Deorod
Deorod (देवरोड़) or Devrod (देवरोड़) village falls in Chirawa tahsil in Jhunjhunu district of Rajasthan. It is in west of Surajgarh and east of Narhar.
Location
It is situated mid point between Pilani and Chirawa on Pilani-Jaipur Highway in District Jhunjhunu in Rajasthan state.
It has a Govt Middle School, Water supply system and well connected with Surajgarh and Narhar by Pucca road.
It is inhabited by Kulhari and Nehra Gotra Jats.
Great freedom Fighter and Peasant leader Panne Singh's statue has been installed at the main location of the village near Bus stand.
Jat Gotras
इतिहास
ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है .... कुंवर पन्ने सिंह जी - [पृ.374]: शेखावाटी में कुहाड़ जाटों का मशहूर खत्ता है। कहा जाता है कि ब्रिज के यदुवंशियों में से जो लोग गजनी होते हुए जैसलमेर लौटे थे उनमें एक सरदार भुनजी भी थे। उनके खानदान में नयपाल, विनय पाल, राजवीर, रिडमल और मानिकपाल नाम के सरदार हुए। भटनेर के एक हिस्से पर
[पृ.375]: राज्य करते रहे। कई पीढ़ी बाद इसी वंश में जगदीश जी नाम के सरदार के कुहाड़ नाम का पुत्र हुआ। उसने मारवाड़ में कुहाड़सर नामक गांव बसाया। इस वंश के तीसरी चौथी पीढ़ी में पैदा होने वाले कान्हड़ ने सागवा को आबाद किया। उसके पुत्र उदलसिंह ने संवत 1821 (1764 ई.) में कुहाड़वास को आबाद किया। कुहाड़वास के भनूराम कुहाड़ ने संवत 1890 (1833 ई.) नरहड़ में आबाद की। भनूराम का दलसुख हुआ। दलसुख के गणेशराम और जालूराम दो पुत्र हुए। जालूराम बचपन में ही अपने भाई के साथ देवरोड़ में आ गए। कुंवर पन्नेसिंह इन्हीं जालूराम के तृतीय पुत्र थे। कुँवर पन्नेसिंह जी का जन्म संवत 1959 विक्रमी (1902 ई.) के चेत्र में कृष्णा एकादशी को हुआ था।
राजस्थान की जाट जागृति में योगदान
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....उत्तर और मध्य भारत की रियासतों में जो भी जागृति दिखाई देती है और जाट कौम पर से जितने भी संकट के बादल हट गए हैं, इसका श्रेय समूहिक रूप से अखिल भारतीय जाट महासभा और व्यक्तिगत रूप से मास्टर भजन लाल अजमेर, ठाकुर देशराज और कुँवर रत्न सिंह भरतपुर को जाता है।
[पृ.4]: अगस्त का महिना था। झूंझुनू में एक मीटिंग जलसे की तारीख तय करने के लिए बुलाई थी। रात के 11 बजे मीटिंग चल रही थी तब पुलिसवाले आ गए। और मीटिंग भंग करना चाहा। देखते ही देखते लोग इधर-उधर हो गए। कुछ ने बहाना बनाया – ईंधन लेकर आए थे, रात को यहीं रुक गए। ठाकुर देशराज को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्होने कहा – जनाब यह मीटिंग है। हम 2-4 महीने में जाट महासभा का जलसा करने वाले हैं। उसके लिए विचार-विमर्श हेतु यह बैठक बुलाई गई है। आपको हमारी कार्यवाही लिखनी हो तो लिखलो, हमें पकड़ना है तो पकड़लो, मीटिंग नहीं होने देना चाहते तो ऐसा लिख कर देदो। पुलिसवाले चले गए और मीटिंग हो गई।
इसके दो महीने बाद बगड़ में मीटिंग बुलाई गई। बगड़ में कुछ जाटों ने पुलिस के बहकावे में आकार कुछ गड़बड़ करने की कोशिश की। किन्तु ठाकुर देशराज ने बड़ी बुद्धिमानी और हिम्मत से इसे पूरा किया। इसी मीटिंग में जलसे के लिए धनसंग्रह करने वाली कमिटियाँ बनाई।
