Jat Jan Sewak/Ajmer

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पुस्तक: रियासती भारत के जाट जन सेवक, 1949, पृष्ठ: 580

संपादक: ठाकुर देशराज, प्रकाशक: त्रिवेणी प्रकाशन गृह, जघीना, भरतपुर

अजमेर के जाट जन सेवक

अजमेर-मेरवाड़ा का प्राचीन इतिहास

[पृ.94]:

अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत 2 जिलों अजमेर और मेरवाड़ा से मिलकर बना है। अजयमेरु (न जीता जाने वाला पहाड़) से अजमेर शब्द बना है। अजमेर के पास पहाड़ पर तारागढ़ है जहां किसी समय चौहानों की पताका फहराती थी। इससे भी पहले बौद्ध धर्म के विरुद्ध यहां अशोक काल में एक महान सरोवर के पास ब्राह्मण धर्म का प्रचार करने के लिए ट्रेनिंग कैंप खोला था। यह क्षेत्र पुष्कर के नाम से प्रसिद्ध है। पुष्कर के चारों ओर जाट, गुर्जर आदि की आबादी है। मेर लोगों के नाम पर मेरवाड़ा पड़ा है। इस प्रकार इस प्रांत में जाट, गुर्जर और मेर लोग बहुत पुराने वाशिंदे हैं। यहां के प्राय सभी जाट नागवंशी हैं। जिनमें शेषमा नस्ल का पुराणों में भी वर्णन है।

यहां चौहानों के फैलने से पहले जाटों के कुल-राज्य (वंश राज्य) थे जो प्रजातंत्री तरीके से चलते थे। यहां के जाटों का मुख्य देवता तेजाजी है। भादों में तेजा दशमी का त्योहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

अजमेर में जाट जागृति

वर्तमान समय में जागृति का आरंभ सन् 1925 से हुआ जबकि भरतपुर के तत्कालीन महाराज श्री किशन सिंह के सभापतित्व में यहां के जाटों का एक शानदार उत्सव हुआ। इसने यहां के जाटों की आंखें खोल दी। इस उत्सव को कराने का श्रेय मास्टर भजनलाल को जाता है।

[पृ.95]:

इसके बाद यहां सन् 1931 से सन 1932 के आखिर तक ठाकुर देशराज ने जागृति का दीपक जलाया। उन्होंने गांव में जाकर मीटिंग की और सराधना में एक अच्छा जलसा सन 1932 में 28 जून 30 सितंबर को कराया। पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ों जाटों के यज्ञोपवित संस्कार कराए। उस समय तक इस समय के तरुण नेता प्राय सभी शिक्षा पा रहे थे। सुवालाल सेल, किशनलाल लामरोड, रामकरण सिंह परोदा विद्यार्थी जीवन में थे अतः ठाकुर देशराज को देहात के लोगों से भी सहयोग लेना पड़ता था।


[पृ.95]: उन्होंने नुक्ते को बंद कराने के लिए काफी जोर लगाए। आंशिक रूप में उन्हें सफलता भी मिली। उनको सहयोग देने वालों में मुख्य लोग यह थे -

  1. मास्टर भजनलाल जी अजमेर जो उस समय राजस्थान जाट महासभा के मंत्री थे।
  2. पटेल रामप्रताप जी मक़रेड़ा उस समय के उप-प्रधान राजस्थान जाट महासभा
  3. चौधरी किशनलाल जी बाना ब्यावर
  4. चौधरी रामगोपाल जी ब्यावर
  5. चौधरी प्रताप जी गौरा देलवाड़ा वर्किंग सदस्य राजस्थान जाट महासभा
  6. चौधरी छीतरजी सराधना
  7. चौधरी घीसाजी सराधना
  8. चौधरी भारमल तबीजी
  9. चौधरी रामचंद्र तबीजी
  10. चौधरी अमराजी मकरेड़ा
  11. चौधरी बलदेव जी मकरेड़ा
  12. चौधरी घीसाजी पाऊथान
  13. चौधरी श्यौबक्ष जी जेठाना
  14. चौधरी सवाईराम जी मांगलियावास
  15. चौधरी रामनाथ जी चाट
  16. चौधरी बक्शी राम जी कालेसरा
  17. चौधरी हजारी जी खेड़ा
  18. सूरजमल जी कालेसरा
  19. चौधरी हजारी जी सांभला
  20. चौधरी प्रताप जी कालेसरा [पृ.96]
  21. चौधरी नत्थाराम जी मास्टर पुष्कर
  22. मास्टर नारायण सिंह ब्यावर
  23. मास्टर किशन लाल जी ब्यावर
  24. चौधरी कलाराम जी ब्यावर
  25. चौधरी पन्नासिंह जी ब्यावर
  26. चौधरी प्रताप सिंह जेठाना

