Kimpurusha

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Kimpurushas (किंपुरुष) (half-lions and half-men) were one among the Exotic Tribes of Ancient India mentioned in Mahabharata, Ramayana etc. These exotic tribes lived in inaccessible regions like the Himalaya mountains and had limited interaction with the Vedic civilization of ancient India. Thus they were represented as super human beings or as natural spirits.

Variants

History

किंपुरुष

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...किंपुरुष (AS, p.188) - पौराणिक भूगोल के अनुसार किंपुरुष, जंबूद्वीप का एक विभाग है-- 'भारतं प्रथमं वर्षं किंपुरुषं स्मृतम्' विष्णुपुराण 2,2,12. इसका नाम जंबूद्वीप के आग्नधि नामक राजा के पुत्र किंपुरुष के नाम पर पड़ा था. 'नाभि: किंपुरुश्चैव हरिवर्ष इलावृत:' किंपुरुष आदि आठ वर्षों के निवासियों को जरा-मृत्यु के भय से रहित माना गया है--'विपर्ययो न तेष्वस्तिजरामृत्यु भयं न च'. विष्णु 2,1,25. धर्माधर्म, उत्तम, मध्यम, अधम तथा युग व्यवस्था वहां नहीं है-- धर्माधर्माो न तेष्वास्तां नोत्तमाधममध्यमा:' न तेष्वस्ति युगावस्था क्षेत्रेष्वष्टसु सर्वदा' विष्णु पुराण 2,1,26. उपर्युक्त 2,2,12 के उल्लेख से यह भी इंगित होता है कि किंपुरुषदेश भारत के पार्श्व में ही स्थित माना जाता था. संभवत: यह तिब्बत या नेपाल का प्रदेश होगा जहां किंपुरुष या किन्नरों का निवास था. आज भी हिमाचल प्रदेश में स्थित तिब्बत की सीमा के निकट के इलाके में रहने वाली जातियां किन्नर कहलाती हैं. ये अनार्य जातियां आर्यों के रीति-रिवाजों तथा संस्कृति से अनभिज्ञ अवश्य ही रही होंगी.

महाभारत सभा.28,1 में अर्जुन की किंपुरुष पर विजय का वर्णन है--'स श्वेतपर्वतं वीरः समतिक्रम्य वीर्यवान, देशं किं पुरुषावासं द्रुमपुत्रेण रक्षितम्' (II.25.1). इसके पश्चात किंपुरुष देश में स्थित हेमकूट का उल्लेख है--'हेमकूटमथासाद्य न्याविशत् फाल्गुनस्तथा'. विष्णु पुराण 2,1,19 में भी हेमकूट का संबंध किंपुरुषों से बताया गया है-- 'हेमकूटं तथा वर्षं ददौ किंपुरुषाय स:'. महाभारत, सभा.28,3 किंपुरुष के हाटक नामक नगर को गुह्यकों या यक्षों द्वारा रक्षित बताया गया है-- 'तं जित्वा हाटके नाम देशं गुह्यक रक्षितम्' (II.25.3). कालिदास ने भी यक्षों की स्थिति मानसरोवर के निकट अलका में मानी है जो निश्चय ही तिब्बत की सीमा के अंतर्गत थी.

ठाकुर देशराज

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है....जम्बू द्वीप आगे चलकर अग्निध्र के नौ पुत्रों में इस भांति बट गया-


1. भरतखण्ड के उपर वाला देश किम्पुरूष को मिला, जो उसी के नाम पर किम्पुरूष कहलाया। यही बात शेष 8 भागों के सम्बन्ध में भी है। जो देश जिसको मिला उसी के नाम पर उस देश का भी नाम पड़ गया,

2. हरिवर्ष को निषध पर्वत वाला देश (हरिवर्ष),

3. जिस देश के बीच में सुमेर पर्वत है और जो सबके बीच में है, वह इलावृत को,

4. नील पर्वत वाला रम्य देश, रम्य को,

5. श्वेताचल को बीच में रखने वाला तथा रम्य के उत्तर का हिरण्यवान देश, हिरण्यवान को,

6. श्रृंगवान पर्वत वाला सबके उत्तर समुद्री तट पर बसा हुआ कुरू-प्रदेश, कुरू को,

7. भद्राश्व जो कि सुमेरू का पूर्वी खण्ड है, भद्राश्व को,

8. इलावृत के पच्छिम सुमेर पर्वत वाला केतुमाल को और,

9. हिमालय के दक्षिण समुद्र का फैला हुआ भरतखण्ड नाभि को मिला ।

ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है.... हरिवर्ष को ऐतिहासिक लोग यूरोप मानते है।[4] मानसरोवर के पच्छिम और सुमेर पर्वत के बीच के देश रम्य और भद्राश्व थे। यह काश्मीर का उत्तरी प्रदेश रहा होगा। केतुमाल देश को एशियाई माइनर समझना चाहिए। यह वर्तमान रूस का दक्षिणी-पूर्वी भाग था, क्योंकि पुराण इसे इलावृत के पच्छिम में बताते हैं।5 कुरू आज का मध्य-ऐशिया अथवा पूर्वी साइबेरिया था। इस विष्णु-पुराण ने समुद्र के किनारे और सब देशों के उत्तर में बताया है। किम्पुरूषवर्ष तातारियों का देश समझना चाहिए। इसका पता उसी पुराण में भारत के उत्तर में सबसे पहले के स्थान में बताया है। इलावृत को सुमेर के चतुर्दिक फैला हुआ प्रदेश माना गया है

