Ghanghas

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(Redirected from Khangas)

Gangas (गंगस)[1] /(गणगस)[2] Ganghas [3](गंघस)[4] Ghoghas (घोघस)[5] [6][7] Ghangas/Ghanagas (घनगस)[8][9] Ghanghas (घणघस)/Ghangas (घणगस)[10] Ghangus (घंगस)/Ghanghas (घंघस)[11] Ghanghas (घणघस) Ghungesh (घंगस) Khangas (खंगस) Khangas (खंगास)[12] [13][14] Gangridi (गंगरिदी) Gangaridi (गंगरिदी) Ghanghat (घनघट) is Gotra of Jats found in Uttar Pradesh, Rajasthan, Haryana, Punjab and Madhya Pradesh. Dilip Singh Ahlawat has mentioned it as one of the ruling Jat clans in Central Asia.[15] They were supporters of Tomar Confederacy. [16]

Origin

  • H.A. Rose writes that Ghanghas (घनघस) Jat clan is found in Amritsar and Karnal. It is also found in Jind tahsil. Folk-etymology derives its name from the tale that its eponym once asked a smith for an axe, but got instead a ghan (sledge-hammer) which he was told to shape into an axe by rubbing (ghisna) it.[18]
  • Ghanghas Gotra derives name from Ghana (Weapon).[19]

Jat Gotras Namesake

History

Jandiala Guru in Amritsar was founded by Jats and it was named after Jand, the son of the founder. Jandiala Guru is populated with Ghangas Sikh Jats and was founded by Ghangas gotra Jats.

H.A. Rose[20] writes that The Ghanghas in this District appear to have no jathera but make offerings, which are taken by Sikhs, to the samadh of Akal Das, their ancestor, at Jandiala in Amritsar, where an annual fair is held.


Dilip Singh Ahlawat has mention it as one of the ruling Jat clans in Central Asia. [21]


Bhim Singh Dahiya[22] writes that Ghanghas is a rare name but fortunately, Priscus mentioned a king of white Hunas, as Kong Khas, who made himself lord of Sogdiana in 356 AD and whose brother clans, crossed the Don River in 374/375 AD, as per Franz Altheim, the German Scholar. [23] This king Kangkhas, certainly was a Khangas Jat. Kung-Kas was a son of Kidara, which is improvable - the clan of son can not be different from the clan of the, father, unless, both father and son, founders of new clans. The Sassanid emperor of Iran, Piroz, promised to marry his sister to Kung-Khas.[24] But he broke the promise and the result was in which the Persians were summarily defeated. Piroz was taken prisoner and was released only after pledging his son Kawadh, as hostage and paying a large sum of gold coins as tribute. Kung-Khas restruck the tribute coins with his own name, and it is these coins, inter alia, which through light on the Khangas emperor in 4th century AD. Tribes and Castes names them as Khung as.[25]

The Bardical version is some what deformed. The word Ghangas is derived from Ghan (hammer - sledge hammer) Ghas (to break or destroy). As per the folk legend, a holy man was imprisoned by a powerful but evil person of the area. Locals were fearful of supporting the holy man. Baba Handal took a blacksmith's hammer (Ghan) and broke open the lock (on the door) where the holy man was imprisoned. The holy man was helped by Baba Handal in defiance to the powerful evil person. Thus the descendants of Baba Handal were known as Ghanghas or Ghangas (both spellings are in use). There is a popular Gurudwara to honor Baba Handal.

About 98% total Jat population of Village Dhanana in Bhiwani district in Haryana are Ghanghas. Dhanana is much known as Mitathal-Dhanana or Talu Dhanana. Dhanana is fatherly village of Ghanghas gotra. All Ghanghas Jat of India relate themsleves to Dhanana.

Jat clans mentioned by Megasthenes

Megasthenes also described India's caste system and a number of clans out of these some have been identified with Jat clans by the Jat historians. Megasthenes has mentioned a large number of Jat clans. It seems that the Greeks added 'i' to names which had an 'i' ending. Identified probable Jat clans have been provided with active link within brackets.


Jat clans as described by Megasthenes
Location Jat clans Information
3. Ganges The Mandei (Munda/Manda), and the Malli (Malli), the Gangarides (Ghangas+Rad), the Calingae (Kalinga), the Prasii (Magadha), the Modogalingae The tribes called Calingae (Kalinga) are nearest the sea, and higher up are the Mandei (Munda/Manda), and the Malli in whose, country is Mount Mallus, the boundary of all that district being the Ganges.

