Dorwal
Dorwal (डोरवाल) Dorewal (डोरेवाल)[1] Dourwal (डौरवाल) Daurwal (डौरवाल) Daharwal (डहरवाल) is Gotra of Hindu Jats in Rajasthan and Haryana. In addition, Dorwal gotra is also found in Sikhs and Muslims.
Origin
- Dorians - an ancient ethnic group in Greek History
- Dwarapala (द्वारपाल) - They may be the Dwarapala (द्वारपाल) of Mahabharata.
- Dor River - Alexander Cunningham[2] mentions two states Dhantawar and Gandgarh on Dor River in Hill states of Punjab in 7th century. These people gave name to the Dor River, a river of Afghanistan and Pakistan.
- Dhorwal - Some people believe in another fantasy of the bards that those people who used to keep cattle in the past are known today as dorwal after word 'Dhor' meaning cattle. It seems not a proper origin because all Jats keep cattle.
Jat Gotras Namesake
- Dorwal = Dorice (Pliny.vi.32)
Mention by Pliny
Pliny[3] mentions Arabia....Also, the island of Chelonitis27, numerous islands of Ichthyophagi, the deserts of Odanda, Basa, many islands of the Sabæi, the rivers Thanar and Amnume, the islands of Dorice, and the fountains of Daulotos and Dora.
27 Stephanus mentions this as an island of the Erythræan Sea. Hardly any of these places appear to have been identified; and there is great uncertainty as to the orthography of the names.
Villages after Dor
- डोरो (जाट गोत्र - डोर/डोरवाल) : डोरो नाम का गाँव झारखंड के सराइकेला खरसावाँ जिले की कुचाई विकास-खंड में है।
History
Ram Swarup Joon[4] writes about Draihayu, Drada, Dorewal : Draihau was the fourth son of Yayati. Their descendants are found in Jammu and Kashmir. In the Chandravanshi genealogical tables the Draihavu branch is not well known. To the North of Sialkot in the hilly regions are found people belonging to Daiyu,
History of the Jats, End of Page-81
Drahaihayu, Dadraihayu, Sadhne and Drada, gotras. Most of them are now Muslims.
In the Mahabharata (Dronaparva) Drada (Darada) Kshatriyas are called the neighbors of Cheema Kshatriyas. These people took part in the Mahabharata.
Panini's Ashtadhyayi refers to Dradi Sindhu which means the River Sindhu which emerges from the country of Drada-s which indicates the area North of Kashmir. According to "Ptolemy" Dradas were the rulers of Afghanistan in the era of Mahabharat. In Drona Parva Shloka 17-58 it is mentioned that Lord Krishna and Arjun conquered the Dradas who were the rulers of Afghanistan and forced them to join their Rajasuya Yagya.
King Drupada said that Shaks, Palius and Dradas should be invited to join them in war. According to "Bhisham Parva", Dradas joined the Pandu's and fought well. The Dradas also took part in their Yagya (Sacrifice). A region adjoining Kashmir is called Dradis-Stan and a tribe in Kashmir is called Drada. In Punjab Sikh Jats belonging to this gotra are found in large numbers. Sadhan, Sajra, Sadhie and Sadhnana are branches of this gotra.
According to Ranmal Singh the Dorwals of Rajasthan had come from Jhang area of Gujranwala in Pakistan.
