Lal

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For Lala village in Jatusana tahsil of Rewari district, please click → Lala Rewari


Lal (लल) Lal (लाल) Lall (लल्ल) is a sub gotra of Malik Jats live i in Uttar Pradesh and Haryana. Lal/Lar/Lala clan is found in Afghanistan.[1] They are branch of Gathwala Malik.

Origin

It originated from Mahapurusha Lalla Rishi (लल्ल). Rishi Lalla Organized them into a warrior group hence called Lall Gathwala. [2]

History

Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 48 (II.48.5) mentions about the kings who presented tributes unto Yudhishthira. Lal (लल) is mentioned one of them.[3] The Mahabharata Tribe - Lal (लल) may be identified with Jat Gotra - Lal (लल)


Bhim Singh Dahiya[4] mentions about the famous Panjtar stone inscription, now in (Pakistan), written in the year 122 of Saka era, refers to one

Lala, the protector of the Kushana dynasty of Maharaja Kanishka”.
"Maharajasa Kanesh-Kasa Gushana Vasa Samvardhaka Lala".[5]

This Lala, was a Lal or LalliJat” .It also refers to the gift of two trees by one Moika in the eastern region of “ Kasua”. That last word Kasua is the same as Kasuan the name of the Kushana clan (and territory) which is still existing. [6]


Besides Hathigumpha inscription of Kharavela there are some other minor Brahmi inscriptions in the twin hillocks of Udayagiri and Khandagiri near Bhubaneshwar in Orissa. The Mancapuri cave inscription (Upper storey) is is engraved on the raised space between the second and third doorways of the cave.

L.1- अरहंत पसादाय कलिंगानं समनानं लेनं कारितं राजिनो ललाकस
L.2- हथिसिहस पपोतस धुतुना कलिंग चकवतिनो सिरिखारवेलस
L.3- अगमहिसिना कारितं

Translation - By the blessings of Arhats the chief queen of Kharavela, the Cakravarti monarch of Kalinga, the great grand-daughter of Hathisiha (Hasti Simha) and the daughter of Lalāka or Lalārka caused to be excavated the cave for the sramanas of Kalinga.

Here Lalāka or Lalārka refers to the Lala, a Jat king of Lal clan.

According to H.A. Rose[7] Jat clans derived from Lal are: Jaria.

Lala Country in Mahavansa

Mahavansa/Chapter 6 tells ....Sinhabahu was a legendary king of ancient India, mentioned in Sri Lankan text Mahavansa. He founded the City Sinhapura in the Lala Country. He was father of Vijaya (543–505 BCE), the first King of Sri Lanka.

Mahavansa/Chapter 6 tells us that ....In the country of the Vangas in the Vanga capital there lived once a king who married with the daughter of the king of the Kalingas. Their daughter went forth from the house, desiring the joy of independent life; unrecognized she joined a caravan travelling to the Magadha country. In the Lala country she bore twin-children, a son and a daughter named Sihabahu and Sihasivali.

Mahavansa/Chapter 6 tells us that When Sinhabahu was sixteen, he escaped with his mother and sister, Sinhasivali, and arrived in the capital of Vanga. He later killed his father for a reward and was offered the throne of Vanga.

Mahavansa/Chapter 6 tells that Sinhabahu accepted the kingship but handed it over then to his mother's husband and he himself went with Sinhasivali to the land of his birth. There in the country of Lála he built a city, and they called it Sinhapura, and in the forest stretching a hundred yojanas around he founded villages.

Mahavansa/Chapter 6 tells....In the kingdom of Lala, in that city did Sihabahu, ruler of men, hold sway when he had made Sihasivali his queen. As time passed on his consort bore twin sons sixteen times, the eldest was named Vijaya (543–505 BCE), the second Sumitta; together there were thirty-two sons. In time the king consecrated Vijaya as prince-regent, the first King of Sri Lanka.

स्वर्गपुरी (जिला पुरी, उड़ीसा)

स्वर्गपुरी (AS, p.1004) जिला पुरी, उड़ीसा में स्थित है. हाथीगुंफा के निकट गुफा जहाँ खारवेल (चौथी शती ई.पू ) की रानी का एक अभिलेख है. इस गुफा को, इसी रानी ने जो हस्तीसिंह की पुत्री थी, बनवाया था. [8]

लल्ल राज्य का इतिहास

दलीप सिंह अहलावत[9] लिखते हैं कि ऋषिकतुषार चन्द्रवंशी जाटवंश प्राचीनकाल से प्रचलित हैं। बौद्धकाल में इनका संगठन गठवाला कहलाने लगा और मलिक की उपाधि मिलने से गठवाला मलिक कहे जाने लगे। लल्ल ऋषि इनका नेता तथा संगठन करने वाला था। इसी कारण उनका नाम भी साथ लगाया जाता है - जैसे लल्ल, ऋषिक-तुषार मलिक अथवा लल्ल गठवाला मलिक

