Paraswal

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Paraswal (परसवाल)[1][2] / Faraswal (फर्सवाल) / Farswal (फर्सवाल) / Parswal (पर्सवाळ) / Parswal/Parsawal (पर्सवाल) / Parsval (पर्सवाल) / Parshwal (पर्शवाल) / Paurushwal (पौरुसवाल) / Poras (पोरस)/(पौरस)[3] / Parushwal (परूषवाल) / Poraswal (पोरसवाल)[4] [5] / Porous (पौरूस) / Poraswar (पौरसवार) / Porushwar (पौरुषवार) / Porashwar (पौरषवार)[6] gotra Jats live in Delhi, Uttar Pradesh, Uttarakhand, Haryana, Rajasthan, Madhya Pradesh and Maharashtra and sevaral other stated in India.

Origin

  • They are said to be the descendants of King Porus.

Jat Gotras Namesake

Jat Gotras Namesake

Villages founded by this clan

History

Ram Swarup Joon[8] writes about Purnwal, Phalswal or Poruswal: This gotra is spread all over the Punjab. A Puru King fought against Alexander. According to Arrian the historian of Alexander there were two Porus- es. These were not actually their names, but their gotras. In the Mahabharata they are mentioned as the "Purusik" tribe.


They are considered to be the descendants of the king Porus, who had war with Alexander the great.

This clan has been described by Megasthenes as the Parasangae (Paraswal), The hill-tribes between the Indus and the Iomanes, along with the Chrysei (Karesia), Cetriboni (Khatri), the Megallae (Mukul), the Chrysei (Karesia), the Cesi (Khasa) , and the Asange (Sangwa) Jat clans. (see - Jat clans as described by Megasthenes)

Bhim Singh Dahiya gives details about a Rigvedic tribe named Parsu : (RV X/86/23, Vlll/6/48) Parsava (1/105/8). A great donor King named Tirindira of this clan is mentioned in RV Vlll/6/46. Prithu Parsva, the great donor king is mentioned in Vlll/6/46. They are to be identified with Parsval clan of the Jats; gave their name, Pars, Persia to Iran. They are also mentioned by Panini (V/3/117).

पोरस की जाति

पोरस की जाति संबंधी उल्लेख किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता. इतिहास में पोरस तथा एलेग्जेंडर का युद्ध भारत में एक घटना बनकर रह गया, जिसका उल्लेख इतिहास में एक झलक भर है. ऐसी बहुत सारी घटनाएं इतिहास में हो जाती हैं, परंतु वे इतिहास में लेखकों का अधिक ध्यान आकर्षित नहीं करती. पुरातन पोरस के वंशधारों तथा उसके समान वर्षों से संबंधित लोगों की खोज होनी चाहिए. इतिहास इस विषय में मौन है कि पोरस क्षत्रिय वर्ण में कौन जाति का था. पोरस के नाम के साथ पौरव उपाधि लगाने से यह तो स्पष्ट ही है कि वह पुरू वंशी था, किंतु जाति की गहराई में जाने के लिए ईस्वी पूर्व के इतिहास में पाई जाने वाली जातियों में उसके वंशजों का अन्वेषण किए जाने से जाट क्षत्रियों में आज भी पोरसवाल विद्यमान हैं, जिनको पोरस के नाम पर अपना पूर्वज होने के लिए आज भी अभिमान है. पौरव शब्द में 'व' हटाकर ग्रीक अस (os) जोड़ने से पोरोस तथा बदलकर पोरस बना. पोरस में 'वाल' प्रत्यय जोड़ने पर पोरसवाल अथवा परसवाल बन गया. 'वाल' या 'वाला' का अर्थ है प्रथम शब्द से संबंधित जैसे कर्णवाल, कर्ण से संबंधित है.

रोहतक में स्थित भदानी गांव आधा पोरसवाल जाटों का है. इस गांव के एक वंशधर दिल्ली के पश्चिम की ओर एक पहाड़ी पर बस गए. उनकी परंपरा में धीरजराव बड़े प्रसिद्ध पुरुष हुए. जब दिल्ली की आबादी उसकी चारदीवारी के बाहर चारों ओर बढ़ी तब जहां आज सदर बाजार है, वहां जाटों की आबादी की यह पहाड़ी- धीरज की पहाड़ी के नाम पर प्रसिद्ध हुई.

पोरस के भतीजे को भी ग्रीक लेखकों ने पोरोस/पोरस ही लिखा है. स्ट्रेबों लिखता है कि इंडिया के पोरोस/ पोरस नाम के दूसरे राजा ने रोमन सम्राट अगस्टस सीजर की कोर्ट में अपना राजदूत भेजा. अतएव ग्रीक लेखकों के अनुसार पोरोस न तो किसी व्यक्ति का नाम, न ही किसी राजवंश का नाम है. यह जाति/वंश का नाम है जो इंडिया के जाटों में पाया जाता है.

