User:Lrburdak/My Tours/Tour of England

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

North Atlantic Ocean
Map of England & its Neighbours
Map of England

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इंग्लैंड यात्रा का विवरण

लंदन के लिए 14 जून 2018 को सुबह जयपुर से जेट एयरवेज से यात्रा प्रारंभ हुई. दिल्ली से दोपहर IST:13.05 पर लंडन के लिए रवाना हुआ. लंदन हीथरो हवाई अड्डे पर पहुँचने का निर्धारित ब्रिटिश टायम शाम BST:18.20 (IST:23.00) है. दिल्ली से लंदन की दूरी 6712 किमी है. जो देश या शहर इस रूट में नीचे पड़ते हैं वे इस प्रकार हैं:

Delhi (IST: 13.05) (India) – Pakistan - Afghanistan (Herat-Zabul in north)- IranTurkey - Caspian Sea (in North) – AbkhaziaTransnistria - Moldova (in North) - Black SeaBulgariaSerbiaRomania - Danube RiverHungaryBudapestSlovakiaAustria - Germany - Rhine RiverLuxembourgBelgium - English ChannelBrighton - London (IST:23.00)

लंडन से बर्जेस हिल सूर्यास्त के समय शाम 9.30 (IST:02.00) बजे पहुँचे. यात्रा के दिन पूरे 21 घंटे दिन-दिन में यात्रा की. यह पश्चिम दिशा में यात्रा करने के प्रभाव के कारण दिन की अवधी लंबी हुई.

लंडन से जयपुर वापसी में 03.9.2018 को जेट एयरवेज से रात 9.20 (भारतीय समय रात्री 1.50) पर हीथ्रो हवाई अड्डे से रवाना हुए और सुबह मुंबई में भारतीय समय 10.30 पर पहुँच गए. विपरीत दिशा में यात्रा से रात्री काल (6 घंटे ) छोटा हो गया लंदन से मुंबई की दूरी 7600 किमी है. रास्ते में जिन देशों पर से विमान उड़ा वे हैं:

London (IST:1.50)- Luxembourg-Germany (Frankfurt)-Czech Republic-Slovakia-Romania-Black Sea- Georgia-Armenia-Azerbaijan-Caspian Sea-Iran (Tehran)-Afghanistan (Kandahar)-Pakistan (Karachi) – Arabian Sea- Mumbai (IST:10.30)

जेट एयरवेज का विमान डबल्यू-953 दोपहर 14.35 पर मुंबई से रवाना हुआ और जयपुर शाम 16.00 बजे पहुँच गया.

इस यात्रा-वृतांत में स्थान विशेष पर व्यवस्था में पाई गई कमियों की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया गया है ताकि इनमे सुधार किया जा सके.

इंग्लैंड प्रवास के दौरान सप्ताह के अंत में शनिवार और रविवार को रेल और बस यात्राओं में रियायत मिलती है ताकि अधिक से अधिक लोग भ्रमण करें. इंग्लैंड की पर्यटन को बढ़ावा देने वाली नीति का उपयोग हमने भी खर्च बचाने के लिए किया और विभिन्न स्थानों की यात्रा सप्ताह के अंतिम दिनों में की गई. इंग्लैंड के जिन स्थानों की यात्रा की उनमें सम्मिलित हैं - बर्जेस हिल, सेवन सिस्टर, बेडलैंड्स फार्म नेचर रिजर्व, ब्राईटन, ग्रीनविच, केमब्रिज, स्टोनहेंज, बाथ शहर, तिलगेट पार्क-क्रोले, लंदन आदि। इन स्थानों का विस्तृत विवरण क्रमवार आगे दिया गया है. अंत में इंग्लैंड का भूगोल, इतिहास, समाज और जनजीवन तथा रहन-सहन पर प्रकाश डाला गया है ताकि हम समझ सकें कि जो अंग्रेज लंबे समय तक भारत के शासक रहे हैं वहाँ आज क्या स्थिति है और भारत की तुलना में इंग्लैंड कितना विकसित है.

References


प्रारम्भिक तैयारियाँ

पासपोर्ट बनाना: यू के यात्रा का विचार दिनांक 20 मार्च 2018 को हुआ जब हम भोपाल प्रवास पर थे. मेरी बेटी विनीता बुरड़क और दामाद प्रवीण सुंडा इंग्लैंड के बर्जेस हिल स्थान पर रहते हैं. उनको इस समय हमारे सहारे की आवश्यकता थी. इसलिये जयपुर लौटते ही पासपोर्ट बनाने के लिए दिनांक 26 मार्च 2018 को ऑन लाईन आवेदन किया, वरिष्ठ नागरिक के लिए देय रु 1500/- के स्थान पर 1350/- रुपये ऑनलाईन जमा कराये और जयपुर पासपोर्ट सेवा केंद्र में मिलने का 27.3.2018 को समय मिला. पासपोर्ट बनाने की सभी प्रक्रिया ऑन लाईन करदी हैं, इससे काफी सुविधा जनक प्रक्रिया हो गई है. पुलिस वेरिफिकेशन भी जल्दी ही एक सप्ताह के भीतर हो गया, पास पोर्ट 24 अप्रेल को जारी होकर 28 अप्रेल को श्रीमती गोमती और दिनांक 2 मई अप्रेल को मेरा पासपोर्ट प्राप्त हो गया. पासपोर्ट प्रिंटिंग का समय कुछ ज्यादा है इसको बचाया जा सकता है इससे प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण की जा सकती है.

यू के वीसा: 4 मई को ऑनलाईन यूके वीसा की वेबसाईट[1] पर आवेदन किया. आवेदन के लिए ईमेल और अपना पासवर्ड बनाकर रजिस्ट्रेशन करना होता है तत्पश्चात ऑन लाईन आवेदान का फार्म भरना पड़ता है. अपोइंटमेंट 17 मई 2018 को मिला. अपोइंटमेंट में कोई खास पूछ-ताछ नहीं की गई. इसके लिए बैंक स्टेटमेंट, बेटी विनीता की यू. के. बुलाने की ईमेल रिक्वेस्ट, दामाद प्रवीणजी सुंडा का यू. के. का ब्रिटिस रेजीडेंट परमिट और मेरा शासकीय सेवा से सेवा निवृत होने का पहचान पत्र ऑन लाईन आवेदन के प्रिन्ट आउट के साथ लगाये. आवेदन के साथ ही फीस 28400/- ऑन लाईन जमा कराई. उल्लेखनीय है कि यू. के. में इसके लिए मास्टर कार्ड या वीसा कार्ड ही प्रयोग किया जा सकता है, इंटरनेट बैंकिंग से नहीं. इसलिये मैंने यह राशि प्रवीण जी चौधरी के आईसीआईसीआई कार्ड से जमा कराई. मेरा पीएनबी का मास्टर कार्ड तकनीकी कारणों से उपयोग नहीं हो सका. आवेदन में काफी विस्तृत जानकारी मांगी जाती हैं. आवेदन का प्रिन्ट आउट और जमाराशि की रशीद का प्रिन्ट आउट निकाला गया.

एयर टिकट का आरक्षण: 4 मई को ऑनलाईन जेट एयरवेज से जयपुर से लंदन तक मेक माई ट्रिप से इकोनोमी क्लास में टिकट आरक्षण कराया. हमारा दोनों का रुपये 52642/- का व्यय हुआ. यू के वीसा ब्रिटिश एम्बेसी से 6 मई को जारी होकर दिनांक 8 जून को प्राप्त हुआ.

References

जयपुर - दिल्ली - लंदन यात्रा

जयपुर से दिल्ली: लंदन के लिए 14 मई को सुबह जयपुर से जेट एयरवेज से यात्रा प्रारंभ हुई. ई-टिकट के अनुसार जयपुर से दिल्ली यात्रा विमान क्रमांक 9डबल्यू-752 से सुबह 7.35 पर शुरू होनी थी. चेक-इन 6 बजे से पहले किया गया. जेट एयरवेज की खिड़की से बोर्डिंग पास प्राप्त किया. बोर्डिंग पास के अनुसार भी यात्रा 7.35 बजे शुरू होनी थी. टिकट पर बोर्डिंग गेट 1-सी पर होना लिखा था पर चेक इन विंडो के दांई खिड़की पर बैठी महिला से पुष्टि करने के लिए दो बार पूछा तो बताया कि बोर्डिंग एम-1 गेट से होगी जो पहली मंजिल पर स्थित है. इसलिये आप ऊपर जाकर बैठ जाओ. वहाँ काफी देर पर बैठे रहने पर बोर्डिंग स्टाफ नहीं आया तो नीचे जाकर गेट-1 सी पर दौड़ कर गए तो पता लगा कि बोर्डिंग बंद हो रही है. उनसे निवेदन किया कि हम ऊपर से आ रहे हैं. हमारे आते ही बोर्डिंग बंद कर दी गई और विमान 7.15 पर ही रवाना हो गया. इस प्रकार समय पर पहुँचने बावजूद जेट एयरवेज की चेक इन खिड़की पर बैठी महिला द्वारा भ्रमित किया गया और गलत गेट पर भेज दिया गया. यात्रा के निर्धारित समय से पहले रवाना होने की कोई सूचना का मेसेज नहीं दिया गया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है जेट एयरवेज ने इस तरह के स्टाफ को क्यों नियुक्त कर रखा है. जयपुर स्थित जेट एयरवेज की सेवा संतोष जनक नहीं पाई गई जबकि दिल्ली से लंदन की यात्रा का संदेश सही प्राप्त हुआ कि किस गेट पर जाना है और कितना समय लगना अनुमानित है और यात्रा कितने बजे शुरू होगी.

दिल्ली से लंडन: दिल्ली में जेट एयरवेज का विमान 9डबल्यू-752 सुबह 8.15 पर पहुँच गया. एमिग्रेशन की कार्यवाही करीब सवा घंटे में पूरी कर बोर्डिंग गेट-3 पर पहुँच गए. 9डबल्यू-122 विमान सही समय 13.05 पर रवाना हुआ. लंदन हीथरो हवाई अड्डे पर निर्धारित समय 6.20 से पहले ही 5.30 बजे पहुँच गया. दिल्ली से लंदन की दूरी 6712 किमी है. जो देश या शहर इस रूट में नीचे पड़ते हैं वे इस प्रकार हैं:

Delhi (IST: 13.05) (India) – Pakistan - Afghanistan (Herat-Zabul]] in north)- IranTurkey - Caspian Sea (in North) – AbkhaziaTransnistria - Moldova (in North) - Black SeaBulgariaSerbiaRomania - Danube RiverHungaryBudapestSlovakiaAustria - Rhine RiverLuxembourgBelgium - English ChannelBrighton - London (IST:23.00)

लंदन हीथरो हवाई अड्डे पर नॉन-ईयू श्रेणी में एमिग्रेशन की कार्यवाही पूरी करने में करीब 1.15 घंटा लगा. एमिग्रेशन खिड़की पर एक अफ्रीकन महिला अफसर थी. उसने बार-बार पूछा कि आपने रिटर्न टिकट क्यों नहीं कराया. मैंने कहा कि मैं ऑनलाईन रिटर्न टिकट बुक कराऊंगा. उस महिला अफसर ने कहा आपके पास कैश या कार्ड होना चाहिए तभी आप ऑनलाईन टिकट बुक करा सकते हो. मैंने कहा कि हम कैश लेस इंटरनेट बैंकिंग से टिकट बुक कराते हैं. आखिर में उसने मेरा जयपुर से लंदन का ई-टिकट देखा तभी समझ सकी. वस्तुतः यहाँ इंटरनेट बैंकिंग इतनी प्रचलित नहीं है. सामान लेकर हीथ्रो हवाई अड्डे के बाहर निर्धारित कोस्टा काफी शॉप पर प्रवीण जी सुंडा मिले. 8 बजे रात्री पहुँच गए 9.15 के करीब हम बर्जेस हिल पहुँच गए.

लंडन से बर्जेस हिल सूर्यास्त के समय शाम 9.30 (IST:02.00) बजे पहुँचे. यात्रा के दिन पूरे 21 घंटे दिन-दिन में यात्रा की. यह पश्चिम दिशा में यात्रा करने के प्रभाव के कारण दिन की अवधी लंबी हुई.

References


बर्जेस हिल (Burgess Hill)

बर्जेस हिल (Burgess Hill): इंग्लैंड में हम बर्जेस हिल शहर में रहे. बर्जेस हिल बहुत बड़ा शहर नहीं है. यह प्रशासकीय इकाई तहसील (parish) स्तर का शहर है. यह शहर लंदन से 70 किमी दक्षिण में और ब्राईटन शहर से 20 किमी उत्तर में स्थित है. इंग्लैंड के वेस्ट ससेक्स (West Sussex) काउंटी के मिड ससेक्स (Mid Sussex District) जिले में स्थित है. इसका क्षेत्रफल करीब 10 वर्ग किमी और जनसंख्या 30635 है. कई बड़ी कंपनियों के कार्यालय यहाँ स्थित हैं. सुबह उठते ही घर के पीछे चर्च वॉक रोड (Church Walk Road) पर घूमने जाते हैं. इस रोड पर हमारे घर के पीछे ही बर्जेस हिल टाउन कोसिल का सुंदर भवन स्थित है. यह कार्यालय हमारे घर की खिड़की से दिखता है. रोज शाम सैंट जोन्स पार्क में जाते हैं. बहुत ही सुंदर पार्क है. बर्जेश हिल टाउन कोंसिल के पास ही बर्जेस हिल वार म्यूजियम बना है. इसमें प्रथम विश्व युद्ध और द्वीतीय विश्व युद्ध में शहीद हुये अंग्रेज सिपाहियों के नाम अंकित हैं. इस शहर को फेयर ट्रेड टाउन का दर्जा मिला है. बर्जेस हिल का संक्षिप्त इतिहास और नामकरण निम्नानुसार हिन्दी और अंग्रेजी में दिया गया है.

बर्जेस हिल नामकरण: डोम्सडे पुस्तक, इंग्लैड का भूसर्वेक्षण संबंधी विवरण देनेवाली पुस्तकका नाम है। यह सर्वेक्षण सन् 1086 में विजेता विलियम के आदेश से उसके अफ्सरों द्वारा कराया गया था। इसके अनुसार शहर का नाम बर्जेय परिवार (Burgess or Burgeys) के नाम पर पड़ा है. बर्जेय नाम प्राचीन बाल्कन लोगों में पाया जाता है जो भूतकाल में अनातोलिया के निवासी रहे हैं. अनातोलिया का संबंध जाटों से रहा है और लोग वहाँ से यूरोप आए हैं. [1][2] ध्वनि के आधार पर बर्जेस का संबंध ब्रजेश से मिलता है. यह संभव है कि ब्रज के लोगों का यूरोप की तरफ अभिगमन हुआ हो.

Burgess Hill originated in the parishes of Clayton, Keymer and Ditchling – all of them mentioned in the Domesday Book. The town's name comes from the Burgeys family when the name John Burgeys appeared in the tax rolls. The name of Burgeys stood for 'bourgeois', the inhabitant of a borough. Domesday Book is a manuscript record of the "Great Survey" of much of England and parts of Wales completed in 1086 by order of King William the Conqueror.

Bryges is the historical name given to a people of the ancient Balkans. They are generally considered to have been related to the Phrygians, who during classical antiquity lived in western Anatolia. Both names, Bryges and Phrygian, are assumed to be variants of the same root. They may have given name to Burgess Hill.

Jat clans: Following Jat clans have some phonic similarity with Burgess or Burgeys but it is a matter of research if there is any correlation:


15.6.2018: दामाद प्रवीण सुंडा यहाँ बर्जेस हिल में अमेरिकन एक्सप्रेस कंपनी में प्रोजेक्ट मनेजर हैं और वे मार्टलेट (Martlets) में रहते हैं. सुबह उठते ही घर के पीछे चर्च वॉक रोड पर घूमने जाते हैं. इस रोड पर हमारे घर के पीछे ही बर्जेस हिल टाउन कोसिल (Burgess Hill Town Council) का सुंदर भवन स्थित है. आज दौहते शौर्य को छोड़ने Sheddingdean Primary School गया. घर से यह 1 किमी के करीब है. लौटते में मैं रास्ता भूल गया था और घर का पता भी नोट नहीं किया था. सड़क के एक मोड़ पर भ्रमित हुआ तो एक युवा अंग्रेज महिला से पूछा कि नगर निगम ऑफिस किधर है क्योंकि मैं बर्जेस हिल टाउन कोसिल का नाम भूल गया था, जो हमारे निवास के पास थी. अंग्रेज युवा महिला ने कुछ दूर तक मेरे साथ आकर बर्जेस हिल टाउन कोसिल की तरफ संकेत कर रास्ता बताया. महिला की शालीनता और सहयोग की भावना ने मुझे काफी प्रभावित किया. मैं शाम को शौर्य और खुशी को घुमाने सैंट जोन्स पार्क (Saint Johns Park) में ले गया. बहुत ही सुंदर पार्क है. आज यहां कोई मैच चल रहा था और एक हेलिकॉप्टर गार्डन में उतरा हुआ था. बच्चों ने इसका उड़ना बहुत उत्सुकता से देखा. घर से सैंट जोन्स पार्क जाते समय रास्ते में सैंट जोन्स चर्च (St John the Evangelist Church) पड़ता है जहाँ रविवार को अधिक गतिविधियाँ होती हैं. शेष दिनों में भीड़-भाड़ नहीं दिखाई देती है.

16.6.2018: आज द्वितीय शनिवार था. सभी घर पर ही रहे. अमेक्स कंपनी में काम करनेवाले रायपुर (छत्तीसगढ़) निवासी जितेंद्र मिश्रा और रीवा (मध्य प्रदेश) निवासी उनकी पत्नी आकांक्षा घर पर मिलने आए. उनको भारतीय मिठाइयाँ खिलाई. विदेशी भूमि पर भारतीय युवा दंपति और उनके दो छोटे-छोटे बच्चों से मिलकर बहुत अच्छा लगा. उनके बच्चे भी हमसे बहुत घुल-मिल गए और हमें नाना-नानी पुकारने लगे.

17.6.2018: आज रविवार था. सुबह की शैर पर चर्च वॉक रोड और बाजार गए. बाजार (Martlets) बहुत ही सुंदर और व्यवस्थित है. बर्जेश हिल टाउन कोंसिल के पास ही वार मेमोरियल (War Memorial) बना है. इसमें प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुये अंग्रेज सिपाहियों के नाम अंकित हैं. दिन में मार्केटिंग करने गए. प्रवीण जी के साथ वेटरोज डिपार्ट्मेंटल स्टोर से सामान खरीदा जहाँ सभी तरह के प्रॉडक्ट मौजूद हैं. मार्केटिंग की बहुत सुंदर और व्यवस्थित प्रणाली है. सभी कार्य औटोमेटिक तरीके से किए जा रहे हैं. सामान भारत की तुलना में बहुत महंगा है. मौसम आज ठंडा और बरसाती है. शामको घूमने नही जा सके.

18.6.2018: आज मौसम सुबह काफी ठंडा था फिर भी घूमने गए. हवा बहुत तेज चलती है और कभी भी वर्षा होने लगती है. दिन में खुला रहा. शाम को सैंट जोन्स पार्क गए.

22.6.2018: आज शौर्य की स्कूल सेडिंगडीन (Sheddingdean Primary School) में इंटर प्राइज़ फेयर में अभिभावक के रूप में भाग लिया. शौर्य की क्लास के बच्चों का एक प्रेजेंटेशन था जिस में पूरी स्कूल के बच्चे और टीचर उपस्थित होते हैं. इसमें बाल्टी के ऊपर क्लास के बच्चे अभिव्यक्ति करते हैं. अंग्रेज बच्चे मुझे सुस्त किस्म के लगे. कुछ अंग्रेज बच्चे तो पढ़ कर बोल रहे थे. शौर्य ने अंग्रेजी में बड़ी अच्छी अभिव्यक्ति मौखिक दी जिसपर सभी ने तालियाँ बजाई. अन्य केवल एक बच्चे के लिए ही तालियाँ बजी थे. शौर्य को स्कूल की तरफ से हीरोइक अभिव्यक्ति का पुरस्कार दिया गया. भारतीय बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में ज्यादा चंचल दिखे. बच्चों को मोटिवेट करने के उनके तरीकों ने मुझे प्रभावित किया.

27.6.2018: आज शौर्य के स्कूल सेडिंगडीन (Sheddingdean Primary School) मे वार्षिक खेल-कूद कार्यक्रम था. अभिभावक के रूप में मैं उपस्थित हुआ. साथ में दौहती खुशी भी थी. इस कार्यक्रम से स्कूल के बच्चों की खेल-कूद की प्रतिभा विकसित की जाती है और बच्चे जो आइटम खुद बनाकर लाते हैं उनकी बिक्री से जो पैसा इकट्ठा होता है वह स्कूल के रचनात्मक कार्यक्रमों में खर्च होता है. शौर्य ने दौड़ में पहला स्थान पाया और अन्य गतिविधियों में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया.

References

सेवन सिस्टर (Seven Sisters, Sussex, England)

Laxman Burdak at Beach of Seven Sisters East Sussex, England, 7.7.2018
Chalk cliff as seen from another cliff of Seven Sisters East Sussex, England, river Cuckmere joins English Channel

7.7.2018: Seven Sisters, Sussex, England Tour 7.7.2018:

आज हम सेवन सिस्टर गए. सेवन सिस्टर इंग्लैंड का प्रसिद्ध कंट्री पार्क है जो इंग्लैंड के धुर दक्षिण में समुद्र किनारे साउथ डाउन नेशनल पार्क (South Downs National Park) में स्थित है. इस टूर से यहाँ की भौगोलिक संरचना, जनजीवन, पर्यावरण आदि को समझने का अवसर मिला.

हम परिवार के साथ सेवन सिस्टर (Seven Sisters ) गए जिनमें हमारे दामाद प्रवीणजी सुंडा, दौहता शौर्य, दौहिती खुशी, अमेक्स कंपनी में काम करनेवाले रायपुर निवासी जितेंद्र मिश्रा और रीवा निवासी उनकी पत्नी आकांक्षा तथा उनकी पुत्री सुबी और पुत्र तेजस साथ में थे.

सेवन सिस्टर पहुंचनेके लिए बर्जेस हिल (Burgess Hill) से 8.30 पर बस से रवाना हुये. ब्राइटन पहुँचने में 40 मिनट लगते हैं. वहाँ से सेवन सिस्टर की बस पकड़ी जो एक घंटा लेती है. यहाँ की बस बहुत हाई-टेक हैं. अग्रिम बुकिंग एप आधारित ऑनलाईन होती है. एक दिन का एक आदमी का पैक 7 पॉन्ड और फैमिली पैक 12.5 पॉन्ड का होता है. फैमिली में दो वयस्क और 3 बच्चे हो सकते हैं. यहाँ कंडक्टर नहीं होता है चालक ही सभी काम करता है. बसें जीपीएस आधारित होती हैं जिससे संचालन ऑनलाईन नियंत्रित होता है. बसें साफ़-सुथरी और कोई भीड़ नहीं दिखती हैं. बस का फ्लोर सड़क के ठीक लेवल में होता है जिससे विकलांग लोग भी आराम से बस में सफर कर सकते हैं. डबल-डेकर बसें हैं जिनसे बाहर का प्राकृतिक नजारा बहुत सुंदर नजर आता है.

सेवन सिस्टर (Seven Sisters) ईस्ट ससेक्स (East Sussex) जिले में स्थित यहाँ का प्रसिद्ध कंट्री पार्क है जो साउथ डाउन नेशनल पार्क (South Down National Park) में स्थित है. इंग्लैंड के दक्षिण में इंग्लिश चैनल (English Channel ) नामक समुद्र के किनारे लगातार सात ‘चाक की पहाड़ियाँ’ (Chalk Cliffs) हैं जिनके नाम से यह सेवन सिस्टर कहलाता है. ये सात पहाड़ियाँ सीफोर्ड (Seaford) और ईस्टबोर्न (Eastbourne) कस्बों के बीच स्थित हैं. प्राकृतिक सुंदरता के मामले में ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों में स्थित घास के हरे मैदान भारत के कश्मीर की याद दिलाते हैं. यहाँ फिल्म निर्माण और टेलीविजन के सीरियलों का निर्माण प्राय: किया जाता है. अनेक इंग्लिश फिल्मों में यहाँ के दृश्य देखने को मिलते हैं.

साउथ डाउन नेशनल पार्क (South Down National Park) 1,627 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है. पश्चिम में स्थित Winchester से पूर्व में Eastbourne तक 140 किमी में फैला हुआ यह नेशनल पार्क Hampshire, West Sussex और East Sussex काउंटियों को समाहित करता है. इसकी सुंदर भौगोलिक संरचना है. ब्रिटैन का सबसे सुंदर और साफ़-सुथरा समुद्री किनारा माना जाता है. यहाँ के समुद्री किनारों पर बालू रेत नहीं मिलती जैसा कि भारतीय समुद्री किनारों पर होती है. यहाँ समुद्री किनारों पर मोटी पथरीली बजरी मिलती है.

कुक्कमेरे नदी (Cuckmere) यहाँ बहती है और इंग्लिश चैनल समुद्र में मिल जाती है. इस नदी का उद्गम इंग्लैंड के ईस्ट ससेक्स (East Sussex) जिले में हीथ फील्ड (Heathfield) नामक स्थान से होता है. यहाँ घास के फैले हुये विस्तृत मैदान हैं. घास के इन मैदानों में परंपरा से यहाँ शदियों से भेड़ चरती रही हैं. पहले भेड़ें ऊन के लिए पाली जाती थी परंतु ऊन की माँग कम होने से अब केवल मीट के लिए ही पाली जा रही हैं. इस क्षेत्र में खेती का प्रचलन कम है. जीविका का मुख्य आधार पशुपालन और पर्यटन है. वर्ष 1848 में पहाड़ियों को काट कर नदी का पानी समुद्र में मिला दिया गया जिससे बाढ़ की समस्या हल हो गई. कुक्कमेरे नदी का कोर्स अभी भी देखा जा सकता है. यह एक दुर्लभ हाबिटेट है जिसमें विविध प्रकार के जीव जन्तु और पौधे देखे जा सकते हैं. बीच के पीछे सैलाईन लैगून हैं जो 1975 में निर्मित किये गए थे. नदी के मुहाने पर साल्टमार्श है जहाँ ज्वार-भाटे के समय समुद्री पानी आता है. इससे यहाँ कई दुर्लभ साल्ट टोलरेंट पौधे पाये जाते हैं.

सेवन सिस्टर बस-स्टोप के पास ही विजिटर सेंटर है. यहाँ ट्यूरिस्ट के लिए सूचनायें और सुविधाएँ उपलब्ध हैं. विजिटर सेंटर से समुद्र के बीच तक का 1.5 किमी का पैदल ट्रेक है. समुद्री-बीच से मैं और जितेंद्र सबसे ऊँची पहाड़ी की ट्रेकिंग करते हुये ऊपर गए. काफी ढलान है. कई वर्षों बाद मुझे इतनी ऊँची पहाड़ी पर चढ़ने का मौका मिला. बच्चे साथ में हों तो सीधे समुद्री-बीच से ट्रेक के बजाय पहले से ही कम ढाल वाले ट्रेक से जाना अच्छा है. पहाड़ी के चोटी से दक्षिण में दूर-दूर तक फैला हुआ इंग्लिश चैनल समुद्र (English Channel) का बहुत सुंदर नजारा दिखता है. पहाड़ी से उतर कर आए कुछ देर थकान मिटाई और समुद्री बीच पर पैक लंच खाना खाया. बच्चों ने समुद्र में नहाने का आनंद लिया. पत्नी श्रीमती गोमती बुरड़क को नीचे बैठने की मनाई होने से नदी के मुहाने पर एक पुरानी रेलिंग मिल गई और पूरे समय उसी को कुर्शी के रूप में काम लिया. 2 बजे वापस रवाना हुये. 5 बजे शाम घर बर्जेस हिल पहुँचे. नीचे इंग्लिश में एक संक्षिप्त नोट दिया गया है.

Brief Note on Seven Sisters:

The Seven Sisters are a series of chalk cliffs by the English Channel. They form part of the South Downs in East Sussex, between the towns of Seaford and Eastbourne in southern England. They are within the South Downs National Park which is bounded by the coast, the Cuckmere River and the A259 road. They are the remnants of dry valleys in the chalk South Downs, which are gradually being eroded by the sea.

From west to east, the sequence starts just east of Cuckmere Haven. The cliff peaks and the dips between them are individually named. There are seven hills, with an eighth one being created by the erosion of the sea.

The South Downs Way runs along the edge of the cliffs, taking a very undulating course. Many landmarks around the area are named after the cliffs, including the Seven Sisters Sheep Centre.

The Seven Sisters cliffs are occasionally used in filmmaking and television production as a stand-in for the more famous White Cliffs of Dover, since they are relatively free of anachronistic modern development and are also allowed to erode naturally. As a result, the Seven Sisters and Beachy Head remain a bright white colour, whereas the White Cliffs of Dover are protected due to the important port and are therefore increasingly covered in vegetation and are greening as a result. They are also featured at the beginning of the film Robin Hood: Prince of Thieves, and at the end of the film Atonement where Robbie and Cecilia always wanted to live. Much of the 2015 feature film Mr. Holmes was filmed around the Seven Sisters. An east-facing photo of the Seven Sisters is included as one of the default landscape wallpapers packaged with Microsoft Windows 7.

The South Downs National Park is England's newest national park, having become fully operational on 1 April 2011. The park, covering an area of 1,627 square kilometres in southern England, stretches for 140 kilometres from Winchester in the west to Eastbourne in the east through the counties of Hampshire, West Sussex and East Sussex. The national park covers the chalk hills of the South Downs (which on the English Channel coast form the white cliffs of the Seven Sisters and Beachy Head) and a substantial part of a separate physiographic region, the western Weald, with its heavily wooded sandstone and clay hills and vales. The South Downs Way spans the entire length of the park and is the only National Trail that lies wholly within a national park.

Cuckmere Haven is an area of flood plains in Sussex, England where the river Cuckmere meets the English Channel between Eastbourne and Seaford. The river is an example of a meandering river, and contains several oxbow lakes. It is a popular tourist destination with an estimated 350,000 visitors per year, where they can engage in long walks, or water activities on the river. The beach at Cuckmere Haven is next to the famous chalk cliffs, the Seven Sisters.

Cuckmere Haven has been used as the setting for all or part of a number of films and TV programmes including Robin Hood: Prince of Thieves, Harry Potter and the Goblet of Fire, Atonement, Green Wing, Foyle's War, Mr. Holmes, Agatha Christie's Poirot, and Luther, as well as a music video for Cheryl Cole's song The Flood.

Great Britain around 800 AD showing the East Angles
History

The Seven Sisters are part of the South Downs in East Sussex. East Sussex is part of the historic county of Sussex, which has its roots in the ancient kingdom of the South Saxons, who established themselves there in the 5th century AD, after the departure of the Romans. Archaeological remains are plentiful, especially in the upland areas. The area's position on the coast has also meant that there were many invaders, including the Romans and later the Normans. Earlier industries have included fishing, iron-making, and the wool trade, all of which have declined, or been lost completely.

Sussex (ससीक्स/सस्सेक्स) is a historic county in South East England corresponding roughly in area to the ancient Kingdom of Sussex. Sussex derives name from the Old English South Saxons. The name Sussex derives from the Kingdom of Sussex, which was founded, according to legend, by Ælle of Sussex in AD 477. Around 827, it was absorbed into the kingdom of Wessex[1] and subsequently into the kingdom of England. It was the home of some of Europe's earliest hominids, whose remains have been found at Boxgrove. It was invaded by the Romans and is the site of the Battle of Hastings.

Jat History

Jat History: Dalip Singh Ahlawat[2] writes that Jat Blood flows in the people of England as the Celts, Jutes, Angles, Saxons and Danes were descendants of Scythian Jats. This is evident from Jat Clans surnames still prevalent in England though they follow Christianity. [3]

For more details on Jat history in England see see Saxons


Images of Seven Sisters cliffs and Beach, 7.7.2018

References

  1. Edwards, Heather (2004). "Ecgberht [Egbert (d. 839), king of the West Saxons in the Oxford Dictionary of National Biography". Oxford University Press.]
  2. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, p.401
  3. Ujagar Singh Mahil: Antiquity of Jat Race, p.66-70

बेडलैंड्स फार्म नेचर रिजर्व (Bedelands Farm Local Nature Reserve)

14.7.2018: बेपटिस्ट चर्च संगठन की तरफ से कार्यक्रम - आज शौर्य की स्कूल में बेपटिस्ट चर्च संगठन की तरफ से बच्चों के लिए रचनात्मक गतिविधियों का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. खुशी और शौर्य के साथ उसमे भाग लिया. रचनात्मक गति विधियों में कागज की नाव बनाना, फिरकी बनाना, पेन्टिंग करना, कागज की नाव पानी में तैराना, पिचकारी से शूटिंग कर सामने की टेबल पर रखी प्लास्टिक की खाली बोतलों को गिराना, बुलबुले बनाना, गोला बनाकर रिंग उनमें डालना आदि थी. बाद में खाना-पीना चर्च की ओर से था. 1-3 बजे तक कार्यक्रम चला.

बेडलैंड्स फार्म नेचर रिजर्व (Bedelands Farm Local Nature Reserve): शौर्य के स्कूल के कार्यक्रम के बाद में प्रवीण जी स्कूल में आ गए और हम सभी बेडलैंड्स फार्म नेचर रिजर्व देखने गए. 88 एकड़ में फैला हुआ यह स्थानीय नेचर रिजर्व है. इसमें घने ऊँचे-ऊँचे पुराने पेड़ हैं. झरना और तालाब हैं. कई तरह के जीव रहते हैं. जगह-जगह सूचना-पटल लगे हुये हैं जो पार्क का नक्शा और जानकारी देते हैं. अंदर पग-डंडियाँ बनी हुई हैं. छुट्टी के दिन यहाँ काफी लोग आते हैं. तालाब के दूसरी तरफ खुले घास के मैदान हैं जहाँ दो घोड़े और दूसरी तरफ अनेक होलस्टीन गायें देखने को मिली. गायें धूप से बचने के लिए पेड़ के नीचे बैठी थी पर जब हम फोटो लेने लगे तो फेंसिंग के पास आकर हमारा स्वागत सा करने लगी. गायों के कानों पर मालिक का नाम और कुछ कोड आदि की स्लिप चिपकी थी जो पहचान के लिए थे. फेंसिंग केवल एक ही तार की करीब 2.5 फीट ऊँची थी. वह भी साधारण तार था काँटेदार नहीं. गाय को जब छूने की कोशिस की तो सभी पीछे हट जाती थी. कह रही हों मानो कि आप हमें छूवो मत, केवल देखो. तालाब में बतख थे. यहाँ सभी जीव जंतुओं का आकार भारतीय जानवरों से ज्यादा बड़ा है. कबूतर, काली चिड़िया, घरेलू चिड़िया, टील आदि घरों के आस-पास भी काफी दिखती हैं. बेडलैंड्स फार्म नेचर रिजर्व की अंग्रेजी में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गई है:

Bedelands Farm Nature Reserve is a 88-acre Local Nature Reserve on the northern outskirts of Burgess Hill in West Sussex. It is owned and managed by Mid Sussex District Council. The farm has woodland, wildflower meadows, grazed meadows, wetland and ancient hedgerows. The woodland has ancient hornbeams and wild service trees, while wildflowers include the yellow rattle. There is access from Maple Drive.

References


ब्राईटन (Brighton)

21.7.2018: ब्राईटन (Brighton) - आज सुबह 10 बजे ट्रेन से ब्राईटन गए. बर्जेस हिल से 15 मिनट का समय लगता है. ट्रेन में टिकट लेना स्वचालित है. गेट भी स्वचालित हैं. कुछ सेकंड के लिए ही ट्रेन स्टेशन पर रुकती है. उतरते समय गेट का स्विच दबाना पड़ता है. टिकट भी मशीन में दबानी पड़ती है वह वापस नहीं निकलती. जमा हो जाती है. कोई गार्ड भी नहीं रहता है.

