Jhorad
Jhorad (झोरड)[1] Jhorar (झोरड़)[2] Jhurad (झूरड़) Jhurar (झूरड़) Gotra Jats are found in Rajasthan, Punjab and Haryana.
Origin
Villages founded by this clan
- Jhoradpura (झोरड़पुरा) is a Village in Bhadra tahsil of Hanumangarh district in Rajasthan.
- Jhorda (झोरड़) is a Village in Jayala tahsil of Nagaur district in Rajasthan.
History
झोरड़ गोत्र का इतिहास
झोरड़ गोत्र की उत्पत्ति जाटों के प्रसिद्ध धारण वंशी गुप्त जाट राजवंश से हुई मानी जाती है।
डा० जायसवाल ने स्वयं खोज करके यह प्रमाणों द्वारा सिद्ध कर दिया कि गुप्त लोग जाट थे। (JRAS, 1901, P. 99; 1905, P. 814; ABORI XX P. 50; JBORS, xix, P. 113-116; vol xxi, P. 77 and vol xxi, P. 275)। डा० जायसवाल की इस बात को दशरथ शर्मा तथा दूसरों ने भी प्रमाणित माना है। डा० जायसवाल के इस मत कि गुप्त लोग जाट थे के पक्ष में लेख्य प्रमाण हैं जो कि ‘आर्य मंजूसरी मूला कल्पा’ नामक भारत का इतिहास, जो संस्कृत एवं तिब्बती भाषा में आठवीं शताब्दी ई० से पहले लिखा गया, उस पुस्तक के श्लोक 759 में लिखा है कि “एक महान् सम्राट् जो मथुरा जाट परिवार का था और जिसकी माता एक वैशाली कन्या थी, वह मगध देश का सम्राट् बना।” (Imperial History of India, P. 72)। यह हवाला समुद्रगुप्त का है जिसकी माता एक वैशाली राज्य की राजकुमारी थी। सब प्रकार से खोज करने से यह ज्ञात हुआ कि गुप्त लोग मथुरा के धारण गोत्र के जाट थे। इसके हर प्रकार के प्रमाण हैं जैसे लेखप्रमाण, शिलालेख, ऐतिहासिक, शास्त्रीय, मुद्रा सम्बन्धी आदि। परिणाम केवल एक ही है कि ‘गुप्त’ लोग जाट थे. गुप्त जाटों का मूल गोत्र धारण और उपाधि गुप्त थी। बाद में गुप्त उपाधि को बाद मे कुछ गैर जाट वंशो ने भी ग्रहण की थी। गुप्त जाट राजाओ में श्री गुप्त प्रथम राजा था जिसने गुप्त उपाधि ग्रहण की थी। समुन्द्र गुप्त, चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय, स्कन्दगुप्त, कुमारगुप्त इस वंश के प्रसिद्ध राजा हुए.
धारण वंशी गुप्त राजवंश की 20 से ज्यादा शाखाएँ वर्तमान में जाटों में निवास करती है। जिनमें धारीवाल, चांद्रायण, झोरड़, गिला, देहडू, मिठल, थोरी, कूकना, डेलू आदि मुख्य शाखाएँ है।
ऐसा प्रामाणिक सिद्ध है चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की 26 वी पीढ़ी में राजा विनयपाल हुए थे। विनयपाल के एक ही बेटा था जोधराज। उनके इकलौती संतान जिया और जिया के भी एक ही बेटा जैतर था। विनयपाल को दिल्ली के तोमर जाट राजाओ से यह क्षेत्र प्राप्त हुआ था। इन दोनों वंशो की आपस मे विवाह संबंध थे।
बहीभाटों के साक्ष्यों अनुसार जैतर के 12 पुत्र थे। जोरा (झोरड़) , गिला ( गिल), कुकारा, थोरी, देहड़ू , ढिल , बरा , मिथल आदि बारह पुत्र थे । संवत् 1194 में सभी भाईयों ने अपने - अपने परिवारों को अपने नाम के गोत्र दे दिए। अब भी इन गोत्रों में आपसी भाईचारा कायम है। रिश्तेदारी करते समय इनको सगोत्र मानते हुए आपस में रिश्ते नही किये जाते हैं।
