Arbuda Naga
Arbudanaga (अर्बुद नाग) was a Nagavanshi ruler in Mahabharata period. They gave name to Abu Parvata as Arbuda Parvata.
Jat Gotras from Arbuda
- Avalak (अवलक) Jat gotra gets its name from Nagavanshi ruler Arbuda (अर्बुद). [1]
- Abuda clan derived its name from Nagavanshi ruler named Arbuda (अर्बुद).[2]
- Akuda (आकुदा) clan derived its name from Nagavanshi ruler named Arbuda (अर्बुद).[3]
- Abusaria (आबूसरिया) clan derived its name from Abu .[4]
- Arbat central asian name is identified with Arbuda/Arab (Jats) by Bhim Singh Dahiya[5]
History
Sandhya Jain[6] mentions ...Tribes in 'Geography' and 'Tributes' /Whose Position is not Known/Did not Join the War/Unknown Tribes. Arbuda is at S.No. 9. Arbuda (अर्बुद) - Were vanquished by Sahdeva (II.28.8). Also a famous mountain in the Puranas, now known as Mt. Abu.
अर्बुद
अर्बुद=आबू (राजस्थान) (AS, p.40): विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ... महाभारत में, अर्बुद पर्वत की गणना तीर्थस्थलों में की गई है। अर्बुद निवासियों का उल्लेख विष्णुपुराण (विष्णुपुराण 2,13,16) में है- 'पुंड्राः कलिगमागधा दक्षिणाद्याश्च सर्वशः तथापरांताः सौराष्ट्राः शूराभीरास्तथार्बुदाः'। चंदबरदाई लिखित पृथ्वीराजरासो में वर्णित है कि अग्निकुल के चार राजपूत वंश- पवार, परिहार, चौहान, और चालुक्य आबू पहाड पर किये गये एक यज्ञ द्वारा उत्पन्न हुए थे। क्रूक (crook) के मत में यह यज्ञ विदेशी जातियों को क्षत्रिय वर्ण में सम्मिलित करने के लिये किया गया होगा।[8]
आबू=अर्बुद (राजस्थान) (AS, p.64): विजयेन्द्र कुमार माथुर[9] ने लेख किया है ... किंवदंती है कि वशिष्ठ का आश्रम देवलवाड़ा के निकट ही स्थित था. अर्बुदा-देवी का मंदिर यहीं पहाड़ के ऊपर है.
जैन ग्रंथ विविधतीर्थकल्प के अनुसार आबूपर्वत की तलहटी में अर्बुद नामक नाग का निवास था, इसी के कारण यह पहाड़ आबू कहलाया. इसका पुराना नाम नंदिवर्धन था. पहाड़ के पास मंदाकिनी नदी बहती है और श्रीमाता अचलेश्वर और वशिष्ठ आश्रम तीर्थ हैं. अर्बुद-गिरि पर परमार नरेशों ने राज्य किया था जिनकी राजधानी चंद्रावती में थी. इस जैन ग्रंथ के अनुसार विमल नामक सेनापति ने ऋषभदेव की पीतल की मूर्ति सहित यहां एक चैत्य [p.66]: बनवाया था और 1088 विक्रम संवत में उसने विमल-वसति नामक एक मंदिर बनवाया. 1288 विक्रम संवत में राजा के मुख्यमंत्री ने नेमि का मंदिर लूणिगवसति बनवाया. 1243 विक्रम संवत में चंडसिंह के पुत्र पीठपद और महतसिंह के पुत्र लल्ल ने तेजपाल द्वारा निर्मित मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. इसी मूर्ति के लिए चालुक्यवंशी कुमारपाल भूपति ने श्रीवीर का मंदिर बनवाया था. अर्बुद का उल्लेख एक अन्य जैन ग्रंथ तीर्थमाला चैत्यवंदन में भी मिलता है-- 'कोडीनारकमंत्रिदहाड़पुरेश्रीमंडपे चार्बुदे'.
