Malini

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(Redirected from Mālinī)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Malini (मालिनी) is a mythological river mentioned in Abhigyana Shakuntala by Kalidasa where the baby Shakuntala was left by her mother. It was the site of Kanvashrama. Malini River finds mention in Ramayana (2.68.12) and Mahabharata (VI.10.16).

Variants

Jat clans

History

Mandawar - Mandawar is an ancient city settled on the banks of Malini or Malan River mentioned in Abhigyana Shakuntala by Kalidasa. As per local tradition this is the site of Ashrama of Rishi Kanva. Panini in Chapter 4.2.10 of Ashtadhyay has mentioned this place as Mardeyapura (मार्देयपुर). The River Ganga flows very close to Mandawar and on the other side of the Banks of Ganga is situated Sukkartal, the Shakravatara of Abhigyana Shakuntala, village in Jansath tahsil in Muzaffarnagar district in Uttar Pradesh. It is believed that the ring of Shakuntala felled in Ganga river at this very place while she was on way to Hastinapur to meet King Dushyanta. In north east of Mandawar is situated the Kajalivana near Najibabad where Dushyanta used to go for hunting. According to Cunningham, the ancient name of Mandawar is Matipura (मतिपुर) where Xuanzang had visited in 634 AD. He mentioned this place as Matipolo. At that time it was site of a Buddhist vihara of Gunaprabha's pupil named Mitrasena. Cunningham had explored this place and found coins and sculptures of the Kushanas and Guptas. [1]

In Mahabharata

Malini River (मालिनी) in Mahabharata (VI.10.16)

Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 10 describes geography and provinces of Bharatavarsha. Malini River (मालिनी) is mentioned in Mahabharata (VI.10.16). [2]....of Vedasmrita and Vetasini (Vedavati), and Tridiva, and Ikshu Malini; Karishini, and Chitravaha, and the river called Chitrasena; (VI.10.16)

In Ramayana

Malini River (मालिनी नदी) is mentioned in Ramayana (2.68.12).[3]


Ayodhya Kanda/Canto LXVIII mentions ....With the concurrence of Markandeya and other sages, Vasistha instructs messengers to call back Bharata and Satrughna from their maternal uncle’s house. The messengers leave immediately for the capital of Kekaya, riding their fast horses......The messengers, who are going to leave for the land of Kekayas, took sufficient eatables required on their way and went to their respective houses, by riding on their admirable horses. Having completed all the remaining preparations for the journey and having been permitted by Vasistha, the messengers quickly proceeded (to the destination). Those messengers went on touching Malini River, flowing between the passing Aparatala Mountain and the northern end of Pralamba Mountain. Having crossed Ganga River at Hastinapura, they proceeded towards west and, reaching Panchala kingdom through Kuru Jangala....

मालिनी नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है .... 1. मालिनी नदी (AS, p.740): अभिज्ञान शाकुंतलम् में वर्णित नदी जिसके तट पर शकुंतला के पिता कण्व का आश्रम था-- 'कार्या सैकतलोनहंसमिथुना स्त्रोतोवहा मालिनी, पादास्तामभितो निषण्णहरिणा गौरीगुरी। पावना: शाखालंबितवल्कलस्य च तरो: निर्मातुमिच्छाम्यध: श्रृगे कृष्णामृगस्य वामनयनं कंडूयमानां मृगीम्' (अंक-5)

महाभारत आदि पर्व महाभारत 72,10 में शकुंतला का मेनका द्वारा मालिनी नदी के तट पर उत्सर्जित किए जाने का उल्लेख है- 'प्रस्थे हिमवतो रम्ये मालिनीमभितोनदीम्, जातमुत्युज्य तं गर्भ मेनका मालिनीमनु'.