इसी दौरान पानीपत के दोनों युद्ध (1191-1192) हुए। पेशावर से लेकर दिल्ली तक पूर्णतया तुर्को का अधिकार हो गया। तबरहिंद सल्तनत की स्थापित चौकी हो गया। फलतः जोरा के वंशज झोरडों को उपजाऊ मिट्टी के क्षेत्रों से सुरक्षा कारणों से छोड़कर दक्षिण में शुष्क बलुई धरा की तरफ पलायन करना पड़ा। उनका पहला स्थापित पड़ाव महाजन (1205 ई.) था। इस बंजर और अनपजाऊ प्यासी भूमि का बसने के लिये चुनाव इसलिये भी किया गया होगा क्योंकि इस क्षेत्र का नेतृत्व अभी भी उनके सजातीय जाटों के हाथों में था। इतिहास गवाह है 15 वीं शताब्दी में बिका राठौड़ के स्थापित होने तक ये क्षेत्र गोदारों, सिहाग,चाहर,तंवर, जाखड़, पुनियाँ, बेनीवाल तथा भादू जाटों के शासन में था।
झोरडों का विस्तार:
जोरा राम के तीन पुत्र थे: 1- फता झोरड़, 2- पन्ना झोरड़, 3- साचर झोरड़
इन तीनों भाईयों ने संवत् 1205 बिकानेर के पास महाजन में पड़ाव लगाया और 1239 में फूलेजी में बसाया, अगली पीढ़ी के आसाराम झोरड़ ने यहां से उठकर सरदारशहर के 25 किमी दक्षिण-पश्चिम में जाकर आसासर बसाया गया। एक भाई रावां आसासर के पश्चिम में 30 किमी दूर रावांसर बसाने में कामयाब हुआ। महाजन में बसने वाले परिवारों में कुछ ने लालेरा गांव बसाया। कुछ परिवार राजस्थान पंजाब हरियाणा के त्रियक पर जाकर बसने शुरू हो गए।
संवत 1545 ई. में जोरा राम झोरड़ की दसवीं पीढ़ी में मेनपाल हुए थे जिन्होंने हरियाणा के जिला सिरसा के नजदीक गांव बणी को बसाया इनके पांच पुत्र थे :- 1 - बछेराज, 2 - टोडाराम, 3 - लुणाराम, 4 - सदराम, 5 - भूराराम
फिर आगे चलकर "मेनपाल" की दसवीं पीढ़ी में लालू झोरड़ हुए जिन्होंने संवत् 1865 में हरियाणा के सिरसा जिले का गांव बचेर बसाया था। बणी से ही गांव नथोर बसा है और बणी से ही कालांवाली के नजदीक गांव सुखचैन है जहाँ से स्वर्गीय डा. सुखदेव सिंह झोरड़ 1977 में सिरसा के "रोड़ी " विधानसभा क्षेत्र विधायक चुने गए थे। यहीं गांव गदराना, कुरंगावाली, हसू तथा ऐतिहासिक गांव झोरड़ रोही है.
हरियाणा के जिला जींद के गांव नगूरा , धनखेड़ी, तथा सफिदों के नजदीक हाडवा, सातरोड़, सिधनवा, रामसरा, डिंग, केरांवाली, ममड़ व खारी सूरेरां, कर्मशाना में झोरड़ फैलते चले गये। संवत् 1850 के आसपास सूरा राम झोरड़ ने गांव मिठ्ठी सूरेरां बसाया.
इस तरह धीरे धीरे राजस्थान के अन्य जिलों बिकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरु तथा बाड़मेर में झोरडों का प्रसार होता चला गया।
बाड़मेर के खींपसर, बाटेड़ू, छोटू, मोखाब, जोधपुर के पास गांव आहू, हनुमानगढ़ के गांव कुलचंदर , साहरणी, खाराखेडा, नुकेरा, फतेहगढ़, सालीवाला, शेरगढ़, टिब्बी, सेलेवाली, सोदानपुरा, लीलांवाली, कालीबंगा, कालबासिया, सुरेवाला, सिरासर, धन्नासर, हरदासवाली, पिचकराइं, भादरा; गंगानगर में नग्गी, सूजालपुर, रंगमहल, रामसरा जाखड़ान, बुच्चाबास, मालेर, दुधली, ठुकराना, 22 जी बी, बालाराजपुरा, चौहिलांवाली , रावतसर, तख्तपुरा, मदेरां, ठंडी, श्यामगढ़, सांवलसर, सूरजनसर, देईदासपुरा, कुंपली, ठुकराना,गोमावाली, नाहरवाली, बीकानेर के फूलेजी, लालेरां, असरासर, रामसरा, रावांसर, लिखमदेसर, चकजोहड़ (खानिसर), भादवा, कल्याणपुरा, पाबुसर, लिखमदेशर, छत्तरगढ़, सत्तासर, खजुवाला के आसपास में तथा चूरू सरदारशहर के आसासर में झोरड़ परिवार रोटी और रिश्तों के हिसाब से फैलते चले गये।
मेनपाल की नोवीं पीढ़ी में चतरा राम झोरड़ हुए हैं जो आसासर से उठकर वापस फुलेजी की और चले। फुलेजी से नाकरासर और नाकरासर से सुरजनसर आकर बसे। विदित रहे चतराराम तीन बेटे थे: 1 - लूणा राम झोरड़, 2 - सुख राम झोरड़ 3 - रामू राम झोरड़.