अजमेर मेरवाड़ा पुष्कर में सालाना जलसा 1936 - [पृ.96]: ठाकुर देशराज के अजमेर छोड़ देने के बाद अजमेर मेरवाड़ा की नौजवान पार्टी ने सन् 1936 में फिर एक शानदार सालाना जलसा पुष्कर में जाट महासभा का किया। इसके बाद महंत प्रेमदास और शिव नारायण सिंह वकील और चौधरी लालसिंह जेलर की पार्टी ने सरकार के काम को तरतीब दी। इसमें अजमेर मेरवाड़ा के सर्वमान्य नेता श्री किशनलाल जी लामरोड हैं। चौधरी भागीरथसिंह सेल, सुवालाल सेल आदि उनके सहयोगी हैं और नेतृत्व में प्रतिदिन उन्नति करते रहते हैं।

अजमेर के जाट जन सेवकों की सूची

अजमेर में जाट कौम की अपने-अपने तरीकों से जिन महानुभावों ने सेवा की और कौम को आगे बढ़ाया उनकी सूची सुलभ संदर्भ हेतु विकि एडिटर द्वारा इस सेक्शन में संकलित की गई है जो मूल पुस्तक का हिस्सा नहीं है। इन महानुभावों का मूल पुस्तक से पृष्ठवार विस्तृत विवरण अगले सेक्शन में दिया गया है। Laxman Burdak (talk)

  1. मास्टर भजनलाल बिजारनिया (बिजारनिया), पांचोता, अजमेर....96-98
  2. चौधरी किशनलाल लामरोड़ (लामरोड़), रूपाहेली, अजमेर....99-102
  3. चौधरी रामप्रताप मकरेड़ा (.....), मकरेड़ा, अजमेर....102
  4. चौधरी सुआलाल (सेल), कालेसरा, अजमेर....102-105
  5. चौधरी भगीरथसिंह (सेल), कालेसरा, अजमेर....105-106
  6. रामकरण सिंह (परोदा), सराधना, अजमेर....106-108
  7. चौधरी किशनलाल बाना (बाना), गढ़ी थोरीयान, अजमेर....108
  8. चौधरी गंगाराम लंबरदार हरमाड़ा (.....), हरमाड़ा, अजमेर....109
  9. चौधरी सवाईराम मांगलियावास (.....), मांगलियावास, अजमेर....109
  10. चौधरी शिवबक्स जेठाना (.....), जेठाना,अजमेर....109-110
  11. चौधरी नारायणसिंह तिलौनिया (.....), तिलोनिया,अजमेर....110
  12. चौधरी उमरावसिंह तिलौनिया (.....), तिलोनिया,अजमेर....110-111
  13. प्रेमदास महंत हाथीभाटा (.....), हाथीभाटा,अजमेर....111-112

अजमेर के जाट जन सेवकों की विस्तृत जानकारी

1. मास्टर भजनलालजी - [पृ.96]: मास्टर भजनलाल बिजारणिया का जन्म सन् 1900 ई. में रियासत जोधपुर में सांभर के पास पांचोता गांव में हुआ। आपके पिता का नाम चौधरी हीरासिंह था। आपके माता-पिता करीब 37 वर्ष हुए अजमेर आ गए थे।

आपकी शिक्षा अजमेर में हुई और DAV हाई स्कूल से आपने मैट्रिक पास किया। आरंभ में आपने राष्ट्रीय महाविद्यालय अजमेर में अध्यापक का कार्य किया। बाद में आपने कोर्ट ऑफ वार्डस में नौकरी कर ली। इस समय सन् 1946 में आप इस महकमें में ऑडिटर के पद पर नियुक्त हैं।


[पृ.97]: सन् 1939-40 ई. के अकाल के समय आप ऑफिसर इंचार्ज फैमिली कैंप रहे और अपने चार्ज के अकाल पीड़ितों को काफी सहायता पहुंचाई। युद्धकाल में कंट्रोल जारी होने पर आप ब्यावर शहर में प्राइस कंट्रोल इंस्पेक्टर नियुक्त किए गए। बाद में आबकारी इंस्पेक्टर बना दिए गए। इस समय आप महकमा कोर्ट ऑफ वार्डस में अपने स्थाई पद पर कार्य कर रहे हैं।

आपने अपने स्वयं उपार्जित धन का आदर्श नगर अजमेर में एक सुंदर बंगला बनाया है। जहां पर आप निवास करते हैं।

