Balaghat
Balaghat (बालाघाट) is a city and district in Madhya Pradesh. Author (Laxman Burdak) visited it on 29.01.1987.
Contents
Location
बालाघाट मध्यप्रदेश का एक जिला है जो महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है । प्रदेश की राजधानी भोपाल से इसकी दूरी 436 किमी है ।
Jat Gotras
Tahsils in Balaghat District
Villages in Balaghat tahsil
Jat Gotras
History
दलीप सिंह अहलावत[1] लिखते हैं कि कुषाणशक्ति के अस्त और गुप्तों के उदय से पूर्व नागशक्ति शैव धर्मानुयायी रूप से पुनः उदित हुई। इस समय ये लोग शिवजी का अलंकार नाग (सांप) अपने गले में लिपटाकर रखने लगे थे। इन नवोदित नागवंशियों ने शिवलिंग को स्कन्ध पर धारण कर शिवपूजा की एक नई परम्परा स्थापित की थी। अतः इनका नाम भारशिव प्रसिद्ध हो गया। इस नाम को स्पष्ट करनेवाला एक लेख बालाघाट में मिला है। इसका उल्लेख ‘एपिग्राफिका इण्डिया’ भाग 1 पृष्ठ 269 तथा ‘फ्लीट गुप्त इन्स्क्रिप्शन्स’ 245 में इस प्रकार किया है -
- “शिवलिंग का भार ढोने से जिन्होंने शिव को भलीभांति सन्तुष्ट कर लिया था, जिन्होंने अपने पराक्रम से प्राप्त की हुई भागीरथी गंगा के पवित्र जल से राज्याभिषेक कराया और जिन्होंने दश अश्वमेध यज्ञ करके अवभृथ स्नान किया था, इस प्रकार उन ‘भारशिव’ महाराजाओं का राजवंश प्रारम्भ हुआ।”
Balaghat Inscription of Bharashiva people
Bharashiva gotra started from their ancestral people of Nagavansh who started the new system of worship of Shiva with sivalinga carrying on shoulders. This fact is derived from an Inscription of Bharashiva people found at Balaghat mentioned in Epigraphia Indica Vol.I. [2][3] [4]
दिलीपसिंह अहलावत लिखते हैं -
.....नागवंशी भारशिवों की शक्ति का उदय ऐसे ही अन्धकारकाल में हुआ जबकि भारत देश की कोई सत्ता अखिल भारतीय शासक रूप में सामने न थी। वायु पुराण के लेख अनुसार सात नाग राजाओं द्वारा पद्मावती (ग्वालियर में), कान्तिपुर (मिर्जापुर में) और मथुरा पर शासन किया गया। यह लेख कुषाण शासन के अन्त और गुप्तवंश के उदय के मध्य के लिखे हुए हैं। इसी समय शिव के प्रति बढ़ती हुई श्रद्धा का प्रदर्शन करने के लिए नागवंशियों ने ‘भारशिव’ नाम धारण करके जनता के समक्ष अपने आपको नवीन रूप में प्रस्तुत किया। इस नाम से प्रसिद्धि पाने के कारणों पर बालाघाट की चमक प्रशस्ति[5] का लेख पर्याप्त प्रकाश डालता है। उसमें लिखा है कि शिवलिंग का अपने कन्धे पर भार ढोने से जिन्होंने भलीभांति शिव को सन्तुष्ट कर दिया था - जिन्होंने अपने पराक्रम से प्राप्त की हुई भागीरथी गंगा के स्वच्छ जल से राज्याभिषेक कराया और जिन्होंने अश्वमेध करके अवभृथ-स्नान किया था, इस प्रकार के भारशिवों के महाराजा द्वारा नागवंश का पुनरुत्थान किया गया। इनके राजा शिवनन्दी ने पद्मावती का शासन करते हुए कनिष्क से पराजय पाई थी। [6]
Notable persons
Smt. Anuradha Singh Thakur, house wife
- Aman deep Singh s/o late Sri Ajay Singh Thakur, Saftware engineer.
- Dr. Anisha Singh
Population
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बालाघाट की जनसंख्या 17 लाख है ।
Source
Santosh Kumar Thakur (Khenwar) Mob.9826546968
External links
References
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठा.241-242
- ↑ Epigraphia Indica Vol.I, p.269
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III ,p.242
- ↑ Mahendra Singh Arya et al.: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998, p. 272
- ↑ It is Tirodi Inscription. Chammak is in Amaravati (Maharashtra).Laxman Burdak
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter V (Page 488-490)
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