पारसियों के धर्मग्रन्थ अवेस्ता में इस जातिवंश को पोरु लिखा है. पोर, पौर तथा पुरु सभी शब्द एक ही हैं, अंतर स्थान तथा भाषा भेद के कारण है. स्थान तथा भाषा परिवर्तन के कारण शब्द का उच्चारण बदल जाता है जैसे वोट बंगाल में भोट, हिंदी में चक्रवर्ती बंगाल में चक्रबोर्ती जैसे हिंदी में पोरस तथा ग्रीक में पोरोस. परसवाल में है प, फ में बदल जाता है जैसे पत्थर से फत्थर. अतएव परसवाल से ग्रामीण भाषा में फरसवाल बन गया. भारतवर्ष में किसी भी जाति में जाटों को छोड़कर परसवाल नहीं पाए जाते, केवल जाट ही परसवाल है. इस वंश के बहुत सारे काम हैं जैसे कि बुलंदशहर उत्तर प्रदेश में लोहरका, जालंधर में शंकरगांव, गाजियाबाद में सुल्तानपुर, बिजनौर में कादीपुर आदि.

साभार - यह भाग जाट समाज पत्रिका आगरा, जून-2019, में प्रकाशित लेखक तेजपाल सिंह के पोरस पर लिखे गए लेख के पृ. 13 से लिया गया है.

आराम जनपद

विजयेन्द्र कुमार माथुर[9] ने लेख किया है ...आराम (AS, p.69) इस उद्धरण में आराम जनपद के निवासियों का उल्लेख मद्रों और अंबष्ठों के साथ है जिससे सूचित होता है कि आराम जनपद पंजाब में इन्हीं जनपदों के निकट स्थित होगा। 'माद्रारामास्तथाम्बष्ठा: पारसीकादयस्तथा'। (विष्णु पुराण 2, 3, 17)

Distribution in Uttar Pradesh

Villages in Ghaziabad district

Sultanpur,

Villages in J.P.Nagar district

Milak, Chajjupura,

Villages in Bulandshahar district

Poras Jats live in villages: Loharka, Saidpura, Rajgarhi, Kharkali, Nagla Kelan.

Village in Bijnor district

Poras Jats live in villages: Haldaur ,

Villages in Meerut district

Villages in Hapur district

Khagoi,

Distribution in Uttarakhand

Villages in Hardwar district

Distribution in Haryana

Villages in Sonipat district

Villages in Panipat district

Distribution in Rajasthan

Villages in Sikar district

Jhalara (झालरा), Moondwara (मूंडवा़डा),

Locations in Jaipur city

Banipark, Ramnagar (Sodala), Mansinghpura, Murlipura Scheme, Purani Basti, Yagyashala ki Bawri,

Villages in Jaipur district

Amkeshpura (1), Amli Ki Dhani (4), Bassi, Pipala Ki Dhani (1), Pipala Phagi, Ramlyawala, Sanganer, Sriramjipura (Chaksu), Sriramjipura (1),

Villages in Alwar district

Baghana (50),

Distribution in Madhya Pradesh

Villages in Vidisha district

Vidisha,

Villages in Bhopal district

Poras Jats live in: Kolar Bhopal, Bhopal,

Villages in Mandsaur district

Mandsaur,

Villages in Ratlam district

Villages in Ratlam district with population of this gotra are:

Ratlam 3,

Villages in Gwalior district

Gwalior, Lashkar (Gwalior),

Distribution in Jharkhand

Chhota Nagpur,

Notable persons from this clan

  • Naik Digendra Kumar (Paraswal) - Maha Vir Chakra. He comes from village Jhalara, tehsil Neem Ka Thana, district Sikar Rajasthan. Nation's second highest wartime gallantry award MAHA VIR CHAKRA was awarded to Naik Digendra Kumar on 15th August 1999 for his acts of bravery in Kargil War. He was in 2 Rajputana Rifles.
  • Amendra Singh Poras, (Mechanical Engineering MITS Gwalior), General Manager , U.P. Sugar federation .Lucknow U.P. (Mob: 8057874616). Originally from Loharka village in Bulandshahr tahsil and district in Uttar Pradesh.

Gallery

References

  1. B S Dahiya:Jats the Ancient Rulers (A clan study), p.242, s.n.176
  2. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. प-33
  3. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. प-55
  4. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. प-57
  5. O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.48,s.n. 1464
  6. Thakur Deshraj: Jat Itihas (Utpatti Aur Gaurav Khand)/Pancham Parichhed,p.112
  7. तीरग्राहास्तर तॊया राजिका रम्यका गणाः । तिलकाः पारसीकाश च मधुमन्तः परकुत्सकाः ।(VI.10.51)
  8. Ram Swarup Joon: History of the Jats/Chapter V,p. 98
  9. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.69

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