दलीप सिंह अहलावत[10] हरयाणा सर्वखाप पंचायत के भाट हरिराम, गांव करवाड़ा जिला मुजफ्फरनगर की पोथी वंशावली के लेखानुसार इस गोत्र की उत्पत्ति का संक्षिप्त वर्णन निम्नानुसार करते हैं -

चन्द्रवंशी ऋषिक तुषारों के गणराज्य थे। इसी ऋषिकवंश में महात्मा लल्ल का जन्म हुआ था। यह प्रचण्ड विद्वान्, शूरवीर, बाल-ब्रह्मचारी और एक महान् सन्त था। यह ऋषिक-तुषारों का महान् पुरुष था1। यह बौद्धधर्म को मानने वाला था।

सम्राट् कनिष्क (ईस्वी 120 से ई० 162) कुषाण गोत्र का जाट महाराजा था जिसके राज्य में उत्तरप्रदेश, पंजाब, सिन्ध, कश्मीर, अफगानिस्तान, खोतान, हरात, यारकन्द और बल्ख आदि शामिल थे। यह सम्राट् बौद्ध धर्म के मानने वाला था। इसकी राजधानी पेशावर थी। इसने बौद्धों की चौथी सभा का आयोजन कश्मीर में कुण्डल वन के स्थान पर किया। इस सम्मेलन में देश-विदेशों से 500 बौद्ध साधु तथा अन्यधर्मी 500 पण्डित आये थे और बड़ी संख्या में जनता ने भाग लिया। इस सम्मेलन के सभापति विश्वमित्र तथा उपसभापति अश्वघोष साधु बनाये गये।

लल्ल ऋषि: महात्मा लल्ल भी इस सम्मेलन में धर्मसेवा करते रहे थे। इस अवसर पर लल्ल ऋषि को ‘संगठितवाला साधु’ की उपाधि देकर सम्मानित किया गया। इस लल्ल ऋषि ने ऋषिक-तुषारों का एक मजबूत संगठन बनाया जो लल्ल ऋषि की उपाधि संगठित के नाम से एक गठन या गठवाला संघ कहलाने लगा। अपने महान् नेता लल्ल के नाम से यह जाटों का गण लल्ल गठवाला कहा जाने लगा। यह नाम सम्राट् कनिष्क के शासनकाल के समय पड़ा था। सम्राट् कनिष्क महात्मा लल्ल को अपना कुलगुरु (खानदान का गुरु) मानते थे। महाराज कनिष्क ने महात्मा लल्ल के नेतृत्व में इस लल्ल गठवाला संघ को गजानन्दी या गढ़गजनी नगरी का राज्य सौंप दिया। यहां पर मुसलमानों के आक्रमण होने तक लल्ल गठवालों का शासन रहा।

इस तरह से अफगानिस्तान के इस प्रान्त (क्षेत्र) पर लल्ल राज्य की स्थापना हुई जो कि जाट राज्य था (लेखक)।


इस लल्लवंश के दो भाग हो गये थे। एक का नाम सोमवाल पड़ा और दूसरा लल्ल गठवाला ही रहा। प्रतापगढ़ का राजा सोमवाल गठवाला हुआ है। सोमवाल गठवालों के 45 गांव हैं जिनमें से 24 गांव जि० सहारनपुरमुजफ्फरनगर में और 21 गांव जिला मेरठ में हैं। इनके अतिरिक्त कुछ गांव जि० हरदोई में भी हैं। (हरिराम भाट की पोथी)।

Distribution in Uttar Pradesh

Villages in Muzaffarnagar district

Badhai Kala, Barwala, Chunsa, Fahimpur, Lank, Lisad, Moghpur, Muzaffarnagar

Villages in Meerut district

Rahawati,

Distribution in Punjab

Villages in Nawanshahr district

Villages in Patiala district

Notable Persons

External Links

References

  1. An Inquiry Into the Ethnography of Afghanistan By H. W. Bellew, The Oriental University Institute, Woking, 1891, p.78,101,115,118
  2. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III, p.269
  3. कृष्णाँल ललामांश चमराञ शुक्लांश चान्याञ शशिप्रभान | हिमवत्पुष्पजं चैव सवादु कषौथ्रं तदा बहु ||(II.48.5)
  4. Jats the Ancient Rulers (A clan study)/The Jats, p.32
  5. JRAS, 1909, p. 666, IA, Vol. X, 1881, p. 215.
  6. EI, Vol.XIV, p-134
  7. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.376
  8. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.1004
  9. जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ.269
  10. जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ-271

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