Khema Baba: Difference between revisions

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बचपन में आप बाल-साथियों के साथ पशु चराने का काम करते थे. आपका विवाह संवत 1958 (सन 1901)  की आसोज सुदी  8 शुक्रवार को [[Nosar|नौसर]] गाँव में पीथाराम [[Machra|माचरा]] की पुत्री वीरां देवी के साथ हुआ. आपके एक मात्र पुत्री नेनीबाई पैदा हुई. खेमाराम का झुकाव प्रारंभ से ही भक्ति की तरफ था. आप अकाल की स्थिति में दूर-दूर तक गायें चराने जाया करते थे. इन्हें [[Sindhari|सिणधरी]] स्थित [[गोयणा भाखर]] में एक साधू तपस्या करता मिला. इनसे आपने बहुत कुछ सीखा तथा इनकी रूचि भक्ति की तरफ बढ़ गयी. गूदड़ गद्दी के रामनाथ खेड़ापा से संवत 1961  में खेमसिद्ध ने उपदेश लेकर दीक्षा ग्रहण की.
बचपन में आप बाल-साथियों के साथ पशु चराने का काम करते थे. आपका विवाह संवत 1958 (सन 1901)  की आसोज सुदी  8 शुक्रवार को [[Nosar|नौसर]] गाँव में पीथाराम [[Machra|माचरा]] की पुत्री वीरां देवी के साथ हुआ. आपके एक मात्र पुत्री नेनीबाई पैदा हुई. खेमाराम का झुकाव प्रारंभ से ही भक्ति की तरफ था. आप अकाल की स्थिति में दूर-दूर तक गायें चराने जाया करते थे. इन्हें [[Sindhari|सिणधरी]] स्थित [[गोयणा भाखर]] में एक साधू तपस्या करता मिला. इनसे आपने बहुत कुछ सीखा तथा इनकी रूचि भक्ति की तरफ बढ़ गयी. गूदड़ गद्दी के रामनाथ खेड़ापा से संवत 1961  में खेमसिद्ध ने उपदेश लेकर दीक्षा ग्रहण की.


[[Goyna Bhakhar|गोयणा भाखर]] [[Sindhari|सिणधरी]] में तपस्या करने के बाद [[बायतु भीमजी]] स्थित धारणा धोरे पर भक्ति की. काला बाला व सर्पों के देवता के रूप में कई पर्चे दिए तथा जनता के दुःख-दर्द दूर किये. आपने अरणे का पान खिला कर अमर राम का दमा ठीक किया. आज भी मान्यता है कि बायतु में स्थित खेम सिद्ध के इस चमत्कारिक अरने का पान खाने से दमा दूर हो जाता है. आपने अपने भक्त धोली डांग (मालवा) निवासी श्रीचंद सेठ के पुत्र को जीवित किया. सिणधरी व [[Bhadkha|भाडखा]] में कोढियों की कोढ़ दूर की.  [[Sarnu|सरणू]] गाँव में गंगाराम रेबारी को गंगा तालाब बनाने का वचन दिया. जाहरपीर गोगाजी, वीर तेजाजी, वभुतासिद्ध कि पीढ़ी के इस चमत्कारिक संत कि आराधना मात्र से ही सर्प, बांडी, बाला (नारू) रोग ठीक हो जाते हैं.
[[Goyna Bhakhar|गोयणा भाखर]] [[Sindhari|सिणधरी]] में तपस्या करने के बाद [[बायतु भीमजी]] स्थित धारणा धोरे पर भक्ति की. काला बाला व सर्पों के देवता के रूप में कई पर्चे दिए तथा जनता के दुःख-दर्द दूर किये. आपने अरणे का पान खिला कर अमर राम का दमा ठीक किया. आज भी मान्यता है कि बायतु में स्थित खेम सिद्ध के इस चमत्कारिक अरने का पान खाने से दमा दूर हो जाता है. आपने अपने भक्त धोली डांग (मालवा) निवासी श्रीचंद सेठ के पुत्र को जीवित किया. सिणधरी व [[Bhadkha|भाडखा]] में कोढियों की कोढ़ दूर की.  [[Sarnu|सरणू]] गाँव में गंगाराम रेबारी को गंगा तालाब बनाने का वचन दिया. आपके परचे से गाँव भूंका में सूखी खेजड़ी हरी हो गयी. भंवराराम सुथार लोहिड़ा, रतनाराम सियाग, चोखाराम डूडी, रूपाराम लोल, जीया राम बेनीवाल, पुरखाराम नेहरा सहित असंख्य भक्तों का दुःख दूर हुआ.  जाहरपीर गोगाजी, वीर तेजाजी, वभुतासिद्ध कि पीढ़ी के इस चमत्कारिक संत कि आराधना मात्र से ही सर्प, बांडी, बाला (नारू) रोग ठीक हो जाते हैं. खेमा बाबा ने गायों के चरवाहे के रूप में जीवन प्रारंभ किया. [[शिव]] की भक्ति के  पुण्य प्रताप एवं गायों की अमर आशीष से देवता के रूप में पूजनीय हो गए, जिनके नाम मात्र से ही सर्प का विष उतर जाता है.