आर्यों की दूसरी टोली इलावृत देश से भारत में आई बताई जाती है। पुराणों में विवस्वान मनु का भी स्थान सुमेर पर्वत बताया जाता है, जो कि इलावृत के मध्य में कहा गया है। इस तरह पहली टोली के मान्व-आर्य और दूसरी टोली के ऐल-आर्य एक ही महादेश के निवासी सिद्व होते हैं, किन्तु ऐल लोगों के साथ कुरू लोगों का भी एक बड़ा भाग था। मालूम ऐसा होता है, ऐल की कुरू देश में बसने के कारण कुरू कहलाते थे। पुराणों में इला का चन्द्र पुत्र बुध की स्त्री कहा गया है। इल-बुध सहवास से पुरूरवा हुए। भारत के समस्त चन्द्रवंशी क्षत्रिय पुरूरवा की ही संतति माने जाते हैं।

In Mahabharata

Kimpurusha (किंपुरुष) Mahabharata (I.60.7), (II.25.1)

Adi Parva, Mahabharata/Book I Chapter 60 gives genealogy of all the principal creatures. Kimpurushas (किंपुरुष) are mentioned in Mahabharata (I.60.7). [5]....Kimpurushas were mentioned as half-lions and half-men at (1,66). Here they were mentioned as related to other exotic tribes like the Rakshasas, Vanaras, Kinnaras (half-men, half-horses) and Yakshas. Sage Pulaha was linked with the Kimpurushas, whereas the others were linked with the sage Pulastya. Another tribe viz the Valikhilyas (who follow the motion of the sun) where linked with the sage Kratu. Marichi, Angiras, Atri, Pulastya, Pulaha, and Kratu were mentioned as the six great sages, who probably originated the six great clans. The kinship of these exotic tribes is also mentioned at (12,206).

Arjuna's conquests: Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 25 mentions the countries Arjuna subjugated in the North, Arjuna arrives to conquer Harivarsha. Kimpurusha (किंपुरुष) (Country) is mentioned in Mahabharata (II.25.1).[6]....Arjuna, during his conquest of northern kingdoms also visited the Kimpurusha Kingdom Arjuna, Crossing the White mountains, subjugated the country of the Kimpurushas ruled by Drumaputra, after a collision involving a great slaughter of Kshatriyas, and brought the region under his complete sway. (2,27)

Kimpurusha King (or preceptor) Druma: Druma is mentioned as the preceptor of the Kimpurushas at (2,43). Here he is said to attend the Rajasuya sacrifice of Pandava king Yudhishthira.

Arjuna, had defeated the Kimpurusha king Druma-putra, during his military campaign in the northern regions (2,27)

Rukmi a king of Vidarbha was a disciple of the famous Kimpurusha who was known by the name of Drona or Druma. (5,159)

Other References: Rakshasa Ravana defeated the Devas, the Danavas, the Gandharvas, the Yakshas, and the Kimpurushas. (3,279)

Kimpurushas used to wander alone in forests (12,168)

In Ramayana

Bala Kanda Sarga 17 mentions Kimpurusha in 1.17.22. [7]....Several of the gods, great-sages, gandharvas, eagles, yakshas, and the celebrated Nagas, kimpurushas, siddhas, vidyaadharaas, uragas and charanas and even the prominent maidens of apsaras, she-vidyaadharas, naga, gandharvas then gladly procreated all of the thousands of forest-ranging and valiant vanara sons from their bodies that are forest rangers. [21b, 22, 23, 24a, b]

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.188
  2. Jat History Thakur Deshraj/Chapter I,p.4
  3. Jat History Thakur Deshraj/Chapter I,p.5
  4. . 'भारतवर्ष का इतिहास' भाई परमानन्द रचित (प्रकरण दूसरा)
  5. रक्षसास तु पुलस्त्यस्य वानराः किंनरास तथा, पुलहस्य मृगाः सिंहा वयाघ्राः किंपुरुषास तथा (I.60.7)
  6. स श्वेतपर्वतं वीरः समतिक्रम्य भारत, देशं किं पुरुषावासं द्रुमपुत्रेण रक्षितम् (II.25.1)
  7. नागाः किम्पुरुषाः च एव सिद्ध विद्याधर उरगाः । बहवो जनयामासुः हृष्टाः तत्र सहस्रशः (1.17.22)