Laxman Burdak at Brighton Palace Pier

ब्राईटन इंग्लैंड के दक्षिण छोर पर समुद्र के किनारे बसा हुआ शहर है. लंदन से इसकी दूरी 75 किमी है. इसकी जनसंख्या 2.73 लाख है. वीक एंड के दिनों में यहाँ बहुत संख्या में पर्यटक आते हैं. वैसे तो इंग्लैंड के समुद्र के किनारे बसे सभी शहर दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इनमें ब्राईटन सिटी भी एक है जो ऐतिहासिक और मंत्रमुग्ध कर देने वाली बीच के कारण पर्यटकों का एक प्रमुख केंद्र है. बाईटन सिटी यूके के दूसरे बड़े और विख्यात सैलानी केंद्र के रूप में जाना जाता है, जहाँ प्रतिदिन हजारों देशी-विदेशी सैलानी भ्रमण के लिए आते हैं. कई किलोमीटर लम्बाई में फैले ब्राईटन बीच और ब्राईटन पैलिस पीयर (Brighton Palace Pier) आमोद प्रमोद का एक बेहद खूबसूरत पर्यटन केंद्र है. ब्राइटन समुद्र तट पर भारतीय समुद्री तटों की तरह बालू-रेत न होकर कंकड़ हैं. इन्हीं कंकड़ों पर समुद्र की लहरें टकराती है और पर्यटक लहरों के मध्य खड़े होकर इसका आनंद उठाते है. समुद्र के पानी को छूकर आती ठण्डी लहरें आँखों के लिये वरदान सिद्ध होती हैं. बीच किनारे क्लब और होटलों की लम्बी श्रृंखला है. कभी तेज हवाएं शरीर को कंपकंपाती है तो कभी तेज धूप सुहानी लगती है. मीलों फैले समुद्र का दृश्य मन को मोह लेने वाला है. मैं दामाद प्रवीण सुंडा और दौहते शौर्य तथा दौहती खुशी के साथ ब्राईटन बीच गए. दिनभर बीच के मनोहारी और अदभुत समुद्र तट के आगोश में खोये रहे. खाना-पीना बीच पर ही किया समुद्री लहरों से अठकेलियां की. बीच के एक किनारे स्थित ब्राईटन पैलिस पीयर (शाही घाट) को झूलों का संसार कहा जाता है. इस घाट को 1866 में बनवाया गया था. यह रंग-बिरंगा घाट लगभग एक किमी लम्बाई में बेहद आकर्षक और मन को मोहने वाले बाजार के रूप में सज्जा-धज्जा है. बताया जाता है पूर्व में यहाँ से जहाजों का आवागमन होता था. बाद में यह स्थल यहां मनोरंजन के साधनों, हिंडोला और झूले लेने वाली अनेकों चीजों और खाने-पीने के पर्यटक केंद्र के रूप में स्थापित हो गया. वस्तुतः यहाँ बच्चों और युवाओं के मनोरंजन के झूले बड़ी संख्या में हैं. ऊँचे, नीचे, टेढ़े-मेढ़े और आसमान छूते बहुरंगी इलेक्ट्रॉनिक झूले मन को शांति एवं साहस प्रदान करने वाले हैं. विशेषकर बच्चे और युवा इन झूलों से हर्षित और आनंदित होते हैं

The Royal Pavilion, Brighton

ब्राईटन में पहले रॉयल पवेलियन (The Royal Pavilion) या ब्राईटन पवेलियन देखा. इसका टिकट 12 पोंड है. यह सन 1815 में किंग जॉर्ज चतुर्थ (King George IV) के आवास के लिए इंडो-इस्लामिक स्टाईल में बनाया गया था. 1830 में गॉर्ज चतुर्थ की मृत्यु हो गई थी. उनके पश्चातवर्ती विलियम चतुर्थ भी यहाँ रहे परंतु बाद में रानी विक्टोरिया को यह आवास पसंद नहीं आया था. प्रथम विश्व युद्ध में यह पवेलियन मिलिटरी हॉस्पिटल में बदल दिया गया था. घायल भारतीय सैनिकों का यहा ईलाज किया जाने लगा. कोई 720 बेड बनाये गए और कोई 2300 घायल सैनिकों का इलाज किया गया. कहते हैं इनके खाने और रहने के लिए हिंदु, सिख और मुस्लिम धर्म के अनुसार व्यवस्था की गई थी. अगस्त 1915 को किंग जार्ज पंचम (King George V) यहाँ पधारे थे और भारतीय सैनिकों का सम्मान किया गया था. जनवरी 1916 में भारतीय सैनिकों के लिए यह अस्पताल बंद कर दिया गया था. रॉयल पवेलियन के बारे में अंग्रेजी में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गई है:

The Royal Pavilion, and surrounding gardens, also known as the Brighton Pavilion, is a former royal residence located in Brighton, England. Beginning in 1787, it was built in three stages as a seaside retreat for George, Prince of Wales, who became the Prince Regent in 1811, and King George IV in 1820. It is built in the Indo-Saracenic style prevalent in India for most of the 19th century. The current appearance of the Pavilion, with its domes and minarets, is the work of architect John Nash, who extended the building starting in 1815. George IV's successors William IV, and Victoria, also used the Pavilion, but Queen Victoria decided that Osborne House should be the royal seaside retreat, and the Pavilion was sold to the city of Brighton in 1850.

Indian Soldiers Memorial Brighton

भारतीय सैनिको का स्मारक, ब्राईटन (Indian Soldiers Memorial Brighton): प्रथम विश्व युद्ध में 8 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश सेना की तरफ से युद्ध लड़ा था. रॉयल पवेलियन में उपचार किए गए अधिकांश सैनिक ठीक हो गए थे परंतु 53 हिंदु और सिख सैनिकों का दाह संस्कार भारतीय परंपरा के अनुकूल ब्राईटन के निर्जन इलाक़े साउथ डाउन की पहाड़ी पर किया गया. उनकी अस्थियाँ इंग्लिश चैनल में विसर्जित की गई. इन सैनिकों की यादगार में यहाँ भारतीय स्टाईल की एक छतरी बनी हुई है. इस छतरी का लोकार्पण 1.2.1921 को एडवर्ड प्रिंस वेल्स द्वारा किया गया था. 20.8.1971 को इस छतरी का इंग्लिश हेरिटेज ग्रेड-2 का दर्जा दिया गया. 2018 के जून माह में शताब्दी समारोह का आयोजन छतरी स्थल पर किया गया और भारतीय सैनिकों के योगदान को याद किया. इस कार्य में श्री देवेंद्र सिंह ढीलों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. छतरी की स्थिति इस प्रकार है: The only access is from a path off a bridleway between the A27 Brighton Bypass at Patcham and the Clayton Windmills at the top of the Downs. The bridleway, which at that point runs along a ridge between Hogtrough Bottom and Deep Bottom, is part of the Sussex Border Path, and The Chattri is at the northern extremity of the City of Brighton and Hove, on the border with the Mid Sussex district of West Sussex. [1] [2]

Brief information about Brighton: Brighton is a seaside resort on the south coast of England which is 75 km south of London. Archaeological evidence of settlement in the area dates back to the Bronze Age, Roman and Anglo-Saxon periods. The ancient settlement of "Brighthelmstone" was documented in the Domesday Book (1086).

The first settlement in the Brighton area was Whitehawk Camp, a Neolithic encampment on Whitehawk Hill which has been dated to between 3500 BC and 2700 BC.[3] It is one of six causewayed enclosures in Sussex. Archaeologists have only partially explored it, but have found numerous burial mounds, tools and bones, suggesting it was a place of some importance.[4]

There was also a Bronze Age settlement at Coldean. Brythonic Celts arrived in Britain in the 7th century BC,[5] and an important Brythonic settlement existed at Hollingbury Camp on Hollingbury Hill. This Celtic Iron Age encampment dates from the 3rd or 2nd century BC and is circumscribed by substantial earthwork outer walls with a diameter of c. 300 m. Cissbury Ring, roughly 16 km from Hollingbury, is suggested to have been the tribal "capital".[6]

Later, there was a Roman villa at Preston Village, a Roman road from London ran nearby, and much physical evidence of Roman occupation has been discovered locally.[7] From the 1st century AD, the Romans built a number of villas in Brighton and Romano-British Brythonic Celts formed farming settlements in the area.[8]

After the Romans left in the early 4th century AD, the Brighton area returned to the control of the native Celts. Anglo-Saxons then invaded in the late 5th century AD, and the region became part of the Kingdom of Sussex, founded in 477 AD by king Ælle.[9]

Gallery of Images of Brighton-21.7.2018

References

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Chattri,_Brighton
  2. https://www.hindustantimes.com/world-news/unique-chattri-in-uk-is-site-of-homage-to-indian-ww1-soldiers/story-wFcEnHuaT34LTAmu63ajMM.html
  3. Carder, Timothy (1990). The Encyclopaedia of Brighton. Lewes: East Sussex County Libraries. ISBN 0-861-47315-9. §. 17
  4. "Whitehawk Camp". Brighton and Hove City Council.
  5. Carder, Timothy (1990). The Encyclopaedia of Brighton. Lewes: East Sussex County Libraries. ISBN 0-861-47315-9. §. 17
  6. "Information derived from National Trust".
  7. Carder, Timothy (1990). The Encyclopaedia of Brighton. Lewes: East Sussex County Libraries. ISBN 0-861-47315-9. §. 17
  8. Current Archaeology, 13 March 2014, "Archived copy".
  9. Anglo-Saxon Chronicle (Parker MS) (E-text)

चौधरी उमर महोता से चर्चा

23.7.2018: आज पाकिस्तान के चौधरी उमर महोता लंदन से मुझे मिलने के लिए बर्जेस हिल आए. वे Jatland.com वेबसाईट पर फोलोवर रहे हैं और मुस्लिम जाटों के इतिहास पर काम कर रहे हैं. उन्होंने महोता गोत्र का इतिहास उर्दू में लिखा है और बताया कि पाकिस्तान जब जायेंगे तो उसको छपवाएंगे. इसीलिये जाटलैंड पर महोता के इतिहास को, जो उन्होंने कई वर्ष पहले लिखवाया था, हाईड करने का आग्रह किया था. उन्होने पाकिस्तान के जाटों के बारे में काफी उपयोगी जानकारी बताई. जाट इतिहास पर काफी चर्चा हुई, सुबह 12 बजे से शाम 7 बजे तक वे मेरे साथ रहे. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के काफी जाट इंग्लैंड में रहते हैं, जो यहाँ की जनसंख्या का करीब 1 प्रतिशत हैं. पाक अधिकृत कश्मीर के मीरपुर जिले से मंगला बांध के विस्थापन से 60 के दशक में काफी लोग पाकिस्तान से आए थे जिनमें जाट काफी संख्या में थे. पाकिस्तान के जाटों का यहाँ ठीक-ठाक बोलबाला है. यहाँ पाक अधिकृत कश्मीर के दो सांसद अपर हाऊस में नामांकित हैं. उन्होने बताया कि लंदन में जाटों का एक संगठन बना हुआ है और समय-समय पर मिलन-समारोह और सांस्कृतिक कार्य-क्रम होते रहते हैं. उन्होने लंदन स्थित कुलदीप अहलावत से फोन पर बात कराई.

बर्जेस हिल के स्थानीय कार्यक्रम

31.7.2018: आजकल बर्जेस हिल के मार्टलेट में हमारे घर के नीचे ही बर्जेस हिल टाउन कोंसिल के सामने टाउन काउंसिल द्वारा एक कृत्रिम बीच रेत का बनाया गया है. यह सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है. इसमें शौर्य और खुशी को रोज ले जाते हैं. कोई दो घंटे तक रेत में खेलते रहते हैं. इसमें खिलौने और रेत की गतिविधियों को करने के लिये कई खिलौने वाले ट्रेक्टर, ट्रॉली, खुदाई और रेत उठाने के लिए क्रेन आदि खिलौने रखे जाते हैं. बच्चे खूब आनंद लेते हैं. अंग्रेज लौग इसमें बहुत रुचि रखते हैं. वे नियमित रूप से बच्चों को यहाँ लाते हैं. कुछ महीने के बच्चे को भी लाकर इसमें बिठाते हैं. जमीन से जुड़ने का अच्छा प्रयास है. यह पूरे समर सीजन 2 सितंबर तक चलेगा.

1.8.2018: आजकल रोज ही बर्जेस हिल लाईब्रेरी जाना होता है. शौर्य यहाँ बुक रीडिङ्ग प्रतियोगिता में भाग लेता है. रोज एक पुस्तक पढ़कर सुनानी होती है. पढ़ने को प्रोत्साहन का अच्छा प्रयास है. प्रलोभन भी दिया गया है कि अच्छे रीडर को मेडल मलेगा. कुल सात पुस्तकें पढ़नी होती हैं. शौर्य ने बुक रीडिङ्ग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता. इससे वह इतना खुश हुआ कि अगले 3-4 दिन तक मेडल गले में ही लगाये घूमा. यह गतिविधि वोलन्टीयर ग्रूप द्वारा मुफ्त में चलाई जाती हैं. उनके ही लोग रोज आकार मूल्यांकन करते हैं. पुस्तकालय में अच्छी गुणवत्ता की पुस्तकें मिलती हैं.

2.8.2018: आज सेंट जोन्स पार्क में काउंसिल की तरफ से बच्चों के लिए आयोजित मेले में भाग लिया. शौर्य और खुशी को ले गए. यह मुफ्त है. 11 बजे से तीन बजे तक था. बच्चों के लिए अनेक गतिविधियाँ थी. कुछ गतिविधियां स्वयं सेवकों द्वारा भी मुफ्त आयोजित थी. विदेशी भूमि पर भी लोगों को मुफ्त सेवा करते हुये देखना अच्छा लगा.

ग्रीनविच (Greenwich)

11.8.2018: ब्रजेस हिल (Burgess Hill) से ब्राइटन के लिए 7.30 पर Thameslink ट्रेन से रवाना हुआ. रिटर्न टिकट किराया 5.60 पॉन्ड. ब्राइटन (Brighton) इंग्लैंड के धुर दक्षिण में समुद्र के किनारे स्थित है. ब्राइटन में 1-मालबोरो प्लेस जो सेंट गैलस कालेज के सामने है वहाँ पहुँचा. यहाँ से डिस्कवरी-टूर की बस में ग्रीनविच और केमब्रिज यात्रा की टिकट बुक पहले से करली थी. टिकट 45 पॉन्ड का है. 8.45 बजे बस रवाना होती है और शाम 7.30 पर वापस छोडती है. हमारे साथ बस में गाइड मिस्टर एंड्रयू था. वह एक अच्छा आदमी है. बहुत तरीके से यात्रा में गाइड किया. रास्ते में उसने ब्राइटन का इतिहास भी बताया. ब्राइटन से रवाना होकर हम ब्लेक-हीथ (Blackheath) पहुँचे.

ब्राइटन का इतिहास: ब्राईटन में रॉयल पवेलियन या ब्राईटन पवेलियन सन 1815 में जॉर्ज चतुर्थ के आवास के लिए इंडो-इस्लामिक स्टाईल में बनाया गया था. 1830 में जॉर्ज चतुर्थ की मृत्यु हो गई थी. उनके पश्चातवर्ती विलियम चतुर्थ भी यहाँ रहे परंतु बाद में रानी विक्टोरिया को यह आवास पसंद नहीं आया था. प्रथम विश्व युद्ध में यह पवेलियन मिलिटरी हॉस्पिटल में बदल दिया गया था. घायल भारतीय सैनिकों का यहा ईलाज किया जाने लगा. कोई 720 बेड बनाये गए और कोई 2300 घायल सैनिकों का इलाज किया गया. कहते हैं इनके खाने और रहने के लिए हिंदु, सिख और मुस्लिम धर्म के अनुसार व्यवस्था की गई थी. अगस्त 1915 को किंग जार्ज पंचम यहाँ पधारे थे और भारतीय सैनिकों का सम्मान किया गया था.जनवरी 1916 में भारतीय सैनिकों के लिए यह अस्पताल बंद कर दिया गया था.

प्रथम विश्व युद्ध में 8 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश सेना की तरफ से युद्ध लड़ा था. रॉयल पवेलियन में उपचार किए गए अधिकांश सैनिक ठीक हो गए थे परंतु 53 हिंदु और सिख सैनिकों का दाह संस्कार भारतीय परंपरा के अनुकूल ब्राईटन के निर्जन इलाक़े साउथ डाउन की पहाड़ी पर किया गया. उनकी अस्थियाँ इंग्लिश चैनल में विसर्जित की गई. इन सैनिकों की यादगार में यहाँ भारतीय स्टाईल की एक छतरी बनी हुई है. इस छतरी का लोकार्पण 1.2.1921 को एडवर्ड प्रिंस वेल्स द्वारा किया गया था. 20.8.1971 को इस छतरी का इंग्लिश हेरिटेज ग्रेड-2 का दर्जा दिया गया. 2018 के जून माह में शताब्दी समारोह का आयोजन छतरी स्थल पर किया गया और भारतीय सैनिकों के योगदान को याद किया. देवेंद्र सिंह ढीलों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.

ब्राइटन में स्थित भारतीय सैनिकों की स्मारक छतरी पर अंकित शहीदों की सूची उपलब्ध नहीं हो पाई है. इनमें अधिसंख्य भारत और पाकिस्तान के जाट थे.

ब्लेक-हीथ (Blackheath): हमारी टूरिस्ट बस ग्रीनविच पार्क के दक्षिण के गेट पर रुकी. दक्षिण में ब्लेक-हीथ गाँव पड़ता है. ब्लेक-हीथ ग्रीनविच से 2.5 किमी दक्षिण में स्थित है. अब यह लंदन का हिस्सा है और दक्षिण-पूर्वी लंदन का एक जिला है. पूर्व में यह केंट (Kent) राज्य के अंतर्गत आता था. केंट पर जट (Jute) लोगों का शासन रहा है. इस तथ्य की पुष्टि जाट इतिहासकारों और पश्चिमी इतिहासकारों से होती है. जाटों का इंग्लैंड में इतिहास नीचे संक्षेप में दिया गया है.

जाटों का इंग्लैंड में इतिहास:

दलीप सिंह अहलावत[1] लिखते हैं: जूट्स, सेक्सन्स और एंगल्स लोग जर्मनी की एल्ब नदी के मुहाने और डेन्मार्क के तट पर रहते थे। ये लोग बड़े बहादुर थे। ये क्रिश्चियन धर्म के विरोधी थे। ब्रिटेन से रोमनों के चले जाने के बाद ब्रिटेन के लोग बहुत कमजोर और असहाय थे। इन लोगों पर स्काटलैंड के केल्टिक कबीलों, पिक्ट्स और स्काट्स ने हमला कर दिया। ब्रिटेन निवासियों की इसमें भारी हानि हुई। इनमें इतनी शक्ति न थी कि वे इन हमलों करने वालों को रोक सकें। इसलिए मदद के लिए इन्होंने जट लोगों को बुलाया। जट्स ने उसी समय ब्रिटिश सरदार वरटिगर्न (Vortigern) के निमन्त्रण को स्वीकार कर लिया। जटलैण्ड से जाटों की एक विशाल सेना अपने जाट नेता हेंगिस्ट और होरसा (Hengest and Horsa) के नेतृत्व में सन् 449 ई० में केण्ट (Kent) में उतर गई। इन्होंने पिक्ट्स और स्कॉट्स को हराया और वहां से बाहर निकाल दिया। उन्हें भगाने के बाद जाट ब्रिटेन के लोगों के विरुद्ध हो गये और उन्हें पूरी तरह से अपने वश में कर लिया और 472 ई० तक पूरे केण्ट पर अधिकार कर लिया। यहां पर आबाद हो गये। इसके अतिरिक्त जाटों ने अपना निवास व्हिट द्वीप में किया[2]

Alistair Moffat[3] writes...Vortigern is a title which is version of Vawr Tigherna, or Overlord, a Celtic description of a man who may have High King of southern Britain. Vortigern invited then Germanic Warriors of Horsa and Hengest, as the Picts of the North had been raiding in Britannia for at least a century - Gildas called them ‘transmarini’ - and the Vortigern or overlord needed mercenaries to contain them. It has been characterized as one of the most spectacular misjudgments in British history. The Anglo-Saxon Chronicle gives a more complete report of events:

449 AD: In this year Mauricius and Valentinian obtained the Kingdom and reigned seven years. In their days, Hengest and Horsa, invited by Vortigern, King of Britain, came to Britain at a place which is called Ypwines fleot (Ebbsfleet) at first to help the Britons, but later they fought against them. They then sent to Anglein, ordered them to send more aid and to be told off the worthlessness of the Britons and of the excellence of the Land. They then sent them more aid. These men came from three nations of Germany: from the Old Saxons, from the Angles, and from the Jutes.


Alistair Moffat[4] writes... The Vortigern wanted the Germanic warriors to go away from Britain. But they did not go. A Barbarians Rebellion flared in the South East, and it seems that three battles fought around London and Kent were lost by the British. The Germanic incomers seized more land and began to settle. Bede is clearest on the territory they took:

From the Jutes are descended the people of Kent and the Isle of Wight and those in the province of the West Saxons opposite the Isle of Wight who are called Jutes to this day.

From the Saxons - that is, the country now known as the land of the Old Saxons - came the East, South and West Saxons.

And from the Angles - that is, the country known as Angulus, which lies between the province of the Jutes and Saxons and is said to remain unpopulated to this day - are descended the east and the Middle Angles, the Mercians, all the Northumbrian stock (that is, those people living north of the River Humber), and other English peoples.

बलेक-हीथ नामकरण: बलेक-हीथ के नाम के बारे में कहते हैं यह नाम यहाँ की काली मिट्टी के खुले मैदान होने के कारण पड़ा है. पुरानी धारणा यह भी है कि 14 वीं शदी की काली-मौत या 1665 के प्लेग में हुई मौतों के नाम पर इसका नाम पड़ा हो. इन महामारियों में मारे गए लोगों को यहीं पर दफ़नाया जाता था. रोमन रोड जिसको बाद में वटलिंग स्ट्रीट नाम से जाना जाने लगा यह ब्लेक-हीथ के उत्तरी छोर से जाती है.

ग्रीनिच पार्क (Greenwich Park): ब्लेक-हीथ गाँव की तरफ के गेट पर बस ने छोड़ा और 12.45 बजे स्टोक्वेल स्ट्रीट पर मिलने का बताया. एक नक्शा भी दिया गया. यहाँ से ग्रीनिच पार्क के अंदर ब्लेक-हीथ एवेन्यू से रॉयल ओब्जरवेटरी ग्रीनिच (Royal Observatory, Greenwich) तक गए जो पहाड़ी की चोटी पर बनी है. ग्रीनविच पार्क, ग्रीनविच वर्ल्ड हेरिटेज साईट का हिस्सा है और 74 हेक्टर क्षेत्र में फैला हुआ है. यह अच्छा गार्डन है यहाँ चेस्ट-नट के बड़े-बड़े पेड़ लगे हुये हैं जो ब्रिटेन के अन्य बगीचों में भी बहुतायत से मिलते हैं.

ग्रीनविच : ग्रीनविच इंग्लैंड में दक्षिण-पूर्वी लंदन का एक भाग है. ऐतिहासिक रूप से सैंकड़ों वर्षों तह यह केंट काउंटी का भाग रहा[5] और 1889 से 1965 तक लंदन काउंटी का हिस्सा रहा.

रॉयल ओब्जर्वेटरी (Royal Observatory, Greenwich): ग्रीनिच पार्क में पहाड़ी के टॉप पर बनी है. जहाँ से टेम्स नदी और अनेक ऐतिहासिक भवन दिखाई देते हैं. रॉयल ओब्जर्वेटरी का ज्योतिष विज्ञान और नौका संचालन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रहा है. इसी ने ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) का नाम दिया है. लन्दन के शाही ग्रीनिच वेधशाला के माध्य सौर समय को ग्रीनिच माध्य समय (Greenwich Mean Time / GMT) माना गया है. यह वहाँ की मध्यरात्रि से आरम्भ होता है (अर्थात मध्यरात्रि को समय = ०) . यह 1675 में किंग चार्ल्स II द्वारा स्थापित की गई थी.

रॉयल ओब्जर्वेटरी के पास पर जनरल जेम्स वोल्फ स्टेच्यु (2.1.1727 – 13. 9.1759) लगी है. General James Wolfe ने 1959 में इंग्लैंड के क्यूबेक (Quebec) अभियान का नेतृत्व किया था. इस युद्ध में उनको बहुत प्रसिद्धि दिलाई थी और उनको मरणोपरांत ‘क्यूबेक का हीरो’ का खिताब मिला. क्यूबेक अभियान की सफलता ने मॉन्ट्रियल कनाडा पर विजय प्राप्त करने में सहायता की.

ग्रीनिच पार्क में रॉयल ओब्जर्वेटरी से नीचे की तरफ ठीक सामने रानी का भवन है और नेशनल मेरीटाइम म्यूजियम है. उनके पीछे ग्रीनविच हॉस्पिटल है. यहीं ग्रीनविच मार्केट है. टेम्स नदी का मुहाना यहाँ बहुत सुंदर है. इसमें काफी नाव चलती हैं.

टेम्स या थेम्स इंग्लैंड की एक प्रमुख नदी है. लंदन टेम्स नदी के किनारे बसा है. थेस्म कभी व्यस्त जलमार्ग हुआ करता था. यह चैल्थनम में सेवन स्प्रिंग्स से निकलती है और ऑक्सफ़र्ड, रैडिंग, मेडनहैड, विंड्सर, ईटन, लंदन जैसे शहरों से होती हुई 346 किलोमीटर की यात्रा पूरी करके इंगलिश चैनल में जा गिरती है. अठ्ठारहवीं शताब्दी में यह दुनिया का सबसे व्यस्त जल मार्ग हुआ करता था, यहाँ तक कि इसमें जहाज़ तक चला करते थे. अधिकांश विद्वानों का मानना है कि थेम्स शब्द कैल्टिक भाषा के तमस शब्द से बना जिसका अर्थ है काला या अंधकारमय. संस्कृत में भी तमस का यही अर्थ है.

ग्रीनविच फूट टनल (Greenwich foot tunnel): ग्रीनविच में Cutty Sark के पास एक व्रताकर गोल बिल्डिंग है जो ग्रीनविच फूट टनल का प्रवेश द्वार है. यह जनता के लिए 4 अगस्त 1902 को खोला गया था. यह ग्रीनविच को टेम्स नदी के उस पार उत्तर में स्थित Isle of Dogs को जोड़ता है. यह टनल टेम्स नदी के नीचे से Cutty Sark Garden और Island Gardens रास्ता प्रदान करती है. यह 1,217 फीट लंबी और 50 फीट गहरी है. इसका मूल उद्देश्य लंडन वासियों को Isle of Dogs के डोक्स में काम करने की सुविधा प्रदान करना था.

ग्रीनविच पार्क से टेम्स नदी तक की संरचनाओं को 1997 में मैरीटाइम ग्रीनविच (Maritime Greenwich) नाम से विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है.

ग्रीनिच (Greenwich) : ग्रीनिच वह जगह है जहाँ 0 डिग्री लोङ्गिट्यूड होता है इसलिए इसको ग्रीनिच मेरीडियन और ग्रीनिच मीन टाइम नाम से जाना जाता है. ग्रीनिच में रॉयल पैलेस बना है. यह कई Tudors, जिसमें प्रसिद्ध Henry VIII and Elizabeth I हैं, का जन्म स्थान है.

ग्रीनिच पूर्व नें केंट काउंटी का भाग था परंतु 1889 में लंडन काउंटी का हिस्सा हो गया था. 18वीं शती में ग्रीनविच का तेजी से विकास हुआ. Vanbrugh Castle का निर्माण 1717 में Maze Hill पर किया गया. रॉयल पैलेस 1443 में टेम्स नदी के किनारे हेनरी IV के समय में Humphrey, Duke of Gloucester ने बनवाया था. इसी स्थान पर बाद में ग्रीनविच हॉस्पिटल बना जो 1873 में रॉयल नवल कालेज बन गया. ओल्ड रॉयल नवल कालेज (Old Royal Naval College) में अब एक मेरी टाइम म्यूजियम (National Maritime Museum) बना है. यहाँ कट्टी शार्क (Cutty Sark) नाव का ढाँचा सुरक्षित किया हुआ है जो 2007 में आग से जलगई थी. अन्य भवन मेरीटाइम ग्रीनविच यूनिवर्सिटी (Greenwich Maritime University) के अधीन हैं.

ग्रीनिच यूनिवर्सिटी (Greenwich University): यह यूनिवर्सिटी आर्किटेचर, व्यापार, गणित , विज्ञान, अभियांत्रिकी, मानवविज्ञान, समाजविज्ञान, समुद्री विज्ञान, कम्प्यूटिंग आदि विषयों का अध्ययन करवाती है. वर्ष 2012 में इंग्लैंड में सबसे हरी-भरी यूनिवर्सिटी घोषित हुई है. यहाँ के पढ़े अनेक विद्यार्थियों ने विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमाया है. 2009 का भौतिकी का नोबल प्राइज़ यहाँ के Charles Kao को प्राप्त हुआ है.

ग्रीनिच के पश्चिमी हिस्से का विकास बहुत तेजी से हुआ परंतु पूर्वी हिस्सा विकसित नहीं है. औद्योगीकरण में विकास के लिए यहीं के मजदूर काम करते थे. इन दोनों को अलग करने वाली जमीन के अंदर से टेमस नदी के नीचे से गुजरने वाली ब्लेकवाल टनल (Blackwall Tunnel) है जो इंजीनियरिंग का नायाब उदाहरण है. इसी टनल के अंदर से हम लोग केम्ब्रिज के लिए रवाना हुये. रास्ते में दाईं तरफ लंदन स्टेडियम है जहाँ ऑलिंपिक गेम्स के समय बहुत काम किया गया है.

History: The ancient history of Greenwich is related with the ancient Jats. We give here the relevant part from History of Greenwich and its relation with Jat History.

The place-name 'Greenwich' is first attested in an Anglo-Saxon charter of 918, where it appears as Gronewic. It is recorded as Grenewic in 964, and as Grenawic in the Anglo-Saxon Chronicle for 1013. It is Grenviz in the Domesday Book of 1086, and Grenewych in the Taxatio Ecclesiastica of 1291. The name means 'green wic', indicating that Greenwich was what is known as a -wich town or emporium, from the Latin 'vicus'.[6]

Early settlement: Tumuli to the south-west of Flamsteed House,[7] in Greenwich Park, are thought to be early Bronze Age barrows re-used by the Saxons in the 6th century as burial grounds. To the east between the Vanbrugh and Maze Hill Gates is the site of a Roman villa or temple. A small area of red paving tesserae protected by railings marks the spot. It was excavated in 1902 and 300 coins were found dating from the emperors Claudius and Honorius to the 5th century. This was excavated by the Channel 4 television programme Time Team in 1999, broadcast in 2000,[8] and further investigations were made by the same group in 2003.[9]

Jat History: Dalip Singh Ahlawat[10] writes that Jat Blood flows in the people of England as the Celts, Jutes, Angles, Saxons and Danes were descendants of Scythian Jats. This is evident from Jat Clans surnames still prevalent in England though they follow Christianity. [11]

For more details on Jat history in England see see Saxons

Gallery of Images by Laxman Burdak of Greenwich, England, 11.8.2018

References

  1. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, pp.399
  2. आधार लेख - इंगलैण्ड का इतिहास पृ० 16-17, लेखक प्रो० विशनदास; हिस्ट्री ऑफ ब्रिटेन पृ० 21-22, लेखक रामकुमार लूथरा, अनटिक्विटी ऑफ जाट रेस, पृ० 63-66, लेखक: उजागरसिंह माहिल; जाट्स दी ऐन्शन्ट रूलर्ज पृ० 86 लेखक बी० एस० दहिया तथा जाट इतिहास अंग्रेजी पृ० 43, लेखक ले० रामसरूप जून
  3. Alistair Moffat: The British: A Genetic Journey, Birlinn, 2013,ISBN:9781780270753, p.173
  4. Alistair Moffat: The British: A Genetic Journey, Birlinn, 2013,ISBN:9781780270753, p.174
  5. John Bartholomew's Gazetteer of the British Isles, 1887: "Greenwich, parl. bor. and par., Kent, on river Thames"
  6. Eilert Ekwall, The Concise Oxford Dictionary of English Place-names, p. 204.
  7. Flamsteed House – designed and built by Sir Christopher Wren in 1675–76, was the home of the first Astronomer Royal, John Flamsteed, and the heart of Charles II's new Royal Observatory.
  8. "Roman remains". Royal Parks.
  9. "Greenwich London". Time Team. Channel 4. 2 February 2003.
  10. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, p.401
  11. Ujagar Singh Mahil: Antiquity of Jat Race, p.66-70

केमब्रिज (Cambridge)

Map of South-East England

11.8.2018: ग्रीनविच का भ्रमण पूरा होने के बाद दोपहर 1.30 बजे हम केम्ब्रिज के लिए रवाना हुये.

ग्रीनविच से केंब्रिज के रास्ते में ही लंदन का पूर्वी अंगलिया (East Anglia) जिला और हेर्टफोर्डशायर (Hertfordshire) जिले पड़ते हैं. यह भाग लगभग समतल है. यहाँ बड़े-बड़े खेत हैं और केवल अनाज का उत्पादन करते हैं. यहाँ पशु नहीं रखते हैं. इस समय फसल कट चुकी थी. कहीं-कहीं खेतों में हरयाली भी दिख रही थी परंतु काम करता हुआ कोई किसान नहीं दिखा. सभी काम आधुनिक तरीके से मशीनों से ही किए जाते हैं. कुछ खेतों के किनारे पर एक-एक मकान दिखाई देता है. कुछ खेतों में गोल बंडल दिखाई देते हैं जो बचे हुये डंठलों के प्रतीत होते हैं जिनको भी काम लिया जाता है. खेतों को फसल काटने के बाद जलाया नहीं जाता जैसा कि भारत में होता है. 2.30 बजे दोपहर हम केंब्रिज पहुँचे.

पूर्वी अंगलिया (East Anglia) जिले का नाम सुनकर मेरी रुचि इस जिले का इतिहास जानने की हुई. यह नाम एंगलो-सेक्सन्स नाम की जर्मन जातियों के नाम पर पड़ा है. अंगलिया नाम का एक प्रदेश जर्मनी में है.

The name Anglia derives from the Anglo-Saxon kingdom of the East Angles, a tribe whose name originated in Anglia, northern Germany. Anglia is a small peninsula within the larger Jutland (Cimbric) Peninsula in the region of Southern Schleswig, which constitutes the Northern part of the northernmost German federal state of Schleswig-Holstein, protruding into the Bay of Kiel of the Baltic Sea.

Anglia has a significance far beyond its current small area and country terrain, in that it is believed to have been the original home of the Angles, Germanic immigrants to East Anglia, Central and Northern England, and the Eastern Scottish Lowlands. This migration led to their new homeland being named after them, from which the name "England" derives. Both England and the English language, thus, ultimately derive at least their names from Anglia.

The region was home to the Germanic people, the Angles, some of whom, together with Saxons and Jutes, left their home to migrate to Britain in the 5th and 6th centuries. For the years 449-455, the Anglo-Saxon Chronicle, written around 890, describes how King Vortigern (a British tribal king) invited the Angles to come and receive land in return for helping him defend against marauding Picts. Those successful Angles sent word back that good land was available and that the British were 'worthless'. (In fact, the racial contempt of the Angles towards the Britons was an invention of the monk Gildas, who is part founder of this origin myth. His object was to vilify the decadence of the British leadership). A wholesale emigration of Angles and kindred German peoples followed.

The Chronicle, commissioned by King Alfred the Great, drew on earlier oral traditions and on the few written fragments available. The best of these, written around 730, was by the monk Bede whose history of English Christianity had the following brief account of the origin and distribution of the Angles:

“from the Angles, that is, the country which is called Anglia, and which is said, from that time, to remain desert to this day, between the provinces of the Jutes and the Saxons, are descended the East Angles, the Midland Angles, Mercians, all the race of the Northumbrians, that is, of those nations that dwell on the north side of the River Humber, and the other nations of the English”. ...— Bede's Ecclesiastical History of the English People, Book I, Chapter XV, 731 A.D.

The phrase "north of the Humber" refers to the northern kingdom of Northumbria, which includes what is now north and north-eastern England and part of southern Scotland. Mercia was located in central England and broadly corresponds to what is now known as the English Midlands.

This account can be related to the evidence of archaeology, notably the distribution of types of fibulae, or brooches, worn by the women. In essence, there are two kinds at issue, the saucer brooch and the cruciform brooch. East coastal and northern Britain were settled by women wearing cruciform brooches, which were in use in coastal Scandinavia, all of Denmark, and Schleswig-Holstein all the way south to the lower Elbe and all the way east to the Oder, as well as a pocket in coastal Friesland.

Later history: After the Angles departed from Anglia, by the 8th century the region was occupied by Danes. This is reflected in the large number of place names ending in -by (meaning -village) in the region today. In the 10th century, the chronicler Æthelweard reports that the most important town in Anglia was Hedeby.

Later Anglia's history is subsumed in that of the larger surrounding region, which came to be known as Southern Jutland or Schleswig (Danish: Slesvig). Until the 19th century, the area belonged primarily to Denmark. But, in terms of ethnic and linguistic heritage, a mixed German/Danish population evolved. Denmark lost Schleswig to Austria and Prussia in 1864 as a result of the Second Schleswig War. In 1920, following Germany's defeat in the First World War, a plebiscite was held to determine which areas should return to Danish control. As a result of the plebiscite, much of Schleswig returned to Denmark, but Anglia remained in Germany.

Anguliya (अंगुलीय) is a term mentioned by Panini in Ashtadhyayi (V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p. 130).

भारतीय संदर्भ की भी तलास की गई तो पाया कि अंगुलीय शब्द का उल्लेख पाणिनि की अष्टाध्यायी में भी हुआ है. इससे प्रतीत होता है कि पाणिनि के समय ये लोग उनकी जानकारी में थे.

