Badhala Ki Dhani
Badhala Ki Dhani (बधाला की ढाणी) is a village in Danta Ramgarh tahsil in Sikar district of Rajasthan.
Location
It is situated on NH-11 north of Sundarpura. It is about 3 km from Palsana.
Jat Gotras
Population
As per Census-2011 statistics, Badhala Ki Dhani village has the total population of 1787 (of which 927 are males while 860 are females).[1]
History
बधाला की ढाणी में विद्यालय खोला गया
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है....खंडेलावाटी इलाके को जगाने के लिए.... जुलाई सन् 1931 में बधाला की ढाणी में जोकि पलसाना से 2 मील के फासले पर अवस्थित है। एक विद्यालय खोला गया जिसके प्रथम अध्यापक पंडित ताड़केश्वर जी शर्मा बनाए गए। उनके विद्यालय में मास्टर लालसिंह और बलवंतसिंह जी मेरठ वालों ने काम किया।
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....[पृ.470]: सन् 1931 में दिल्ली में रायबहादुर चौधरी लालचंद्र जी के सभापतित्व में अखिल भारतीय जाट महासभा के महोत्सव के अवसर पर मैंने चौधरी लादूराम जी से सर्वप्रथम साक्षात किया। वे बड़े-बड़े ढब्बों वाला छपा हुआ साफा बांध रहे थे और बंगाली फैशन का कुर्ता पहन रहे थे। धोती उनकी मारवाड़ी ढंग की बंधी हुई थी। ‘जाटवीर’ अखबार में उनका नाम अनेकों बार पढ़ा था। जातीय संस्थाओं को दिल खोलकर दान देने में वे इन दिनों नाम पैदा कर रहे हैं।
मेरा उनका यह प्रथम परिचय सदा के लिए प्रगाढ़ हो गया और वह मित्रता का रूप धारण कर गया। इसके 12 महीने बाद ही जब मैं मंडावा आर्य समाज के जलसे में जाने को तैयार हो रहा था तो आप का एक पत्र मुझे मिला जिसमें बधाला की ढाणी में आपने एक जाट पाठशाला खोल देने के लिए लिखा था।
मंडावा आर्य समाज के जलसे के अवसर पर मुझे खादी आश्रम रींगस के व्यवस्थापक लाला मूलचंद्र अग्रवाल और उनके एक स्नेही पंडित बद्रीनारायण जी लोहरा के दर्शन भी हुए थे और उन्हें लेकर मैं बधाला की ढाणी पहुंचा। वहां चौधरी श्यामूजी - मांगूजी के सहयोग से पाठशाला की स्थापना हुई और इसके प्रथम अध्यापक हुए पंडित ताड़केश्वर जी शर्मा। उनके बाद मास्टर लालसिंह और बलवंतसिंह यहां पर रहे।
बधाला की ढाणी सिर्फ 4 घरों का एक गांव है किंतु यहां पाठशाला के कायम होते इस जगह को अत्यंत महत्व प्राप्त हुआ। मैं जयपुर राजय के तमाम गांव से अधिक
[पृ.471]: इस ढाणी का आदर करता हूं। चार-पांच साल तक तो समस्त शेखावाटी, सीकरवाटी और खंडेलावाटी की जाट प्रगतियों का स्रोत केंद्र रही थी।
इस पाठशाला का कुल खर्च 5 वर्ष तक चौधरी लादूराम जी ने ही किया। इसके अलावा ठाकुर भोला सिंह, हुकुम सिंह और पंडित सावलप्रसाद जी चतुर्वेदी को एक साल तक अपनी ओर से वेतन देकर इस इलाके को जगाने का प्रयत्न कराया। शेखावाटी के आज के लीडर जिन दिनों साधनहीन फिरते, उन दिनों चौधरी लादूराम जी ने ही अपने परमित साधनों से लगभग डेढ़ हजार गांवों के क्षेत्र सीकर खंडेला और शेखावाटी में जीवन ज्योति पैदा करने को लगाया। इस पाठशाला के अलावा उन्होंने कुंवरपुरा, अभयपुरा, सामेर और गोवर्धनपुरा में भी पाठशालाये कायम की और उन्हें कई वर्ष तक अपने ही खर्चे से चलाया भी किंतु खेद है कि कोई भी पाठशाला स्थावलंबी नहीं बन सकी।
मास्टर चंद्रभानसिंह गिरफ्तार