The royal city of the Calingae (Kalinga) is called Parthalis. Over their king 60,000 foot-soldiers, 1,000 horsemen, 700 elephants keep watch and ward in "procinct of war. There is a very large island in the Ganges which is inhabited by a single tribe Modogalingae

Villages founded by Ghanghas clan


Ghanghas clan Chauhan ruler Jatu's son was Harpal and Harpal's son was Mahipal, who founded Siwara. [53]

Sub divisions of Saroya

Bhim Singh Dahiya[58] provides us list of Jat clans who were supporters of the Saroya when they gained political ascendancy. The Ghanghas clan supported the ascendant clan Saroya and became part of a political confederacy.[59]

Dhanana State in Haryana

Thakur Deshraj[60] writes that Ghanghas Jats had an independent state in Dhanana. This state had 900 sawars always ready for war. In their neighbourhood there was a Rajput village named Bapora. Bapora Rajputs had accepted paying tax to Delhi Badshah but Ghanghas Jats of Dhanana did not accept this proposal of paying any tax to the Badshah. Thakur Deshraj has mentioned about a song prevalent in the area which reveals this fact and is as under:

हरियाणा के बीच में एक गाँव धणाणा
सूही बांधे पागड़ी क्षत्रीपण का बाण ।।
नोसै नेजे भकड़ते घुड़ियन का हिनियाना ।
तुरई टामक बाजता बुर्जन के दरम्याना ।।
अपनी कमाई आप खात हैं नहीं देहि किसी को दाणा ।
बापोड़ा मत जाणियो है ये गाँव धणाणा ।।

घन घस गोत्र का इतिहास

पंडित अमीचन्द्र शर्मा[61]ने घन घस गोत्र का इतिहास और वंशावली निम्नानुसार दी है: घन घस - [p.10] जिला हिसार में धनाणा जाटों का बड़ा गाँव है। यहाँ जाटों का घन घस गोत्र है। हिसार की तहसील भिवानी में जाटू गोत्री राजपूतों का एक बड़ा गाँव कैरू है। कैरू के राजपूत और धनाणा के घंघस जाट 25 वीं पीढ़ी ऊपर एक हो जाते हैं। कैरू ग्राम के बुजुर्ग ठाकुर अगड़ी सिंह ने मुझे वंशावली लिखाई है। उसने मुझे यह भी बताया कि इस समय के धनाणा गाँव के जाटों से 24 वीं पीढ़ी में मिलता हूँ। जिला हिसार तहसील भिवानी के ढ़ानी माहू के बुजुर्ग राजपूत ठाकुर रणजीत सिंह ने भी मुझे बताया कि इस समय के धनाना गाँव के जाटों से 24 वीं पीढ़ी में मिलता हूँ। अब हम कैरू ग्राम के ठाकुर अगड़ी सिंह की वंशावली लिखकर घंघस गोत्र का वर्णन करेंगे।

जयपुर रियासत के शेखावाटी भाग में गूगौर और बागौर नाम के दो गाँव थे। इनके स्वामी जयपरतनामी तूर संघ के थे।

जयपरतनामी के 4 पुत्र हुये 1. जाटू, 2. सतरोल, 3. राघू, और 4. जरावता

जाटू का विवाह सिरसा नगर के सरोहा गोत्री ठाकुर की पुत्री के साथ हुआ। जाटू के दो पुत्र हुये पाड़ और हरपाल। पाड़ ने राजली ग्राम बसाया जो अब जिला हिसार में पड़ता है।


[p.11] राजली सारा जाटों का गाँव है जिसके स्वामी भी जाट हैं। हरपाल ने गुराणा गाँव बसाया जो राजली के पास ही है। यह ग्राम भी जाटों का है।

चेतंग नदी, जो यमुना से निकलती है, के किनारे पर जाटों के अनेक गाँव हैं। इन गांवों को सतरोला ने बसाया इसीलिए इनको सतरौले बोलते हैं जिनमें सामिल हैं – नार नाद, भैनी, पाली, खांडा, बास, पेट वाड़, सुलचाणी, राजथल आदि प्रसिद्ध गाँव हैं। यहाँ सतरोला का खेड़ा भी है। इसीसे यह प्रमाणित होता है कि ये सारे गाँव सतरोला ने बसाये। इन सारे ग्रामों का स्वामी सतरौला था।

तहसील हांसी जिला हिसार में जाटों का सिसाय नाम का बड़ा गाँव है। इस ग्राम के स्वामी जाट हैं। इस ग्राम को राघू का ग्राम कहते हैं। डाटा, मसूदपुरा आदि और भी कई गाँव हैं जिनको राघू के ग्राम कहते हैं।ये सारे गाँव सिसाय के पास ही हैं ये सब राघू के बसाये ग्राम हैं।

