Jat Jan Sewak/Wiki Editor Note
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पुस्तक: रियासती भारत के जाट जन सेवक, 1949, पृष्ठ: 580
संपादक: ठाकुर देशराज, प्रकाशक: त्रिवेणी प्रकाशन गृह, जघीना, भरतपुर
विकी एडिटर नोट
पुस्तक: रियासती भारत के जाट जन सेवक, 1949, मुझे प्रोफेसर डालचंद सहारण द्वारा ग्रामोत्थान विद्यापीठ संगरिया के पुस्तकालय से प्राप्त कर उपलब्ध कराई गई। पुस्तक को डिजिटल रूप में परिवर्तित कर जाटलैंड साईट पर यहाँ उपलब्ध कराई जा रही है। पुस्तक के डिजिटल रूप में परिवर्तित करने का काम स्वामी केशवानंद के निर्वाण दिवस 13 सितंबर, 2017 को शुरू किया गया और तेजाजी के जन्म दिवस पर 29 जनवरी, 2018 को पूर्ण किया गया। अतः पुस्तक का यह ऑनलाइन संस्करण समाज की इन दो विभूतियों को समर्पित है।
रियासतकालीन भारत के ग्रामीण क्षेत्र में जन-जागृति की ज्वाला प्रज्ज्वलित करने वाले समाज के सितारों के अहम योगदान से अवगत करवाने वाली यह एक दुर्लभ पुस्तक है जो भारत के स्वतन्त्रता से पहले के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं पर प्रकाश डालती है।
इस पुस्तक में मुख्य रूप से राजस्थान से स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लेने वाले तथा जाट जागृति में सहयोग करने वाले सभी महानुभावों का परिचय दिया गया है।
पुस्तक में न केवल जाट समुदाय के समाज सेवकों का वर्णन किया गया है बल्कि अन्य समुदायों के समाज सेवक महानुभावों का भी वर्णन किया गया है जिन्होने इस जागृति अभियान में योगदान किया है। गैर जाट महानुभावों का विवरण यहाँ देखें - परिशिष्ट (ख):कुछ इतर (गैर जाट) परिचय....p.533-547
राजस्थान के अलावा पुस्तक में पंजाब, मध्यभारत, बुंदेल खंड की रियासतों के जाटों की आधुनिक गतिविधियों का संक्षिप्त इतिहास भी दिया गया है। यहाँ जाटलैंड साईट पर पुस्तक से पृष्ठवार विवरण दिया जा रहा है।
ठाकुर देशराज ने राजस्थान के जाटों में सामाजिक और राजनैतिक क्रांति पैदा की और एक बहादुर कौम को नींद से जगाया। ठाकुर देशराज को जाटों के आवास वाले क्षेत्र में जागृति का बिगुल बजाने वाला गाँधी तथा जाट-इतिहास को लिपिबद्ध करने वाला कर्नल टॉड कहा जा सकता है।
पुस्तक का इंडेक्स
मूल पुस्तक में इंडेक्स नहीं दिया गया था परंतु पाठकों की सुविधा के लिए ऑनलाईन इस संस्करण में इंडेक्स तैयार कर दिया गया है। विषय-सूची में रियासती भारत के राज्यवार विवरण दिये गए हैं जिन राज्यों में जाटों का आवास है।
पुस्तक का स्वरूप
पुस्तक का खंडों में विभाजन रियासती भारत के उन राज्यवार किया गया है जिनमें जाटों का आवास है। प्रत्येक रियासत का पहले संक्षिप्त इतिहास दिया गया है तत्पश्चात उस समय के रियासत में सक्रिय जाट जन सेवकों का विवरण दिया गया है। पाठकों की सुविधा और त्वरित संदर्भ हेतु एक सेक्शन में उस रियासत के जाट जन सेवकों की सूची दी गई है जिसमें जाट जन सेवक का नाम (गोत्र), गाँव, रियासत का नाम दिया गया है। तत्पश्चात अगले सेक्शन में रियासत के जाट जन सेवकों की विस्तृत जानकारी पृष्ठवार दी गई है। मूल पुस्तक में ठाकुर देशराज द्वारा जनसेवकों का अनुक्रमांक नहीं दिया गया है परंतु इस ऑनलाइन संस्करण में सुलभ संदर्भ के लिए प्रत्येक जन सेवक का अनुक्रमांक दिया गया है।
जाट कौम की अपने-अपने तरीकों से जिन महानुभावों ने सेवा की और कौम को आगे बढ़ाया उनका संक्षिप्त विवरण क्षेत्रवार पुस्तक में दिया गया है। हर क्षेत्र के महानुभावों का पेज जाटलैंड पर तैयार किया जाकर सूची दी गई है। प्रत्येक जाट जन सेवक का नाम एक एक्टिव लिंक है। व्यक्ति विशेष के विस्तृत विवरण के लिए नाम की लिंक पर क्लिक कर विवरण देखे सकते हैं। प्रत्येक महानुभाव के पेज पर इस पुस्तक से लिया गया विवरण जाट जन सेवक टाइटल के अंतर्गत दिया गया है।
