Munna Lal Mundel

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शौर्यचक्र विजेता मुन्नालाल मुंडेल

Munna Lal Mundel - 3181886, Naik retired from the 9th Jat Regiment sometime back . He is from village Marwar Mundwa in Nagaur district in Rajasthan, India.


He received Shaurya Chakra award from President of India, Shri APJ Abdul Kalam Azad at a solemn ceremony in Rashtrapati Bhawan, on April 12, 2005 Chaitra 22, 1927, for his indomitable courage and extreme devotion.


परिचय -लेखक बलवीर घिंटाला तेजाभक्त

आप है श्री मुन्नालाल जी मुंडेल| जीते जी शौर्य चक्र से नवाजे गये देश के बहादुर सिपाही.

श्री मुन्नालाल का जन्म 7 जुलाई 1968 को नागौर जिले की मारवाड़ मूंडवा तहसिल में हुआ। आपके पिताजी का नाम श्री दुलाराम जी मुंडेल व माताजी चुंकादेवी है। आपका विवाह जनाणा गांव में श्रीमति कमलादेवी से हुआ जिनसे आपकी दो संताने हरदीप व रणजीत है।

शिक्षा: आपने अपनी प्राथमिक शिक्षा संस्कृत विधालय से पूर्ण की तत्पश्चात मैट्रीक तक हाई स्कूल मूंडवा में अध्ययन किया ।

सेना में सेवा: सन् 1987 में आपका चयन भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में हुआ। आपको प्रथम पोस्टींग उत्तराखंड राज्य के रानीखेत स्थान पर दी गई । इसके अलावा आप अपने सेवाकाल में राजस्थान, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में पोस्टेड होते रहे।

शौर्यचक्र प्राप्त करना: वर्ष 2002 में आप जम्मू कश्मीर के नौसेरा सेक्टर पर पदस्थापित किये गये। वर्ष 2003 में पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा भारतीय चौकी पर हमला किया गया। इसके जवाब में भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट ने 11 अगस्त 2013 को 12 सिपाहीयों की एक दल गठित किया जिसका नेतृत्व मुन्नालाल जी को सौंपा गया। इस दल ने पाकीस्तान की हरदेव पोस्ट पर हमला किया और 16 रेंजर्स को मौत के घाट उतार दिया। इस मुठभेड़ में मुन्नालाल जी ने अदम्य साहस का परिचय दिया तथा अकेले इन्होंने 8 रेंजर्स को ढ़ेर किया। इस दौरान आपके पैर में 30 गौलियां लगी मगर ये सब देशभक्ती के जुनून की आड़े नहीं आयी। आपके इस अभियान में राजस्थान से 4 जाट सिपाही गौपाल डूडी फलौदी, सुरेन्द्र बुरड़क सीकर, सुरेन्द्र धतरवाल झुंझनु, सुरेन्द्र बेनिवाल सादुलपुर, भी साथ थे। 18 सितम्बर 2003 को आपको इस साहसिक कार्य हेतु जीते जी माननीय राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

सेवानिवृति: 26 वर्ष तक भारत मां की सेवा करने के पश्चात 28 फरवरी 2014 को आप सेवानिवृत्त होकर घर पधारे। वर्तमान में आप स्वंय का व्यवसाय कर रहे हैं।

लेखक- बलवीर घिंटाला तेजाभक्त

नायक मुन्नालाल मुंडेल का परिचय: लेखक रमेश शर्मा

नायक मुन्नालाल मुंडेल

शौर्य चक्र

यूनिट - 9 जाट रेजिमेंट

ऑपरेशन रक्षक 2003

नायक मुन्नालाल मुंडेल का जन्म 7 जुलाई 1968 को राजस्थान के नागौर जिले के मूंडवा कस्बे में स्व. चौधरी श्री धुलाराम मुंडेल एवं स्व. श्रीमती चुकां देवी के परिवार में हुआ था। इनके दादा चौधरी उमाराम मुंडेल नेताजी सुभाषचंद्र बोस की "आजाद हिंद फौज" (INA) में रिसाल हवलदार थे। 7 जनवरी 1987 को मुन्नालाल भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। अपने सेवाकाल में नायक मुन्नालाल राजस्थान, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में तैनात रहे व संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UNPKF) में सूडान, इथोपिया व लीबिया आदि देशों में तैनात रहे।