ईश्वर की दया से आप के चार पुत्र तीन पुत्रियां हैं। बड़ा लड़का गवर्नमेंट हाई स्कूल अजमेर में दसवीं कक्षा में पढ़ता है। आपकी बड़ी पुत्री का विवाह कुंवर रामपालसिंह शास्त्री साहित्यरत्न, प्रभाकर, काव्यतीर्थ से हुआ है जो इस समय जाट कॉलेज मुजफ्फरनगर में हिंदी व संस्कृत के प्रोफेसर हैं। उससे छोटी पुत्री ने हिंदी मिडिल पास कर लिया है और इस समय सन् 1946 में अंग्रेजी की आठवीं कक्षा प्राप्त कर रही हैं। आपके बड़े भाई चौधरी रामलाल हैं जिनके 3 पुत्र व दो पुत्रियां हैं। इनका बड़ा लड़का जाट कॉलेज मुजफ्फरनगर में 11 वीं कक्षा में पढ़ रहा है। आपके एक बहन है जो चौधरी शेरसिंह सुपरिंटेंडेंट जाट बोर्डिंग हाउस मुजफ्फरनगर से ब्याही गई है।

चौधरी साहब पक्के आर्य समाजी हैं परंतु आपको अपनी जाति से अत्यंत प्रेम है। आप लाठी चलाने व तैरने में बड़े निपुण हैं। आपने कई डूबते हुए व्यक्तियों की जाने


[पृ.98]: बचाई हैं। जिसके लिए आपको रॉयल ह्यूमन सोसाइटी लंदन से प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया है। सन् 1943 में विजयनगर बाढ़ के समय बाढ़ पीड़ितों को बचाने में सहायता पहुंचाने में आपने बड़ा प्रशंसनीय कार्य किया। अजमेर में सांप्रदायिक दंगों के अवसर पर भी आपने अपनी जान को जोखिम में डालकर कई लोगों की जान बचाई।

आपका जाति प्रेम अकथनीय है। इस समय अजमेर मेरवाड़ा में जो तनिक विद्या प्रचार नजर आता है वैसा वह आपकी प्रेरणा और प्रोत्साहन का फल है। जो कुछ जागृति भी हुई है वह आप द्वारा समय पर जाट महासभा के जलसे करने का नतीजा है। आपने 1925 ई. में जाट महासभा के पुष्कर महोत्सव में प्रमुख भाग लिया था। इसके बाद सन् 1932 में ठाकुर देशराज के सहयोग से राजस्थान जाट सभा का जलसा सराधना में कराया। फिर सन् 1935 में पुष्कर में जाट महासभा का जलसा बड़े समारोह पूर्वक कराया है। आप अजमेर मेरवाड़ा जाट विद्यार्थी सभा के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं। इस समय आप जाट सभा के सलाहकार हैं।

आप मास्टर साहब के नाम से मशहूर हैं। भारत भर के जाट आपसे परिचित हैं क्योंकि आप जाट जाति के पुराने सेवकों में से हैं। अतिथि सत्कार के लिए कौम भर में मशहूर है। हंसमुख चेहरा, उत्साहवर्धक वाणी और स्पष्टवादिता आप के विशेष गुण हैं। राजस्थान के जाट आपकी सेवाओं के लिए सदैव कृतज्ञ रहेंगे।


2. चौधरी किशनलाल लामरोड एडवोकेट अजमेर - [पृ.99]: आपका जन्म 9 अप्रैल सन् 1915 को रूपाहेली नामक एक छोटे ग्राम में हुआ, जो पुष्कर से 8 मील दूर स्थित है। आपके पिता चौधरी मोतीलाल लामरोड अपने इलाके के एक विख्यात व्यक्ति थे। जिन्हें विद्या से बड़ा प्रेम था। उन्होंने आप की शिक्षा में कोई कसर उठा न रखी।

आपके निज ग्राम में कोई स्कूल न होने के कारण आप पास के एक गांव की प्राइमरी स्कूल में भर्ती कराए गए। वहां की पढ़ाई समाप्त कर लेने पर आप पीसांगन नामक कस्बे में भेजे गए जहां से आपने सन् 1930 में वर्नाकुलर मिडल परीक्षा पास की। फिर अंग्रेजी पढ़ने के लिए आप गवर्नमेंट हाई स्कूल अजमेर में दाखिल हुए जहां से आपने सन् 1935 में राजपूताना बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा पास की। क्योंकि आपकी कृषि शिक्षा की ओर विशेष रुचि थी अतः आपके पिताजी ने आपको उच्च शिक्षा के लिए लखावटी भेजा। जाट कॉलेज लखावटी से सन् 1947 में एफ़ए (कृषि) पास कर लेने के पश्चात आप इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में दाखिल हुए और एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट नैनी से आपने बीएससी (एग्री) की डिग्री सन 1939 में द्वितीय श्रेणी में प्राप्त की।

अब आपके पिताजी की इच्छा आपको वकालत कराने की हुई क्योंकि अजमेर मेरवाड़ा में जाटों में अब तक कोई वकील नहीं था अतएव वकालत की शिक्षा के लिए आप आगरा कॉलेज में भरती हुए और जाट बोर्डिंग हाउस आगरा में अपना निवास रखा। आपको आगरा पहुंचे चंद महीने ही