खेमा बाबा ने गायों के चरवाहे के रूप में जीवन प्रारंभ किया. [[शिव]] की भक्ति के  पुण्य प्रताप एवं गायों की अमर आशीष से देवता के रूप में पूजनीय हो गए, जिनके नाम मात्र से ही सर्प का विष उतर जाता है. आपने भाद्रपद शुक्ल आठं को [[Bayatu Bhimji|बायतु भीमजी]] में समाधी ली.  इसके पश्चात् आपके परचों की ख्याति न केवल बायतु बल्कि सम्पूर्ण [[Marwar|मारवाड़]] में फ़ैल गयी. सम्पूर्ण [[Malani|मालानी]] में गाँव-गाँव आपके आराधना स्थल मंदिर बने हैं. [[Palaria|पालरिया धाम]], [[Charlai Kala|चारलाई कलां]], [[Rawatsar Barmer| रावतसर]], [[Chhotoo|छोटू]], [[धारणा धोरा]], वीर तेजा मंदिर (भगत की कोठी) में आपके मंदिर बने हैं. चैत्र, भाद्रपद एवं माह की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेमा बाबा के मंदिरों में मेला भरता है. इनकी समाधी स्थल बायतु भोपजी में हजारों की संख्या में श्रदालु अपने अराध्य देव के दर्शन करने आते हैं.
आपने भाद्रपद शुक्ल आठं को [[Bayatu Bhimji|बायतु भीमजी]] में समाधी ली.  इसके पश्चात् आपके परचों की ख्याति न केवल बायतु बल्कि सम्पूर्ण [[Marwar|मारवाड़]] में फ़ैल गयी. सम्पूर्ण [[Malani|मालानी]] में गाँव-गाँव आपके आराधना स्थल मंदिर बने हैं. [[Palaria|पालरिया धाम]], [[Charlai Kala|चारलाई कलां]], [[Rawatsar Barmer| रावतसर]], [[Chhotoo|छोटू]], [[धारणा धोरा]], वीर तेजा मंदिर (भगत की कोठी) में आपके मंदिर बने हैं. चैत्र, भाद्रपद एवं माह की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेमा बाबा के मंदिरों में मेला भरता है. इनकी समाधी स्थल बायतु भोपजी में हजारों की संख्या में श्रदालु अपने अराध्य देव के दर्शन करने आते हैं.


== खेमा बाबा का मंदिर ==
== खेमा बाबा का मंदिर ==

Revision as of 11:40, 4 April 2011

Khema Baba

Khema Baba (खेमा बाबा), Jakhar Gotra Jat, was a social reformer born in village Baytoo Bhopji in Baytu tahsil of Barmer district of Marwar region in Rajasthan. He was a revered person in Rajasthan as well as in Gujarat. There is a temple in village Vayatu to commemorate him. Fairs are organized every year on magha sudi 9 and bhadrapada sudi 9, in which thousands of people take part.[1]

खेमा बाबा का परिचय

संत पुरुष खेमा बाबा का आविर्भाव बायतु के धारणा धोरा स्थित जाखड़ गोत्री जाट कानाराम के घर फागुन बदी सोमवार संवत 1932 को हुआ. आपकी माताजी बायतु चिमनजी के फताराम गूजर जाट की पुत्री रूपा बाई थी.