जलसे के लिए एक अच्छी जागृति उस डेपुटेशन के दौरे से हुई जो शेखावाटी के विभिन्न भागों में घूमा। इस डेपुटेशन में राय साहब चौधरी हरीराम सिंह रईस कुरमाली जिला मुजफ्फरनगर, ठाकुर झुममन सिंह मंत्री महासभा अलीगढ़, ठाकुर देशराज, हुक्म सिंह जी थे। देवरोड़ से आरंभ करके यह डेपुटेशन नरहड़, ककड़ेऊ, बख्तावरपुरा, झुंझुनू, हनुमानपुरा, सांगासी, कूदन, गोठड़ा
[पृ.5]: आदि पचासों गांवों में प्रचार करता गया। इससे लोगों में बड़ा जीवन पैदा हुआ। धनसंग्रह करने वाली कमिटियों ने तत्परता से कार्य किया और 11,12, 13 फरवरी 1932 को झुंझुनू में जाट महासभा का इतना शानदार जलसा हुआ जैसा सिवाय पुष्कर के कहीं भी नहीं हुआ। इस जलसे में लगभग 60000 जाटों ने हिस्सा लिया। इसे सफल बनाने के लिए ठाकुर देशराज ने 15 दिन पहले ही झुंझुनू में डेरा डाल दिया था। भारत के हर हिस्से के लोग इस जलसे में शामिल हुये। दिल्ली पहाड़ी धीरज के स्वनामधन्य रावसाहिब चौधरी रिशाल सिंह रईस आजम इसके प्रधान हुये। जिंका स्टेशन से ही ऊंटों की लंबी कतार के साथ हाथी पर जुलूस निकाला गया।
कहना नहीं होगा कि यह जलसा जयपुर दरबार की स्वीकृति लेकर किया गया था और जो डेपुटेशन स्वीकृति लेने गया था उससे उस समय के आईजी एफ़.एस. यंग ने यह वादा करा लिया था कि ठाकुर देशराज की स्पीच पर पाबंदी रहेगी। वे कुछ भी नहीं बोल सकेंगे।
यह जलसा शेखावाटी की जागृति का प्रथम सुनहरा प्रभात था। इस जलसे ने ठिकानेदारों की आँखों के सामने चकाचौंध पैदा कर दिया और उन ब्राह्मण बनियों के अंदर कशिश पैदा करदी जो अबतक जाटों को अवहेलना की दृष्टि से देखा करते थे। शेखावाटी में सबसे अधिक परिश्रम और ज़िम्मेदारी का बौझ कुँवर पन्ने सिंह ने उठाया। इस दिन से शेखावाटी के लोगों ने मन ही मन अपना नेता मान लिया। हरलाल सिंह अबतक उनके लेफ्टिनेंट समझे जाते थे। चौधरी घासी राम, कुँवर नेतराम भी
[पृ.6]: उस समय तक इतने प्रसिद्ध नहीं थे। जनता की निगाह उनकी तरफ थी। इस जलसे की समाप्ती पर सीकर के जाटों का एक डेपुटेशन कुँवर पृथ्वी सिंह के नेतृत्व में ठाकुर देशराज से मिला और उनसे ऐसा ही चमत्कार सीकर में करने की प्रार्थना की।
Notable persons
- Kunwar Panne Singh Deorod - Freedom fighter and hero of Shekhawati farmers movement.
- Kalu Ram Pilania (कालूराम पिलानिया देवरोड़) (born:1874), from Deorod, Jhunjhunu, was a social worker and Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [3]
- Beg Raj Kuhad (बेगराज कुहाड़ देवरोड़), from Deorod, Jhunjhunu, was a social worker and Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [4]
- Shiv Karan Chahar (born: 1907) (चौधरी शिवकरण चाहर), from Deorod (देवरोड की ढाणी), Chirawa, Jhunjhunu, was a Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [5]
- Bhoor Singh - Kunwar Panne Singh's elder brother.
- Satyadev Singh - Deorod,
- Pandit Sagarmal Jat School Deorod
Gallery
External links
References
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.374-378
- ↑ ठाकुर देशराज:Jat Jan Sewak, p.1, 4-6
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.435
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.435-436
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.405
Back to Jat Villages