मारवाड़ के अध्ययाय के अंत तक अर्थात पृष्ठ 221 तक जाटलैंड साईट पर इस ऑनलाइन पुस्तक में मूल पुस्तक से महानुभाव का हूबहू विवरण देकर पुस्तक के कंटेन्ट का छायाचित्र भी जेपीजी फॉर्मेट में हरेक महानुभाव के पेज की गैलरी में दिया गया है।
सीकरवाटी के जाट जन सेवक अध्याय से अर्थात पृष्ठ 222 से इस ऑनलाइन पुस्तक में मूल पुस्तक का सम्पूर्ण विवरण दिया गया है परंतु पुस्तक के कंटेन्ट का छायाचित्र जेपीजी फॉर्मेट में हरेक महानुभाव के पेज की गैलरी में नहीं दिया गया है।
मूल पुस्तक में जिन महानुभावों का परिचय दिया गया है उनके छायाचित्र नहीं दिये गए हैं परंतु विवरण को अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाने के लिए जाटलैंड साईट पर उपलब्ध ये चित्र इन महानुभावों के परिचय के साथ जोड़े गये हैं।
ऑनलाइन पुस्तक में मूल पुस्तक का पृष्ठ क्रमांक पेज के प्रारम्भ में बांई तरफ दिया गया है। प्रत्येक महानुभाव के नाम के साथ भी मूल पुस्तक का पृष्ठ क्रमांक अंकित किया गया है जहां इनका विस्तृत विवरण प्रारम्भ होता है ताकि मिलते जुलते नाम से कोई शंका न हो।
महत्वपूर्ण सुधार
पुस्तक में कुछ टंकण की गलतियाँ थी जिनमें गाँव और गोत्र कहीं-कहीं गलत छप गए थे। इन तथ्यों का सत्यापन समाज के जिन महानुभावों की सहायता से किया गया है उनमें निम्न समाज सेवी सम्मिलित हैं:
- श्री चंद्रवीरसिंह - [पृ.19-21]: चौधरी रामसिंह के गोत्र का उल्लेख ठाकुर देशराज द्वारा पुस्तक में नहीं किया गया था। यह जानकारी श्री चंद्रवीरसिंह निवासी लुधावई (मो:9414001203) से प्राप्त की गई है। उनका गोत्र तांगड़ था।
- डॉ पेमाराम - इतिहासकर जयपुर
- लक्ष्मणराम महला - समाज सेवी जाट कीर्ति संस्थान चूरु, [पृ.156]: ठाकुर देशराज ने सूबेदार टीकूरामजी का गोत्र नहीं लिखा है। नेहरा गोत्र की पुष्टि लक्ष्मणराम महला द्वारा की गई।
- राजेन्द्रसिंह कसवा - लेखक और साहित्यकार गाँव लूटू, झुन्झुनू. निम्न तथ्यों के पुष्टि राजेंद्र कसवा से की गई। [पृ.396]: ठाकुर देशराज ने मानसिंह जी का गोत्र छतरपाल लिखा है। यह गोत्र सही नहीं है। सही गोत्र धतरवाल है। [पृ.411]: चौधरी ख्यालीराम का गोत्र जादू लिखा है। सही गोत्र जानू है। [पृ.419]: श्री चेतरामजी भामरवासी का गोत्र यादव लिखा है। सही गोत्र जानू है।
- गणेश बेरवाल - लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सीकर, कुछ तथ्य जिनकी पुष्टि गणेश बेरवाल द्वारा की गई .... [पृ.230]: धिरकाबास - ठाकुर देशराज द्वारा लिखा गया इस नाम का कोई गाँव नहीं है। इस गाँव का सही नाम ढहर का बास है। [पृ.274]: चैनपुरा के चौधरी जवाहरसिंह का उल्लेख ठाकुर देशराज ने किया है परंतु यह गाँव चँदपुरा है। [पृ.473], [पृ.473] पर पलसाना के स्थान पर पलथाना लिख दिया गाया था जिसे सुधार किया गया है।
- शिशुपाल सिंह नारसरा - [पृ.301]: चौधरी लादूरामजी का गोत्र भूठिया लिखा है। भूठिया गोत्र राजस्थान में नहीं पाया जाता है। शिशुपाल सिंह नारसरा द्वारा पुष्टि की गई कि उनका गोत्र चबरवाल था।
- आजाद चौधरी - [पृ.75]: जारपड़ शब्द गलती से प्रिंट हुआ है इसका सही रूप जाखड़ है। श्री आजाद चौधरी समाजसेवी अलवर (मो: 9784131700) से इस तथ्य की पुष्टि की गई।
- लेफ्टिनेंट जनरल खेमकरण सिंह - [पृ. 550]: इंदरगढ़ के जाट शासकों का गोत्र ठाकुर देशराज ने जबरिया लिखा है। जबकि जबरिया गोत्र का उल्लेख किसी अभिलेख में नहीं है। लेफ्टिनेंट जनरल खेमकरण सिंह का गोत्र दोंदेरिया था। उन्होने इंदरगढ़ के जाट शासकों के बारे में खोजपूर्ण लेख लिखे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि इन शासकों का गोत्र दोंदेरिया था।
- पुस्तक के ऑनलाइन स्वरूप में सुधार के महत्वपूर्ण सुझाव प्रोफेसर एचआर ईसराण से प्राप्त हुये।
- जाटलैंड - [पृ.179]: मास्टर रघुवीरसिंह के गोत्र और गाँव की जानकारी जाटलैंड की सहायता से जुटाई गई।