Krishna River
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Krishna River (कृष्णा नदी) is the fourth-biggest river in terms of water inflows and river basin area in India, after the Ganga River, Godavari and Brahmaputra. The river is almost 1,400 kilometres long. The river is also called Krishnaveni. It is one of the major sources of irrigation for Maharashtra, Karnataka, Telangana and Andhra Pradesh.
Variants
- Krishna River कृष्णा (AS, p.221)
- Krishnavena कृष्णवेणा (AS, p.220)
- Krishnaveni कृष्णवेणी (AS, p.221)
- Krishnaveni कृष्णवेणी Ramayana (IV.41.9)
- Krishna-Venna (कृष्ण वेण्णा) (River & Tirtha) Mahabharata (III.83.34)
- River Krishna
Sources
The Krishna river originates in the Western Ghats near Mahabaleshwar at an elevation of about 1,300 metres, in the state of Maharashtra in central India. It is one of the longest rivers in India. The Krishna river is around 1,300 km in length. The Krishna river's source is at Mahabaleswar near the Jor village in the extreme north of Wai Taluka, Satara District, Maharashtra in the west and empties into the Bay of Bengal at Hamasaladeevi (near Koduru) in Andhra Pradesh, on the east coast. It flows through the state of Karnataka before entering Telangana State. The delta of this river is one of the most fertile regions in India and was the home to ancient Satavahana and Ikshvaku Sun Dynasty kings. Vijayawada is the largest city on the River Krishna.
Tributaries of Krishna River
The largest tributary of the Krishna River is the Tungabhadra River with a drainage basin measuring 71,417 km2, running for about 531 km, but the longest tributary is the Bhima River, which makes a total run of 861 km and has an equally large drainage area of 70,614 km2.
Three tributaries Panchganga, Warna and Yerla meet Krishna river near Sangli. These places are considered very holy. It is said that Lord Dattatreya spent some of his days at Audumber on the banks of river Krishna.
Sangameswaram of Kurnool district in Andhra Pradesh is a famous pilgrim center for Hindus where Tungabhadra and Bhavanasi rivers join the Krishna river. The Sangameswara temple is now drowned in the Srisailam reservoir, and visible for devotees only during summer when the reservoir's water level comes down.
Places of interst in Krishna Basin
Krishna river is revered by Hindus as sacred. The river is also believed to remove all sins of people by taking a bath in this river. The centre of attraction is the Krishna Pushkaram fair which is held once in twelve years on the banks of the Krishna river. There are many pilgrimage places in Maharashtra, Karnataka, Telangana and Andhra Pradesh on the course of the river.
The first holy place on the river Krishna is at Wai, known for the Mahaganpati Mandir and Kashivishweshwar temple. It has seven ghats along the river. Temples like Dattadeva temple, which is revered by the people of Maharashtra, are located on the banks of Krishna at Narsobawadi and Audumbar near Sangli. Also, located on the banks of the river Krishna are the Sangameshwar Shiva temple at Haripur, goddess Kanaka Durga Temple in Vijayawada and Ramling temple near Sangli, Mallikarjuna Jyotirlinga (Srisailam), Amareshwara Swamy temple (Amaravati (state capital)), Dattadeva temple, Sangameshwara Shiva temples at Alampur in Telangana.
In Mahabharata
Krishna-Venna (कृष्ण वेण्णा) (River) Mahabharata (II.9.20)
Krishna-Venna (कृष्ण वेण्णा) (Tirtha) Mahabharata (III.83.34),
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 9 mentions the Kings who attended Sabha of Varuna. Krishna-Venna (कृष्ण वेण्णा) (River & Tirtha) is mentioned in Mahabharata (II.9.20). [1]
Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 83 mentions names of Pilgrims. Krishna-Venna (कृष्ण वेण्णा) (Tirtha) Mahabharata (III.83.34).[2]....Bathing next at the romantic Deva-hrada (देव ह्रद) (III.83.34) that is supplied by the waters of the Krishna-Venna (कृष्ण वेण्णा) (III.83.34), and also in the Jatismara-hrada (जातिमात्रह्रद) (III.83.34), one acquireth the memory of one's former life. It was there that the chief of the celestials celebrated a hundred sacrifices and ascended to heaven. By a visit only to that spot, one acquireth the merit of the Agnishtoma sacrifice.
In Ramayana
Kishkindha Kanda Sarga 41 mentions... Sugreeva sends Vanaras to southward which troop includes Hanuman, Jambavanta, Nila and others and Angada is its leader. Sugreeva gives a vivid picture of the southern side of Jambudvipa up to the south-most part of passable regions... Krishnaveni (कृष्णावेणी) River is mentioned in Ramayana (4.41.9).[3]....