जाखड़ जाट गाँव बायतु, घर काने अवतार ।
धरा पवित्र धारणो , फागन छत सोमवार ।।

बचपन में आप बाल-साथियों के साथ पशु चराने का काम करते थे. आपका विवाह संवत 1958 (सन 1901) की आसोज सुदी 8 शुक्रवार को नौसर गाँव में पीथाराम माचरा की पुत्री वीरां देवी के साथ हुआ. आपके एक मात्र पुत्री नेनीबाई पैदा हुई. खेमाराम का झुकाव प्रारंभ से ही भक्ति की तरफ था. आप अकाल की स्थिति में दूर-दूर तक गायें चराने जाया करते थे. इन्हें सिणधरी स्थित गोयणा भाखर में एक साधू तपस्या करता मिला. इनसे आपने बहुत कुछ सीखा तथा इनकी रूचि भक्ति की तरफ बढ़ गयी. गूदड़ गद्दी के रामनाथ खेड़ापा से संवत 1961 में खेमसिद्ध ने उपदेश लेकर दीक्षा ग्रहण की.

गोयणा भाखर सिणधरी में तपस्या करने के बाद बायतु भीमजी स्थित धारणा धोरे पर भक्ति की. काला बाला व सर्पों के देवता के रूप में कई पर्चे दिए तथा जनता के दुःख-दर्द दूर किये. आपने अरणे का पान खिला कर अमर राम का दमा ठीक किया. आज भी मान्यता है कि बायतु में स्थित खेम सिद्ध के इस चमत्कारिक अरने का पान खाने से दमा दूर हो जाता है. आपने अपने भक्त धोली डांग (मालवा) निवासी श्रीचंद सेठ के पुत्र को जीवित किया. सिणधरी व भाडखा में कोढियों की कोढ़ दूर की. सरणू गाँव में गंगाराम रेबारी को गंगा तालाब बनाने का वचन दिया. आपके परचे से गाँव भूंका में सूखी खेजड़ी हरी हो गयी. भंवराराम सुथार लोहिड़ा, रतनाराम सियाग, चोखाराम डूडी, रूपाराम लोल, जीया राम बेनीवाल, पुरखाराम नेहरा सहित असंख्य भक्तों का दुःख दूर हुआ. जाहरपीर गोगाजी, वीर तेजाजी, वभुतासिद्ध कि पीढ़ी के इस चमत्कारिक संत कि आराधना मात्र से ही सर्प, बांडी, बाला (नारू) रोग ठीक हो जाते हैं. खेमा बाबा ने गायों के चरवाहे के रूप में जीवन प्रारंभ किया. शिव की भक्ति के पुण्य प्रताप एवं गायों की अमर आशीष से देवता के रूप में पूजनीय हो गए, जिनके नाम मात्र से ही सर्प का विष उतर जाता है.

आपने भाद्रपद शुक्ल आठं को बायतु भीमजी में समाधी ली. इसके पश्चात् आपके परचों की ख्याति न केवल बायतु बल्कि सम्पूर्ण मारवाड़ में फ़ैल गयी. सम्पूर्ण मालानी में गाँव-गाँव आपके आराधना स्थल मंदिर बने हैं. पालरिया धाम, चारलाई कलां, रावतसर, छोटू, धारणा धोरा, वीर तेजा मंदिर (भगत की कोठी) में आपके मंदिर बने हैं. चैत्र, भाद्रपद एवं माह की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन खेमा बाबा के मंदिरों में मेला भरता है. इनकी समाधी स्थल बायतु भोपजी में हजारों की संख्या में श्रदालु अपने अराध्य देव के दर्शन करने आते हैं.

खेमा बाबा का मंदिर

बाड़मेर जिले के बायतु कसबे में स्थित सिद्ध खेमा बाबा के मंदिर में माघ माह के शुक्ल पक्ष में नवमी को मेला भरता है. इसी तरह भादवा माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को भी मेला लगता है. इन मेलों में ग्रामीणों का अपार सैलाब उमड़ पड़ता है. खेमा बाबा के बारे में कहा जाता है कि उनको गोगाजी का वरदान प्राप्त है, जिससे खेमा बाबा की श्रद्धा से सांप तथा बिच्छू का काटा ठीक हो जाता है. निकट ही गोगाजी का मंदिर है जो स्वयं खेमा बाबा के इष्ट देवता माने जाते हैं. इसी दिन इस मंदिर पर भी जातरुओं का जमघट लगा रहता है. खेमा बाबा साँपों के सिद्ध देवता माने जाते हैं.