महाभारत और अभिज्ञानशाकुंतल दोनों ही कथा में मालिनी नदी को हिमालय के समीप बताया गया है। मालिनी नदी का अभिज्ञान गढ़वाल और बिजनौर के ज़िलों में प्रवाहित होने वाली वर्तमान मालन नदी से किया गया है। (दे. ग्रंथकार का लेख-मार्डन रिव्यू, अक्टूबर 1949) यह नदी गढ़वाल के पहाड़ों से निकल कर बिजनौर से 6 मील उत्तर की ओर गंगा में रावलीघाट नामक स्थान पर मिलती है।

कण्वाश्रम की स्थिति जिला बिजनौर में स्थित मंडावर नामक स्थान पर मानी गई है जो मालन के निकट बसा है. (देखें मंडावर; शक्रावतार, रावली घाट)

2. मालिनी नदी (AS, p.740) = Champa (चंपा) (1)

मंडावर, बिजनोर

मंडावर, जिला बिजनोर, उ.प्र., (AS, p.684) कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतल में वर्णित मालिनी (=मालन) नदी के तट पर बसा हुआ प्राचीन स्थान है. स्थानीय किंवदंती में इस कस्बे को बड़े प्राचीन काल से ही कणव ऋषि का आश्रम माना गया है जो यहां की स्थिति को देखते हुए ठीक जान पड़ता है.पाणिनि ने ने शायद इसी स्थान को अष्टाध्यायी 4,2,10 में मार्देयपुर कहा है. मंडावर के उत्तर की ओर कुछ दूर पर गंगा है जिसके दूसरे तट पर वर्तमान शुक्करताल (जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश) या अभिज्ञान शाकुंतल का शक्रावतार है. हस्तिनापुर जाते समय शकुंतला की उंगली से दुष्यंत की अंगूठी इसी स्थान पर गंगा के स्रोत में गिर गई थी. हस्तिनापुर का मार्ग मंडावर से गंगा पार शुक्करताल होकर ही जाता है. मंडावर के उत्तर-पश्चिम में नजीराबाद के ऊपर कजलीवन स्थित है जहां कालिदास के वर्णन के अनुसार दुष्यंत आखेट के [p.685] लिए आया था (इस विषय में देखें लेखक का माडर्न रिव्यू नवंबर 1951 में ‘टोपोग्राफी ऑफ अभिज्ञान शाकुंतल’ नामक लेख). मंडावर का प्राचीन नाम कनिंघम के अनुसार मतिपुर है जहां 634 ई. के लगभग चीनी यात्री युवानच्वांग आया था. यहां उस समय बौद्ध विहार था जहां गुणप्रभ का शिष्य मित्रसेन रहता था. इसकी आयु 90 वर्ष की थी. गुणप्रभ ने सैकड़ों ग्रंथों की रचना की थी. युवानच्वांग के अनुसार मतिपुर जिस देश की राजधानी था उसका क्षेत्रफल 6000 ली या 1000 मील था. यहाँ समय 20 बौद्ध संघाराम और 50 देवमंदिर स्थित थे. युवानच्वांग ने इस नगर को, जिसका राजा उस समय शूद्र जाति का था, बहुत समृद्ध दशा में पाया था. उसने इससे माटीपोलो नाम से अभिहित किया है. चीनी यात्री ने जिन स्तूपों का वर्णन किया है उनका अभिज्ञान करने का प्रयास भी कनिंघम ने किया है. यहां से उत्खनन में कुषाण तथा गुप्त नरेशों के सिक्के, मध्यकालीन मूर्तियां तथा अन्य अवशेष मिले हैं. किंवदंती है कि यहां का पीरवाली ताल, बौद्ध संत विमलमित्र के मरने पर जो भूचाल आया था उसके कारण बना है. यह घटना प्राय: 700 वर्ष पुरानी कही जाती . मंडावर बिजनौर से प्राय 10 मील उत्तर-पूर्व की ओर है. उत्तर रेल का चंदक स्टेशन (मुरादाबाद-सहारनपुर लाइन) मंडावर से प्राय: चार मील है.

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p. 684-685
  2. वेद समृतिं वेतसिनीं त्रिदिवाम इष्कु मालिनीम, करीषिणीं चित्रवहां चित्रसेनां च निम्नगाम (VI.10.16)
  3. न्यन्तेनापरतालस्य प्रलम्बस्योत्तरम् प्रति, निषेवमाणास्ते जग्मुर्नदीम् मध्येन मालिनीम् (2.68.12)
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.740