ब्रिटेन पर जूट्स, सेक्सन्स एंगल्स की विजय (410 ई० से 825 ई०):

दलीप सिंह अहलावत (जाट वीरों का इतिहास,पृ. 399-401)[1] लिखते हैं: [p. 399] जूट्स, सेक्सन्स और एंगल्स लोग जर्मनी की एल्ब नदी के मुहाने और डेन्मार्क के तट पर रहते थे। ये लोग बड़े बहादुर थे तथा लूटमार किया करते थे। ये क्रिश्चियन धर्म के विरोधी थे।

ब्रिटेन से रोमनों के चले जाने के बाद ब्रिटेन के लोग बहुत कमजोर और असहाय थे। इन लोगों पर स्काटलैंड के केल्टिक कबीलों, पिक्ट्स और स्काट्स ने हमला कर दिया। ब्रिटेन निवासियों की इसमें भारी हानि हुई। इनमें इतनी शक्ति न थी कि वे इन हमलों करने वालों को रोक सकें। इसलिए मदद के लिए इन्होंने जूट लोगों को बुलाया। जूट्स ने उसी समय ब्रिटिश सरदार वरटिगर्न के निमन्त्रण को स्वीकार कर लिया। जटलैण्ड से जाटों की एक विशाल सेना अपने जाट नेता हेंगिस्ट और होरसा के नेतृत्व में सन् 449 ई० में केण्ट (Kent) में उतर गई। इन्होंने पिक्ट्स और स्कॉट्स को हराया और वहां से बाहर निकाल दिया। उन्हें भगाने के बाद जाट ब्रिटेन के लोगों के विरुद्ध हो गये और उन्हें पूरी तरह से अपने वश में कर लिया और 472 ई० तक पूरे केण्ट पर अधिकार कर लिया। यहां पर आबाद हो गये। इसके अतिरिक्त जाटों ने अपना निवास व्हिट (Wight) द्वीप में किया2

जटलैण्ड के जाटों की विजय सुनकर उनके दक्षिणवासी सेक्सन्स तथा एंगल्स भी ललचाये। सर्वप्रथम सेक्सन्स ब्रिटेन में पहुंचे और उन्होंने ऐस्सेक्स, मिडिलसेक्स और वेस्सेक्स नाम से तीन राज्य स्थापित किये। वहां पर इन्होंने कुछ बस्तियां आबाद कर दीं। ब्रिटेन की जनता ने बड़ी वीरता से सेक्सन्स का मुकाबला किया और 520 ई० में मोण्डबेडन ने उन्हें करारी हार दी। इस तरह से


  • . अधिक जानकारी के लिए इसी अध्याय में अद्भुत जाट विजेता अलारिक प्रकरण देखो।
1. इंगलैण्ड का इतिहास पृ० 7-9, लेखक प्रो० विशनदास; हिस्ट्री ऑफ ब्रिटेन पृ० 8-13, लेखक रामकुमार लूथरा।
2. आधार लेख - इंगलैण्ड का इतिहास पृ० 16-17, लेखक प्रो० विशनदास; हिस्ट्री ऑफ ब्रिटेन पृ० 21-22, लेखक रामकुमार लूथरा, अनटिक्विटी ऑफ जाट रेस, पृ० 63-66, लेखक उजागरसिंह माहिल; जाट्स दी ऐन्शन्ट रूलर्ज पृ० 86 लेखक बी० एस० दहिया तथा जाट इतिहास अंग्रेजी पृ० 43, लेखक ले० रामसरूप जून।


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-399


सेक्सन्स का बढ़ना कुछ समय के लिए रुक गया। परन्तु 577 ई० में डियोरहम की लड़ाई में सेक्सन्स ने केब्लिन के नेतृत्व में ब्रिटेन लोगों पर पूरी विजय प्राप्त कर ली तथा उनको अपना दास बनाए रखा। यह कामयाबी जूट्स (जाटों) की सहायता से हुई थी जिसके लिए सेक्सन्स ने उनसे मांग की थी1

अब प्रश्न पैदा होता है कि उन जूट्स (जाटों) का क्या हुआ जिन्होंने हेंगिस्ट और होरसा के नेतृत्व में ब्रिटेन के एक बड़े क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था और सेक्सन्स को सहायता देकर उनका ब्रिटेन पर अधिकार करवाया। इसका उत्तर यही हो सकता है कि ब्रिटिश इतिहासकारों ने इनके इतिहास को लिखने में पक्षपात किया है।

सेक्सन्स के बाद एंग्ल्स पहुंचे जो जूट्स और सेक्सन्स की तरह ही लड़ाके तथा लुटेरे थे। सन् 613 ई० में नार्थम्ब्रिया के एंग्ल राजा ने ब्रिटेन पर आक्रमण करके विजय प्राप्त की। इसके बाद इन्हीं एगल्स के नाम पर ब्रिटेन का नाम इंग्लैंड हो गया। ये एंगल्स लोग भी जाट थे जैसा कि पिछले पृष्ठों पर लिखा गया है। इंग्लैंड में रहने वालों को अंग्रेज कहा गया।

एंगल्स लोग संख्या में दूसरों से अधिक थे इसी कारण से ब्रिटेन को एंगल्स की भूमि एवं इंग्लैंड कहा गया। इस तरह से ब्रिटेन पर जूट्स, सेक्सन्स और एंगल्स का अधिकार हो गया। इसी को ब्रिटेन पर अंग्रेजों की जीत कहा जाता है। इन तीनों कबीलों ने अपने अलग-अलग राज्य स्थापित किए। जूट्स ने केण्ट (Kent); सैक्सन्स ने सस्सेक्स (Sussex), एस्सेक्स (Essex), वेसेक्स (Wessex) और एंगल्स ने ईस्ट एंगलिया (East Anglia), मर्शिया (Mercia) और नार्थम्ब्रिया (Northumbria) के राज्य स्थापित किये। ये सातों राज्य सामूहिक रूप से हेपटार्की कहलाते थे। परन्तु ये राज्य स्वतन्त्र नहीं थे। इन सातों में जो शक्तिशाली होता था वह दूसरों का शासक बन जाता था।

ऊपर कहे हुए तीनों कबीले संगठित नहीं थे। नॉरमनों ने जब तक इस देश को नहीं जीता, इंग्लैंड में शक्तिशाली केन्द्रीय राज्य की स्थापना नहीं हो सकी। इन कबीलों ने देश से क्रिश्चियन धर्म और रोमन सभ्यता को मिटा दिया। आधुनिक इंग्लैंड एंग्लो-सैक्सन्स का बनाया हुआ है। आधुनिक अंग्रेज किसी न किसी रूप में इंग्लो-सैक्सन्स के ही वंशज हैं।

अंग्रेज जाति की उत्पत्ति और बनावट के सम्बन्ध में दो प्रतिद्वन्द्वी सिद्धान्त हैं।

  1. पलग्रोव, पियरसन और सेछम आदि प्रवीण मनुष्य रोमन केल्टिक सिद्धान्त को मानते हैं। उनका यह विचार है कि आधुनिक इंग्लैंड में रोमन-केल्टिक रक्त और संस्थाएं मौजूद हैं।
  2. ग्रीन और स्टब्स जैसे दूसरे प्रवीन मनुष्य ट्यूटानिक सिद्धान्त को मानते हैं। उनका यह विचार है कि ट्यूटानिक अर्थात् जूट, एंगल, सैक्सन और डेन लोगों का रक्त और संस्थाएं बहुत कुछ आधुनिक इंग्लैंड में पाई जाती हैं। इन दोनों में से ट्यूटानिक सिद्धान्त अधिक माना जाता

1. आधार लेख - इंग्लैण्ड का इतिहास पृ० 16-17, लेखक प्रो० विशनदास; ए हिस्ट्री ऑफ ब्रिटेन पृ० 21-22, लेखक रामकुमार लूथरा; अनटिक्विटी ऑफ जाट रेस, पृ० 63-66, लेखक उजागरसिंह माहिल; जाट्स दी ऐन्शन्ट रूलर्ज पृ० 86 लेखक बी० एस० दहिया तथा जाट इतिहास अंग्रेजी पृ० 43, लेखक ले० रामसरूप जून।


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-400


है और आमतौर पर यह स्वीकार किया जाता है कि ब्रिटिश जाति मिले-जुले लोगों की जाति है। जिनमें ट्यूटानिक तत्त्व प्रधान है, जबकि केल्टिक तत्त्व भी पश्चिम में और आयरलैंड में बहुत कुछ बचा हुआ है1। इसका सार यह है कि इंगलैंड द्वीपसमूह के मनुष्यों की रगों में आज भी अधिकतर जाट रक्त बह रहा है। क्योंकि केल्टिक आर्य लोग तथा जूट, एंगल, सैक्सन और डेन लोग जाटवंशज थे। आज भी वहां पर अनेक जाटगोत्रों के मनुष्य विद्यमान हैं जो कि धर्म से ईसाई हैं।
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय

केम्ब्रिज जिला – केम्ब्रिज शहर लंदन से 80 किमी उत्तर में केम नदी (Cam River) पर केमब्रिजशायर जिले में स्थित है. केम नदी (Cam River) पर बने ब्रिज के कारण इसका नाम केम्ब्रिज (Cam+Bridge) पड़ा था. यह शहर केम्ब्रिजशायर काउंटी में पड़ता है. शहर के आगे ‘शायर’ लगाने से यह जिले को प्रदर्शित करता है.

केम्ब्रिज विश्वविद्यालय – कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (औमतौर पर केंब्रिज) इंग्लैंड के कैम्ब्रिज शहर में स्थित एक विश्वविद्यालय है। यह अंग्रेजीभाषी देशों में दूसरा सबसे पुराना और यूरोप में चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. वर्तमान समय में इसके साथ 31 कॉलेज, 100 विभाग, फैकल्टीज और सिंडिकेट और 6 स्कूल संबद्ध हैं.

1209 में शहरवासियों से हुए विवाद की वजह से आक्सफोर्ड को छोड़ निकले प्रबुद्धजनों के संगठन ने इस विश्वविद्यालय की नीव रखी थी. आक्सफोर्ड और केम्ब्रिज विश्वविद्यालय को संयुक्त रूप से आक्सब्रिज कहा जाता है. बिट्रिश संस्कृति और इतिहास में घुलेमिले दोनों विश्वविद्यालय के बीच प्रतिद्वंदिता का एक लंबा इतिहास है.

अकादमिक तौर पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय की गणना दुनिया के पांच सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में की जाती है. वर्ष 2009 तक इस विश्वविद्यालय की फेरहिस्त में 85 नोबल पुरस्कार विजेता शामिल हैं।

यहाँ कोई 25000 विद्यार्थी दुनिया भर से पढ़ने आते हैं. इसमें 120 विभिन्न देशों के 1000 अंतरराष्ट्रीय छात्र भी शामिल हैं. इसी केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में किंग्स कालेज चपल, केवेंडिश लेबोरेटरी और केम्ब्रिज विश्वविद्यालय लाईब्रेरी स्थित हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी लाईब्रेरी है. इसमें 1.5 करोड़ पुस्तकें संग्रहित हैं. केम्ब्रिज बायो-मेडिकल कैम्पस संसार के सबसे बड़े रिशर्च क्लस्टर में से एक है. केम्ब्रिज विश्वविद्यालय संसार का सबसे पुराना पब्लिशिंग हाउस है.

वर्ष 2017 में विश्व की दूसरी सबसे अच्छी रैंकिंग केम्ब्रिज विश्वविद्यालय की रही है. यहाँ के 116 लोग नोबल पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं.

Gallery of Images of Cambridge, England, 11.08.2022

References

स्टोन हेंज (Stonehenge)

Stonehenge World Heritage England Tour-19.8.2018

19.8.2018: आज ट्रेन से ब्राइटन (Brighton) के लिए 8.10 पर रवाना हुआ. बर्जेस हिल (Burgess Hill) से 7.45 बजे की ट्रेन के लिए रवाना हुआ था. स्टेशन पर ही पता लगा कि Thameslink ट्रेन आज निरस्त हो गई है. इसलिये अगली ट्रेन से जाना पड़ा. समय कम था परंतु ठीक 8.40 पर निर्धारित स्थान पर ब्राईटन पहुँच गया. रेल का रिटर्न टिकट किराया 5.60 पॉन्ड. ब्राइटन में रॉयल पविलियन के पास और विक्टोरिया गार्डन के सामने 1-मालबोरो प्लेस, जो सेंट गैलस कालेज के सामने है, वहाँ पहुँचा. रेल्वे स्टेशन से 1-मालबोरो प्लेस पहुँचने में रास्ता भटक गया था और सीधा समुद्र की तरफ पहुँचा तब ध्यान आया कि यह रास्ता तो गलत है. दुर्भाग्य से ऑनलाइन टिकट में संपर्क नंबर भी नहीं छपा था. समय बहुत कम रह गया था और भटकते हुये रॉयल पविलियन ब्राइटन का रास्ता कुछ लोगों से पूछकर अंतिम समय तक पहुँच गया. यहाँ से डिस्कवरी टूर की बस में स्टोन्हेंज (Stonehenge) और बाथ यात्रा की टिकट बुक पहले से करली थी. टिकट 50 पॉन्ड का है. 8.45 बजे बस रवाना होती है और शाम 8.30 पर वापस छोडती है. हमारे साथ बस में गाइड मिस्टर फेबियो था. वह एक अच्छा आदमी है. बहुत तरीके से यात्रा में गाइड किया. रास्ते में उसने सभी महत्वपूर्ण स्थानों का परिचय दिया. ब्राईटन से रवाना होकर रास्ते में जो स्थान पड़े वे थे:

Brighton (9.00) - HoveShorehamWorthing - Little Hampton - ArundelArun River - TangmereChichesterHavant - Portsmouth & Isle of Wight (Left) – FarehamMeon River - SouthmptonRomsev - New Forest National ParkTest River - AlderburySalisburyAvon River - Stonehenge (11.30-2.00) (Near Amesbury) – Warminster - Avon River - Bath (3.30-6.00) - Back to Brighton (9.30)

Arundel Castle was built by the Normans to protect that vulnerable fairly wooded plain to the north of the valley through the South Downs.
The Arun River runs through the eastern side of the Arundel town in a steep vale of the South Downs, West Sussex, England.

ब्राईटन से 9 बजे रवाना हुये. रास्ते में बायें तरफ समुद्र के किनारे काफी सुंदर बीच और पोर्ट दिखाई पड़ते हैं. ब्राईटन से 35 किमी दूरी पर रास्ते में अरुनडेल (Arundel) कस्बा पड़ता है जो ऐतिहासिक महत्व का है. यह अरुन नदी (Arun River) पर बसा हुआ है. नदी का नाम शुद्ध संस्कृत का जानकर सुखद आश्चर्य होता है. यहाँ नॉर्मन (Norman) लोगों का 1067 ई. का किला बना हुआ है. इस किले की स्थापना Roger de Montgomery, जो विलियम I या विजेता विलियम का भतीजा था, द्वारा क्रिसमस के दिन 1067 ई. में की गई थी. 11वीं सदी से इस किले पर पर ड्यूक ऑफ नोरफोक (Duke of Norfolk) का 400 साल तक कब्जा रहा था. नॉर्मन (Norman) लोगों को जाट इतिहासकारों ने जाट लिखा है जिस पर आगे विस्तार से प्रकाश डाला गया है.

इंगलैंड पर नॉरमन विजय (सन् 1066-1154): दलीप सिंह अहलावत[1] लिखते हैं: विकिंग्ज (Vikings) या नॉरमन्ज (Normans) - विकिंग्ज को नार्थमेन (Northmen) कहते थे क्योंकि वे नार्थ (उत्तर) में रहते थे। इनको संक्षेप में नॉरमन्ज (Normans) पुकारा जाने लगा। सन् 912 में इन नॉरमन्ज की एक बस्ती रोल्फ दी गेंजर (Rolf the Ganger) के अधीन फ्रांस के समुद्री किनारे पर नॉरमण्डी (Normandy) नामक थी। यह फ्रांस देश का एक प्रान्त है। डेन्ज (Danes), विकिंग्ज या नॉरमन सब जूट्स (Jutes) या जाट हैं। ये सब सीथियन जाटों के वंशज तथा उनके ही विभिन्न नाम हैं। अनटिक्विटी ऑफ जाट रेस पृ० 12-13 लेखक उजागरसिंह माहिल)।

दलीप सिंह अहलावत[2] लिखते हैं: स्केण्डेनेविया में रहने वाले जाटों को नार्थमेन-नॉरमन, विकिंग्स और डेन आदि नामों से पुकारा गया। वे बड़े बलवान् और उग्र थे। वे अपने जहाजों में ग्रीनलैण्ड व अमेरिका में भी पहुंचे। उन्होंने रूम सागर पर प्रभुता प्राप्त करके सिसिली और दक्षिणी इटली में भी एक राज्य स्थापित किया था। उनका एक दल रूस गया जहां पर एक राज्य स्थापित किया। इन लोगों का एक दल सन् 913 ई० में फ्रांस गया और वहां पर कुछ क्षेत्र विजय करके वहां के निवासी हो गये। इन लोगों के नाम पर वह क्षेत्र नॉरमण्डी कहलाया।

1066 ई० में साधु एडवर्ड की मृत्यु होने पर हेरोल्ड इंगलैण्ड का राजा बना। नॉरमण्डी (Normandy) के नॉरमन ड्यूक विलियम ने 1066 ई० में इंगलैण्ड पर आक्रमण कर दिया। राजा हैरोल्ड ने अपनी अंग्रेजी सेना के साथ नॉरमन सेना का मुकाबला किया। अन्त में 24 अक्तूबर, 1066 ई० में हेस्टिंग्स अथवा सेनलेक के स्थान पर नॉरमन सेना ने अंग्रेजी सेना को परास्त किया। हेरोल्ड बड़ी वीरता से लड़ा परन्तु उसकी आंख में तीर लगा जिससे वह रणक्षेत्र में वीरगति को प्राप्त हुआ। नॉरमण्डी के ड्यूक विलियम का वैस्टमिन्स्टर में इंगलैण्ड के राजा के रूप में राज्याभिषेक किया गया। [3]

उजागरसिंह माहिल ने इन नॉरमनों के विषय में लिखा है कि “नॉरमन और कोई नहीं थे बल्कि ये जटलैण्ड के जूट या जाट (Jute) थे जिन्होंने फ्रांस के उत्तरी समुद्री तट पर अधिकार कर लिया था। वे ह्रोल्फ दी गेंजर (Hrolf the Ganger) के नेतृत्व में उत्तरी फ्रांस पर उसी प्रकार टूट पड़े थे जिस प्रकार उनके पूर्वज हेंगेस्ट एवं होरसा (Hengist and Horsa ) बर्तानिया पर टूट पड़े थे। ह्रोल्फ ने सेन (Seine) नदी के डेल्टा के दोनों ओर के क्षेत्र को फ्राँस के राजा चार्ल्स-दी-सिम्पल से छीन लिया। फ्राँस के राजा ने नॉरमन नेता ह्रोल्फ से एक सन्धि 912 ई० में कर ली जिसके अनुसार इस समुद्री तट को राजा ने नॉरमनों को सौंप दिया और अपनी पुत्री का विवाह ह्रोल्फ से कर दिया। इस तरह से ह्रोल्फ पहला ड्यूक ऑफ नॉरमण्डी बन गया। इनका नाम नॉरमन पड़ने का कारण यह है कि ये लोग नॉरवे (Norway) और जटलैण्ड (Jutland) के उत्तरी भाग में रहते थे। विजेता विलियम इस ह्रोल्फ से सातवीं पीढ़ी में था।” [4]

1066 ई० में नॉरमनों द्वारा इंगलैण्ड को जीत लेने के पश्चात् बहुत से डेन तथा अंग्रेज लोगों को देश से बाहर निकाल दिया गया था. अंग्रेजों को अपने अधीन करने के लिए उनसे उनकी भूमियां जब्त कर लीं और वह नॉरमनों को दे दीं। इससे अमीर अंग्रेजों की शक्ति भंग हो गई तथा उनकी ओर से विरोध या विद्रोह का भय न रहा। उसने देशभर में किले बनवा दिये जिनमें नॉरमन सैनिक रखे ताकि वे अंग्रेजों के किसी भी विद्रोह को दबा सकें।[5]

विजेता विलियम एक चतुर और दूरदर्शी राजनीतिज्ञ था। उसने इंगलैंड की सम्पत्ति और आय के स्रोतों की जाँच करवाई। यह जाँच इतनी पूर्ण थी कि कोई भूमि, सड़क तथा पशु आदि ऐसा न था जिसे पुस्तक में दर्ज न किया गया हो। यह जाँच सन् 1086 ई० में सम्पूर्ण हो गई और इसे ‘डूम्स्डे’ नामक पुस्तक में दर्ज किया गया। इसी को “डूम्सडे पुस्तक” (Doomsday Book) कहते हैं। यह प्रत्येक भूपति के नाम और उसकी जायदाद का वर्णन करती है तथा 11वीं शताब्दी के इंगलैंड के हालात का बहुमूल्य अभिलेख (Record) है। इससे सरकार की आय भी निश्चित हो गई और सरदारों की शक्ति का भी ज्ञान हो गया। यह पुस्तक उस समय के इंगलैंड का सच्चा चित्र है.[6]

डोम्सडे पुस्तक, इंग्लैड का भूसर्वेक्षण संबंधी विवरण देनेवाली पुस्तक का नाम है। यह सर्वेक्षण सन् 1086 में विजेता विलियम के आदेश से उसके अफसरों द्वारा कराया गया था। इसका उद्देश्य भूमिकर तथा अन्य कर लगाने के इरादे से आवश्यक जानकारी एवं तथ्य एकत्र करना था। राजसत्ता के अधीन जमीन जायदाद का मूल्यांकन भी इसका लक्ष्य था। इसकी सहायता से विलियम को अपने सामंतों की धनसंपत्ति का तथा उनकी शक्ति का भी पता लग सकता था। यह दो खंडों में तैयार की गई थी। पहले खंड में अधिकांश इंग्लैंड की भूमियों, संपत्तियों, कृषकों, आदि का विवरण दिया गया है और दूसरे में केवल इसेक्स, सफोक तथा नारफोक नामक काउंटियों का ब्योरा है। कंबरलैंड, नार्दबर लैड तथा लंदन संबंधी विवरण छोड़ दिए गए हैं। उत्तर आंग्ल सैक्सन काल तथा नार्मन विजय के प्रारंभिक काल की भूमि संबंधी तथ्य प्राप्त करने के लिये यह विवरणी सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है।

विलियम प्रथम विजेता (b.1035-r.1066-1087 ई०). - विलियम विजेता द्वारा इंगलैण्ड की विजय तथा उसके वंशज राजाओं का शासन, इंगलैंड के इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। उत्तर में जटलैंड में रहने वाले पूर्वजों का वंशज विलियम विजेता एक जाट था। (Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, p.404)

Jutes in England

Havant के आगे बायें तरफ Isle of Wight पड़ता है. उल्लेखनीय है कि 472 ई० तक पूरे केण्ट पर अधिकार करने के बाद जाटों ने अपना निवास व्हिट द्वीप में किया था. इसका विवरण हमें दलीप सिंह अहलावत की पुस्तक से उपलब्ध होता है जो आगे दिया गया है.

ब्रिटेन पर जट्स, सेक्सन्स एंगल्स की विजय (410 ई० से 825 ई०) - दलीप सिंह अहलावत[7] लिखते हैं: जूट्स, सेक्सन्स और एंगल्स लोग जर्मनी की एल्ब नदी के मुहाने और डेन्मार्क के तट पर रहते थे। ये लोग बड़े बहादुर थे तथा लूटमार किया करते थे। ये क्रिश्चियन धर्म के विरोधी थे।

ब्रिटेन से रोमनों के चले जाने के बाद ब्रिटेन के लोग बहुत कमजोर और असहाय थे। इन लोगों पर स्काटलैंड के केल्टिक कबीलों, पिक्ट्स और स्काट्स ने हमला कर दिया। ब्रिटेन निवासियों की इसमें भारी हानि हुई। इनमें इतनी शक्ति न थी कि वे इन हमलों करने वालों को रोक सकें। इसलिए मदद के लिए इन्होंने जूट लोगों को बुलाया। जूट्स ने उसी समय ब्रिटिश सरदार वरटिगर्न के निमन्त्रण को स्वीकार कर लिया। जटलैण्ड से जाटों की एक विशाल सेना अपने जाट नेता हेंगिस्ट और होरसा के नेतृत्व में सन् 449 ई० में केण्ट (Kent) में उतर गई। इन्होंने पिक्ट्स और स्कॉट्स को हराया और वहां से बाहर निकाल दिया। उन्हें भगाने के बाद जाट ब्रिटेन के लोगों के विरुद्ध हो गये और उन्हें पूरी तरह से अपने वश में कर लिया और 472 ई० तक पूरे केण्ट पर अधिकार कर लिया। यहां पर आबाद हो गये। इसके अतिरिक्त जाटों ने अपना निवास व्हिट द्वीप में किया1

जटलैण्ड के जाटों की विजय सुनकर उनके दक्षिणवासी सेक्सन्स तथा एंगल्स भी ललचाये। सर्वप्रथम सेक्सन्स ब्रिटेन में पहुंचे और उन्होंने ऐस्सेक्स, मिडिलसेक्स और वेस्सेक्स नाम से तीन राज्य स्थापित किये। वहां पर इन्होंने कुछ बस्तियां आबाद कर दीं। ब्रिटेन की जनता ने बड़ी वीरता से सेक्सन्स का मुकाबला किया और 520 ई० में मोण्डबेडन ने उन्हें करारी हार दी। इस तरह से


1. आधार लेख - इंगलैण्ड का इतिहास पृ० 16-17, लेखक प्रो० विशनदास; हिस्ट्री ऑफ ब्रिटेन पृ० 21-22, लेखक रामकुमार लूथरा, अनटिक्विटी ऑफ जाट रेस, पृ० 63-66, लेखक: उजागरसिंह माहिल; जाट्स दी ऐन्शन्ट रूलर्ज पृ० 86 लेखक बी० एस० दहिया तथा जाट इतिहास अंग्रेजी पृ० 43, लेखक ले० रामसरूप जून


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-399


सेक्सन्स का बढ़ना कुछ समय के लिए रुक गया। परन्तु 577 ई० में डियोरहम की लड़ाई में सेक्सन्स ने केब्लिन के नेतृत्व में ब्रिटेन लोगों पर पूरी विजय प्राप्त कर ली तथा उनको अपना दास बनाए रखा। यह कामयाबी जूट्स (जाटों) की सहायता से हुई थी जिसके लिए सेक्सन्स ने उनसे मांग की थी1

अब प्रश्न पैदा होता है कि उन जूट्स (जाटों) का क्या हुआ जिन्होंने हेंगिस्ट और होरसा के नेतृत्व में ब्रिटेन के एक बड़े क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था और सेक्सन्स को सहायता देकर उनका ब्रिटेन पर अधिकार करवाया। इसका उत्तर यही हो सकता है कि ब्रिटिश इतिहासकारों ने इनके इतिहास को लिखने में पक्षपात किया है।

सेक्सन्स के बाद एंग्ल्स पहुंचे जो जूट्स और सेक्सन्स की तरह ही लड़ाके तथा लुटेरे थे। सन् 613 ई० में नार्थम्ब्रिया के एंग्ल राजा ने ब्रिटेन पर आक्रमण करके विजय प्राप्त की। इसके बाद इन्हीं एगल्स के नाम पर ब्रिटेन का नाम इंग्लैंड हो गया। ये एंगल्स लोग भी जाट थे जैसा कि पिछले पृष्ठों पर लिखा गया है। इंग्लैंड में रहने वालों को अंग्रेज कहा गया।

एंगल्स लोग संख्या में दूसरों से अधिक थे इसी कारण से ब्रिटेन को एंगल्स की भूमि एवं इंग्लैंड कहा गया। इस तरह से ब्रिटेन पर जूट्स, सेक्सन्स और एंगल्स का अधिकार हो गया। इसी को ब्रिटेन पर अंग्रेजों की जीत कहा जाता है। इन तीनों कबीलों ने अपने अलग-अलग राज्य स्थापित किए। जूट्स ने केण्ट (Kent); सैक्सन्स ने सस्सेक्स (Sussex), एस्सेक्स (Essex), वेसेक्स (Wessex) और एंगल्स ने ईस्ट एंगलिया (East Anglia), मर्शिया (Mercia) और नार्थम्ब्रिया (Northumbria) के राज्य स्थापित किये। ये सातों राज्य सामूहिक रूप से हेपटार्की कहलाते थे। परन्तु ये राज्य स्वतन्त्र नहीं थे। इन सातों में जो शक्तिशाली होता था वह दूसरों का शासक बन जाता था।

ऊपर कहे हुए तीनों कबीले संगठित नहीं थे। नॉरमनों ने जब तक इस देश को नहीं जीता, इंग्लैंड में शक्तिशाली केन्द्रीय राज्य की स्थापना नहीं हो सकी। इन कबीलों ने देश से क्रिश्चियन धर्म और रोमन सभ्यता को मिटा दिया। आधुनिक इंग्लैंड एंग्लो-सैक्सन्स का बनाया हुआ है। आधुनिक अंग्रेज किसी न किसी रूप में इंग्लो-सैक्सन्स के ही वंशज हैं।

अंग्रेज जाति की उत्पत्ति और बनावट के सम्बन्ध में दो प्रतिद्वन्द्वी सिद्धान्त हैं।

  1. पलग्रोव, पियरसन और सेछम आदि प्रवीण मनुष्य रोमन केल्टिक सिद्धान्त को मानते हैं। उनका यह विचार है कि आधुनिक इंग्लैंड में रोमन-केल्टिक रक्त और संस्थाएं मौजूद हैं।
  2. ग्रीन और स्टब्स जैसे दूसरे प्रवीन मनुष्य ट्यूटानिक सिद्धान्त को मानते हैं। उनका यह विचार है कि ट्यूटानिक अर्थात् जूट, एंगल, सैक्सन और डेन लोगों का रक्त और संस्थाएं बहुत कुछ आधुनिक इंग्लैंड में पाई जाती हैं। इन दोनों में से ट्यूटानिक सिद्धान्त अधिक माना जाता

1. आधार लेख - इंग्लैण्ड का इतिहास पृ० 16-17, लेखक प्रो० विशनदास; ए हिस्ट्री ऑफ ब्रिटेन पृ० 21-22, लेखक रामकुमार लूथरा; अनटिक्विटी ऑफ जाट रेस, पृ० 63-66, लेखक: उजागरसिंह माहिल; जाट्स दी ऐन्शन्ट रूलर्ज पृ० 86 लेखक: बी० एस० दहिया तथा जाट इतिहास अंग्रेजी पृ० 43, लेखक ले० रामसरूप जून


जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-400


है और आमतौर पर यह स्वीकार किया जाता है कि ब्रिटिश जाति मिले-जुले लोगों की जाति है। जिनमें ट्यूटानिक तत्त्व प्रधान है, जबकि केल्टिक तत्त्व भी पश्चिम में और आयरलैंड में बहुत कुछ बचा हुआ है1

इसका सार यह है कि इंगलैंड द्वीपसमूह के मनुष्यों की रगों में आज भी अधिकतर जाट रक्त बह रहा है। क्योंकि केल्टिक आर्य लोग तथा जूट, एंगल, सैक्सन और डेन लोग जाटवंशज थे। आज भी वहां पर अनेक जाटगोत्रों के मनुष्य विद्यमान हैं जो कि धर्म से ईसाई हैं।

इंग्लैंड के इतिहास में जाटों की भागीदारी

इंग्लैंड के इतिहास में जाटों की भागीदारी के उल्लेख से मुझे कुछ अधिक जानने की जिज्ञासा हुई. हाल ही में David G. Mahal (Extension Division, University of California, Los Angeles, Los Angeles, CA, United States ) और Ianis G. Matsoukas (School of Sport and Biomedical Sciences, University of Bolton, Bolton, United Kingdom) का एक अनुसंधान प्रकाशित हुई जो इस वेब एड्रैस पर उपलब्ध है. https://www.frontiersin.org/.../10.../fgene.2017.00121/full

कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय लॉस एंजिल्स के प्रोफेसर डेविड जी. महल द्वारा लिखित जाटों के पुरखों का इतिहास-डीएनए खुलासा का हिंदी अनुवाद हम आप सब से साझा कर रहे हैं। यह पुस्तक जाट इतिहास पर अब तक लिखी गयी सभी किताबों से हटकर डीएनए के अध्ययन व परीक्षण पर आधारित है।

प्रोफेसर डेविड महल लिखते हैं 'कुछ हजारों साल पहले, जाटों ने शुरूआती हिंदू पंथ को अपना धर्म मान लिया था। क्योंकि तब हिंदु पंथ के ठेकेदारें ने जाटों की वैदिक सम्भयता को अपने धर्म ग्रंथो में मान्यता दी थी! बाद में, उनमें से कुछ बौद्ध और जैन हो गए थे।

इस्लाम के ग्यारहवीं शताब्दी के आसपास उत्तरी भारत में पहुंचने के बाद, इस नए धर्म इस्लाम को भी जाटों ने अपना लिया था।

पंद्रहवीं सदी में सिख धर्म की स्थापना के बाद, कुछ हिंदू और मुस्लिम जाटों ने इस नए सिख धर्म को अपना लिया था ।

पिछले एक हजार वर्षों के दौरान जाट तीन अलग-अलग धर्म आधारित समुदायों: हिंदू, मुस्लिम, और सिखों में बंट गए हैं। कई जाट अपने अलग धर्म के बावजूद अभी भी अपने परिवार के गोत्र सरनेम के रूप में प्रयोग करते हैं जैसे- मान, गिल, बाजवा, चीमा, खोखर, तरार (तरड), खोजा, पुनियां, डूडी, गोदारा, सारण इत्यादि।

प्रोफ़ेसर डेविड आगे लिखते हैं 'भारत और पाकिस्तान में सभी हिंदू, मुस्लिम और सिख जाटों की कुल आबादी का अनुमान 123 मिलियन लोगों के आसपास है। यह संख्या फ्रांस, स्पेन और पुर्तगाल की कुल आबादी के बराबर है।'

प्रो डेविड ने पंजाब और हरियाणा के जाटों के अलावा भारत और पाकिस्तान के विभिन्न जातीयों व समुदायों के डीएनए सर्वेक्षण कर अपनी पुस्तक में निष्कर्ष निकाला है। उनके पास जाटों के मुख्यत छ: हैप्लोग्रुप - ई, जी, जे, एल, क्यू और आर हैं। और उनके मार्कर्स हैं : एम-96, एम -201, एम-304, एम-11, एम-242, एम-207। इन हैप्लोग्रुप व मार्करस के नमूनों के आधार पर, उन्होंने जाटों की उत्पत्ति - साइबेरिया, रूस, कजाकसतान (उत्तर एशिया), मध्य एशिया व नारथन यूरोप- उज़बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, जर्मनी, युक्रेन, ईरान, ईराक़ व पशिचमी चीन तक (कैस्पियन सागर से पश्चिमी चीन के बोर्डर) पम्मीर नॉट क्षेत्र- ताजिकिस्तान, किरगिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान (हिंदू कुश, तिआन शान, हिमालय), स्कैंडिनेवियाई - जर्मनी, स्वेडन, डेनमार्क, मध्य पूर्व के पूर्वी किनारे- तुर्की, सीरिया, जर्मनी और उपजाऊ क्रेसेंट- तुर्की, लेबनान, इज़रायल, जोरडन (मेसोपोटामिया, भूमि और टाइगरिस और यूफ्रेट्स नदियों के आसपास) को माना हैं।

विश्व-विरासत स्थल स्टोन्हेंज (World Heritage Site Stonehenge)
Laxman Burdak at Stonehenge, a prehistoric monument in Wiltshire, England, 3 km west of Amesbury

19.8.2018 को 11.30 पर विश्व-विरासत स्थल स्टोन्हेंज (Stonehenge) पहुँच कर गाइड फेबीओ द्वारा पूरे ग्रूप के टिकट विजिटर सेंटर से व्यक्तिगत लेकर दिये और साथ में एक आडिओ उपकरण भी दिया जो स्थल का पूरा विवरण देता है. यहाँ पहले सेंटर की बस से पत्थरों वाले स्थान पर जाना होता है. स्थल विजिटर सेंटर से कोई 2 किमी दूर है और वहाँ टूरिस्ट बसें और कार नहीं जाने दिये जाते हैं ताकि पत्थरों पर प्रदूषण का विपरीत प्रभाव नहीं पड़े. यहाँ से उनकी बसों से ही आना-जाना पड़ता है.

स्थल के पत्थरों को कोई छूए नहीं इसके लिए तार से एक गोल घेरा बना दिया है इसलिये अब दूर से ही देखना होता है. स्थल पर कई मार्क अंकित हैं और वह नंबर उपकरण में दबाने पर पूरा विवरण सुनाया जाता है. यह आश्चर्य ही है और रहस्य बना हुआ है कि कैसे लोगों ने ये पत्थर लाकर तरासे और यह अद्भुत गोलाकार संरचना तैयार की. यह पत्थर आस-पास नहीं मिलता है. यह अनुमान लगाया जाता है कि खदान पर पत्थर तरास कर लकड़ी के राफ्टरों से यहाँ लाया गया हो. इसके नमूने के लिए विजिटर केंद्र पर एक पत्थर भी इस ढंग से राफ्टरों पर रखा गया है. साथ ही तीन घास-फूस से छाए झोंपड़े भी बने हैं जो राजस्थान के पुराने झोंपड़ों से मिलते हैं. हर पत्थर कोई 13 फीट ऊँचा और 7 फीट चौड़ा है. वजन कोई 25 टन है.