[पृ.100]: गुजरे थे कि आपके पिता का देहांत हो गया परंतु आपके बड़े भाई चौधरी भींयारामजी ने, जिनके ऊपर सब भार आ पड़ा, अपने पिता के निश्चय को पूरा किया और आपको पढ़ाई जारी रखी। आपने सन 1946 में LLB की डिग्री प्राप्त की।

आपन अपने विद्यार्थी जीवन में हमेशा अपने कक्षा में प्रथम रहते थे तथा स्कूल व कॉलेज के अन्य कार्य में सक्रिय भाग लेते थे। आपने अपने अध्ययन काल में कई मेडल प्राप्त किए। जाट महासभा द्वारा भी पुष्कर महोत्सव के समय में आप को एक पदक दिया गया।

आपको सभा सोसाइटियों के आयोजन करने में शुरू से ही बड़ी रुचि रही है विशेषकर सेक्रेटरी का कार्य करने में। आप जाट कॉलेज लखावटी में विद्यार्थी यूनियन के सेक्रेटरी, इलाहाबाद में विद्यार्थी यूनियन के प्रेसिडेंट तथा आगरा यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी युनियन के जनरल सेक्रेटरी रहे हैं। यदि आपका कॉलेज जीवन यूपी में व्यतीत हुआ आपने अजमेर मेरवाड़ा में भी इस समय में जाट विद्यार्थी सभा व जाट नवयुवक सभा का आयोजन किया तथा इनके सेक्रेटरी रहकर बड़ा सराहनीय कार्य किया।

आप सन् 1941 से ही अजमेर में वकालत कर रहे हैं वकालत शुरु करते ही आपने अपना ध्यान जमीदारों व जाटों की दशा सुधारने को लगा दिया। आपने अपने प्रांत में जमीदार सभा की स्थापना की और बहैसियत है इसके जनरल सेक्रेटरी के आप इस और बड़े उत्साह, परिश्रम और लगन से कार्य कर रहे हैं। यह आपके परिश्रम का फल है।


[पृ.101]: कि वर्तमान बंदोबस्त में जमीदारों को करीब 40 हजार वार्षिक अतिरिक्त कर की छूट मिली है।

आपने युद्ध के अंतिम वर्ष एक्स्ट्रा असिस्टेंट रिक्रूटिंग अफसर का कार्य किया जिसके सराहना स्वरुप सरकार द्वारा आपको एक रिक्रूटिंग वेज प्रदान किया गया। इस समय भी आप शांतिकाल के लिए ऑनरेरी असिस्टेंट रिक्रूटिंग ऑफिसर नियुक्त किए गए हैं।

आपने अपनी सेवाओं द्वारा स्थानीय सार्वजनिक जीवन में उच्चतर स्थान प्राप्त कर लिया है। आप इस समय अजमेर मेरवाड़ा में जनरल सेक्रेटरी जमीदार सभा (सन 1941 से), वाईस प्रेजिडेंट जाट सभा, मेंबर सोल्जर बोर्ड व वायस चेयरमेन डिस्ट्रिक बोर्ड हैं। स्थानीय सरकार द्वारा जो भी कोई कमेटी कम की जाती है उसके आप भी एक मेंबर मनोनीत किए जाते हैं।

जाती सेवा भावी आपने खूब है। आप आल इंडिया जाट महासभा के जनरल सेक्रेटरी (सन 1946 से) तथा राजस्थान प्रांतिक जाट सभा के जनरल सेक्रेटरी (1945 से) हैं। इस समय आप राजस्थान में एक किसान प्रेस की स्थापना की योजना में लगे हुए हैं और समस्त राजस्थान का एक संघ बनाकर उसकी राजधानी अजमेर बनवाने का भी आपका ध्येय है। आप अपने वकालत की व्यवसाय हमें बड़े कुशल हैं। आपने अपनी कुशाग्र बुद्धि, अधिक परिश्रम व अध्यवसाय से स्थानीय बार में प्रमुख वकीलों में स्थान प्राप्त कर लिया है। आप में वे सब गुण विद्यमान है जो एक नेता में होना चाहिए। हम निकट भविष्य में आपको अखिल भारत ख्याति


[पृ.102]: के एक नेता के रूप में देखने की आशा करते हैं। जाटों के अलावा दूसरी जातियों में भी आपका काफी मान है। समय को परखने में आप अत्यंत चतुर हैं। संगठन शक्ति आप की अद्भुत है। एक शब्द में आपको हम अजमेर मेरवाड़ा के किसानों का वास्तविक नेता और राजस्थान का जाग्रति दूर कर सकते हैं।