ज्येष्ठ लूणा राम झोरड़ ने गाँव सुरजनसर को छोड़कर संवत् 1845 में फाजिल्का के नजदीक गाँव ख्योवाली ढाब को बसाया था तथा इनके दूसरे नंबर के भाई सुख राम झोरड़ के एक बेटे हरदासवाली बस गए व तीनों भाईयों में सबसे छोटे भाई रामु राम झोरड़ का परिवार तथा सुखराम का दूसरा बेटा सुरजनसर से उठकर तीन कोश दूर बस गए। फलतः तख्तपुरा गाँव की नींव पड़ी। इनमें से रामुराम के एक पुत्र कालान्तर में नारांवाली में जाकर बस गया।
पंजाब में गिदड़वा के नजदीक "गुरूसर" व मलोट के पास "झोरड़ां" अबोहर के पास "गदाडोब" व "पंघाला" में भी झोरड़ हैं लुधियाना के पास भी झोरड़ों के द्वारा बसाया हुआ ऐतिहासिक गाँव "झोरड़ां" है मानसा के नजदीक उब्भा तथा भगवान पुरा (हिंगणा) में भी झोरड़ परिवार हैं । जोधपुर नागौर बीकानेर की सीमा पर बसे हरिराम बाबा के सुप्रशिद्ध धाम " झोरड़ा गाँव" को भी कभी दो झोरड़ भाइयों ने बसाया था लेकिन वर्तमान में यहां झोरडों का एक भी परिवार नही है।
Distribution in Rajasthan
Villages in Bikaner district
Villages in Hanumangarh district
2 ksp, Badopal, Bhadra, Dhaban, Dhani Dudhawali, Dingarh, Haripura, Hanumangarh, Jhoradpura, Kalwasia, Kharakhera, Kulchandra, Lilanwali, Malout Wali Dhani (2KSB), Nathwana, Nohar, Pichkarain, Ratanpura Nohar, Saharni, Saliwala, Silwala Kalan, Sangaria, Shivdanpura, Sihaganwali,
Villages in Nagaur district
[[Jhorda]],
Villages in Ganganagar district
Villages in Jodhpur district
Villages in Churu district
Udsar, Buchawas, Sardarshahar,
Distriubution in Haryana
Villages in Sirsa District
Bani, Bacher, Berwala Khurd, Ding, Jamal, Jhorar Rohi, Jhorar Nali, Madho Singhana, Mithi Sureran, Nathore, Nukera,
Distribution in Punjab
Villages in Fazilka district
Kheowali Mustal Bare Ke, Rohidawali,
Villages in Ferozepur district
Jhurar Khera (झूरड़ खेड़ा), Kheowali Dhab,
Villages in Muktsar district
Notable Persons
- Sahi Ram Jhorad (लेफ्टिनेंट सहीराम झोरड़), from Nukera (नुकेरां), Hanumangarh, was a Social worker in Bikaner, Rajasthan. [3]
- Ami Chand Jhorad (चौधरी अमिचन्द झोरड़), from Jhoradpura (झोरड़पुरा), Bhadra,Hanumangarh, was a Social worker in Hanumangarh, Rajasthan. [4]
- राजाराम झोरड - बीकानेर डेयरी चैयरमेन
- Bal Ram Jhorar - J.En.(JDA, Jaipur), PHED, Date of Birth : 15-February-1957, Permanent Address : House No 137-138, Sector-6, Near Chuna Pathak, Hanumangarh Junction, Hanumangarh, Rajasthan, Present Address : 80/354 ,Patel Marg, Opposite State Bank of India, Mansarovar, Jaipur, Rajasthan, India, Phone: 01412784585, Mob: 9414095567
- Ramesh Jhorar from Village Pichkarain Nohar, Hanumagarh Rajasthan India. I am connected to the business of Printing and On-line Advertising (Graphics and webs Designing) Nohar (Rajasthan), Sirsa (Haryana) my area identified Mobile No. 9828804747, 9068020680
- चौ: अजय सिंह झोरड (ट्रस्टी) - ग्रा पो मीठीसुरेरा त : ऐलनाबाद जिला सिरसा (हरियाणा ), स्वामी केशवानन्द स्मृति चेरिटेबल ट्रस्ट, संगरिया, 9416100900
External Links
References
- ↑ Ompal Singh Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.40,s.n. 967
- ↑ डॉ पेमाराम:राजस्थान के जाटों का इतिहास, 2010, पृ.301
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.158
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.157-158
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