यह स्मारक सारसेन स्टोन के बने हुये हैं. Sarsena is a large village in Wair tahsil of district Bharatpur in Rajasthan. It is inhabited by Sinsinwar Jats. It is a matter of research why there is similarity of names?

विजिटर सेंटर के कार पार्किंग स्थल के पास 2013 में एक पेड़ खुदाई में निकला था जो 8000 बीसी का है. यहाँ मिली हड्डियों से अनुमान लगाया गया है कि ये बरियल ग्राउंड रहे हैं.8000 बीसी से प्रारंभ यह संरचना अद्भुत है. 3500 बीसी से यहाँ खेती का काम शुरू हो गया था. यह अनुमान है कि यह संरचना 3000-2000 बीसी के बीच निर्मित हुई है. अंतिम संरचना 1600 बीसी की है. सबसे पुराना ढाँचा 3100 बीसी का पाया गया है. यह शौध का विषय है कि 3102 बीसी का संबंध क़ृष्ण से है तो क्या उनके वंशजों का कभी इधर आने के संकेत कहीं मिलते हैं.

एक अनुमान के अनुसार अवोन नदी (Avon River) से मृतकों की अंतिम यात्रा शुरू कर इस स्थान तक आकर यहाँ अंतिम संस्कार किया जाता था. यह दूसरा अनुमान है कि किसानों को खेती में सहायता के लिए क्रॉप पैटर्न के ज्ञान के लिए ये संरचनाएं शुरू की गई हों. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि ये स्थान शांति-स्थल थे और इनका उपयोग स्वास्थ्य सुधार के लिए किया जाता था.

विश्व विरासत स्थल स्टोन्हेंज का कृष्ण और उनके वंशज जाटों से संबंध:

स्टोन्हेंज की संरचनाओं की तिथियाँ जाटों के इतिहास से मेल खाती हैं. 8000 बीसी यहाँ पाये गए सबसे पुराने पेड़ का कार्बन डेटिंग काल है. यही काल जाटों के पश्चिम में अभिगमन का काल है.

Hukum Singh Panwar (Pauria)[8] writes... The fact, that a number of Saka (Scythian) tribes migrated from Sapta Sindhu and central Asia to the New World between 8000 to 12000 years ago, indubitably establishes the truth that the Old World was their cradle at that time. But, unfortunately, the ancient Greek, Roman and Byzantine writers, and the subsequent European and Indian historians who followed them, do not stipulate the antiquity of these people earlier than, at the most, 2500 B.C. To suspect, however, as a few scholars do, that so far as the antiquity of the Sakas (Sacae or Scythians) is concerned, the) might have been the victim of a 'conspiracy of silence' of the ancient chroniclers and their disciples, will be very unfair to them. All in all, we may say that these writers on the Scythians (Sakas or Sacae or Getae) did not have the benefit of the evidence which, consequent upon the latest researches in various sciences, is available to present students of the subject to determine the antiquity and migrations of these adventurous people. It is, perhaps, Waddell, followed by Calvin Kephart, Bridget Allchins, Siddhartha and Purushottam Singh who drew directly or indirectly our attention for the first time to the honourable antiquity of the Sakas or Getae and their migrations. Kephart even goes to the extent of saying that these people, after moving from higher reaches of the Indus river (Sapta Sindhu) to the fertile valley of the Oxus, gave their name Gete to it in circa 8000 B.C. and became the progenitors of the White (Nordic or Aryan) race.

यहाँ की अंतिम संरचना 1600 बीसी की है. सबसे पुराना ढाँचा 3100 बीसी का पाया गया है. यह महाभारत काल को प्रदर्शित करता है. किसानों को खेती में सहायता के लिए क्रॉप पैटर्न के ज्ञान के लिए ये संरचनाएं शुरू की गई थी. ये तथ्य कृष्ण और उनके वंशज जाटों के इस भूभाग में भूतकाल में निवास करने के संकेत करते हैं.

महाभारत में उल्लेख मिलता है कि जरासंध और कालयवन ने जब मथुरा पर आक्रमण कर आतंक बढ़ा दिया तो कृष्ण ने अपने 18 वृष्णि कुलों के साथ द्वारका के लिए प्रस्थान करने का निर्णय लिया. [9]

श्री कृष्ण ने गुजरात के समुद्र के बीचों बीच द्वारिका नाम की राजधानी बसाई थी। द्वारिका पूरी सोने की थी और उसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था। इससे यह ज्ञात होता है कि वे वास्तुकला में निपुण थे.

द्वारका की रचना का मूल कारण कालयवन और जरासंध से त्रस्त यदुवंशियों की रक्षा करना और सुदूर रहकर महाभारत युद्ध सञ्चालन करना था; परन्तु साथ ही दुनिया के अन्य देशों से वैदेशिक सम्बन्धों का सुदृढ़ीकरण, आवागमन, आयात-निर्यात, व्यापर आदि तथ्यों का ध्यान रखा गया प्रतीत होता है। क्योंकि प्रारम्भ से ही यह अरब देशों से भारत में प्रवेश द्वार का काम करता था. युधिष्ठिर ने कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ को शूरसेन देश का राजा बनाया। बड़े होने पर वज्रनाभ द्वारका आ गए और उन्होंने अपने दादा कृष्ण की स्मृति में त्रैलोक्य सुन्दर विशाल मंदिर का निर्माण कराया। [10]

श्री कृष्ण को ज़रा नाम के शिकारी का बाण उनके पैर के अंगूठे मे लगा वो शिकारी पूर्व जन्म का बाली था, बाण लगने के पश्चात भगवान स्वलोक धाम को गमन कर गए।

ठाकुर देशराज[11] ने जाटों के पश्चिम तरफ बढ़ने के संबंध में प्रकाश डाला है ....उत्तरोत्तर संख्या वृद्धि के साथ ही वंश (कुल) वृद्धि भी होती गई और प्राचीन जातियां मे से एक-एक के सैंकड़ों वंश हो गए। साम्राज्य की लपेट से बचने के लिए कृष्ण ने इनके सामने भी यही प्रस्ताव रखा कि कुल राज्यों की बजाए ज्ञाति राज्य कायम कर डालो। ....द्वारिका के जाट-राष्ट्र पर हम दो विपत्तियों का आक्रमण एक साथ देख कर प्रभास क्षेत्र में यादवों का आपसी महायुद्ध और द्वारिका का जल में डूब जाना। अतः स्वभावतः शेष बचे जाटों को दूसरी जगह तलाश करने के लिए बढ़ना पड़ा। वज्र को तो पांडवों ने ले जाकर मथुरा का राजा बना दिया। लेकिन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के आठ पटरानियों से 17 पुत्र थे। पुराण अन्य रनियों से 80800 पुत्र बताते हैं। खैर हम 17 को ही सही मान कर चलते हैं। इनमें से दो चार तो बच्चे ही होंगे। ये लोग पूर्व-दक्षिण की ओर तो बढ़ नहीं सकते थे। क्योंकि साम्राज्य का हौआ दक्षिण से ही बढ़ रहा था। दूसरे उधर आबादी भी काफी थी। अतः पश्चिम उत्तर की ओर बढ़े।

पश्चिमी देशों में कृष्ण और उनके जाट वंशज गोत्रों का नाम प्रचलित है। ऊपर दलीप सिंह अहलावत ने ब्रिटेन पर जट्स, सेक्सन्स एंगल्स की विजय (410 ई० से 825 ई०) का वर्णन किया है.

प्रो डेविड ने पंजाब और हरियाणा के जाटों के अलावा भारत और पाकिस्तान के विभिन्न जातीयों व समुदायों के डीएनए सर्वेक्षण कर अपनी पुस्तक में निष्कर्ष निकाला है कि इंग्लैंड, स्कैंडिनेविया - जर्मनी, स्वेडन, डेनमार्क, आदि देशों में जाट डीएनए पाया गया है.

यह स्मारक सारसेन स्टोन के बने हुये हैं. Sarsena is a large village in Wair tahsil of district Bharatpur in Rajasthan. It is inhabited by Sinsinwar Jats. It is a matter of research why there is similarity of names?

इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विश्व विरासत स्थल स्टोन्हेंज में कृष्ण और उनके वंशज जाट पहुँचे हैं और यहाँ खेती की परंपरा शुरू की. स्टोनहेञ्ज का अंग्रेजी में संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है:

A Brief Introduction of Stonehenge : Stonehenge is a prehistoric monument in Wiltshire, England, 3 km west of Amesbury. It consists of a ring of standing stones, with each standing stone around 13 feet high, 7 feet wide and weighing around 25 tons. The stones are set within earthworks in the middle of the most dense complex of Neolithic and Bronze Age monuments in England, including several hundred burial mounds. Archaeologists believe it was constructed from 3000 BC to 2000 BC. The surrounding circular earth bank and ditch, which constitute the earliest phase of the monument, have been dated to about 3100 BC. Radiocarbon dating suggests that the first bluestones were raised between 2400 and 2200 BC, although they may have been at the site as early as 3000 BC. One of the most famous landmarks in the United Kingdom, Stonehenge is regarded as a British cultural icon.

The site and its surroundings were added to UNESCO's list of World Heritage Sites in 1986. Stonehenge is owned by the Crown and managed by English Heritage; the surrounding land is owned by the National Trust.

Stonehenge could have been a burial ground from its earliest beginnings. Deposits containing human bone date from as early as 3000 BC, when the ditch and bank were first dug, and continued for at least another five hundred years.

Theories about Stonehenge: Stonehenge was produced by a culture that left no written records. Many aspects of Stonehenge, such as how it was built and which purposes it was used for, remain subject to debate. A number of myths surround the stones. The site, specifically the great trilithon, the encompassing horseshoe arrangement of the five central trilithons, the heel stone, and the embanked avenue, are aligned to the sunset of the winter solstice and the opposing sunrise of the summer solstice. A natural landform at the monument's location followed this line, and may have inspired its construction. The excavated remains of culled animal bones suggest that people may have gathered at the site for the winter rather than the summer. Further astronomical associations, and the precise astronomical significance of the site for its people, are a matter of speculation and debate.

दोपहर बाद में इंग्लैंड के एक दूसरी वर्ल्ड हेरिटेज स्थल – बाथ का प्रवास किया जिसका विवरण आगे दिया गया है.

Gallery of Images of Stonehenge, England, 19.8.2018

References

  1. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV,p.321
  2. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, pp.403-410
  3. आधार लेख - इंगलैण्ड का इतिहास पृ० 40 से 43, 40, 49, लेखक प्रो० विशनदास; ए हिस्ट्री ऑफ ब्रिटेन पृ० 32-H से 32-O, 32-S से 32-T लेखक रामकुमार लूथरा।
  4. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV,p.403
  5. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV,pp.406-407
  6. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV,p.407
  7. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, pp.399-401
  8. The Jats:Their Origin, Antiquity and Migrations/The migrations of the Jats to the North-Western countries, p.282
  9. Sister Nivedita & Ananda K.Coomaraswamy: Myths and Legends of the Hindus and Bhuddhists, Kolkata, 2001 ISBN 81-7505-197-3
  10. दिव्य द्वारका, प्रकाशक: दण्डी स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती जी, सचिव श्रीद्वारकाधीश संस्कृत अकेडमी एण्ड इंडोलॉजिकल रिसर्च द्वारका गुजरात, पृ.13
  11. Thakur Deshraj: Jat Itihas (Utpatti Aur Gaurav Khand)/Navam Parichhed,pp.147-150

बाथ शहर (Bath City)

Bath City England – World Heritage Site, Tour 19.8.2018
Location of Bath

19.8.2018: आज मैं मेरे इंग्लैंड प्रवास के दौरान दिनांक 19.8.2018 को देखे गए विश्व धरोहर शहर बाथ का वर्णन करता हूं. 19.8.2018 को सुबह इंग्लैंड के स्टोनहेञ्ज (Stonehenge) नामक वर्ल्ड हेरिटेज साईट का भ्रमण किया था. उसी दिन 19.8.2018 को ही दोपहर बाद में इंग्लैंड के एक दूसरी वर्ल्ड हेरिटेज साईट – बाथ शहर का प्रवास किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है. यह वहाँ के इतिहास और संस्कृति से अवगत कराती है. हमें ध्यान रखना चाहिए कि शहर की सुंदरता केवल भवनों और सड़कों से ही नहीं रह सकती बल्कि वहाँ के निवासियों के रहन-सहन और व्यवहार से भी दिखती है.

19.8.2018: ट्रेन से ब्राइटन (Brighton ) के लिए 8.10 पर रवाना हुआ. ब्राईटन से रवाना होकर रास्ते में जो स्थान पड़े वे थे: Brighton (9.00) - Hove – Shoreham – Worthing - Little Hampton - ArundelArun River - Tangmere – Chichester – Havant - Portsmouth & Isle of Wight (Left) – Fareham – Meon River - Southmpton – Romsev - New Forest National Park – Test River - Alderbury – SalisburyAvon River - Stonehenge (11.30-2.00) (Near Amesbury) – Warminster - Avon River - Bath (3.30-6.00) - Back to Brighton (9.30)

Laxman Burdak at Bath Abbey— in Bath, Somerset.

विश्व-धरोहर शहर बाथ: स्टोनहेंज से 2 बजे रवाना होकर 3.30 बजे बाथ शहर पहुँचे. यह स्टोनहेञ्ज से 48 किमी की दूरी है. आब्बे होटल के पास आवोन नदी (Avon River) के किनारे बस स्टैंड पर कोच को खड़ा कर शहर का भ्रमण कराया. गाइड फेबियों ने ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी दी. यह शहर सोमरसेट काउंटी (Somerset) में स्थित है और रोमन बाथ के लिए प्रसिद्ध है. शहर को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है. आवोन नदी की घाटी में गरम पानी के झरने के स्थान को रोमन लोगों ने 60 ई. में मंदिर बनाकर स्वास्थ्य लाभ के लिए विकसित किया. शहर की यह विशेषता है कि यहाँ सभी भवन बाथ में उत्खनन कर इसी शहर के नाम से प्रसिद्ध पत्थर से बनाये गए. शहर के ही रहने वाले दो नामी पिता-पुत्र अर्चिटेक्ट जॉन वुड सीनियर और जॉन वुड जूनियर ने प्लान किया था. यह जार्जियन आर्किटेक्चर नाम से विख्यात है. प्रसिद्ध लेखिका और उपन्यासकार जेन औस्टीन (Jane Austen) (1775 – 1817) भी यहाँ रहे हैं. उनके नाम का बाथ शहर में एक भवन है. उनकी कृतियाँ हैं: Sense and Sensibility (1811), Pride and Prejudice (1813), Mansfield Park (1814) and Emma (1816), Northanger Abbey and Persuasion, (1818), Sanditon,

बाथ में कई म्यूजियम हैं उनके नाम: Museum of Bath Architecture, Victoria Art Gallery, Museum of East Asian Art, Herschel Museum of Astronomy , Holburne Museum.

Palladian Pulteney Bridge and the weir on Avon River at Bath England — in Bath, England.

आवोन नदी (Avon River) की घाटी में बसा शहर बहुत ही सुंदर है. Avon, Welsh word Afon का सहार्थी शब्द है जिसका मतलब है 'नदी'. बाथ आब्बे और रोमन बाथ के सामने के चौक में हमेशा मनोरंजन का काम चलता रहता है. बाथ आब्बे एक नॉर्मन चर्च है जो पहले की रोमन संरचना को दबा कर उसके ऊपर 16 वीं शदी में बनाया गया है. इसके बायें तरफ रोमन बाथ है. वर्तमान में रोमन बाथ भवन ही एक मात्र रोमन साम्राज्य की निशानी शेष है. बाथ आब्बे के पूर्व में और आवोन नदी के बीच में परेड गार्डन (Parade Garden) है जिसमे बोटिंग भी कराते हैं. प्रवेश शुल्क 2 पॉन्ड है. यार्क स्ट्रीट से होकर बाथ आबे के गेट केसामने आते हैं.इसके आगे बाईं तरफ रोमन बाथ है. सामने primark है. वूड स्ट्रीट से होकर क्वीन स्क्वायर आते हैं. आगे हाल अँड वूड हाउस है. गे स्ट्रीट पर जेन औस्टीन केंद्र है. आगे एक सरकल पर बड़े-बड़े प्लेन-ओक (Plain Oak) के कई पेड़ लगे हुये हैं. फिर रॉयल क्रेसेंट (Royal Crescent) देखते हैं. यहाँ की प्रसिद्ध कालोनी है. यहाँ चंद्राकार संरचना में 360 भवन एक जैसे बने हुये हैं. यहाँ सभी भवन जेम्स वूड आर्किटेक्ट के ही डीजाईन किए हुए हैं. वर्ष 1767-1774 के बीच निर्मित हुये हैं. हर भवन पाँच मंजिल का है. सभी भवन आपस में जुड़े हुये हैं. खिड़कियां सभी आयताकार ही होती हैं. भवन में रोमन पिल्लर अनिवार्य हैं. सामने एक प्राईवेट पार्क है जिसमें केवल यहाँ के निवासी ही आ सकते हैं. पास में ही विक्टोरिया गार्डन है. आवोन नदी पर 1770 में neoclassical architect Robert Adam ने Pulteney Bridge, William Pulteney, के नाम से बनाया था जो Bathwick estate का मालिक था. Georgian city के मध्य में रोमन बाथ के पास ही रोमन पंप रूम है (Pump Room). अन्य भवन और म्यूजियम जो देखने लायक हैं उनमें - Victoria Art Gallery, Museum of East Asian Art, Holburne Museum, Bath Postal Museum, the Fashion Museum, the Jane Austen Centre, the Herschel Museum of Astronomy.

A brief History of Bath City

A brief History of Bath City in English is as under: Bath (बाथ) is city in the county of Somerset, England, known for its Roman-built baths. The city became a World Heritage Site in 1987. In 2011, the population was 88,859. Bath is in the valley of the River Avon, 156 kms west of London and 18 km south-east of Bristol. The city is located on Avon River. The name 'Avon' is a cognate of the Welsh word afon, meaning 'river'. River Avon, Bristol, running from Acton Turville to Avonmouth. There are number of rivers by this name in the world.

The city became a spa with the Latin name Aquae Sulis ("the waters of Sulis") c. 60 AD when the Romans built baths and a temple in the valley of the River Avon, although hot springs were known even before then.

Solsbury Hill overlooking the current city was an Iron Age hill fort, and the adjacent Bathampton Camp may also have been one. A long barrow site believed to be from the Beaker people was flattened to make way for RAF Charmy Down.

Bath Abbey was a Norman church built on earlier foundations. It was founded in the 7th century and became a religious centre; the building was rebuilt in the 12th and 16th centuries. In the 17th century, claims were made for the curative properties of water from the springs, and Bath became popular as a spa town in the Georgian era. Georgian architecture, crafted from Bath stone, includes the Royal Crescent, Circus, Pump Room and Assembly Rooms where Beau Nash presided over the city's social life from 1705 until his death in 1761. Many of the streets and squares were laid out by John Wood, the Elder, and in the 18th century the city became fashionable and the population grew. Jane Austen lived in Bath in the early 19th century. Further building was undertaken in the 19th century and following the Bath Blitz in World War II.

In March 2012 a hoard of 30,000 silver Roman coins, one of the largest discovered in Britain, was unearthed in an archaeological dig. The coins, believed to date from the 3rd century, were found about 150 m (450 ft) from the Roman baths.

Gallery of Images of Bath City, England, 19.8.2018

References


तिलगेट पार्क, क्रोले (Tilgate Nature Reserve)

Tilgate Nature Reserve, West Sussex, England Tour-25.08.2018

25.8.2018: दिनांक 25.8.2018 को इंग्लैंड के दक्षिण में वेस्ट ससेक्स काउंटी में स्थित Tilgate Nature Reserve देखने के लिए हम परिवार के साथ गए जिनमें मेरी धर्मपत्नी गोमती बुरड़क, दामाद प्रवीणजी सुंडा, पुत्री विनीता, दौहता शौर्य, दौहिती खुशी साथ में थे. डबल डेकर बस क्रमांक 271 से बर्जेस हिल (Burgess Hill) से क्रोले (Crawley) के लिए रवाना हुये. क्रोले बर्जेस हिल से 21 किमी की दूरी पर स्थित है और 45 मिनट का समय यात्रा में लगता है. यह बस सुबह 10.30 पर बर्जेस हिल से रवाना होती है और शाम को क्रोले से 4.30 पर आखिरी यही बस आती है.

बर्जेस हिल से रवाना होकर क्रोले (Crawley) तक रास्ते में पड़ने वाले स्थानों के नाम और अंग्रेजी में संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है. इससे गाँवों के नामकरण की जानकारी मिलती है और कोई ऐतिहासिक तथ्य है तो उसका भी उल्लेख किया गया है.

टिलगेट नेचर रिजर्व के बारे में तो वैसे हिन्दी के मैटर से भी पर्याप्त जानकारी मिल जाती है. पोस्ट के साथ जो चित्र दिये गए हैं उनको देखकर भी इस स्थान का सही आनंद लिया जा सकता है.

रास्ते में कोई बड़ा शहर नहीं था सभी गाँव थे. गाँव के भवन, सड़कें, खुले हरे मैदान, गाँव के पुराने भवन, सड़क-परिवहन, बस यात्रा, रास्ते में कैफ़े, सड़क के चौराहे और रेड लाइट आदि के क्रमवार चित्र दिये हैं जिससे वहाँ के घरों की संरचना, सड़क परिवहन व्यवस्था और जनजीवन को समझा जा सकता है.

Burgess Hill → Wivelsfield → Janes Lane → George Retreat → Dichling → Hall Chapel → Fox Hills → Princes Royal Hospital → Franklynn Road → Haywards Heath → Ardingly Road → Cuckfield → Sloughgreen Lane → Staple Field → Handcross → Black Swan → Tilgate → Crawley.

Wivelsfield village is in the Lewes District of East Sussex, England. Wivelsfield is an Anglo-Saxon name meaning the field of a man named "Wifel". There is an 8th-century (c. 765) reference to the village as Wifelesfeld.

Dichling is a village and civil parish in the Lewes District of East Sussex, England. In Anglo-Saxon times, the people of Dicul settled here and King Alfred the Great held lands as a Royal Manor. It is unknown exactly when the people of Dicul settled in the village, but Ditchling is first recorded in 765 as Dicelinga in a grant by King Alduuf of land bordering that of Ditchling. Later it is recorded that the Manor and its lands were held by King Alfred the Great (871–899).

Haywards Heath is a town and civil parish in the Mid Sussex District of West Sussex, within the historic county of Sussex, England. The name Hayward comes from Old English meaning an official who protected hedged enclosures from wandering livestock. There is a local legend that the name comes from a highwayman who went under the name of Jack Hayward.

Ardingly is an English village and civil parish in the Mid Sussex district of West Sussex, England. The village is in the High Weald Area of Outstanding Natural Beauty.

Cuckfield is a large village and civil parish in the Mid Sussex District of West Sussex, England. It is debated but it is generally associated with the cuckoo which is the village emblem.

Handcross is a village in the Mid Sussex District of West Sussex, England. It lies on the A23 road 4.2 miles south of Crawley. This part of dual carriageway is notorious for accidents due to its being on a steep gradient, being surrounded by trees and containing a number of sharp bends.

Crawley is a large town and borough in West Sussex, England. It is 45 km south of London, 29 km north of Brighton. The area has been inhabited since the Stone Age,[1] and was a centre of ironworking in Roman times. In the 5th century, Saxon settlers named the area Crow's Leah—meaning a crow-infested clearing, or Crow's Wood.[2]

Dalip Singh Ahlawat[3] writes that Jat Blood flows in the people of England as the Celts, Jutes, Angles, Saxons and Danes were descendants of Scythian Jats. This is evident from Jat Clans surnames still prevalent in England though they follow Christianity. [4]

ये सब गाँव रास्ते के बस स्टॉप पड़ते हैं. ऊपर अंग्रेजी में रास्ते के गाँवों का परिचय दिया गया है. तिलगेट नेचर पार्क (Tilgate Nature Reserve) क्रोले से पहले ही पड़ता है. इसलिये हम क्रोले नहीं गए.

क्रोले (Crawley) के नामकरण का इतिहास बड़ा रुचिकर है. 5वीं शदी में सैक्सन लोगों द्वारा कोये द्वारा आवासित जंगल के कारण दिया गया था. क्रोले का महत्व 1770 से बढ़ा जब लंदन-ब्राईटन रोड बनी थी और यह बस्ती मध्य में पड़ती थी. ससेक्स को सेक्सन्स (Saxons) लोगों ने आबाद किया था और यहाँ के अधिकांश स्थानों के नाम दिये थे. ब्रिटेन पर जट्स, सेक्सन्स एंगल्स की विजय (410 ई० से 825 ई०) का वर्णन दलीप सिंह अहलावत[5] द्वारा विस्तार से किया गया है. जिसके आधार पर लिखा है कि इंगलैंड द्वीपसमूह के मनुष्यों की रगों में आज भी अधिकतर जाट रक्त बह रहा है। क्योंकि केल्टिक आर्य लोग तथा जूट, एंगल, सैक्सन और डेन लोग जाटवंशज थे। आज भी वहां पर अनेक जाटगोत्रों के मनुष्य विद्यमान हैं जो कि धर्म से ईसाई हैं।[6]

तिलगेट (Tilgate): इंग्लैंड के दक्षिण में वेस्ट ससेक्स काउंटी में स्थित है. इसका उल्लेख 13-14 वीं शदी के लैंड रिकॉर्ड में मिलता है जब कोई William Yllegate (or de illegate) इस लैंड का मालिक था और उसने इसका कर जमा किया था. वर्ष 1860 के दशक में वुडलैंड को मिलाकर एक बहुत बडा हाउस (Tilgate Mansion) और एस्टेट बनाई गई थी. यह एस्टेट 1939 में बेच दी गई. Tilgate Mansion का उपयोग दूसरे विश्व युद्ध में कॅनेडियन आर्मी द्वारा घर बनाने में किया गया जो बाद में ध्वस्त कर दिये गए. एस्टेट को टिलगेट पार्क बना दिया गया. टिलगेट पार्क का प्रवेश द्वार और Tilgate Forest Lodge थ्री ब्रिज रेल्वे स्टेशन के निकट है.

वर्तमान में तिलगेट फोरेस्ट्री कमीशन द्वारा संचालित तिलगेट पार्क के लिए जाना जाता है. तिलगेट पार्क में काफी ट्यूरिस्ट आते हैं. यहाँ बहुत पुराना और घना जंगल है. तिलगेट पार्क में दो तरह से प्रवेश किया जा सकता है. पहला तितमस झील (Titmus Lake) के ड्राइव के पास से है. दूसरा साउथ में क्रोले की ए-23 रिंग रोड से. हम दूसरे गेट से अंदर गए और पहले गेट से वापस आए.

टिलगेट फोरेस्ट में कई व्यवसायिक भवन बने हैं जिनको हट नाम से जाना जाता है. इनका उपयोग स्पोर्ट्स या हाबी क्लब अथवा बिजनेस के लिए किया जाता है.

तिलगेट नेचर रिजर्व सेंटर में कोई 100 प्रकार की दुर्लभ प्रजातियाँ हैं. इसका प्रवेश टिकट एडल्ट के लिए 3.50 पॉन्ड और बच्चे के लिए 2.50 पॉन्ड रखा हुआ है. इसमें बच्चों और परिवारों के लिए शिक्षा कार्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं.

रिजर्व सेंटर के पास गेट पर ही मनोरंजन के लिए बच्चों के कई झूले लगे हैं.

पास ही एक लोग हट है जिसके चारों तरफ ग्रीन हेज की भूल-भुलईया सी बनी है.

यहाँ पास ही सब्जियों और फलों की क्यारियाँ भी बनी हैं. विविध तरह के फूल भी खिले हैं. तिलगेट पार्क के साथ कमेलिया बोटनार फ़ाउंडेशन भी काम कर रहा है.

पास के एक लोग हट में एक पेड़ का क्रॉस सेक्शन बहुत बड़ा रखा हुआ है. कोई 2.5-3 मीटर गर्थ का होना चाहिए. इसमें रिंग भी साफ़ दिखाई देती हैं.

Titmas Lake के पास खुला बड़ा गार्डन है जिस पर ट्यूरिस्ट आराम कर सकते हैं वहीं पर बच्चों के लिए झूले भी लगे हैं. झील में काफी पक्षी भी दिखाई देते हैं.

Tilgate Forest में एक जगह Sessile Oak (Quercus patraea) का बड़ा मोटा और बहुत ऊँचा पेड़ है.

टिलगेट फोरेस्ट में डायनोसार के अवशेष भी मिले हैं.

इस पार्क के अंतर्गत देखने योग्य स्थल निम्नलिखित हैं जिनका संक्षिप्त विवरण नीचे अंग्रेजी में दिया गया है:

Tilgate Park is accessible through two vehicle entrances, converging on the main car park. The main one runs from the south end of Titmus Drive in Tilgate neighbourhood, where a road also runs west to the Lakeside car park and the Golf Centre. Unlike the main car park, Lakeside is free for most of the morning (until 11:00). The other entrance is at the A23 K2 traffic lights, and runs through the Recreation Centre.

Tilgate Nature Reserve and Wild Breeds Centre, Three recreational lakes (Campbells Lake, Silt Lake and Titmus Lake), park areas, Tilgate Golf Course, and several small commercial buildings known as 'huts' which are used by small sports and hobby clubs and businesses.

Tilgate Park is a large recreational park situated south of Tilgate, South-East Crawley. It is the largest and most popular park in the area. Originally a 2,185-acre part of the ancient Worth Forest, the park and adjacent areas (including the modern-day Furnace Green, Three Bridges, part of Southgate and Tilgate Forest) were part of the larger Tilgate Estate. The estate was acquired by Indian-born businessman George Ashburner in 1862, and was inherited by his daughter Sarah, married to the London banker John Hennings Nix. The Ashburner Nix family built a large French-style mansion known as Tilgate House in the 1860s. The estate was split up and auctioned off in 1939. Tilgate House was demolished in 1965.

Although visitor activity is mostly focused on the area surrounding Tilgate Lake and on the adjacent gardens of a former country mansion, a large area of the park is former silvicultural forest. This is now being managed as a Local Nature Reserve called Tilgate Forest. The park also contains the Tilgate Nature Centre featuring captive breeding of some vulnerable and endangered animal species and varieties.

Gallery of Images of Tilgate Nature Reserve, England

लंदन, इंग्लैंड भाग-1 (London, England Part-1)

27.8.2018: आज सुबह 8.45 पर Thames Link ट्रेन द्वारा बर्जेस हिल से लंदन के लिए रवाना हुये. 9-9 पॉन्ड का दिनभर का टिकट है. साथ में बेटी विनीता, दामाद प्रवीणजी, दौहता शौर्य, दौहती खुशी और जितेंद्र का परिवार था. बर्जेस हिल से लंदन एक घंटे का रास्ता है. लंदन में ब्रिज स्टेशन पर उतर कर वेस्टमिंस्टर स्टेशन के लिए अंडर ग्राउंड ट्यूब ट्रेन पकड़कर गए.

वेस्टमिंस्टर शहर थेम्स नदी के उत्तरी तट पर केन्द्रीय लंदन में 'सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर बरो' का जिला है। लंडन में सबसे ज्यादा पर्यटक इसी क्षेत्र में आते हैं. यहां स्थित वेस्टमिंस्टर महल में लंदन का संसद भवन है. वेस्टमिंस्टर महल (Palace of Westminster), बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace), वेस्टमिंस्टर अब्बे (Westminster Abbey) और वेस्टमिंस्टर कथेड्रल) (Westminster Cathedral) जैसे ऐतिहासिक और पर्यटन महत्व के स्थान यहीं स्थित हैं.

थेम्स नदी पर बने वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर लक्ष्मण बुरड़क, पीछे लंदन-आई दिख रही है

सेंट्रल लंदन में स्थित वेस्टमिंस्टर स्टेशन से निकल कर वेस्टमिंस्टर ब्रिज (Westminster Bridge) पर गए. वेस्टमिंस्टर-ब्रिज उसके पश्चिम में स्थित वेस्टमिंस्टर को पूर्व में स्थित लैम्बेथ (Lambeth) को जोड़ता है. ब्रिज को मुख्य रूप से हरे रंग से पेंट किया गया है जो हाउस ऑफ कॉमन्स के लेदर सीट्स का भी रंग है. हाउस ऑफ कॉमन्स इस ब्रिज के सबसे नजदीक और वेस्टमिंस्टर महल (Palace of Westminster) के बगल में स्थित है.

टेम्स नदी पर बने वेस्टमिंस्टर ब्रिज से लंदन आई (London Eye), बिगबेन (Big Ben)/एलीज़ाबेथ टावर (Elizabeth Tower), वेस्टमिंस्टर महल (Palace of Westminster)/पार्लियामेंट हाउस (Houses of Parliament) देखकर ब्रिज स्ट्रीट पर नीचे उतरे. इन स्थानों के बारे में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गई है.

थेम्स नदी (River Thames) - टेम्स या थेम्स इंग्लैंड की एक प्रमुख नदी है. दुनिया के सभी प्रमुख शहरों की तरह लंदन भी नदी किनारे बसा है. इस नदी को थेम्स कहा जाता है. थेस्म कभी व्यस्त जलमार्ग हुआ करता था. यह चैल्थनम (Cheltenham, Gloucestershire, England) में सेवेन स्प्रिंग्स से निकलती है और ऑक्सफ़र्ड ( Oxford), रैडिंग (Reading), मेडनहैड (Maidenhead), विंड्सर (Windsor), ईटन (Eton), लंदन (London) जैसे शहरों से होती हुई 346 किलोमीटर की यात्रा पूरी करके इंगलिश चैनल (English Channel) में जा गिरती है. अठ्ठारहवीं शताब्दी में यह दुनिया का सबसे व्यस्त जल मार्ग हुआ करता था, यहाँ तक कि इसमें जहाज़ तक चला करते थे. अधिकांश विद्वानों का मानना है कि थेम्स शब्द कैल्टिक भाषा के तमस शब्द से बना जिसका अर्थ है काला या अंधकारमय. संस्कृत में भी तमस का यही अर्थ है. Tamas/Tamasa (तमस) का उल्लेख महाभारत भीष्म पर्व (VI.10.30) में किया गया है (सुनसां तमसां दासीं तरसाम अन्यां वराणसीम, लॊलॊद्धृत करां चैव पूर्णाशां च महानदीम ). इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि महाभारत काल में भी इस नदी का ज्ञान रहा है.

लंदन-आई (London Eye) - टेम्स नदी के दक्षिणी तट पर स्थित एक विशाल फेरी व्हील है जिसको लंदन-आई नाम से जाना जाता है. यह यूरोप का सबसे ऊँचा फेरी-व्हील है. लंदन-आई लंदन में सबसे ऊँचे बिन्दु से दृश्य उपलब्ध करवाता है. लंदन-आई की संरचना 443 फीट लंबी है और पहिये का व्यास 394 फीट है. लंदन आई लैम्बेथ के लंदन बरो में, काउंटी हॉल के बगल में वेस्टमिंस्टर ब्रिज और हंगरफोर्ड ब्रिज के बीच टेम्स नदी के दक्षिण तट पर जुबली गार्डन (पहले डिस्कवरी के पूर्व डोम की साइट) के पश्चिमी छोर से जुड़ी हुई है.

बिग बेन, वेस्टमिंस्टर, लंदन

बिग बेन (Big Ben): बिग बेन लंदन के वेस्टमिंस्टर पैलेस के उत्तरी छोर पर स्थित घड़ी की बड़ी घंटी का उपनाम है, और अक्सर इसे घड़ी या क्लॉक टॉवर का उल्लेख करने के लिए प्रयोग किया जाता है. यह दुनिया की सबसे बड़ी चार मुखमंडल वाली घंटानाद घड़ी और तीसरी सबसे बड़ी स्वतन्त्र रूप से स्थित क्लॉक टावर है. एक सर्वेक्षण में पाया गया कि टावर यूनाईटेड किंगडम का सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक स्थल है. बिग बेन को लंदन फिल्म का सबसे बेहतर स्थान चुना गया था. सन् 2012 में रानी एलीज़ाबेथ II की डायमंड जुबली के उपलक्ष में इसका नामकरण एलीज़ाबेथ टावर किया गया है.

