Kundu

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(Redirected from Kinnoo)

Kundu (कुंडू)[1]/(कुण्डू)[2] [3] gotra Jats are found in Haryana, Uttar Pradesh, Rajasthan and Madhya Pradesh. Dilip Singh Ahlawat has mentioned it as one of the ruling Jat clans in Central Asia. [4] They were integral part of Chauhan Confederacy. They fought Mahabharata War in Pandava's side

Also called Kinnu or Kinnoo gotra of Jats are found in good numbers in Rohtak (main district with DADA GAAM Titoli), Sonipat and Panipat districts of Haryana, and also in Modinagar, Ghaziabad and Meerut districts of Uttar Pradesh.

Origin

  • A city named Kundila is mentioned in Mahabharata, the inhabitants of this were known as Kundu. They are also mentioned as descendants of rishi Kondilya (कोंडिल्य).[5]
  • Kund Raj - कुंड राज के नाम पर कुंडू जाट गोत्र प्रचलित हुआ है.[6]

Variants of name

  • Kundina (कुंडिन) = Kundinapura (कुंडिनपुर) = Kaundinyapura (कौण्डिन्यपुर) (चांडुर तालुका, जिला अमरावती, महा.) (AS, p.194)

Mention by Panini

Kundina (कुंडिन) is a place name mentioned by Panini in Ashtadhyayi under Kattryadi (कत्र्य्रादि) (4.2.95) group. [7]


Kundya (कुण्ड्या) is a place name mentioned by Panini in Ashtadhyayi under Kattryadi (कत्र्य्रादि) (4.2.95) group. [8]

History

B S Dahiya[9] writes: Panini mentions Kaunduparatha, as a part of Trigarta, Jullundur kingdom. The Kulun, Mentioned by Panini, are the Kahlon Jats, Kuluta, Kālān, Krishna of the Puranas, Resident of Kullu, Himachal Pradesh. The Kuninda, however, are the Kundus. The Coins of Their King Amogha Bhuti, (King of Kunindas) have been found at Tappamev District Hoshiarpur, Punjab. According to Vayu Purana the Kundus were living on the banks of the Sita river in Central Asia. It is identified as the Tarim River. [10] J.C. Vidyalankar says it is the Yarkand river or Jarafshan, still called Sito, by the Chinese. [11] A city, Kundus on the Pamirs, is named after them (116- Through the Pamirs. p. 209) Sabha Parva Mentions a people called Kundaman, Along with the Hans, Sibi and Paur. [12]

The Kundu clan is the Kuninda of Indian literature, mentioned as mountain people. [13]

Origin from Trigartas

Maheswari Prasad consider this gotra to be originated from ancient Trigarta clan named Kauṇḍoparastha. He[14] writes that it appears that at the time of the final redaction of the Mahabharata the tradition of the six important clans of the Trigartas was well established. It is carious to note that in connection with the application of a suffix Panini makes a reference to the Damini (दामिनी) group and the six Trigartas (दामन्यादि त्रिगर्तसष्टाच्छ: v.3.116). On the basis of an ancient verse the Kashika commentary names these as Kauṇḍoparastha (कौण्डोपरस्थ) , Dāṇḍakī (दाण्डकी), Krauṣṭakī (क्रौष्टकी), Jālamāni (जालमानि), Brahmagupta (ब्रह्मगुप्त), and Jānaki (जानकी). These communities mentioned in the grammatical literature can be identified with following Jat Gotra names:

  • (3) Dāṇḍakī (दाण्डकी): Dangi,
  • (5) Jālamāni (जालमानि): Jali,

Kundu Khap

Kundu (कुंडू) Khap has ... villages in Haryana and Uttar Pradesh. Jat gotra is Kundu.

Villages in Haryana are Titauli (टिटौली), Sundarpur (सुन्दरपुर) in District Rohtak; Butana (बुटाना) , Dhurana (ढुराणा) , Jhajjar district - Chandpur (चांदपुर)in District Sonipat; Kath (काथ) , Shahpur (शाहपुर) , Vijawa (विजावा) in District Panipat; It has 10-12 village in Jind among which Haath (हाठ) and Kalwa (कालवा) are main villages. Villages in Uttar Pradesh are Hewa in Baghpat Dhindala in Meerut Ujaida in Modinagar (UP). They are Chauhan vanshi. [15]

Titoli is the main Village of Kundu Khap in India and its called as DADA GAAM (दादा गाम) by the Kundu gotri Jats all over India.