कटराथल के डोरवाल
कटराथल के डोरवाल के संबंध में रणमल सिंह[5] ने लिखा है कि.... मेरे डोरवाल पूर्वज संवत 1807 तदनुसार 1759 ई में ग्राम बारवा, उदयपुरवाटी जिला झुंझूनुं से कटराथल आए थे। कारण एक दुर्घटना घटित हो गई थी। कहते हैं कि छपनिया अकाल से पूर्व खेजड़ी छांगते नहीं थे । भेड़ बकरियों को ही कुल्हाड़ा या अकूड़ा से काटकर चारा डाल दिया करते थे। उस समय गाय ही प्रमुख पशुधन था। ऊंट व भैंस नाम के ही थे। उस समय कहावत थी कि “घोड़ां राज और बल्दां (बैल) खेती” पाला (बेर की झड़ी की पत्तियाँ) बहुत होता था , सो गायों को पाला डाल देते और कड़बी का पूला तोड़ देते। उस समय छानी नहीं काटी जाती थी। मेरे पूर्वजों के खेत में चार राजपूतों के लड़के आए और उन्होने खेजड़ी की टहनियाँ काटकर अपनी बकरियों को डाल दी। हमारे पूर्वज के चार बेटे थे। सबसे छोटा बेटा बकरियाँ लेकर खेत गया हुआ था। उसने उनका विरोध किया औए अकेला ही उन चारों से भीड़ लिया। एक लड़के ने उसकी गरदन पर कुल्हाड़े से वार कर दिया और उसकी वहीं मृत्यु हो गई। इसका समाचार जब उसके पिता को दिया तो वह लट्ठ लेकर चल पड़ा। उन चारों में से एक लड़का तो भाग गया शेष तीन को उसने जान से ही मार डाला। गाँव के राजपूतों ने मंत्रणा की कि ये चारों बाप-बेटे हम से तो मार खाएँगे नहीं , क्योंकि सभी 6 फीट के जवान थे। अन्य गांवों और आस-पास के राजपूतों को बुलाकर लाओ और रात को इनके घर को आग लगाकर इन्हें जीवित जलादो। यह सूचना एक दारोगा (रावणा राजपूत) ने इनको दे दी। सो अपना गाड़ा (चार बैलों वाला) और दो बैलों में बर्तन भांडे, औरतें तथा बकरियों के छोटे बच्चों तथा गायों के छोटे बछड़ों को गाड़े में बैठाकर यहाँ से चल पड़े और रात को बेरी ग्राम के बीड़ में आकर रुके। सुबह उठकर कटराथल पहुँच गए। उस समय कटराथल में चौधरी (मेहता) ज्याणी गोत्र का जाट था। हमारे गाँव में मुसलमानों ने बौद्धकालीन मंदिर तोड़कर टीले पर गढ़ बनाया था। उस की एक बुर्ज आज भी खड़ी है। बौद्धकालीन मूर्तियों को गढ़ की नींव में औंधे मुंह डाल दिया। कालांतर में शेखावतों ने गढ़ पर कब्जा कर लिया था। हमारे गाँव के दो राजपूत जयपुर-भरतपुर के बीच हुये युद्ध (मावण्डा) में मारे गए थे। उनकी छतरियाँ आज भी गाँव मैं मौजूद हैं। दो विधवा ठुकराणियां एवं उनके नौकर-चाकर ही थे।
[पृष्ठ-112]: ज्याणी गोत्र के जाट चौधरी ने उन ठुकराणियों को बताया कि एक आदमी अपने परिवार एवं पशुओं सहित आया है तो उन्होने कहा कि उसे यहीं बसाओ। खीचड़ गोत्र के जाट हमारे पूर्वजों से 50 वर्ष पहले ही कटराथल में आकर बसे थे। उनके पास ही हमारे पूर्वजों को बसा दिया गया।
मेरे परदादा का नाम चौधरी देवाराम डोरवाल था। उनके पिताजी का नाम चिमनाराम था। वे दो भाई थे, बड़े का नाम जीवनराम था। मेरे परदादा का ननिहाल भूकरों के बास में था। वे पाँच भाई बहिन थे। उनके पिताजी का देहांत हो जाने पर उनकी माताजी अपने बच्चों को लेकर अपने पीहर भूकरों का बास चली गई। ननिहाल वालों ने मेरे परदादा की सगाई सांवलोदा धायलान में बीरडा गोत्रीय परिवार में करदी। भूकरों के बास वालों ने अपनी बेटी को सलाह दी कि तुम्हारे छान-झूपे हमारे बाड़े में बँधवा देंगे और सांवलोदा लाड़खानी के ठाकुरों का बहुत बड़ा बाढ़ है, उसमें बाह-जोत करो। यहीं तुम्हारे पुत्र की शादी भी कर देंगे। किन्तु मेरे परदादा की माताजी ने साफ इंकार कर दिया कि मैं तो अपने ससुराल वापस जाऊँगी और वहीं मेरे बेटे का विवाह करूंगी , आप तो भात भरने आना।
जब मेरे परदादा की माताजी अपने पाँच बच्चों सहित कटराथल वापस आई तो उसे जेठ जीवनराम ने कहा कि वापस अपने पीहर ही जाओ, मैं तुमको न घर, बाड़ा व खेड़ा दूंगा और न बसने की जगह ही दूंगा। इस पर पड़ोसी नोलाराम खीचड़ के पिता ने दो बीघा जमीन अपने खेड़े में से दे दी और उसी में छान-झूपे बँधवा दिये। हमारी जमीन, बाड़ा , खेड़ा व खेती पर अब झझड़िया, पचार व ओला गोत्र के परिवारों का कब्जा है।