किंवदंतियों के अनुसार बायतु भोपजी निवासी खेमा राम जाखड़ पहले गायें चराने जाया करते थे. एक बार कुछ गाएँ सिणधरी की सरहद गोहिना पहाड़ की गुफा में चली गई . खेमा राम भी उनके पीछे चल रहे थे. भीतर जाकर एक महात्मा को तपस्या करते देखा तो वे महात्मा के चरणों में गिर पड़े तथा कहते हैं तब से उनका हृदय परिवर्तन हो गया. खेमा राम ने कहा की मैं अपराधिक प्रवृति छोड़ना चाहता हूँ , तब महात्मा ने उन्हें वचन दिया कि आज से सांप काटे व्यक्ति को अपने नाम की सफ़ेद कपडे की तांती बांध दोगे तो वह ठीक हो जायेगा.

तब खेमा राम वहां से लौटे और बायतु आकर एक जगह तप करने लगे. कहते हैं कि एक बार सांप के काटने से मरे एक बच्चे को जीवित कर दिया. कई वर्ष की भक्ति करने के बाद खेमा बाबा देवलोक हो गए. वर्तमान में उनकी समाधी पर भव्य मंदिर बना है जहाँ प्रतिवर्ष दो बार मेला भरता है. इस परिसर में पश्चिम की और भव्य मंदिर स्थित है. मंदिर के एक कमरे में बाबा की समाधी पर अब उनकी प्रतिमाएँ हैं, जहाँ स्वयं खेमा बाबा उनकी पत्नी वीरा देवी के तथा नाग देवता की प्रतिमाएँ हैं. यहाँ एक विशाल धर्मशाला भी है जहाँ भक्त लोग ठहरते हैं. मंदिर के परिसर में ही नीम के एक पेड़ पर सफ़ेद कपडे की तान्तियाँ लगी हुई हैं. यहाँ आने वाले अधिकांश ग्रामीण इस पेड़ पर तांती अवश्य बांधते हैं. इससे उनकी मन्नत पूरी होती है.

बायतु के मंदिर के अलावा भी बाड़मेर में खेमा बाबा के दर्जनों मंदिर हैं. बायतु के मुख्य मन्दिर पर लगने वाले मेलों में २ लाख तक ग्रामीण पधारते हैं. मेले में बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर से अधिकांश लोग आते हैं परन्तु सीकर, चुरू, झुंझुनू, बीकानेर तथा गुजरात से भी लोग आने लगे हैं. इस दिन लोक भजनों में उनके भक्त कहते हैं -

खेमा बाबा थारो मेलो लागे भारी, रे बाबा मेलो लागे भारी
खेमा बाबा हैलो हाम्बलो मारो, रे बाबा हैलो हाम्बलो मारो

खेमा बाबा मेला कल

भास्कर न्यूज, 22 जनवरी 2010[2]

बायतु & तहसील मुख्यालय पर स्थित खेमा बाबा की समाधि पर मेला 23 जनवरी को आयोजित होगा। इस मेले में जिले भर से हजारों श्रद्धालु धोक लगाएंगे। लोक देवता खेमा बाबा के मेले का आगाज शनिवार को होगा। मेले की तैयारियां को अंतिम रुप दे दिया गया। मेला स्थल पर स्टाले लगाई जा रही है। यहां पानी, बिजली, चिकित्सा के माकूल प्रबंध किए गए है। मेले के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित होंगे।

खेमा बाबा क्रिकेट प्रतियोगिता का समापन

भास्कर न्यूज, मंगलवार,11 मई, २०१० [3]