3. चौधरी रामप्रताप - [पृ.102]: लंबे और पतले कद के एक बुड्ढे चौधरी रामप्रताप को अजमेर मेरवाड़ा के जाट तब तक नहीं भूल सकते जब तक कि पुष्कर का जाट मंदिर मौजूद है। उन्होंने अजमेर के चौधरी गुलाबचंद के साथ मिलकर इस मंदिर को बनाने में काफी उद्योग किया। इसके बाद वह जाट सभा के कामों में दिलचस्पी लेने लगे और सन् 1932 में सराधना में अजमेर मेरवाड़ा जाट महोत्सव कराया जिसमें डिप्टी कमिश्नर अजमेर मेरवाड़ा ने भी भाग लिया। आपका नाम चौधरी रामप्रताप था। आप मकरेड़ाग्राम के रहने वाले तथा वहां के लंबरदार थे। खेद है कि वह अब इस संसार में नहीं है किंतु उनकी याद मौजूद है।

4. चौधरी सुवालाल सेल एमए,सीटी - [पृ.102]: चौधरी सुवालाल सेल का जन्म सन् 1906 गांव कालेसरा जिला अजमेर मेरवाड़ा में हुआ। आपके पिता चौधरी छोगालाल सेल स्वयं कुछ शिक्षित होने के कारण अजमेर मेरवाड़ा में जाट जाति में विद्या का नितांत अभाव बहुत


[पृ.103]: खटका। अतः आप ने पुत्र को उच्चतम शिक्षा देने का निश्चय किया ताकि उसका अनुकरण अन्य जाति भाई भी करें।

सर्वप्रथम अपने गांव में स्कूल न होने के कारण बालक सुवालाल निकट के गांव नागेलाव की स्कूल में भेजा गया। वहां की पढ़ाई समाप्त कर लेने के बाद पीसांगन मिडिल स्कूल में भर्ती किया गया। जहां से उसने सन् 1923 में मिडिल परीक्षा पास की।

वर्नाकुलर मिडिल परीक्षा पास करने के बाद आप गवर्नमेंट हाई स्कूल अजमेर में दाखिल किए गए। कई असुविधाओं के बावजूद सन् 1929 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की और अजमेर मेरवाड़ा में सर्वप्रथम आए। इसके परिणाम स्वरुप आपको सरकार द्वारा एडवर्ड हैरिस स्वर्णपदक तथा जाट महासभा द्वारा भजनलाल स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। आपने सरकारी छात्रवृत्ति पाकर गवर्नमेंट कॉलेज अजमेर में भर्ती हुए और सन् 1933 में आपने B.A. परीक्षा सम्मान पूर्वक पास की। इस प्रकार अजमेर मेरवाड़ा में न सिर्फ जाट जाति बल्कि समस्त जमीदार जातियों में आप सर्वप्रथम ग्रेजुएट हुए। बाद में आप ने आगरा यूनिवर्सिटी से इतिहास में M.A. परीक्षा पास की।

आपने अन्य नौकरियों की अपेक्षा अध्यापन व्यवसाय को पसंद किया। अतः अध्यापन की ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद आप की नियुक्ति सन 1934 ईस्वी में गवर्नमेंट हाई स्कूल अजमेर में असिस्टेंट मास्टर के पद पर हुई। सन 1940 में सरकार ने आप का तबादला गवर्नमेंट सेकंडरी स्कूल पीसांगन


[पृ.104]: के हेड मास्टर के पद पर कर दिया जहां पर इस समय तक कार्य कर रहे हैं।

आपको अपनी जाति विद्या प्रचार की बड़ी लगन लगी हुई है। आपने कई जाट छात्रों को स्कूल में दाखिला करवाया है तथा उन्हें उच्च शिक्षा देने के लिए उनके माता पिताओं से आग्रह किया है। यह आपके प्रयत्नों का फल है जिससे अजमेर मेरवाड़ा में कई जाट युवक मैट्रिक ग्रेजुएट होकर अच्छे स्थान पर पहुंच गए वह पहुंच रहे हैं। आपके विद्या प्रचार के प्रयत्न जारी है व जारी रहेंगे। आप से प्रेरणा पाकर जाट सभा ने अभी हाल ही में एक विद्या प्रचार योजना तैयार की है। जिसके अंतर्गत सभा के जेठाना अधिवेशन के अवसर पर एक विद्या प्रचार फंड स्थापित किया गया है। आप इस विद्या प्रचार कमेटी के संयोजक हैं।

सरकारी नौकरी में होते हुए भी आप जाति उन्नति के कार्य में पूरा पूरा भाग लेते हैं। जाट महासभा के सन् 1935 के पुष्कर महोत्सव को सफल बनाने में आपने चौधरी भजन लाल जी को पूर्ण सहयोग दिया। आप अजमेर मेरवाड़ा जाट विद्यार्थी सभा के सभापति भी रहे हैं। इस समय आप अजमेर मेरवाड़ा जाट सभा के एक उत्साही कार्यकर्ता हैं। सन 1934 के पहले अजमेर मेरवाड़ा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सब मेंबर शहरी होते थे। कोई भी उसमें जाट मेम्बर न था। आपने अकेले पहला चुनाव लड़ा और आपके उद्योग से 10 जाट मेंबर चुने गए। तब से डिस्ट्रिक बोर्ड में निरंतर जाटों का बहुमत होता आ रहा है। यहां तक कि आज वाईस प्रेजिडेंट भी एक जाट है। इस जागृति का श्रेय आपको जाता है।आप गत वर्षो से