Kundu Bhavan (कुंडू भवन) is also under Construction in Village Titoli District Rohtak, which is being constructed by all the member villages of Kundu Khap.

The President (प्रधान) of Kundu Khap is always selected from Dada Gaam Titoli The fight between Hooda Gotri Jats and Kundu Gotri Jats of Titoli and nearby vilages like Sanghi and Khidwali is famous in this area. Hoodas of any village bow down their head and enter a Chaupal named Dholi Purus (धोली परस) after taking their turban in their hands.

जाट इतिहास

ठाकुर देशराज[16] ने महाभारत कालीन प्रजातंत्री समूहों का उल्लेख किया है जिनका निशान इस समय जाटों में पाया जाता है....कुन्दू: महाभारत कालीन जनपदों में ‘भूगोल’ के ‘भुवनांक’ में ‘कुन्द’ लोगों का भी उल्लेख है, जो कि महाभारत के अनुसार ही है। ये उत्तरी भारत में कहीं थे। अपरान्तों के साथ नाम आने से मालूम होता है कि ये उत्तरी-पूर्वी भारत में गंगोत्री के पास ही कहीं थे। इनका निशान अब यू० पी० में पाया जाता है, जो कुन्द और कुन्दू कहलाते हैं। ‘जाट-उत्पत्ति’ के लेखक वेनीप्रसाद जी ने अपनी पुस्तक में जाटों के गोत्रों में इनका उल्लेख दिया है।

कुण्डू खाप

7. कुण्डू खाप - कुण्डेराज के वंशजों पर आधारित कुंडू खाप में हरियाणा प्रदेश के जिला जींद में 10-12 गांव, जिला सोनीपत में बुटाना, ढुराणा, रोहतक में टिटोली, सुंदरपुर, झज्जर जिले में चांदपुर, पानीपत में काथ, शाहपुर, वीजावा, तथा उत्तर प्रदेश प्रांत के जिला बागपत में गांव हेवा सम्मिलित हैं, यह चौहान वंशी हैं. [17]

कुंदुज

विजयेन्द्र कुमार माथुर[18] ने लेख किया है ...कुंदुज (AS (p.198) निवासियों को महाभारत, सभा पर्व 52 में कुंदमान कहा गया है. यह देश संभवत है जैसा कि प्रसंग से इंगित होता है अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा पर रहा होगा (देखें डॉ.मोतीचंद्र: उपायन पर्व- ए स्टूडी)

कुण्डू जाटवंश का जनपद

दलीप सिंह अहलावत[19] के अनुसार महाभारतकाल में भारतवर्ष में इस कुन्दा (कुण्डू) जाटवंश का भी एक जनपद था। (महाभारत भीष्मपर्व, अध्याय 9)।

जाट्स दी ऐन्शन्ट रूलर्ज लेखक बी० एस० दहिया ने पृ० 46 पर वायुपुराण 47/43 का हवाला देकर लिखा है कि “कुन्दा (कुण्डू) लोग मध्य एशिया में सीता नदी के तट पर रहते थे।” आगे यही सज्जन पृ० 73, 262 पर लिखते हैं कि “कुन्दा” कुण्डू ही हैं। सीता नदी को तारिम नदी सिद्ध किया गया है। (S.M. Ali, OP. Cit P. 105) यह तारिम नदी पामीर पठार से निकलकर उत्तरपूर्व की ओर बहती हुई लोपनोर झील में गिरती है। जे० सी० विद्यालंकार का कहना है कि यह यारकन्द या जरफशान नदी है, जिसको चीनी लोग आजकल भी सीटो कहते हैं। (भारतभूमि पृ० 123)। कुण्डू लोगों के नाम पर पामीर पठार में कुण्डू नगर है1। काशिका पुस्तक में बहुत जाटवंशों का उल्लेख है। उस में लिखा है कि Trigarta (त्रिगर्त) संघ के लिए छः सभासद नियुक्त किये हुए थे। उनमें से दो जाति कुण्डूपर्थ और डांडाकी थी। ये लोग कुण्डू एवं डांढा जाटगोत्र हैं। पाणिनि ऋषि ने भी लिखा है कि कुण्डूपर्थ, जालन्धर राज्य त्रिगर्त संघ का ही खण्ड (भाग) था।