मेरे परदादा देवाराम जी के केवल एक ही पुत्र तुलछा राम थे और 6 बेटियां थी। मेरे दादा तुलछाराम जी का विवाह ग्राम कूदन में चौधरी करणाराम जी सुंडा की पौती व चौधरी नोपाराम जी सुंडा की बेटी के साथ हुआ। मेरी कूदन वाली दादी के तीन पुत्र व दो पुत्रियाँ हुई। दादी का जवानी में ही देहांत हो गया। पुजारी की ढ़ाणी (उदयपुरवाटी) में मेरे दादाजी का विवाह हुआ, उस दादी से दो पुत्रियाँ हुई। मेरे दादाजी का देहांत विक्रम संवत 1975 (1918 ई.) में प्लेग से हो गया। उनका एक बेटा भींवाराम 13 वर्ष की उम्र में ही चल बसा था। मेरे पिताजी चौधरी गणपत सिंह जी एवं भाई मोती सिंह जी दोनों के चार-चार पुत्र हुये।
मेरी शादी सन् 1936 (संवत 1993 अक्षय तृतिया ) में कस्तुरी देवी से हुई जो दासा की ढ़ाणी के चौधरी मूनाराम जाखड़ के बेटी थी।
Dwarapala of Mahabharata
In Mahabharata epic we find mention of Dwarapala tribe which is synonymous with Pratihara, who are dwelling in the neighbourhood of Ramathas. Thus the search of Ramatha from various Parvas we can find Pratihara Kshatriyas located on the western borders of India in Mahabharata period.
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 29 mentions deeds and triumphs of Nakula where he defeats Dwarapala tribe which is synonymous with Pratihara.
- ". ....and the whole of the country called after the five rivers Panchanada, and the mountains called Amara , and the country called Uttarajyoti and the city of Divyakutta and the tribe called Dwarapala. And the son of Pandu, by sheer force, reduced to subjection the Ramathas, the Harahunas, and various kings of the west..." (Mahabharata, II.29.10). [6]
Distribution in Rajasthan
In Rajasthan they dwell in Distt Sikar. There are about 200 families in Katrathal village of Sikar district. Dorwals of Rajasthan had come from Jhang area of Gujranwala in Pakistan.
Locations in Jaipur district
Ambabari Jaipur,
Villages in Sikar district
Bhakarwasi, Katrathal, Swami ki Dhani, Shyampura Sikar,
Villages in Jodhpur district
Distribution in Haryana
In Haryana they are found in Hisar district.
Villages in Hisar district
Notable persons
- Ganpat Singh Dorwal (born:1893 AD) was from village Katrathal, Sikar, Rajasthan. He was Freedom fighter of Shekhawati farmers movement. He was father of Ranmal Singh. [7]
- Ranmal Singh - Ex-MLA from Katrathal in Sikar, Rajasthan.
- Amit Chaudhary - Advocate at Delhi High Court.
- Hans Raj (Daurwal) - CCF at Jaipur, Rajasthan. He is from village Katrathal in Sikar district in Rajasthan,India & presently residing at Jaipur.VPO: Katrathal, Distt. - Sikar, Rajasthan.
- Col. Ved Prakash (Dorwal) - VPO: Katrathal, Distt. - Sikar, Rajasthan, Present Address : 238 AWHO Colony, Ambabari, Jaipur, Phone Number : 0141-2339471
- Akhil Choudhary - Grandson of Sh Ranmal Singh, Advocate & Social Worker, Lions' Lane, Hanuman Nagar Ext, Jaipur. Mobile No. +91 9414 883466
Gallery of Dorwal people
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Hans Raj (Daurwal)
External Links
References
- ↑ Ram Swarup Joon: History of the Jats/Chapter V,p. 81-82
- ↑ The Ancient Geography of India,p.131
- ↑ Natural History by Pliny Book VI/Chapter 32
- ↑ Ram Swarup Joon: History of the Jats/Chapter V,p. 81-82
- ↑ रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 111-112
- ↑ कृत्स्नं पञ्चनदं चैव तदैवापरपर्यटम, उत्तरज्यॊतिकं चैव तदा वृण्डाटकं पुरम, द्वारपालं च तरसा वशे चक्रे महाथ्युतिः (Mahabharata, II.29.10); रमठान हारहूणांश च परतीच्याश चैव ये नृपाः, तान सर्वान स वशे चक्रे शासनाथ एव पाण्डवः (Mahabharata, II.29.11)
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.321a
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