पाड़ के 5 पुत्र हुये – 1. अमृता, 2. बसुदेव, 3. पद्मा, 4. अब्भा, 5. लौआ

अमृता ने खूड़ाना गाँव बसाया जो रियासत पटियाला में है।

बसुदेव ने भिवानी नगर बसाया जो अब हिसार की तहसील है। भिवानी से 7 कोस के अंतर पर बवानी खेड़ा और बलियाली ग्राम भी बसुदेव ने बसाये जो अब तहसील हांसी में हैं। बलियाली ग्राम के सारे राजपूत अब मुस्लिम हैं। बवानी खेड़ा के आधे राजपूत हिन्दू मत में


(p.12) और आधे मुस्लिम हैं। भवानी नगर के सारे राजपूत हिन्दू मत के हैं।

भिवानी, बवानी खेड़ा और बलियाली के राजपूत वसुदेव की संतान हैं। भारत में जब महम्मदी लोगों का राज्य हो गया था तब बलियाली ग्राम के सारे और बवानी खेड़ा के आधे मुस्लिम बन गए थे।

पद्मा ने सवाणी और मंगाली ने दो ग्राम बसाये थे ये जिला हिसार में हैं। दोनों ग्रामों के राजपूत लोग मुस्लिम हो गए।

अब्भा ने पातली और हिन्दू वाना ग्राम बसाये थे। पातली जिला गुड़गांव में है और सारा जाटों का है। हिंदवाना जिला हिसार में है और यह भी सारा जाटों का है।

लौरा ने कूंगड़ और भैनी लुहारी और तिगड़ाना ये 4 गाँव बसाये। ये चारों ही गाँव जिला हिसार में हैं। इनमें से लुहारी और तिगड़ाना हिन्दू राजपूतों के हैं और कूंगड़ तथा भैनी दोनों जाटों के गाँव हैं।

हरपाल के 5 पुत्र हुये – 1. राणा, 2. आब्भा, 3. महीपाल, 4. लाखा, 5 बीलण

राणा की संतान के तीन ग्राम थे - 1. तलवंडी, 2. नगथला, 3. साली

आब्भा की संतान के तीन गाँव थे - 1. कुलेरी, 2. सुनाणा, और 3. सवूर

महिपाल की संतान के 4 गाँव थे - 1. बापोड़ा, 2. सिवाड़ा, 3. कैरू, और 4. बजीणा

पीछे आकर महिपाल की संतान के 30 गाँव हो गए। इनको आजकल अमरान के गाँव कहते हैं। इनमें से बहुतसे जिला हिसार में हैं।


[p.13]: लाखा के 4 गाँव - 1. मुंडाल, 2. मांडेरी, 3. जताई, 4. तालू । ये सारे गाँव जिला हिसार में और जाटों के हैं।


बीलण की संतान का धनाना गाँव है। बीलण हरपाल का 5 वां पुत्र था। धनाना गाँव सारा जाटों का है और जिला हिसार में है । बीलण सरोया संघ से अलग होकर पुनः जाट संघ में सामिल हो गया। सरोया संघ भी जाट गोत्रों से मिलकर ही बना था। कहते हैं बीलण ने कीकर की एक मोटीसी लकड़ी घन के साथ घसाकर काट डाली थी इसलिए घनघस कहलाए। (नोट- भाट की यह व्याख्या मान्य करने योग्य नहीं है)। .......


[p.14] बीलण और महिपाल परस्पर सहोदर भाई थे। वे हरपाल के पुत्र और राजा जाटू के पौत्र थे। महिपाल की संतान राजपूत संघ में ही रही। बीलण की संतान जाट संघ में आ गई।


[p.15] महिपाल की वंशावली इस प्रकार है: महिपाल का पुत्र सनता हुआ, जिसके 3 पुत्र हुये - 1. मूड़, 2. काला, 3. बींदड़

मूड़ का पुत्र जगसी हुआ जिसके 4 पुत्र थे - 1. अमर, 2. वीक्रमसी, 3. राजासी और 4. पनुआ

अमर वजीणा ग्राम का स्वामी हुआ। वजीणा हिन्दू राजपूतों का ग्राम है हिसार जिले में।

विक्रमसी की संतान का ग्राम नगाणा था जो हिसार में है और सब मुस्लिम राजपूत हैं।

रामसी का दीनोद गाँव है जो जिला हिसार में है और हिन्दू राजपूतों का गाँव है।

पनुआ का जोहड़ बापोड़ा ग्राम में है उसका कोई पुत्र नहीं था। बापोड़ा हिन्दू राजपूतों का गाँव है। यह जिला हिसार में है।