1. Through the Pamirs, P. 209, जाट्स दी ऐनशन्ट रूलर्ज पृ० 23 लेखक बी० एस० दहिया।


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-294


कुण्डुवों के राजा अमोघभूति के सिक्के पंजाब के जिला होशियारपुर में गांव तप्पा मेव में पाये गये हैं।

कुण्डू जाटों के गांव जिला सोनीपत में बुटाना (आधा), ढूराणा,

जि० रोहतक में टिटोली, सुन्दरपुर (आधा)।

जि० जींद में 10-12 गांव हैं।

जि० रोहतक तहसील झज्जर में चांदपुर गांव,

जि० पानीपत में काथ, शाहपुर, बीजावा,

जि० मेरठ में हेवा गांव आदि कुण्डू जाटों के हैं।

नोट - देहली पर गुलामिया सल्तनत के समय कुण्डू जाटों का दादरी पर राज्य था। औरंगजेब के समय दादरी पर फौगाटों का शासन हो गया। (जाटों का उत्कर्ष पृष्ठ 376, लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री)।

तारिम (सीता) नदी के तट पर

कुन्दा-कुण्डू - इस वंश का राज्य तारिम (सीता) नदी के तट पर था। इनके नाम पर पामीर पठार पर कुण्डू नगर है। इनके निकट डांढा (ढांडा) जाट भी थे।[20]

कोंडापुर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[21] ने लेख किया है ...कोंडापुर (AS, p.228) मेदक ज़िला, तेलंगाना का ऐतिहासिक स्थान है। यह हैदराबाद से 43 मील (लगभग 68.8 कि.मी.) दूर है। यहाँ कई प्राचीन खंडहरों के टीले हैं। उत्खनन द्वारा बौद्ध स्तूप, चैत्य शालाएँ और भूमिगत कोष्ट तथा भट्टियाँ आदि प्रकाश में आई हैं। ये अवशेष आंध्र कालीन हैं।

रोम सम्राट आगस्टस (37 ई. पू.-16 ई.) की एक स्वर्णमुद्रा, एक दर्जन के लगभग चाँदी के, 50 ताँबे के, 100 टीन के और सैंकड़ों सीसे के सिक्के भी खंडहरों से प्राप्त हुए हैं। तरह-तरह [p.229]: के मिट्टी के बर्तन भी, जिन पर सुंदर चित्रकारी हुई है, खुदाई में मिले हैं। चित्रों में धर्मचक्र, त्रिरत्न तथा कमल के चिन्ह उल्लेखनीय हैं। इनके अतिरिक्त मूल्यवान पत्थर, सीप, हाथी के दांत, शीशे, लोहे, ताँबे के आभूषण, माला की गुरियाँ तथा हथियार आदि भी मिले हैं। कुबेर तथा बोधिसत्व की मिट्टी की सुंदर प्रतिमाएँ भी प्राप्त हुई हैं। पुरातत्वविदों का विचार है कि यहाँ से प्राप्त माला की गुरियाँ लगभग तीन सहस्त्र वर्ष प्राचीन हैं। कोंडापुर को उसकी पुरातत्व-विषयक मूल्यवान तथा प्रचुर सामग्री के कारण "दक्षिण की तक्षशिला" भी कहते हैं।

जर्तगण - त्रिगर्त

डॉ. धर्मचंद्र विद्यालंकार[22] ने लिखा है.... यास्काचार्य के पश्चात पाणिनि की अष्टाध्यायी ही हमारे पास एकमात्र शाब्दिक स्रोत इस विषय में है. जिसमें कुल्लू-कांगड़ा घाटी में उनकी संख्या पहले तीन त्रिगर्ता: तो बाद में वै छ: भी गिनाए गए हैं. इनका अपना एक गणसंघ भी [p.15]: था महाभारत ग्रंथ में भी विराटनगर (बहरोड) के पास त्रिगर्तों का निवास वर्णित है. संभवत: वर्तमान का तिजारा जैसा नगर ही रहा होगा.

'कितने पाकिस्तान' जैसी औपनान्याषिक रचना के कथाकार श्री कमलेश्वर ने भी उसी और स्पष्ट संकेत किया है. महाभारत में भी ऐसा एक प्रकरण आया है कि जब त्रिगर्त गणों ने अथवा जाटों के तीन कुलों ने विराटराज की गायों का अपहरण बलपूर्वक कर लिया था, तब वहीं पर छद्म वेशधारी अर्जुन ने अपने गांडीव नामक धनुष बाण से ही उन गायों को मुक्त कराया था. सभी वे तीन जाट जनगण के लोग राजभय से भयभीत होकर उत्तर पश्चिम की दिशा में प्रवास कर गए थे.