बायतु & खेमा बाबा क्रिकेट प्रतियोगिता का फाइनल मैच माधासर व आरडीएक्स बाड़मेर के बीच खेला गया। इसमें माधासर ने एक रन से जीत दर्ज की। मैच समापन के साथ ही समापन समारोह रखा गया। खेमा बाबा क्रिकेट प्रतियोगिता के समापन समारोह में विजेता टीम को ट्राफी व 6 हजार 100 रुपए मुख्य अतिथि भामाशाह महेन्द्र चौपड़ा की ओर से प्रदान किए गए। प्रतियोगिता के आयोजक आसूराम बैरड़ ने खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ाने के लिए प्रतयेक वर्ष ट्रॉफी देने की घोषणा की। समापन समारोह को भागीरथ जैन, चंपालाल सोनी, पेमाराम जाखड़, कुंभाराम बैरड़, मंगलाराम बैरड़, हीराराम बैरड़, पदमाराम भाखर ने संबोधित किया। मंच का संचालन जालमसिंह ने किया। प्रतियोगिता का प्रतिवेदन मालाराम सऊ ने प्रस्तुत किया।

खेमा बाबा मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह

राजस्थान पत्रिका, 24 मई 2010 [4]

मोहनगढ़ । गांव से करीब 45 किमी दूर नहरी क्षेत्र में 95 आरडी एसएलडी पर खेमा बाबा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन रविवार 24 मई 2010 को किया गया। जिसमें बाड़मेर, जैसलमेर के अतिथि, साधु संतों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। नहरी क्षेत्र की एसएलडी की 95 आरडी पर खेमा बाबा मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर शनिवार को जल-यात्रा व जागरण का आयोजन किया गया।

रविवार सुबह मूर्ति स्थापना एवं महाप्रसादी का वितरण किया गया। समिति के सदस्यों ने बताया कि यज्ञ एवं हवन के समय ऊंकार भारती महाराज परेउ मठ, मोटनाथ महाराज लीलसर, सूरजनाथ महाराज पांचला, निरंजन भारती महाराज, थानापति जूना अखाड़ा, भेरूभारती महाराज बायतू मठ, मगनपुरी भीयाड़ उपस्थित थे।

मंदिर में कलश के लिए 11 लाख 51 हजार रूपए की बोली लगी। मंदिर को कुल 40 लाख रूपए की राशि प्राप्त हुई। रविवार को मूर्ति स्थापना एवं महाप्रसादी के समय राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी , सांसद हरीश चौधरी, जिला प्रमुख अब्दुला फकीर, पूर्व विधायक तगाराम चौधरी सहित अन्य लोग भी पहुंचे।

जाट समाज पत्रिका[5] आगरा के अनुसार ओमकार भारती - श्री मोरनाथ महाराज के सानिध्य में संपन्न यह समारोह 19 मई को गणपति पूजन के साथ शुरू हुआ. मुख्य मंदिर बायतु से शोभा यात्रा गाड़ियों के काफिले के साथ अस.अल.ड़ी. मंदिर में प्रवेश किया. 21 मई को यज्ञ हवन और 22 मई को जल-यात्रा जागरण का आयोजन हुआ. 23 मई 2010 को मूर्ती स्थापना एवं महाप्रसादी कार्यक्रम हुआ. इस धार्मिक समारोह में जैसलमेर-बाड़मेर जिलों से भरी संख्या में श्रद्धालू पधारे.

इस धार्मिक समारोह के विशिष्ट अतिथि के तौर पर जैसलमेर के जिला प्रमुख अब्दुल फ़कीर थे. इनके अलावा पूर्व विधायक तागा राम बायतू, पूर्व विधायक गोरधन काला, मुख्य अभियंता बलदेव चौधरी जैसलमेर, प्रधान मूलाराम पाबड़ा जैसलमेर, प्रधान सिमरथाराम बायतू, जे.सी.सी.बी. अध्यक्ष श्रीमती डौलीदेवी गोदारा जैसलमेर,बी.सी.सी.बी. अध्यक्ष डूंगरराम काकड़ बाड़मेर, भूमि विकास बैंक पूर्व अध्यक्ष डॉ रामजी राम ने समारोह की शोभा बढाई.

मुख्य दान दाता जाटों की सूची

इस अवसर पर उदारता पूर्वक दान दाताओं में थे:

सन्दर्भ


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