[पृ.105]: डिस्ट्रिक बोर्ड के मेंबर होते आ रहे हैं। आपकी सहानुभूति जमीदार सभा से पूरी पूरी है।

आप अपने महकमे में भी अपने सुकार्य के कारण अधिकारियों व सहयोगियों के साथ सर्वप्रिय हैं। आप अजमेर मेरवाड़ा डिस्ट्रिक्ट टीचर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी रहे हैं।

आपके माता पिता जीवित हैं। आप तीन भाई हैं। सबसे बड़े आप हैं। मंझले श्री चतुर्भुज घरपर जमीदारी का काम संभालते हैं। सबसे छोटे भाई रामसुख सिंह सेल बीएससी (एजी) कृषि विभाग में इंस्पेक्टर हैं। आपके तीन संतान हैं। 2 पुत्र एक पुत्री। आप का बड़ा पुत्र 11वीं कक्षा में व छोटा पुत्र नवमी में पढ़ता है। पुत्री की उम्र 4 वर्ष की है।

आप शांत स्वभाव वह सरल प्रकृति के व्यक्ति हैं। अभिमान आपमें लेशमात्र भी नहीं है। आप नाम के बजाए काम को अधिक पसंद करते हैं।

5. चौधरी भागीरथसिंह सेल M.A. LLB वकील अजमेर - [पृ.106]: आपका जन्म मिति जेठ सुदी 9 संवत 1976 को ग्राम Kalesara (कालेसरा) जिला अजमेर में हुआ। आपके पिता चौधरी रामप्रताप जी सेल जिले में जाट जाति में नामी धनाढ्य व्यक्ति हैं। आप चौधरी सुवालाल जी सेल M.A. के भतीजे हैं। आपकी प्रायमरी शिक्षा अपने गांव के स्कूल में हुई। पश्चाताप पास के गांव पीसांगन की मिडिल स्कूल में भर्ती


[पृ.106]: किए गए। यहां से वर्नाकुलर फाइनल परीक्षा की पढ़ाई करने के बाद आप गवर्नमेंट हाई स्कूल अजमेर में भर्ती हुए। हाईस्कूल परीक्षा पास करने के बाद आप सैंट जॉन्स कॉलेज आगरा के एफ़ए व गवर्नमेंट कॉलेज अजमेर में बीए पास किया। आगरा में अध्ययन काल में आप जाट बोर्डिंग हाउस में निवास करते थे। लखनऊ यूनिवर्सिटी से आपने डबल कोर्स लेकर सन 1945 में MA इतिहास और LLB की परीक्षाएं पास की। इस समय आप अजमेर में वकालत कर रहे हैं।

आप जीवन में स्थापित होते ही जाति सेवा कार्य में बड़ी संलग्नता से जुट गए हैं। इस समय आप अजमेर मेरवाड़ा जाटसभा के जनरल सेक्रेटरी हैं और बड़े उत्साह पूर्वक कार्य कर रहे हैं। हाल ही में आपकी सेक्रेटरीसिप में अजमेर मेरवाड़ा जाट सभा वार्षिक अधिवेशन बड़े समारोह का सफलतापूर्वक संपन्न हुआ जिसमें जाति हित के बहुत से महत्वपूर्ण निश्चय हुए। आप बड़े उत्साह और होनहार नवयुवक हैं। आप से जाति सेवा की बड़ी आशा है।

आपके एक बड़े भाई हैं जो घर का काम संभालते हैं। आपके एक पुत्र है जिसकी अवस्था करीब 2 वर्ष है।

6. चौधरी रामकर्णसिंह परोदा - [पृ.106]: आप ग्राम सराधना के निवासी हैं। आपके पिता का नाम चौधरी हजारीमल तथा पितामह का नाम चौधरी कालूराम जी है। आपके पितामह अभी जीवित हैं और उनकी आयु करीब 80 वर्ष की है। आपकी आयु इस समय 31 वर्ष के लगभग है।


[पृ.107]:आपकी वर्नाकुलर मिडिल तक की शिक्षा अपने गांव में हुई। फिर आपने गवर्नमेंट हाई स्कूल अजमेर से मैट्रिक सन् 1936 में पास किया। मैट्रिक पास करने के बाद आप जाट कॉलेज लखावटी में भर्ती हुए और वहां से सन् 1938 में FA (कृषि) पास किया। सन 1940 में बीएससी (कृषि) की डिग्री गवर्नमेंट एग्रीकल्चर कॉलेज कानपुर से प्राप्त की।