यह सुखद संयोग ही है कि बहरोड (विराटनगर) के ही निकट वर्तमान में भी एक सातरोड नामक गांव स्थित है, तो उसी नाम की एक खाप हांसी (असिका) नामक नगर के निकट उन्हीं लोगों की विद्यमान है. जिसका सामान्य सा नामांतरण भाषिक विकार या उच्चारण की भ्रष्टता के कारण सातरोड से सातरोल जैसा भी हो गया है. वहीं से राठी ही राष्ट्री या बैराठी का संक्षिप्त रूप धारण करने वाले वे लोग आगे हरियाणा के रोहतक (महम) और बहादुरगढ़ तक में भी पाए जाते हैं. संभवतः राठौड़ और रोड जैसे वंशज भी वही हों. वे पाणिनि मुनि के आरट्टगण भी संभव हैं.

पाणिनि जिन गण संघों की ओर इंगित करते हैं, उनमें दामला और दाण्डक (ढांडा) तथा कुंडू जैसे गणगोत्र वाची लोग भी हैं. वह हमें वर्तमान में भी कुरुक्षेत्र और कैथल जैसे जिलों में दामल और ढांडा एवं कुंडू जैसे कुलनामोंके साथ आबाद मिलते हैं. बल्कि ढांडा या दाण्डक लोगों का तो अपना एक बड़ा गांव या कस्बा ढांड के नाम से कैथल जिले में स्थित है तो बामल या बामला लोगों का भी अपना एक गांव भिवानी जिले में हमें मिलता है. हां कुंडू लोग उनसे थोड़े पीछे हिसार जिले के पावड़ा और फरीदपुर में बसे हुए हैं. उनके ये गांव शायद रोहतक के टिटौली गांव से ही निसृत हैं. तो पानीपत और पलवल जैसे जिलों में कुंडू जाटों के गांव आज भी आबाद हैं.

महर्षि पतंजलि जो कि ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के वैयाकरण हैं और जिन्होंने महाभाष्य जैसा महान पाणिनि की अष्टाध्यायी के सूत्रों की व्याख्या के लिए रचा है. वे पुष्यमित्र शुंग नामक क्षत्रिय वंश विनाश कर्त्ता, ब्राह्मण शासक किंवा पौराणिक परशुराम के ही राजपुरोहित और प्रधान अमात्य या महामंत्री भी थे. उन्होंने पाणिनि की अष्टाध्यायी में आगत जर्तों को वाहिक या पश्चिमी पंजाब का ही निवासी वहां पर बताया है. दूसरे, वे उन्हें अब्राह्मणिक और अराष्ट्रिक अथवा गणों में संगठित होने के ही कारण अराजक और बहुभाषी या विकट वाचाल भी बतलाते हैं.

यही घोर घृणा जर्तगणों के प्रति हमें महाभारत के उस कर्ण-पर्व में भी देखने को मिलती है, जिसके अनुसार अपना रथ कीचड़ में फसने पर कर्ण अपने सारथी शल्य के भी सम्मुख उन्हीं जर्तगणों की जमकर खिंचाई करते हैं. वह सब कर्ण के ब्याज से उनके मुख में विराजमान ब्राह्मण ही तो बोल रहा था. क्योंकि जब मद्रराज शल्य उससे यही पूछते हैं कि तुम्हें भला हमारे जर्तगणों के विषय में ऐसी घिनौनी सूचना किसने दी है, तो वह यही स्पष्ट कर देता है कि उधर वाहिक देश से आगत एक ब्राह्मण ने ही उसे यह ज्ञान दिया था. गणतंत्र की व्यवस्था के समर्थक होने से ही महाभारत में जाटों को ज्ञाति कहा गया है.

पश्चिमी पंजाब अथवा वर्तमान के पाकिस्तान से सिकंदर के आक्रमण के पश्चात ही ये त्रिगर्त और षष्टगर्त जनगण आगे पूर्वी पंजाब से भी दक्षिण में राजस्थान की ओर प्रस्थान कर गए थे. ऐतिहासिक अध्ययन से भी हमें यही ज्ञात होता है कि व्यास नदी और सतलुज के उर्वर अंतर्वेद में आबाद यही तीन जर्तगण - मालव, कठ और शिवी गण राजस्थान से गुजरकर ही मालवा और काठियावाड़ी भी गए थे. मालवगण ने ही प्रथम ईशा पूर्व में शकों को पराजित करके दशपुर या दशार्ण प्रदेश और विदिशा को अपने ही कुल नाम पर 'मालवा' नाम दिया था.