क्लॉक टॉवर को कई फिल्मों में दिखाया गया है, सबसे खासकर दी थर्टी-नाइन स्टेप्स के 1978 संस्करण में, जिसमें नायक रिचर्ड हने घड़ी के पश्चिमी चेहरे की मिनट हेंड पर लटककर घड़ी की प्रगति को रोकने (इससे जुड़े बम को फटने से रोकने के लिए) का प्रयास करता है. जेम्स बॉण्ड की चौथी फिल्म थंडरबाल में बिग बेन द्वारा घंटे पर गलती से किये गए अतिरिक्त प्रहार को अपराधी संगठन छाया द्वारा नामित किया गया है जो इस बात का संकेत है कि ब्रिटिश सरकार ने इसकी परमाणु वसूली की जबरन मांग को स्वीकार कर लिया है. इसे जैकी चान और ओवेन विल्सन अभिनीत शंघाई नाइट्स की फिल्म में भी उपयोग किया गया था और इसे डॉक्टर हु एपिसोड एलियन ऑफ लंदन में आंशिक रूप से नष्ट दर्शाया गया है. घड़ी के एनिमेटेड संस्करण और इसके अपनी अंदरूनी कामकाज को वॉल्ट डिज्नी की फिल्म दी ग्रेट माउस डिटेक्टिव में बेसिल ऑफ बेकार स्ट्रीट और उसके नेमसिस रेतिगन के मध्य चरम अंतिम लड़ाई की सेटिंग की तरह भी उपयोग किया गया है, इसे पीटर पेन में भी उपयोग किया गया है जिसमे नेवरलेंड जाने से पहले पीटर क्लाक पर उतरता है। इसे फिल्म मार्स अटैक में UFO द्वारा नष्ट करते हुए दिखाया गया है. और दी एवेंज़र्स फिल्म से एक बिजली बोल्ट द्वारा नष्ट होता हुआ दिखाया गया है.

वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर लक्ष्मण बुरड़क, बायें पैलेस ऑफ़ वेस्ट्मिन्स्टर और बगल में बिगबेन दिख रही है

पैलेस ऑफ़ वेस्ट्मिन्स्टर (Palace of Westminster): पैलेस ऑफ वेस्टमिन्स्टर, जिसका अर्थ है वेस्टमिंस्टर का महल और जिसे हाउस ऑफ पार्लियामेंट या वेस्टमिन्स्टर पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटेन की संसद के दो सदनों का सभा स्थल है. इनमें से एक है हाउस ऑफ लॉर्ड्स (House of Lords) और दूसरा है हाउस ऑफ कॉमन्स (House of Commons). यह लंदन शहर के हृदय माने जाने वाले वेस्टमिन्स्टर शहर में थेम्स नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है. यह सरकारी भवन व्हाइटहॉल और डाउन स्ट्रीट तथा ऐतिहासिक स्थल वेस्टमिन्स्टर ऐबी के करीब है. यह नाम निम्न दो में से किसी एक संरचना को संदर्भित कर सकता है, द ओल्ड पैलेस, जो एक मध्यकालीन इमारत है जो कि 1834 में ही नष्ट हो गई थी और उसके स्थान पर बनने वाला न्यू पैलेस जो आज भी मौजूद है. लेकिन इसकी मूल शैली और शाही ठाठबाट पूर्ववत बनी हुई है.

वेस्टमिंस्टर का महल लंदन के राजनीतिक जीवन का केंद्र रहा है. वेस्टमिन्स्टर लंदन की संसद के लिए मेटोम बन चुका है. इसके नाम पर ही सरकार के वेस्टमिन्स्टर तंत्र का नाम पड़ा है. विशेष रूप से क्लाक टॉवर, जो अपनी मुख्य घण्टे के कारण बिग बेन के रूप में जाना जाने लगा है, लंदन का प्रतिष्ठित ऐतिहासिक स्थल और शहर का मुख्य पर्यटन केंद्र है. इसे संसदीय लोकतंत्र का प्रतीक भी कहा जाता है. 1970 से ही पैलेस ऑफ़ वेस्टमिन्स्टर उच्चकोटि की इमारत मानी जाती है और 1987 से यह यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा है.

वेस्टमिंस्टर पार्लियामेंट स्क्वायर

वेस्टमिंस्टर ब्रिज से ब्रिज स्ट्रीट पर उतरकर पार्लियामेंट स्क्वायर (Parliament Square) गए यहाँ से दायें तरफ वेस्टमिंस्टर स्टेशन है और सामने विन्स्टन चर्चिल (Winston Churchill) की मूर्ति और पार्लियामेंट स्क्वायर गार्डन (Parliament Square Garden) है.

पार्लियामेंट स्क्वायर पर गोमती बुरड़क, लक्ष्मण बुरड़क और खुशी

पार्लियामेंट स्क्वायर (Parliament Squire): पार्लियामेंट स्क्वायर केंद्रीय लंदन में वेस्टमिंस्टर पैलेस के उत्तर पश्चिमी छोर पर वेस्टमिंस्टर शहर में स्थित है. इसके केंद्र में एक बड़ा खुला हरा क्षेत्र है जिसके पश्चिम में हरभरे पेड़ हैं. इसमें राजनेताओं और अन्य उल्लेखनीय व्यक्तियों की बारह मूर्तियाँ हैं. लंदन के मुख्य पर्यटक आकर्षणों में से एक होने के साथ-साथ यह वह स्थान भी है जहाँ कई प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शन हुए हैं. पार्लियामेंट स्क्वायर से जो भवन दिखते हैं उनमें सम्मिलित हैं: चर्च वेस्टमिंस्टर एब्बे और सेंट मार्गरेट्स, वेस्टमिंस्टर , मिडलसेक्स गिल्डहॉल, जो यूनाइटेड किंगडम के सुप्रीम कोर्ट की सीट है, एचएम ट्रेजरी और एचएम रेवेन्यू एंड कस्टम्स की सेवा करने वाले सरकारी कार्यालय ग्रेट जॉर्ज स्ट्रीट और पोर्टकुलिस हाउस.

पार्लियामेंट स्क्वायर से निकलने वाली सड़कें - सेंट मार्गरेट स्ट्रीट (मिलबैंक की ओर), ब्रॉड सैंक्चुअरी (विक्टोरिया स्ट्रीट की ओर), ग्रेट जॉर्ज स्ट्रीट (बर्डकेज वॉक की ओर), पार्लियामेंट स्ट्रीट (व्हाइटहॉल की ओर जाने वाली), और ब्रिज स्ट्रीट (वेस्टमिंस्टर ब्रिज की ओर जाने वाली) हैं। .

पार्लियामेंट स्क्वायर से चलकर बायें वेस्टमिंस्टर अब्बे (Westminster Abbey) है. ब्रॉड सङ्क्चुयरी रोड (Broad Sanctuary Road) पार कर दायें तरफ गए जिसके बायें तरफ वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हाल (Westminster Central Hall) है और दायें तरफ रानी एलिजाबेथ सेंटर (Queen Elizabeth II Centre) है जो यूके संसद भवन के पास ही स्थित है और यहाँ कान्फेरेंस सुविधा उपलब्ध है.

वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी - वेस्टमिंस्टर मठ का उत्तरी द्वार

वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी (Westminster Abbey): वेस्टमिंस्टर ऐबी, जिसे पहले आधिकारिक रूप से अंग्रेज़ी में कॉलेजिएट चर्च ऑफ़ सेण्ट पीटर ऍट् वेस्ट्मिन्स्टर (वेस्टमिंस्टर में स्थित संत पीटर का कॉलेजिएट चर्च) का नाम दिया गया था, वेस्टमिंस्टर शहर, लंदन में स्थित एक विशाल, मुख्यत: गोथिक मठ व गिरिजाघर है. यह वेस्टमिंस्टर महल से पश्चिम में स्थित है. यह यूनाइटेड किंगडम के सबसे माननीय पूजा स्थलों में से एक है व ग्रेट ब्रिटेन के शाही परिवार के राज्याभिषेक का परम्परागत स्थल है. 1540 से 1556 तक इस मठ को कैथेड्रल का महत्व हासिल था. हालांकि 1560 से यह भवन मठ या कैथेड्रल नहीं रह गयी और सिर्फ़ शाही निजी संपत्ति ही कही जाती थी. "शाही निजी संपत्ति" – वो संपत्तियाँ थीं जो सीधे सम्राट के प्रति जवाबदेह थीं और सम्राट की जिम्मेदारी थीं. यह भवन वास्तविक मठ व गिरिजाघर है.

वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हाल (मैथोडिस्ट सेंट्रल हाल)

वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हाल (Westminster Central Hall) - लंदन में वेस्टमिंस्टर के सेंट्रल हाल को मैथोडिस्ट सेंट्रल हाल (Methodist Central Hall) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक बहू-उद्देशीय सेंट्रल हाल है जो मुख्य रूप से तो मैथोडिस्ट चर्च है परंतु यह कान्फेरेंस हाल भी है. यहाँ एक आर्ट गैलरी, रेस्टोरेंट और कार्यालय भवन है. पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र है. वेस्टमिंस्टर के सेंट्रल हाल में अप्रेल 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो घंटों से ज़्यादा के कार्यक्रम भारत की बात, सबके साथ में दुनिया को संबोधित किया था. उनके भाषण का लाइव टेलीकास्ट हुआ था. ‘भारत की बात सबके साथ’ कार्यक्रम का आयोजक यूरोप इंडिया फोरम था. सेंट्रल हॉल वेस्टमिंस्टर की वेबसाइट के मुताबिक यह वेन्यू काफी ऐतिहासिक है और 1900 की शुरुआत से ही इसे मीटिंग हॉल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है. यही वह स्थान है, जहां 1946 में संयुक्त राष्ट्र संघ की पहली मीटिंग हुई थी. महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग जैसे महान नेताओं का भी इस वेन्यू पर स्वागत किया जा चुका है. इसके अलावा 1968 में एंड्रयू वेबर लॉयड की पहली पब्लिक परफॉर्मेंस भी यहीं हुई थी.

इंपीरियल वॉर म्यूजियम, रोबर्ट क्लाइव की मूर्ति

वेस्टमिंस्टर अब्बे देखकर हम हॉर्स गार्ड परेड (Horse Guards Parade) की तरफ बढ़े. यहाँ से आगे बढ़ने पर आगे बायें तरफ सेंट जेम्स पार्क (St James Park) पड़ता है और दायें तरफ इंपीरियल वार म्यूजियम (Imperial war Museum) है. यहाँ रोबर्ट क्लाइव (Robert Clive) की मूर्ति लगी है.

इंपीरियल वॉर म्यूजियम (Imperial War Museum): शाही युद्ध संग्रहालय एक ब्रिटिश नेशनल म्यूजियम ओर्गेनाजेशन इंग्लैंड, पांच स्थानों पर शाखाओं वाला संयुक्त संग्रहालय है, जिसकी तीन शाखायें लंदन में हैं. इंपीरियल वॉर म्यूजियम के रूप में यह 1917 में स्थापित किया गया था. संग्रहालय का उद्देश्य प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन तथा उसके साम्राज्य के नागरिक और सैन्य युद्ध के प्रयास और बलिदान को रिकॉर्ड करना था. संग्रहालय की परिधि में विस्तार करते हुये 1914 से ब्रिटिश या राष्ट्रमंडल बल के सभी संघर्षों को शामिल कर लिया गया है. 2012 की स्थिति में संग्रहालय का उद्देश्य "आधुनिक युद्ध के इतिहास के अध्ययन और समझ को प्रोत्साहित करना और प्रदान करना है.

हॉर्स गार्ड परेड
हॉर्स गार्ड परेड

इंपीरियल वार म्यूजियम देखकर आगे बढ़े. दायें तरफ हॉर्स गार्ड्स परेड (Horse Guards Parade) और मैदान है. हम जब यहाँ पहुँचे दिन के 11 बजे थे और गार्डस की परेड इस समय 11 बजे चल रही थी. यह परेड देखकर बायें तरफ आगे माल रोड से होकर आगे बढ़े बायें तरफ जेम्स पार्क (James Park) पड़ता है. सामने विक्टोरिया मेमोरियल सर्कल (Victoria Memorial Circle) है जिस पर विक्टोरिया की मूर्ति है. पीछे बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace) है. यहाँ भी गार्ड्स परेड (Guard Parade) हो रही थी. यहाँ का महल का गार्डन बहुत ही सुंदर फूलों से भरा था. इन स्थानों की संक्षिप्त जानकारी आगे दी गई है.

हॉर्स गार्ड्स परेड (Horse Guards Parade) - हॉर्स गार्ड्स परेड मध्य लंदन में व्हाइटहॉल (Whitehall) के पास एक बड़ा परेड ग्राउंड है. यह ट्रूपिंग-द-कलर के वार्षिक समारोहों का स्थल है, जो सम्राट के आधिकारिक जन्मदिन और बीटिंग रिट्रीट को याद करता है. हॉर्स गार्ड्स पैरेड पूर्व में पैलेस ऑफ व्हाइटहॉल का वह स्थल था जहां हेनरी अष्टम के समय टूर्नामेंट, घुड़सवार भाला-युद्ध आदि गतिविधियाँ आयोजित की गई थी. यह महारानी एलिजाबेथ प्रथम के जन्मदिन के वार्षिक समारोह का भी स्थल था. 17 वीं शताब्दी के बाद से इस क्षेत्र का उपयोग विभिन्न समीक्षाओं, परेडों और अन्य समारोहों के लिए किया गया है. निकटवर्ती हॉर्स गार्ड्स भवन कभी ब्रिटिश सेना का मुख्यालय हुआ करता था. ड्यूक ऑफ वेलिंगटन जब ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ थे तब उनका कार्यालय हॉर्स गार्ड्स में स्थित था. लंदन जिले के वर्तमान जनरल ऑफिसर कमांडिंग अभी भी उसी कार्यालय में हैं और उसी डेस्क का उपयोग करते हैं. वेलिंगटन के इस इमारत के भीतर आवासीय क्वार्टर भी थे, जो आज कार्यालयों के रूप में उपयोग किए जाते हैं.

Source - Facebook Post of Laxman Burdak, 26.07.2022

लंदन, इंग्लैंड भाग-2 (London, England Part-2)

लक्ष्मण बुरड़क & गोमती बुरड़क, बकिंघम पैलेस, लंदन
बकिंघम पैलेस की परेड देखने के लिए दर्शकों की भीड़
बकिंघम पैलेस की परेड
बकिंघम पैलेस और इसके ठीक सामने स्थित विक्टोरिया मेमोरियल, परेड देखने के लिए दर्शकों की भीड़
बकिंघम पैलेस का शाही मेमोरियल गार्डन

27.8.2018: इंपीरियल वार म्यूजियम देखकर आगे बढ़े. दायें तरफ हॉर्स गार्ड्स परेड (Horse Guards Parade) और मैदान है. हम जब यहाँ पहुँचे दिन के 11 बजे थे और गार्डस की परेड इस समय 11 बजे चल रही थी. यह परेड देखकर बायें तरफ आगे माल रोड से होकर आगे बढ़े बायें तरफ जेम्स पार्क (James Park) पड़ता है. सामने विक्टोरिया मेमोरियल सर्कल (Victoria Memorial Circle) है जिस पर विक्टोरिया की मूर्ति है. पीछे बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace) है. यहाँ भी गार्ड्स परेड (Guard Parade) हो रही थी. यहाँ का महल का गार्डन बहुत ही सुंदर फूलों से भरा था. इन स्थानों की संक्षिप्त जानकारी आगे दी गई है.

बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace) : बकिंघम पैलेस (ब्रिटिश उच्चारण:बखिंग्हॅम् प़ॅलॆस्) ब्रिटिश राजशाही का लंदन स्थित आधिकारिक निवास है. वेस्टमिंस्टर शहर में स्थित यह राजमहल राजकीय आयोजनों और शाही आतिथ्य का केंद्र है. यह ब्रिटेन वासियों के लिये राष्ट्रीय हर्षोन्माद और संकट के समय चर्चा का विषय रहा है.

मूलतः बकिंघम हाउस के रूप में जाना जाने वाला यह भवन जो आज के महल का महत्वपूर्ण हिस्सा है, 1703 में बकिंघम के ड्यूक के लिये एक ऐसी जगह पर बनाया गया एक विशाल टाउन हाउस था, जो कम से कम 150 सालों तक निजी स्वामित्व के अधीन रहा था. बाद में 1761 में इसे किंग जॉर्ज III ने महारानी चार्लोट के लिये एक निजी आवास के रूप में अधिगृहित कर लिया और “द क्वींस हाउस” के नाम से जाना जाने लगा. 19वीं सदी के दौरान मुख्य रूप से वास्तुकारों जॉन नैश और एडवर्ड ब्लोर द्वारा केंद्रीय प्रांगण के आस-पास तीन बाल्कनियाँ बनाकर इसका विस्तार किया गया. आखिरकार 1837 में महारानी विक्टोरिया (Queen Victoria) के शासन में बकिंघम पैलेस ब्रिटिश राजशाही का आधिकारिक शाही महल बन गया. आखिरी बड़ा संरचनात्मक बदलाव 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में किया गया जिसमें पूरब का सामने का हिस्सा शामिल है, जहाँ वह सुप्रसिद्ध बाल्कनी मौजूद है, जहाँ से शाही परिवार पारंपरिक तौर पर बाहर मौजूद भीड़ को संबोधित करता है. महल के छोटे गिरजाघर को द्वितीय विश्व युद्ध में एक जर्मन बम द्वारा नष्ट कर दिया गया था. इस जगह पर क्वींस गैलरी बनायी गयी और 1962 में इसे शाही संग्रह की कलाकृतियों की प्रदर्शनी के लिये सार्वजनिक तौर पर खोल दिया गया.

19वीं सदी के आंतरिक सज्जा के मूल डिजाइन, जिनमें से कई आज भी मौजूद हैं, इनमें सर चार्ल्स लांग की सलाह पर चमकीले स्काग्लियोला और नीले एवं गुलाबी लैपिस का व्यापक उपयोग शामिल है. किंग एडवर्ड VII ने एक बेल एपक क्रीम और सुनहरे रंग के मेल से आंशिक रूप से इनकी पुन: सज्जा करवाई. कई छोटे-छोटे स्वागत कक्षों की सजावट चीनी रीजेंसी शैली में ब्राइटन के रॉयल पैविलियन और कार्लटन हाउस से लाये गये फ़र्नीचरों और फ़िटिंग्स से करवायी गयी.

बकिंघम पैलेस का संबंध भारत से भी रहा है. इसकी किरमिजी रंग (crimson) की सुंदर दीवारों का निर्माण चाथम आरा मिल अंडमान में चिरान किए गए अंडमान पडौक की लकड़ी से किया गया है.

रॉयल कलेक्शन विभाग द्वारा 1999 में प्रकाशित एक पुस्तक में यह कहा गया है कि महल में 19 राजकीय कक्ष, 52 प्रमुख बेडरूम, 188 स्टाफ़ बेडरूम, 92 कार्यालय और 78 बाथरूम मौजूद हैं. राजकीय कक्ष, जिन्हें आधिकारिक और राजकीय मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाता था, महल की गर्मियों की प्रदर्शनी के एक हिस्से के रूप में हर साल ज्यादातर अगस्त और सितम्बर में सार्वजनिक तौर पर खोला जाता है.

महल के एक पिछले हिस्से में, अपनी झीलों के साथ एक विशाल और पार्क जैसा गार्डन मौजूद है, जो लंदन के सबसे बडे निजी गार्डनों में से एक है. यहाँ महारानी हर साल अपनी सालाना गार्डन पार्टियों और शाही यादगार पलों जन्मदिन आदि मनाने के लिये विशाल समारोहों का भी आयोजन करती हैं.

विक्टोरिया मेमोरियल (Victoria Memorial): विक्टोरिया मेमोरियल महारानी विक्टोरिया के लिए एक स्मारक है जो लंदन में माल रोड के अंत में और बकिंघम पैलेस के सामने स्थित है. यह बकिंघम पैलेस में मुख्य द्वारों के सामने खड़ा वास्तुकार सर एस्टन वेब द्वारा निर्मित आहाते पर स्थित है. इसे मूर्तिकार (सर) थॉमस ब्रोक द्वारा 1901 में डिजाइन किया गया था, इसका अनावरण 16 मई 1911 को किया गया था, हालांकि इसे 1924 तक पूरा नहीं किया गया था.

मानचित्र सेंट जेम्स पार्क, वेस्टमिंस्टर, लंदन
माल रोड पर, विक्टोरिया मेमोरियल जाते हुये, सेंट जेम्स पार्क, वेस्टमिंस्टर, लंदन

बकिंघम पैलेस में शाही परेड का नजारा देखने के बाद सेंट जेम्स पार्क (St James Park) में भ्रमण किया. मेमोरियल गार्डन के पास से सेंट जेम्स पार्क झील में स्थित वेस्ट आइलैंड के पास एक रेस्टौरेंट है जहाँ लंच किया और चाय ली. लंच के बाद झील में बच्चों ने पक्षी देखे. डक आइलैंड के दक्षिण में पेलिकन रॉक पर टिफ़नी फाउंटेन है; और झील के पीछे विदेशी और राष्ट्रमंडल कार्यालय है, जिसके पीछे लंदन आई, शेल टॉवर और शार्ड है. पार्क में बच्चों के खेल का मैदान है जिसमें एक बड़ा रेत का गड्ढा भी शामिल है. विवरण आगे दिया गया है.

सेंट जेम्स पार्क (St James Park) - सेंट जेम्स पार्क वेस्टमिंस्टर शहर, मध्य लंदन में स्थित एक 23 हेक्टेयर का पार्क है. यह सेंट जेम्स क्षेत्र के सबसे दक्षिणी सिरे पर है, जिसका नाम सेंट जेम्स द लेस को समर्पित एक कोढ़ी अस्पताल के नाम पर रखा गया था. यह पार्कों की निरंतर श्रृंखला का सबसे पूर्वी भाग है जिसमें (पश्चिम की ओर बढ़ते हुए) ग्रीन पार्क, हाइड पार्क और केंसिंग्टन गार्डन शामिल हैं. पार्क के पश्चिम में बकिंघम पैलेस, उत्तर में मॉल , पूर्व में हॉर्स गार्ड्स और दक्षिण में बर्डकेज वॉक से घिरा है. यह क्वीन्स गार्डन में ग्रीन पार्क से मिलता है, जिसके केंद्र में विक्टोरिया मेमोरियल है, जो बकिंघम पैलेस के प्रवेश द्वार के सामने है. सेंट जेम्स पैलेस मॉल के विपरीत दिशा में है. निकटतम लंदन अंडरग्राउंड स्टेशन हैं - सेंट जेम्स पार्क, ग्रीन पार्क, विक्टोरिया और वेस्टमिंस्टर.

सेंट जेम्स पार्क में एक छोटी सी झील है, सेंट जेम्स पार्क झील, जिसमें दो द्वीप हैं, वेस्ट आइलैंड और डक आइलैंड, जिसे बाद में झील के जलपक्षी के संग्रह के लिए नामित किया गया है. 1664 में एक रूसी राजदूत द्वारा चार्ल्स द्वितीय को दान किए जाने के बाद से पेलिकन का एक निवासी कॉलोनी पार्क की एक विशेषता रही है.

नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लंदन
नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लंदन में डायनासोर कंकाल
नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लंदन में आधुनिक मानव का ब्रिटैन में इतिहास केवल 12000 वर्ष पहले का बताया गया है

सेंट जेम्स पार्क से निकल कर सेंट जेम्स पार्क स्टेशन गए. दायें तरफ गार्ड्स म्यूजियम पड़ता है. सेंट जेम्स पार्क स्टेशन से ट्रेन पकड़कर साउथ केंसिंगटन (South Kensington) स्टेशन (Kensington) पर उतरे. यहाँ नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम (Natural History Museum) देखा. इसका भवन और इसकी वास्तुकला बहुत ही सुंदर है. अंदर बहुत अद्भुत और अनमोल संग्रह है. समयाभाव के कारण हम कुछ ही घंटों संग्रहालय देख पाये. इसको विस्तार से देखने के लिए पूरा दिन आवश्यक है. यह न केवल बच्चों के लिए विज्ञान और प्रकृति को समझने में सहायक है बल्कि वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के लिए भी बहुत उपयोगी है. म्यूजियम के पास ही विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम (Victoria and Albert Museum) है. समय के अभाव में इसको भी नहीं देख पाये. प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय का संक्षिप्त विवरण आगे दिया गया है.

नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम (Natural History Museum): नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम लंदन में एक अद्भुत प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय है जिसमें प्राकृतिक इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों से नमूनों की एक विशाल रेंज प्रदर्शित की गई है. यह दक्षिण केंसिंग्टन (South Kensington) में प्रदर्शनी रोड (Exhibition Road) पर तीन प्रमुख संग्रहालयों में से एक है. अन्य दो संग्रहालय हैं - विज्ञान संग्रहालय (Science Museum) तथा विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय (Victoria and Albert Museum). हालांकि, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय का अग्रभाग क्रॉमवेल रोड (Cromwell Road) पर है.

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय लंदन जीवन और पृथ्वी विज्ञान के नमूनों का घर है, जिसमें विज्ञान की पांच मुख्य विधाओं के संग्रहों में लगभग 80 मिलियन आइटम शामिल हैं. पांच मुख्य विधाओं में सम्मिलित हैं- 1. वनस्पति विज्ञान (botany), 2. कीट विज्ञान (entomology), 3. खनिज विज्ञान (mineralogy), 4. पुरापाषाण विज्ञान (palaeontology ) और 5. प्राणीशास्त्र (zoology). संग्रहालय वर्गीकरण विज्ञान (taxonomy), पहचान और संरक्षण में विशेषज्ञता वाले अनुसंधान का महत्वपूर्ण केंद्र है. कई संग्रहों में महान ऐतिहासिक और वैज्ञानिक मूल्य के संग्रह भी हैं, जैसे चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) द्वारा एकत्र किए गए नमूने. संग्रहालय की अपनी प्रदर्शनी के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है डायनासोर कंकाल और अलंकृत वास्तुकला. प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय पुस्तकालय में वैज्ञानिक विभागों के काम और शोध से जुड़ी व्यापक किताबें, पत्रिकाएं, पांडुलिपियां और कलाकृति संग्रह शामिल हैं. पुस्तकालय का उपयोग केवल पूर्व नियुक्ति से ही संभव है. संग्रहालय को दुनिया में प्राकृतिक इतिहास और संबंधित क्षेत्रों के अनुसंधान के प्रमुख केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है.

साइंस म्यूजियम, प्रदर्शनी रोड,दक्षिण केंसिंग्टन, लंदन

नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम से निकल कर प्रदर्शनी रोड (Exhibition Road) से केंसिंग्टन गार्डन (Kensington Garden) गए. रास्ते में बायें तरफ साइंस म्यूजियम (Science Museum), जियोलोजिकल म्यूजियम (Geological Museum), इंपीरियल कॉलेज (Imperial College), मैकेनिकल इंजीनियर्स संस्थान (Institution of Mechanical Engineers) आदि पड़ते हैं.

प्रदर्शनी रोड से केंसिंग्टन गार्डन के रास्ते में दायें तरफ प्रिंसेस गाते (Princes Gate) नाम से संख्यांकित ऊँचे सफ़ेद-क्रीम रंग के छज्जे-युक्त भवन हैं जो बहुत ही सुंदर बने हैं.

साइंस म्यूजियम (Science Museum) : दक्षिण केंसिंग्टन, लंदन में प्रदर्शनी रोड पर विज्ञान संग्रहालय एक प्रमुख संग्रहालय है. यह 1857 में स्थापित किया गया था और आज तक शहर के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है, जो सालाना 3.3 मिलियन आगंतुकों को आकर्षित करता है. यूनाइटेड किंगडम में सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अन्य राष्ट्रीय संग्रहालयों की तरह, विज्ञान संग्रहालय आगंतुकों से प्रवेश के लिए शुल्क नहीं लेता है, हालांकि आगंतुकों से अनुरोध किया जाता है कि यदि वे सक्षम हैं तो दान करें. अस्थायी प्रदर्शनियों में प्रवेश शुल्क लग सकता है. यह विज्ञान संग्रहालय समूह के पांच संग्रहालयों में से एक है.

इंपीरियल कॉलेज लंदन (Imperial College): यह विश्वविद्यालय विज्ञान, अभियांत्रिकि, औषधि और व्यवसाय पाठ्यक्रम प्रस्तावित करता है। इंपीरियल कॉलेज का मैन कैम्पस दक्षिण केंसिंग्टन (South Kensington) में है. इसमें 3000 शैक्षिक और शोध कर्मी काम करते हैं. विश्वविद्यालय में 13000 छात्र एनरोल हैं, जिनमें बड़ी संख्या में अंतर्राष्ट्रीय छात्र भी शामिल हैं. यहाँ 140 देशों के विद्यार्थी पढ़ते हैं.

मैकेनिकल इंजीनियर्स संस्थान (Institution of Mechanical Engineers) : मैकेनिकल इंजीनियर्स संस्थान लंदन, यूनाइटेड किंगडम, स्थित एक स्वतंत्र व्यावसायिक संघ और सोसाइटी है. यह संस्थान यांत्रिक इंजीनियर और इंजीनियरिंग पेशे के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है. रेलवे, ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस, मैन्युफैक्चरिंग, एनर्जी, बायोमेडिकल और कंस्ट्रक्शन जैसे उद्योगों में काम कर रहे 140 देशों में 120,000 से अधिक सदस्यों के साथ, संस्थान को इंजीनियरिंग काउंसिल द्वारा अपने चार्टर्ड इंजीनियर्स, निगमित इंजीनियरों और इंजीनियरिंग तकनीशियनों के मूल्यांकन कर इनके पंजीयन का अधिकार है. संस्थान की स्थापना क्वीन्स होटल, बर्मिंघम में जॉर्ज स्टीफेंसन द्वारा 1847 में की गई थी. इसे 1930 में एक रॉयल चार्टर प्राप्त हुआ. संस्थान का मुख्यालय 1899 से मध्य लंदन में नंबर 1 बर्डकेज वॉक पर स्थित है.

जमैका उच्चायोग लंदन (High Commission of Jamaica, London) - प्रिंस कन्सोर्ट मार्ग (Prince Consort Road) पर स्थित जमैका उच्चायोग लंदन पर्यटकों का बरबस ध्यान आकर्षित करता है. यह आयोग 1962 में शुरू हुआ था. ब्रिटैन से स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद शुरू किए गए राजनैतिक मिशनों में यह प्रथम था. कई दशकों तक जमैका के लोग नौकरी और पढ़ाई के लिए इंग्लैंड आते रहे हैं. 1940 में जमैका के लोग द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटैन के पक्ष में लड़े थे. जमैका ग्रेटर एंटीलिज पर स्थित एक द्वीप राष्ट्र है, 234 किमी लंबाई और 80 किमी चौड़ाई वाले इस द्वीप राष्ट्र का कुल विस्तार 11100 वर्ग किमी है. कैरेबियन सागर में स्थित यह देश क्यूबा से 145 किमी दक्षिण, हैती से 190 किमी पश्चिम में स्थित है. स्पेनिश अधिशासन के दौरान सेंतियागो और बाद में ब्रिटिश क्राउन उपनिवेश जमैका बन गया. 28 लाख की आबादी के साथ यह देश उत्तरी अमेरिका में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बाद तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है. राष्ट्रकुल के सदस्य के रूप में यहां की मुखिया महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं. यहां की राजधानी किंग्सटन है.

केंसिंग्टन गार्डन (Kensington Garden) में हमने कुछ देर विश्राम किया. केंसिंग्टन गार्डन में बहुत पुराने और ऊँचे-ऊँचे वृक्ष हैं. केंसिंग्टन गार्डन में जहाँ हमने विश्राम किया वहीं पास में अल्बर्ट मेमोरियल (Albert Memorial) और रॉयल अल्बर्ट हाल (Royal Albert Hall) हैं. केंसिंग्टन गार्डन से लगा ही दक्षिण में हायड पार्क (Hyde Park) है. एक सर्पाकार झील (The Serpentine) इन दोनों पार्कों को विभाजित करती है. सर्पाकार पुल (Serpentine Bridge) इन दोनों पार्कों की विभाजन रेखा है. विश्राम के बाद केंसिंग्टन गार्डन में केंसिंग्टन पैलेस (Kensington Palace) को देखा. केंसिंग्टन पैलेस के सामने एक सुंदर और कलात्मक प्रिंसेस लुसे की रानी विक्टोरिया की मूर्ति (Princess Louise's statue of Queen Victoria) लगी हुई है. केंसिंग्टन पैलेस के सामने दायें तरफ रॉयल पॉन्ड (Royal Pond) है जिसमें बहुत पक्षी दिखते हैं. लोग उनको खाना डालते हैं. यहाँ बच्चों के लिए झूले लगे थे जिनमें बच्चों ने आनंद लिया. केंसिंग्टन गार्डन में स्थित इन स्थानों का विवरण आगे दिया गया है.

अल्बर्ट मेमोरियल लंडन के पास लक्ष्मण बुरड़क और गोमती बुरड़क

अल्बर्ट मेमोरियल (Albert Memorial) : अल्बर्ट मेमोरियल केन्सिंगटन गार्डन, लंडन में शाही अल्बर्ट सभागृह के सीधे उत्तर की ओर स्थित है. यह रानी विक्टोरिया द्वारा अपने प्यारे पति राजकुमार अल्बर्ट की याद में स्थापित किया गया था, जिनकी मृत्यु 1861 में हुई थी. यह सर जॉर्ज गिल्बर्ट स्कॉट द्वारा गोथिक पुनरुद्धार शैली में डिजाइन किया गया था.

इसका अलंकृत चंदवा या मंडप गोथिक शैली में 176 फीट ऊँचा है. एक चर्च की ऊंची वेदी पर दक्षिण की ओर मुँह किए राजकुमार की एक मूर्ति इसमें लगी है. इसे पूरा करने में दस साल का समय लगा था. महारानी विक्टोरिया द्वारा जुलाई 1872 में स्मारक को खोला गया था और 1876 में औपचारिक रूप से बैठी मुद्रा में राजकुमार अल्बर्ट की प्रतिमा स्थापित की गई थी.

रॉयल अल्बर्ट हाल, लंदन

रॉयल अल्बर्ट हाल (Royal Albert Hall): रॉयल अल्बर्ट हॉल एक है कॉन्सर्ट हॉल है जो दक्षिण केंसिंग्टन , लंदन के उत्तरी छोर पर स्थित है. यूनाइटेड किंगडम की सबसे बहुमूल्य और विशिष्ट इमारतों में से एक है. इसमें 5272 सीटें हैं. 1871 में महारानी विक्टोरिया द्वारा हॉल के उद्घाटन के बाद से, कई प्रदर्शन शैलियों के दुनिया के प्रमुख कलाकार इसके मंच पर दिखाई दिए हैं. यह प्रोम्स कॉन्सर्ट का स्थान है , जो 1941 से हर गर्मियों में आयोजित किया जाता है. सालाना मुख्य सभागार में 390 से अधिक शो की मेजबानी करता है, जिसमें शास्त्रीय, रॉक और पॉप संगीत कार्यक्रम, बैले, ओपेरा, लाइव आर्केस्ट्रा के साथ फिल्म स्क्रीनिंग शामिल हैं. गैर-ऑडिटोरियम रिक्त स्थान में प्रत्येक वर्ष 400 से अधिक संगत, खेल, पुरस्कार समारोह, स्कूल और सामुदायिक कार्यक्रम, दान प्रदर्शन और भोज आदि के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

हॉल को मूल रूप से कला और विज्ञान का केंद्रीय हॉल कहा जाता था, लेकिन 1867 में अपने पति प्रिंस अल्बर्ट , जिनकी छह साल पहले मृत्यु हो गई थी, की याद में हॉल की आधारशिला रखने पर महारानी विक्टोरिया द्वारा इसका नाम बदलकर रॉयल अल्बर्ट हॉल ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज कर दिया गया था. यह प्रिंस कंसोर्ट के स्मारक का व्यावहारिक हिस्सा है; सजावटी हिस्सा केंसिंग्टन गार्डन में सीधे उत्तर में अल्बर्ट मेमोरियल है , जिसे अब केंसिंग्टन गोर द्वारा हॉल से अलग किया गया है.

भारत की स्वर कोकिला के रूप में जानी जाने वाली गायिका लता मंगेशकर को लंदन के प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल में लाइव प्रस्तुति देने वाली पहली भारतीय कलाकार होने का गौरव प्राप्त है.

केन्सिंग्टन पैलेस, लंदन
केंसिंग्टन पैलेस के सामने प्रिंसेस लुसे की रानी विक्टोरिया की मूर्ति

केन्सिंग्टन पैलस (Kensington Palace): केन्सिंग्टन पैलेस, लंदन के केन्सिंग्टन और चेल्सी के शाही बरो में स्थिति एक शाही निवास है. यह महल, 17वीं सदी से ही ब्रिटिश शाही परिवार का निवास रहा है. यह वर्त्तमान समय में कैम्ब्रिज की डचेस और ड्यूक, सस्सेक्स की डचेस और ड्यूक, Princess Eugenie of York, प्रिंस हैरी, ग्लौकेस्टर की डचेस और ड्यूक, केंट की डचेस और ड्यूक तथा केंट के राजकुमार और राजकुमारी माइकल का आधिकारिक लंदन निवास है.

आजकल इस महल में सीमित सार्वजनिक दर्शन की अनुमति है. राजकीय कक्ष आम जनता के दर्शन हेतु खुले हैं, जबकि रिहाइशी क्षेत्र की प्राइवेसी बरकरार राखी गयी है. सार्वजिनक दर्शन हेतु क्षेत्र को हिस्टोरिक रॉयल पैलेसेज नामक एक गैर-सरकारी चैरिटी द्वारा प्रबंधित की जाती है, जबकि शाही गृहवास, शाही परिवार के निजी क्षेत्र की देखरेख करता है.

केंसिंग्टन पैलेस के सामने एक सुंदर और कलात्मक प्रिंसेस लुसे की रानी विक्टोरिया की मूर्ति (Princess Louise's statue of Queen Victoria) लगी हुई है.