आरंभिक घटनाक्रम

वर्ष 2003 में 9 जाट बटालियन भारत-पाक नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीमावर्ती राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में तैनात थी। 11 अगस्त 2003 की सुबह 5:00 बजे डेल्टा कंपनी के 4 जवानों का एक गश्तीदल नियमित गश्त पर था। तभी, आतंकवादियों के एक समूह ने कुख्यात पाकिस्तानी BAT (BORDER ACTION TEAM) की सहायता से घुसपैठ का प्रयास किया। गश्तीदल द्वारा चुनौती दिए जाने पर आतंकवादियों ने गोलियां चलाईं। परिणामस्वरूप वहां भीषण मुडभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में नायक गोपाल राम डूडी, सदरी (जोधपुर), सिपाही सुरेन्द्र कुमार बुरडक, पलथाना (सीकर), सुरेन्द्र बेनीवाल, सादुलपुर (चूरू) व सिपाही सुरेन्द्र धेतरवाल वीरगति को प्राप्त हुए। तीन आतंकवादी भी मारे गए, अन्य आतंकवादी वापस सीमापार भाग गए पर भागते हुए एक जवान का सिर काट कर ले गए। घोर बर्बरता की इस घटना से पूरी 9 जाट बटालियन का खून खौल उठा व कमांडिंग ऑफिसर ने शीघ्र ही योजना बनाकर इस बर्बरतापूर्ण घटना का बदला लेने का निर्णय किया।

बदले की कार्रवाई 18 सितंबर 2018

एक भारतीय सैनिक का जीवन कितना कठिन व अस्थिर होता है, इसके लिए हम नायक मुन्नालाल के उदाहरण को देख सकते हैं। वर्ष 2003 में नियंत्रण रेखा पर प्रायः BAT के हमले होते रहते थे। ऐसे में नायक मुन्नालाल को 11 माह 18 दिन बाद बड़ी मुश्किल से 9 अगस्त 2003 को घर जाने की छुट्टी मिली। 10 अगस्त को ये घर पहुंचे, परंतु 11 अगस्त 2003 का BAT हमला होने से 11 अगस्त की शाम ही यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर (CO) ने फोन पर इन्हें तुरंत वापस ड्यूटी पर लौटने का आदेश दिया। 12 अगस्त 2003 को नायक मुन्नालाल नियंत्रण रेखा पर अपनी यूनिट में वापस पहुंच गए और CO के साथ बदले की कार्रवाई की योजना बनाने लगे।

एक महीने बाद विस्तृत योजना बनाकर नायक मुन्नालाल मुंडेल के नेतृत्व में 12 जवानों की टीम ने घातक हथियारों के साथ 18 सितम्बर 2003 की रात पाकिस्तान की NEW PAK LP पोस्ट पर भयानक हमला किया। इस हमलावर टीम ने दुश्मन पोस्ट को तहसनहस कर दिया और वहां तैनात पाकिस्तान की मुजाहिद फोर्स रेजिमेंट के 16 सैनिकों को मार गिराया तथा उनमें से 8 सैनिकों के सिर काट कर ले आए। इस भीषण हमले में नायक मुन्नालाल मुंडेल के पैरों में AK-47 की 30 गोलियां लगीं। दोनों पैर छलनी हो गए फिर भी नायक मुन्नालाल हमले की अगुवाई करते हुए लड़ते रहे और 8 दुश्मन सैनिकों को तो अकेले उन्होंने ने ही मार गिराया। सौभाग्य से यह टीम सुरक्षित वापस आ गई।

गंभीर घायल नायक मुन्नालाल का जम्मू के उधमपुर स्थित सैन्य अस्पताल के एक विशेष कमरे में आठ माह तक लंबा उपचार चला। आठ महीनों तक उन्होंने सूरज की किरण तक नहीं देखी। फिर एक महीने के लिए घर आए व फिर 6 महीने तक इनका उपचार और चला।

बदले की इस भयानक कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति व सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने लगभग 10 दिन तक नियंत्रण रेखा पर रहकर भारतीय सेना की गतिविधियों पर निगरानी रखी थी।

नायक मुन्नालाल मुंडेल को इस अत्यतं साहसिक और वीरतापूर्ण कार्रवाई के लिए 15 अगस्त 2005 को महामहिम राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

कुल 26 वर्ष तक भारतीय सेना में गौरवमयी सेवा करके 28 फरवरी 2014 को वह भारतीय सेना से सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए।वर्तमान समय में मुन्नालाल पूर्ण रुप से स्वस्थ हैं व सामान्य जीवन जी रहे हैं।

नायक मुन्नालाल मुंडेल के शौर्य को देश सदैव याद करेगा।

स्रोत - रमेश शर्मा

नोट - बलवीर घिंटाला तेजाभक्त द्वारा दी गई जानकारी में निम्न सुधार की आवश्यकता है:- 11 अगस्त 2003 को हुए बेट हमले के गोपाल डूडी व तीनों सुरेन्द्र को मुन्नालाल के साथ 18 सितंबर 2003 वाले एक्शन में जिंदा बता रखा है। जबकि ये तो उनका बदला लेने गए थे।

चित्र गैलरी


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