Distribution in Assam

Kundil,

Distribution in Delhi

Akbarpur Majra,

Distribution in Haryana

Kundu Jats are found in Rohtak, Jind, Hissar, Kaithal, Panipat, Sonipat, Gurgaon districts of Haryana.

Villages in Fatehabad district

Baijalpur[23]

Villages in Rohtak district

Titoli, Sundarpur,

Villages in Hisar district

Faridpur, Kandool, Khairi, Kinala, Nehla, Pabra,

In Hisar district, they live in tehsil Barwala, where Pabra (पाबड़ा), Kinala, Faridpur, Khairi, Kandool are the five villages having much strength of Kundu Jat gotra (about 85%).

Villages in Kaithal district

Devigarh, Kailram, Rohera, Titram,

Villages in Panipat district

Shahpur Panipat, Kath, Bijawa,

Villages in Sonipat district

Butana, Dhurana

Villages in Jhajjar district

Chandpur,

Villages in Jind district

Bhurain, Dhakal, Kalawati, Kalwa, Kharak Gagar, Lohar Majra, Nirjanpur,

Villages in Palwal district

Allika,

Distribution in Rajasthan

Locations in Jaipur city

Bindayaka, Himmat Nagar, Tonk Road,

Villages in Alwar district

Baghana (70,) Budh Vihar (Alwar), Maliyar Jatt,

Villages in Barmer district

Chiriya[24], Kanor,

Distribution in Uttar Pradesh

Villages in Meerut district

Dhindala,

Villages in Bagpat district

Hewa,

Villages in Ghaziabad District

Dheda, Mohammadpur Dwedha,

Distribution in Madhya Pradesh

Bhopal,

Villages in Ratlam district

Villages in Ratlam district with population of this gotra are:

