Jat History
This is a brief history of the Jats with a view to increase awareness about Jat history among the young generation. Please select from the following topics:
General History
- History Introduction
- General History
- Indian History Time Line
- Rajput Federation
- Decline of Vedic culture and revival of Nagavanshis
- Maukhari dynasty: •Yajnavarman, •Sardulavarman, •Anantavarman, •Harivarman, •Adityavarman, •Isvaravarman, •Isanavarman, •Sarvavarman
Jat History
- Ancient Abode of Jats
- Important Dates
- Jat History Quiz
- Learning Jat people history
- Etymology of Jat
- Origin of the Jats
- Migration of Jats
- Jats in Indian epics
- Jats in world History
- Ancient Kingdoms
- Jat Kingdoms in Medieval India
- Jats in Modern History
- Saharan In Ramgarh History
- Jats in Islamic History
- Qazi Athar Mubarakpuri's studies on Jats
- Socio-Political and Military Role of Jats in West Asia as Gleaned from Arabic Sources by Prof. Abdul Ali
- Some Aspects Of The Jat Religion And Ethics - by M. C. Pradhan
- The Jats in the Chachnamah: Some Observations
- The Jats of Northern India: Their Traditional Political System by M C Pradhan
- Jat History in Russian and Ukrainian language books
What is the History of Jats?
See What is the History of Jats? - A SUMMARY OF THE RACIAL ORIGINS AND HISTORICAL LEGACY OF THE JATS WITHIN THE INDIAN SUBCONTINENT. Author: Navtej Mangat, former Retired Lawyer at Quora
Jats in other fields
- Books on Jat History
- Jat re Jat
- Growth of the Arya Samaj
- Education
- Role in the British Army
- Independence Movement
हिन्दी भाषा में जाट इतिहास
जाट इतिहास को समझने के लिए इसे संपूर्णता में पढना जरूरी है। अधिकतर इतिहासकारों ने थोड़ा सा पढ़कर इनके उत्पत्ति के संबंध में व्याख्या दी गई हैं जो सही रूप नहीं दिखा पाते। जाट इतिहास को समझने के लिए एक कहानी है:
एक गांव में चार अन्धे रहते थे। एक बार गांव में हाथी आ गया। अंधे भी हाथी के पास जाकर उसे टटोलने लगे, एक के हाथ में पूंछ आगई वह बोला यह तो सांप है। दसरे के हाथ में कान आया वह बोला नहीं यह तो छाज है। तीसरे के हाथ में पांव अाया तोवह बोला यह तो खम्बा है। चौथे का हाथ पेट पर पड़ा तो वह बोला, क्यूं झूठ बोलते हो यह तो तख्त है।
इसी प्रकार जाट इतिहास को विभिन्न लोगों ने अलग-अलग ढंग से समझा तदनुसार इनके उत्पत्ति की व्याख्याएँ कर दी गई हैं।
हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इतिहास केवल विजेताओं का ही लिखा गया है। दो संस्कृतियों के द्वंद्व में पराजित संस्कृति को मिटने के लिए बाध्य किया जाता है। विजेता इतिहास की पुस्तकों को इस प्रकार लिखता है जिसमें उसका गुणगान हो, और विजित को अपमानित किया गया हो। हर नया विजेता सत्तासीन होते ही अपनी कीर्ति-कथा गढ़ने में जुट जाता है। इसके लिए वह बुद्धिजीवियों की मदद लेता है। उसका एकमात्र उद्देश्य होता है, पराजित समुदायों के दिलोदिमाग पर कब्जा कर लेना। इस तरीके से वह पराजित लोगों के इतिहास बोध को दूषित कर देता है। इस संदर्भ में जार्ज आरवेल ने कहा था कि ‘किसी समाज को नष्ट करने का सबसे कारगर तरीका है, उसके इतिहास बोध को दूषित और खारिज कर दिया जाए।’ जाट इतिहास को भी पूर्व में इसी तरह से नष्ट करने के प्रयास किए गए हैं।
हिन्दी भाषा में निम्न पुस्तकों और लेखों के माध्यम से इस साईट पर जाट इतिहास उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है:
- जाट इतिहास: ठाकुर देशराज
- जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत
- जाट जाति की उत्पत्ति और विस्तार
- मध्यकालीन राजस्थान में जाट जनपद
- रियासती भारत के जाट जन सेवक (1949) - लेखक: ठाकुर देशराज
- जाट इतिहास (उत्पत्ति और गौरव खंड) (1937) - लेखक: ठाकुर देशराज
- शेखावाटी किसान आन्दोलन
- वीरभूमि हरयाणा (नाम और सीमा)
- हरयाणे के वीर यौधेय
- आखिर जीत हमारी (वीर रस का एक ऐतिहासिक उपन्यास)
- बुरड़क गोत्र का इतिहास
- तोमर गोत्र का परिचय
- जाट और धर्म
- चूरू जनपद का जाट इतिहास
- चूरु जिले में प्राचीन जाट गण राज्यों का इतिहास
- बीकानेर संभाग में प्राचीन जाट गण राज्यों का इतिहास
- गुजरात में प्राचीन जाट इतिहास की खोज
- जाटों की प्रशासनिक व्यवस्था और खाप
- गोहद के राणाओं का इतिहास
- मध्य प्रदेश के प्राचीन जाट गणराज्य
- बस्तर में जाट इतिहास
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