पँवार जाटों का इतिहास
पंडित अमीचन्द्र शर्मा[10] ने लिखा है - जिला रोहतक में बैहलंभा जाटों का बड़ा गाँव है जिसमें पँवार जाटों का एक पान्ना है। जब भारत में बौद्ध मत का प्रचार था तो ब्राह्मण लोगों ने अर्बुदगिरि पर हवन किया। तब पँवार, चौहान, सोलंकी क्षत्रिय उतपन्न हुये। कुछ गोत्र के जाटों ने पँवारसंघ का समर्थन किया।
In Mahabharata
Arbuda (अर्बुद) is mentioned in Mahabharata (II.47.26), (III.80.74), (VI.46.52), (VIII.4.4), (IX.44.110)
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 47 (II.47.26) mentions Kings who brought tributes to Yudhishthira: Arbuda (अर्बुद) Nagavanshi King is mentioned in Mahabharata (II.47.26).[11]...."And the Sakas, Tukharas, Kankas, [Roma]]s and men with horns bringing with them as tribute numerous large elephants and ten thousand horses, and hundreds and hundreds of millions of gold waited at the gate, being refused permission to enter."
Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 80 mentions the merit attached to tirthas. Arbuda (अर्बुद) Mountain is mentioned in Mahabharata (III.80.74). [12]....One must then go, O virtuous chief of warriors, to Arbuda (अर्बुद) (III.80.74), the son of Himavat, where there was a hole through the earth in days of yore. There is the asylum of Vasistha, celebrated over the three worlds. Having resided for one night, one obtaineth the merit of the gift of a thousand kine.
Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 46 mentions that Pandavas look the war arrangement and wait for battle. Arbuda (अर्बुद) is mentioned in Mahabharata (VI.46.52). [13]
Karna Parva/Mahabharata Book VIII Chapter 4 mentions Warriors who are dead amongst the Kurus and the Pandavas after ten days. Arbuda (अर्बुद) is mentioned in Mahabharata (VIII.4.4). [14]
Shalya Parva, Mahabharata/Book IX Chapter 44 describes the Kings and clans who joined the ceremony for investing Kartikeya with the status of generalissimo. Arbuda is mentioned in verse (IX.44.110). [15]
Monuments
Arbuda Devi Temple - Mount Abu was originally called Arbudanchal, named after Arbuda Devi. The temple is at a higher altitude and can be reached by climbing up a flight of stairs. It takes us approximately 20 minutes to reach the shrine. This is a cave temple. One has to crouch through a very narrow hole to enter the sanctom Santorum that housed a gorgeous stone image in black decked with ornaments and silk. The goddess apparently is one of the forms of Shakti and is extremely revered among the locals.
References
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya etc,: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998.p.221,sn.44
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya etc,: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya etc,: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998,p.223, sn.23
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya etc,: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998,p.222, sn.2
- ↑ Jats the Ancient Rulers (A clan study)/Appendices/Appendix II, p.330, sn.15
- ↑ Sandhya Jain: Adi Deo Arya Devata - A Panoramic View of Tribal-Hindu Cultural Interface, Rupa & Co, 7/16, Ansari Road Daryaganj, New Delhi, 2004 p.128
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.40
- ↑ टॉड रचित राजस्थान
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.64-66
- ↑ Jat Varna Mimansa (1910) by Pandit Amichandra Sharma, p.42
- ↑ शकास तुखाराः कङ्काश च रॊमशाः शृङ्गिणॊ नराः महागमान दूरगमान गणितान अर्बुदं हयान (II.47.26)
- ↑ ततॊ गच्छेत धर्मज्ञ हिमवत्सुतम अर्बुदम, पृथिव्यां यत्र वै छिद्रं पूर्वम आसीद युधिष्ठिर (III.80.74)
- ↑ रदानाम अयुतं पक्षौ शिरश च नियुतं तदा, पृष्ठम अर्बुदम एवासीत सहस्राणि च विंशतिः (VI.46.52)
- ↑ हतः शांतनवॊ राजन दुराधर्षः प्रतापवान, हत्वा पाण्डव यॊधानाम अर्बुदं दशभिर दिनैः (VIII.4.4)
- ↑ तादृशानां सहस्राणि परयुतान्य अर्बुदानि च । अभिषिक्तं महात्मानं परिवार्यॊपतस्दिरे (IX.44.110)
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