Ratlam 7,

Villages in Gwalior district

Gwalior,

Khap

Notable Persons

  • Sanjay Kundu - IPS DGP Himachal Pradesh
  • ठाकुर मुंशीलाल - [पृ.572]: आप जिला मेरठ के चौधरी बलवंतसिंह जी के सुपुत्र हैं। जन्म आपका संवत 1969 विक्रमी में हुआ है। गोत्र आपका कुंडू है। आप दो भाई हैं। छोटे भाई का नाम खेमसिंह है। आप इधर न्यू वर्ष से ग्वालियर में रहते हैं। इस समय आपकी ट्रक (मोटर ठेला) सर्विस चलती है। आपने इधर आर्य समाज के सिद्धांतों का प्रचार करने में काफी कोशिश बिड़ला मिल की कॉलोनी में की है। साथ ही यहां जाटों में समाज सुधार की प्रेरणा की है। मिल के अंदर भी जाट सभा कायम हुई है इसके आप मंत्री रहे। ग्वालियर के प्रवासी जाटों में आपने जाट साहित्य का प्रचार और प्रसार किया। आप एक उत्साह और शांत प्रकृति के व्यक्ति हैं और कौम से हार्दिक प्रेम रखते हैं। [27]
  • Krishna Lal Kundu (Naik) is a Martyr of Kargil War from Haryana. He was from village Titoli district Rohtak, Haryana. He became martyr on 06 July 1999 during Operation Vijay in Kargil War. Unit-17 Jat Regiment.
  • Maj Gen Jang Shmsher Singh Kundu (Late) - village Bahu Akbarpur (Rohtak)
  • Captain Kanwar Jasbir Singh (Kundu) - Son of Maj Gen Jang Shmsher Singh - village Bahu Akbarpur (Rohtak)
  • Balraj Kundu -MLA from Meham constituency, Haryana (w.e.f. May 2019)
  • Pf. Chattarpal Singh Kundu - MLA Ghiray, Hisar.
  • Ishwar Singh Kundu - Innovative farmer
  • Suman Kundu - She is an Indian wrestler from village Kalwa in Safidon tahsil in Jind district of Haryana. Suman Kundu won the bronze in the freestyle 63kg category at the Commonwealth Games 2010 in Delhi.
  • LT col Surinder Singh Chowdhary (Kundu) VSM, Menton -in -Despatch (Gallantry)
  • Colonel Balinder Singh Chowdhary, (Kundu)
  • Late. Shri Ram Das Hewa (Kundu)- Ex.Mlc. Chaprauli.,Advisor All India Congress Comittee. Did lot with Gandhi family and Naryan Dutt Tiwari.
  • Chandra Pal Singh (Kundu) - AGRI. MKT. BOARD RETD, Date of Birth-1947,A-38, VAISHALI NAGAR, JAIPUR, Present Address : A-38, VAISHALI NAGAR, JAIPUR, Phone : 0141-2352456, Mob: 9414040777
  • Ratan Singh Choudhary (Kundu) - RPS DY. SP (Retd.),Date of Birth : 1-October-1944, Vill.- Raipur Jatan, PO- Harsoli ,teh.- Kotkasim, Alwar, Present Address : 356, Himmat Nagar,Tonk Road,Jaipur, Phone: 0141-2551300, Mob: 9829055136
  • Sansar Singh Kundu - Working in Directorate of Revenue Intelligence, Delhi, +919868316326
  • Mr. S.M. Singh Kinnu - XEN UP Irrigation, Roorkee, UK, 162 A, Civil Lines, Meerut-250001, Meerut, UP 0121-2664399, 9837320444, 9310020444, UP (PP-1145)
  • Mr. Saksham Kundu (Nitin Kundu) who is a web designer and developer and has designed 4+ Jat Sites for different volunteers with the aim of Uniting Jats. He is working actively as a volunteer to make all Jat Youth United. +918950649901 , www.techjatt.tk
  • Vikram Singh Kundu - IAS, Haryana
  • Anita Kundu - अनिता कुंडु ओर महकज्योत ने पर्वतारोहण के दुर्लभ क्षेत्र में एक ओर उपलब्धि अपने नाम कर अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर अपनी शिष्या महकज्योति के साथ फ़हराया तिरंगा
  • Prof Chattar Pal Singh Kundu MInister and MLA from Ghirai Hisar, defeated Devi Lal Deputy PM Prime Minister in 1991
  • Mr. Raman Kundu (Pabra)- Inspector in Income Tax, Delhi.
  • Chaudhary Hukum Singh Kundu - President All India Kundu Jat Khap
  • Badan Singh Chauhan (Kundu) - Retired General Manager, Tourism Development Corporation, Madhya Pradesh. He is from village Allika district Palwal in Haryana.
  • Captain Kapil Singh Kundu - a brave warrior,who attained martyrdom on 4 th February (2018) , a native of Ransika village in Gurgaon. He made this supreme sacrifice,while fighting against armed insurgents in rajouri sector of Kashmir.
Unit - 29 Rashtriya Rifles/20 Grenadiers

Gallery of Kundu people

See also

References

  1. B S Dahiya:Jats the Ancient Rulers (A clan study), p.240, s.n.123
  2. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. 45
  3. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.32,sn-333.
  4. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, p.341
  5. Mahendra Singh Arya et al.: Adhunik Jat Itihas, Agra 1998, p. 229
  6. Dr Ompal Singh Tugania, Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu/Gotra, p.6
  7. V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.508
  8. V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.508
  9. Jats the Ancient Rulers (A clan study)/Jat Clan in India,p. 252
  10. S.M.Ali,op cit. p.105
  11. Bharat Bhumi, p. 123
  12. Sabha Parva, 52/ 13-8
  13. अस्मात परस तव एष महाधनुष्मान; पुत्रः कुणिन्दाधिपतेर वरिष्ठः । निरीक्षते तवां विपुलायतांसः; सुविस्मितः पर्वतवासनित्यः (III.249.7)
  14. Maheswari Prasad, “Jats in Ancient India”:The Jats, Ed. Dr Vir Singh, Vol.I, p. 26
  15. Dr Ompal Singh Tugania, Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p. 14
  16. Jat History Thakur Deshraj/Chapter V,p.139
  17. Dr Ompal Singh Tugania, Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p. 14
  18. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.198
  19. जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ.294-295
  20. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV,p.352
  21. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.228-229
  22. Patanjali Ke Jartagana or Jnatrika Kaun The,p.14-15
  23. User:Rahar007
  24. User:CHENARAMGODARA
  25. Dr Ompal Singh Tugania, Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu/Gotra, p.6
  26. Dr Ompal Singh Tugania, Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p. 14
  27. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.572

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