केंसिंग्टन गार्डन (Kensington Garden): केंसिंग्टन गार्डन लंदन के रॉयल पार्कों में से एक हैं. कभी यह गार्डन केंसिंग्टन पैलेस के निजी उद्यान हुआ करते थे. केंसिंग्टन गार्डन वेस्टमिंस्टर शहर तथा केंसिंग्टन और चेल्सी के रॉयल बरो द्वारा साझा किए जाते हैं. पश्चिमी मध्य लंदन में हाइड पार्क के तुरंत पश्चिम में स्थित हैं. उद्यान का क्षेत्रफल 270 एकड़ है. केंसिंग्टन गार्डन, हाइड पार्क, ग्रीन पार्क और सेंट जेम्स पार्क के खुले स्थान मिलकर लंदन के मध्य में लगभग निरंतर "ग्रीन लंग" का काम करते हैं.

केंसिंग्टन गार्डन को आम तौर पर पड़ोसी हाइड पार्क की पश्चिमी सीमा के रूप में माना जाता है, जहां से उन्हें मूल रूप से लिया गया था, जिसमें वेस्ट कैरिज ड्राइव (द रिंग) और सर्पेन्टाइन ब्रिज उनके बीच की सीमा बनाते थे. गार्डन हाइड पार्क की तुलना में बड़ा और अधिक औपचारिक हैं। केंसिंग्टन गार्डन केवल दिन के उजाले के घंटों के दौरान खुला रहता है, जबकि हाइड पार्क पूरे वर्ष सुबह 5 बजे से मध्यरात्रि तक खुला रहता है.

केंसिंग्टन गार्डन (Kensington Garden) में बहुत पर्यटक आते हैं. हमने भी केंसिंग्टन गार्डन में विश्राम किया. विश्राम के बाद केंसिंग्टन गार्डन मे ही केंसिंग्टन पैलेस (Kensington Palace) हैं. केंसिंग्टन पैलेस के सामने दायें तरफ रॉयल पॉन्ड (Royal Pond) है जिसमें बहुत पक्षी दिखते हैं. भारत की तरह यहाँ भी पर्यटक लोग पक्षियों को दाना डालते हैं. शौर्य और खुशी ने भी पक्षियों को दाना डाला और पक्षियों के साथ अठखेलियाँ की और आनंद लिया. केंसिंग्टन गार्डन में बच्चों के लिए झूले लगे थे जिनमें बच्चों ने आनंद लिया. इन स्थानों का विवरण आगे दिया गया है.

केंसिंग्टन गार्डन की झलकियाँ

केंसिंग्टन गार्डन से निकल कर बेयसवाटर रोड (Bayswater Road) पार की. पहला स्टेशन क्वींसवे (Queensway) था परंतु यहाँ बहुत गंदगी थी. इस क्षेत्र में अफ्रीकन लोग ज्यादा रहते हैं. इंग्लैंड में यह पहली जगह हमने देखी जहाँ इतनी गंदगी थी. यहाँ पुलिस भी कुछ खास नियंत्रण करने की स्थिति में नहीं दिख रही थी. हमने ट्रेन यहाँ से न पकड़कर अगले स्टेशन बायसवाटर (Bayswater) से ट्रेन पकड़कर साउथक्रोडन (South Croydon) पहुँचे. वहाँ से ट्रेन बदलकर बर्जेश हिल 7 बजे वापस पहुँचे.

इतिहासकार श्री धर्मपाल सिंह डूडी जी से मेरी इंग्लैंड के इतिहास और ऐतिहासिक स्थानों की पुष्टि के संदर्भ कई बार चर्चा हुई थी. यह भी चर्चा हुई थी कि लंदन प्रवास के दौरान उनसे मिलेंगे परंतु साथ में बच्चों के होने से और समयाभाव के कारण उनसे मिलना संभव नहीं हो सका.

पर्यटन महत्व के देखे गए स्थानों का अंग्रेजी में संक्षिप्त विवरण आगे दिया गया है:

Source - Facebook Post of Laxman Burdak, 06.08.2022


Brief description of the landmarks of London, England

Westminster Bridge is a road-and-foot-traffic bridge over the River Thames in London, linking Westminster on the west side and Lambeth on the east side. The bridge is painted predominantly green, the same colour as the leather seats in the House of Commons which is on the side of the Palace of Westminster nearest to the bridge.

London Eye: The London Eye, or the Millennium Wheel, is a cantilevered observation wheel on the South Bank of the River Thames in London. It is Europe's tallest cantilevered observation wheel, and is the most popular paid tourist attraction in the United Kingdom with over 3 million visitors annually. It has made many appearances in popular culture. The London Eye is a giant Ferris wheel on the South Bank of the River Thames in London. It is Europe's tallest Ferris wheel. The London Eye offered the highest public viewing point in London.

Elizabeth Tower/Big Ben: Big Ben is the nickname for the Great Bell of the striking clock at the north end of the Palace of Westminster in London, England, and the name is frequently extended to refer also to the clock and the clock tower. The official name of the tower in which Big Ben is located was originally the Clock Tower, but it was renamed Elizabeth Tower in 2012 to mark the Diamond Jubilee of Elizabeth II.

Palace of Westminster is the meeting place of the House of Commons and the House of Lords, the two houses of the Parliament of the United Kingdom. Commonly known as the Houses of Parliament after its occupants, the Palace lies on the north bank of the River Thames in the City of Westminster, in central London.

Westminster Abbey, formally titled the Collegiate Church of St Peter at Westminster, is a large, mainly Gothic abbey church in the City of Westminster, London, just to the west of the Palace of Westminster.

Westminster Central Hall - The Methodist Central Hall (also known as Central Hall Westminster) is a multi-purpose venue in the City of Westminster, London, serving primarily as a Methodist church and a conference centre. The building, which is a tourist attraction, also houses an art gallery, a restaurant, and an office building (formerly as the headquarters of the Methodist Church of Great Britain until 2000).

Queen Elizabeth Centre: The Queen Elizabeth II Centre is a conference facility located in the City of Westminster, London, close to the Parliament of the United Kingdom, One Great George Street, Central Hall Westminster and Parliament Square.

Portcullis House - Portcullis House is an office building in Westminster to provide offices for 213 members of parliament and their staff. Part of the Parliamentary Estate, the building augments limited space in the Palace of Westminster and surroundings.

Parliament Square: Parliament Square is a square at the northwest end of the Palace of Westminster in central London. It features a large open green area in the centre with trees to its west, and it contains twelve statues of statesmen and other notable individuals.

Horse Guards Parade - Horse Guards Parade is a large parade ground off Whitehall in central London. It is the site of the annual ceremonies of Trooping the Colour, which commemorates the monarch's official birthday, and Beating Retreat. Horse Guards Parade was formerly the site of the Palace of Whitehall's tiltyard, where tournaments (including jousting) were held in the time of Henry VIII. It was also the scene of annual celebrations of the birthday of Queen Elizabeth I. The area has been used for a variety of reviews, parades and other ceremonies since the 17th century. The adjacent Horse Guards building was once the Headquarters of the British Army. The Duke of Wellington was based in Horse Guards when he was Commander-in-Chief of the British Army. The current General Officer Commanding London District still occupies the same office and uses the same desk. Wellington also had living quarters within the building, which today are used as offices.

Imperial war Museum: Imperial War Museums (IWM) is a British national museum organisation with branches at five locations in England, three of which are in London. Founded as the Imperial War Museum in 1917, the museum was intended to record the civil and military war effort and sacrifice of Britain and its Empire during the First World War. The museum's remit has since expanded to include all conflicts in which British or Commonwealth forces have been involved since 1914. As of 2012, the museum aims "to provide for, and to encourage, the study and understanding of the history of modern war and 'wartime experience'."

The museum's collections include archives of personal and official documents, photographs, film and video material, and oral history recordings, an extensive library, a large art collection, and examples of military vehicles and aircraft, equipment, and other artefacts.

St Margaret Church: Church of St Margaret, Westminster Abbey, is situated in the grounds of Westminster Abbey on Parliament Square.

Buckingham Palace: Buckingham Palace is the London residence and administrative headquarters of the monarch of the United Kingdom. Located in the City of Westminster, the palace is often at the centre of state occasions and royal hospitality. It has been a focal point for the British people at times of national rejoicing and mourning. Originally known as Buckingham House, the building at the core of today's palace was a large townhouse built for the Duke of Buckingham in 1703 on a site that had been in private ownership for at least 150 years. It was acquired by King George III in 1761 as a private residence for Queen Charlotte and became known as The Queen's House.

It was acquired by King George III in 1761 as a private residence for Queen Charlotte and became known as The Queen's House. During the 19th century it was enlarged, principally by architects John Nash and Edward Blore, who constructed three wings around a central courtyard. Buckingham Palace became the London residence of the British monarch on the accession of Queen Victoria in 1837.

The last major structural additions were made in the late 19th and early 20th centuries, including the East Front, which contains the well-known balcony on which the British royal family traditionally congregates to greet crowds. A German bomb destroyed the palace chapel during the Second World War; the Queen's Gallery was built on the site and opened to the public in 1962 to exhibit works of art from the Royal Collection.

The original early-19th-century interior designs, many of which survive, include widespread use of brightly coloured scagliola and blue and pink lapis, on the advice of Sir Charles Long. King Edward VII oversaw a partial redecoration in a Belle Époque cream and gold colour scheme. Many smaller reception rooms are furnished in the Chinese regency style with furniture and fittings brought from the Royal Pavilion at Brighton and from Carlton House. The palace has 775 rooms, and the garden is the largest private garden in London. The state rooms, used for official and state entertaining, are open to the public each year for most of August and September and on some days in winter and spring.

At the rear of the palace is the large and park-like garden, which together with its lake is the largest private garden in London. The Mall, a ceremonial approach route to the palace, was designed by Sir Aston Webb and completed in 1911 as part of a grand memorial to Queen Victoria. It extends from Admiralty Arch, across St James's Park to the Victoria Memorial.

Victoria Memorial: The Victoria Memorial is a monument to Queen Victoria, located at the end of The Mall in London, and designed and executed by the sculptor (Sir) Thomas Brock. Designed in 1901, it was unveiled on 16 May 1911, though it was not completed until 1924. It was the centrepiece of an ambitious urban planning scheme, which included the creation of the Queen’s Gardens to a design by Sir Aston Webb, and the refacing of Buckingham Palace (which stands behind the memorial) by the same architect.

Like the earlier Albert Memorial in Kensington Gardens, commemorating Victoria's consort, the Victoria Memorial has an elaborate scheme of iconographic sculpture. The central pylon of the memorial is of Pentelic marble, and individual statues are in Lasa marble and gilt bronze.

St James's Park is a 23-hectare park in the City of Westminster, central London. The park lies at the southernmost tip of the St James's area, which was named after a leper hospital dedicated to St James the Less. It is the most easterly of a near-continuous chain of parks that also includes (moving westward) Green Park, Hyde Park, and Kensington Gardens. The park is bounded by Buckingham Palace to the west, the Mall to the north, Horse Guards to the east, and Birdcage Walk to the south. It meets Green Park at Queen's Gardens with the Victoria Memorial at its centre, opposite the entrance to Buckingham Palace. St James's Palace is on the opposite side of The Mall. The closest London Underground stations are St James's Park, Green Park, Victoria, and Westminster.

Natural History Museum in London exhibits a vast range of specimens from various segments of natural history. It is one of three major museums on Exhibition Road in South Kensington, the others being the Science Museum and the Victoria and Albert Museum. The Natural History Museum's main frontage, however, is on Cromwell Road.

The museum is home to life and earth science specimens comprising some 80 million items within five main collections: botany, entomology, mineralogy, palaeontology and zoology. The museum is a centre of research specialising in taxonomy, identification and conservation. Given the age of the institution, many of the collections have great historical as well as scientific value, such as specimens collected by Charles Darwin. The museum is particularly famous for its exhibition of dinosaur skeletons and ornate architecture—sometimes dubbed a cathedral of nature—both exemplified by the large Diplodocus cast that dominated the vaulted central hall before it was replaced in 2017 with the skeleton of a blue whale hanging from the ceiling. The Natural History Museum Library contains extensive books, journals, manuscripts, and artwork collections linked to the work and research of the scientific departments; access to the library is by appointment only. The museum is recognised as the pre-eminent centre of natural history and research of related fields in the world.

Science Museum : The Science Museum is a major museum on Exhibition Road in South Kensington, London. It was founded in 1857 and is one of the city's major tourist attractions. It is one of the five museums in the Science Museum Group. The museum was founded in 1857 under Bennet Woodcroft from the collection of the Royal Society of Arts and surplus items from the Great Exhibition as part of the South Kensington Museum, together with what is now the Victoria and Albert Museum.

Imperial College London: Imperial College London, legally the Imperial College of Science, Technology and Medicine, is a public research university in London. Imperial focuses exclusively on science, technology, medicine, and business, although students can take humanities courses through their "Horizons" programme. The main campus is located in South Kensington. Imperial has a highly international community with more than 59% of students from outside the UK, and 140 countries represented on campus.

Institution of Mechanical Engineers: The Institution of Mechanical Engineers is an independent professional association and learned society headquartered in London, United Kingdom, that represents mechanical engineers and the engineering profession. With over 120,000 members in 140 countries, working across industries such as railways, automotive, aerospace, manufacturing, energy, biomedical and construction, the Institution is licensed by the Engineering Council to assess candidates for inclusion on its Register of Chartered Engineers, Incorporated Engineers and Engineering Technicians. The Institution was founded at the Queen's Hotel, Birmingham, by George Stephenson in 1847. It received a Royal Charter in 1930. The Institution's headquarters, purpose-built for the Institution in 1899, is situated at No. 1 Birdcage Walk in central London.

Victoria and Albert Museum in London is the world's largest museum of decorative arts and design, housing a permanent collection of over 2.27 million objects. It was founded in 1852 and named after Queen Victoria and Prince Albert. Located in the Brompton district of the Royal Borough of Kensington and Chelsea, in an area that has become known as "Albertopolis" because of its association with Prince Albert, the Albert Memorial and the major cultural institutions with which he was associated. These include the Natural History Museum, the Science Museum and the Royal Albert Hall.

Royal Albert Hall: The Royal Albert Hall is a concert hall on the northern edge of South Kensington, London. One of the UK's most treasured and distinctive buildings, it is held in trust for the nation and managed by a registered charity which receives no government funding. It can seat 5,272.

Since the hall's opening by Queen Victoria in 1871, the world's leading artists from many performance genres have appeared on its stage. It is the venue for the Proms concerts, which have been held there every summer since 1941. It is host to more than 390 shows in the main auditorium annually, including classical, rock and pop concerts, ballet, opera, film screenings with live orchestral accompaniment, sports, awards ceremonies, school and community events, and charity performances and banquets. A further 400 events are held each year in the non-auditorium spaces. Over its 150 year history the hall has hosted people from various fields, including meetings by Suffragettes, speeches from Winston Churchill and Albert Einstein, fights by Frank Bruno, exhibition bouts by Muhammad Ali, and concerts from performers such as Eric Clapton and Shirley Bassey.

The hall was originally supposed to have been called the Central Hall of Arts and Sciences, but the name was changed to the Royal Albert Hall of Arts and Sciences by Queen Victoria upon laying the Hall's foundation stone in 1867, in memory of her husband, Prince Albert, who had died six years earlier. It forms the practical part of a memorial to the Prince Consort; the decorative part is the Albert Memorial directly to the north in Kensington Gardens, now separated from the Hall by Kensington Gore.

Albert Memorial is situated in Kensington Gardens, London, directly to the north of the Royal Albert Hall. It was commissioned by Queen Victoria in memory of her beloved husband Prince Albert, who died in 1861. The memorial was designed by Sir George Gilbert Scott in the Gothic Revival style. It takes the form of an ornate canopy or pavilion 176 feet tall, in the style of a Gothic ciborium over the high altar of a church, sheltering a statue of the prince facing south. The memorial was opened in July 1872 by Queen Victoria, with the statue of Albert ceremonially "seated" in 1876.

  • Kensington Gardens, once the private gardens of Kensington Palace, are among the Royal Parks of London. The gardens are shared by the City of Westminster and the Royal Borough of Kensington and Chelsea and sit immediately to the west of Hyde Park, in western central London. The gardens cover an area of 270 acres. The open spaces of Kensington Gardens, Hyde Park, Green Park, and St. James's Park together form an almost continuous "green lung" in the heart of London.
Kensington Gardens are generally regarded as being the western extent of the neighbouring Hyde Park from which they were originally taken, with West Carriage Drive (The Ring) and the Serpentine Bridge forming the boundary between them. The Gardens are fenced and more formal than Hyde Park. Kensington Gardens are open only during the hours of daylight, whereas Hyde Park is open from 5 am until midnight all year round.
  • Kensington Palace is a royal residence set in Kensington Gardens, in the Royal Borough of Kensington and Chelsea in London, England. It has been a residence of the British Royal Family since the 17th century, and is currently the official London residence of the Duke and Duchess of Cambridge, the Duke and Duchess of Sussex, Princess Eugenie of York, the Duke and Duchess of Gloucester, the Duke and Duchess of Kent, and Prince and Princess Michael of Kent.
  • Statue of Queen Victoria, Kensington Palace: In 1873, Princess Louise, Duchess of Argyll resided in the apartment with her husband, the Marquess of Lorne, departing after he was appointed Governor-General of Canada for Rideau Hall. The couple returned after his tenure, and Louise used her art studio at the apartments to design and sculpt the Statue of Queen Victoria, Kensington Palace.
  • Hyde Park is a Grade I-listed major park in Central London. It is the largest of four Royal Parks that form a chain from the entrance of Kensington Palace through Kensington Gardens and Hyde Park, via Hyde Park Corner and Green Park past the main entrance to Buckingham Palace. The park is divided by the Serpentine and the Long Water. The park was established by Henry VIII in 1536 when he took the land from Westminster Abbey and used it as a hunting ground. It opened to the public in 1637 and quickly became popular, particularly for May Day parades.
Gallery of Images of London, England, 27.8.2018

इंग्लैंड के भूगोल और इतिहास का अध्ययन (Study of Geography & History of England)

Burgess Hill, England, Library
Burgess Hill, England, Library

पुस्तकालय व्यवस्था: इंग्लैंड में पुस्तकालयों की बहुत अच्छी व्यवस्था है. बर्जेस हिल में हमारे घर के पास ही पुस्तकालय था. मैं दौहते शौर्य और दौहती खुशी के साथ लगभग रोज ही पुस्तकालय जाता था. छोटे बचों के लिए टॉय-लाइब्रेरी रहती है. खिलौने यहाँ से प्रदाय होते हैं पुस्तकों की तरह ही. पुस्तकालय में किताबें या खिलौने स्वचालित मशीन से ही प्रदाय किए जाते हैं और वापस किए जाते हैं. मैं मेरी बेटी विनीता का लाईब्रेरी कार्ड ले जाता था जिस पर 7 पुस्तकें एक साथ प्रदाय हो सकती हैं. यहाँ के पुस्तकालयों में एक सेक्शन लोकल हिस्ट्री (Local History) का होता है. इसमें गाँव से लेकर जिले तक के इतिहास की पुस्तकें मिलती हैं. लोकल हिस्ट्री अनुभाग मुझे बहुत पसंद आया. ऐसी व्यवस्था भारत में भी होनी चाहिए. अगर बच्चों को अपने गाँव, तहसील और जिले की हिस्ट्री पढ़ने का अवसर मिले तो उनमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.

पुस्तकालय में प्रवेश से लेकर वापस आने तक यह पूरा ऑटोमेटिक है. उसके अंदर किताबें बहुत ही सुव्यवस्थित विषयवार जमाई हुई थी. आप वहां बैठ कर पढ़ सकते हैं या पुस्तक इशू करा सकते हैं. इशू कराने के लिए आपको किसी व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता नहीं होती. आप कंप्यूटर में दर्ज कराकर पुस्तक अपने घर ले जाकर पढ सकते हैं. निश्चित अवधी के लिए पुस्तक दी जाती है. समय होने पर आपको रिमाइंडर आ जाएगा. पुस्तक लौटाने के लिए वापस जमा कराने के लिए भी कंप्यूटर से ही की जाती है.

इन पुस्तकालयों में गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने हेतु प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है और पुरस्कार भी दिये जाते हैं. इन गतिविधियों को आयोजित करने में स्वयं सेवक आगे आते हैं. यहाँ बच्चों के लिए उपयोगी सचित्र पुस्तकें उपलब्ध होती हैं. पुस्तकों की गुणवत्ता इतनी अच्छी होती है कि उनको देखकर ही पढ़ने की इच्छा होने लगती है.

बुक रीडिङ्ग प्रतियोगिता : पुस्तकालयमें अच्छी गुणवत्ता की पुस्तकें मिलती हैं. मेरा दौहिता शौर्य यहाँ बुक रीडिङ्ग प्रतियोगिता में भाग लेता है. रोज एक पुस्तक घर लेजाकर पढनी होती है और अगले दिन पुस्तकालय आकर पुस्तक के बारे में मौखिक रूप से बताना होता है कि पुस्तक में सार रूप में क्या लिखा है. पढ़ने को प्रोत्साहन का यह अच्छा प्रयास है. बच्चों को प्रलोभन भी दिया जाता है कि अच्छे रीडर को मेडल मलेगा. कुल सात पुस्तकें पढ़नी होती हैं. यह गतिविधि वोलन्टीयर ग्रूप द्वारा मुफ्त में चलाई जाती हैं. उनके ही लोग रोज आकर मूल्यांकन करते हैं. शौर्य ने कुल 7 पुस्तकें पढ़कर सफलता पूर्वक संक्षेप में सुनाने पर गोल्ड मेडल पाया. यह तकनीक बच्चों में पढ़ने की रुचि विकसित करने के लिए मुझे बहुत उपयोगी लगी.

03.9.2018: बर्जेस हिल लाईब्रेरी से निम्न लिखित दो किताबें इशू कराई गई थी: 1. Alistair Moffat:The British: A Genetic Journey, Birlinn, 2013, ISBN: 9781780270753. 2. Rural Britain Then and Now : A Celebration of the British Countryside Featuring Photographs from the Francis Frith Collection by Roger Hunt, Forward by Sir Simon Jenkins, 2009, by Bounty Books, isbn:978-0-753719-53-4 इनका अध्ययन पूरा कर लिया है. आज सुबह लायब्रेरी गया और दोनों पुस्तकें जमा कराई.

तीसरी पुस्तक - 3. The Place Names of Sussex by A. Mawer and F.M. Stenton with the assistance of J.E.B. Gover: पुस्तकालय के लोकल हिस्ट्री सेक्शन में उपलब्ध इस पुस्तक ने वहाँ के स्थानीय नामों के मूल को समझने में सहायता की. इस पुस्तक का अध्ययन मैंने पुस्तकालय में ही किया.

जैसा की पहले भी लिखा है लायब्रेरी की सुविधा इंग्लैंड में बहुत प्रशंसनीय है. यहाँ पूरा औटोमेशन है. गेट खुलने से लेकर पुस्तकें इशू और रिटर्न करने तक. पुस्तकें भी सभी गुणवत्ता की हैं. कागज और प्रिंटिंग बहुत अच्छी है. कितने विश्वास पर चलता है यहाँ का सिस्टम. पुस्तकालय ही नहीं बस और रेल में इतनी जगह घूमे कोई चेक करने नहीं आया था. न यहाँ दुकानों में कोई आपके सामान की जाँच करता है. हर आदमी सामान चुनकर काउंटर पर बिल देकर जाता है. शॉप से शौर्य और खुशी के लिए 1.5-1.5 पॉन्ड के खिलौने लाये. कुछ चॉकलेट और केक लाये. चॉकलेट यहाँ की बहुत अच्छी हैं. चॉकलेट और केक हम साथ जयपुर भी लाये.

इन पुस्तकों से कुछ नोट तैयार किए गए हैं जिनका उपयोग Jatland.com पर यथा स्थान इतिहास की कड़ियों को जोड़ने के लिए किया गया है. महत्वपूर्ण नोट नीचे अंग्रेजी में दिये गए हैं.

The British: A Genetic Journey

1. Alistair Moffat:The British: A Genetic Journey, Birlinn, 2013, ISBN: 9781780270753.

Note:- In the History Section of the Jatland.com I have supplemented content from this book in following pages of Jatland.com (page no. in bracket is of this book):

Patna (p.37), Africa (p.37), Jwalapuram (p.37), Chauvet (France) (p.44, 47), North Sea (p.61), Stenness (p.72-75), Odin (p.75), Orkney (p.78), Papa Westray (p.78), Knap of Howar (p.78-80,89-90), Brodgar (p.89-90), Tankerness (89-90), William Jones (p.105-107), Zetland, (p.124-125), Hebrides (p.124-125), Fertile Crescent (p.125), England (p.129, 173). Cantiaci (p.140-42), Hosidius Geta, (p.140-142), Boudica (p.144), Jutes (p.173,174), Angles (p.173-174), Scotland (p.124-125,208), Saxons (p.173-174), Richard III of England (p.245),

Some notes from Alistair Moffat's Book: The British: A Genetic Journey, Birlinn, 2013, ISBN:9781780270753

About the Book

Hidden inside all of us - every human being on Earth - is the story of our ancestry. Printed on our DNA are the origins of our lineages, the time in history and prehistory when they arose, and the epic journeys people have made across the globe. Based on exciting new research involving the most wide-ranging sampling of DNA ever made in Britain, Alistair Moffat, author of the bestselling The Scots: A Genetic Journey, shows how all of us who live on these islands are immigrants. The last ice age erased any trace of more ancient inhabitants, and the ancestors of everyone who now lives in Britain came here after the glaciers retreated and the land greened once more. In an epic narrative, sometimes moving, sometimes astonishing, always revealing, Moffat writes an entirely new history of Britain. Instead of the usual parade of the usual suspects - kings, queens, saints, warriors and the notorious - this is a people's history, a narrative made from stories only DNA can tell which offers insights into who we are and where we come from.

Notes from the book The British: A Genetic Journey
(with page no. indicated in beginning)

[p.50]: There is clear link between the pioneers in southern England and the people of the painted caves like Chovaet, Lescaux etc. DNA Strengthens these connections. A very recent sample of 5000 people from all parts of Britain, both men and women - since we all carry mtDNA shows something remarkable. just under 56% of all those tested in 2012 are matrilineally descended from those bands of hunter gatherers who walked North across what is now France, or sailed Atlantic coastline and began to settle in Britain after the ice melted. Those who carry the DNA marker H and it's sub-groups are by far the largest cohort 44%, and Markers U5 and V make up the remainder. The distribution is nationwide from Orkney to Cornwall, and from East Anglia to West Wales. All of these Markers appear to have arisen in the ice age refuges and then fanned out over Europe and Britain after c.9000 BC. The highest modern frequency of H is in Basque County, at the western end of the Pyrenean Ranges, a connection that makes a powerful ancestral link with the cave painters of Chauvet, Lescaux, Altamira and elsewhere.


[p.37]: By the time brands of people had moved along the coastal rim of Arabia and reached the Persian Gulf (which may have been a delta of the Tigris and Euphrates River system rather than a body of seawater), some carried on eastwards while others split off and travelled into what became the Fertile Crescent.

Archaeological finds in Indian subcontinent confirm the recent African origin of the migrants. Stone tools from digs at Patna in western India, Jwalapuram in south-east India and Batadomba Lena in Sri Lanka are very similar in form and sophistication to those found in South Africa. The letter were discovered in the Blombos Caves on the Indian Ocean coast and at the Klasies River near the Cape. They were made by the southern migrants from Central Africa, people who probably carried the mtDNA of the earliest branches from mitochondrial Eve.


p.89: Archaeology and DNA appear to agree on the origins of the vast majority of the incomers to Britain and Ireland after c.4200 BC, those enriched for the G lineage. There were at least two major routes taken to Britain and Ireland. The shortest and the least hazardous crossing was to sail the English Channel, and many voyages began on the coasts of what is now France, Belgium and Holland. Those who landed at Ferriter’s Cove and on the Atlantic shores of Britain set a Western course form Brittany, Atlantic France and probably Iberia. The origins of the DNA or both these groups confirm the two approaches. And finds of two different types of pottery also make a secured link. What is known as linearbandkeramik, a decorated ware, came from the East, while impressed or cadial ware arrived in the Britain from the Atlantic seaways.

In this era of migrations Orkney may not have been fought over. Before the early farmers arrived in the period before Knap of Howar was built in c.3600 BC, the archipelago was probably not inhabited. Only one tiny scrap of evidence for occupation before that date has ever been found: a charred hazelnut shell at Tankerness was carbon dated to c.6000 BC. And that may have been the deposit of a summer expedition from the mainland of Scotland.

If Orkney was empty, green and fertile Arcadia, that may have encouraged the precocious culture that built the temples at Ness of Brodgar and the moment around them. Other Innovations flowed South. Too heavy and fragile for the mobile Life style of the hunter-gatherers, pottery, the first man-made product in Britain, who needed by sedentary farming Communities for storage.

But it is very difficult to identify the DNA of this remarkable Society. Modern Orkney is not populated by a high percentage of men who carry G lineage – infact they are rarer than in mainland


[p.90]: Britain. Instead, another marker from a much later period seems to have largely supplanted the DNA of their farmers. Scandinavians, the Vikings, began raiding at the end of the 8th century AD and when they settled Orkney, they seem to have carried out a similarly brutal removal of the natives as happened across the rest of Britain c.4000 BC.

The four centuries between 4200 BC and 3800 BC saw a radical change. The Wildwood, the temperate jungle that carpeted Britain, was cleared in many places to create fields and pasture. The climate changed to favour the farmers as after c. 4100 BC the summers grew warmer and encouraged a more widespread growth of cereals. Winter's were colder but it remained less. But above all, men and women began to make and emphatic mark on the Landscape. Amongst the most impressive monuments to the arrival of Farming are now invisible. These were a series of mysterious wooden halls built by the incomers. All that remains now are they shadows of the postholes, but examples have been found in Aberdeenshire, Perthshire, on the banks of the River Tweed, in Oxfordshire and in Kent. It seems that all of them were burned down after a century or so of use, and archaeologists believe that they may have been the homes or even palaces of an elite. When these prehistoric lords died, the great timber halls probably became their pyres.


[p.93]: If the settlement of Britain and Ireland by groups of incoming farmers was accompanied by violence and the retention and protection of good land needed to be backed by force, then it is likely that the leaders of society, especially those who could command undertakings on the scale of Orkney and and Wessex, were supported by warbands, soldiers who could develop their skills, strategies and weapons needed to enforce, if required, the dragging of the massive stones across Salisbury Plain so that they could be pulled upright at Stonehenge. Their identity will probably never become clear, but there DNA was very likely to have been that of the invading farmers, the carriers of G lineages.

These markers announced the arrival of people whose DNA is closely linked and this event is also mirrored in the archaeological record. Between 3800 BC and 2500 BC the land was cleared and the first Monuments rose in the landscape, and what is striking is the clear cultural ties between theme - and across very long distances. .... There are very obvious connections in the style of henge-building between monuments in the Thames Valley and in North Yorkshire. Cumbrian stone circles share Close similarities with some in Ireland.


[p.98]: Like the Amesbury Archer. DNA evidence makes a link right across Europe. At a beaker cemetery at Khromsdorf in central Germany, scientists have been able to extract viable DNA from 6 individuals. Two carried them mitochondrial markers I-1 and K-1 and two men from Khromsdorf carried R-1b, a Y-DNA marker that is now found in very high frequency in North Western Europe and has not yet been seen in any other skeletons. This is also well represented in Portugal and Spain. In the deeper-past


[p.99] R1b-M269 came from the Near East and it may have reached Germany buy a more direct route. Alternatively it could have come to Portugal through the Mediterranean before men who carried it took their skills to create their Beaker package North into Europe. The mtDNA markers I-1 and K-1, are also originally from the near East. What all of this patchy evidence suggests is faded map of Europe, the stresses of possible migration routes in and before the third Millennium BC, and also that carriers of R1b were still arriving in Britain and Ireland 1000 Years after coming of farming. What is striking is how the DNA evidence chimes with what archaeology has discovered about the Beaker phenomenon and introduction of metalworking. Taken together, the findings of these two discipline sheds a steadier- even sensational- light on the pre-history.


[p.124]: Colder and wetter weather in Shetland, Orkney and Hebrides encouraged the spread of peat and in some places the new field boundaries set up by bronze age


[p.125]: farmers were submerged across the span of only a few generations. Upland cultivation gave way to stock-rearing and the population dwindled. Some historians believe that the eruption of Hekla triggered a migration from North Western Scotland to the east but at present there exists no firm DNA evidence to support this. The deference is detected in the east-west frequencies of the subgroups of R1b appear already to have been establishing themselves.

Where DNA does underline the sustainability of stock-rearing as a staple for prehistoric communities is in the adaptation to milk drinking. Most mammals, including human mammals, lose the ability to digest milk once they have been weaned. But, about 10000 years ago, when farming first arose in the Near East, a genetic variant arose that allowed older children and adults to continue to metabolize lactose, the sugar in milk. A small number of independent variants arose in pastoralist communities in Africa, but elsewhere across the vast regions animal milk is not drunk in any quantity.

In the early farming Communities of the Fertile Crescent, the first people in home this new genetic variant appeared had a great advantage, in that their bodies were able to use the milk of domesticated goats, sheep and cattle as a reliable and regular source of food. A process of Natural Selection began which meant that the first milk drinker’s advantage usually ensured that he or she had many children who inherited the variant and survived in turn, they themselves having many children. In this way the ability to drink milk spread very rapidly. Anyone who carries the marker of what Geneticists call lactase persistence is descendant of the original Near East farmer in whom it arose.


[p.173]: Vortigern is a title which is version of Vawr Tigherna, or Overlord, a Celtic description of a man who may have High King of southern Britain. Vortigern invited then Germanic Warriors of Horsa and Hengest, as the Picts of the North had been reading in Britannia for at least a century - Gildas called them ‘transmarini’ - and I Vortigern or overlord needed mercenaries to contain them. It has been characterized as one of the most spectacular misjudgments in British history.

The Anglo-Saxon Chronicle gives a more complete report of events: 449. In this year Mauricius and Valentinian obtained the Kingdom and reigned seven years. In their days, Hengest and Horsa, invited by Vortigern, King of Britain, came to Britain at a place which is called Ypwines fleot (Ebbsfleet) at first to help the Britons, but later they fought against them. They then sent to Anglein, ordered them to send more aid and to be told off the worthlessness of the Britons and of the excellence of the Land. They then sent them more aid. These men came from three nations of Germany: from the Old Saxons, from the Angels, and from the Jutes.


[p.174]: The Vortigern wanted the Germanic warriors to go away from Britain. But they did not go. A Barbarians Rebellion flared in the South East, and it seems that three battles fought around London and Kent were lost by the British. The Germanic incomers seized more land and began to settle. Bede is clearest on the territory they took:

  • From the Saxons- that is, the country now known as the land of the Old Saxons - came the East, South and West Saxons.
  • And from the Angles - that is, the country known as Angulus, which lies between the province of the Jutes and Saxons and is said to remain unpopulated to this day - are descended the east and the Middle Angles, the Mercians, all the Northumbrian stock (that is, those people living north of the River Humber), and other English peoples.

Rural Britain Then and Now

2. Rural Britain Then and Now : A Celebration of the British Countryside Featuring Photographs from the Francis Frith Collection by Roger Hunt, Forward by Sir Simon Jenkins, 2009, by Bounty Books, isbn:978-0-753719-53-4

I borrowed the book "Rural Britain Then and Now" from Library of Burgess Hill and studied from beginning to end. I enjoyed reading the book. It tells the fascinating story of rural life of England. I could make a broad picture of life and culture of rural England. Some excerpts from the book are reproduced below (इस पुस्तक ने इंग्लैंड के ग्रामीण जीवन का पिछले 150 वर्षों मे हुये विकास पर बहुत अच्छा सचित्र प्रकाश डाला है. पुस्तक से लिए गए उद्धरण नीचे दिये गए हैं):

Cover page: In 1860, Francis Frith began to take photographs of popular tourist destinations round Britain so holidaymakers could take home souvenirs of their visit. Over the next 50 years, he and his team of photographers took thousands of photographs for Victorian tourists to paste into their albums. From churches to windmills, castles to carts, nothing was missed by the camera, and the resulting archive is not only a record of a century of social change, but a glimpse into Britain's past. Through this remarkable collection of pictures, the story of the countryside unfolds. Brought up-to-date by contemporary photographs, "Rural Britain Then and Now" tells the fascinating story of rural life and will be enjoyed by lovers of the countryside past and present.

Forward by Sir Simon Jenkins: [p.9] Rural Britain is a novel concept. Once upon a time the essence of any nation was rurality. Britain was a sea of Hills, fields and trees in which settlements were Islands. The countryside was populated, but in cottages and villages that owed their existence to the landscape. Britain lived off the countryside and depended on dependent on the countryside.

Until recently those recording the state of Britain wandered through and unchanging scenery of images such as those in this book. From Celia Fiennes and Jonathan Swift to William Cobbett and George Borrow, they witnessed country people and country institutions. Between the world wars, travelers such as H M Morton and Arthur Mee treated National culture as rural, and urbanism as an aberration. Morton avoided towns when he went ‘in search of England’. He knew when he reached the age of the city, at a tollgate, inn or last row of houses. Come the first hedgerow and ‘the keenair was like wine to me, the green of the young leaves was like music.’

