Bhakal
Bhakal (भाकल) gotra Jats are found in Rajasthan, Himachal Pradesh, Punjab and Madhya Pradesh.
Origin
Bashkala (बाष्कल) is name of people mentioned by Panini[1] in Ashtadhyayi and in Mahabharata (I.59.18, I.61.9).
Villages founded by the clan
Bhakrod (भाकरोद) Village gets name after Nagavanshi named Bhakal (भाकल).[2]
History
K.P. Jayaswal[3] writes about Turshka king in North India: "Then will rise in the North [uttarapatha] the Turushka king, of great army and great vigour. Up to the gate of Kashmir, Bashkala, Udyana (T.; S. -Udaya) with Kāviśa (570), for 700 yojanas he rules. 77,000 and 2,00,000 (revenue ?) will be his (571). 86,000 stupas he will make. 'He established in the country the Prajñāpāramitā the mother of the Buddhas and the foremost doctrine of Mahayana (Buddhism)' (574-75).
Comments: The description of the Turushka king is undoubtedly the description of Kanishka. The centre of his kingdom according to our text was Bashkala which was connected with Udyana-cum-Kapisa and Kashmir. The tract thus indicated by the word Bashkala is Balkh with a transposition in the second syllable lkh. According to the text, Turushka (Kanishka) was primarily a king of Afghanistan (Kavisa), Suwāt, and Kashmir on this side of the Himadri (in its wider significance) , and up to Balkh which was considered as one of the northern provinces of Bharatavarsha (I.A., 1933, p. 130).
इतिहास
डॉ पेमाराम[4]लिखते हैं कि सिंध और पंजाब से समय-समय पर ज्यों-ज्यों जाट राजस्थान में आते गये, मरूस्थलीय प्रदेशों में बसने के साथ ही उन्होने प्रजातन्त्रीय तरीके से अपने छोटे-छोटे गणराज्य बना लिये थे जो अपनी सुरक्षा की व्यवस्था स्वयं करते थे तथा मिल-बैठकर अपने आपसी विवाद सुलझा लेते थे । ऐसे गणराज्य तीसरी सदी से लेकर सोलहवीं सदी तक चलते रहे । जैसे ईसा की तीसरी शताब्दी तक यौधेयों का जांगल प्रदेश पर अधिकार था । उसके बाद नागों ने उन्हें हरा कर जांगल प्रदेश (वर्तमान बिकानेर एवं नागौर जिला) पर अधिकार कर लिया । यौधेयों को हराने वाले पद्मावती के भारशिव नाग थे, जिन्होने चौथी शताब्दी से लेकर छठी शताब्दी तक बिकानेर, नागौर, जोधपुर तथा जालोर के जसवन्तपुरा तक शासन किया । जांगल प्रदेश में नागों के अधीन जो क्षेत्र था, उसकी राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) थी । यही वजह है कि नागौर के आस-पास चारों ओर अनेक नागवंशी मिसलों के नाम पर अनेक गांव बसे हुये हैं जैसे काला मिसल के नाम पर काल्यास, फ़िरड़ोदा का फिड़ोद, इनाणियां का इनाणा, भाकल का भाखरोद, बानों का भदाणा, भरणा का भरणगांव / भरनांवा / भरनाई, गोरा का डेह तथा धोला का खड़नाल आदि ।
छठी शताब्दी बाद नागौर पर दौसौ साल तक गूजरों ने राज किया परन्तु आठवीं शताब्दी बाद पुनः काला नागों ने गूजरों को हराकर अपना आधिपत्य कायम किया ।
दसवीं सदी के अन्त में प्रतिहारों ने नागों से नागौर छीन लिया । इस समय प्रतिहारों ने काला नागों का पूर्णतया सफ़ाया कर दिया । थोड़े से नाग बचे वे बलाया गांव में बसे और फिर वहां से अन्यत्र गये ।
पंडित अमीचन्द्र शर्मा[5] ने लिखा है - गुराइण गोत्र : जिला हिसार (अब भिवानी) में बामला गुराइण गोत्री जाटों का एक गाँव है। यहाँ तूर वंश में एक अति विख्यात जाटू नाम का राजा था। जाटू राजा के बड़े पुत्र का नाम पाड़ था। उसका पुत्र गोरा प्रसिद्ध हुआ। गोरा का पुत्र कालू, कालू का पूत्र सधीव, सधीव का पुत्र धेरपाल हुआ। बामला के गोरा की संतान गुराइण गोत्री जाट हैं। गुराइन गोत्री जाटों के ओर भी कई ग्राम हैं। गोरा की संतान में से कोई राजली ग्राम से चलकर बौन्द ग्राम में आ गया। बौन्द रियासत जींद में है। बौन्द में ठीक नहीं जमा तो वह कलिंगा ग्राम जिला रोहतक आ गया। यहाँ के ठाकुर ने उसको बसने के लिए थोड़ी जमीन दे दी। ठाकुर का पुत्र भी उसके पास ही रहने लगा। उस महाशय के दो पुत्र हुये। 1 बीधू, 2 भाकू ...उस महाशय ने ठाकुर से बहुत सारी जमीन लेली और उसमे बामला गाँव बसाया। इस गाँव मे 3 पान्ने हैं। जाट पुत्रों के नाम पर क्रमश: बीधू का बीधवान और भाकू का भाकल। ठाकुर के बेटे का नौरंगाबाद पानना है।