शिक्षा समाप्त करते ही आप को सरकार ने असिस्टेंट मार्केटिंग ऑफिसर अजमेर मेरवाड़ा के पद पर नियुक्त कर दिया। मार्केटिंग का महकमा इस जिले में बिल्कुल नया ही खोला गया था परंतु आपने इसका संचालन बहुत ही सुंदर रुप से किया। आपने अजमेर शहर में घी ग्रेडिंग स्टेशन खोला तथा देहात में उनके ग्रेडिंग की स्कीम जारी की। आपने युद्ध काल में अंग्रेजी असिस्टेंट रिक्रूटिंग ऑफिसर का कार्य भी किया। आपको अपने रिक्रूटिंग सेवाओं के उपलक्ष में सरकार का एक रिक्रूटिंग वेज प्रदान किया गया।

इस समय आप रूरल डेवलपमेंट ऑफिसर (ग्राम सुधार अफसर) के उच्च पद पर नियुक्त हैं। आप अभी हाल ही यूपी से इस पद की ट्रेनिंग ले कर आए हैं। आशा है कि आप से देहाती जनता का काफी हित होगा।

आपको विद्यार्थी जीवन काल से ही जाति प्रेम है। आपने अपने विद्यार्थी जीवन में अजमेर मेरवाड़ा जाट विद्यार्थी सभा की स्थापना की जिससे जाट नवयुवकों में जागृति उत्पन्न करने का सराहनीय कार्य किया।


[पृ.108]: आपके दो संतान हैं - एक पुत्र एक पुत्री जिनकी अवस्था 6 व 4 वर्ष है।

7. चौधरी किशनलालजी बाना - [पृ.108]: आपका जन्म अजमेर मेरवाड़ा में ब्यावर शहर के पास गढ़ी थोरीयान नामक एक छोटे से ग्राम में हुआ था। जहां आप इस समय भी निवास कर रहे हैं। आप की अवस्था करीब 50 वर्ष की है। और आप ब्यावर में एडवर्ड मिल में स्टोर कीपर के पद पर नियुक्त हैं।

आपने हिंदी व अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त की है और आप वैद्य विशारद भी हैं।

आपका जाति प्रेम बड़ा प्रशंसनीय है। आपने अजमेर मेरवाड़ा जाट सभा के मंत्री का कार्य कई वर्षों तक किया है। और इस समय भी आप उसके उत्साही कार्यकर्ता हैं। आप जाति संस्थाओं व सभा सोसायटियों में बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।

आपके दो पुत्र व तीन पुत्रियां हैं। पुत्र छोटे हैं और ब्यावर में शिक्षा पा रहे हैं। आप की पुत्रियां सुशिक्षित हैं। बड़ी पुत्री का विवाह श्री हरेंद्र जी शास्त्री डीडवाना, जोधपुर के साथ व छोटी पुत्री का चौधरी मिश्रीलाल जी दहिया असिस्टेंट मार्केटिंग ऑफिसर अजमेर से हुआ है।

आपने राजस्थान जाट सभा के कार्य को आगे बढ़ाने में, जबकि ठाकुर देशराज अजमेर में रहते हुये कौम का काम कर रहे थे, बड़ी मदद की थी।


8. चौधरी गंगाराम लंबरदार हरमाड़ा - [पृ.109]: आपका जन्म गाँव हरमाड़ा जिला अजमेर में हुआ। आपकी आयु करीब 70 वर्ष है। आप अधिक पढे लिखे नहीं हैं। परंतु आप सुधारवादी व आधुनिक विचार वाले किसान हैं। किसान जाति व जाट जाति के हरकाम में जन सेवकों को आप सहयोग करते हैं। आप अजमेर मेरवाड़ा जमीदार सभा तथा जाट सभा की कार्यकारिणी के उत्साही सदस्य हैं।

हरमाड़ा गाँव के लंबरदार हैं। आपके बड़ी जमीदारी है। आपके चार पुत्र व कई प्रपौत्र हैं। आप समय समय पर जातीय संस्थाओं को दान देते रहते हैं।

यद्यपि आप काफी वृद्ध है, आपका स्वास्थ्य बड़ा अच्छा है और आप जाती सेवा कार्य बड़ी परिश्रम व लग्न के साथ करते हैं।

9. चौधरी सवाईरामजी - [पृ.109]: अजमेर मेरवाड़ा में मांगलियावास एक गाँव है। यह गांव बीबीएन सीआई रेलवे का स्टेशन भी है। चौधरी सवाईराम इसी गांव के रहने वाले जाट सरदार हैं।

जिन दिनों सराधना में जाट समाज का उत्सव हुआ तो आपने हर प्रकार की मदद की। आप की उमर लगभग 50 साल की होगी। आप समाज सुधारक के कामों में सदैव दिलचस्पी लेते रहे हैं।