Today Morton and others would be shocked. Rural Britain is suffering terrible abuse. The controls introduced to counter the ribbon development of the 1930s are in Decays. For half a century development has been contained within or round existing settlement. The movement to save all buildings, begun by William Morris in the 19th century, increased awareness of country architecture. It protected churches, farms and manors. A sort of line was held.

By the end of the 20th century pressure for building seemed irresistible. outside national parks and specifically protected areas, countryside is no longer safe. Town centres have been allowed to empty and colonise their surrounding counties. Fields and Woods across that southern England are sprouting housing and industrial estates, Hypermarkets, warehouses, pylons, masts, and wind turbines. The occupation of rural Britain is running at the rate of the city the size of Bristol every 5 years.

This has been fuelled by a change in the Rural economy. Many of the country people depicted in these photographs could not live in the same Village as today. Their aircraft have died and their children moved to the city. Farming is being replaced by ‘ex-urban’ activities, by commuting, sport and leisure, by second homes and retirement cottages. Only a small minority of those living in villages work on the land. But while the residents, and the economy, of rural Britain may have changed, the visual Impact of what survives is remarkably constant. It is still green. It is still beautiful.

The social condition of rural Britain beers no comparison with the picturesque poverty of century ago. But as a backdrop for what we now value in the country I find it as a vivid as ever. We can note the change in the road surfaces, vehicles, clothes and cleanliness. But the church and the inn, the soap and the Cottage, the farm and the village Street are there still. The countryside remains cherished and valued by those who occupy it. New people may love it in new ways and for news reasons. But love it they do, and want to see it guarded. This book shows us what must fight to protect.

Sir Simon Jenkins

[P.16]: Land that is difficult to exploit for crops continue to be used to support sheep-farming but, while wool was once the country’s most important industry. Today many sheep farmers struggle for living. (Image-1)

Llaindloes, Wales. Woodland and pasture is atypical of much rural Britain; this landscape has been created and managed by man as farming practices have changed and the fortunes of rural economies have ebbed and flowed. (Image-15)


[p.18]: Hutton-le Hole, North Yorkshire, today and 1955, Some places have been extensive and inappropriate development but here the wide greens that distinguish the village have altered little in the intervening years sand the change that have taken place have been in keeping with the overall aesthetics. (Image-6)


[p.19]: As many Village memorials attest, the losses the gentry and aristocracy sustained in the First World War were disproportionately heavy. (Image-19) The decline in agricultural incomes, briefly interrupted during the war, continued in the 1920s, reaching a new low in the 1930s. There was a drastic reduction in the number of domestic servants matched by a general decline in defence; people what lays ready you doff their cap and accept what they were told without question.

By the end of the Second World War, the role of structure of society has changed. By 1950 the National Trust had already acquired 42 of the larger country houses and the owners of many others need to open their doors to visitors and look at other sources of income in order to stay solvent and maintain the fabric of the buildings.

Recent Developments: it was not only the wealthy who are looking to live in the country. The shift to the cities peaked early in the 20th century and today the trend has shifted into reverse as people seek a better quality of life in the countryside. Many see the rewards of rural living a sufficient reason to spend long hours commuting to their jobs in urban areas. For others, computer technology allows them to work from home, all are at least some of the time, with the result that they can earn good incomes while improving the quality of their work and home life. Some 2.2 million people telework and it is estimated that almost a quarter of Britain could do so. The self-employed are particularly vital to the Rural economy and they spend their earnings in the local shops and get involved in community life.

Guardianship of the countryside itself remains largely the responsibility of the farming community. Subsidies are becoming rare for food production and the farming industry is increasingly divided between large scale producers and small scale, high value added operations content on niche markets. Currently, the fastest growing sector of food production is the Organic market, with its emphasis on sustainable agriculture and animal welfare. In addition, the growth of interest in the gourmet foods had created market in Rare Breeds and unusual cheeses that are the preserve of small, dedicated rural Enterprises. (Image-9)

The changing face of agricultural has moulded the shape and look of the countryside over nearly 7 millennia. In recent decades, intensive agricultural has had a negative impact on the visual and environmental quality and diversity of the Landscape, while the fall in prices received by the farmer had had a similar destructive effect on Farm incomes. (Images-7,10)


[p.20]: Diversification is, however, increasing. Many farmers are now looking to tourism and Recreation. (Image-2, old barns and out buildings being converted into luxury accommodation)

They are also reacting to the backless against chemicals in agriculture, prompted in part by the Organic Food, wildlife and green lobbies. Some are adopting environmentally friendly farming practice and investigating the generation of green energy through wind power and bio-fuels. Rural life goes - on it has simply come up to date to survive.


[p.21]:Britain’s diverse rural landscape has always offered itself to wide variety of uses including cereal growing, livestock, touring, hunting and forestry. Dry stone walled fields and moors near Chitheroe, Lankashire reflect age-old farming practices. (Image-9)


[p.22]: Stow-on-the-world, Gloucestershire, the brilliant yellow Rape Crop, introduced in 1970s, is just one of many changes in farming practice that have transformed Britain’s landscape. (Image-15)


[p.23]: Rosendale, North York Moors, Yorkshire, Agriculture alone is not responsible for the habitation of rural areas. Many communities have developed, like this mining village, to exploit natural resources such as coal, tin and lead. The long thin design of the street village, has been influenced by road pattern. (Image-8)


[p.34]: Lavenham, Suffolk, The most notable features of any vernacular building include its colour and texture. Often this results from coatings of lime-wash, pigmented with vibrant hues. This was often applied by agricultural workers during quit periods or when they were unable to work on the land. (Image-16, UK Home)


[p.35]: Hill House farm, Herefordshire, By the end of 18th century bricks were widely used. The coming of first canals and when railways meant that they could be easily transported to non-claybearing regions. As a result distinctive vernacular building styles began to disappear. (Image-17, UK Home)


[p.36]: Swinsty Hall, West Yorkshire. Stone forms the roof, walls, window mullions and garden wall of this 15th century building. It was no doubt hewn from a local quarry and the quality of its dressing directly reflects the importance of the house. (Image-18, UK Home)

Quarried in Devon, Cornwall and Wales, slate has been used since 12th century. Its use increased dramatically during 18-19th century with the development of canals and railway; indeed in some areas it came close to entirely replacing thatch. Unbaked earth, often mixed with straw, is an ancient material. Employed walls of buildings, its use was wide spread in Britain until 19th century. These buildings keep cool in summer and warm in winter.The greatest construction of earth-built structures are in southwest,


[p.39]: East Anglia and in parts of midlands.


The Rural year
(Note- We are reproducing below major festivals of rural life in Britain)

[p.41]: The Rural year: The seasons – spring, summer, autumn, winter – are a powerful force in rural life in Britain; also bring great beauty to the countryside, changing its appearance. People of Britain are in tune with nature. Passing of a season is a major aspect of life in rural life and key points in the farming calendar were marked , and still celebrated, in towns and villages all over the country.

Most of the festivities are clearly pre-Christian in origin, commemorating the important days of Celtic year, such as the summer and winter solaces and spring and autumn equinoxes. Most of them were, however, given a Christian meaning in the early middle ages in order to confer a degree of religious respectability.

Close to the beginning of the year, Candlemas Day, on 2 February, which marks the mid point of winter, half way between the winter solstice and spring equinox. It was to commemorate ritual purification of Mary 40 days after the birth of Christ. While it was observed as such as early as 4th century ad, its pre-Christ origin is plain, it coincides with Februa, the Roman feast of purification, and with the Celtic Imbolc.

Shrove Tuesday or ‘panecake day’ signals beginning of Lent. The word Shrove comes from old word ‘shrive’ which means to confess. The middle ages people used to confess their sins on this day.

Lady-day on 25 March. Marks the spring, or vernal, equinox, the halfway point between candlemad and Beltane (May Day). In the Christian calendar it commemorates the feast of annunciation, and was chosen because it preceded the birth of Christ by nine months. For the farming community it was the first quarter-day (the others are mid summer day, Michael day and Christmas), the time for payment of rent and other manorial dues.

Easter, which commemorates the resurrection, is celebrated on the first Sunday that occurs after the first full moon on or after the spring equinox; it falls between 22 March and 25 April.

May day is the Celtic festival of Beltane. Following Celtic chronology it was the mid-point of the year. It marked the first day of summer, and was celebrated with huge bonfire to honour the sun. Traditionally, it was the day when the cattle were turned out. Maypoles were made from young trees brought in from nearby woods and, having been decorated with paint and streamers, they were setup in middle of the village green. Bringing the maypole into village was the key point of celebration and prelude to a day of dancing and festivities that also included the crowning of May Queen and children carrying garlands of flowers in procession. It was given no Christian dimension and in 17th century it was common for young men and women to spend the previous night in the woods. It is for this reason that the Puritans frowned on May Day celebrations, making maypoles illegal, briefly in 1644.

Midsummer Day marks the summer solstice, with the largest day of the year falling around 21 June. It was adopted by Christians as the feast of St John the Baptist, in the way that Yule, the winter solstice, became Christmas.


[p.42]: Lammas Day , on 1 August is religious feast day celebration St Peters deliverance from prison and is a quarter day in Scotland. The name is derived from ‘loaf-mass’, when a loaf made from the first ripe corn was offered in the service of holy communion.

The harvest festival, which coincides with the autumn equinox , is usually held on or around 23 September. Traditionally it was biggest occasion for eating and drinking in the rural calendar, celebrating the completion of the huge communal task of gathering in the harvest.

Michaelmas Day, on 29 September, is the feast of St Michael the Archangel. It marks the end of the farming year. Traditionally, it was the time when houses and land changed hands, and farm workers and domestic servants were hired for coming year. Goose fairs and sheep sales were held on this day for hundreds of years, and in various parts of country Michael day continues be known as goose day.

On 31 October Samhain, the Celtic new year, is celebrated with Halloween. It precedes all saints day, the commemoration of saints and martyrs, on 1 November.


Gallery of Images of Rural Britain

Source - Rural Britain Then and Now : A Celebration of the British Countryside Featuring Photographs from the Francis Frith Collection by Roger Hunt, Forward by Sir Simon Jenkins, 2009, by Bounty Books, isbn:978-0-753719-53-4

The Place Names of Sussex

3. The Place Names of Sussex by A. Mawer and F.M. Stenton with the assistance of J.E.B. Gover:

पुस्तकालय के लोकल हिस्ट्री सेक्शन में उपलब्ध इस पुस्तक ने वहाँ के स्थानीय नामों के मूल को समझने में सहायता की. इस पुस्तक का अध्ययन मैंने पुस्तकालय में ही किया.

इंग्लैंड का भूगोल, इतिहास, समाज और जनजीवन

Glimpses of Geography, History and Social Life in England
इंग्लैंड का भूगोल, इतिहास, समाज और जनजीवन

इंग्लैंड के बारे में मेरे द्वारा फेसबुक पोस्टों में दी गई जानकारी के बाद अनेक लोगों की इच्छा वहाँ के समाज और जनजीवन के बारे में जानने की थी. नीचे इंग्लैंड के भूगोल, इतिहास, जनजीवन और रहन-सहन पर प्रकाश डाला गया है ताकि हम समझ सकें कि जो लंबे समय तक भारत के शासक रहे हैं वहाँ आज क्या स्थिति है और भारत की तुलना में इंग्लैंड कितना विकसित है.

इंग्लैंड यात्रा में दिन-रात की समयावधि में अन्तर विवरण: लंदन के लिए 14 जून 2018 को सुबह जयपुर से जेट एयरवेज से यात्रा प्रारंभ हुई. दिल्ली से दोपहर IST:13.05 पर लंडन के लिए रवाना हुआ. लंदन हीथरो हवाई अड्डे पर पहुँचने का निर्धारित ब्रिटिश टायम शाम BST:18.20 (IST:23.00) है. दिल्ली से लंदन की दूरी 6712 किमी है. लंडन से बर्जेस हिल सूर्यास्त के समय शाम 9.30 (IST:02.00) बजे पहुँचे. यात्रा के दिन पूरे 21 घंटे दिन-दिन में यात्रा की. यह पश्चिम दिशा में यात्रा करने के प्रभाव के कारण दिन की अवधी लंबी हुई.

वापसी में 03.9.2018 को जेट एयरवेज से रात 9.20 (भारतीय समय रात्री 1.50) पर हीथ्रो हवाई अड्डे से रवाना हुए और सुबह मुंबई में भारतीय समय 10.30 पर पहुँच गए. विपरीत दिशा में यात्रा से रात्री काल (6 घंटे) छोटा हो गया. लंदन से मुंबई की दूरी 7600 किमी है.

इंग्लैंड का भूगोल

इंग्लैंड, ग्रेट ब्रिटेन का एक भाग है. ग्रेट ब्रिटेन में इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड शामिल हैं. ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड को मिलाकर इसे युनाईटेड किंगडम (यूके) बोला जाता है. इंग्लैंड में 314 जिले हैं. जिले को प्राय: काउंटी बोला जाता है. जिले के नाम में shire जुड़ा रहता है. तहसील को parish कहा जाता है. इंग्लैण्ड, ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है. इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है. यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है. इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं. यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है. यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है. इंग्लैंड के धरातल की संरचना का इतिहास बड़ी ही उलझन का है. यहाँ मध्यनूतन (मायोसीन) युग को छोड़कर प्रत्येक युग की चट्टानें मिलती हैं जिनसे स्पष्ट है कि इस भाग ने बड़े भूवैज्ञानिक उथल-पुथल देखें हैं. आयरलैंड का ग्रेट ब्रिटेन से अलग होना अपेक्षाकृत नवीन घटना है. इग्लैंड का डोवर जलडमरूमध्य द्वारा महाद्वीप से अलग होना और भी नई बात है, जो मानव-जीवन-काल में घटित कही जाती है. धरातल की विभिन्नता के विचार से इंग्लैंड को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है : 1. ऊँचे पठारी भाग, 2. मैदानी भाग।

ऊँचे पठारी भाग इंग्लैंड के उत्तर पश्चिमी भाग में मिलते हैं, जो प्राचीन चट्टानों द्वारा निर्मित हैं. हिमयुग में हिम से ढके रहने के फलस्वरूप यहाँ के पठार घिसकर चिकने हो गए हैं. दूसरी ओर मैदानी भाग नर्म चट्टानों, बलुआ पत्थर, चूना पत्थर तथा चिकनी मिट्टी (क्ले) के बने हैं. चूना पत्थर के नीचे गोलाकार पहाड़ियाँ निर्मित हो गई हैं, खड़िया (चाक) के पर्वतीय ढाल. नीचे के मैदानी भाग प्राय: दोमट मिट्टी के बने हैं.

जलवायु: इंग्लैंड उत्तर-पश्चिमी यूरोपीय प्रदेश के समशीतोष्ण एवं आर्द्र जलवायु के क्षेत्र में पड़ता है. इस का वार्षिक औसत ताप 0 डिग्री से. ( 32 °F.) से 32 डिग्री से. (90 °F) है, जो क्रमश: दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर घटता जाता है. शीतकाल में इंग्लैंड के सभी भागों का औसत ताप 40 डिग्री फा. से ऊपर रहता है, पश्चिम से पूर्व की ओर घटता जाता है. दिसंबर-जनवरी-फरवरी सबसे ठंडे माह होते हैं. जुलाई सबसे गर्म माह होता है. मार्च-मई स्प्रिंग का मौसम रहता है. जून से अगस्त माह समर का मौसम रहता है. सितंबर से नवम्बर Autumn कहलाता है.

पश्चिमी भाग गल्फस्ट्रीम नामक गर्म जलधारा के प्रभाव से प्रत्येक ऋतु में पूर्वी भाग की अपेक्षा अधिक गर्म रहता है. वर्षा उत्तर पश्चिमी भागों तथा ऊँचे पठारों पर अधिक तथा पूर्वी मैदानी भागों में कम होती है. वर्ष भर पछुवाँ हवा की पेटी में पड़ने के साथ कारण वर्षा बारहों मास होती है. आकाश साधारणतया बादलों से छाया रहता है, जाड़े में बहुधा कुहरा पड़ता है तथा कभी-कभी बर्फ भी पड़ती है.

हम जब यहाँ आए थे 14 जून को तो सूर्योदय 4.30 पर होता था और सूर्यास्त 9.30 पर. 15 अगस्त को यह समय क्रमशः सुबह 6.15 और शाम 8.30 हो गया है. शुरू में रात का तापमान 9 डिग्री से. था और बीच में बढ़कर 20-22 से. डिग्री तक पहुँच गया था. 15 अगस्त को फिर से 10-13 डिग्री से. हो गया है. जुलाई का महिना सूखा गया. दिन का तापमान 25-30 डिग्री तक पहुँच गया था. बढ़ा हुआ तापमान एक सप्ताह तक ही रहा. इस अवधी में पेड़ पौधे और घास सूख गये थे. कहते हैं 1976 के बाद इतना सूखा इस वर्ष ही गया है. अगस्त में वर्षा होने से फिर से हरा-भरा हो गया है.

मौसम विभाग की भविष्यवाणी यहाँ सटीक होती है. लोग नेट से मौसम की जानकारी लेकर ही दिनचर्या बदलते हैं या प्रवास का प्रोग्राम बनाते हैं. अगले दिनों की यात्रा आदि का निर्धारण मौसम की जानकारी लेकर ही करते हैं.

पर्यावरण :

इंग्लैंड का पर्यावरण बहुत सुखद है. धूल मिट्टी नहीं है. हवा और पानी शुद्ध हैं. अस्थमा जैसी समस्या से निजात मिल जाती है. पीने का पानी हम सीधा नल से ही प्रयोग करते थे. इसको फ़िल्टर या आरओ करने की आवश्यकता नहीं थी. मेरी पत्नी गोमती बुरड़क को अस्थमा और एलर्जी की शिकायत जयपुर में रहती है परंतु इंग्लैंड में एक दिन भी एलर्जी की दवा नहीं लेनी पड़ी. उनके पैरों में दर्द रहता है परंतु इंग्लैंड में यह दर्द भी नहीं हुआ. कई किमी तक पैदल घूम सकती थी. इससे एक बात तो साफ़ हो गई कि भारत में आज जो बहुत तरह की शारीरिक व्याधियाँ हैं वे पर्यावरण जनित हैं. बड़ी-बड़ी दवा कंपनियों के लिए इसीलिये भारत एक बड़ा मार्केट है.

इंग्लैंड का संक्षिप्त इतिहास:

बर्जेस हिल की लाईब्रेरी से निम्न लिखित किताबें ली गई थी जिनका अध्ययन पूरा कर इंग्लैंड के इतिहास का ज्ञान प्राप्त किया.

1. Alistair Moffat: The British: A Genetic Journey, Birlinn, 2013, ISBN:9781780270753 यह पुस्तक इतिहास के तथ्यों को वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणित करती है. इसलिये यहाँ का इतिहास कपोल कल्पित न होकर ठोस विवरण के आधार पर लिखा और संशोधित किया गया है.

2. Rural Britain Then and Now : A Celebration of the British Countryside Featuring Photographs from the Francis Frith Collection by Roger Hunt, Forward by Sir Simon Jenkins, 2009, by Bounty Books, isbn:978-0-753719-53-4: इस पुस्तक ने इंग्लैंड के ग्रामीण जीवन का पिछले 150 वर्षों मे हुये विकास पर बहुत अच्छा प्रकाश सचित्र डाला है. इस पुस्तक ने मुझे इंग्लैंड के ग्रामीण जीवन और उसके क्रमिक विकास को समझने में सहायता की.

3. The Place Names of Sussex by A. Mawer and F.M. Stenton with the assistance of J.E.B. Gover: पुस्तकालय के लोकल हिस्ट्री सेक्शन में उपलब्ध इस पुस्तक ने वहाँ के स्थानीय नामों के मूल को समझने में सहायता की.

दलीप सिंह अहलावत (pp.397-410) ने ब्रिटेन के इतिहास पर प्रकाश डाला है. भारत की तरह ब्रिटेन का बहुत प्राचीन इतिहास नहीं है. ऐसा माना जाता है कि ब्रिटेन के मूल निवासी जंगल में रहते थे और शिकार किया करते थे जिन्हें प्राचीन पत्थर युग के लोग कहा जाता है. वे खेती बाड़ी करना नहीं जानते थे बल्कि जंगली जानवरों का शिकार करके निर्वाह करते थे। कुछ काल पश्चात् ब्रिटेन पर एक दूसरी जाति ने आक्रमण किया जिन्हें नवीन पत्थर-युग के लोग अथवा आईबेरियन कहा जाता था. उनका कद छोटा तथा रंग काला था. वे मूल रूप से पश्चिमी तथा दक्षिणी यूरोप के रहने वाले थे. स्कॉटलैण्ड और आयरलैण्ड के अधिकतर निवासी उन्हीं के वंशज हैं. आईबेरियन ने खेती-बाड़ी तथा पशु-पालन शुरु किये. उनका युग 3000 ई० पू० से 2000 ई० पू० का माना गया है. जबकि प्राचीन पत्थरयुग के लोग 3000 ई० पू० में ब्रिटेन में आबाद थे.

आईबेरियन लोगों के बाद एक अधिक सभ्य जाति आई, जिसे केल्ट (Celt) कहते हैं। इन्होंने लगभग 600 ई० पू० में ब्रिटेन पर आक्रमण किया और वहां पर आबाद हो गये। केल्ट जाति के लोग आर्यवंशज थे. वे लम्बे और गोरे थे तथा उनके बाल पीले और माथे चौड़े थे. ये लोग आर्यन भाषा बोलते थे. ये लोग वीर योद्धा थे तथा लोहे के हथियारों का प्रयोग करने में निपुण थे. ये शिल्पकला में भी बड़े चतुर थे. खेती-बाड़ी इनका व्यवसाय था. इन लोगों ने दो दलों में आक्रमण किये. पहले दल के लोग गोइडल्स या गेल्स (Goidels or Gaels) कहलाते थे जो कि आज भी आयरलैण्ड और स्कॉटलैंड में पाये जाते हैं. लगभग 600 ई० पू० में दूसरे दल के लोग ब्रिथोन्स या ब्रिटोन्स (Brythons or Britons) कहलाते थे जिनके नाम पर इस टापू का नाम ब्रिटेनिया (ब्रिटेन) पड़ा.

ब्रिटेन पर केल्ट्स लोगों के बाद रोमनों के आक्रमण एवं शासन रहा। इनका ब्रिटेन पर राज्य 43 ई० से सन् 410 ई० तक 300 वर्ष रहा। 55 ई.पू. में रोमन सेनानी जूलियस सीज़र आक्रमणों ने ब्रिटेन को अशांत कर दिया. 43 ई.पू. में सम्राट् क्लादियस के शासन में ब्रिटेन पर विजय की नियमित योजना बनाई गई तथा आगामी 40 वर्षों में स्केपुला, पालिनियस और अग्रीकोला इत्यादि रोमन क्षत्रपों के अंतर्गत उसे पूरा किया गया. ब्रिटेन का बृहत् क्षेत्र 410 ई. तक रोमन प्रांत रहा तथा इस युग में इस प्रदेश की दीक्षा रोमन संस्कृति में हुई. सड़कों का निर्माण हुआ. उनसे संबंधित नगरों का उदय हुआ. रोमन विधिसंहिता वहाँ प्रचलित हुई. खानों की खुदाई शुरु हुई. नियम और व्यवस्था लाई गई. ब्रिटेन को अनाज का निर्यातप्रधान देश बनाने के लिए कृषि को महत्व मिला और लंदीनियम (आधुनिक लंदन) प्रमुख व्यापारिक नगर बन गया. रोमन साम्राज्य में, ईसाई सभ्यता के प्रसार के कारण, ब्रिटेन में भी उसके प्रचारार्थ चौथी शताब्दी के प्रारंभ में एक मार्ग ढूँढ़ा गया और कुछ कालोपरांत इसका पौधा वहाँ भी लग गया. ब्रिटेन में रोमन सभ्यता फिर भी कृत्रिम और बाह्य ही रही. जनता उससे प्रभावित न हो सकी. उसके अवशेष विशेषत: वास्तु से ही संबंधित रहे. पाँचवीं शताब्दी के आरंभ में रोम को विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध घर में संघर्ष करना पड़ा और 410 ई. में अपनी सेना इंग्लैंड से खींच लेनी पड़ी.

रोमनों के चले जाने पर ब्रिटेन कुछ समय के लिए बर्बर आक्रमणों का लक्ष्य बना. उत्तर से पिक्ट, पश्चिम से स्काट तथा पूर्व से समुद्री लुटेरे सैक्सन और जट आए. सैक्सन त्यूतन जाति के थे जिसमें ऐंगल, जट और शुद्ध सैक्सन भी सम्मिलित थे. ब्रिटेन ने जटों की सहायता माँगी. जटों ने 449 ई. में ब्रिटेन में प्रवेश कर, पिक्टों को परास्त कर, केंट प्रदेश में अपनी सत्ता स्थापित की. इसके उपरांत सैक्सन जत्थों ने ब्रिट्नों को जीत ससेक्स, वेसेक्स और एसेक्स के प्रदेश में प्रभुत्व स्थापित कर लिया. अंत में ऐंग्लों ने उत्तर और मध्य से देश पर आक्रमण किया और ऐंग्लीय व्यवस्था स्थापित की. ये तीनों विजेता जातियाँ सामान्यत: इंग्लिश नाम से प्रसिद्ध हुईं. ऐंग्लोसैक्स विजय की यह प्रक्रिया लगभग 150 वर्षों तक चली जिसमें अधिकांश ब्रिट्नों का दमन हुआ और एक नई सभ्यता आरोपित हुई.

ऐंग्लोसैक्सन विजयोपरांत सात राज्यों का सप्तशासन केंद्र, ससेक्स, वेसेक्स, एसेक्स, नार्थंब्रिया, पूर्वीय ऐंग्लिया और मर्सिया पर स्थापित हुआ. ये राज्य सतत पारस्परिक युद्धों में निरत रहे और तीन राज्य (मर्सिया, नार्थंब्रिया तथा वेसेक्स) अपनी विजयों के कारण अधिक शक्तिशाली हुए। अंत में वेसेक्स ने सर्वोपरि शक्ति अर्जित की। सप्तशासन के प्रमुख राजाओं में केंट के एथेलबर्ट, नार्थंब्रिया के एडविन, मर्सिया के पेडा तथा वेसेक्स के इतनी प्रसिद्ध हैं. रोमनों के चले जाने के पश्चात् वहां जट्स, ऐंगल्स और सैक्सन्स आए और शासन किया. इनके आक्रमण तथा शासन का काल 410 ई० से 825 ई० तक था. इन लोगों को स्केण्डेवियन या डेन लोगों ने पराजित किया जिनके आक्रमण तथा राज्य का काल 787 ई० से 1070 ई० तक था. डेन लोगों के बाद नॉरमन लोगों का ब्रिटेन पर सन् 1066 ई० से 1154 ई० तक शासन रहा. (इंगलैण्ड का इतिहास पृ० 4-6 तथा 116-118, लेखक प्रो० विशनदास एम० ए० और ए हिस्ट्री ऑफ ब्रिटेन पृ० 3-7, लेखक रामकुमार एम० ए०)

पुनर्जागरण के समय कवि तथा नाटककार शेक्सपियर ने यूरोपीय जनमानस को बहुत प्रभावित किया. सन् 1578 में एक अंग्रेज़ अधिकारी को लिस्बन की ओर जाते हुए एक पुर्तगाली जहाज को लूटने से भारत आने के मार्ग का पता चला. इसके बाद ब्रिटिश नाविकों में भारत के साथ व्यापार की इच्छा प्रबल हो गई. 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का स्थापना हुई. इसके बाद विश्व के कई स्थानों पर ब्रिटिश नाविक व्यापार करने पहुँचे. अठारहवीं सदी के अन्त तक कई जगहों पर वे राजनैतिक रूप से स्थापित हो गए. इसी समय हुई औद्योगिक क्रांति से देश की नौसेना तथा सेना सबल हो गई और अपनी सैनिक सक्ति के बल पर वे विभिन्न स्थानों पर अधिकार करने लगे. बीसवीं सदी के मध्य तक उनके पाँव दुनिया के देशों से उखड़ने लगे और अपने उपनिवेशों को उन्हें स्वतंत्र करना पड़ा. इंग्लैंड आज एक परमाणु सम्पन्न देश है तथा आर्थिक रूप से समृद्ध है. अमेरिका का सहयोगी होने के नाते और विश्व के कई देशों की राजनीति में औपनिवेशिक काल से संलग्न होने के कारण इसका राजनैतिक वर्चस्व आज भी विद्यमान है.

बर्जेस हिल:

इंग्लैंड में हम बर्जेस हिल शहर में रहे. बर्जेस हिल बहुत बड़ा शहर नहीं है. यह प्रशासकीय इकाई parish स्तर का शहर है जो लंदन से 70 किमी दक्षिण में और ब्राईटन शहर से 20 किमी उत्तर में स्थित है.इंग्लैंड के वेस्ट ससेक्स (West Sussex ) काउंटी के मिड ससेक्स (Mid Sussex District) जिले में स्थित है. इसका क्षेत्रफल करीब 10 वर्ग किमी और जनसंख्या 30635 है. शहर का नाम बर्जेय परिवार (Burgess or Burgeys) के नाम पर पड़ा है. The name of Burgeys stood for 'bourgeois', the inhabitant of a borough. इस शहर को फेयर ट्रेड टाउन का दर्जा मिला है. कई बड़ी कंपनियों के कार्यालय यहाँ स्थित हैं. सुबह उठते ही घर के पीछे चर्च वॉक रोड पर घूमने जाते हैं. इस रोड पर हमारे घर के पीछे ही बर्जेस हिल टाउन कोसिल का सुंदर भवन स्थित है. यह कार्यालय हमारे घर की खिड़की से दिखता है. रोज शाम सैंट जोन्स पार्क में जाते हैं. बहुत ही सुंदर पार्क है. बर्जेश हिल टाउन कोंसिल के पास ही बर्जेस हिल वार म्यूजियम बना है. इसमें प्रथम विश्व युद्ध और द्वीतीय विश्व युद्ध में शहीद हुये अंग्रेज सिपाहियों के नाम अंकित हैं.

बेडलैंड्स फार्म नेचर रिजर्व :

बर्जेश हिल के पास ही स्थित बेडलैंड्स फार्म नेचर रिजर्व देखने गए. 88 एकड़ में फैला हुआ यह स्थानीय नेचर रिजर्व है. इसमें घने ऊँचे-ऊँचे पुराने पेड़ हैं. झरना और तालाब हैं. कई तरह के जीव रहते हैं. जगह-जगह सूचना-पटल लगे हुये हैं जो पार्क का नक्शा और जानकारी देते हैं. अंदर पग-डंडियाँ बनी हुई हैं. छुट्टी के दिन यहाँ काफी लोग आते हैं. तालाब के दूसरी तरफ खुले घास के मैदान हैं जहाँ दो घोड़े और दूसरी तरफ अनेक होलस्टीन गायें देखने को मिली. गायें धूप से बचने के लिए पेड़ के नीचे बैठी थी पर जब हम फोटो लेने लगे तो फेंसिंग के पास आकर हमारा स्वागत सा करने लगी. गायों के कानों पर मालिक का नाम और कुछ कोड आदि की स्लिप चिपकी थी जो पहचान के लिए थे. फेंसिंग केवल एक ही तार की करीब 2.5 फीट ऊँची थी. वह भी साधारण तार था काँटेदार नहीं. गाय को जब छूने की कोशिस की तो सभी पीछे हट जाती थी. कह रही हों मानो कि आप हमें छूवो मत, केवल देखो. तालाब में बतख थे. यहाँ सभी जीव जंतुओं का आकार भारतीय जानवरों से ज्यादा बड़ा है. कबूतर, काली चिड़िया, घरेलू चिड़िया, टील आदि घरों के आस-पास भी काफी दिखती हैं. भारत के शहरों में तो पार्क अब केवल कागज और नक्शे में ही रह गए हैं. जमीन पर ये सोसायटियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं.

इंग्लैंड का ग्रामीण जीवन:

किसी देश की आत्मा उसके ग्रामीण जीवन में बस्ती है. इंग्लैंड के ग्रामीण जीवन को समझने के लिए किसी ग्रामीण से मेरा सीधा संपर्क नहीं हो सका. यात्राओं और पुस्तकों में जो पढ़ा उसके आधार पर ही मेरी धारणा बनी है. इस समय इंग्लैंड के ग्राम और शहर लगभग एक जैसे हो चुके हैं. गांव में भी सभी वही सुविधाएं हैं जो शहरों में हैं. पहले जो छोटे-छोटे खेत हुआ करते थे उनको एक कर बड़े खेतों में परिवर्तित कर दिया गया है और मैकेनाइजड फार्मिंग होती है. यात्राओं के दौरान मैंने गाइड से पूछा कि किसी भी खेत में काम करता हुआ कोई मजदूर या किसान क्यों नहीं दिख रहा है. गाइड ने बताया कि इस समय समर सीजन है यह खेती के लिए आफसीजन है. सभी किसान अपना काम निपटा चुके हैं. इसलिए खेतों में इस समय कोई काम नहीं है. यद्यपि खेतों में मैंने चारे के मशीनों से बनाए हुए बड़े-बड़े ढेर अवश्य देखे. खेतों में कोई बड़े मकान नहीं देखे कहीं-कहीं किनारे पर एक छोटा सा मकान दिखाई देता है.

ऊपर दी गई पुस्तक क्रमांक 2 में रोजर हंट ने इंग्लैंड के क्रमिक ग्रामीण विकास पर जो प्रकाश डाला है उसमें से नीचे कुछ तथ्य दे रहा हूँ. कोई एक शताब्दी पूर्व ब्रिटेन में किसी समय पहाड़िया, घास के हरे भरे मैदान और वृक्ष ही वृक्ष दिखाई दिया करते थे. मानव बस्तियां बीच-बीच में कहीं टापू की तरह दिखाई देती थी. उस समय ग्रामीण जीवन को ही राष्ट्रीय संस्कृति माना जाता था. विश्व युद्धों के बाद ग्रामीण ब्रिटेन की स्थिति बहुत बदल गई है. ब्रिटेन के अधिकांश ग्रामीण मूल के लोग तब गांव में नहीं रहते थे . वह अन्यत्र रहते हैं परंतु ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का भरपूर उपयोग करते हैं. ग्रामीण इंग्लैंड की उपरोक्त पुस्तक के पृ. 9 से एक कोटेशन नीचे दिया गया है:

“Between the world wars, travelers such as H M Morton and Arthur Mee treated National culture as rural, and urbanism as an aberration. Morton avoided towns when he went ‘in search of England’. He knew when he reached the age of the city, at a tollgate, inn or last row of houses. Come the first hedgerow and ‘the keenair was like wine to me, the green of the young leaves was like music.’

यही यात्री यदि आज इंग्लैंड में घूमे तो देखेंगे कि इंग्लैंड का ग्रामीण जीवन लगभग समाप्त हो गया है. विकास की प्रक्रिया जो 1930 में शुरू हुई उससे ग्रामीण जीवन की कमर टूट गई. ब्रिटेन में विलियम मॉरिस द्वारा 19वीं शताब्दी में ग्रामीण जीवन की संस्थाओं को बचाने के लिए एक अभियान चलाया गया था. इसके अंतर्गत ग्रामीण भवन, चर्च, जंगल, चारागाह आदि को संरक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया. बीसवीं शताब्दी के अंत तक भवन निर्माण के लिए बहुत ज्यादा दबाव बढ़ गया था. रक्षित क्षेत्रों यथा नेशनल पार्क आदि के अलावा कोई जगह सुरक्षित नहीं थी. टाउन सेंटर जो विकसित हुए उन्होंने अपने आसपास के स्थानीय गाँवों और कॉलोनियों को खाली कर दिया और शहरी आवासीय सुविधाएँ विकसित की गई. दक्षिणी इंग्लैंड जो पहले खेतों, हरभरे मैदानों और जंगलों के लिए प्रसिद्ध था, अब वहां औद्योगिक विकास तेजी से हो रहा है. बड़े-बड़े मार्केट, वेयरहाउस, विंड टरबाइन आदि लग रहे हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था अब बदल गई है. उनके बच्चे अब गांव में नहीं रहना चाहते हैं और खेती के स्थान पर शहरी गतिविधियां प्रारंभ हो गई हैं. गांव में रहने वाले बहुत कम लोग आज खेतों में काम करते हैं. फिर भी ग्रामीण इकोनॉमी का इंग्लैंड की इकोनॉमी पर बहुत प्रभाव है. इंग्लैंड अभी भी हरा-भरा और सुंदर है. ग्रामीण इंग्लैंड की सामाजिक अवस्था एक शताब्दी पहले से अब बहुत बदल गई है. गांव में चर्च, दुकाने, झोपड़ियां, गांव की गलियां अभी भी हैं और जो वहां निवास करते हैं वह इनकी कद्र करते हैं. गांव की जमीन जो खेती के लिए उपयुक्त नहीं है वहां पर पशुपालन और भेड़ पालन प्रचलित है. पहले यह ऊन के लिए प्रयोग किया जाता था परंतु आजकल भेड़ पालन मांस के लिए किया जा रहा है.