बामला के जाटों का निकास राजली ग्राम है। बामला के गुराइण गोत्र के जाटों की वंशावली निम्नानुसार है:
- 1. राजा जाटू (1350 ई.),
- 2. पाड़ (1375 ई.),
- 3. गोरा (1400 ई.),
- 4. कालूसिंह (1425 ई.),
- 5. सधीन (1450 ई.),
- 6. धरेपाल (1475 ई.),
- 7. धांधू (1500 ई.),
- 8. मुलकशृंगार (1525 ई.),
- 9. लाखू (1550 ई.),
- 10. छज्जू (1575 ई.),
- 11. बीधू, भाखू (1600 ई.),
- 12. बुकण (1625 ई.),
- 13. आसिल (1650 ई.),
- 14. बड़सी (1675 ई.),
- 15. लाहड़ (1700 ई.),
- 16. भागन (1725 ई.),
- 17. केशो (1750 ई.),
- 18. कुशला (1775 ई.),
- 19. रतिया (1800 ई.),
- 20. जाहरिया (1825 ई.),
- 21. जोद्धा (1850 ई.),
- 22. हंसराम (1875 ई.),
- 23. परशराम (1900 ई.),
गोरा की संतान में छ्ज्जू सिंह (1575 ई.) तूर संघ से जाट संघ में मिला। तूर संघ मुख्यतया जाट गोत्रों से ही बना था। धरेपाल के भतीजे की संतान अब तक भी जताई ग्राम जिला भिवानी में हैं, वे राजपूत हैं। जताई के राजपूत और बामला के जाट परस्पर भाई हैं।
यह मानकर की परशराम लेखक का समकालीन होने से वर्ष 1900 ई. से एक पीढ़ी का काल 25 वर्ष मानते हुये उपरोक्त पीढ़ियों की काल गणना की जावे तो राजा जाटू का काल लगभग 1350 ई. आता है।
Distribution in Rajasthan
Villages in Jodhpur district
Bawarli, Jhak Bilara, Jodhpur, Luni, Malawas Bilada, Sambhadia Bilara,
Villages in Tonk district
Villages in Nagaur district
Asop, Bhakrod, Janana, Khinwsar, Nagaur, Merta Road, Motipura Nagaur, Mundiyar, Palri Jodha, Soliyana,
Villages in Bikaner district
Villages in Jhalawar district
Villages in Pali district
Distribution in Madhya Pradesh
Villages in Ratlam district
Villages in Ratlam district with population of this gotra are:
Bhatkheda 1, Dheekwa 1, Namli 1, Narayangarh Ratlam 1, Sinod 1,
Villages in Indore district
Karadia Indore, Shahna, Pardeshipura (a locality in Indore city)
Villages in Guna district
Villages in Dhar district
Villages in Harda district
Adampur Harda, Bhawartalab Thekedari, Rijgaon,
Villages in Ujjain district
Distribution in Punjab
Villages in Hoshiarpur district
- Bhakal named village is in Hoshiarpur tahsil in Hoshiarpur district in Punjab, India.
Distribution in Himachal Pradesh
Notable persons
- Lekhma Ram - Country's first Zilla Pramukh, from Janana, Nagaur
- Jagdish Bhakal - Sarpanch Bhakrod
- Pancha Ram Bhakal - X.En. Department : Irrigation. VPO - Bhankrod, TEH.& DISTT.- Nagaur. Present Address : D-442, SARSWATI NAGAR, NAGAUR,RAJASTHAN, Residence Phone Numbers : - Mobile Number : 9414465059. Email Address : prbxen@yahoo.co.in
- Surendra Bhakal - Civil Engineer Kota, He is son of Likhma Ram Bhakal, from Janana, Nagaur Surendra Bhaka on facebook
- Bhupinder Singh Bhakal - Digital Marketing Specialist, Chandigarh, He is son of Krishan Singh Bhakal, from Jawali,Kangra H.P.,Bhupinder Singh bhakal on Linkedin Bhupinder Singh bhakal on FacebookBhupinder Singh bhakal on Twitter
External Links
References
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.320
- ↑ डॉ पेमाराम:राजस्थान के जाटों का इतिहास,2010, पृ.19
- ↑ An Imperial History Of India/Provincial History of the Himalayas,p.23
- ↑ राजस्थान के जाटों का इतिहास, 2010, पृ.19
- ↑ Jat Varna Mimansa (1910) by Pandit Amichandra Sharma, p.37-38
- ↑ User:Sk56
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