda, Narayanpur Sehore,
Notable persons
- Kok Singh Tharet (Lalau) (born:1927) (ठाकुर कोकसिंह) from Tharet, Datia, Madhya Pradesh, was a social worker and freedom fighter. [6]
- Thakur Kamal Singh (Lalau) (ठाकुर कमलसिंह) - father of Kok Singh Tharet from Tharet, Datia, Madhya Pradesh, was a social worker and freedom fighter. [7]
References
- ↑ O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.58,s.n. 2213
- ↑ Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas, p. 279
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.553-555
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.553-555
- ↑ User:Sk56
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.553-555
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.553-555
- ↑ Jat Vaibhav Smarika Khategaon, 2010, p. 48
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