Anwali: Difference between revisions

From Jatland Wiki
Line 9: Line 9:


==Notable persons==
==Notable persons==
*[[Inder Singh Malik]] - [[Lt Cdr Inder Singh Malik]], Vir Chakra(VrC) , Commanding officer of INS Rajput in 1971 war with Pakistan and he with his team sank Pakistan Submarine PNG Gazi.  
[[File:Inder Singh Malik-1.jpg|thumb|150px|Inder Singh Malik]]
*[[Inder Singh Malik]] (Lt Cdr), [[Vir Chakra]], was Commanding officer of INS Rajput in 1971 war with Pakistan. He along with his team acted bravely and sank Pakistani Submarine PNG Gazi. He was from [[Anwali]] village in [[Gohana]] tahsil of [[Sonipat]] district in [[Haryana]]. Unit: INS Rajput.
*Late Ch. [[Kitab Singh Malik]], former MLA.
*Late Ch. [[Kitab Singh Malik]], former MLA.
*[[Dharmvir Malik|Dharamvir Malik]]
*[[Dharmvir Malik|Dharamvir Malik]]

Revision as of 16:59, 5 December 2022

Anwali (आँवळी) is a village in Gohana tahsil of Sonipat district in Haryana.

Jat Gotras

History

इतिहासकार स्वामी ओमानन्द सरस्वती लिखते हैं

यौधेयों की पांचवें प्रकार की मुद्रायें जो कि यौधेय गण की अन्तिम मुद्रायें मानी जाती हैं, और प्रायः जिसे गण राज्यों अथवा उनकी मुद्राओं का स्वल्प ज्ञान रखने वाले व्यक्ति भी जानते हैं, उन पर ब्राह्मी लिपि तथा संस्कृत भाषा में "यौधेय गणस्य जय" लिखा है । मध्य में कार्त्तिकेय अपनी शक्ति लिये खड़ा है । उसके एक पग के पास मयूर (मोर) का चित्र चित्रित है । इस मुद्रा पर कार्त्तिकेय की शक्ति (भाला) और उसके शिर के बीच ब्राह्मी में "द्वि" लिखा है । इस मुद्रा पर दूसरी ओर चलती हुई देवी का चित्र है । देवी का बायां हाथ कटि पर स्थित है तथा दायां हाथ ऊपर उठा रखा है । हाथ में कंगन भी प्रतीत होते हैं । देवी के दायें हाथ के नीचे पुष्पों से परिपूरित पात्र (कलसा) भी विद्यमान है । देवी के बायें ओर इस प्रकार का चिह्न है । देखिये, द्वितीय फलक पर ५ संख्या (नम्बर) वाली मुद्रा । वर्तुलाकार इस में मुद्रा पर देवी के चारों ओर बनी मणियों की माला यह द्योतित करती है कि यह अमूल्य रत्‍नों तथा धन-धान्य से परिपूरित बहुधान्यक अर्थात् हरयाणा की मुद्रा है । यह यौधेयों की विजय की सूचना देने वाली मुद्रा है । सभी इतिहासज्ञों का यह विचार है कि कुषाणों को पराजित कर उखाड़ फेंक देने के पश्चात् यौधेय गण ने अपनी इस मुद्रा को ढाला (बनाया) था । यह मुद्रा प्रायः सम्पूर्ण हरयाणे में मिलती है । मेरठ, हापुड़, सुनेत, करौंथा, अटायल, आंवली, मोहनबाड़ी, हाँसी, हिसार, भिवानी, नौरंगाबाद, दादरी, मल्हाणा, सीदीपुर लोवा आदि स्थानों से यह मुद्रा हमें प्राप्‍त हुई है । महम, सोनीपत, जयजयवन्ती, सहारनपुर आदि अनेक स्थानों पर भी यह लोगों को पर्याप्‍त संख्या में मिली है ।[2]

Notable persons

Inder Singh Malik

External links

References


Back to Jat Villages