अमर के 7 पुत्र हुये - 1. सौंत, 2. औछत, 3. ऊदला, 4. थीरी, 5. जौणपाल, 6. लाला, 7. गांगदे

ठाकुर अगड़ीसिंह की वंशावली इस प्रकार है – 1. महिपाल 2. संतना 3. मूड़ 4. जगसी 5. अमर 6. सौंत 7. सलवान 8. बाला 9. अणदीत 10. राजा 11. गदाड़ 12. जैता 13. फूला 14. रूड़ा 15. हाथी 16. सेखू 17. राधा 18. जूजा 19. दरबारी 20. जगमाल 21. अमरू 22. किसना 23. शार्दूल 24. अगड़ीसिंह 25. सूजाद सिंह जवाहरजी फतेहसिंह

जाटू वंशज महिपाल राजपूत क्षत्रिय से कैरू ग्राम के जाटू वंशज राजपूत क्षत्रिय अगड़ीसिंह तक वंशावली दी है। अगड़ीसिंह महिपाल से 24 पीढ़ी में है वह राजपूत है और कैरूँ ग्राम भी राजपूतों का है। धनाना ग्राम जाटों का है और बीलण की संतान का है। कैरू, वजीणा, ढानीमाहू,


[p.16] दीनोद और बापोडा के राजपूत और धनाणा के जाट परस्पर भाई हैं। जब कैरू आदि के राजपूत क्षत्रिय हैं तो धनाना के घंघस जाट भी क्षत्रिय हैं।

Distribution in Rajasthan

Villages in Alwar district

Tatarpur ,

Villages in Bhilwara district

Biharipura Bhilwara,

Villages in Hanumangarh district

Ghanghas (घणघस) clan lives in :

Phephana,

Villages in Bikaner district

Ghanghas (घणघस) clan lives in : Beedasariya,

Villages in Tonk district

Gangas Jats live in villages:

Aranya Kankad (8), Chausala (1),

Ganghas Jats live in villages:

Akodia (4), Ramma (2),

Gangas Village in Rajsamand district

Gangas named Village is in in Railmagra tahsil Rajsamand district in Rajasthan.

Distribution in Uttar Pradesh

Villages in Meerut district

Dabathwa,

Villages in Bulandsahar district

Bhatta Parsaul, Salabad Dhamaira (सलाबाद धमैडा),

Villages in Shamli district

Kela Shikarpur,

Villages in Ghaziabad district

Ghanghat (घनघट) is Gotra of Jats found in villages: Patala Ghaziabad,

Villages in Gautam Buddh Nagar district

Mutaina,

Distribution in Haryana

These Jats are found in District Bhiwani, Panipat and Jind of Haryana. About 98% total Jat population of Village Dhanana in Bhiwani district in Haryana are Ghanghas. Dhanana is much known as Mitathal-Dhanana or Talu Dhanana. Dhanana is fatherly village of Ghanghas gotra. All Ghanghas Jats of India relate them seleves to Dhanana.

Villages in Panipat district

Bandh (बांध),

Maandi (मांडी),

मांडी गावँ धनाना से आये घनगस गोत्र के जाटो ने लगभग 1200 के आसपास बसाया । पहले गावँ को इसराना के पास जहाँ आजकल तहसील है वहाँ बसाया था , पर वह का पानी खराब होने के कारण गावँ वर्तमान स्थान पर बसा। Report on the Revision of Settlement of the Panipat Tahsil and Karnal Parganah of the Karnal District के लेखक Denzil Charles Jelf Ibbetson के अनुसार मंडी गांव इलाके में बहुत बड़ा तपा था Gallant Haryana ,The First and Crucial Battlefield of AD 1857 नामक किताब के लेखक C.B. Singh Sheoran ने किताब में लिखा है के 1857 के प्रथम स्वत्रंत्रता सग्राम में इस इलाके में सबसे पहले मांडी गांव ने व 15 अन्य पडोसी गावों ने अंग्रजो को लगान देने से इंकार कर दिया और लड़ाई में भाग लेने रोहतक चले गए वहां से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने दिल्ली गए और २२ दिन बाद वापिस आये |

Puthar (पुठर),

Villages in Jind district

Dhakal, Sinsar

Villages in Bhiwani district

Dhanana (main village), Jatai, Mandholi Kalan[62] Sukhpura, Taalu, Paposa, Balyali

Villages in Karnal district

Sheikhopura

Villages in Hisar district

Bhaini Amir Pur, Chobara, Hasangarh, Hindwan, Jakhod Khera Khanda Kheri, Kharkari, Mangali, Narnaund, Niyana, Pali Hisar, Petwar Hisar, Sulchani, Talwandi Rana,

Villages in Sonipat district

Gharwal,

Villages in Yamunanagar district

Sudhal,

Villages in Kurukshetra district

Bapdi, Bakali, Sanghor[63]

Distribution in Punjab

Jandiala Guru, a town on Amritsar - Jalandhar GT Road (Grand Trunk Road) is populated with Ghangas Sikh Jats. Jandiala Guru (also known as Guru ka Jandiala) was founded by Ghangas Jats. It is part of District Amritsar, Punjab, India and is 16 Kilometers (10 miles) South of Amritsar.