मास्टर चंद्रभानसिंह गिरफ्तार - ठिकानेदार और रावराजा ने जाट प्रजापति महायज्ञ सीकर सन 1934 के नाम पर जो एकता देखी, इससे वे अपमानित महसूस करने लगे और प्रतिशोध की आग में जलने लगे. जागीरदार किसान के नाम से ही चिढ़ने लगे. एक दिन किसान पंचायत के मंत्री देवी सिंह बोचल्या और उपमंत्री गोरु सिंह को गिरफ्तार कर कारिंदों ने अपमानित किया. लेकिन दोनों ने धैर्य का परिचय दिया. मास्टर चंद्रभान उन दिनों सीकर के निकट स्थित गाँव पलथाना में पढ़ा रहे थे. स्कूल के नाम से ठिकानेदारों को चिड़ होती थी. यह स्कूल हरीसिंह बुरड़क जन सहयोग से चला रहे थे. बिना अनुमति के स्कूल चलाने का अभियोग लगाकर रावराजा की पुलिस और कर्मचारी हथियारबंद होकर पलथाना गाँव में जा धमके. मास्टर चंद्रभान को विद्रोह भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया और हथकड़ी लगाकर ले गये. [4]
किसान नेता घरों में पहुँच कर शांति से साँस भी नहीं ले पाए थे कि सीकर खबर मिली कि मास्टर चंद्रभान सिंह को 24 घंटे के भीतर सीकर इलाका छोड़ने का आदेश दिया है और जब वह इस अवधि में नहीं गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. ठिकाने वाले यज्ञ में भाग लेने वाले लोगों को भांति-भांति से तंग करने लगे. मास्टर चंद्रभान सिंह यज्ञ कमेटी के सेक्रेटरी थे और पलथाना में अध्यापक थे. सीकर ठिकाने के किसानों के लिए यह चुनौती थी. मास्टर चंद्रभानसिंह को 10 फ़रवरी 1934 को गिरफ्तार करने के बाद उन पर 177 जे.पी.सी. के अधीन मुक़दमा शुरू कर दिया था. [5]
यह चर्चा जोरों से फ़ैल गयी की मास्टर चन्द्रभान को जयपुर दरबार के इशारे पर गिरफ्तार किया गया है. तत्पश्चात ठिकानेदारों ने किसानों को बेदखल करने, नई लाग-बाग़ लगाने एवं बढ़ा हुआ लगान लेने का अभियान छेड़ा. (राजेन्द्र कसवा: p. 122-23)
बधाला की ढाणी में विशाल आमसभा
पीड़ित किसानों ने बधाला की ढाणी में विशाल आमसभा आयोजित की, जिसमें हजारों व्यक्ति सम्मिलित हुए. इनमें चौधरी घासीराम, पंडित ताड़केश्वर शर्मा, ख्यालीराम भामरवासी, नेतराम सिंह, ताराचंद झारोड़ा, इन्द्राजसिंह घरडाना, हरीसिंह पलथाना, पन्ने सिंह बाटड, लादूराम बिजारनिया, व्यंगटेश पारिक, रूड़ा राम पालडी सहित शेखावाटी के सभी जाने-माने कार्यकर्ता आये. मंच पर बिजोलिया किसान नेता विजय सिंह पथिक, ठाकुर देशराज, चौधरी रतन सिंह, सरदार हरलाल सिंह आदि थे. छोटी सी ढाणी में पूरा शेखावाटी अंचल समा गया. सभी वक्ताओं ने सीकर रावराजा और छोटे ठिकानेदारों द्वारा फैलाये जा रहे आतंक की आलोचना की. एक प्रस्ताव पारित किया गया कि दो सौ किसान जत्थे में जयपुर पैदल यात्रा करेंगे और जयपुर दरबार को ज्ञापन पेश करेंगे. तदानुसार जयपुर कौंसिल के प्रेसिडेंट सर जॉन बीचम को किसानों ने ज्ञापन पेश किया. (राजेन्द्र कसवा: p. 123)
इस बैठक में यह तय हुआ कि जागीरदारों की ज्यादतियां रोकने के लिए संघर्ष किया जाय. इस हेतु जाट पंचायतें स्थापित की जावें. किसानों के बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल खोले जावें. इसी उद्देश्य से 1931 में शेखावाटी किसान जाट पंचायत झुंझुनू में कायम हुई जिसका उद्देश्य किसानों की आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक उन्नति करना और किसानों की जमीन का बंदोबस्त करवा कर उनकी खतौनी पर्चे दिलवाना था. [6]
Notable persons
- लेखराम - बधाला की ढाणी:शेखावाटी किसान आन्दोलन के जाट नेता
- Sham Singh Badhala - Freedom fighters
- Mangu Singh Badhala - Freedom fighters
External links
Gallery
References
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/81779-badhala-ki-dhani-rajasthan.html
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.444
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.470-471
- ↑ राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 122
- ↑ डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.91
- ↑ Dr Pema Ram & Dr Vikramaditya Chaudhary: Jaton ki Gauravgatha, Rajasthani Granthagar, Jodhpur, 2008, p.288
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