"Search the thousand crested Vindhya mountains abounding with numerous tress and climbers, then the delightful Narmada River coursing a little southerly to that range, which is adored by great snakes, along with wonderful Godavari River, as well as River Krishnaveni and Maha Nadi, and then the greatly auspicious Varada River which is an adoration to great snakes. And the territories of Mekhala, Utkala, the cities of Dasharna, kingdoms of Abravanti, Avanti, and Vidarbha, also thus the charming kingdom of Mahishaka, are to be searched thoroughly. [4-41-8,9,10]
कृष्णवेणा
विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...कृष्णवेणा नदी (AS, p.220) का उल्लेख महाभारत, सभापर्व 9, 20 में हुआ है। इस उल्लेख के अनुसार कृष्णवेणा दक्षिण भारत की कृष्णा जान पड़ती है। -- 'गोदावरी कृष्णवेणा कावेरी च सरिद्वरा, किंपुना च विशल्या च तथा वैतरणी नदी'।
श्री चि. वि. वैद्य का मत है कि कृष्णवेणा नदी, कृष्णा से भिन्न है। किंतु इस विशिष्ट स्थल पर इसका गोदावरी और कावेरी के बीच उल्लेख होने के कारण तथा कृष्णा का पृथक् नामोल्लेख न होने से पहला मत ही ग्राह्य जान पड़ता है। (दे.कृष्णवेणी)
'कृष्णवेणा', 'कृष्ण वेणी', 'कृष्णा' आधुनिक कृष्णा नदी के ही नाम हैं, जो दक्षिण भारत में किष्किंधा के उत्तर और क्रौंच आरण्य के दक्षिण वाले भाग से होकर बहती है।[5]
कृष्णवेणी
विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ...कृष्णवेणी (AS, p.221) जिला गुलबर्गा, आंध्र प्रदेश: यह नदी गुलबर्गा के जिले में बहती है. इसके तट पर गई प्राचीन पुण्य-क्षेत्र हैं जिनमें छाया भगवती क्षेत्र प्रसिद्ध है. यह नारायणपुर गांव के निकट है. महाभारत सभापर्व 9,20 में उल्लिखित वर्तमान कृष्णवेणा, वर्तमान कृष्णा है. वास्तव में कृष्णा और वेणा की संयुक्त धारा का ही नाम कृष्णवेणी है.
कृष्णा
विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ... कृष्णा नदी (AS, p.221) दक्षिण भारत की एक महत्त्वपूर्ण नदी है, इसका उद्गम महाराष्ट्र राज्य में महाबलेश्वर के समीप पश्चिमी घाट शृंखला से होता है, जो भारत के पश्चिमी समुद्रतट से अधिक दूर नहीं है। कृष्णा नदी को दो सबसे बड़ी सहायक नदियां, भीमा (उत्तर) और तुंगभद्रा (दक्षिण) हैं। भीमा नदी (महाराष्ट्र) पर उजैनी बांध और तुंगभद्रा नदी पर हौसपेट में बने एक अन्य बांध से सिंचाई के पानी में वृद्धि हुई है। हौसपेट से विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति भी होती है। श्रीमद्भागवत 5,19,18 में इसका उल्लेख है—'…कावेरी वेणी पयस्विनी शर्करावती तुंगभद्रा कृष्णा वेण्या भीमरथी…' कृष्णा बंगाल की खाड़ी में मसुलीपट्म के निकट गिरती है। कृष्णा और वेणी के संगम पर माहुली नामक प्राचीन तीर्थ है। पुराणों में कृष्णा को विष्णु के अंश से संभूत माना गया है। महाभारत सभा पर्व 9,20में कृष्णा को कृष्णवेणा कहा गया है और गोदावरी और कावेरी के बीच में इसका उल्लेख है जिससे इसकी वास्तविक स्थिति का बोध होता है- 'गोदावरी कृष्णवेणा कावेरी च सरिद्वारा'।
कृष्णा नदी का परिचय
यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और फिर सामान्यत: दक्षिण-पूर्वी दिशा में सांगली से होते हुए कर्नाटक राज्य सीमा की ओर बहती है। यहाँ पहुँचकर यह नदी पूर्व की ओर मुड़ जाती है और अनियमित गति से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्य से होकर बहती है। अब यह दक्षिण-पूर्व व फिर पूर्वोत्तर दिशा में घूम जाती है और इसके बाद पूर्व में विजयवाड़ा में अपने डेल्टा शीर्ष की ओर बहती है। यहाँ से लगभग 1,290 किमी की दूरी तय करके यह बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। कृष्णा के पास बड़ा और बहुत उपजाऊ डेल्टा है, जो पूर्वोत्तर में गोदावरी नदी क्षेत्र की ओर आगे बढ़ता जाता है। कृष्णा नदी की लम्बाई लगभग 1400 कि.मी. है।
यह नौकाचालान योग्य नहीं है, लेकिन कृष्णा से सिंचाई के लिए पानी तो मिलता ही है; विजयवाड़ा स्थित एक बांध डेल्टा में एक नहर प्रणाली की सहायता से पानी के बहाव को नियंत्रित करता है। मॉनसूनी वर्षा के द्वारा पानी मिलने के कारण नदी के जलस्तर में वर्ष भर काफ़ी उतार-चढ़ाव आता रहता है, जिससे सिंचाई के लिए इसकी उपयोगिता सीमित ही है।
संदर्भ: भारतकोश-कृष्णा नदी
External links
References
- ↑ गॊदावरी कृष्ण वेण्णा कावेरी च सरिथ वरा, एताश चान्याश च सरितस तीर्दानि च सरांसि च (II.9.20)
- ↑ 34 ततॊ देव हरदे रम्ये कृष्ण वेण्णा जलॊद्भवे, जातिमात्रह्रदे चैव तथा कन्याश्रमे नृप (III.83.34)
- ↑ ततो गोदावरीम् रम्याम् कृष्णावेणीम् महानदीम् । वरदाम् च महाभागाम् महोरग निषेविताम् । मेखलान् उत्कलाम् चैव दशार्ण नगराणि अपि ॥4-41-9॥
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.220
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 556, परिशिष्ट 'क' |
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.221
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.221