Ganghas Jat population in Patiala is 1,860. 810 were recorded as Khangas. [64]

Khangas are also found in Hoshiarpur district.

Distribution in Madhya Pradesh

Villages in Bhopal district

Bhopal,

Villages in Harda district

Harda Khurd,

Distribution in Punjab

Villages in Ludhiana district

Notable Persons


स्वर्गीय चौधरी रामकिशन घनगस : मांडी गावं के प्रसिद्ध समाजसेवी स्वर्गीय चौधरी रामकिशन घनगस सेवानिवृति के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे है, वे जाट महासभा हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रहे थे ।

  • डा. संदीप घनगस - Maandi (मांडी) गाँव , आज कल पानीपत में बच्चो के डाक्टर है ।
  • राजबीर घनगस - चंडीगढ़, हरियाणा में सहायक महाअधिवक्ता के पद पर कार्यरत है ।


  • RANDEEP GHANGAS - Maandi (मांडी), गाँव के रणदीप घनगस हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार है । आजकल चंडीगढ़ में एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र में संपादक के पद पर कार्यरत है । भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) के प्रदेश अध्यक्ष है । इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय सचिव है ।आल इण्डिया न्यूज़पेपर एडिटर कांफ्रेंस, नई दिल्ली के सदस्य है एवं स्टेट मीडिया एक्रिडेशन कमेटी चंडीगढ़ हरियाणा सरकार के सदस्य भी है
  • गावँ मांडी के निवासी चौधरी प्रदीप कुमार घनगस हरियाणा पर्यटन विभाग में सेवारत है।
  • चौधरी प्रदीप कुमार घनगस के सपुत्र गौरव घनगस, गाँव मांडी, करनाल में बैंक मैनेजर और एडवोकेट सुमित घनगस पानीपत में वकील है


External links

References

  1. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. ग-2
  2. Dr Pema Ram:‎Rajasthan Ke Jaton Ka Itihas, 2010, p.299
  3. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.34, sn-516.
  4. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. ग-101
  5. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. घ-9
  6. Dr Pema Ram:‎Rajasthan Ke Jaton Ka Itihas, 2010, p.300
  7. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.34, sn-516.
  8. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.34, sn-516.
  9. Dr Pema Ram:‎Rajasthan Ke Jaton Ka Itihas, 2010, p.300
  10. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. घ-10
  11. B S Dahiya:Jats the Ancient Rulers (A clan study), p.238, s.n.75
  12. B S Dahiya:Jats the Ancient Rulers (A clan study), p.238, s.n.75
  13. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. ख-4
  14. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.33,sn-413.
  15. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV (Page 342)
  16. Jat Varna Mimansa (1910) by Pandit Amichandra Sharma,p. 56
  17. Mahendra Singh Arya et al.: Adhunik Jat Itihas, Agra 1998, p. 236
  18. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/G,p.283
  19. Mahipal Arya, Jat Jyoti, August 2013,p. 14
  20. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.374-375
  21. Dilip Singh Ahlawat: Jat viron ka Itihasa
  22. Bhim Singh Dahiya, Jats the Ancient Rulers, p. 255
  23. Geschite der Hunnen
  24. ibid
  25. Vol. II, p. 377
  26. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12
  27. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  28. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  29. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  30. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  31. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  32. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.13
  33. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  34. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  35. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12-13
  36. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12
  37. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  38. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  39. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12
  40. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  41. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  42. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  43. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12-13
  44. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12
  45. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  46. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  47. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  48. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  49. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  50. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.11
  51. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  52. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  53. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12
  54. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  55. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12-13
  56. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.12
  57. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11-12
  58. Jats the Ancient Rulers (A clan study)/Appendices/Appendix I,p.316-17
  59. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.376
  60. Jat History Thakur Deshraj/Chapter VII, 1934, p.221
  61. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.10-16
  62. User:Deepak4sehrawat
  63. User:Gavisht
  64. History and study of the Jats. B.S Dhillon. p.126

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