Laxmangarh
Laxmangarh (लक्ष्मणगढ) is a tahsil town in Sikar district of Rajasthan in India.
Founder
Location
It is situated on National Highway-11 at a distance of 30 km from Sikar in north.
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Jat Gotras
History
Its old name was Bergaon (बेड़गांव) and was capital of Meel Jats. Rao Raja Laxman Singh of Sikar constructed a fort and renamed Laxmangarh in 1862. [1]
सीकर के जाटों पर जुल्मों का पहाड़
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....गांवों में सीकर ठिकाने द्वारा अन्यायों का तांता बन गया और गांवों में जाटों को पीटा जाने लगा।
लादूराम और बिरम सिंह दो जाट किसी कारणवश सीकर आए थे उन्हें गिरफ्तार करके बुरी तरह पीटा गया। बीरमसिंह की हालत नाजुक कही जाती है। खुड़ी के राजपूतों के घस्सू गांव के 4 जाटों को पकड़कर मनमाना पीटा और पुलिस ने गिरफ्तार करा दिया।
सरदार पन्ने सिंह जी जाखड़ ग्राम कोलीड़ा को बहुत पीटा जा रहा है। पुलिस इंचार्ज के नाम पूछने पर उसने अपना नाम पन्नेसिंह बतलाया था। उसको अपना नाम थाने पर लिखाने को कहा जाता है, परंतु वह नहीं लिखाता।
[पृ.284]: कई घायल अस्पताल में भर्ती नहीं किए जाने के कारण ग्रामों की ओर जा रहे हैं। खुड़ी में आए हुए जाटों से बीबीपुर ग्राम का एक और घस्सु ग्राम के 2 जाट का पता नहीं है। जाट जनता में विश्वास है कि वे दोनों खुड़ी में लाठीचार्ज के समय मर गए। उनके घरवाले उन्हें ढूंढ रहे हैं। अभी तक उनका या उनकी लाश का पता नहीं चला है।
सीकर 9 अप्रैल 1934: लगान के लिए रुपए इकट्ठे करने अथवा बच्चों का पेट पालने को जो जाट किसान शहरों में बाजरा, चारा, पाला, लकड़ी और घृत आदि लाते हैं उसे अधिकारियों के इशारे के कारण शहरों में छीन लिया जाता है। अभी लक्ष्मणगढ़ में 2 जाटों के साथ यह घटना घट चुकी है। उनका बाजरा और घी छीन लिया गया। लक्ष्मणगढ़ में एक जाट की दुकान पर धूल फिकवाई गई और उस जाट को पकड़ लिया गया। सीकर में एक दुकान पर एक जाट बैठा हुआ था, पुलिस को सूचना दी गई और तीन पुलिस के आदमी उसे गिरफ्तार कर ले गए। लोगों में आम चर्चा है कि जो एक जाट को गिरफ्तार करा देगा उसे ₹2 दिए जाएंगे। उस जाट को कोतवाली ले जा कर जूते लगाए जाने की खबर है। पहले तो जाटों द्वारा गंदे गीत गाने का आरोप लगाकर बनिए ब्राह्मणों को भड़काया। जब उसमें भी पूर्ण सफलता नहीं मिली तो अब जाटों को इस प्रकार भयभीत कर शहर में आने से रोका जा रहा है। शहर के लोगों को यह कहकर भी भड़काया गया कि जाटों ने शहरों में सामान लाने का बहिष्कार कर दिया है और लकड़ी-चारा मिलना कठिन हो गया है। इस
[पृ.285]: कारण तुम भी जाटों का बहिष्कार कर दो। परंतु कुछ समझदार व्यक्तियों ने लोगों को यह चाल समझा दी और लोगों ने निर्दोष जाटों का बहिष्कार करने से इंकार कर दिया। वर्तमान शासन के इस प्रकार के नित्य नए अड़ंगे देख शहरी जनता में संगठन की भावना उत्पन्न हुई है और कुछ लोगों ने हिंदू सभा की स्थापना का यत्न आरंभ किया है।
Notable persons
Shri Ramu Ram Garhwal Bidsar
External links
References
- ↑ Mansukh Ranwa:Amar Shaheed Lothoo Jat (अमर शहीद लोटू जाट), 2000, p. 12
- ↑ Thakur Deshraj: Jat Jan Sewak, 1949, p.283-85
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