10. चौधरी श्यौबक्सजी - [पृ.109]: जिन दिनों सराधना में चौधरी रामप्रताप जी


[पृ.110]: जीवित थे, उन दिनों देहातों में अनेक देहाती साथियों में जेठाना के चौधरी श्योबक्स जी पूर्ण उत्साह के साथ उनके कामों में मदद करते थे। चौधरी श्योबक्स जी ने ठाकुर चंद्रसिंह और मास्टर भजनलाल बीजारनिया को भी कौमी कामों में सदैव मदद दी। नुक्ता बंद करो आंदोलन में उन्होंने काफी प्रेम से काम किया था।

11. चौधरी नारायणसिंहजी तिलोनिया - आपका जन्म स्थान तिलोनिया है। तिलोनिया गांव स्टेशन होने के लिए यह मशहूर नहीं है बल्कि इसलिए भी मशहूर है कि जयपुर न्यू होटल के संस्थापक चौधरी लालाराम का जन्म यहां पर हुआ था। चौधरी नारायण सिंह की भी जन्म भूमि तिलोनिया ही है।

यद्यपि चौधरी नारायणसिंह तिलोनिया की आमदनी के जरिए छोटे रहे किंतु दिल आप का सदैव कौम की सेवा की ओर है। सर्विस में रहते हुए आपसे जो भी बन पड़ा कौम का काम किया है। कहीं खबरें ले जाकर, कही सेवा पहुंचाकर और कहीं से खबरें लाकर आपने शेखावाटी किसान आंदोलन के समय में नेताओं की मदद की और जो लोग अजमेर पहुंचे उन्हें अपने पास रखकर मदद की।

आप जहां जहां भी कहीं तबादलों पर रहे हैं जाट अखबारों का प्रचार किया है।

सूरत शक्ल से आप आकर्षक और निर्दोष दिल के आदमी हैं।


12. चौधरी उमरावसिंहजी तिलोनिया - [पृ.110]: आप चौधरी लालारामजी के पोते और बाबू मूलसिंह के भतीजे हैं। आपके पिता का नाम चौधरी गोपीसिंह है। आपका


[पृ.111]:जीवन ठाट का जीवन है। राजपूती ढंग से आप रहते हैं। शिकार के बड़े शौकीन हैं। जमीन और लेन-देन से आपकी अपनी अच्छी आमदनी है। आपने मैट्रिक तक शिक्षा पाई है।

चौधरी किशनलाल लामरोड के सत्संग से आप कौमी सेवा और किसान सेवा के क्षेत्र में 3-4 साल से उतरे हैं। सन् 1947 में जाट महासभा का जो डेपुटेशन बीकानेर गया उसके आप सदस्य थे। इसके बाद आप आबू में बीकानेर के महाराज से भी लामरोड़ जी के साथ मिले।

आप साधन-संपन्न आदमी हैं इसलिए चाहें तो कौम की बहुत अच्छी सेवा कर सकते हैं।

अपने इलाके में बाअसर आदमी हैं। जाटों के अलावा सभी जाति के लोगों में आपका आदर मान है बड़ी-बड़ी मूछें और गठा हुआ शरीर आपने प्रकृति से पाने का सौभाग्य हासिल किया है।

13. चौधरी प्रेमदासजी महंत हाथीभाटा अजमेर - [पृ.111]: आपका जन्म चैत्र मास संवत 1970 में ग्राम सोयला परगना जोधपुर में हुआ था। आपके चाचा अजमेर में हाथीभाटा के महंत थे। उनकी कोई संतान न होने के कारण आप उनके उत्तराधिकारी हुए। आपने मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त की। आपने अपनी जायदाद में जो करीब तीन लाख की है बहुत अच्छी उन्नति की है। जिसके फलस्वरुप सिर्फ


[पृ.112]: मकान किराए से ही आपकी समय लगभग 1000 रु. माहवार आमदनी है।

आप बड़े जाति प्रेमी हैं। अजमेर मेरवाड़ा में जब पहली पहल जाट सभा नियमित रूप से स्थापित हुई तो उसके संचालन का कार्य बड़े लगन वह उत्साह के साथ किया। इस समय आप इस सभा के आडीटर हैं। आप समय-समय पर अनेक जाति व अन्य संस्थाओं को दान देते रहते हैं।

आपके छोटे भाई हैं और अभी आपको एक पुत्र रत्न का लाभ हुआ है।

अजमेर मेरवाड़ा के अन्य जाट सेवक

[पृ.112]: ब्यावर में श्री किशन लाल जी बाना के साथियों में रामप्रसादजी रामगोपाल जी और कनीराम जी समाज सुधार के कामों में सदैव कोशिश करते रहे हैं। यही पर से चौधरी प्रतापमल्ल जी गोरा है। जो अच्छे व्यवसाई होने के कारण मशहूर है। सरकारी मुलाजमत करते हुए जितना भी बन पड़ा हृदय से कौम का काम करने वालों में दोनों छोगालाल जी साहब और हललाल सिंह जेलर का नाम उल्लेखनीय है। इन सभी के दिल में कौम की उन्नति देखने की साध है।


अजमेर अध्याय समाप्त

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