प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध मैं इंग्लैंड के लोगों का जो नुकसान हुआ उससे अर्थव्यवस्था पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ा. इन युद्धों में इंग्लैंड की एक पीढ़ी ख़त्म हो चुकी थी जो गाँवों में बने वार मेमोरियल से पता लगता है. खेती की आमदनी घट गई थी. गांव में खेतों में काम करने वाले लोगों की संख्या भी बहुत घट गई थी. दितीय विश्व युद्ध के अंत में समाज की संरचना का रोल बदल गया. 1950 तक नेशनल ट्रस्ट कोई 42 देश के बड़े हाउस अधिग्रहण कर चुका था. लोग दूसरे आय के साधन जुटाने में लग गए. लोगों को रुझान गाँवों से शहरों की ओर हो गया था.

हाल ही में इंग्लैंड के समाज में कुछ परिवर्तन हुए हैं. शहरों में जनसंख्या का दबाव बहुत बढ़ गया, रहना बहुत खर्चीला हो गया तो लोगों ने पुनर्विचार किया है. अब धनी और नौकरी पेशा लोग ग्रामीण जीवन की तरफ फिर से जा रहे हैं. इंग्लैंड में आधुनिक विज्ञान, कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योकी, सड़क परिवहन और रेल परिवहन मैं बहुत तेजी से विकास हुआ है. जिसके कारण अब लोग गांव में रहना पसंद करते हैं. रोज बड़े शहरों में अब आना-जाना आसान है. इसलिए नौकरी या व्यापार बड़े शहरों में करते हैं और आवासीय सुविधा ग्रामीण इलाकों में ले रहे हैं. कंप्यूटर और इंटरनेट तकनीक के विकास से आज बहुत से लोग घर बैठे काम कर रहे हैं इसलिए जो आने जाने की परेशानी होती थी उस से भी निजात मिल गया है. एक आंकड़े के अनुसार कोई 22 लाख लोग इंग्लैंड में टेलीवर्क करते हैं और शीघ्र ही एक चौथाई इंग्लैंड इस पद्धति से काम करना शुरू करेगा. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था फिर से सुधर रही है क्योंकि जो धनाढ्य वर्ग गांव में रहता है वह वही की दुकानों का या सुविधाओं का उपयोग करता है और वहां के समुदाय से जुड़ता है.

फार्मिंग कम्युनिटी आज भी गाँवों के रक्षक के रूप में काम करते हैं. अब सब्सिडी दुर्लभ हो गई हैं, वैल्यू ऐडेड ऑपरेशंस बढ़ गए हैं. हाल के वर्षों में खाद्यान्न के उत्पादन में ऑर्गेनिक मार्केट का स्थान बहुत बढ़ गया है. अब संवहनीय कृषि उत्पादन सुनिश्चित करने पर अधिक ज़ोर दिया जा रहा है. इसके साथ ही पशुधन विकास भी संभव हो सकता है. हाल के कुछ दशकों में सघन खेती से कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होने लगे हैं. पर्यावरण, जैव विविधता और लैंडस्केप बदल रहा है. कीमतें गिर रही हैं इससे भी खेती किसानी को नुकसान हो रहा है. इसको देखते हुए डायवर्सिफिकेशन बढ़ रहा है. किसान लोग अब पर्यटन और रिक्रिएशन की तरफ ध्यान दे रहे हैं. environment-friendly खेती की तरफ भी झुकाव हो रहा है. इसीलिए विंडमिल और बायोफ्यूल पर अधिक जोर है. इंग्लैंड में ग्रामीण जीवन और किसानों की हालत देखने की मेरी बहुत इच्छा थी. वैसे तो यहाँ ग्रामीण और शहरी जीवन में कोई अन्तर दिखाई नहीं देता है. बर्जेस हिल भी एक तहसील स्तर का गाँव ही है परन्तु रहन-सहन और सुख-सुविधाओं के लिहाज से लंदन से कम नहीं है. मैं इंग्लैंड के दक्षिणी और पूर्वी भागों में गया और वहाँ के जीवन को देखा. ये भाग ग्रामीण बाहुल्य माने जाते हैं. ईस्ट आंगलिया में जहाँ खेती पर ही ज्यादा ज़ोर है, पशु-पालन नहीं होता है. बाथ और उसके आस-पास के जिलों में खेती, बागवानी के साथ ही पशुपालन भी बहुत होता है. कोई किसान खेत में काम करता नजर नहीं आया. खेत बड़े हैं. इंग्लैंड के पूर्वी भाग में खेत के किनारे मकान जैसे नजर आते थे. कुछ मकान और बीच-बीच में गाँव दिखते हैं जिनकी जन-संख्या बहुत कम है. खेतों में काम के लिए मशीनों का भरपूर उपयोग किया जाता है.

जन जीवन:

यहाँ लोग काफी सज्जनता से पेश आते हैं. कोई ज़ोर से बोलता हुआ नजर नहीं आता है. यहाँ के बच्चों को भी रोते हुए नहीं सुना. यदि कोई बच्चा रोता दिखे तो समझो वह एसिया के किसी देश का है. लोग अनजान होते हुये भी सड़क पर मिलते हैं तो गुड मॉर्निंग से अभिवादन करते हैं. कोई किसी की तरफ ताक-झाँक करता हुआ नहीं दिखता है जबकि एसिया के रहने वाले लोग कुछ घूरते हुये से नजर आते हैं. एक दिन मैं शौर्य को स्कूल छोड़ने कुर्ते पाजामे मे गया तो एक बांग्ला देशी ने सलामाँलेकुम कहकर अभिवादन किया और पूछा कि आप पाकिस्तान से हो क्या. मैंने बताया इंडिया से हूँ. कुछ दूर तक वह बात करता गया और यहाँ के बारे में बताया. कुर्ता पाजामा मुस्लिम होने का संकेत लगा. बुजुर्ग लोग बहुत कायदे कानून को मानने वाले हैं. सड़क पर जाते समय बड़े और बच्चों के लिए रास्ता प्राथमिकता के आधार दिया जाता है. अगर आप उनको रास्ता देते हैं तो बिना धन्यवाद के नहीं निकलते. वाहन में जाते हुए भी लोग फुटपाथ पर चलने वाले को प्राथमिकता देते हैं और उनको पार करने का संकेत भी देते हैं. व्यस्त सड़कों पर यहाँ स्वचालित बत्तियाँ नहीं हैं परंतु पैदल चलने वालों को सडक पार करने केलिए स्वयं ही बटन दबाना पड़ता है जब पैदल यात्री के पार करने के लिए ग्रीन सिगनल हो जाता है तो सड़क पर चल रहे वाहन रुक जाते हैं. यह व्यवस्था इंग्लैंड के सभी शहरों में है और अपने आप में युनीक है. किसी समस्या के समय लोग तत्काल सहायता के लिए तैयार हैं.

स्त्रियों की लम्बाई पुरुषों के बराबर ही होती है. उनके नाक-नक्श सुंदर और गौरे रंग की होती हैं. स्त्री-पुरुष की कद-काठी, नाक-नक्श, गौरा रंग, आदि से ये सच्चे आर्यों के प्रतिनिधि लगते हैं. स्त्रियाँ बहुत मेहनती होती हैं और उनके काम में बहुत फुर्ति दिखती है. लोग साफ़-सफाईका विशेष ध्यान रखते हैं. कहीं पर भी कचरा नहीं डालते हैं. हमेशा डस्ट्बिन में ही कचरा डालते हैं. कुत्ते को बगीचे में घुमाने ले जाते हैं तो साथ में प्लास्टिक की थेली रखते हैं और तुरंत उसकी टट्टी उठा लेते हैं.

पहनावा: लड़कियाँ यहाँ बड़े बाल रखती हैं और लड़के छोटे बाल रखते हैं. जैसे ही कुछ गर्मी पड़ती है औरतों के कपड़े हटने लगते हैं. कुछ तो बिकिनी में में ही आ जाती हैं. ड्रेस का यहाँ कोई कोड नहीं लगता है. पुरुष भी बहुत कम कपड़े रखते हैं.

जन संख्या : जनसंख्या की वृद्धि यहाँ पर ज्यादा नहीं है. बचे प्राय: कम करते हैं परंतु कइयों के 3-4 बच्चे भी नजर आते हैं. नौकरी-पेशा लोग रहते यहाँ हैं और कार से रोज लंदन आदि बड़े शहरों में जाते हैं. मकान : मकान यहाँ सभी एक जैसे ही नजर आते हैं हैं. प्राय: अधिकांश शहरों में दो मंजिला मकान ही दिखते हैं परंतु लंडन में 4 मंजिला भवन दिखाई देते हैं. बिना टाउन काउंसिल के अनुमति के कुछ परिवर्तन नहीं कर सकते. हम इतना घूमे परंतु कहीं भी नया बनता हुआ मकान या कोई निर्माणाधीन भवन नजर नहीं आया. इसी से लगा कि इंग्लैंड विकसित देश है भारत की तरह विकास-शील देश नहीं है. भवन निर्माण में स्थायित्व आ गया है. जिस मकान में हम रहे वह दो मंजिल का है और लकड़ी का बना हुआ है. कोई सौ साल पुराना है. यह तीन बेडरूम का है किराया एक लाख रु. है. यहाँ किराये का नियम यह कि प्रत्येक बच्चे के लिए एक बेडरूम जरूरी है. भवन मालिकों को किराए से अच्छी आमदनी होती है. यहाँ मकान में आग, दीपक या मोमबत्ती जलाना वर्जित है. यदि ऐसा किया जाता है तो सेंसर तुरंत अलार्म बजा देता है और पुलिस पहुँच जाती है.

स्वास्थ्य और शिक्षा:

स्वास्थ्य और शिक्षा इंग्लैंड में फ्री हैं. यहाँ नेशनल हेल्थ स्कीम लागू है (NHS) जिसके अंतर्गत प्रत्येक निवासी को निकटस्थ डॉ के यहाँ रजिस्टर करवाना पड़ता है. सामान्य बीमारियाँ वही देखता है परंतु गंभीर बीमारियों के लिए बड़े रॉयल अस्पताल रेफर किया जाता है. शरदी जुकाम आदि मौसमी बीमारियों में यहाँ कोई दवाई नहीं दी जाती है. शरीर में दर्द हो तो सलाह दी जाती है पैरासीटेमोल लेलो. अंटीबायोटिक बहुत कम प्रेस्क्राईब किए जाते हैं. एनएचएस की मुफ्त सेवा का फायदा युरोपियन यूनियन के अन्य देश बहुत उठाते हैं. इंग्लैंड का युरोपियन यूनियन से अलग होने का यह भी एक कारण है.

शिक्षा:

उच्च शिक्षा के इंग्लैंड में कई बड़े संस्थान हैं जैसे ऑक्सफोर्ड, केंब्रिज, इंपीरियल कालेज आदि जहाँ सारे विश्व के विद्यार्थी पढ़ने आते हैं. इन संस्थानों का स्टैंडर्ड अतुलनीय है. छोटे बच्चों की शिक्षा का अनुभव मैंने बहुत नजदीक से किया. वहाँ यह देखा कि स्कूली बच्चों की रचनात्मक गतिविधियों पर ज्यादा ज़ोर दिया जाता है. उनके यहाँ विषय को रटने पर बिल्कुल ज़ोर नहीं रहता है. बर्जेस हिल में मेरे दौहते शौर्य की स्कूल सेडिंगडीन मे इंटरप्राइज़ फेयर में अभिभावक के रूप में भाग लिया. शौर्य की क्लास के बच्चों का एक सामूहिक प्रेजेंटेशन था जिसमें पूरी स्कूल के बच्चे और टीचर उपस्थित होते हैं. इसमें ‘बाल्टी’ के ऊपर क्लास के बच्चे अभिव्यक्ति करते हैं. यहाँ अंग्रेज बच्चों की अन्य एसियाई बच्चों से तुलना का मौका मिला. अंग्रेज बच्चे मुझे सुस्त किस्म के लगे. कुछ पढ़ कर बोल रहे थे. शौर्य ने अंग्रेजी में बड़ी अच्छी अभिव्यक्ति मौखिक दी जिसपर सभी ने तालियाँ बजाई. अन्य केवल एक बच्चे के लिए ही तालियाँ बजी थे. शौर्य को स्कूल की तरफ से हीरोइक अभिव्यक्ति का पुरस्कार दिया गया. भारतीय बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में ज्यादा चंचल दिखते हैं.

वार्षिक मूल्यांकन प्रतिवेदन :

शौर्य की स्कूल सेडिंगडीन मे वार्षिक खेल-कूद कार्यक्रम में भी मैं उपस्थित हुआ. इस कार्यक्रम से स्कूल के बच्चों की खेल-कूद की प्रतिभा विकसित की जाती है और जो पैसा इकट्ठा होता है वह स्कूल की रचनात्मक कार्यक्रमों में खर्च होता है. शौर्य ने दौड़ में पहला स्थान पाया और अन्य गतिविधियों में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. बच्चों का वार्षिक मूल्यांकन प्रतिवेदन बहुत गहराई से लिखा जाता है जैसे अपने यहाँ वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन लिखा जाता है. बच्चे के व्यक्तित्व के हर घटक पर मूल्यांकन होता है.

रचनात्मक गतिविधियां:

शौर्य की स्कूल में बेपटिस्ट चर्च संगठन की तरफ से बच्चों के लिए रचनात्मक गतिविधियों का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. खुशी और शौर्य के साथ उसमे भाग लिया. रचनात्मक गति विधियों में कागज की नाव बनाना, फिरकी बनाना, पेन्टिंग करना, कागज की नाव पानी में तैराना, पिचकारी से शूटिंग कर सामने की टेबल पर रखी प्लास्टिक की खाली बोतलों को गिराना, बुलबुले बनाना, गोला बनाकर रिंग उनमें डालना आदि थी. बाद में खाना-पीना चर्च की ओर से था. चर्च की ओर से एक प्रस्तुतिकरण भी था जिसमें ईशा मशीह की कहानी बताई जाती है. कोई धार्मिक भाषण नहीं होता.

जमीन से जुड़ाव:

समर सीजन में यहाँ मार्टलेट में घर के नीचे टाउन काउंसिल के सामने टाउन काउंसिल द्वारा कृत्रिम बीच रेत का बनाया गया है. यह सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है. इसमें शौर्य और खुशी को रोज ले जाते हैं कोई दो घंटे तक रेत में खेलते रहते हैं. इसमें खिलौने और रेत की गतिविधियों को करने के लिये कई खिलौने वाले ट्रेक्टर, ट्रॉली, खुदाई और रेत उठाने के लिए क्रेन आदि खिलौने रखे जाते हैं. बच्चे खूब आनंद लेते हैं. अंग्रेज लौग इसमें बहुत रुचि रखते हैं. वे नियमित रूप से बच्चों को यहाँ लाते हैं. कुछ महीने के बच्चे को भी लाकर इसमें बिठाते हैं. जमीन से जुड़ने का अच्छा प्रयास है. यह पूरे समर सीजन 2 सितंबर तक चलता है.

धर्म:

धर्म के मामले में कोई कट्टरता दिखाई नहीं देती. लोग प्राय: सप्ताहांत में चर्च जाते हैं. मेरे निवास पास के पास ही एक चर्च थी. कोई एक शताब्दी पहले यहाँ के गाँवों में चर्च ही भारत में मंदिरों की तरह सूचनाओं के आदान-प्रदान का केंद्र हुआ करता था. परंतु अब वह बात नहीं है. सभी धर्मों के लिए सम्मान लगभग बराबर ही है. यहाँ भारतीय काफी संख्या में हैं और प्रभावशाली भी हैं. एक सर्वे में यह सामने आया कि सरनेम के आधार पर गिनती की जावे तोइंग्लैंड में सर्वाधिक संख्या पटेल सरनेम के लोगों की है. पटेल अधिसंख्य गुजराती हैं. पाकिस्तान के चौधरी उमर महोता लंदन से मेरे से मिलने के लिए आए. उन्होने बताया कि पाकिस्तान से काफी संख्या में मुस्लिम और खासकर मुस्लिम जाट इंग्लैंड में रहते हैं, जनसंख्या का करीब 1 प्रतिशत. पाक अधिकृत कश्मीर के मीरपुर जिले से मंगला बांध के विस्थापन से 60 के दशक में काफी लोग आए थे जिनमें जाट काफी संख्या में थे. पाकिस्तान के जाटों का भी यहाँ ठीक-ठाक बोलबाला है. यहाँ पाक अधिकृत कश्मीर के अपर हाऊस में दो सांसद नामांकित हैं.

अफ्रीका मूल के मुस्लिम भी यहाँ काफी संख्या में हैं. ब्रिटेन का शासन जब विभिन्न देशों में समाप्त हुआ तो शासक वर्ग के साथ ही विभिन्न देशों और धर्मों के लोग भी आकार बस गए और कलांतर में यहाँ प्रभावी भी हो गए.

शादी और उत्सव:

शादियों और उत्सवों पर कोई खास शोरगुल, दिखावा, सजावट और अनावश्यक खर्च नहीं होता है. कुछ लोग सामूहिक कार्यक्रमों में मुफ्त सेवायें प्रदान करते हैं परंतु धर्म के नाम पर नहीं. भारत को भी इनका अनुशरण करना चाहिए.

साफ़ सफाई : साफ़ सफाई का यहाँ बहुत ध्यान रखा जाता है. सड़क पर या बगीचे में कहीं कचरा नहीं डाल सकते. सभी जगह कचरा-पात्र लगे हुये हैं. निश्चित समय में उनसे कचरा उठाया जाता है. घरों में यहाँ प्राय एक ही बाथरूम और टॉइलेट रहते हैं. नहाने के लिए टब है. उसके अलावा बाथरूम में पानी की निकाशी ही नहीं है. वाशिंग मशीन से ही कपड़े धोने के अलावा कोई चारा नहीं है. घरों में नहाने के लिए गरम पानी का साल भर प्रयोग किया जाता है. रात के समय बिजली की दरें कम हैं इसलिये प्रैस करना, कपड़े धोना या गीजर में पानी गरम करने का काम सुबह 7.30 के पहले ही करते हैं. हमें भारतीय तरीके से साबुन लगाकर पाटे पर थप-थपाकर कपड़े धोने की आदत थी. परंतु यहाँ ऐसी व्यवस्था बाथरूम में नहीं होती है. इसलिये लिक्विड डिटर्जेंट से बाल्टी में ही कपड़े धोने पड़ते थे. कुछ समय तो यह असुविधाजनक लगा परंतु अब तो भारत में आकर भी यही प्रक्रिया सुविधाजनक लगती है.

औटोमेशन:

यहाँ बहुत एडवान्स लेवल का है. सभी दुकाने ग्राहक के जाने पर अपने आप खुल जाती हैं. जो सामान आपको लेना है चुनकर स्वतः ही कार्ड से या नगद भुगतान करते हैं. कोई यह नहीं देखता कि आपने क्या लिया है. कोई प्रत्यक्ष नजर नहीं रखता. केमरे जरूर लगे रहते हैं. हर वस्तु पर प्राईस टैग का कोडबार लगा रहता है. कोडबार पढ़कर ही भुगतान स्वचालित लिया जाता है.

यहाँ पर भुगतान के लिए कार्ड ही सर्वाधिक प्रचलित है. इंटरनेट बैंकिंग का प्रचलन कम है. उनका ऐसा मानना है कि इंटरनेट बैंकिंग से धोखाधड़ी हो सकती है. मैं जब इंग्लैंड पहुँचा तो लंदन हीथरो हवाई अड्डे पर एमिग्रेशन खिड़की पर एक अफ्रीकन महिला अफसर थी. एमिग्रेशन जाँच में उसने बार-बार पूछा कि आपने रिटर्न टिकट क्यों नहीं कराया. मैंने कहा कि मैं ऑनलाईन रिटर्न टिकट बुक कराऊंगा. उस महिला अफसर ने कहा आपके पास कैश या कार्ड होना चाहिए तभी आप ऑनलाईन टिकट बुक करा सकते हो. मैंने कहा कि हम कैशलेस इंटरनेट बैंकिंग से टिकट बुक कराते हैं. आखिर में उसने मेरा जयपुर से लंदन का ई-टिकट देखा तभी समझ सकी. वस्तुतः यहाँ इंटरनेट बैंकिंग इतनी प्रचलित नहीं है.

पुस्तकालय :

यहाँ पर पुस्तकालयों की बहुत अच्छी व्यवस्था है. हमारे घर के पास ही पुस्तकालय था. मैं दौहते शौर्य और दोहती खुशी के साथ लगभग रोज ही पुस्तकालय जाता था. छोटे बचों के लिए टौय लाइब्रेरी रहती है. खिलौने यहाँ से प्रदाय होते हैं पुस्तकों की तरह ही. लाईब्रेरी पुस्तकालय में किताबें या खिलौने स्वचालित मशीन से ही प्रदाय किए जाते हैं और वापस किए जाते हैं. मैं मेरी बेटी विनीता का लाईब्रेरी कार्ड ले जाता था जिस पर 7 पुस्तकें एक साथ प्रदाय हो सकती हैं. यहाँ के पुस्तकालयों में एक सेक्शन लोकल हिस्ट्री का होता है. इसमें गाँव से लेकर जिले तक के इतिहास की पुस्तकें मिलती हैं.

पुस्तकालय में प्रवेश से लेकर वापस आने तक यह पूरा ऑटोमेटिक है. उसके अंदर किताबें बहुत ही सुव्यवस्थित विषयवार जमाई हुई थी. आप वहां बैठ कर पढ़ सकते हैं या पुस्तक इशू करा सकते हैं. इशू कराने के लिए आपको किसी व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता नहीं होती. आप कंप्यूटर में दर्ज कराकर पुस्तक अपने घर ले जाकर पढ सकते हैं. निश्चित अवधी के लिए पुस्तक दी जाती है. समय होने पर आपको रिमाइंडर आ जाएगा. पुस्तक लौटाने के लिए वापस जमा कराने के लिए भी कंप्यूटर से ही की जाती है. इन पुस्तकालयों में गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने हेतु प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है. पुरस्कार भी दिये जाते हैं. इन गतिविधियों को आयोजित करने में स्वयं सेवक आते हैं. यहाँ बच्चों के लिए उपयोगी सचित्र पुस्तकें उपलब्ध होती हैं. पुस्तकों की गुणवत्ता इतनी अच्छी होती है कि उनको देखकर ही पढ़ने की इच्छा होने लगती है.

बुक रीडिङ्ग प्रतियोगिता : पुस्तकालयमें अच्छी गुणवत्ता की पुस्तकें मिलती हैं. शौर्य यहाँ बुक रीडिङ्ग प्रतियोगिता में भाग लेता है. रोज एक पुस्तक पढ़कर सुनानी होती है. पढ़ने को प्रोत्साहन का अच्छा प्रयास है. प्रलोभन भी दिया जाता है कि अच्छे रीडर को मेडल मलेगा. कुल सात पुस्तकें पढ़नी होती हैं. यह गतिविधि वोलन्टीयर ग्रूप द्वारा मुफ्त में चलाई जाती हैं. उनके ही लोग रोज आकर मूल्यांकन करते हैं. शौर्य ने कुल 7 पुस्तकें पढ़कर सफलता पूर्वक संक्षेप में सुनाने पर गोल्ड मेडल पाया. यह तकनीक बच्चों में पढ़ने की रुचि विकसित करने के लिए मुझे बहुत उपयोगी लगी.

परिवहन: बस में सफर -

यहाँ की बस बहुत हाई टेक हैं. अग्रिम बुकिंग एप आधारित ऑनलाईन होती है. एक दिन का एक आदमी का पैक और फैमिली पैक होता है. फैमिली में दो वयस्क और 3 बच्चे हो सकते हैं. नगदभुगतान भी कर सकते हैं. फॅमिली पैक सस्ता पड़ता है. यहाँ बसों में कंडक्टर नहीं होता है चालक ही सभी काम करता है. बसें जीपीएस आधारित होती हैं जिससे संचालन ऑनलाईन नियंत्रित होता है. बसें साफ़-सुथरी और कोई भीड़ नहीं दिखती हैं. बस का फ्लोर सड़क के ठीक लेवल में होता है जिससे विकलांग लोग भी आराम से बस में सफर कर सकते हैं. सड़कें भी इस तरह से बनी हैं कि विकलांग लोग व्हील चेयर में कहीं भी सफर कर सकते हैं.

सड़कें : इंग्लैंड में सड़कें एकदम साफ़-सुथरी दिखती हैं. कहीं टूट-फूट या गड्ढे दिखाई नहीं देते. यदि कोई भाग क्षतिग्रस्त हो जाता है तो तुरंत उस पर सावधानी का बोर्ड लगा दिया जाता ताकि दुर्घटना नहीं हो. मरम्मत बहुत तेजी से होती है. सड़क के किनारे फुटपाथ अनिवार्य रूप से होता है जिस पर कहीं कोई अतिक्रमण नहीं है. फुटपाथ पर बच्चे बूढ़े और व्हील चेयर वाले लोग आराम से घूमते हैं. व्हील चेयर के साथ बूढ़े लोग किसी भी बस या ट्रेन में सफर कर सकते हैं और दुकानों में खरीददारी भी कर सकते हैं. यहाँ वर्षा बहुत होती है परंतु सड़कों पर पानी नहीं भरता. सड़क के किनारे और बीच में भी ड्रेनेज सिस्टम बहुत परफेक्ट है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सड़कें वहाँ किस गुणवत्ता की बनती हैं.

ट्रेन में सफर:

ट्रेन में टिकट लेना स्वचालित है. स्टेशन के गेट भी स्वचालित हैं. आपका टिकट प्रवेश की मशीन में डालना पड़ता है गेट खुल जाता है और आपका टिकट बाहर आ जाता है. कुछ सेकंड के लिए ही ट्रेन स्टेशन के प्लेट-फार्म पर रुकती है. ट्रेन के गेट स्वचालित हैं. आपको बटन दबाना होता है तब ट्रेन का गेट खुलता है और आप ट्रेन में प्रवेश करते हो. उतरते समय भी ट्रेन से बाहर आने के लिए गेट का स्विच दबाना पड़ता है तभी गेट खुलता है और आप बाहर आ सकते हो. स्टेशन से बाहर आते समय भी टिकट मशीन में दबानी पड़ती है टिकट यहाँ बाहर नहीं आता , गेट खुल जाता है और आप बाहर आ सकते हो. आपका टिकट यहाँ जमा हो जाती है. कोई गार्ड भी नहीं रहता है. ट्रेन के अंदर भी कभी टिकट चेकर नजर नहीं आया. यह माना जाता है कि आप ईमानदारी से सफर कर रहे हो. इकोनोमी: इंग्लैंड क्षेत्रफल में राजस्थान के बराबर मान सकते हैं परंतु यह विश्व की पाँचवीं इकोनोमी वाला देश है. राजस्व का मुख्य भाग केमिकल ,फार्मेसी और तकनीकी उद्योगों, कृषि और पर्यटन से आता है. पर्यटन एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. यहाँ भारत जैसे प्राचीन पर्यटन केंद्र नहीं हैं फिर भी उनकी मार्केटिंग जबर्दस्त है. गांवों में जो बड़े लोग थे और बाहर रहते हैं उन्होने अपने बड़े-बड़े घरों को ब्रेड और ब्रेकफ़ास्ट योजना के अंतर्गत होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया है. पर्यटक को रात में रुकने का कमरा मिल जाता है और गाड़ी खड़ी करने की जगह. सुबह उनको एक नाश्ता दिया जाता है. यह सब सस्ते में हो जाता है. पर्यटक को भी फायदा और घर के मालिक को भी.

टोयलेट और बाथरूम:

यहाँ पर सड़क पर या किसी सार्वजनिक स्थान पर पेशाब नहीं कर सकते. आप नियत स्थान पर बने बाथरूम का ही प्रयोग कर सकते हो. ट्रेन के सफर में बाथरूम की कोई असुविधा नहीं होती परंतु बस के सफर में बाथरूम की समस्या होती है. यदि आप पर्यटन की बस में तो गाइड इस तथ्य पर प्रकाश डाल देता है. केमब्रिज विश्व विद्यालय के प्रांगण में घूमते हुये गाइड ने हमें सलाह दी कि आप किसी होटल या रेस्टोरेंट में घुस जाओ वहाँ बाथरूम का प्रयोग फ्री है. नियत स्थान पर बने टॉइलेट में विकलांगों के लिए भी सब जगह अनिवार्यरूप से अलग टॉइलेट बने रहते हैं.

मार्केटिंग और श्रम :

हम घर के पास ही वेटरोज डिपार्ट्मेंटल स्टोर से सामान खरीदते हैं जहाँ सभी तरह के प्रॉडक्ट मौजूद हैं. मार्केटिंग की बहुत सुंदर और व्यवस्थित प्रणाली है. सभी कार्य औटोमेटिक तरीके से किए जा रहे हैं. सामान भारत की तुलना में बहुत महंगा है. सभी भारतीय सामान उस समय खरीदते हैं जब डिस्काउंट शेल होती है. किसी प्रॉडक्ट के एक्ष्पायरी दिनांक से कुछ समय पहले ये शेल लगती हैं जो कभी-कभी 30 परसेंट कम तक बिक्री होती है. श्रम वाले काम बहुत महंगे हैं जैसे कपड़ों में प्रेस करवाना या बाल कटवाना. बाल कटवाने की दर रु. 1500 है. इसलिये वहाँ के ज्यादातर लोग अपना काम खुद ही करते हैं. घरों की बागवानी में एक से एक बढ़कर आधुनिक यंत्र प्रयोग किए जाते हैं. गर्मी में कपड़े ऐसे हल्के पहनते हैं जो जल्दी सूख जाते है और प्रेस की आवश्यकता नहीं होती.

खान-पान : खानपान यहाँ बहुत शुद्ध है. सभी वस्तुओं की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है. खान-पान की वस्तुए ज्यादा महंगी भी नहीं हैं. सभी तरह के फल और सब्जियां भी मिलती हैं जो ब्रिटैन के बाहर से भी आती हैं. दही को यहाँ योगर्ट कहते हैं. ताजा दूध यहाँ स्टोर में प्लास्टिक डिब्बों मे मिलता है. दूध यहाँ भारत से सस्ता है: रु. 40/- प्रति लीटर. हमारे टॅक्सी चालक पंजाब के सरदार थे. उन्होने बताया कि यहाँ पानी की बोतल दूध की बोतल से महंगी है इसलिये मैं तो दिन भर दूध ही पिता हूँ. यहाँ स्पेन का तरबूज मिलता है जो दिखने में बिल्कुल भारतीय तरबूज जैसा ही होता है परंतु गिरि ठोस होती है और बहुत स्वादिष्ट भी . सलाद के लिए मूली मिलती है जो सलगम जैसी गोल होती है. प्याज यहाँ मीठे होते हैं.

धूम्रपान और शराब:

धूम्रपान का यहाँ बहुत प्रचलन है. स्त्री पुरुष दोनों ही बहुतायत से धूम्रपान करते नजर आते हैं. यहाँ के सिगरेट में नशे वाले निकोटिन की मात्रा कम रहती है. शराब का भी यहाँ बहुत प्रचलन है. परंतु शराब पीकर दुर्व्यवहार करता कोई नजर नहीं आया.

शहीद स्मारक: दोनों विश्व-युद्धों में इंग्लैंड के ग्रामीण युवाओं का भारी नुक्सान हुआ. कुछ-कुछ गाँवों में तो युवा-पीढ़ी ही ख़त्म हो गई थी. गाँवों में उनकी याद में संयुक्त रूप से एक-एक स्मारक बनाकर उनके नाम यादगार के लिए अंकित किए गए हैं.

स्रोत: Glimpses of Geography, History and Social Life in England, Facebook Post-07.07.2020

लंदन-मुंबई-जयपुर वापसी (London - Mumbai- Jaipur)

03.9.2018: जयपुर वापसी के लिए हम 4 बजे शाम टैक्सी द्वारा बर्जेस हिल से रवाना हुये. हमारी बेटी विनीता की सहेली सुखविंदर कौर के पति बॉबी इंग्लैंड में टैक्सी चालक हैं. हम बाबी से पहले भी सैंट जोन्स पार्क में कई बार मिले हैं. सुखविंदर कौर और उनके पति बॉबी दोनों ही बहुत अच्छे इंसान हैं. वे पंजाब के रहनेवाले हैं और इंग्लैंड में काफी समय से रह रहे हैं.

बॉबी बर्जेस हिल से लंदन के रास्ते में अनेक किस्से सुनाते रहे और इंग्लैंड के जन-जीवन की काफी रोचक जानकारियाँ दीं. बाबी ने बताया कि इंग्लैंड में एक लीटर दूध की बोतल रु. 40/- में मिलती है जबकि पानी की बोतल रु. 100/- में मिलती है. इसलिये हम तो दूध पीना ज्यादा पसंद करते हैं. इस बात ने यह तो अभास कराया कि भारतीय कितने बुद्धिमान हैं परंतु साथ ही मैं किसान के बारे में भी सोचने लगा. किसान चाहे भारत में हो या इंग्लैंड में उसका शोषण ही होता है. असली लाभ तो कंपनियां ही कमाती हैं.

बाबी टैक्सी पार्क करके हीथ्रो एयरपोर्ट (Heathrow Airport) के गेट तक हमारे साथ आकर हमको लिफ्ट से लेकर आये. इससे हमें इधर-उधर कुछ पूछने की जरूरत नहीं रही. बाबी ने बताया कि आज संयोग से ट्रैफिक कम था नहीं तो बर्जेस हिल से लंदन तक आने में दो घंटे लग जाते. हम 1.30 घंटे में ही लंदन पहुँच गए थे. लंदन का हीथ्रो हवाईअड्डा पश्चिम लंदन के हिलिंग्डन में स्थापित है और यात्री यातायात संख्या के आंकड़ों के अनुसार यूनाइटेड किंगडम का व्यस्ततम विमानक्षेत्र एवं विश्व का तृतीय व्यस्ततम विमानक्षेत्र है जहां विश्व के किसी भी अन्य हवाइअड्डे की तुलना में सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय यात्रियों का आवागमन होता है.

हीथ्रो एयर पोर्ट के अंदर चेक-इन की बड़ी लंबी लाईन थी. दो कॅटेगरी थी पहली वेब चेक-इन और दूसरी बिना वेब चेक-इन वाली. दूसरी वाले में हम लाइन में लगे कोई एक घंटे में चेक-इन, हैंड बैग चेक-इन तथा सुरक्षा जाँच पूरी हो गई. हैंड बैग में पानी की बोतल, लिक्विड, चाकू आदि वर्जित हैं. यह तथ्य सामने डिस्प्ले बोर्ड पर भी आता रहता है. हमने पानी पीकर बोतल वहीं फेक दी. वैसे बोतल खाली करके साथ लाते तो अच्छा रहता क्योंकि प्लेन में पानी की बोतल नहीं दी गई. प्लेन में पानी एक कप में दिया गया.

जेट एयरवेज की उड़ान डबल्यू-117 रात 9.20 (भारतीय समय रात्री 1.50) पर रवाना हुई और सुबह मुंबई में यहाँ के 10.30 पर पहुँच गई. लंदन से मुंबई की दूरी 7600 किमी है. रास्ते में जिन देशों पर से विमान उड़ा वे हैं:

London (IST:1.50) - Luxembourg - Germany (Frankfurt) - Czech Republic - Slovakia - Romania - Black Sea - Georgia - Armenia - Azerbaijan -Caspian Sea - Iran (Tehran) - Afghanistan (Kandahar) - Pakistan (Karachi) – Arabian Sea - Mumbai (IST:10.30)

मुंबई एयर पोर्ट पर एमिग्रेशन चेक-इन के बाद सामान लिया और उसकी कस्टम जाँच करवाई. यहाँ से फिर से जेट-एयरवेज के विंडो पर जाकर सामान जमा कराया और डिपारचर गेट पर पहुँच गए. जेट एयरवेज के विमान डबल्यू-953 से दोपहर 2.35 पर रवाना हुये और जयपुर 04.9.2018 के शाम 4 बजे पहुँच गये. जयपुर के आसमान में उस समय बादल छाए हुये थे. जब विमान नीचे आया तो जयपुर का अद्भुत नजारा दिखता है. खेत हरे-भरे क्यारी जैसे बड़े सुंदर दिख रहे थे. दामाद प्रवीणजी और बेटी सुनीता, दौहतियां आशी और निशी हमें लेने जयपुर हवाई अड्डे पर आ गए थे. कुछ देर उनके पास दुर्गापुरा स्थित निवास पर रुककर रात 10 बजे तक घर पहुँच गए.

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संदर्भ

  1. Gwynne, Peter (1990). A History of Crawley. Chichester: Phillimore & Company. ISBN 978-0-85033-718-1. OCLC 59815249. p.9
  2. Cole, Belinda (2004a). Crawley: A History and Celebration of the Town. Salisbury: Frith Book Company. ISBN 978-1-904938-19-4. OCLC 59137480. p.14
  3. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, p.401
  4. Ujagar Singh Mahil: Antiquity of Jat Race, p.66-70
  5. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, pp.399-401
  6. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter IV, p.401

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